अभिषेक चौबे की
फिल्म उड़ता पंजाब आजकल के पंजाब प्रान्त में युवाओं के बीच नशीली दवाओं की समस्या
पर फिल्म है। इस फिल्म में करीना कपूर और
शाहिद कपूर लम्बे समय बाद किसी फिल्म में
आ ज़रूर रहे हैं, लेकिन उनके साथ साथ
कोई सीन नहीं होंगे। लेकिन, फिल्म में दर्शकों की उत्सुकता इस लिए नहीं होगी। वह देखना चाहेंगे कि अभिषेक चौबे के द्वारा चार
साल तक की गई कथित मेहनत ने स्क्रिप्ट में क्या आकार लिया है। क्या यह फिल्म पंजाबी युवाओं के नशीली दवाओं के
जाल में फंसने की घटनाओं को वास्तविक तथ्यों के आधार पर उभार पाए होंगे ? या फिर
यह फिल्म भी कश्यप एंड भरद्वाज एंड कंपनी की तमाम फिल्मों की तरह बॉक्स ऑफिस पर
दर्शक बटोरने के लिए विवादित विषय पर एक और फिल्म होगी ? आम तौर पर, बॉलीवुड ने तो
नशीली दवाओं को युवाओं के शौक और मज़े के तौर पर ही दिखाया है।
ड्रग्स पर 'गुमराह' करती फिल्म
निर्माता यश जौहर और
निर्देशक महेश भट्ट ने १९९३ में नशीली दवाओं की तस्करी के विषय पर एक फिल्म गुमराह
बनाई थी। इस फिल्म में श्रीदेवी ने एक
सिंगर रोशनी का किरदार किया था, जिसे राहुल प्रमोट करता है और विदेशों में शो
करवाता है। ऐसे ही एक शो के लिए जाते समय
रोशनी हांगकांग एयरपोर्ट पर नशीली दवाओं की तस्करी के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया
जाता है। उसे फांसी की सज़ा हो जाती है। ऐसे में जगन्नाथ उसकी मदद करता है। संजय दत्त ने जगन्नाथ और राहुल रॉय ने प्रमोटर
राहुल का किरदार किया था। इस फिल्म को रॉबिन भट्ट और सुजीत सेन ने लिखा था। लेकिन, वह पकड़ नहीं बन पाई थी। फिल्म में न तथ्य थे, न विषय की गहराई से समझ थी। यह सतही फिल्म श्रीदेवी और संजय दत्त की फ्लॉप
फिल्मों में शुमार की जाती है।
नेपाल से गोवा तक
ड्रग्स
१८ साल बाद निर्देशक
रोहन सिप्पी को गोवा में नशीली दवाओं का धंधा नज़र आया। उस दौर में गोवा इसी खासियत के कारण कुख्यात हो
रहा था। फिल्म में नशीली दवाओं के तस्करों
की तरकीबों, पुलिस की कोशिशों और
नशे के दुष्परिणाम का चित्रण काफी अच्छी तरह से हुआ था। इस फिल्म में दीपिका पादुकोण पर हरे राम हरे कृष्णा का दम मारो दम गीत का
रीमिक्स वर्शन फिल्माया गया था । इसके
बावजूद फिल्म फ्लॉप हुई। जिस हरे राम हरे
कृष्णा के गीत पर रोहन सिप्पी ने गोवा पर अपनी फिल्म का नाम रख था, देव आनंद और ज़ीनत अमान की यह फिल्म नेपाल में हिप्पियों और नशे
के जाल पर केंद्रित थी। इस संगीतमय फिल्म
ने हिंदुस्तानी दर्शकों को काफी प्रभावित किया था
फिल्म सुपर हिट साबित हुई। लेकिन,
इसके बाद कोई ऎसी सफल फिल्म नहीं बनाई जा
सकी।
ड्रग्स से लग जाते
हैं 'पंख'
सुदीप्तो
चट्टोपाध्याय निर्देशित फिल्म पंख को नशीली दवाओं पर केंद्रित फिल्म कहना ठीक नहीं
होगा। इस फिल्म में एक बच्चे के
मनोविज्ञान का भी चित्रण किया गया था।
जेरी एक बर्बाद परिवार से है। वह फिल्मों में लड़कियों का किरदार करता है। माँ
के साथ ख़राब सम्बन्ध उसे नशे में धकेल देते हैं।
नशीली दवाओं की डोज़ लेकर वह बिपाशा बासु की फंतासी करता है। यह फिल्म बाल
मनोविज्ञान की दृष्टि से प्रशंसनीय थी। नशा तो एक पहलू था ही।
नशीली दवाओं के आदती
किरदार
बॉलीवुड की काफी
फिल्मों के किरदार नशा लेने वाले दिखाये गए हैं।
मधुर भंडारकर की फैशन इंडस्ट्री पर फिल्म फैशन की कहानी मेघना माथुर यानि
प्रियंका चोपड़ा पर केंद्रित थी। फिल्म का
शोनाली का किरदार पतन को जा रही मॉडल का था, जो हताशा में नशीली दवाओं में डूब जाता है। इस भूमिका के लिए कंगना रनौत को सपोर्टिंग
एक्ट्रेस का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था।
