Friday, 28 August 2015

हिंदी फिल्मों से बाहर हैं राखी धागों का त्यौहार !

कभी हिंदी फिल्मों का फ्लेवर पारिवारिक हुआ करता था।  एक भरा पूरा माँ, पिता, भाई, बहन और भाभी वाला परिवार। ज़ाहिर है कि हिन्दुओं के हर पर्व के लिए गुंजाईश।  ऐसे में भाई बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षा बंधन को तो हिंदी फिल्मों में होना ही था।  लेकिन, आज फिल्मों का फॉर्मेट बिलकुल बदल चुका है। अब तो रेस २ जैसी फिल्मो में  भाई बहन एक दूसरे के खिलाफ षडयंत्र रचते हैं।  ज़ोया अख्तर की फिल्म 'दिल धड़कने दो' भी सतही तौर पर परिवार और भाई-बहन दिखाती है।  यही कारण है कि दर्शकों को आज भी पुराने जमाने की फिल्मों के भाई बहन और राखी गीत याद आते रहते हैं।
ऐतिहासिक फिल्मों के भाई और बहन -
दो ऐतिहासिक फिल्मों 'सिकंदर' और 'हुमायूँ' को भाई और बहन के रिश्ते को दिखाने वाली फ़िल्में कहा जा सकता है। सोहराब मोदी की फिल्म 'सिकंदर' में सिकंदर की पत्नी पुरुराज को राखी बांधती हैं और अपने पति की रक्षा का वचन लेती है। महबूब खान की १९४५ में रिलीज़ फिल्म हुमायूँ में अशोक कुमार हुमायूँ बने थे तथा वीणा ने रानी कर्णावती की भूमिका की थी। कर्णावती अपने पति की रक्षा के लिए  हुमायूँ को राखी भेजती है। हुमायूँ राखी के बंधन को निभाता भी है।  बहुत बाद में, आशुतोष गोवारिकर ने फिल्म 'जोधा अकबर' में ऐश्वर्या राय और सोनू सूद के ज़रिये भाई सुजामल और बहन जोधा के प्यार को प्रभावशाली ढंग से दिखाया था।
तूफ़ान और दिया (१९५६)-
प्रभात कुमार निर्देशित यह फिल्म पूरी तरह से भाई बहन की कहानी पर केंद्रित थी।  इस फिल्म में नंदा ने बहन की भूमिका की थी।  सतीश व्यास उनके भाई बने थे।  उस समय नंदा की उम्र १७ साल की थी।  यह अनाथ भाई बहन तमाम दुश्वारियों से गुज़र रहे हैं।  बहन की आँख चली जाती हैं।  तब छोटा भाई अपनी बहन को एक आश्रम में रख कर खुद मेहनत मज़दूरी कर उसकी शादी करने का बीड़ा उठा है।  इस फिल्म के निर्माता नंदा के चाचा वी शांताराम थे।  इस फिल्म के लिए नंदा को फिल्मफेयर का नॉमिनेशन मिला था।
हिंदी फिल्मों की बहन नंदा-
८ मार्च १९३९ को जन्मी नंदा ने कई फिल्मों में नायिका की भूमिका अदा की।  लेकिन, कुछ प्रारंभिक फिल्मों ने उन पर बहन का ठप्पा लगा दिया।  तूफ़ान और दिया का ज़िक्र ऊपर किया जा चूका है।  एल वी प्रसाद की १९५९ में प्रदर्शित फिल्म 'छोटी बहन' से नंदा हिंदी फिल्मों की छोटी बहन के तौर पर विख्यात हो गई।  इस फिल्म में नंदा ने दो बड़े भाइयों की अंधी छोटी बहन का किरदार किया था।  इन फिल्मों ने नंदा पर बहन का ठप्पा लगा दिया होता अगर उन्हें हम दोनों और तीन देवियाँ की सपोर्टिंग भूमिका के बाद कानून और चार दिवारी में नायिका की भूमिका न मिल गई होती।  चार दिवारी के लिए उन्हें सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला
जब वहीदा रहमान बन गई अशोक कुमार की बहन -
१९६२ में रिलीज़ भीमसिंह की फिल्म 'राखी' में अशोक कुमार और वहीदा रहमान अनाथ भाई बहन बने थे, जो अपनी मेहनत से अमीर बन जाते हैं।  लेकिन, शादी के भाई को बहन से काफी दूर जाना पड़ता है।  लम्बे अरसे बाद भाई रक्षा बंधन के दिन वापस आता है।  बहन उसे राख बांधती है।  अंत दोनों के मरने से होता है।  इस फिल्म के बाद अशोक कुमार ने वहीदा रहमान को अपनी बहन मान लिया।  वह आजीवन वहीदा रहमान से राखी बंधवाते रहे।
पॉपुलर राखी गीत -
फिल्म छोटी बहन का नंदा पर फिल्माया गया 'भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना' आज भी राखी के दौरान बजता है।  इसी प्रकार से राखी फिल्म का 'राखी धागों का त्यौहार' गीत भी आज भी लोकप्रिय गीतों में शुमार है।   तूफ़ान  और दिया का 'मेरी छोटी बहन' गीत भी काफी लोकप्रिय है।  अनपढ़ फिल्म में नायिका माला सिन्हा 'रंग बिरंगी राखी लेकर आया है त्यौहार' गीत पर नाचते दिखाई गई थी।  रेशम की डोरी में धर्मेन्द्र को राखी बांधते हुए कुमुद छुगानी 'बहना ने  भाई की कलाई में प्यार बाँधा है' गीत गाती है। देव आनंद की १९७१ में
रिलीज़ सुपर हिट फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' में देव आनंद का बचपन का किरदार (अभिनेता  सत्यजित)  अपनी छोटी बहन (बेबी गुड्डी) को मनाने के लिए 'फूलों का तारों का सबका कहना है' गाता है।  इसी गीत को देव आनंद भी ज़ीनत अमान को अपने बचपन की याद दिलाने के लिए गाते हैं।  फिल्म काजल में अभिनेत्री मीना कुमारी अपने भाई शैलेश कुमार को राखी बांधते हुए 'मेरे भैया मेरे चंदा' गीत गाती थी।  यह गीत पॉपुलर राखी गीतों में शुमार है।  राजेश खन्ना की दोहरी भूमिका वाली फिल्म 'सच्चा झूठा' में बाजावाला बने राजेश खन्ना अपनी लंगड़ी बहन नज़ीमा के लिए 'मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया' गीत गाते हुए ठुमका लगाते हैं।
पसंद नहीं आये भाई-बहन - आम तौर पर हिंदी दर्शक भाई-बहन वाली फ़िल्में पसंद करता है।  लेकिन, कभी दर्शक ऎसी जोड़ियों को नकारते ही हैं, फ़िल्में भी फ्लॉप कर देते हैं ।  मंसूर खान की फिल्म 'जोश' एक ऐसी ही फिल्म थी।  इस फिल्म में शाहरुख़ खान और ऐश्वर्या राय की जोड़ी भाई बहन बनी थी।  दर्शकों ने इस जोड़े को कुछ इस कदर नकारा कि  खुद शाहरुख़ खान और ऐश्वर्या राय की हिम्मत भाई बहन बनने की नहीं हुई। इसी प्रकार से खालिद मोहम्मद की फिल्म 'फ़िज़ा' की उस समय के पॉपुलर एक्टर ह्रितिक रोशन की करिश्मा कपूर के साथ बनी भाई बहन जोड़ी नकार दी गई। फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप हुई।
त्याग और बलिदान के प्रतीक भाई-बहन- हिंदी फिल्मों के भाई बहन प्यार और बलिदान के प्रतीक है।  फिल्म रेशम की डोरी और गर्व में भाई अपनी बहन के बलात्कारी की हत्या कर देता है।  फिल्म तूफ़ान और दिया का भाई अपनी बहन की शादी के  मज़दूरी करता है। दिल धड़कने दो का भाई रणवीर सिंह बहन प्रियंका चोपड़ा को बुरे पति से तलाक़ लेने के लिए सपोर्ट करता है, जबकि, बहन भाई को उसका प्यार अनुष्का शर्मा को पाने के लिए प्रेरित करती है। हम साथ साथ हैं के तीन भाई सलमान खान, सैफ अली  खान और मोहनीश बहल अपनी बहन नीलम कोठारी के लिए कुछ भी कर  गुजरते हैं। 'माय ब्रदर निखिल' में जूही चावला का किरदार अपने एड्स पीड़ित भाई संजय सूरी को सम्मान दिलाने के लिए संघर्ष करता है।  

