Thursday 25 July 2013

क्या चढ़ेगा पूनम पाण्डेय के इरोटिका का 'नशा' !


चेनै एक्सप्रेस की तेज़ रफ़्तार और वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा के डॉन का धड़का स्माल बजट बॉलीवुड मूवीज के निर्माताओं के दिलों को धड़का रहा है. तभी तो छोटे बजट की फिल्मों के बीच मारामारी मची हुई है. चेन्नै एक्सप्रेस ९ अगस्त को रिलीज़ हो रही है, जबकि वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा १५ अगस्त को रिलीज़ होगी. इन दोनों फिल्मों की रिलीज़ के बाद और पहले सन्नाटा होना चाहिए . लेकिन, अब  पूरे साल में ऐसा कोई महीना नहीं जब आईपीएल क्रिकेट, रमजान, आदि न हो. कोई पूरा महीना ऐसा नहीं होता, जब ऐसा कोई समय न हो,जब छोटी फिल्मों की रिलीज़ के अनुकूल समय हो. अब तो छोटी फिल्मों के निर्माताओं के सामने किसी न किसी प्रकार अपनी फिल्म रिलीज़ करना ही मकसद रह जाता है. बाकी माउथ पब्लिसिटी पर निर्भर करता है.
यही कारण है की इस शुक्रवार यानि २६ जुलाई को  रिलीज़ हो रही है. दो फिल्मों की रिलीज़ बाद में कर दिए जाने के कारण ही यह संख्या संभव हो पायी है. २६ जुलाई को रिलीज़ होने जा रही फिल्मों में मनीष तिवारी की प्रतीक बब्बर, अमयरा दस्तूर, रवि किशन और मकरंद देशपांडे अभिनीत रोमांस ड्रामा इस्सक , शशांत शाह की विनय पाठक, रवि किशन, डॉली अहलुवालिया और रणवीर शोरे अभिनीत कॉमेडी ड्रामा फिल्म बजाते रहो, जो राजन की तनुज विर्वानी और नेहा हिंगे अभिनीत रोमकॉम फिल्म लव यू सोनियो, पूनम पाण्डेय की अमित सक्सेना निर्देशित  इरोटिक/थ्रिलर फिल्म नशा, इशरक् शाह का अरुणोदय सिंह, रघुवीर  यादव, किटू गिडवानी और यशपाल शर्मा अभिनीत पोलिटिकल थ्रिलर एक बुरा आदमी तथा बायोपिक बुद्धा रिलीज़ होगी. इन फिल्मों में केवल नशा ही ऎसी फिल्म है, जो अपने सेक्सुअल कंटेंट के कारण सिनेमाघरों में गरमी ला पायेगी. बजाते रहो कॉमेडी  शैली के कारन दर्शकों को खींच सकती है. बाकी फिल्मों का तो खुद ही मालिक है. इन फिल्मों के लिए कोढ़ में खाज का काम करेगी हॉलीवुड की फिल्म द वॉल्वरिन। वॉल्वरिन सीरीज की पहले की फ़िल्में भारत में काफी सफल रही है. इसलिए इस फिल्म के सफल होने में किसी को भी शक नही. लेकिन, द वॉल्वरिन इन छोटी फिल्मों को ज़बरदस्त शुरूआती झटके दे सकती है . दक्षिण के सुपर स्टार सूर्य की फिल्म सिंघम २ भी हिंदी में डूब हो कर रिलीज़ हो रही है. यह फिल्म दक्षिण के ऑडियंस के बीच बेहद सफल थी.
 