अनुराग कश्यप की आधुनिक देवदास पर फिल्म देव डी में देवदास का किरदार पारो
की शादी हो जाने के बाद ड्रग्स लेने लगता है।
अनुराग कश्यप के चेले बिजॉय नांबियर की फिल्म शैतान के नशीली दवाओं और शराब
में डूबे पांच दोस्त नशे में चूर हो कर अपनी कार से एक स्कूटर सवार को ठोंक डालते हैं। इसके बाद शुरू होता है उनका पश्चाताप और एक के
बाद ज़िंदगियों का ख़त्म होना। कंगना रनौत
की फिल्म रिवाल्वर रानी में एक्टर बनने मुंबई आया वीर दास का किरदार हमेशा कोकीन
सुडकता रहता है। हँसी तो फसी में परिणीति
चोपड़ा का किरदार डिप्रेशन से उबरने के लिए ड्रग्स लेता है। रागिनी एमएमएस में एक जोड़ा नशे वाली सिगरेट
पीता है। इसके बाद वह लोग सेक्स करने शावर के नीचे जाते हैं। तभी लड़का प्रेत बन जाता है। लड़की नशीली सिगरेट को इसका कारण बताती है। गैंग्स ऑफ़ वास्सेपुर में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी
हर समय चरस पीते रहते हैं। विशाल भरद्वाज की फिल्म ७ खून माफ़ में सुसन्ना
(प्रियंका चोपड़ा) के दूसरे पति बने जॉन अब्राहम ड्रग्स लेते थे । उसकी ज़्यादतियों
से तंग आकर सुसन्ना ड्रग की ओवर डोज़ देकर
मार देती है।
ड्रग्स ने बनाया
ज़ोंबी
कृष्णा डी के और राज
निदिमोरु की निर्देशक जोड़ी की फिल्म गो गोवा गॉन में कुणाल खेमू और वीर दास के करैक्टर गोवा की एक रेव पार्टी में
जाते हैं। नशे में डूबने के बाद जब वह सुबह उठते हैं तो पाते हैं कि नशे ने वहा
मौजूद तमाम लोगों को ज़ोंबी बना दिया है।
इसके बाद शुरू होती है कॉमिक भागदौड़ और जोम्बियों की मारकाट। सैफ अली खान ज़ोंबी के वायरस के शिकार ज़ोंबी
हंटर बने थे।
ड्रग्स पर हॉलीवुड
नशीली दवाओं के अंतर्राष्ट्रीय रैकेट को हॉलीवुड की कई फिल्मों
में दिखाया गया है। इनमे डायरेक्टर रिडले स्कॉट की डंजेल वाशिंगटन और रशेल क्रोव
की फिल्म अमेरिकन गैंगस्टर, डायरेक्टर ब्रायन डी पाल्मा की अल पचीनो अभिनीत स्कारफेस, निर्देशक डैनी बॉयल की ट्रेनस्पॉटिंग, फर्नांडो मेिरेलस की फिल्म सिटी ऑफ़ गॉड, स्टीवन सोडरबर्ग निर्देशित ट्रैफिक, कोएन ब्रदर्स निर्देशित ऑस्कर अवार्ड विजेता
फिल्म नो कंट्री फॉर ओल्ड मेन, डैरेन अरोनोफस्की निर्देशित रिक्विम फॉर अ ड्रीम, निर्देशक टेरी विलियम की फियर एंड लोथिंग इन लॉस
वेगासक्वेंटिन टारनटिनो की फिल्म पल्प फिक्शन, टेड डेमे की ब्लो, रिचर्ड लिंकलेटर के डैजड एंड कन्फ्यूज्ड और
डायरेक्टर जोशुआ मर्स्टन की मारिया फुल ऑफ़ ग्रेस के नाम उल्लेखनीय हैं।
ममता कुलकर्णी
नाना पाटेकर की हिट
फिल्म तिरंगा से अपने करियर की शुरुआत करने वाली ममता कुलकर्णी ने अपनी सेक्स अपील
के बलबूते शाहरुख़ खान, सलमान खान, आमिर खान और सैफ अली खान के साथ फिल्में की। वह
जब तब अपने नखरों और हरकतों के कारण चर्चित होती रही। एक दिन ममता कुलकर्णी यकायक गायब हो गई।हाल ही
में महाराष्ट्र में ठाणे पुलिस के ममता कुलकर्णी के पति विकी गोस्वामी के खिलाफ
रेड कार्नर नोटिस जारी करने की खबर आई है।
ममता और उनके पति नशीली दवाओं की
तस्करी में लिप्त बताये जाते हैं।
निर्माता अनुराग
कश्यप की फिल्म उड़ता पंजाब सेंसर से विवाद में उलझी हुई है । पंजाब के चुनाव नज़दीक
है । इसलिए, अनुराग कश्यप की फिल्म के पंखों के साथ तमाम राजनीतिक दल भी राजनीतिक
उड़ान भर लेना चाहते हैं । ज़ाहिर है कि उड़ता पंजाब को जितनी पब्लिसिटी इसके पूर्व
रोमांस जोड़े करीना-शाहिद जोड़े के कारण नहीं मिल रही है, उससे कई गुना ज्यादा राजनीतिक
दलों के बोल बचनो से मिल रही है । हो सकता है कि इस पब्लिसिटी से फिल्म हिट हो जाए
। लेकिन, क्या यह नशीले पदार्थों की समस्या पर बॉलीवुड की एक ईमानदार फिल्म बन
पायेगी ?
No comments:
Post a Comment