मांझी पर जारी होगा पोस्टल स्टैम्प

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म 'मांझी -द माउंटेन मैन' फिल्म क्रिटिक द्वारा काफी सराही जा रही है। इस फिल्म को दिल्ली और बिहार सरकारों ने कर-मुक्त भी कर दिया है।  हाल ही में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने घोषणा करते हुए कहा है कि सरकार जल्द ही स्वर्गीय पूर्व प्रधान मंत्री अब्दुल कलाम और बिहार के माउंटेन मैन दशरत मांझी पर विशेष संस्करण की टिकटें जारी करेगी । इन टिकटों को डाकघरों में 5 रुपये प्रति टिकट के मूल्य से उपलब्ध किया जाएगा। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने 'मांझी: द माउंटेन मैन' में  दशरथ मांझी का किरदार किया है।  भारत सरकार द्वारा दशरथ मांझी पर टिकेट जारी किये जाने से फिल्म के नया नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी खुद को बड़ा सम्मानित महसूस कर रहे है। इस खबर पर नवाज़ुद्दीन कहते है ' यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है की मै 'मांझी-द माउंटेन मैन' जैसी फिल्म का हिस्सा हूँ। सरकार पोस्टल स्टैम्प के रूप में दशरथ  मांझी जी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रही है। दशरथ मांझी वो महान व्यक्ति थे जिन्होंने अपने गाँव के भविष्य के लिए अकेले दम पर पहाड़ की खुदाई कर रास्ता बनाया। दशरत मांझी को दिए जा रहे इस सम्मान के लिए मैं भारत सरकार को  धन्यवाद देता हूँ।"



Thursday, 27 August 2015

टोरेंटो फ़िल्म फेस्टिवल में फिल्म 'एंग्री इंडियन गॉडेसेस् 'की होगी विशेष प्रस्तुति


जंगल बुक एंटरटेनमेंट के द्वारा निर्मित की गयी फ़िल्म 'एंग्री इंडियन गॉडेस' को टोरेंटो फ़िल्म फेस्टिवल 2015 में एक विशेष प्रस्तुति के लिए चयनित किया गया है, यह भारत की ऐसी पहली फ़िल्म है जो महिलाओं की जिगरी दोस्ती के ताने बाने में बुनी हुयी है और इसकी दमदार भूमिकाओं को सात बहुमुखी अभिनेत्रियाँ सारा-जेन डिआस, तनिष्ठा चटर्जी, अनुष्का मनचंदा, संध्या मृदुल, अमृत मघिरा, पवलीन गुजराल,और राजश्री देशपांडे आदि निभा रही है।
इस फ़िल्म की कहानी शुरू होती है फ्रीडा से(सारा जेन डियास)जो क़ि  अपनी जिगरी महिला मित्रों को अपनी शादी की उद्धघोषणा के लिए गोआ आमंत्रित करती है।वहाँ वह सबके साथ मिलकर एक तूफानी बेचलर पार्टी का आयोजन करती है, इस दौरान वह सभी इस प्रक्रिया में भावनाओं के बवंडर में गोते लगाते हुए अपने चरित्रों के अलग अलग रंगों को दर्शाती हैं, उनकी, अराजकता ,आनंद और जटिलताएं उन्हें क्रोधित भारतीय देवी में तब्दील कर देती हैं।
जंगल बुक एंटरटेनमेंट अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म क्षेत्र में कोई अनजान नाम नहीं है बल्कि वो पहले भी एक बेहद सफल डॉक्यूमेंट्री 'फेथ कनेक्शन्श' बना चुका है।फ्रांस के सहनिर्माता के साथ बनायीं गयी यह डॉक्यूमेंट्री कुम्भ मेला 2013 पर आधारित है।इसे अब तक16 देशों के सिनेमाघरों में इस डॉक्यूमेंट्री को रिलीज़ किया जा चुका है।फ़िल्म 'एंग्री इंडियन गोडेसेस' जंगल बुक एंटरटेनमेंट को भारतीय सिनेमा की मुख्यधारा में ले आई है।
'जंगल बुक एंटरटेनमेंट' में दुनिया भर में प्रख्यात निर्देशक पैन नलिन (संसारा, वैली ऑफ़ फ्लावर) और बहुमुखी निर्माता गौरव ढींगरा (पेड़लेर्स, आइस रोड ट्रकर्स)एक दुसरे के सहयोगी हैं।यह दोनों ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टीवी और फ़िल्म के अनुभवी दिग्गज हैं।
जंगल बुक के बारे में बात करते हुए गौरव ढींगरा ने बताया "हमार लक्ष्य विश्व स्तरीय फ़िल्मों को बनाना है जिसकी भावुक पटकथा भारतीय होने के साथ साथ वैश्विक भी हो और हमारी आने वाली फ़िल्म ए.आई.जी. ठीक उसी तरह के बेहतरीन और अर्थपूर्ण सिनेमा का उत्कृष्ट उदाहरण है जैसा हम बनाना चाहते हैं। हमारी जंगल बुक एंटरटेनमेंट से यही आकांक्षा थी, जिससे ऐसा सिनेमा बनाया जाये जो मनोरंजन के साथ साथ प्रेरित भी करे। 
पैन नलिन बताते हैं "कई सालों से मेरी यह इच्छा रही है कि मैं जुनूनी भारतीय महिलाओं के साथ मुख़्य भूमिका वाली फ़िल्म कर सकूं जो पूर्णतः विद्रोह की भावना रखती हो क्योंकि लगभग 96 प्रतिशत बॉलीवुड फिल्मो में महिलाओं की भूमिका सिर्फ सजावट के रूप में होती है।फ़िल्म 'कहानी' और 'क्वीन' से काफी पहले ही, मैं शक्तिशाली महिला प्रधान चरित्र की मुख्य भूमिका वाली फिल्मों की दमदार स्क्रिप्ट ले कर कई निर्माताओ के पास बार बार गया, लेकिन कोई भी इसके लिए तैयार नहीं हुआ और फिर मेरी मुलाकात नीरज ढींगरा से हुयी जिन्होंने इस प्रोजेक्ट पर विश्वास जताया और पूरा समर्थन दिया। 'ए.आई.जी' का चयन टी. आई एफ.एफ में विशेष प्रस्तुति के लिए, एक बहुत बड़ी बात है।हमारे बहुत सारे भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स जिनकी अत्यंत ही सशक्त कहानी और अन्य सामग्री है, लगभग शुरू ही होने वाले है जिनके बारे में आपको शीघ्र ही पता चल जायेगा।


