Saturday 11 May 2013

जाओ संजय दत्त, जेल हो आओ!


संजय दत्त को अब जेल जाना ही होगा। अपनी सज़ा के साढ़े तीन साल पूरे करने ही होंगे। वैसे उनकी जान अभी भी राज्यपाल के निर्णय पर टिकी होगी। हालांकि, संजय दत्त ने मसीहा बनने की बड़ी कोशिशें की। जताने की कोशिश की कि वह कानून मानने वाले विनम्र सिपाही है। वह अपनी फिल्में पूरी कर चुपचाप जेल चले जाएंगे। पर इसी बीच वह मामले को खींचने की कोशिश भी करते रहे। सुप्रीम कोर्ट से पहले जेल जाने की आखिरी सीमा बढ़ाने और फिर पुनर्विचार के लिए डाली गयी अर्ज़ी से यह प्रमाणित होता था कि संजय दत्त जेल जाने से बुरी तरह से डरे हुए हैं। वह जानते हैं कि इस बार जेल गए तो बिल्कुल खत्म हो कर निकलेंगे। उनका मान सम्मान, शोहरत बिल्कुल खत्म हो चुकी होगी। बतौर हीरो भी वह बेमानी साबित हो चुके होंगे।
संजय दत्त अपनी सज़ा पर सूप्रीम कोर्ट के फैसले के से बाद लगातार एक मज़े हुए अभिनेता की तरह व्यवहार कर रहे हैं। कोर्ट के फैसले के बाद प्रैस कॉन्फ्रेंस कर खुद को कानून का पालन करने वाला और अंत में बहन से गले लग कर आँखों से दो बूंद आँसू टपकाने का मतलब ही यही था कि वह सूप्रीम कोर्ट के आदेश से भी अपने पेशे को लाभ दिलवाना चाहते हैं। उन्होने, इस सज़ा की कुछ ऐसे पब्लिसिटी करवाई जैसे वह शहीद किए गए थे। उनका साफ इरादा पब्लिसिटी और दर्शकों की सहानुभूति बटोरने का था। (इसमे उन्हे कितनी सफलता मिली, इसका पता 24 मई को हम हैं रही कार के, जिसमे वह मेहमान भूमिका में हैं तथा 14 जून को पुलिसगिरी के रिलीज होने पर चल जाएगा, जिसके वह हीरो हैं) हालांकि, उनकी इन कलाबाजियों से अभिनेता नाना पाटेकर उनसे नाराज़ भी हो गए। पर इसमे उनका साथ फिल्म उद्योग ने दिया। क्योंकि उनका अरबों रुपया(!) संजय दत्त की फिल्मों में फंसा था। अब यह बात दीगर है कि संजय अपने बैनर पर एक फिल्म भी बनने में जुट गए थे, जिसमे उनके तथा अन्य लोगों या संस्थाओं के पैसे फँसने ही हैं।  यहा एक बात नहीं समझ में आई कि पूरा फिल्म उद्योग बरसों से जानता है कि संजय दत्त को जेल जाना ही होगा, तो उन पर और उनकी फिल्मों पर पैसा क्यों फंसाया गया और आज भी फंसाया जा रहा है। संजय दत्त ने भी अपने फिल्म निर्माताओं का नुकसान हो जाएगा की दुहाई देते हुए सूप्रीम कोर्ट से मोहलत मांग ली। लेकिन उनका इरादा कभी भी समर्पण कर जेल जाने का नहीं था और आज भी नहीं है। मजबूरी होगी तो बात दूसरी है।  अब वह या उनका कोई नुमाइंदा Maharashtra के राज्यपाल से अपील करेगा। वैसे इस मामले को जितना तूल दिया जा चुका है, उससे नहीं लगता कि राज्यपाल संजय दत्त की शेष सज़ा माफ करेंगे। क्योंकि, इसी लाइन में दूसरे मुजरिम भी हैं तथा संजय दत्त को न्यूनतम सज़ा भी मिली थी।
