Sunday, 22 May 2022

हिन्दू ह्रदय सम्राट बन पायेगा अक्षय कुमार का ‘पृथ्वीराज’ ?

लगभग ४० साल पहले, ३० नवम्बर १९८२ को, ब्रितानी फिल्म निर्देशक रिचर्ड एटेनबरो की फिल्म गाँधी प्रदर्शित हुई थी. इस फिल्म ने पूरी दुनिया में मोहनदास करमचंद गाँधी के गांधी से महात्मा बनने की यात्रा का प्रभावशाली चित्रण किया था. फिल्म को पूरी दुनिया के पुरस्कारों के ढेर लग गए थे. फिल्म ने ५५वे ऑस्कर पुरस्कारों में आठ प्रमुख पुरस्कार जीते थे. इस फिल्म में गाँधी की भूमिका भारतीय मूल के अभिनेता बेन किंग्सले ने महात्मा गाँधी की भूमिका की थी. उन्हें इस भूमिका के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर मिला था. यह बेन के जीवन का पहला ऑस्कर था. इस प्रकार से रिचर्ड एटेनबरो और बेन किंग्सले ने भारत के गाँधी को पूरी दुनिया मे महात्मा बना दिया था. उस समय एटेनबरो ने कहा था, "यह फिल्म मेरे गाँधी गाँधी के प्रति श्रद्धा सुमन हैं।"




गाँधी साबित होगी पृथ्वीराज? - आज ऐसा ही मिलता जुलता प्रश्न उठ खड़ा हुआ है. आगामी ३ जून २०२२ को, भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर फिल्म पृथ्वीराज प्रदर्शित होने जा रही है. इस फिल्म का निर्देशन सफल चाणक्य सीरियल के निर्माता डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी कर रहे हैं. फिल्म में पृथ्वीराज की भूमिका कभी के एक्शन कुमार अक्षय कुमार कर रहे हैं. प्रश्न यह है कि क्या डॉक्टर चंद्रप्रकाश पृथ्वीराज चौहान  के चरित्र को सम्राट पृथ्वीराज चौहान बना पाएंगे ? क्या पृथ्वीराज चौहान बने अक्षय कुमार इस ऐतिहासिक चरित्र को हिन्दुओं का ह्रदय सम्राट बना पाएंगे? आइये गाँधी के प्रकाश में इस पृथ्वीराज को समझने की कोशिश करते है कि यह गाँधी के महात्मा की तरह सम्राट बन पायेगा ?




अक्षय कुमार बनाम बेन किंग्सले - पहले लेते हैं अक्षय कुमार को. गाँधी के बेन किंग्सले ने इस भूमिका के लिए तपस्या की थी. उन्होंने गाँधी के बारे में खूब पढ़ा, जानकारियां इकठ्ठा की. मोहनदास दुबले पतले थे. इसलिए बेन किंग्सले ने उपवास कर अपना वजन चरित्र के अनुकूल घटाया. उन्होंने गाँधी के ऑडियो सुन कर उनकी आवाज़ में अपनी आवाज़ ढालने की कोशिश की. अपने रहनसहन को तात्कालिक रूप से बदलने का प्रयत्न किया. गाँधी उनकी दूसरी फिल्म थी, जो पहली फिल्म के १० साल बाद प्रदर्शित हुई थी. गाँधी पूरी होने के बाद ही, बेन किंग्सले ने दूसरी फिल्म बिट्रेयल की. उनकी इस तपस्या का नतीजा था, गाँधी का ऑस्कर पुरस्कार जीतने वाला गाँधी.




पृथ्वीराज से अनभिज्ञ अक्षय कुमार - क्या अक्षय कुमार ने पृथ्वीराज के लिए ऐसी तपस्या की है ? इस प्रश्न को, एक प्रेस कांफ्रेंस में पूछे गए प्रश्न के प्रकाश में हल करते हैं. प्रेस कांफ्रेंस में अक्षय कुमार से सवाल था कि क्या आप जानते हैं कि पृथ्वीराज चौहान का जन्म कहाँ हुआ था?  इस सीधे प्रश्न पर अक्षय कुमार का उत्तर काफी विचित्र था. उन्होंने कहा, "कोई फर्क नहीं पड़ता कि पृथ्वीराज कहाँ जन्मे थे ! वह भारत में जन्मे थे और भारतीय थे". अक्षय का यह उत्तर स्थापित करता था कि उन्होंने बेन किंग्सले के गाँधी की तरह पृथ्वीराज का अध्ययन नहीं किया था. अन्यथा वह बता पाते कि पृथ्वीराज का जन्म गुजरात में हुआ था और उनकी मृत्यु अजमेर में हुई थी. स्पष्ट रूप से, अक्षय कुमार के लिए पृथ्वीराज एक चरित्र भर था. जब वह इस ऐतिहासिक चरित्र से प्रभावित ही नहीं हुए थे तो वह किस प्रकार से चरित्र को परदे पर उतार सकते हैं!




