नेटफ्लिक्स के लिए, अली अब्बास ज़फर निर्देशित फिल्म जोगी, १९८४ के उन सिख दंगों की पृष्ठभूमि में है, जो तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी की ह्त्या के बाद, दिल्ली तथा देश के दूसरे क्षेर्त्रों में प्रारंभ हुए थे. इनमे सैकड़ों निर्दोष सिखों को अपनी जाने गंवानी पड़ी थी. इस फिल्म में शीर्षक भूमिका में दिलजीत दोसांझ है. ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर जोगी को मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है.
दिलजीत की पहली फिल्म - पर जोगी अकेली फिल्म नहीं, जो इंदिरा गाँधी हत्याकांड पर है. ऎसी बहुत सी कुछ फ़िल्में बनी है, जो विवादित हुई. इनमे से कुछ सफल हुई, कुछ असफल. पर फ़िल्में बनने का सिलसिला बना रहा. १९८४ के दंगों पर फिल्म जोगी, दिलजीत दोसांझ की पहली फिल्म नहीं, जो १९८४ में हुए इंदिरा गाँधी हत्याकांड के बाद के सिख विरोधी दंगों पर केन्द्रित है. दोसांझ की २०१४ में प्रदर्शित फिल्म पंजाब १९८४ में इंदिरा गाँधी हत्याकांड के बाद सिखों पर ज्यादतियों और पुलिस की एकतरफा कार्यवाही का चित्रण हुआ था. इस फिल्म में किरण खेर ने एक माँ की भूमिका की थी. पंजाब १९८४ के निर्देशक अनुराग सिंह थे. पर यह पंजाबी फिल्म थी.
पहली फिल्म हवाएं - १९८४ के कथानक पर, पहली फिल्म हवाएं थी. इसे पंजाबी फिल्म अभिनेता और निर्देशक अमितोज मान ने बनाया था. इस फिल्म में अमितोज मान के अतिरिक्त बब्बू मान और माही गिल प्रमुख भूमिकाओं में थे. यह फिल्म पंजाबी और हिंदी में बनाई थी. समीक्षक इस फिल्म को सर्वाधिक सत्यापित फिल्म बताते है. यह फिल्म २००३ में प्रदर्शित हुई थी. हॉट स्टार से स्ट्रीम सीरीज ग्रहण का निर्माण शैलेन्द्र कुमार झा ने किया था. यह सीरीज सत्य व्यास के उपन्यास चौरासी पर थी. इस सीरीज में ऑपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गाँधी हत्याकांड और फिर सिख विरोधी दंगों का विस्तार से वर्णन किया गया था. इस सीरीज में पवन मल्होत्रा, जोया हुसैन, अंशुमान पुष्कर और वामिका गब्बी प्रमुख भूमिका में थे. दिलजीत दोसांझ की फिल्म पंजाब १९८४ के बाद, २०१६ में शिवाजी लोटन की हिंदी फिल्म ३१ अक्टूबर प्रदर्शित हुई थी. इस फिल्म की कहानी भी १९८४ में इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद से प्रारंभ होती थी. सोहा अली खान, वीर दास, लखविंदर सिंह लक्खा और प्रीतम कांगने की प्रमुख भूमिका वाली यह फिल्म कुछ नया दे पाने में असफल हुई थी. इसी साल प्रदर्शित आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्डा का मुख्य चरित्र लाल सिंह भी १९८४ के दंगों की त्रासदी का सामना करता है.
विवादित फिल्में - शोनाली बोस द्वारा अपने ही उपन्यास पर बनाई गई फिल्म अमु, विदेशी फिल्म मेलों में तो दिखाई गई, लेकिन भारत में यह फिल्म रिलीज़ नहीं हो सकी. इस फिल्म के निर्माण में निरंतर बाधाएं आती रही. निर्माता फिल्म निर्माण से हाथ खींचते रहे. इसके बाद, जब यह फिल्म सेंसर के पास गई तो इस ६ कट्स के बाद भी बालिगों के लिए वाला प्रमाणपत्र दिया गया. इस फिल्म को डीवीडी पर सीधे रिलीज़ कर दिया गया. निर्माता रविंदर राव की पंजाबी फिल्म कौम दे हीरे, इंदिरा गाधी की हत्या को उचित बताने वाली और उनके हत्यारों सतवंत सिंह, बेंत सिंह और केहर सिंह का महिमा मंडन करने वाली फिल्म थी. इस फिल्म को सेंसर ने प्रमाणित करने से मना कर दिया था. परन्तु, बाद में दिल्ली उच्च न्यायलय के हस्तक्षेप के बाद फिल्म प्रदर्शित की गई. शशि कुमार की फिल्म काया तरन अंगद बेदी, सीमा विस्वास, आदि की उपस्थिति में भी कुछ विशेष प्रभाव नहीं डाल सकी. यह फिल्म चू चू का मुरब्बा अधिक साबित हुई.
