एक रियलिटी शो से मशहूर हुई गायक और संगीतकार जोडी तोशी और शारिब संगीत एक गैर फिल्मी एल्बम ब्लूनोट एंटरटेनमेंट जारी करने जा रहा है. तोशी और शारिब की जोड़ी के खाते में माहि माही जैसा हिट ट्रैक है और राज़ २ जैसी सफल फ़िल्में हैं. फ्रेंच किस शीर्षक वाले इस एल्बम में पिछले साल ग्रैमी अवार्ड्स विजेता सीन पॉल को भारत लाने वाली यह संस्था इस एल्बम को लेकर काफी उत्साहित है. तोशी
और शारिब के प्रशंसक भारत के अलावा मध्य पूर्व के देशों, पाकिस्तान और
ग्रेट ब्रिटेन में भी हैं. यह एल्बम इन्ही प्रशंसकों के मद्देनज़र तैयार
किया गया है. इस एल्बम में ५ मौलिक गीतों के अलावा एक रीमिक्स है. यह एल्बम
हिप हॉप, डांस, सूफी और रोमांटिक गीतों का मिश्रण है. यह एल्बम २७ नवम्बर
को रिलीज़ होने जा रहा है.ब्लूनोट एंटरटेनमेंट के एमडी प्रशांत कुमार कहते हैं, ''इन अंतर्राष्ट्रीय स्टार के गायक और संगीतकारों को दुनिया के सामने लाने का यह हमारा पहला प्रयास है''.
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Friday 22 November 2013
गुलाबी गैंग की कहानी पोस्टर की जुबानी !
अगले साल मार्च में रिलीज़ होने जा रही फिल्म गुलाब गैंग का पहला पोस्टर जारी कर दिया गया है.निर्माता अनुभव सिन्हा की इस फिल्म का निर्देशन सौमिक सेन कर रहे हैं. बुंदेलखंड की जागरूक महिलाओं द्वारा स्त्रियों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाये गए इस गंग की सभी सदस्याएं गुलाबी साडी पहना करती हैं, इसलिए इस गंग का नाम गुलाबी गंग पड़ा. इन दिलेर महिलाओं पर केंद्रित इस फ़िल्म में माधुरी दीक्षित गुलाबी गैंग की लीडर की भूमिका में हैं. उनके साथ नेगेटिव भूमिका में जूही चावला दिखायी पड़ेंगी। फ़िल्म में माही गिल, शिल्पा शुक्ल और तनिष्ठा चटर्जी जैसे अभिनेत्रियों की साझीदारी देख कर ऐसा लगता है, जैसे लम्बे समय बाद कोई पूरी तरह से स्त्रियों पर केंद्रित फ़िल्म देखने को मिलेगी। इस पोस्टर में गुलाबी साडी पहने माधुरी दीक्षित हाथों में हंसिया और कुल्हाड़ी पकड़े काली अवतार में नज़र हैं। यह पोस्टर गुलाबी गैंग की खानी को काफी कुछ बयान करने वाला पोस्टर साबित होता है. जैसा कि इस पोस्टर से साफ़ होता है कि गुलाबी गैंग अगले साल ७ मार्च को रिलीज़ होगी। इस काऱण से, माधुरी दीक्षित की एक ही फिल्मों का १० जनवरी को होने वाला मुक़ाबला टल गया है। अगले साल दस जनवरी को माधुरी दीक्षित की दो फ़िल्में गुलाब गेंग और डेढ़ इश्क़िया रिलीज़ होने जा रही थीं.
तीन हिंदी फ़िल्में तीन विलेन: पंकज 'शुद्धि' कपूर, नाज़ुद्दीन 'किक' सिद्दीकी और कमाल 'द विलेन' खान !
