बहती गंगा में हाथ धोना तो तेलुगु फिल्म अभिनेत्री लक्ष्मी मांचू (Lakshmi Manchu) से
सीखना होगा ।
दक्षिण से लेकर हिंदी बेल्ट तक विवाद पैदा हुआ शाहिद कपूर की फिल्म कबीर सिंह के
निर्देशक संदीप वंगा रेड्डी की प्यार को लेकर टिपण्णी पर । अपनी फिल्म कबीर सिंह
के तेलुगु संस्करण अर्जुन रेड्डी में, नायिका के प्रति नायक के हिंसक व्यवहार का बचाव करते हुए संदीप ने कहा कि अगर प्यार मे कोई जोड़ा एक दूसरे को थप्पड़
नहीं मार सकता तो वह सच्चा प्यार नहीं करता।
प्यार की यह व्याख्या दक्षिण की
गायिका चिन्मई श्रीप्रदा को अच्छी नहीं लगी। उन्होंने इसकी आलोचना की। फिर आलोचना
में उतरी सामंथा अक्किनेनी। इन दोनों का समर्थन किया मशहूर तेलुगु एक्ट्रेस लक्ष्मी मांचू ने।
तभी इस विवाद में नाक घुसेड़ी खुद को हिन्दू धार्मिक ग्रंथों का जानकार बताने वाले देवदत्त
पटनायक ने। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कबीर सिंह जैसा प्यार बॉलीवुड फिल्मों में तो
देखा जा सकता है, लेकिन पुराणों में नहीं।
अभी तक सिर्फ एक हिंदी फिल्म
डिपार्टमेंट में सत्या भोसले की भूमिका करने वाली लक्ष्मी मांचू ने बॉलीवुड के बचाव में लिखा, “सभी बॉलीवुड फ़िल्में नहीं। सिर्फ एक दुखांत फिल्म बनाने वाले की
फिल्म। हम लोग तो गीत संगीत और प्रेम-मोहब्बत और दोस्ती में विश्वास करते हैं।”
इस
समय, बैंकाक में एक टीवी रियलिटी शो की शूटिंग में व्यस्त लक्ष्मी मांचू को, उनका
यह कमेंट कोई दूसरी बॉलीवुड फिल्म दिला पायेगा ?
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