Tuesday, 25 August 2015

अब बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस पर दहाड़ेगा दक्षिण का 'पुलि' यानि चीता भी !

बॉलीवुड की वाट लग रही है।

हॉलीवुड की फ़िल्में क्या कम थीं कि दक्षिण की फिल्मों ने भी हिंदी बेल्ट में धूम धडाका मचाना शुरू कर दिया ।

 इस साल की शुरू में शंकर की फिल्म  'आइ' ने हिंदी दर्शकों को आकर्षित किया। इस तमिल भाषा की रोमांटिक फिल्म ने अपने विशेष प्रभाव वाले दृश्यों और उत्कृष्ट छायांकन के कारण हिंदी दर्शकों को आकर्षित किया ।

 हिंदी दर्शक इसके पहले रजनीकांत की फिल्म 'रोबोट' और कमल हासन की फिल्म 'विश्वरूपम' से दक्षिण के फिल्मकारों की मेकिंग के कायल हो चुके थे।  'आइ' ने उन्हें दक्षिण की फिल्मों को गंभीरता से लेने के लिए मज़बूर किया।  'आइ' के हीरो विक्रम को दर्शक उनकी डब फिल्मों 'अपरिचित' और 'रावण' से पहचानते थे।

फिल्म में उनकी नायिका एमी जैक्सन से भी दर्शक परिचित थे।  एमी ने प्रतीक बब्बर के साथ फिल्म 'एक दीवाना था' की थी।

इसके बाद दक्षिण की फिल्म 'बाहुबली' ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।  एसएस राजामौली निर्देशित 'बाहुबली: द बेगिनिंग' में प्रभाष के अलावा राणा 'दम मारो दम' दग्गुबती, अनुष्का शेट्टी और तमन्ना भाटिया की मुख्य भूमिका थी।  दक्षिण के काल्पनिक महिष्मति राज्य के दो भाइयों के बीच सत्ता के लिए टकराव की इस कहानी के भव्य सेट, विशेष प्रभाव वाले  दृश्यों, स्वप्न सरीखे पहाड़, पर्वत, झरने और प्राकृतिक दृश्यों ने हिंदी दर्शकों को इतना  प्रभावित किया कि सलमान खान की फिल्म 'बजरंगी भाईजान' को पूरे देश में सभी थिएटर नहीं मिल सके।  इस फिल्म ने हिंदी बेल्ट में भी सलमान खान की फिल्म को कड़ी टक्कर  दी।

 इस फिल्म के साथ ही बॉलीवुड फिल्मों का दीवाना दर्शक दक्षिण की फिल्मों का दीवाना बन गया।

आज दर्शक किसी खान अभिनेता की फिल्म के बजाय 'बाहुबली : द कांक्लुजन' का भी इंतज़ार यह जानने के लिए कर रहे हैं कि बाहुबली को कटप्पा ने क्यों मारा ?" दर्शकों द्वारा ऐसा इंतज़ार और ऐसी उत्सुकता  तो किसी हिंदी फिल्म के सीक्वल का नहीं किया गया।

यही कारण है कि अब दर्शक तमिल फिल्म 'पुलि' का भी इंतज़ार कर रहे हैं।  इस फिल्म में विजय की दोहरी भूमिका है। इस फंतासी फिल्म 'पुलि' यानि चीता में विजय का किरदार एक रानी को उसके अत्याचारी सेनापति से बचाने के लिए विगत में चला जाता है।

इस जादूगरनी रानी का किरदार श्रीदेवी कर रही हैं।  यह फिल्म श्रीदेवी का तमिल इंडस्ट्री में कमबैक कराने वाली है।

'आइ' और  'बाहुबली: द बेगिनिंग' की सफलता को देखते हुए तमिल और तेलुगु में रिलीज़ होने वाली फिल्म 'पुलि' के हिंदी संस्करण को भी बड़े पैमाने पर रिलीज़ किया जायेगा।

फिल्म के हिंदी संस्करण के सॅटॅलाइट राइट्स गोल्ड माइन कंपनी ने करोड़ों की प्राइस में हासिल किये है।

 'पुलि' १ अक्टूबर को रिलीज़ हो रही है।

इस फिल्म में श्रीदेवी के अलावा श्रुति हासन और हंसिका मोटवानी भी हैं, जिन्हे हिंदी दर्शक पहचानते हैं।