बॉलीवुड में विलेन की नयी खेप आने जा रही है. शुद्धि निर्माता करण जौहर की अग्निपथ जैसी २०१२ की पहली सौ करोडिया फ़िल्म के निर्देशक करण मल्होत्रा की फ़िल्म है. इस फ़िल्म में ऋतिक रोशन और करीना कपूर की जोड़ी मैं प्रेम की दीवानी हूँ के दस साल बाद एक साथ नज़र आयेगी। इस फ़िल्म में पंकज कपूर नेगेटिव शेड वाली भूमिका में हैं. शुद्धि में पंकज कपूर का रोल वास्तव में क्या होगा, इसका अभी खुलासा नहीं हुआ. पंकज कपूर इस फ़िल्म से पहले २००५ में रिलीज़ निर्देशक अनुभव सिन्हा की फ़िल्म दस में जम्वाल की खाल भूमिका में नज़र आये थे. इस फ़िल्म में संजय दत्त, अभिषेक बच्चन, शिल्पा शेट्टी, आदि की मौज़ूदगी में भी इस छोटे कद कके अभिनेता ने अपने अभिनय का सिक्का जमाया था। सलमान खान की निर्माता निर्देशक साजिद नाडियाडवाला की फ़िल्म किक में नवजुद्दीन सिद्दीकी खल भूमिका में होंगे। इस फ़िल्म में सलमान खान की नायिका श्रीलंका सुंदरी जैकुईलीन फर्नांडीस हैं। फ़िल्म में रणदीप हुडा भी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. नाज़ुद्दीन अपने स्वाभाविक अभिनय के लिए पहचाने जाते हैं. इसलिए उनसे कुछ हट कर देखने की उम्मीद उनके प्रशंसक दर्शक तो रख ही सकते हैं. मोहित सूरी एक फ़िल्म बना रहे हैं द विलेन। इस एक्शन फ़िल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा, श्रद्धा कपूर, रितेश देशमुख और अमृता पुरी मुख्य जोड़ियां हैं. इस फ़िल्म में बड़बोले और एक फ़िल्म से विवादस्पद रूप से मशहूर कमाल आर खान विलेन की भूमिका में हैं. हमेशा गलत सलत लिखने वाले कमाल आर खान इस फ़िल्म को लेकर काफी अच्छा लिख रहे थे. आम तौर पर वह कभी सनी लीओन से बलात्कार करने की इच्छा प्रकट कर, कभी किसी निर्माता निर्देशक या अभिनेत्री से पंगा लेकर मशहूर होते रहे हैं. द विलेन के विलेन बन कर कमाल आर खान क्या झंडे गाड़ते हैं, इस पर कुछ सोचने से पहले यह जान लेना ज़रूरी है कि कमाल खान का द विलन में बस कैमिया है .
सलमान खान की aur kamal r khan the vilain
Friday 15 November 2013
लम्पट रोमांस और हिंसा के चटख रंगों वाली दीपिका-रणवीर की लीला
निर्देशक संजयलीला भंसाली दिल से फ़िल्में बनाते रहे हैं. उनकी रोमांस फ़िल्में दर्शकों को अन्दर तक छू जाती हैं. हम दिल दे चुके सनम के समीर और नंदिनी का रोमांस दर्शकों पर खुमार की तरह कुछ इस तरह चढ़ा है कि सलमान खान और ऐश्वर्या राय की जोड़ी, केवल एक फिल्म के बावजूद, सबसे अधिक रोमांटिक जोड़ी समझी जाती है. शाहरुख़ खान के देवदास से छलका दर्द आज की खिलंदड युवा पीढ़ी को भी प्रभावित कर गया. लेकिन, राम-लीला में वह दिल खो चुके सनम लग रहे हैं. उन्होंने यह फिल्म दिल से नहीं दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल कर बनायी हैं. मोटे तौर पर राम-लीला शेक्सपियर के नाटक रोमियो एंड जूलिएट पर आधारित है. ऐसे कथानक पर बनी फ़िल्में दर्शकों के दिमाग पर कब्ज़ा कर लेती हैं. पिछले साल रिलीज़ अर्जुन कपूर और परिणीती चोपड़ा अभिनीत फिल्म इशक़जादे वायलेंट
रोमांस फिल्म का बढ़िया उदाहरण है. इस लिहाज़ से राम-लीला मे भी रोमांस तगड़ा होना चाहिए था. मगर, संजयलीला भंसाली ने रोमियो जूलिएट को अपने तौर पर परिभाषित कर रोमांस को सेक्स की तगड़ी डोज़ में बदल दिया है तथा इमोशन पर एक्शन और वायलेंस को तरजीह दी है. गुजरात के दो गैंगस्टर गुटों के खून खराब से शुरू हो कर यह कहानी रणवीर सिंह के छैला डांस और फिर होली के दिन दीपिका पादुकोण आक्रामक रोमांस में आकर यह फिल्म गर्मागर्म उत्तेजक