संजय दत्त को अब 16 मई को जेल के बाहर खड़ा होना ही होगा। निश्चित रूप से उस समय उनके साथ फिल्म इंडस्ट्री के काफी लोग होंगे, उन्हे भावभीनी बिदाइ देने के लिए। लेकिन यह सहानुभूति दर्शकों के दिलो दिमाग पर कितनी घर कर पाएगी, यह देखा जाना महत्वपूर्ण होगा। अगर दर्शकों में दत्त के प्रति सहानुभूति है तो वह श्रद्धा स्वरूप दत्त की पोलिसगिरी देखने जाएंगे। अगर सहानुभूति नहीं और यह सहानुभूति दर्शक बन कर सिनेमाघरों पर नहीं टूटी तो 53 साल के संजय की फिल्में औंधे मुंह बॉक्स ऑफिस पर लुढ़क जाएंगी। इसके बाद वही होगा जो एक फेडिंग एक्टर के साथ होता है। संजय दत्त जब 42 महीने की सज़ा सात  कर लौटेंगे तब 57 साल के हो चुके होंगे। Bollywood Hollywood की तरह नहीं जहां साठे को पाठा कहा जाता है। इस उम्र में पहुँच कर ही एक्टर को मेच्युर माना जाता है। उसके योग्य फिल्में लिखी और बनाई जाती हैं। बॉलीवुड में ऐसा एक्टर चरित्र अभिनेता बन जाता है। उसे बाप बनना होता है या दादा नाना।
क्या सचमुच ऐसा होगा कि संजय दत्त की जेल यात्रा उन्हे और उनकी फिल्मों को प्रशंसकों और दर्शकों का तोहफा दे! यह प्रश्न जितना कठिन है उतना आसान भी। अब नब्बे का दशक नहीं रहा, जब संजय दत्त और उनका कैरियर शवाब पर था। फिल्म उद्योग उनसे करोड़ों कमाने की उम्मीद रखता था। संजय दत्त के भी लाखों प्रशंसक थे। लेकिन, ध्यान रहे कि उस दौर में भी संजय दत्त की प्रिय अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने उनसे किनारा कर लिया। हालांकि, उसी दौरान सुभाष घई की फिल्म खलनायक भी रिलीज होने वाली थी। माधुरी फिल्म में संजय दत्त की नायिका थी। जहां तक खलनायक के हिट होने का सवाल है, सुभाष घई ने माहिर तरीके से संजय दत्त के जेल जाने को फिल्म के लिए भुनाया। उन्होने इससे हट कर खलनायक के माधुरी दीक्षित पर फिल्मांकित चोली के पीछे क्या है गीत को विवादित तारीक से हवा भी दी। इसका फायदा खलनायक को मिला। लेकिन, यह संजय दत्त के लिए दर्शकों की सहानुभूति की हवा नहीं थी। इस बार तो हवा बिल्कुल अलग है। संजय दत्त में वह आकर्षण नहीं रहा कि दर्शक उन्हे देखने जाएँ। उनके प्रशंसकों की पीढ़ी बदल चुकी है या उनके प्रति अपना कोममिटमेंट बदल चुकी है। उनकी लोयल्टी दूसरे अभिनेताओं के लिए शिफ्ट हो गयी है।
आगे आगे देखिये क्या होता है? संजय दत्त फिलहाल तो तुम जाओ जेल !!!