फिर बुरे किरदार में ताहिर राज भसीन

प्रदीप सरकार की फिल्म 'मर्दानी' एक महिला पुलिस अधिकारी की महिला तस्करों के विरुद्ध लड़ाई की कहानी थी।  रानी मुख़र्जी पुलिस अफसर की मुख्य भूमिका में थी।  बेशक अपनी इस भूमिका से रानी मुख़र्जी छा गई थी।  इसके बावजूद करण रस्तोगी की भूमिका में ताहिर राज भसीन ने दर्शकों का ध्यान आकृष्ट किया था।  करण रस्तोगी देह व्यापार में लगा बुरा आदमी है।  वह बाहर से भला नज़र आता है, लेकिन, उसके कारनामें बेहद काले हैं।  रानी मुख़र्जी की मौजूदगी में भी ताहिर छा गए थे। ताहिर को नेगेटिव भूमिकाओं की ताक़त का अंदाज़ा हो गया था।  इसीलिए, अब जबकि वह अपनी दूसरी फिल्म 'फ़ोर्स २' में जॉन अब्राहम के अपोजिट हैं, तो इस फिल्म में भी वह बुरा किरदार कर रहे है।  'फ़ोर्स २' निशिकांत कामथ निर्देशित एक नारकोटिक्स अफसर की नशीली दवाओं के तस्करों से टकराव की एक्शन और इमोशन से भरी हिट फिल्म 'फ़ोर्स' की सीक्वल फिल्म है।  फ़ोर्स में जॉन अब्राहम के अपोजिट विद्युत जामवाल खल भूमिका में थे।  'फ़ोर्स २' में विद्युत नहीं हैं।  उनकी जगह बुरे किरदार में ताहिर राज भसीन आ गए हैं।  ऑस्ट्रेलिया से फिल्म  की बारीकियां सीख कर आये ताहिर को पहली बार में ही 'मर्दानी' जैसी उनकी सशक्त भूमिका वाली फिल्म मिल गई। 'फ़ोर्स २' एक क्राइम ड्रामा फिल्म है।  इस फिल्म की शूटिंग बुडापेस्ट में हो रही है।  ताहिर ने पूरी तैयारियां कर ली हैं 'फ़ोर्स २' से बॉलीवुड के दर्शकों पर छा जाने की।


जज़्बा के कुछ चित्र









रिलीज़ हुआ 'जज्बा' का ट्रेलर

संजय गुप्ता की फिल्म 'जज़्बा' से अभिनेत्री ऐशर्य राय बच्चन अपनी वापसी कर रही हैं।  यह फिल्म कोरियाई फिल्म 'सेवन डेज' का हिंदी रीमेक है।  इस फिल्म में ऐश्वर्या राय ने महिला वकील की भूमिका की है।  एक माफिया इस वकील को एक हत्यारे को फांसी की सज़ा से बचा लाने के लिए चार दिन का अल्टीमेटम देता हैं।  इसके पहले वह वकील की बेटी को भी अगवा कर लेता है।  अब होता क्या है यह संजय गुप्ता की ०९ अक्टूबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म देख कर ही पता चलेगा।  इस फिल्म में इरफ़ान खान, शबाना आज़मी, चन्दन रॉय सान्याल, जैकी श्रॉफ, अतुल कुलकर्णी और पिया बनर्जी की भूमिकाएं ख़ास हैं।  फिलहाल, देखिये इस फिल्म का ट्रेलर और बताइये अपनी मंशा ! 

अनु कपूर का हास्य धारावाहिक फोर्टी प्लस

आजकल हर चैनल पर हास्य कार्यक्रमों की भरमार है। दर्शक भी इन हास्य  कार्यक्रमों को पसंद कर रहे हैं। ऐसे  ही एक नये हास्य धारावाहिक ४०  प्लस का प्रसारण ३१ अगस्त सोमवार से शुक्रवार रात ८ बजे  दूरदर्शन पर होने जा रहा है। लेकिन यह धारावाहिक ४० प्लस अन्य प्रसारित हो रहे हास्य कार्यक्रमो से बिल्कुल अलग है। जैसा कि इसका नाम लोगों में उत्सुकता पैदा कर रहा है वैसे ही इसकी कहानी भी दर्शकों में रोचकता बनाये रखेगी। फिल्म अभिनेता अन्नू कपूर द्वारा निर्मित इस धारावाहिक की कहानी है ४० आयु के पार उन लोगों की जिनकी गिनती न तो युवाओं में आती है और न ही बुजुर्गो मेंजो परिवार को तो चलाते हैं लेकिन फिर भी बहुत बार वह सबके साथ रहते हुए भी अकेलापन महसूस करते हैं।  अधेड़ उम्र के ४० पार लोगों के  कुछ अपने शौककुछ इच्छायें - महत्वकांक्षाएं समस्यायें होती हैं। इस उम्र के लोगों को अपने लिये कुछ ऐसा वक्त चाहिए जो की सिर्फ और सिर्फ उनका हो, जिसमें वो अपने दोस्तों के साथ वक्त बिता सकेंअपनी मर्जी से वह सब कुछ कर सकें, जो करना चाहते हैं। जहाँ उन पर कोई भी अपनी मर्जी न चला सकें।  धारावाहिक "४० प्लस " की कहानी में भी ४ दोस्त हैं डॉ कुलकर्णी, हरिओम जोशी, सुरजीत ढिल्लों और मिस्टर जिंदल। इन सभी के अपने अपने परिवार हैं लेकिन फिर भी कुछ न कुछ इनके जीवन में कमी है । इस सीरियल में दर्शक देखेंगे कि कैसे चारों दोस्त अपने परिवार की जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपने जीवन की समस्याओं से जूझते हुए भी हंसने के लिए कुछ पल चुरा लेते हैं। अनु कपूर फिल्म्स  प्राइवेट लिमिटेड प्रेजेंट्स इस  धारावाहिक को निर्देशित किया है निर्देशक राजेश गुप्ता ने । इस धारावाहिक  में बेंजामिन गिलानी, कैलाश कौशिक, रूपेश पटोले, जस्सी कपूर, प्रीतिका भाग्य और स्वाति कौशिक की मुख्य भूमिका है ।  



Sunday, 23 August 2015

साउथ स्टार चिरंजीवी की बर्थडे पार्टी में पहुंचा बॉलीवुड भी !
















स्कूबी डूबी डू की वापसी

स्कूबी डूबी डू फिर वापस आ रहे हैं। आपको यह पूछने की ज़रुरत नहीं कि कहाँ हो तुम स्कूबी डूबी डू  ? वार्नर  ब्रदर्स ने कमर कस ली है। २१ सितम्बर २०१८ को आपके निकट के थिएटर में स्कूबी डूबी डू  रिलीज़ होने जा रही है।  इस साल २१ जुलाई को रिलीज़ फिल्म 'स्कूबी डू ! एंड किस : रॉक एंड रोल मिस्ट्री' के निर्देशक टोनी सर्वोन २०१८ में रिलीज़ होने  जा रही स्कूबी डूबी डू का निर्देशन करेंगे।  मैट लिएबेरमन ने फिल्म की कथा-पटकथा लिखी है। स्कूबी डू सीरीज की पिछली दो फ़िल्में- २००२ में रिलीज़ स्कूबी डू  और  रिलीज़ स्कूबी डू २: मॉन्स्टर्स अन लीश्ड, जहाँ लाइव एक्शन फिल्म थी, स्कूबी डूबी डू एनीमेशन फिल्म है।  वास्तविकता तो यह है कि २००४ की स्कूबी डू फिल्म के बाद स्कूबी डूबी डू के तमाम करैक्टर स्कूबी, शैगी और इनका गैंग टीवी और डायरेक्ट टू वीडियो फिल्म में एनीमेशन रूप  में ही नज़र आया।  वार्नर ब्रदर्स की इस लाइव एक्शन फिल्म के प्रोडूसर चार्ल्स रोवन और रिचर्ड सकल ही हैं।