चुम्बनों की बौछार के साथ साथ गोलियों की बौछार की रासलीला से भी दर्शकों का मनोरंजन करती है. फिल्म की शुरुआत में, होली के दिन रणवीर के होंठों पर अपने होंठ रख कर तथा जाते जाते दाहिनी आँख हलके से दबा कर दीपिका पादुकोण जिस गर्मागर्म रोमांस का वायदा करती हैं, उसे वह फिल्म की आखिरी से पहले तक पूरा करती हैं. दीपिका ने अपनी सेक्स अपील का रोमांस प्रदर्शन के लिए भरपूर इस्तेमाल किया है. वह गुजराती बाला के रूप में खूबसूरत लगी हैं. उन्होंने अंग प्रदर्शन करने में कोताही नहीं बरती है. बेहिचक बोल्ड संवाद बोले हैं. रणवीर सिंह रसिया राम को साकार करते हैं. लेकिन, सब कुछ मशीनी तरीके से होता है. फिल्म का अंत होते होते रणवीर और दीपिका डॉन का चोला ओढ़ लेते हैं. उस समय ऐसा लगता है कि ज़बरदस्त अभिनय, भावनाओं का टकराव और तालियाँ बटोरी संवाद सुनने को मिलेंगे. लेकिन, यहीं आकर संजयलीला भंसाली बिखर जाते है. फिल्म के आखिरी में इशक़जादे के अर्जुन कपूर और परिणीती चोपड़ा की तरह रणवीर और दीपिका का एक दूसरे को गोली मारना दर्शकों को निराश कर देता है.
संजयलीला भंसाली ने गरिमा और सिद्धार्थ के साथ मिल कर फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी है. उन्होंने उत्तेजक रोमांस के मौके तैयार किये है. बोल्ड सिचुएशन और उन्माद की परिस्थितियां हैं. बीच बीच में खून खराबा भी है. बेतहाशा तनाव भी. दर्शकों को देखते रहने के अलावा कुछ सोचने का मौका नहीं मिलता. अलबत्ता, अपने इस प्रयास में यह टीम इन दो गेंगस्टर के बीच टकराव के खतरनाक होने को उभार नहीं पाए हैं. सब बच्चों का खेल जैसा सोचा समझा लगता है. कुछ दृश्य बहुत शानदार बने हैं. मसलन, रणवीर के भाई और दीपिका के भाई के बीच गोली चला कर शराब की बोतल तोड़ने, रणवीर की विधवा भाभी का दूसरे गैंग के लोगों से बचने के लिए भागने, रणवीर सिंह का दीपिका के पास जाने के लिए नदी में छलांग लगाने के दृश्य कल्पनाशील हैं.
संजयलीला भसाली ने दीपिका पादुकोण के ग्लैमर और उनकी उत्तेजना को खूब अच्छी तरह से भुनाया है. वह उन्हें गुजराती जूलिएट तो नहीं बना पाए, लेकिन उत्तेजक अभिसारिका ज़रूर बना पाए हैं. राम और लीला का समर्पण नहीं उतर पाया है. संजय ने फिल्मसिटी में महंगे सेट खड़े कर भव्यता बनायी है. पूरा गुजराती माहौल बखूबी उतरा है.इसके लिए प्रोडक्शन डिज़ाइनर वसीक खान और costume डिज़ाइनर जोड़ी मक्सिमा बासु और अंजू मोदी बधाई के पत्र हैं, जिन्होंन भंसाली को डिज़ाइनर सब्यसाची मुखर्जी की याद तक नहीं आने दी. शाम कौशल के स्टंट ज़बरदस्त हैं. संजयलीला भंसाली ने बतौर संगीतकार फिल्म का माहौल बना दिया है. उनकी धुनें चरित्रों को उभारती है. राम-लीला में उत्तेजक रोमांस और वायलेंस हैं. इस माहौल में लाल और चटख रंग ख़ास होते हैं. एस रवि वर्मन का कैमरा इन चटख रंगों को बखूबी उभरता है. उन्होंने किसी दृश्य को दिखाते समय आसपास के माहौल को भी पकड़ा है. रणवीर की भाभी बरखा बिष्ट को दीपिका के गैंग के लोग पकड़ने के लिए दौडाते हैं. उसके सर पर पानी का कलसा है. वह जब भागती है तो वह सर से गिर कर ढलान पर भागती बरखा के तेज़ रफ़्तार कदमों के साथ कलसा भी लुढ़कता जाता है. यह दृश्य वर्मन की प्रतिभा का परिचायक है.