बाला या पृथ्वीराज ! - चलिए, जान लेते है कि अक्षय ने इस चरित्र के लिए और क्या किया ? अव्वल तो इस चरित्र के लिए बिलकुल मिसफिट है. पृथ्वीराज की मृत्य २६ साल की उम्र में हो गई थी. इस अल्पजीवी सम्राट के साथ दुगनी उम्र का अभिनेता कैसे न्याय कर सकता है! वह तो उम्र में ही मिसफिट है. निर्देशक ने उन्हें जोकर की तरह प्रस्तुत किया है. तभी तो फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ होते ही मेमे की भरमार हो गई. अक्षय  कुमार के पृथ्वीराज में, दर्शकों को हाउसफुल ४ का बाला दिखाई देने लगा. अक्षय कुमार ने इस महत्वपूर्ण चरित्र को दूसरे अन्य  चरित्रों की तरह निभाया. वह पृथ्वीराज की शूटिग के  दौरान भी आधा दर्जन फिल्मों की शूटिंग कर रहे थे. नई फ़िल्में लगातार साइन कर रहे थे. यानि अक्षय कुमार में, बेन किंग्सले के गाँधी के प्रति समर्पण की तरह पृथ्वीराज के लिए समर्पण नहीं था. वह स्वयं को पृथ्वीराज के रूप में ढाल पाने असफल रहे थे.




बिकाऊ पृथ्वीराज ? - वास्तविकता तो यही है कि अक्षय कुमार, पृथ्वीराज के लिए पहली पसंद नहीं थे. पांच साल पहले, जब डॉक्टर चंद्रप्रकाश फिल्म मोहल्ला अस्सी की शूटिंग सनी देओल के साथ कर रहे थे, उस समय उन्होंने फिल्म पृथ्वीराज की कहानी सनी देओल के साथ डिसकस की थी. वह इस भूमिका में सनी देओल को लेना चाहते थे. हालाँकि, इसके लिए सनी देओल भी उपयुक्त नहीं थे.  लेकिन, फिल्म पृथ्वीराज के निर्माता के रूप में यशराज फिल्म्स के आते ही, फिल्म निर्माण का नजरिया बिलकुल बदल गया. आदित्य चोपड़ा फिल्म को किसी बिकाऊ अभिनेता के साथ बनाना चाहते थे. सनी देओल बिकाऊ नही थे. सो बिकाऊ अभिनेता अक्षय कुमार पृथ्वीराज बन गए. फिल्म निर्माण में श्रद्धा नहीं बाजार आगे आ गया.




चंद्रप्रकाश का दायित्व ! - डॉक्टर चंद्रप्रकाश भी पृथ्वीराज को सम्राट बनने से रोक सकते है. जब उन्होंने अभिनेता के लिए समझौता कर लिया तो वह स्क्रिप्ट के साथ भी समझौता कर रहे होंगे. फिल्म की बात करते समय पृथ्वीराज चौहान की प्रेमिका राजकुमारी संयोगिता का उल्लेख भी होता है. निश्चित रूप से फिल्म को बिकाऊ बनाने  के लिए रोमांस भरा गया होगा. तभी तो संयोगिता विश्व सुंदरी मानुषी छिल्लर बनाई गई है. फिल्म पर बाजार हावी है. सोनू सूद, पृथ्वीराज के कवि मित्र चंद बरदाई बने है और संजय दत्त काका कान्हा बने हैं. संजय की क्रूर विलेन अधीरा की भूमिका वाली फिल्म केजीएफ २ पिछले महीने प्रदर्शित हुई है. सिर्फ फिल्म के आक्रमणकारी मुहम्मद गोरी के लिए मानव विज का चुनाव ही प्रभावशाली लगता है. पर कोई फिल्म विलेन के बूते नहीं चलती!




अनुकूल समय पर पृथ्वीराज - इसमें कोई संदेह नही कि पृथ्वीराज बड़े अनुकूल समय में प्रदर्शित हो रही है. उरी द सर्जिकल स्ट्राइक और द कश्मीर फाइल्स के बाद, हिन्दुओं में राष्ट्रवाद हिलोरे ले रहा है. सम्राट पृथ्वीराज चौहान भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट थे. आम हिन्दू और राष्ट्रवादी इस चरित्र पर श्रद्धा रखता है. फिल्म को हिट बनाने के लिए उत्तेजना फैलाने की आवश्यकता नहीं, बल्कि श्रद्धा और समर्पण की आवश्यकता है.  फिलहाल तो यह डॉक्टर चंद्रप्रकाश, एक्टर अक्षय कुमार और निर्माता आदित्य चोपड़ा मे अदृश्य लगता है. क्या अश्रद्धा, गैर जानकारी और एक्टरों के गलत चुनाव वाली फिल्म पृथ्वीराज इस चरित्र को हिन्दुओं का ह्रदय सम्राट बना पाएगी? आप इस लेख पर विचार कीजिये और प्रतीक्षा कीजिये ३ जून २०२२ की.

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