Monday 22 July 2013

रमैया वस्तावैया और डी-डे से आगे मिल्खा

      
 दूसरे वीकेंड में  भाग मिल्खा भाग और पहले वीकेंड में  रमैया वस्तावैया और डी-डे के कलेक्शन दिलचस्प है. नयी रिलीज़ रमैया वस्तावैया और डी-डे के मुकाबले  पिछले शुक्रवार रिलीज़ फिल्म भाग मिल्खा भाग सबसे आगे है. इस फिल्म ने दूसरे वीकेंड में शुक्रवार को ४  करोड़, शनिवार को ५.८० करोड़ और रविवार को अनुमानित ६. ७५ करोड़ का बिज़नस कर १६.५५  करोड़ का वीकेंड निकाला. जबकि, इसी दौरान अपने पहले वीकेंड में रमैया वस्तावैया ने क्रमशः ४. १०, ४.७० और ६.५० का कलेक्शन कर पहला वीकेंड १५.३० का मनाया . इसी के साथ रिलीज़ डी-डे ने २.९४, ४.७५  और ६  करोड़ का अनुमानित बिज़नस कर कुल १३.६९ करोड़ का वीकेंड मनाया.  इससे स्पष्ट है कि भाग मिल्खा भाग की ऑडियंस पर पकड़ मज़बूत है. रमैया वस्तावैया को सिंगल स्क्रीन थिएटर का समर्थन मिल रहा है. डी-डे मल्टीप्लेक्स ऑडियंस पर पकड़ बना चुकी है. दर्शकों को जहाँ रमैया वस्तावैया में गिरीश कुमार और श्रुति हासन का रोमांस दिल को छू गया, वहीँ डी-डे के क्लाइमेक्स में  दाऊद इब्राहीम को सीमा पर लाकर गोली से उड़ाना, दर्शकों का समर्थन पाने में सफल रहा. अब देखने की बात है कि रमैया वस्तावैया और डी-डे दूसरे वीकेंड में दर्शकों को नयी फिल्मों के मुकाबले  कितना लुभा पाती हैं .                         


 

सलमान खान ने शाहरुख़ खान को हग किया या दोनों गले मिले!