चीनी फिल्म में क्लार्क केंट

चीन की पहली अंग्रेजी भाषा की विज्ञानं फंतासी फिल्म 'लॉस्ट इन ड पैसिफिक' वर्ल्डवाइड रिलीज़ की जाएगी।  इस त्रिआयामी एक्शन एडवेंचर फिल्म के हीरो २००६ में रिलीज़ सुपरपावर रखने वाले क्लार्क केंट की कहानी वाली फिल्म सुपरमैन रिटर्न्स में सुपरमैन का किरदार करने वाले अभिनेता ब्रैंडन रॉथ हैं ।  फिल्म में उनकी नायिका चीनी अभिनेत्री झांग युकी हैं। झांग को स्टीफेन चाउ की २००७ में हांगकांग फिल्म 'सीजे ७' से अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाई।  उनके खाते में शाओलिन गर्ल, आल अबाउट वुमन, कर्स ऑफ़ द ड़ेसेर्टेड और वाइट डियर प्लेन जैसी फ़िल्में दर्ज़ हैं।  लॉस्ट इन द पसिफ़िक की कहानी २०२० की भविष्य की दुनिया की है।  इलीट इंटरनेशनल पैसेंजर्स का एक ग्रुप लक्ज़री फ्लाइट पर निकलता है। परन्तु उनकी हंसी ख़ुशी वाली यात्रा विनाश में बदल जाती है।  इस फिल्म की तमाम शूटिंग मलेशिया के पाइनवुड स्टूडियोज में इस साल बसंत में शुरू हुई थी।  फिल्म के विज़ुअल इफेक्ट्स यूएफओ इंटर्नेशनल्स ने तैयार किये हैं।  फिल्म की साउंड एडिटिंग ऑस्कर के लिए नामांकित कमी असगर और सीन मैककर्मैक की देखरेख में हुई है।  लेस मिज़रबल के लिए ऑस्कर पुरस्कार विजेता साउंड इंजीनियर ने फिल्म की साउंड मिक्सिंग की है।  

बॉलीवुड की फिल्मों में ऑन स्क्रीन भाइयों का जलवा

निर्माता करण जौहर की करण मल्होत्रा निर्देशित फिल्म 'ब्रदर्स' हॉलीवुड की २०११ में रिलीज़ निर्देशक डेविड ओ'कोनोर निर्देशित दो बॉक्सर भाइयों के रिंग पर आखिरी मुकाबले की कहानी 'वारियर' पर आधारित है। 'वारियर' में दो भाइयों टॉमी और ब्रेंडन का किरदार टॉम हार्डी और जोएल एडगर्टन ने किया था।  इन दोनों के पिता की भूमिका निक नोल्टे ने की थी। एक टूटे चुके परिवार की इस मार्मिक कहानी के हिंदी संस्करण में उपरोक्त मुख्य किरदार अक्षय कुमार, सिद्धार्थ मल्होत्रा और जैकी श्रॉफ कर रहे हैं।
हिंदी फिल्मों के भाई किरदार बेशक बिछुड़ते-मिलते हैं, उनमे आपसी खुन्नस भी होती है।  लेकिन, आखिरकार खून जोर मारता है।  आम तौर पर हिंदी फिल्मों के भाइयों की यही कहानी होती है।  रूपहले परदे के यह भाई दर्शकों के इमोशन को छूते हैं, ड्रामा करते हैं। भरपूर एक्शन होता है।  इस बीच रोमांस भी। आइये नज़र डालते हैं बॉलीवुड के ऐसे ही कुछ ब्रदर्स पर !
अपने- करण मल्होत्रा की फिल्म ब्रदर्स' का जिक्र करते समय अनिल शर्मा की इस फिल्म की याद आ  जाती है।  रियल लाइफ के दो भाईयो सनी देओल और बॉबी देओल की रील लाइफ की यह दास्ताँ भी बॉक्स रिंग पर थी।  पिता को बॉक्सिंग रिंग में अपमानित किया जाता है।  छोटा भाई इसका बदला लेना चाहता है, लेकिन बड़े भाई को बॉक्सिंग में रूचि नहीं।  आगे जो कुछ होता है, वह देखना काफी दिलचस्प था।  फिल्म में धर्मेन्द्र अपने दोनों बेटों के पिता बने थे।  
मैं हूँ न - हालाँकि, फराह खान की फिल्म 'मैं हूँ न' भारत पाकिस्तान संबंधों पर फिल्म थी, लेकिन दो भाइयों की कहानी को काफी खूबसूरती से पिरोया गया था।  शाहरुख़ खान और ज़ायेद खान की भाई जोड़ी ने दर्शकों को आकर्षित  किया था।  आर्मी अफसर भाई अपने कॉलेज में पढ़ रहे सौतेले भाई और माँ को घर लाने में सफल होता है।  
कभी ख़ुशी कभी गम-  निर्देशक करण जौहर की फिल्म 'कभी ख़ुशी कभी गम' अमीर रायचंद परिवार के लडके राुहल द्वारा एक गरीब लड़की से शादी से नाराज़ हो कर पिता घर से निकाल देते हैं।  छोटा भाई सायना होने पर अपने भाई और  भाभी को वापस लाने का बीड़ा उठाता है।  इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, शाहरख खान, ह्रितिक रोशन, काजोल और करीना कपूर जैसे सितारे थे।
सूरज बड़जात्या की भाई-भाई फ़िल्में- सूरज बड़जात्या की फिल्मों में परिवार का महत्त्व होता है।  ख़ास तौर पर उनकी फिल्मों के भाई राम और लक्षमण की जोड़ी होते हैं।  हम आपके हैं कौन में जहाँ सलमान खान के साथ  मोहनीश बहल भाई की जोड़ी बना रहे थे, वहीँ हम साथ साथ हैं में सलमान खान, सैफ अली खान और मोहनीश बहल तीन भाई थे।  इन दोनों ही फिल्मों के भाई अपने भाई और परिवार के लिए त्याग करने वाले आदर्श थे।
पौराणिक चरित्रों के नाम वाली भाई भाई फ़िल्में- भाइयों का ज़िक्र हो तो पौराणिक भाईयो  की जोड़ियां याद आएंगी ही।  बॉलीवुड ने भी इन्ही पौराणिक  नामों का जिक्र करते हुए, भाई फ़िल्में बनाई हैं। निर्माता-निर्देशक  सुभाष घई की फिल्म राम-लखन दो भाइयों  अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ की कहानी थी।  इस एक्शन कॉमेडी फिल्म की भाई भाई जोड़ी राम लक्षमण की जोड़ी से प्रेरित थी।
 वहीँ, राकेश रोशन की फिल्म करण-अर्जुन की कहानी दो भाइयों करण और अर्जुन के पुनर्जन्म और बदले की कहानी थी।  हालाँकि, महाभारत के युग के कर्ण और अर्जुन एक माँ और भीं पिताओं के बेटे थे, राकेश रोशन की फिल्म में यह सगे भाई थे।  इन दोनों भूमिकाओं को शाहरुख़ खान और सलमान खान ने किया था।   
अमिताभ बच्चन, सबके भाई- अमिताभ बच्चन ने कई भाई फ़िल्में की।  उनकी शशि कपूर के साथ भाई जोड़ी ख़ास जमी।  इस जोड़ी को रुपहले परदे पर जमाया था, यशराज फिल्म्स की फिल्म दीवार ने।  इस फिल्म मे अमिताभ बच्चन तस्कर बने थे, जबकि शशि कपूर पुलिस इंस्पेक्टर।  कर्तव्य और भाई के रिश्ते के बीच यह
बड़ा टकराव था।  दीवार सफल रही।  शशि-अमिताभ जोड़ी हिट हो गई।  मुकुल आनंद निर्देशित फिल्म हम भी तीन भाइयों की दास्तान थी।  फिल्म में अमिताभ बच्चन गोविंदा और रजनीकांत के बड़े भाई थे।  इस फिल्म में तीनों भाइयों के गहरे रिश्ते दिखाए गए थे।  राज एन सिप्पी की कॉमेडी फिल्म सात भाइयों की कॉमेडी थी, जिनके नाम सप्ताह के दिनों सोम मंगल बुद्ध गुरु शुक्र शनि और रवि थे।  रवि अमिताभ बच्चन बने थे।  यह फिल्म हॉलीवुड फिल्म सेवन ब्राइड्स फॉर सेवन ब्रदर्स पर आधारित थी। 
जुंड़वा भाई- निर्माता बी नागिरेड्डी की चक्रपाणि निर्देशित फिल्म राम और श्याम ने बॉलीवुड में दोहरी भूमिकाओं को पुख्ता किया।  इस फिल्म में बॉलीवुड के ट्रेजेडी अभिनेता दिलीप कुमार ने दो बिछड़े हुए भाई राम और श्याम की दोहरी भूमिकाएं की थी।  अपनी दुखांत फिल्मों के लिए ट्रेजेडी किंग विश्लेषण से नवाज़े गए दिलीप कुमार का कॉमेडी में हाथ आजमाने का यह दांव कारगर साबित हुआ था।  इस फिल्म के बाद तमाम नामी गिरामी एक्टर्स में दोहरी भूमिकाए करने की होड़ लग गई ।
गंगा- जमुना- निर्देशक नितिन बोस की गाँव के ज़मींदार के अत्याचार के कारण डाकू बन गए भाई को पुलिस इंस्पेक्टर भाई द्वारा गोली मार दिए जाने की कहानी वाली इस फिल्म में दो भाइयों गंगा और जमुना की भूमिका रियल लाइफ के सगे भाइयों दिलीप कुमार और नासिर खान ने की थी।  
मशहूर भाई जोड़ियां और फ़िल्में 
सलमान खान- शाहरुख़ खान - करण-अर्जुन 
सलमान खान- संजय दत्त- चल मेरे भाई 
शाहरुख़ खान- ह्रितिक रोशन - कभी ख़ुशी कभी गम 
अनिल कपूर- जैकी श्रॉफ- राम लखन 
संजय दत्त- गोविंदा- हसीना मान जाएगी 
सलमान खान- अरबाज़ खान- दबंग 
सनी देओल-बॉबी देओल- दिल्लगी, अपने 
धर्मेन्द्र- जीतेन्द्र- धरम-वीर


