Tuesday, 21 May 2013

जिसे मजबूत कंधे नहीं मिलते वह 'औरंगजेब' हो जाता है

अतुल सभरवाल की फिल्म औरंगजेब का औरंगजेब ने अपने पिता भाई से दगा नहीं की, लेकिन दर्शक उससे दगा कर गए । इतनी उलझी हुई कहानी दर्शकों ने सिरे से खारिज कर दी। अभिनेता अर्जुन कपूर में दोहरी भूमिका के  अनुकूल अभिनय प्रतिभा नहीं। वह अपने दो किरदार अलग नहीं रख सके। अभिनय के मामले में पृथ्वीराज सुकुमार सब पर भरी पड़े। लेकिन, उनकी साख दक्षिण में ज़्यादा है। ऋषि कपूर ने प्रभावित किया, लेकिन उनका किरदार किसी फिल्म को हिट नहीं बना सकता। सलमा आगा की बेटी साशा आगा में इतनी सेक्स अपील नहीं कि वह बिकनी पहने और दर्शक पानी में आग की तरह जलने लगे। नतीजे के तौर पर यशराज बैनर की यह फिल्म ज़बरदस्त प्रचार के बावजूद दर्शकों को सिनेमाघर तक नहीं ला सकी। इस फिल्म की ओपेनिंग 3.90 करोड़ की हुई। शनिवार भी कुछ खास नहीं रहा। फिल्म को मिले 3.91 करोड़ दिलाने वाले दर्शक ही। सनडे का होलिडे भी केवल 4.50 करोड़ के दर्शक ही दिला पाया। यानि 12 करोड़ से थोड़ा ज़्यादा का खराब बिज़नस। इससे ज़्यादा बिज़नस तो Hollywood की एनिमेशन फिल्म एपीक ने किया। साबित हो गया कि कमजोर कंधों को दूसरे कंधों की ज़रूरत होती है। अन्यथा, वह बॉक्स ऑफिस पर 'औरंगजेब' हो जाता है।


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