                           
                       लोक सभा चुनाव की पूर्व संध्या पर कुछ नए दिल मिलेंगे? इस प्रश्न का उत्तर पाने में अभी समय है. लेकिन बॉलीवुड में दिल मिलाने का सिलसिला जारी है. इसका ताजातरीन उदाहरण है बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख़ खान और टाइगर सलमान खान का कथित पैचअप . कल यानि २१  जुलाई को, मुंबई में महाराष्ट्र के एम् एल ए बाबा सिद्दीक़ की इफ्तार पार्टी में शाहरुख़ खान और सलमान खान एक दूसरे से मिले, दोनों ने बॉलीवुड की भाषा में कहें तो एक दूसरे को हग किया. दरअसल, बकौल बाबा शाहरुख़ और सलमान उनके बचपन के दोस्त है। इसलिए, जब बाबा ने इफ्तार पार्टी रखी थी तो इसी वजह से तमाम निगाहें इस पार्टी पर थीं कि क्या शाहरुख़ खान की मौजूदगी में सलमान खान इस पार्टी में शामिल होंगे ? इस पार्टी में शाहरुख़ खान पहले ही पहुँच गए थे. सलमान खान आदतन देर से आये. दोनों की नज़रे मिली, दोनों ने हग किया यानि गले मिले. लेकिन, क्या इसके साथ ही दिल मिल गये? बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के दो बिग्गेस्ट खान एक दूसरे के दोस्त बन गए? इसे जानने के लिए थोडा पीछे जाना होगा।
                          कभी एक दूसरे के अच्छे दोस्त रहे सलमान खान और शाहरुख़ खान की दुश्मनी की शुरुआत पांच साल पहले यानि २००८  में कटरीना कैफ की जन्मदिन पार्टी पर हुई थी. सब कुछ अच्छा चल रहा था. दोनों खानों ने आदतन जम कर दारू पी रखी थी. दारू पी कर सलमान खान तो नियंत्रित रहे. मगर शाहरुख बहक गये. उन दिनों सलमान खान और ऐश्वर्य रॉय का ब्रेक अप हो चूका था. सलमान खान और विवेक ओबेरॉय की मशहूर नोंक झोंक भी हो चुकी थी. जाहिर है की सलमान खान काफी झल्लाए फिरते होंगे। ऐसे में शाहरुख़ खान ने उनकी दुखती रग पकड़ ली. उन्होंने ऐश्वर्य को लेकर सलमान को छेड़ना शुरू कर दिया. सलमान खान की एक खासियत यह भी है कि वह रोमांस और ब्रेक अप ढेरों करते है। लेकिन, ब्रेक अप के बाद अपने बिछड़े प्यार के बारे में कोई बात करना या सुनना पसंद नहीं करते. अपनी लेडी लव के लिए बुरी बातें तो कतई नहीं . लेकिन बादशाह खान थे कि बहकते चले गये. उपस्थित लोग उनके इस प्रलाप का मज़ा ले रहे थे. सलमान खान खुद पर नियंत्रण रखे हुए थे. लेकिन जब शाहरुख़ ने ऐश्वर्य पर छींटा कसी शुरू की तब सलमान खान अपना आपा खो बैठे . लम्बे समय के अच्छे  मित्रों के हाथ एक दूसरे के कालर तक चले गये. बात मारा मारी तक पहुंचती कि लोगों ने दोनों को अलग कर दिय. कटरीना कैफ की पार्टी का रंग पूरी तरह से बदरंग हो चूका था. क्रोधित सलमान खान, शाहरुख़ खान से फिर कभी गले न मिलने की कसम के साथ पार्टी से चले गये. इसके बाद कई मौके ऐसे आये जब दोनों खानों ने एक दूसरे के सामने होना अवॉयड किया. फिल्म समारोह में शाहरुख़ थे तो सलमान या तो आये नहीं या तभी आये जब शाहरुख़ चले गये. अगर कभी सामना हुआ भी तो एक दूसरे को इग्नोर कर गये.
                          तब क्या एक एम् एल ए के घर में हुई पार्टी में पांच साल पहले टूटे और बिछड़े दिल मिल गये? एक नज़र में ऐसा हो गया लगता है. लेकिन, सब इतना आसन नहीं। यशराज स्टूडियो में १३  नवम्बर २०१२ को मौजूद मेहमान गवाह हैं ऐसे ही एक कथित ऐतिहासिक दृश्य के। शाहरुख़ खान, कटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा अभिनीत तथा यश चोपड़ा की अंतिम निर्देशित फिल्म जब तक है जान का प्रीमियर था. फिल्म से जुड़े शाहरुख़ खान सहित सभी लोग मौजूद थे. सभी मेहमान आ चुके थे. जब तक है जान की स्क्रीनिंग शुरू हो गयी। तभी सूचना मिली कि सलमान खान पहुँचने वाले है. इसी मिलन को देखने के लिए उत्सुक मीडिया को अवॉयड करने के लिए सलमान खान देर से पहुँच रहे थे. कटरीना कैफ को अपने प्यार को रिसीव करने के लिए गेट पर पहुँचना ही था. लेकिन, शाहरुख़ खान भी चल दिए कटरीना के साथ सलमान का स्वागत करने को. गेट पर मौजूद लोग अभूतपूर्व दृश्य के गवाह बने. दोनों खान, जैसे सचमुच सब भुला कर, एक दूसरे के गले मिल रहे थे और थपथपा रहे थे. इसके साथ ही यह मान लिया गया कि दोनों खान फिर दोस्त बन गये. क्या सचमुच!
                          कल यानि २१ नवम्बर को, ठीक २४१ दिनों बाद बाबा सिद्दीक की इफ्तार पार्टी में सलमान खान और शाहरुख़ खान गले मिले तो क्या दोनों के दिल मिल गए?
                          दोस्तों यह बॉलीवुड हग है, इसे गले मिलना कहा जा सकता है, लेकिन दिल मिलना नहीं। देखते जाइये आगे आगे यह दोनों खान कैसे कैसे नाटक दिखाते है।


                          


          








 

Sunday 21 July 2013

वाइट हाउस डाउन - हॉलीवुड से एक और सुपर हीरो !