Friday 10 May 2013

हो सके तो गो गोवा गॉन नहीं, गो टु गोवा !!!

राजा निदिमोरु और कृष्णा डीके ने गो गोवा गॉन की कहानी शोर इन द सिटी से पहले ही लिखी थी। लेकिन, फिल्म बनते बनते  अब बन पायी है।
इस फिल्म का शीर्षक गो गोवा गॉन क्यों है, पता नहीं चलता। यह जोम्बी फिल्म है। भारत में जोम्बी फिल्मे नया कान्सैप्ट है। हॉलीवुड के दर्शक जानते हैं कि जोम्बी चलता फिरता मुर्दा होता है। यह जीवित आदमियों को मार कर खाता है और ऐसा मारा गया आदमी भी जोम्बी बन जाता है।   इस लिहाज से फिल्म के नाम से कहानी का कुछ पता चलना चाहिए था। अब चूंकि, फिल्म में गोवा दिखाया गया है तो टाइटल में गोवा शामिल का लिया गया। लेकिन गो और गॉन क्यों? शायद तुकबंदी के लिए। जोम्बी तो भारत के किसी कोने में बनते और मरते दिखाये जा सकते थे। क्या फर्क  पड़ता।
इस जोम्बी फिल्म में गोवा में लोग एक ड्रग पार्टी में शामिल होने आते हैं। यह ड्रग पार्टी बोरिस यानि सैफ अली खान ने दी है। यकायक, पार्टी में आए लोगों में से कुछ जोम्बी बनने लगते हैं।  यह जोम्बी बने लोग एक  दूसरे को मार कर खाने लगते हैं। जो भी मारा जाता है, वह भी जोम्बी बन जाता है और जीवित आदमी को मार कर खा जाता है।
गो गोवा गॉन में कुणाल खेमू, वीर दास और आनंद तिवारी तीन दोस्त बने हैं। हालांकि, यह तीन दोस्तों की कहानी है, लेकिन फिल्म पूरी तरह से जोम्बीज पर केंद्रित है। इन तीनों दोस्तों की एक दूसरे के साथ छेड़ छाड़ होती रहती है, बिल्कुल आज की फिल्मों की तरह। खूब गालियां बाकी गयी हैं और अश्लील हाव भाव प्रदर्शित हुए हैं। पूजा गुप्ता ग्लैमर की मात्रा परोसती रहती हैं। सैफ अली खान जोम्बी हंटर बोरिस बन कर अपनी बंदूकों से बेहिसाब गोलियां बरसाते रहते हैं। पता नहीं क्यों वह ड्रग पार्टी में बंदूक पेटी रख लाये!
इस फिल्म के निर्माता सैफ अली खान जैसे बड़े अभिनेता है। लेकिन फिल्म के बजेट में खूब कंजूसी बरती गयी है। ज़्यादा फिल्म जंगल की भागदौड़ और समुद्र के किनारे ही बीतती है। खुद सैफ ने अपना मेकअप भी बेहद कम खर्चीला करवाया है। वह जोम्बी हंटर के बजाय जोकर जैसे लगते हैं। वैसे अगर फिल्म में सैफ न होते तो फिल्म को इतनी सेफ ओपेनिंग भी नहीं मिलती। जोम्बीज के चेहरे पर खड़िया और केचप का  लेप साफ नज़र आता है। निर्देशक जोड़ी  ने जोंबियों को हॉलीवुड की नकल में ही पेश किया है। अब जोम्बी बोलते नहीं हैं, तो यह पता करना मुश्किल हो जाता है कि वह इंडियन जोम्बी हैं या फ़ॉरेन जोम्बी।
फिल्म की कहानी कुछ खास नहीं। स्क्रिप्ट और स्क्रीन प्ले में खास मेहनत करने की कोशिश निर्देशक जोड़ी के साथ सीता मेनन ने नहीं की है। सीता ने हिन्दी के संवाद भी लिखे हैं। सब कुछ बेहद साधारण है। अलबत्ता, फिल्म को काफी हद तक बचाने की कोशिश कुणाल, वीर दास और आनंद तिवारी करते नज़र आते हैं। अपने मकसद में यह तिकड़ी काफी हद तक कामयाब भी होती है। इसका मतलब यह नहीं कि इन तीनों का अभिनय साधारण से अच्छा है। सैफ तो निराश करते हैं। वह बंदूक और ज़ुबान चलाने के अलावा कुछ नहीं करते। फिल्म में घटनाओं और रफ्तार की काफी कमी  है। जब फिल्म के तमाम जीवित चरित्र तेज़ी से भाग रहे होते हैं,  तब कहानी जोम्बी की तरह पिछड़ रही होती है।  राजा और कृष्णा ने टेक्निकल वर्क ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और दक्षिण Africa के  विदेशी तकनीशियनों को सौंप दिया है। इससे फिल्म के स्तर में मामूली सुधार होता है। फिल्म की फोटोग्राफी Australia और America के फोटोग्राफरों ने की है। उन्होने, हॉलीवुड की तमाम जोम्बी फिल्मों जैसा अपना काम भी कर दिया है।
फिल्म के बारे  में बहुत लिखने से कोई फायदा नहीं। भारतीय दर्शकों के लिए जोम्बी ल्यूक केनी की फिल्म राइस ऑफ द जोम्बी के बाद दूसरी जोम्बी फिल्म है। वह इंडियन जोंबियों का मज़ा लेता है। तीन दोस्तों की बेवकूफ़ियों को भी झेलता है। जोंबियों के अनोखेपन और सैफ की मौजूदगी के कारण फिल्म दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बनती है।
रही बात फिल्म गो गोवा गॉन को देखने की तो भाई सुझाव है कि अगर आपकी जेब में पैसो हो तो गोवा गो कर जाइए। गो गोवा गॉन नहीं देखेंगे तो भी पछताएंगे नहीं। जोम्बी गॉन।