जब बैन हो जाता है पाकिस्तान में बॉलीवुड !

पाकिस्तान में छिपा मुंबई हमलों का मास्टर माइंड हफ़ीज़ सईद 'फैंटम' से डरा हुआ है। उसे लगता है कि कबीर खान की सैफ अली खान और कैटरीना कैफ अभिनीत फिल्म 'फैंटम' उसे मुंबई हमलों का दोषी मानती है। हफ़ीज़ सईद का डर जायज़ है।  फैंटम के ट्रेलर की शुरुआत ही मुंबई अटैक की तस्वीरों और हफ़ीज़ सईद की उस रिकॉर्डिंग से होती है, जिसमे वह पूछ रहा है कि क्या तुम साबित कर सके कि मुंबई अटैक में हाफिज सईद का हाथ है ? अब छह साल हो चुके हैं, क्या तुम्हे कुछ मिला ?' इसी ट्रेलर के आखिर में फिल्म का नायक कहता है, "अमेरिकियों ने पाकिस्तान में घुस कर ओसामा को मार डाला ? हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते ?"  रील लाइफ में सईद का वकील पाकिस्तान की अदालत में इसे पेश करते हुए कहता है कि यह मेरे क्लाइंट को सीधे धमकी है।
पाकिस्तानी एक्टर हमज़ा अली अब्बासी भी 'फैंटम' की आड़ में बॉलीवुड की आलोचना करते हैं।  वह बॉलीवुड को दोमुंहा बताते हैं।  हमजा कबीर खान की फिल्म को 'निराशाजनक गंदगी' बताते हैं। वह चाहते हैं कि पाकिस्तानी भी भारत और रॉ के द्वारा बलोचिस्तान में फैलाये गए शिया सुन्नी आतंकवाद पर फिल्म बनाये।
पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर उतना चिंतित नहीं, जितना बॉलीवुड द्वारा बनाई जा रही अपनी इमेज को लेकर है।  फैंटम को  निराशाजनक कूड़ा बताने वाला पाकिस्तान बजरंगी भाईजान, पीके और हैदर को हाथों हाथ लेता हैं, क्योंकि बजरंगी भाईजान पाकिस्तानियों की प्रति नरम है, यहाँ तक कि आर्मी को भी दोस्ताना दिखाया गया है।  पीके हिन्दू धर्म गुरुओं को गरियाते हुए पाकिस्तानियों को 'बेईमान नहीं होते' साबित करती है और हैदर कश्मीर में उग्रवाद के लिए भारतीय सेना को जिम्मेदार बताती है।  लेकिन, वह बजरंगी भाईजान वाले निर्देशक कबीर खान की फिल्म फैंटम को अस्वीकार करने की तयारी कर रहा  है क्योंकि यह फिल्म उनके यहाँ पल रहे आतंकवादी हाफिज सईद को इंगित करती है।
जब 'बेबी' से डरा पाकिस्तान !
पाकिस्तान को रास नहीं आता कि बॉलीवुड फ़िल्में उसे आतंकवादियों की पनाहगाह बताये। यही कारण है कि पाकिस्तान अक्षय कुमार की आतंकवाद पर नीरज पाण्डेय की फिल्म 'बेबी' को बैन कर देता है, क्योंकि यह फिल्म भी पाकिस्तानी एक्टर रशीद नाज़ के चहरे में मौलाना हफ़ीज़ सईद का चेहरा छिपा दिखाती थी । 'बेबी' साफ़ साफ़ पाकिस्तान को हफ़ीज़ सईद की पनाहगाह बताती थी। पाकिस्तान को भारत की उन फिल्मों से डर लगता है, जिनमे बम विस्फोट, दाढ़ी वाले आतंकवादी और आतंकवाद का कोण हो।  अगर कही फिल्म में ढका-छुपा कर भी पाकिस्तान का हाथ बताया गया है तो समझिए कि फिल्म पाकिस्तान में बैन हो गई।  अगर ऐसा न होता तो रितेश देशमुख की करण अंशुमान निर्देशित कॉमेडी फिल्म 'बंगीस्तन' को पाकिस्तान में रोक का सामना न करना पड़ता।  फिल्म के दो फुकरे धोखे से पाकिस्तान पहुँच जाते हैं।  इस फिल्म में वह बम विस्फोट, ओसामा बिन लादेन और आतंकवाद की बात करते हैं। पाकिस्तान को इससे डर लगता है। पाकिस्तान को यह मंज़ूर नहीं कि उसका नाम इस सब से जोड़ा जाये ।  इसलिए वह 'बंगिस्तान' को बैन कर देता है।
हिंदी फिल्मों पर बैन! कोई नई बात नहीं !! 
पाकिस्तान में हिंदी फिल्मों के बैन का लंबा इतिहास रहा है। १९६२ में पाकिस्तान में सभी भारतीय फिल्मों की एंट्री पर रोक लगा दी थी।  १९७९ में, पाकिस्तान के डिक्टेटर राष्ट्रपति जिया उल हक़ ने पाकिस्तान के इस्लामीकरण का बीड़ा उठाया।  इसके तहत हिंदुस्तानी  फिल्मों को बैन करना पहला कदम था।  हक़ के समय में पाकिस्तान का सेंसर गैर इस्लामिक हर शब्द से कतराता था।  कोई भी ऐसी फिल्म पाकिस्तान  में रिलीज़ नहीं हो सकती थी।  इसके बावजूद कि पाकिस्तानी प्रेजिडेंट बॉलीवुड एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा का बेहद अच्छे दोस्त थे।  यही कारण है कि बॉलीवुड की कल्ट फिल्म शोले पाकिस्तानी दर्शक चालीस साल बाद ७० एमएम के परदे पर देख पाये।  २००६ से पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन को पूरी तरह से रोक दिया गया।  इस समय भी भारतीय फिल्मों का प्रदर्शन इस हाथ ले, उस हाथ दे की शैली में हो रहा है।  यानि, जितनी तुम्हारी  फ़िल्में, उतनी ही हमारी फ़िल्में प्रदर्शित हों।  बशर्ते यह सब पाकिस्तान (मुसलमान) विरोधी न हो।
बजरंगी भाईजान के मुंह से कश्मीर छीना 
हिंदी फिल्मों पर बैन लगाने के मामले में पाकिस्तान काफी पूर्वाग्रही लग सकता है।  पाकिस्तान में बजरंगी भाईजान बेशक रिलीज़ हुई हो, इसके बावजूद कि फिल्म का जहाँ पाकिस्तानी दर्शक बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे, वहीँ फिल्म इंडस्ट्री के लोग  अपनी फिल्मों को स्क्रीन न मिलने या कम हो जाने के भय से विरोध कर रहे थे। परन्तु, सलमान खान को ईद पर देखने के पाकिस्तानियों के उत्साह को देख कर पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने फिल्म को कुछ कट के साथ रिलीज़ कर दिया।  परन्तु, काटे गए तमाम दृश्य और डायलाग में सलमान खान का बोला गया यह डायलाग भी था कि कश्मीर का एक हिस्सा हमारे (भारत के) पास भी है ।