   हॉलीवुड अपने बलशाली मानव, मशीन मानव या सुपर मैन गढ़ता रहता है. बैटमैन, सुपर मैन, स्पाइडर मैन इसके सुपर मैन है। कुछ ऐसे मानव भी हैं जो सुपर मैन के आस पास की शक्ति और क्षमता वाले करैक्टर है. पाइरेट्स ऑफ़ द कॅरीबीयन सीरीज के  जोनी डेप के  जैक स्पैरो, ब्रितानी जासूस जेम्स बांड, बॉर्न सीरीज की फिल्मों के  मैट डेमन का करैक्टर जैसन बॉर्न तथा ट्रिपल एक्स सीरीज की फिल्मों में विन डीजल का जेंडर केज  ऐसे ही करैक्टर है। एक समय तो मैट डेमन और विन डीजल के चरित्रों को जेम्स बांड का जवाब मान लिया गया था. अब रोलां एम्मेरीच निर्देशित फिल्म वाइट हाउस डाउन से अमेरिकन सिक्यूरिटी फाॅर्स के एजेंट जॉन केल  के रूप में अभिनेता चंनिंग Tatum  आये है. वाइट हाउस डाउन में जॉन केल प्रेजिडेंट की सिक्यूरिटी में भरती होने के लिए इंटरव्यू के लिए अपनी बेटी के साथ वाइट हाउस जाता है. उसे उसके बायो डाटा के आधार पर इस पोस्ट के अयोग्य  मान लिया जाता है. निराश केल अपनी बेटी को वाइट हाउस घुमाने के लिए गाइड के साथ हो लेता है कि तभी वाइट हाउस पर हमला हो जाता है. उस समय केल की बेटी वाश रूम गयी होती है।  केल वाइट हाउस से निकल जाता है. लेकिन उसकी बेटी वाइट हाउस में ही फंसी है, इसलिए वह वापस आता है. तभी उसे प्रेजिडेंट खतरे में फंसे नज़र आते है। अब उसके कन्धों पर बेटी को बाहर निकालने के अलावा प्रेजिडेंट को बचाने  का भी दायित्व है. इस दायित्व को केल कैसे निभाता है, यह देखना बेहद रोमांचक है.

फिल्म में एक्शन की भरमार है. वाइट हाउस में विस्फोट के बाद तो पूरी फिल्म में बम के धमाके और गोलियों की आवाज़ ही गूंजती रहती है. ऐसे में केल सुपर मैन बना नज़र आता है. केल के रूप चंनिंग खूब जमे हैं . उनका अकेले ही आतंकी हमले को विफल कर प्रेजिडेंट को बचा ले जाना गले नहीं उतरता, लेकिन अपने प्रेजिडेंट के प्रति एक अमिरीकी का समर्पण साफ़ नज़र आता है. अपने गठीले शरीर से चंनिंग दर्शकों को तमाम अविश्वसनीय दृश्यों पर यकीन करने के लिए विवश कर देते हैं . केल के करैक्टर की खासियत यह है कि वह खालिस देश भक्त नहीं! वह आतंकी हमले को इसलिए विफल करता है कि उसकी बेटी फंसी हुई है. लेकिन, चंनिंग टाटम का यह आम आदमी अमेरिकी दर्शकों को भी ज्यादा रास आएगा, इसमे शक है. फिल्म में अमेरिकी प्रेजिडेंट जेम्स W सॉयर के रोल में ऑस्कर पुरस्कार विजेता अभिनेता जमी फॉक्स है. वह अपने रोल को बेहतरीन ढंग से करते है. अमेरिकी प्रेजिडेंट की खासियत उसकी विट्स  और सेंस ऑफ़ humour  होता है. जेमी इसे भी बखूबी व्यक्त करते है. वह ऐसा करते समय कोई कॉमिक करैक्टर नहीं लगते.  फिल्म की शुरुआत केल  की बेटी एमिली के अपनी खिड़की से अमेरिकी प्रेजिडेंट के हेलीकाप्टर को उड़ते देखते हुए होती है. एमिली के रोल को बाल कलाकार जोए किंग ने की है. चौदह साल की इस बाल अभिनेत्री का चेहरा खूबसूरत है ही, वह एक्टिंग भी खूब करती है. जैसन क्लार्के ने डेल्टा फाॅर्स के बर्खास्त सदस्य और अब भाड़े के हत्यारे एमिल स्तेंज़ की भूमिका बड़ी स्वाभाविकता से की है. जेम्स वुड्स वाइट हाउस पर हमले के मास्टर माइंड  और अमेरकी प्रेजिडेंट की सुरक्षा के मुखिया बने है। वह बेहतरीन अभिनय करते है. गाइड के रोल में निकोलस राइट हंसाने में कामयाब रहे है.
लेखक जेम्स vanderbitt ने साधारण सी कहानी को ग्रिप्पिंग स्क्रिप्ट के ज़रिये सांस रोक देने वाली फिल्म बना दिया है. Adam Wolfe ने अपनी कैंची के सहारे फिल्म की चुस्ती बरकरार रखी है. एना फोरेस्टर का छायांकन वाइट हाउस के तमाम दृश्यों का उत्कृष्ट चित्रण करता है. वाइट हाउस को परदे पर साकार करने के लिए फिल्म की आर्ट टीम का काम काबिले तारीफ है.
वाइट हाउस डाउन को आम अमेरिकन की अपने देश और प्रेजिडेंट के प्रति समर्पण, राजनेताओं के कुचक्रों बेहतरीन एक्शन और अभिनय के लिए देखा जा सकता है.