बड़े परदे पर इंदिरा गाँधी - इंदिरा गांधी एक ऐसा राजनीतिक व्यक्तित्व थी कि उनका प्रभाव जन सामान्य पर बहुत अधिक था. तभी तो उनकी हत्या के बाद, सिखों के विरुद्ध आम जन का रोष उमड़ पडा और एक दर्दनाक हत्याकांड हो गया. ऊपर हमने १९८४ के इंदिरागांधी ह्त्या कांड और सिख विरोधी दंगों पर बनी फिल्मों का उल्लेख किया है. स्वाभाविक है कि ऐसे चरित्र पर भी कुछ फिल्में बनती. ऐसी फिल्में बनाई भी गई. पर यह अधिकतर फ़िल्में १९७५ के आपातकाल की पृष्ठभूमि पर ही है. हालाँकि, गुलजार की फिल्म आंधी इंदिरा गाँधी की काल्पनिक राजनीतिक यात्रा पर फिल्म थी. गुलजार ने फिल्म में आरती के गेटअप और घटानक्रम को इंदिरा गाँधी से कुछ इतना मिलता जुलता रखा कि आपातकाल के दौरान फिल्म को बैन कर दिया गया. बाद में जनता पार्टी के शासन में आंधी पूनः प्रदर्शित हुई और बड़ी सफल फिल्म साबित हुई. इस फिल्म में संजीव कुमार के साथ आरती की भूमिका सुचित्रा सेन ने निबाही थी.
इंदिरा गाँधी की हमशक्ल - सलमान रुश्दी के उपन्यास पर आधारित दीपा मेहता की फिल्म मिडनाइट चिल्ड्रेन में इंदिरा गाँधी के कुशासन का चित्रण हुआ था. फिल्म में इंदिरा गाँधी की भूमिका सरिता चौधरी ने की थी. मध्रू भंडारकर की फिल्म इंदु सरकार १९७५ के आपातकाल पर फिल्म थी. इस फिल्म नें सुप्रिया विनोद के इंदिरा गाँधी की भूमिका बखूबी की थी. सुप्रिया विनोद, कदाचित ऎसी इकलौती अभिनेत्री है, जिन्होंने एनटीआर के जीवन पर फिल्म कथानायाकुडू और इसके सीक्वल एनटीआर महानयाकुडू में भी इंदिरा गाँधी की भूमिका की थी. इसी प्रकार से अवंतिका अचरेकर को भी इंदिरा गाँधी से शक्ल मिलने का लाभ नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म ठाकरे और रणवीर सिंह की भारत के पहला विश्व कप क्रिकेट जीतने के कथानक पर फिल्म ’८३ में इंदिरा गाँधी की भूमिका करने के रूप में मिला.
अनाम फ्लोर का नाम - अभिनेत्री फ्लोरा जैकब को कोई तब तक नहीं पहचानता था, जब तक उन्होंने निर्देशक राज कुमार गुप्ता की थ्रिलर फिल्म रेड में इंदिरा गाँधी की छोटी भूमिका नहीं कर ली. इस फिल्म के बाद, फ्लोरा को कंगना रानौत की जयललिता बीओपी फिल्म थालैवी में भी इंदिरा गाँधी की भूमिका करने का अवसर मिला. इसी प्रकार से, नरेन्द्र मोदी के जीवन पर फिल्म पीएम नरेन्द्र मोदी में इंदिरा गाँधी की भूमिका किशोरी शहाने के की थी. २०२१ में प्रदर्शित अक्षय कुमार की स्पाई थ्रिलर फिल्म बेल बॉटम में लारा दत्ता ने इंदिरा गाँधी को परदे पर जीवंत कर पर्याप्त प्रशंसा बटोरी. अजय देवगन की फिल्म भुज द प्राइड ऑफ़ इंडिया का कथानक १९७१ के भारत पाकिस्तान युद्ध पर था. इसलिए फिल्म में इंदिरा गाँधी का चरित्र होना ही था. फिल्म में यह संक्षिप्त भूमिका नवनी परिहार ने की थी.
अब कंगना की इमरजेंसी - अब एक बार पूनः इंदिरा गाँधी और आपातकाल चर्चा में है. थालैवी कंगना रानौत निर्देशित फिल्म इमरजेंसी का कथानक १९७५ का कुख्यात आपातकाल ही है. इस फिल्म में आपातकाल और उस दौर में जनता पर हुए अत्याचार का चित्रण किया जायेगा. फिल्म मे इंदिरा गाँधी की भूमिका केंद्र में होगी. इसलिए इस चरित्र को स्वयं कंगना रानौत कर रही है. इस फिल्म में दर्शकों को तत्कालीन राजनीति के कई परिचित चेहरे, परिचित बॉलीवुड कलाकार करते दिखाई देंगे.
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