शुरूआती दौर
से भारतीय चुनाव में,
सिनेमा के
ग्लैमर का इस्तेमाल होता रहा है। भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू
ने पृथ्वीराज कपूर और नरगिस को संसद तक पहुंचाया। बाद में सुनील दत्त, कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े भी
और जीते भी। १९८४ में राजीव गाँधी ने
बॉलीवुड के ग्लैमर का भरपूर इस्तेमाल किया। हालाँकि, उस से काफी पहले दक्षिण में करूणानिधि, एमजी रामचंद्रन, जे जयललिता,
एनटी रामाराव, आदि दक्षिण की राजनीती में फिल्म के
ग्लैमर की धाक जमा चुके थे। २०१९ के चुनाव
में एक बार फिर चुनाव में ग्लैमर छाया रहा।
बंगाल में तृणमूल कांग्रेस तथा दूसरी जगहों पर बीजेपी ने बॉलीवुड के कई
सितारों को मौक़ा दिया और वह जीते भी। इस जीत के कारण कुछ दिलचस्प नज़ारों की कल्पना
की जा सकती है। क्या होगा जब संसद में बैठेंगे यह ग्लैमरस चेहरे ?
क्या साथ बैठेंगे हेमा मालिनी और सनी देओल ?
जैसे ही २३
मई को, लोक सभा चुनाव लड़ रहे बीजेपी की मथुरा से
प्रत्याशी हेमा मालिनी और गुरुदासपुर से सनी देओल के जीतने की खबरें छोटे परदे पर
उभरी, सोशल मीडिया में गप्पास्टिक शुरू हो गई।
हिंदी फिल्मों में रूचि रखने वाले जानते हैं कि सनी देओल, अभिनेता धर्मेन्द्र के बड़े बेटे हैं और
हेमा मालिनी धर्मेंद्र की दूसरी पत्नी। इस लिहाज़, हेमा मालिनी,
सनी देओल की
सौतेली माँ हुई। सभी जानते हैं कि सनी देओल ने कभी भी हेमा मालिनी और उनकी दोनों
बेटियों के साथ स्क्रीन शेयर नहीं की और न ही किसी पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल
हुए। इसे देखते हुए ही,
सोशल मीडिया
गर्म था कि क्या सनी देओल संसद में अपनी सौतेली माँ के साथ बैठेंगे ? इस सवाल के उतने ही दिलचस्प जवाब थे।
लेकिन, सही जवाब लोकसभा सचिवालय की नियमावली ही
दे सकती थी। सही जवाब यह था कि हेमा मालिनी और सनी देओल साथ साथ नहीं बैठ सकेंगे।
कारण यह कि हेमा मालिनी सीनियर सांसद है. जबकि सनी देओल अपना पहला लोकसभा चुनाव
जीते हैं। इसलिए,
हेमा मालिनी
आगे वाली कतार पर बैठी नज़र आयेंगी और सनी देओल पीछे की कतार में अपने जैसे दूसरे
नए सांसदों के साथ।
एक्शन,
ग्लैमर और
सुर की त्रिवेणी !
लेकिन, पिछली कतार में बैठना ढाई किलो के मुक्के
वाले हीरो सनी देओल के लिए नीरस नहीं होगा। उनके साथ पीछे की कतार पर ग्लैमर भी
बैठा होगा और सुर भी। बेशक एक्शन (सनी देओल) और ग्लैमर का साथ तभी हो पायेगा, अगर राजनीतिक अदावत आड़े नहीं आयी। इसमे
कोई शक नहीं कि सनी देओल का एक्शन हंसराज हंस के सुरों का आनंद उठा सकता है।
हंसराज हंस बीजेपी के टिकेट पर दिल्ली से जीते हैं। वह भी पहली बार के सांसद है और
पंजाब से भी। सो खूब जमेगी जब मिल बैठेंगे पंजाबी दो। सनी देओल और हंसराज हंस को भोजपुरी
का आनंद देने के लिए रवि किशन मिलेंगे। वह गोरखपुर से जीते हैं। पहली बार सांसद
होने के नाते,
उन्हें और
सनी देओल को आसपास ही बैठने का मौका मिलेगा।
वीर-ज़ारा की चची और माँ
बॉलीवुड का
ग्लैमर बिखेरने में बीजेपी सबसे आगे लगती हैं। मथुरा से हेमा मालिनी लोकसभा में
हैं तो किरण खेर को चंडीगढ़ वालों ने एक बार फिर मौक़ा दिया है। यह दोनों वरिष्ठ
अभिनेत्रियाँ एक साथ बैठ सकती हैं। उन्हें आपस में बतियाने के लिए पार्टी के काम
के अलावा अगर कुछ होगा तो वीर-ज़ारा की यादें। इन दोनों अभिनेत्रियों ने एक साथ
सिर्फ एक फिल्म वीर-ज़ारा की है। यश चोपड़ा निर्देशित और शाहरुख़ खान, प्रीटी जिंटा और रानी मुख़र्जी अभिनीत इस
फिल्म में, हेमा मालिनी ने शाहरुख़ खान के वीर की चाची
और किरण खेर ने प्रीटी जिंटा की ज़ारा की माँ की भूमिका की थी। जाहिर है कि फिल्म में हेमा मालिनी भारत के
पंजाब और किरण खेर पाकिस्तान में रहने वाली दिखाई गई थी, इस लिए इन दोनों के स्क्रीन शेयर करने का
सवाल नहीं था। अलबत्ता,
पंजाब से
चुने गए भगवंत मान अपनी स्टैंडअप के बजाय सिट-अप कॉमेडी से इन दोनों का मनोरंजन कर
सकते हैं. बशर्ते कि ...!