 

Friday 19 July 2013

डी-डे ने गोली मार दी दाऊद को या फिल्म को!


क्या दर्शक दाऊद इब्राहीम को भारत में गोली मारते देखना चाहते है? क्या रील में इसे देख कर वह तालियाँ बजाने के अलावा देखने भी आएंगे और अपने दोस्तों को भी न्योता देंगे? अगर हां, तो समझ लीजिये कि डी-डे  हिट फिल्म है.
फिल्म की कहानी के अनुसार एक रिटायर्ड फ़ौजी कराची में रॉ के एजेंटों के साथ मिल कर दाऊद की फ़िल्मी कॉपी गोल्डमन को भारत में लाने की कोशिश करता है. इस फिल्म में भारत की सर्वोच्च संस्था के एजेंट जिस बचकाने तरीके से गोल्डमन को पाकिस्तान से भारत लाने का प्रयास करते है, अगर उसका एक प्रतिशत भी रॉ के एजेंट रियल में करते है, तो आसानी से समझा जा सकता है कि हम बार बार मुंह की क्यों खाते है। जिस प्रकार से निर्देशक निखिल आडवानी अपनी फिल्मों के एजेंट्स से काम करवाते है, वह वास्तव में बचकाना है. हाई सिक्यूरिटी के घेरे वाले होटल में दाऊद को उसके बेटे की शादी से उठाना, कल्पना की बकवास उड़ान ही कहा जा सकता है. उचित होता अगर निखिल इस कहानी से दोनों देशों की कूटनीति और रॉ एजेंट्स के प्रति भारत सर्कार की नीति को डिस्कस करते. निखिल फिल्म की कहानी को फ़्लैशबेक में दिखाते है। घटनाओं और चरित्रों की इतनी भरमार है कि दर्शक समझ नहीं पाटा कि कौन क्या और क्यों कर रहा है. अर्जुन रामपाल ठीक है. इरफ़ान खान को अब इस प्रकार के रोले नहीं करने चाहिये . ऋषि कपूर  सावधान! अब आप चुकने जा रहे है। ऐसे रोले कतई नहीं करे. श्रुति हासन अपने रोल की तरह भ्रमित लगती है। हुम कुर्रेशी न तो सुन्दर लगती हैं न अभिनय कर पाती है। नासर ने रॉ के अधिकारी के रूप में अपने काम को अच्छी तरह से किया है.
बाकी कुछ भी उल्लेखनीय नही।


 

मैंने प्यार किया है रमैया वस्तावैया !


