हत्या की साज़िश चाहे गाँधी की क्यों न हो, बॉलीवुड के
फिल्म वाले मुजरा डाल ही लेते हैं। लेकिन, इस लिहाज़ से
अल्जीरियाई फिल्मकार करीम ट्रैडिया भी पीछे नहीं।
उनकी गाँधी हत्या के रहस्य को सुलझाने की कोशिश करती फिल्म गाँधी हत्या :
एक साज़िश (अंग्रेजी में गाँधी : द कांस्पीरेसी) में रखा गया एक मुजरा इसका प्रमाण
है।
हालाँकि, इस मुजरे को अनुभवी कोरियोग्राफर सरोज खान
ने कोरियोग्राफ किया किया है। इस मुज़रे को खूबसूरत गौहर खान पर फिल्माया गया है। गौहर
खान पर फिल्माये गये इस मुजरे के बोल बोतल
से कहीं बूंद गिर ना जाये हैं।
प्रोडक्शन टीम से सूत्रों का कहना है, "सरोज मैम
एक लीजेंड है। जब शास्त्रीय नृत्य की बात आती है, तो उनसे
बेहतर कोई भी नहीं है।
जब हमने उनसे संपर्क किया, तब
उन्होंने कहा कि वह पहले गाना सुनना चाहती है। इसलिए हमने पहली मीटिंग में फिल्म
के सभी गानों को भी रख लिया। उन्होंने गीत सुने। उन्हें वह पसंद आये।
इसके
बाद ही वह फिल्म की कोरियोग्राफी करने को
तैयार हुई । हमें आशा है कि सरोज खान का कोरियोग्राफ किया यह गीत दर्शकों को पसंद
आएगा ।"
इस मुजरे को करके बेहद खुश गौहर खान कहती हैं कि वह इस गीत को हमेशा याद
रखेंगी।
गौहर खान कहती है, "सरोज मैम के साथ काम करना हर एक्टर का सपना
होता है। वह मेरे साथ बहुत धीरज से काम कर रही थी।
उन्होंने खुद मुझे स्टेप्स सिखाए और किसी असिस्टेंट की बजाय वह खुद सब
देख रही थी। उन्होंने हर बारीकी और नजाकत समझायी।
मैं हमेशा उनकी ऋणी हूं। मैंने इस शूट के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है।
यह बहुत अद्भुत अनुभव था।"
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