नोट- मैंने गिप्पी नहीं देखी। कारण यह कि गिप्पी के बारे में बताया जा रहा है कि गिप्पी मल्टीप्लेक्स दर्शकों के लिए बनाई गयी है। मैं तो सिंगल स्क्रीन थिएटर में अन्य दर्शकों के साथ फिल्म का मज़ा लेता हूँ और बदमज़ा झेलता हूँ। वैसे गिप्पी जैसी फिल्मे बहुत बन चुकी हैं और बनाई जा रही है।







Thursday 9 May 2013

गोल्डेन पेंट बॉडी आयशा सागर

ऑस्ट्रेलिया से आई आयेशा सागर को बिंदास बेब कहना ठीक होगा।   
ऑस्ट्रेलिया में अपनी छाती पर ऑस्ट्रेलिया का झण्डा बना कर उन्होने शोहरत पायी। भारत आयीं गायिका और अभिनेत्री बनने। कहाँ तक सफल हुईं, यह अभी रहस्य के पर्दे में हैं।
इसलिए अब वह बेपरदा हो रही हैं। उनकी यह बेपर्दिगी किसी फिल्म के लिए नहीं। उन्होने, अपने नग्न शरीर  पर  गोल्डेन  पेंट पुतवाया और जा पहुंची कैमरा के सामने। जो चित्र खिंचे उनमे उन्हे बर्थड़े सूट में दिखना ही था। उन्होने इसे सोश्ल साइट में डलवा दिया। नतीजतन, उनके टिवीटर बॉक्स पर धड़ाधड़ हिट्स मिलने लगी। पेश है ऐसी ही उनकी कुछ पिक्चर और आमंत्रित हैं आपकी हिट्स-


क्या अभिनेता अर्जुन ऑन स्क्रीन लव मेकिंग के उस्ताद हैं?

अर्जुन कपूर के लव मेकिंग में उस्ताद होने के प्रश्न यों ही नहीं पूछे जा रहे। आगामी 17 मई को रिलीज होने जा रही फिल्म औरंगजेब की स्टिल्स से अर्जुन उस्ताद खिलाड़ी मालूम पड़ते हैं। फिल्म के एक दूसरे के प्यार में बुरी तरह से खोये जोड़े के यह चित्र काफी कामुक किस्म के हैं। अर्जुन कपूर स्मूचिंग में व्यस्त नज़र आ रहे हैं। इसमे उनका सक्रिय सहयोग कर रही हैं सालमा 'निकाह' आगा की बेटी साशा आगा। इन चित्रों को देखिये और खुद ही राय कायम कीजिये।








Wednesday 8 May 2013

जॉन अब्राहम और सोनाक्षी सिन्हा की नयी जोड़ी का 'वैल्कम'