राम-लीला कहानी दो चरित्रों की है. पर गंग्स्टरों के टकराव पर इस फिल्म में चरित्रों की भरमार है. दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह के अलावा फिल्म में सुप्रिया पाठक, अभिमन्यु सिंह, ऋचा चड्ढा, बरखा बिष्ट, गुलशन देवैया, शरद केलकर, अंशुल त्रिवेदी, आदि जैसे सशक्त कलाकार हैं. यह सभी फिल्म को ज़बरदस्त सपोर्ट करते हैं. पर दीपिका पादुकोण एक बार फिर अपनी सेक्सी इमेज को पुख्ता करते हुए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करती है. ख़ास तौर पर उनके डॉन के रूप में परिवर्तित होने के सीक्वेंस प्रभावशाली है. वह अपनी आँखों और चहरे के हाव भाव से दर्शकों के नाता जोड़ लेती हैं. रणवीर सिंह ने अपना दर्शक वर्ग तैयार कर लिया है. वह राम को अपने तरीके से बखूबी कर ले जाते हैं. हालाँकि, लेखकों ने दीपिका का चरित्र को उभरने पर ज्यादा ध्यान दिया है. गुलशन देवैया भवानी के रूप में
प्रभावित करते हैं. लेकिन, उनका चरित्र काफी कमज़ोर लिखा गया है. वह पूरी तरह से खल चरित्र में नहीं उभरा है. बरखा बिष्ट और ऋचा चड्ढा अपने अपने रोल सहज तरीके से कर ले जाती हैं. अभिमन्यु सिंह और शरद केलकर स्वाभाविक हैं. सुप्रिया पाठक को लेडी डॉन के रूप में देखना सुखद लगता हैं. भाव सम्प्रेषण की तो वह उस्ताद हैं ही. प्रियंका चोपड़ा एक आइटम में नज़र आती हैं. वह मनोरंजक लगती हैं. अगर मनोरंजन नहीं भी करती तो चलता .
संजयलीला भंसाली ने बतौर निर्माता एक भव्य फिल्म बनायी हैं. फिल्म के चटख रंग आँखों को सुखद लगते हैं. लेकिन, जहाँ तक रोमांस की बात है, वह उभरने नहीं पाता. गोलियों की रास लीला के साथ दीपिका की रोमांस लीला साधारण काम-लीला बन जाती हैं.
Thursday 14 November 2013
दीपिका की राम लीला या प्रियंका की काम लीला !
कल से
संजयलीला भंसाली की राम-लीला देश के सभी सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी.
मंगलवार १२ नवम्बर को जब दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने जब आधा दर्जन
धार्मिक संगठनों की अपील पर राम-लीला की रिलीज़ पर रोक लगायी थी तथा भंसाली
को रामलीला टाइटल का इस्तेमाल करने से रोका था, उस समय भी ऎसी उम्मीद नहीं
थी कि फिल्म १५ नवम्बर को रिलीज़ नहीं हो पायेगी. क्योंकि, आजकल कभी अपनी
फिल्म को प्रचार देने के लिए इस प्रकार की रिट फिल्म निर्माताओं द्वारा
दायर की जाती हैं या फिर धर्म के नाम पर कुछ संगठनों द्वारा दायर की जाती
है. लेकिन, अंततः किसी न किसी न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद यह फ़िल्में
रिलीज़ भी होती रहती है. बशर्ते, ऎसी फिल्म राजनीतिक स्वरों वाली न रही
हों.
सवाल
यह नहीं कि संजयलीला भंसाली की फिल्म का नाम धार्मिक स्वर और रंगत वाला है
या नहीं. इसमे कोई शक नहीं कि रामलीला का प्रयोग हिन्दुओ के अराध्य
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की लीलाओं के मंचन के लिए उपयोग होता रहा है. देश
का बच्चा बच्चा रामलीला और इसके प्रमुख चरित्रों के बारे में जानता है.