पाकिस्तान को केवल इस लिए रंज नहीं कि  हिंदी फिल्मों में दाढ़ी वाले आतंकी, बम विस्फोट और आतंकवाद के तार पाकिस्तान से जुड़े दिखाए जाते हैं।  उसे आईएसआई से भी गुरेज़ है।  जी नहीं, पाकिस्तान
आईएसआई के कारनामों से रंज  नहीं करता, उसे रंज होता है हिंदी फिल्मों का आईएसआई को ग्लोबल टेररिज्म के लिए ज़िम्मेदार दिखाना।  इसिलिये ऎसी सभी हिंदी फ़िल्में पाकिस्तान में बैन हो जाती हैं, जिनमे आईएसआई के तार आतंकवाद से जुड़े हों।  अब चाहे वह फिल्म सलमान खान और कबीर खान की एक था टाइगर रही हो या सैफ अली खान की एजेंट विनोद।  बेबी तो खैर अक्षय कुमार की फिल्म थी।  कुर्बान में मुसलमानों को आतंकवादी दिखाया गया था, जबकि एक था टाइगर की कैटरीना कैफ आईएसआई एजेंट बताई गई थी। तेरे बिन लादेन में तो पाकिस्तानी अधिकारीयों को बुरी छवि में दिखाया गया था।  ऐसे में फैंटम कैसे रिलीज़ हो सकती है, जब इसमे हफ़ीज़ सईद द्वारा मुंबई में २६ नवंबर को कराया गया अटैक है और हफ़ीज़ सईद के भाषण की ऑडियो चलाई गई है।
कुछ दूसरे कारण भी हैं  बैन होने के लिए !
पाकिस्तान को डर्टी पिक्चर भी  गन्दी लगी थी।  फिल्म में विद्या बालन ने अपने उभारों का प्रदर्शन किया ही  था, 'गन्दी' भाषा भी बोली थी।  बकौल पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड पाकिस्तानी दर्शकों के लिहाज़ से यह बोल्ड फिल्म है।   बाद में इस फिल्म को काफी कट के बाद 'ए' सर्टिफिकेट के साथ रिलीज़ कर दिया गया।  पाकिस्तान के टेररिस्ट और बोल्ड सब्जेक्ट के अलावा भी  पाकिस्तानी कैची चलने के कारण हैं। पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड अपने मुस्लिम दर्शकों के सेंटीमेंट का भी काफी ध्यान रखता है। अक्षय कुमार  की फिल्म 'खिलाडी ७८६' को शुरुआत में इसीलिए बैन किया गया था कि इससे ७८६ का पवित्र अंक जुड़ा था।  मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती थी। बाद में यह फिल्म बिना ७८६ के रिलीज़ हुई।  इस प्रकार से, १९९२ में अक्षय कुमार की फिल्म 'खिलाडी' के बाद, पाकिस्तान में अक्षय कुमार की दूसरी खिलाड़ी फिल्म रिलीज़ हुई थी। आनंद एल राज की सोनम कपूर और धनुष अभिनीत फिल्म 'रांझणा' को पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने इस बिना पर प्रदर्शन के अयोग्य माना की फिल्म में मुस्लिम ज़ोया हिंदी कुंदन के प्यार में मुब्तिला होती है।  यह वही सेंसर बोर्ड है, जो मुस्लमान से प्रेम करने वाली हिन्दू लड़की वाली फिल्म 'पीके' को आराम से रिलीज़ होने देता है।  दिलचस्प तथ्य यह है कि पाकिस्तान का आवाम कोई आवाज़ भी नहीं उठाता है।
इसलिए भी बैन 
पाकिस्तान में शाहरुख खान की फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस' को ईद के दौरान रिलीज़ होने से रोकने के लिए सर्टिफिकेट नहीं दिया गया था।  कारण यह था कि  ८ अगस्त ईद के दिन पाकिस्तान की चार फ़िल्में जोश, इश्क़ खुदा, वॉर और मेरा नाम अफरीदी रिलीज़ होनी थी।  इसलिए पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री के हितों की रक्षा के लिए चेन्नई एक्सप्रेस को सर्टिफाई नहीं किया गया।  बाद में यह फिल्म पाकिस्तान में रिलीज़ हुई।  भाग मिल्खा भाग की पाकिस्तान में रिलीज़ की राह में फिल्म में फरहान अख्तर के किरदार मिल्खा सिंह द्वारा बोला गया वह डायलाग आया, जिसमे वह कहता है कि मैं पाकिस्तान नहीं जाऊँगा।   मुझसे नहीं होगा।" इस डायलाग से पाकिस्तान को लगता था कि मिल्खा सिंह १९४७ में हुए अपने परिवार के कत्लेआम के  लिए मुसलमानों को ज़िम्मेदार बता रहा है। इसी प्रकार से डेविड, लाहौर, आदि फिल्मों को भी पाकिस्तान में बैन का सामना करना पड़ा। 
पाकिस्तान में हिट 'सरफ़रोश' !
यह जान कर आश्चर्य होगा कि जहाँ पाकिस्तान विरोधी हिंदी फ़िल्में पाकिस्तान में रिलीज़ नहीं हो पाती, वहीँ आमिर  खान और सोनाली बेंद्रे की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'सरफ़रोश' ज़बरदस्त हिट होती है।  इसे कराची और लाहौर के थिएटर्स में चोरी छुपे दिखाया जाता है।  यह फिल्म पाकिस्तान में सबसे लोकप्रिय फिल्म बन जाती है। फिल्म के पायरेटेड प्रिंट की ज़बरदस्त मांग होती है।  जबकि, यह फिल्म बॉलीवुड की पहली फिल्म थी, जिसमे पाकिस्तान को आतंकवादी देश बताया जाता है।  तब, सरफरोश पाकिस्तान में इतनी बड़ी हिट फिल्म कैसे बनी? जानकार इसके चार कारण गिनाते हैं।  सरफ़रोश की सफलता का सबसे बड़ा कारण थी, अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे।  साड़ी में लिपटी भीगी सोनाली पाकी दर्शकों को कामुक लगी। फिल्म मोहाजिरों का ज़िक्र करती थी।  तीसरा फिल्म का म्यूजिक बहुत बढ़िया था।  चौथी बात फिल्म में विस्फोट के दृश्य कराची विस्फोट की याद ताज़ा कराते थे।