 
अनीस बज़्मी, अपनी 2007 की सुपर हिट फिल्म वेलकम का सेकुएल जल्द ही फ्लोर पर ले जा रहे हैं। 2007 की वैल्कम में अक्षय कुमार और कैटरीना  कैफ मुख्य भूमिका में थे। अनिल कपूर, नाना पाटेकर, फिरोज खान और मालिका शेरावत सपोर्टिंग रोल में थे। चालीस करोड़ की लागत से बनी वैल्कम,  बॉक्स ऑफिस पर अब तक  116 करोड़ की कमाई कर चुकी है। अब पूरे 6 साल बाद इस फिल्म के सेकुएल का ऐलान किया गया है।  आम तौर पर, सेकुएल में मूल फिल्म की मुख्य कास्ट को रिपीट किया जाता है। लेकिन वैल्कम 2 के सेकुएल की स्टार कास्ट में काफी परिवर्तन हो चुके हैं। पहले, अक्षय कुमार की जगह जॉन अब्राहम आए। कैटरीना कैफ को साइन कर लिया गया था। लेकिन फिर न जाने क्या हुआ कि अब कैटरीना कैफ की जगह सोनाक्षी  सिन्हा  आ  गयी हैं। इसका मतलब यह हुआ कि अनीस बज़्मी, वैल्कम 2 में एक बिल्कुल नयी जोड़ी को पहली बार पेश करेंगे।  शूटआउट एट वडाला के हिट हो जाने के बाद जॉन अब्राहम के कद में काफी इजाफा हुआ है। सोनाक्षी सिन्हा पहले से ही लकी एक्ट्रेस मानी जा रही हैं। इसलिए, अनीस बज़्मी एक बार फिर एक सुपर हिट फिल्म की उम्मीद कर सकते हैं। अनीस बज़्मी ने इसका पूरा इंतजाम भी कर लिया है। वैल्कम की स्टार कास्ट में केवल अनिल कपूर और नाना पाटेकर ही अपनी अपनी भूमिकाओं में रिपीट किए जा रहे हैं। फिरोज खान का निधन हो  चुका है। इसलिए, उनके आरडीएक्स के रोल को सेकुएल में अमिताभ बच्चन  कर रहे हैं। इस स्टार कास्ट को देख कर लगता है कि अनीस ने बॉक्स ऑफिस के सभी मसाले जुटा लिए हैं। मगर, अब मालिका शेरावत की दुकान बॉलीवुड में लगभग बंद हो चुकी हैं। हिन्दी फिल्मों में मल्लिका की सेक्स अपील का कोई तोड़ नहीं था। लेकिन अनीस ने मल्लिका का भी तोड़ निकाल लिया है। वैल्कम के सेकुएल में मल्लिका की ईशिका पॉर्न स्टार सनी लियोने करेंगी। तो लीजिये न वैल्कम 2 में डबल एस यानी स्टार और सेक्स की डबल डोज़  का मज़ा।

Tuesday 7 May 2013

क्या बच्चों की फिल्म को डरा पाएगा चलता फिरता मुर्दा!


इस शुक्रवार दर्शकों को अपने शहर के सिनेमाघरों में दिलचस्प नज़ारा देखने को मिलेगा। क्योंकि, इस हफ्ते जो दो हिन्दी फिल्में रिलीज होने वाली हैं, उनमे एक बच्चों की फिल्म गिप्पी है और दूसरी एक ज़ोमबी यानि चलते  फिरते मुरदों वाली फिल्म गो गोवा गॉन है।
गिप्पी के निर्माता करण जौहर हैं तथा इसका निर्देशन सोनम नायर कर रही हैं। यह सोनम नायर की देबू फिल्म है तथा इस फिल्म की कहानी, संवाद और पटकथा सोनम ने ही लिखी है। गिप्पी कहानी है 14 साल की एक लड़की की, जो शिमला में अपनी माँ पप्पी और भाई बूबू के साथ रह रही है।  वज़न कुछ ज़्यादा होने के कारण उसे जब तब अजीबो गरीब परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। वह समझ नहीं पाती है कि इसे वह किस प्रकार से इमोश्नल, फ़िज़िकल और सोश्ल तरीके से निबटे। उसे स्कूल में पीछे की बेंच पर बैठना पड़ता है। साथी स्टूडेंट उसे चिढ़ाते हैं। दरकते घर के इमोशन से कैसे निबटे, वह समझ नहीं पाती। इसी दौरान वह एक लड़के के प्यार में पड़ जाती है। पर जल्द ही उसे अपने एक तरफा प्यार के कारण शर्मिंदा होना पड़ता है। सभी उसका मज़ाक बनाते हैं। तब वह डिसाइड करती है कि अब वह इस परिस्थिति से अपनी सहपाठिन खूबसूरत और ग्लेमरस लड़की शमीरा से निबटेगी। क्या होता है, यही गिप्पी की कहानी है। इस फिल्म में गिप्पी की भूमिका में दिल्ली की रिया विज नज़र आएंगी। फिल्म में वह जिस लड़के से प्यार करने लगती है, उसकी भूमिका ताहा  शाह  ने की है।  ताहा Dubai के एक अमीर परिवार से हैं। 2011 में उन्होने यशराज बैनर के यंग फिल्म्स बैनर के तहत बनी फिल्म लव का द एंड से देबू किया था। पर वह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ़ेल हुई थी।