प्रभु देवा निर्देशित फिल्म रमैया वस्तावैया को देखते समय सलमान खान की १९८९ की ब्लॉकबस्टर फिल्म मैंने प्यार किया की याद आ सकती है. ग्रामीण परिवेश यहाँ भी है. गिरीश कुमार का नाम भी राम है. श्रुति हासन सुमन नहीं सोना है। मैंने प्यार किया में भाग्यश्री का पिता सलमान खान को अपनी मेहनत की कमाई ला कर दिखाने को कहता है. जबकि रमैया वस्तावैया में श्रुति हासन का भाई गिरीश कुमार से खेत में ज्यादा बीज उगा कर दिखाने का चैलेंज देता है. गिरीश इस लक्ष्य को पायेगा, यह तो तय था.लेकिन किस प्रकार, यह देखना सचमुच रोचक है.  सूरज बडजात्या के ठीक विपरीत इसमे प्रभुदेवा का  तड़का है, स्टाइल है. प्रभुदेवा ने २०० ५ में मैंने प्यार किया का ब्लॉकबस्टर तेलुगु रीमेक बनाया था. प्रभुदेवा ने अब अपनी ही फिल्म का रीमेक किया है. मानना पड़ेगा कि प्रभुदेवा को दर्शकों की नब्ज की समझ है. वह हर फ्रेम को रोचक ढंग से पेश करते है। यही कारण है कि जानी पहचानी कहानी पर फिल्म होने के बावजूद दर्शकों को पर्याप्त नयापन मिलता रहता है. सचिन जिगर का संगीत कहानी के माहौल के अनुरूप मस्त है. ख़ास तौर पर, जीने लगा हूँ गीत पर सिनेमाघर सीटियों से गूंजने लगते है. जेक्विलिन फर्नांडीज के साथ प्रभु देवा की जादू की झप्पी दर्शकों को मस्त कर देती है. कहानी गाँव की होने के बावजूद किसी प्रकार के पुरानेपन  या ऊब का एहसास नहीं होता. इसके लिए प्रभुदेवा के अलावा लेखक शिराज़ अहमद तारीफ के हक़दार है कि दर्शकों में मैंने प्यार किया के दोहराव का शिकार होने नहीं देते. नयापन बनाये रखते है.
तारीफ तो श्रुति हासन और गिरीश कुमार की भी करनी होगी. श्रुति तो खैर दक्षिण की पुरस्कार प्राप्त और अनुभवी अभिनेत्री है। वह अपने सोना के किरदार को बड़े स्वभाविक ढंग से करती है। इमोशनल मोमेंट में वह अपनी आँखों और चेहरे से प्रभावित करती है। लेकिन, तालियों के हक़दार हैं डेब्यू एक्टर गिरीश कुमार. वह बेहद कॉन्फिडेंस से अपने किरदार को अंजाम देते है। हालाँकि इस फिल्म में  उन को देखते समय सलमान खान की याद आती है, लेकिन वह सलमान खान से कहीं बहुत आगे है. सलमान खान तो आज भी चेहरा बनाने को अभिनय समझते है। मैंने प्यार किया में वह इसे काफी बचकाने तरीके से करते थे. लेकिन, गिरीश कुमार कॉमेडी और इमोशनल दृश्यों में बढ़िया काम करते है। वह अच्छे डांसर भी साबित होते है। दर्शक उन के किरदार से बंधा हुआ महसूस करते है। गिरीश पूरी फिल्म को अपने कंधे पर सम्हाल लेते है। अगली फिल्म में गिरीश कुमार क्या करते हैं, यह पता नही. लेकिन इस फिल्म में वह दर्शकों की अपेक्षाओं में खरे उतरते है. सोनू सूद श्रुति के भाई रघुवीर की भूमिका में प्रभावित करते है। गिरीश कुमार के दोस्त बिजली की भूमिका में परेश  गणात्रा हंसाने में सफल रहते है. फिल्म में विनोद खन्ना पूनम ढिल्लों और गोविन्द नामदेव जैसे वरिष्ठ सितारे है. दक्षिण के नासर कॉमिक विलेन बने है. यह सब अपना काम ठीक कर ले जाते है. लेकिन, सतीश शाह और जाकिर हुसैन को देख कर कोफ़्त होती है. यह सक्षम अभिनेता पैसों की खातिर बेकार की भूमिकाएं पूरे बेकार ढंग से कैसे कर ले जाते है.
दर्शकों ने धनुष के अभिनय के कारण राँझना को देखा था. उम्मीद है कि इस बार वह रमैया वस्तावैया के गिरीश कुमार के लिए सिनेमाघरों तक आयेंगे।




 

Thursday 18 July 2013

क्या रमैया वस्तावैया होगा गिरीश के मामले में !