स्मृति ईरानी को मिलेंगी तालियां !
संसद में
किरण खेर और हेमा मालिनी टीवी एक्ट्रेस रही स्मृति ईरानी से बात तो शेयर कर पाएंगी, लेकिन सीट नहीं शेयर कर पाएंगी। क्योंकि
स्मृति ईरानी पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने के बावजूद आगे वाली कतार में बैठी
होंगी। क्योंकि वह बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद सम्हाले हुए हैं। बेशक
उन्हें संसद में सबसे ज्यादा तालियाँ मिलेंगी और उन्हें राहुल गाँधी को शर्मिंदा
होते देखने का मौक़ा भी मिलेगा। स्मृति ईरानी के साथ मंत्री पद सम्हालने वाल बाबुल
सुप्रियों उनके साथ होंगे।
ग्लैमर के तीन नाम !
इसमे कोई शक
नहीं कि पुराने संसद सदस्यों के लिए बड़ा आकर्षण कई नए ग्लैमरस चेहरे होंगे। लोकसभा टीवी पर बहस के दौरान इन चेहरों को
देखते दर्शकों को भी इन नए ग्लैमर से भरे चेहरों के बारे में जानने की इच्छा पैदा
होगी। कौन यह यह मिमी चक्रवर्ती, नुसरत जहान और नवनीत कौर राणा ?
सेवन और टैक्सी ड्राईवर विवाद
मिमी
चक्रवर्ती और नुसरत जहान बांगला फिल्म अभिनेत्रियां हैं। दोनों अभी ३० साल के
आसपास की हैं। दोनों ही समकालीन हैं। खास बात यह है कि तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर
चुनाव जीतने वाली इन दोनों अभिनेत्रियों के बीच फ़िल्मी अदावत भी चली हैं। दरअसल, महेश भट्ट कैंप की लेखिका शगुफ्ता रफ़ीक
निर्देशक बनना चाहती थी। उनका इरादा तो हिंदी फिल्म बनाने का था। लेकिन, वह पहुँच गई बंगाल। उन्होंने एक हॉरर
फिल्म सेवन बनाने का ऐलान किया। इस फिल्म की, यश दासगुप्ता के साथ नायिका नुसरत जहान थी। फिल्म की शूटिंग शुरू करने
की तैयारी भी हो गई। लेकिन,
फिर यकायक
क्या हुआ कि शगुफ्ता ने यश दासगुप्ता के साथ मिमी चक्रवर्ती को लेकर रोमाटिक फिल्म
मोन जाने न की शूटिंग शुरू कर दी। यह फिल्म भोजपुरी में टैक्सी ड्राईवर के शीर्षक
के साथ रिलीज़ हुई। सेवेन के यकायक बंद कर, टैक्सी ड्राईवर शुरू हो जाने और उसमे मिमी को लिए जाने से नुसरत जहान
को काफी निराशा हुई थी। उन्होंने इस बाबत बयान भी दिया था। लेकिन, अब मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहान संसद भवन
के बाहर फोटो शूट करवा कर सेवन की कड़वाहट भूल चुकी हैं।
शिवसेना पर नवनीत राणा की निर्दलीय जीत
महाराष्ट्र
में अमरावती से चुनाव जीतने वाली निर्दलीय प्रत्याशी नवनीत कौर राणा पूर्व फिल्म
एक्ट्रेस हैं. उन्होंने तमिल, तेलुगु,
हिंदी और
पंजाबी फिल्मों में अभिनय किया है। नवनीत ने योग गुरु रामदेव के भतीजे रवि राणा से
२०११ में विवाह कर फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दी थी। यह इन दोनों का सामूहिक विवाह था।
तेलुगु फिल्मों में सफल नवनीत ने एक हिंदी फिल्म चेतना द एक्साइटमेंट में अभिनय
किया था। उनकी आखिरी फिल्म पंजाबी भाषा में छेवन दरिया (२०१०) थी। वह महाराष्ट्र
से जीतने वाली इकलौती फिल्म अभिनेत्री हैं।
असफलता के बावजूद सुमालता !