गिप्पी के सामने निर्माता सैफ अली खान के इलुमनाती बैनर की फिल्म गो गोवा गॉन रिलीज हो रही है। इसे ज़ोमबी कॉमेडी फिल्म कहा जा रहा है। इस फिल्म में कुनाल खेमू, वीर दास और पूजा गुप्ता एक शादी में शामिल होने जाते हैं। इसी दौरान कुछ ऐसा घटता है कि दुल्हन ज़ोमबी बन जाती है। उसके कारण पूरी बारात के लोग ज़ोमबी बनना शुरू हो जाते हैं। अब कुणाल खेमू और वीर दास इस समस्या का हल बड़े हास्यपूर्ण ढंग से किस प्रकार निकलते हैं, यही फिल्म का रोचक पहलू है। इसमे उनका साथ ज़ोमबी हंटर बने सैफ अली खान देते हैं। गो गोवा गॉन Bollywood की पहली ज़ोमबी फिल्म नहीं। कुछ हफ्ते पहले दर्शक राइज़  ऑफ द ज़ोमबी देख चुके हैं। किर्ति कुलहरी और ल्यूक केनी की इस फिल्म को हॉरर ज़ोमबी मूवी कहा गया था। मगर, Hollywood का सबसे प्रिय विषय ज़ोमबी हिन्दी दर्शकों को आकर्षित नहीं कर सका। अब ज़ोमबी की ओर आकृष्ट करने का सारा दारोमदार सैफ के कंधों पर है। वह ज़ोमबी हंटर बने हैं, उन पर ज़ोमबी का प्रभाव पड़ता है और उनका चेहरा बदलने लगता है। दर्शक सैफ और कॉमेडी के कारण फिल्म को देखना चाहेंगे। अभी तक अपनी रोमांटिक फिल्मों से पहचाने जाने वाले सैफ अली खान का ज़ोमबी हंटर रूप दर्शकों में उत्सुकता का विषय बना हुआ है।  फिल्म का निर्देशन राजा निदिमोरु और कृष्णा डीके का है। यह जोड़ी शोर इन द सिटी में अपनी प्रतिभा का परिचय दे चुकी है।
ज़हीर है कि यह हफ्ता दिलचस्प है। करण जौहर अपनी फिल्म के जरिये अपने मित्र सैफ अली खान की फिल्म के सामने होंगे। दो बड़े बैनरों की फिल्मों का यह मुकाबला इस लिए भी दिलचस्प होगा कि इस से दो भिन्न फिल्म शैलियाँ टकरा रही होंगी। अब अगला हफ्ता बताएगा कि सैफ अली खान अपनी ज़ोमबी फिल्म के जरिये दर्शकों को आकर्षित करते हैं या करण जौहर अपनी शैली में बनी इस साल की दूसरी छात्र फिल्म से दर्शकों को आकर्षित कर पाते हैं। इस मुकाबले में इतना तो निश्चित है कि गो गोवा गॉन, गिप्पी से आगे रहेगी। बशर्ते कि वह जॉन Abraham की फिल्म शूटआउट एट वडाला के प्रभाव से दर्शकों को उबार पाये।
 

Sunday 5 May 2013

बॉक्स ऑफिस पर 'वडाला' का 'बॉम्बे टॉकीज' को 'शूटआउट'