इसलिए संजयलीला भासली भी जानते थे कि उनकी फिल्म का नाम हिन्दुओं की
भावनाओं को छुएगा. इसीलिए उन्होंने फिल्म शुरू करते समय अपनी फिल्म के
टाइटल को लेकर कहा भी था कि मेरी फिल्म के राम और लीला गुजराती हैं. उनका
ऐसा बयान देने का मतलब उस भावना को शांत करना था, जो धार्मिक ज्वार लिए हो
सकती थी. इसके बावजूद भंसाली ने कभी अपनी फिल्म का शीर्षक 'रामलीला' रखने
से गुरेज नहीं किया. फिल्मों के तमाम पोस्टरों में (देखें ऊपर का पोस्टर) इसे 'रामलीला' बताया गया,
जो कि कहीं न कहीं धार्मिक राम लीला का आभास देता था. लोअर कोर्ट ने कल १३ नवम्बर को अपने पूर्व के आदेश को इसआधार पर वापस लिया कि उन्हें नहीं मालूम था कि दिल्ली उच्च न्यायालय फिल्म पर रोक लगाने से पहले ही इनकार कर चूका है. कोर्ट को यह तथ्य भी तब संज्ञान में आये जब इरोस इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड के वकील ने उनके सामने रखे. यहाँ सोचने पर विवश होना पड़ता है कि कई देशों में धंधा चलाने वाली इरोस के विधिवेत्ताओं को यह तथ्य संज्ञान में नहीं था कि उन्होंने मंगलवार को रोक लगाने वाली याचिका की सुनवाई के समय इसे कोर्ट के संज्ञान में नहीं रखा. इससे कहीं न कहीं इस शंका का उठाना स्वाभाविक है कि यह पूरा ड्रामा इरोस इंटरनेशनल मीडिया का तो खेला हुआ नहीं था. इरोस ने कोर्ट को बरगलाया भी कि उनकी फिल्म के पोस्टरों में 'राम-लीला : गालियों की रासलीला' लिखा है न कि 'रामलीला'. जबकि, फिल्म के तमाम पोस्टर हो हल्ला और वाद दायर होने के बाद ही बदले गए.
कहा जा सकता है कि राम-लीला की कोर्ट लीला संजयलीला भंसाली द्वारा फिल्म को प्रचार देने के लिए रची गयी लीला थी. भंसाली ने अपनी फिल्म को धार्मिक रंग देने के बाद सेक्स के रंग भरने की पूरी कोशिश की गयी. राम बने रणवीर सिंह और लीला बनीं दीपिका पादुकोण के गर्मागर्म रोमांस दृश्यों को रंगीन लाल चित्रों द्वारा सुर्ख करने की भरपूर कोशिश की गयी. दीपिका और रणवीर के कामुक दृश्यों वाले फोटो से काम नहीं चला तो प्रियंका चोपड़ा की काम लीला का इस्तेमाल किया गया. उनका फिल्म में एक आधुनिक मुजरा सामने लाया गया. इसमे प्रियंका पूरे कामुक हाव भाव के साथ नाच गा रही थीं. हालाँकि, गा रही थी 'राम चाहे लीला, लीला चाहे राम', मगर दर्शकों का पूरा ध्यान प्रियंका चोपड़ा की उन्मुक्त देह की ओर ही था.
संजयलीला भंसाली के लिए खुद को संजीदा निर्देशक साबित करने के लिए राम-लीला का महत्व है. सांवरिया और गुज़ारिश की बड़ी असफलता के बाद राम-लीला उनके करियर का बड़ा दांव है. उन्होंने इस साल की सबसे सफल दो अभिनेत्रियों- दीपिका पादुकोण को बतौर नायिका तथा प्रियंका चोपड़ा को बतौर आइटम गर्ल ले रखा है. यह दोनों बॉक्स ऑफिस को काफी कुछ सम्हाल सकती हैं. लेकिन, भंसाली को ड्रामा खेलने में महारत हासिल है. हम दिल दे चुके सनम और देवदास इसका प्रमाण हैं. राम-लीला में भी गंग्स्टरों के टकराव और प्रेम का ड्रामा की परखा हुआ ड्रामा है. गुलशन देवैया और ऋचा चड्ढा जैसे सशक्त कलाकार भी हैं. अब कल ही मालूम पड़ेगा कि राम और उसकी लीला दर्शकों को कितना भाती है. वैसे यह अच्छा ही हुआ कि कोर्ट के आदेश की आड़ में बुद्धवार को फिल्म का प्रीव्यू कैंसिल कर दिया गया. हो सकता है कि यह फिल्म पर भारी पड़ता.
