मनोज कुमार को आज का भारत कुमार बनाने वाले फिल्म निर्माता निर्देशक केवल पी कश्यप नहीं रहे। साठ के दशक की श्वेत श्याम फिल्मों के युग में मनोज कुमार फिल्म हरियाली और रास्ता से हिट हो चुके थे। लेकिन, कहीं न कहीं, उनका चॉकलेटी हीरो, राजेंद्र कुमार के जुबली कुमार से मात खा रहा था। ऐसे समय में केवल पी कश्यप उनके पास शहीद फिल्म का प्रस्ताब लेकर आये। शहीद, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के क्रांतिकारी कारनामों पर फिल्म थी। इस फिल्म में बॉलीवुड के चॉकलेटी हीरो मनोज कुमार को भगत सिंह का किरदार सौंपा गया था। कश्यप की फिल्म में भगत सिंह का किरदार मनोज कुमार को दिया जाना कुछ जम नहीं रहा था। लेकिन, जब फिल्म रिलीज़ हुई तब न केवल भविष्य के भारत कुमार ने जन्म लिया, बल्कि इस फिल्म ने प्राण और प्रेम चोपड़ा के करियर में भी ज़बरदस्त बदलाव किया। फिल्म में प्राण ने सुहृदय डाकू केहर सिंह का किरदार किया था। प्रेम चोपड़ा सुखदेव बने थे। फिल्म में छोटे मोटे विलेन बनने वाले अभिनेता मनमोहन चन्द्रशेखर आज़ाद का किरदार करके अमर हो गए। इस फिल्म में कामिनी कौशल ने भगत सिंह की माँ का किरदार किया था। इस फिल्म के बाद कामिनी कौशल चरित्र भूमिकाएं करने लगी। शहीद को १३ वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में हिंदी में श्रेष्ठ फीचर फिल्म, राष्ट्रीय एकता की फिल्म का नर्गिस दत्त अवार्ड और बी के दत्त और दीन दयाल शर्मा को बेस्ट स्क्रीनप्ले का अवार्ड्स जीता। केवल कश्यप ने अपना फिल्म करियर फिल्मों के पब्लिसिस्ट के बतौर शुरू किया था। उन्होंने प्यार का सागर, प्रोफेसर, ये रास्ते हैं प्यार के, मुझे जीने दो, मेरे मेहबूब, वह कौन थी, ग़ज़ल और अब्दुल्ला जैसी फिल्मों की पब्लिसिटी सम्हाली थी। उन्होंने दो फिल्मों शहीद और परिवार का निर्माण किया। परिवार, विश्वास और चोरी चोरी जैसी तीन फिल्मों का निर्देशन किया। परिवार सुपर हिट फिल्म थी।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday, 19 July 2016
नहीं रहे मनोज कुमार को भारत कुमार बनाने वाले केवल कश्यप
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श्रद्धांजलि
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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