शुक्रवार को गिरीश कुमार की बॉक्स ऑफिस पर कड़ी परीक्षा होनी है. वह टिप्स इंडस्ट्री के मालिक कुमार तौरानी के बेटे है। पर खुद को साबित करने के लिए गिरीश कुमार के लिए इतना परिचय काफी नही। टिप्स फ़िल्में भी  बनाती  है. इसलिए कुमार तौरानी के लिए अपने बेटे गिरीश को हीरो बनाने के लिए फिल्म बनाना आसान था. उन्होंने एक बड़ा सेटअप और प्रभु देवा के रूप में एक सफल डायरेक्टर भी जुटा लिया। मगर परदे पर दर्शकों का सामना तो गिरीश को ही करना है. ठीक एक महीना पहले दक्षिण के सुपर स्टार रजनीकांत के दामाद और तमिल फिल्मों के स्टार धनुष की राँझना से परीक्षा हुई थी. वह  चेहरे से कहीं से भी हीरो मटेरियल  नहीं रखते थे. शरीर से दुबले धनुष को देख कर उनके हीरो होने पर शक होता था . लेकिन खास अपनी अभिनय प्रतिभा के बल पर वह उत्तर के दर्शकों को अपनी पहली हिंदी फिल्म से ही अपना मुरीद बना पाने में कामयाब हुए. गिरीश कुमार के सामने धनुष की सफलता चुनौती भी है और प्रेरणा भी. वह आश्वस्त हो सकते है कि वह भी हिंदी फिल्मों के हीरो बन सकते है. हालाँकि उनका चेहरा भी हिंदी फिल्मों के हीरो जैसा नहीं . धनुष अपनी अभिनय प्रतिभा के बल पर ही सफल हुए थे. गिरीश के लिए यह चुनौती है. क्योंकि उन्हें अपनी अभिनय प्रतिभा के बल पर हिंदी दर्शकों को रिझाना होगा! फिल्म की कहानी सलमान खान की फिल्म मैंने प्यार किया जैसी है. इस हीरो सेंट्रिक कहानी के बल पर सलमान खान जैसा कम प्रतिभाशाली अभिनेता भी हिंदी दर्शको का प्रेम बन गया। पर वह ज़माना दूसरा था. आज हिंदी फिल्मों का कैनवास काफी बदल गया है. स्क्रिप्ट और निर्देशकीय कल्पनाशीलता काफी मायने रखने लगी है. कहानी को कुछ इस तरह मोड़ लेना चाहिए होगा कि दर्शकों को लगे कि वाह वाह कमाल हो गया. इसके बावजूद गिरीश का अभिनय मायने रखेगा. गिरीश के पास अच्छा मौका है. उन्हें वांटेड और राऊडी राठौर  जैसी फिल्मों का प्रभु मिला है, जो हिंदी दर्शकों की नब्ज़ समझता है. प्रभु की यह पहली हिंदी रोमकॉम फिल्म है. फिल्म में गिरीश की नायिका शुर्ती हासन है. श्रुति तमिल तेलुगु फिल्मों में अपनी अभिनय प्रतिभा साबित कर चुकी है. उन्हें एक फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरुस्कार भी मिल चूका है. वह गिरीश को काफी सपोर्ट कर सकती है. श्रुति की आज ही एक अन्य फिल्म डी-डे भी रिलीज़ हो रही है. डी-डे में श्रुति ने एक वैश्य का किरदार किया है. श्रुति के लिए हिंदी फिल्म में अपनी लक कायम करने का सुनहरा मौका है.
गिरीश कुमार ने बढ़िया अभिनय किया. दर्शकों ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और फिल्म हिट हो गयी तो समझिये की दर्शकों की योग्यता भी साबित हो गयी. क्योंकि, अभी तक सलमान खान जैसे अभिनेताओं की माइंडलेस फिल्मों को सुपर डुपेर हिट बनाता हिंदी दर्शक दुनिया के सामने मूर्ख साबित होता था. रमैया वस्तावैया का मतलब हिंदी में राम क्या तुम मेरे लिए आओगे होता है. क्या इस तेलुगु कहावत की तरह हिंदी दर्शक गिरीश के लिए रमैया वस्तावैया बनेगा!