दक्षिण के
चुनाव में फिल्म हस्तियों को ख़ास सफलता नहीं मिली। अलबत्ता, कर्णाटक की मांड्या लोकसभा सीट से, कन्नड़ फिल्म एक्ट्रेस सुमालता अम्बरीस ने
निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता।उन्होंने, कर्णाटक राज्य के मुख्य मंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल को
हराया है। सुमालता के पति और कन्नड़ फिल्मों के टॉप एक्टर अम्बरीश कांग्रेस के टिकट
पर मंड्या सीट से लोकसभा चुनाव जीतते आ रहे थे। सुमालता ने न्यू डेल्ही, स्वर्ग यहाँ नरक यहाँ, प्रतिबन्ध, आज का गुंडा राज, दुश्मन दुनिया का और महानता जैसी हिंदी फिल्मों में अभिनय किया था।
सुमालता के समर्थन में कन्नड़ सुपरस्टार और पिछले साल की हिट फिल्म केजीएफ़ चैप्टर १
के नायक यश भी उतर आये थे। मगर, दक्षिण के दूसरे राज्य आंध्र प्रदेश में फिल्म एक्टरों को बड़ी असफलता
मिली। आंध्र प्रदेश में एक्टर पवन कल्याण की जन सेना पार्टी के उम्मीदवारों को
लोकसभा और विधान सभा में बुरी हार मिली। खुद पवन कल्याण भी दो सीटों पर विधान सभा
चुनाव लड़ रहे थे। लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत सके। कुछ ऐसा ही नतीजा केरल से मिला, जहाँ इनोसेंट नाम से मशहूर एक एक्टर
इनोसेंट वरीड थेककेथला अपना चुनाव हार गए। हालाँकि, वह पिछला लोकसभा चुनाव इसी सीट से जीते थे।
जीते क्षेत्रीय फिल्मों से दूसरे चेहरे
ओर्डिसा से
बीजेडी के टिकेट पर ओडिया एक्टर अनुभव मोहंती चुनाव जीते हैं। शिरूर महाराष्ट से
एनसीपी के उम्मीदवार के तौर पर एक्टर अमोल रामसिंग कोल्हे संसद पहुंचे हैं। तृणमूल
कांग्रेस ने बंगाल से अभिनेत्री शताब्दी रॉय और अभिनेता देव को भी संसद में पहुंचा
दिया है। वही बीजेपी उम्मीदवार अभिनेत्री लॉकेट चटर्जी भी संसद में पहुँच चुकी
हैं। अलबत्ता,
पूर्व लोकसभा
सांसद मुनमुन सेन चुनाव हार गई है।
फ़िल्मी मज़ा !
कल्पना
कीजिये इस दृश्य की! जयाप्रदा, पूनम सिन्हा,
शत्रुघ्न
सिन्हा, प्रकाश राज, उर्मिला मातोंडकर, राज बब्बर और दिनेश लाल यादव निरहुआ चुनाव जीत गए होते ! शायद पहली
बार शत्रुघ्न सिन्हा और पूनम सिन्हा पति-पत्नी जोड़ी संसद की कैंटीन में सोनाक्षी
सिन्हा का करियर डिस्कस कर रही होती ! राज बब्बर और प्रकाश राज अपनी खल नायिकी के
तेवर दिखा रहे होते ! उर्मिला मातोंडकर रंगीला के दिनों की यादें मिमी चक्रवर्ती
और नुसरत जहान को सुना रही होती। निरहुआ इन अभिनेत्रियों को साथ कोई भोजपुरी फिल्म
करने का सुझाव दे रहे होते। लेकिन, ऐसा अब नहीं हो पायेगा। जय-पराजय की स्क्रिप्ट सामने कौन जीत पाया है ?
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