क्या बड़ी स्टारकास्ट किसी फिल्म को बढ़िया ओपेनिंग दिला सकती है! बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस का अभी तक का अनुभव इसकी पुष्टि करता है। बड़े एक्टर और प्रोड्यूसर की फिल्में बढ़िया इनिश्यल दिलाने में  कामयाब  हो जाती हैं।  लेकिन, 3 मई को यानि भारतीय सिनेमा के सौ साल पूरे होने के दिन रिलीज फिल्म बॉम्बे टॉकीज का मामला बिल्कुल अलग लगता है। यह फिल्म चार छोटी छोटी कहानियों से मिल कर बनी है। इन चार कहानियों का निर्देशन करण जौहर, जोया अख्तर, अनुराग कश्यप और दिबाकर बनर्जी ने किया है। इन चार लघु फिल्मों में अमिताभ  बच्चन, रानी मुखर्जी, रणदीप हूदा, कैटरीना  कैफ, सदाशिव अमरपुरकार और नवजूद्दीन सिद्दीकी जैसे नामचीन चेहरे हैं। फिल्म में वैभावी मर्चेन्ट का choreographed टाइटल ट्रक अपना बॉम्बे टॉकीज भी था। इस गीत में आमिर खान, शाहरुख खान और सैफ अली खान जैसे खांटास्टिक अभिनेताओं के अलावा माधुरी दीक्षित, विद्या बालन और रानी मुखर्जी के साथ प्रियंका चोपड़ा, फरहान अख्तर, शाहिद कपूर, रणवीर सिंह, रणबीर कपूर, इमरान  खान, सोनम कपूर, दीपिका पादुकोण, अनिल कपूर, श्रीदेवी, अक्षय कुमार, करिश्मा कपूर और जुही चावला जैसे बड़े सितारे जुटाये गए थे। यह बॉलीवुड के बड़े निर्माताओं का भयंकर शक्ति प्रदर्शन था। इस लिहाज से इस फिल्म को बढ़िया ओपेनिंग मिलनी चाहिए थी।  लेकिन हुआ क्या ! इस फिल्म ने पहले दिन महज़ डेढ़ करोड़ की ओपेनिंग ली। 
वहीं इस फिल्म के सामने, प्रोड्यूसर डाइरेक्टर संजय गुप्ता की फिल्म शूटआउट अत वडाला रिलीज हुई थी। बॉम्बे टॉकीज की सितारों की भीड़ के सामने जॉन अब्राहम और कंगना रनौट की मुख्य भूमिका तथा अनिल कपूर, तुषार कपूर, रोनित रॉय, सोनू सूद, मनोज बाजपई, महेश  मांजरेकर, सिद्धांत कपूर और रणजीत की महत्वपूर्ण भूमिका वाली फिल्म शूटआउट एट वडाला  कहीं नहीं टिकती थी। लेकिन अब तक की परंपरा के ठीक विपरीत शूटआउट एट वडाला ने बॉम्बे टॉकीज से लगभग 9 गुना यानि 10.1 करोड़ का बिज़नस किया। यह ओपेनिंग इस साल रिलीज फिल्मों रेस 2 और हिम्मतवाला को मिली ओपेनिंग के बाद तीसरी सबसे अच्छी ओपेनिंग थी। शूटआउट एट वडाला की दर्शक क्षमता जहां 70 प्रतिशत रही, वही  बॉम्बे टॉकीज को मात्र 20 से 25 प्रतिशत तक ही दर्शक मिले। बॉम्बे टॉकीज का पहला वीकेंड कलेक्शन 5.15 करोड़ का हुआ। वहीं शूटआउट एट वडाला ने सनडे को बॉक्स ऑफिस पर लंबी छलांग मारते हुए 33.1 करोड़ का वीकेंड कलेक्शन कर लिया।
इससे साफ है की दर्शकों को सितारों की भीड़ जुटा कर भरमाया नहीं जा सकता। दर्शकों ने बॉम्बे टॉकीज के प्रोमो देख कर ही अंदाज़ा लगा लिया था कि यह फीकी फिल्म है, इसलिए उन्होने बॉम्बे टॉकीज वाले टॉकीज की ओर रुख तक नहीं किया। जबकि शूटआउट एट वडाला के प्रोमो फिल्म को एंटरटैनिंग, एक्शन और सेक्स से भरपूर फिल्म बता रहे थे। प्रियंका चोपड़ा का बबली बदमाश, सनी लियॉन का लैला तेरी ले लेगी और सोफी चौधरी का आला रे आला आइटम सॉन्ग्स बॉम्बे talkies के अपना बॉम्बे टॉकीज पर भरी पड़ा।  नतीजे के तौर पर शूटआउट एट वडाला के सिनेमाघरों में दर्शकों की भीड़ जमा थी। साफ तौर पर दर्शक चाहते हैं कि सितारों की भीड़ जमा की जाए, पर पूरे मसालों के साथ। फीके पकवान वह चखना तक नहीं चाहते।