राजेंद्र कांडपाल 

Saturday, 22 August 2015

३१ अक्टूबर का जलवा

लंडन इंडियन फिल्म फेस्टिवल में फिल्म "३१ अक्टूबर" का वर्ल्ड प्रीमियर होने के बाद , हैरी सचदेवा और मैजिकल ड्रीम्स प्रोडकशन्स प्राइवेट लिमिटेड की यह फिल्म अब आगामी सिख इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में २९ अगस्त को टोरांटो में दिखाई जाएगी। ​३१ अक्टूबर को नेशनल अवार्ड विनर डायरेक्टर शिवाजी लोटन पाटिल ​ने निर्देशित किया है। इस फिल्म की कहानी इतिहास के उन कुछ काले पन्नो की है, जब १९८४ में भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की गयी थी। इस फिल्म दिखाया गया है की हत्या के बाद देश में क्या माहौल रहा होगा और किसी एक धर्म और जाती पर इसके कैसे परिणाम हुए। इस फिल्म में कोई गीत नहीं है, सिर्फ बैकग्राउंड स्कोर है जो कि फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज आशा भोसले , उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफा अली खान, सोनू निगम और जावेद अली द्वारा क्रिएट किया गया है। इस बारे में ​फिल्म के निर्देशक पाटिल कहते है " यह मेरे लिए सम्मान की बात है। इस फिल्म को दुनिया भर के दर्शको ने पसंद किया है।  लंडन इंडियन फिल्म फेस्टिवल में बढ़िया रिस्पांस मिला है।  ​हम सिख और वैंकूवर अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में फिल्म को अच्छे रिस्पांस की उम्मीद हैं। "​ ​निर्माता हैरी सचदेवा आगे बताते हैं,​  "हमें यह  विशाल प्लेटफार्मों मिला है।  सिख और वैंकूवर अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में 31 अक्टूबर को प्रदर्शित करने के लिए बहुत गर्व महसूस हो रहा है।"

अब पत्रकार बनेगी ज़ोया अख्तर की नूरी

ज़ोया अख्तर की इसी साल रिलीज़ फिल्म 'दिल धड़कने दो' में नूरी का नाज़ुक किरदार करने वाली अभिनेत्री रिद्धिमा सूद अब एक पत्रकार की रफ़ टफ भूमिका में नज़र आएंगी।  दिल धड़कने दो रिद्धिमा की डेब्यू फिल्म थी।  इस लिहाज़ से दिल धड़कने दो का बॉक्स ऑफिस पर निराशाजनक प्रदर्शन करना किसी भी न्यूकमर के लिए दुःख की बात होगी।  लेकिन, रिद्धिमा अपनी पहली फिल्म की असफलता से निराश नहीं।  उन्होंने फिर से कमर कस ली है। मधुरिता आनंद की फिल्म 'कजरिया' भ्रूण हत्या के कथानक पर फिल्म है।  फिल्म में वह भ्रूण हत्या के एक मामले को सुलझाते हुए नज़र आएंगी।  आम तौर पर नवोदित अभिनेत्रियां हल्का फुल्का कॉमेडी फिल्मों के किरदार करना चाहती है।  लेकिन, किसी गंभीर किस्म की फिल्म में ग्लैमरविहीन रोल करना रिद्धिमा सूद जैसी किसी अभिनेत्री के बूते की ही बात है।  उम्मीद की जा सकती है कि रिद्धिमा 'कजरिया' में अपनी छिपी अभिनय प्रतिभा को दर्शकों के सामने ला पाएंगी।
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