Wednesday 13 November 2013
'लीला' को चुनौती 'रज्जो' की 'काया' से !
nks vfHkusf=;ksa ds chp fQYe ;q) igys dHkh bruk
xekZ;k ugha Fkk A ysfdu] ckWDl vkWfQl ij flDdk tekus dh gksM+ esa] vHkh rd dSV
QkbV djrha fQYe vfHkusf=;ka ckWDl vkWfQl ij tksj vktekb’k ds ewM esa vk x;h yxrh
gSa A de ls de] nhfidk iknqdks.k vkSj daxuk jukSr ds chp ckWDl vkWfQl ij dCtk
tekus dh gksM+ dqN ,slk gh btgkj djrh yx jgh gS A bl lky ds 'kq: esa] tc nhfidk
iknqdks.k us fV~oVj ij lat;yhyk Hkalkyh ds lkFk viuh fQYe jkeyhyk dh fjyht dh
rkjh[k dk ,syku fd;k Fkk] ml le; rd nhfidk iknqdks.k vkt dh nhfidk iknqdks.k
ugha cuh Fkha A og lQy t:j Fkh] ij bruh Hkh ugha ftruh og vkt jsl 2] ;g tokuh
gS nhokuh ds lkS djksM+ dh rFkk psUuS ,Dlizsl ds nks lkS djksM+ dh fQYe cu tkus ds ckn ekuh tk jgh gSa
A nhfidk dh bl tcnZLr lQyrk ds ckotwn lat;yhyk Hkalkyh us viuh fQYe jkeyhyk dks
fjyht djrs le; lsQ xse [ksyuk T;knk ilUn fd;k gS A mUgksaus viuh fQYe jkeyhyk
dh fjyht _frd jkS’ku dh foKku Qarklh fQYe d`"k 3 dh fjyht ds 12 fnu ckn
j[kh A D;ksafd] ckjg fnuksa ckn dksbZ cf<+;k cuh fQYe Hkh viuh LVhe [kks pqdrh
gS A blfy,] 12 uoEcj rd _frd jkS’ku vkSj mudh fQYe d`"k 3 dk tknw mrkj ij
gksxk A d`"k ds ckn nwljh cM+h fQYe vkfej [kku dh fQYe /kwe 3 Fkh] tks 20
fnlEcj dks fjyht gks jgh Fkh A
,sls esa nhfidk iknqdks.k dh fQYe ds fy, jkLrk lkQ
yx jgk Fkk A ysfdu] rHkh jTtks vk x;h A jTtks vfHkus=h daaxuk jukSr dh ihfj;M
M~zkek fQYe gS A jTtks ml nkSjku ds cEcbZ dh gS] tc cksjhoyh ds xzkaV jksM ij
rok;Qsa eqtjk fd;k djrh Fkh rFkk cnyrs nkSj ds lkFk ewtjk [kRe gksrk tk jgk Fkk
A fQYe ds funsZ'kd fo'okl ikVhy us bl fQYe dh fo'oluh;rk cjdjkj j[kus ds fy, bl
bykds dk lsV ikap djksM+ :i;k [kpZ dj fQj ls cuok;k A fQYe dks ns[krs le;
n’kZdksa dks 1972 esa fjyht deky vejksgh dh fQYe ikdhtk dh ;kn rktk gks tk;sxh
A nhfidk iknqdks.k dh fQYe jkeyhyk 'ksDlfi;j ds ukVd jksfe;ks ,aM twfy;V ij
vk/kfjr gksus ds dkj.k ihfj;M fQYe gS A jkeyhyk xqtjkr dh i`"BHkwfe ij
fQYe gS A gkykafd] ;g nksuksa jksekal fQYes gS A exj] jkeyhyk vkSj jTtks ds
jksekal es QdZ gSa A jkeyhyk dk jksekal dkeqdrk dh gnsa Nwus okyk vkSj fgald gS
A tcfd] jTtks dh rok;Q jTtks vius /ka/ks ds [kRe gksrs tkus ls fujk'k vkSj mnkl
gS A blh fujk’kk esa Mwch gqbZ jTtks ,d Vhu ,t yM+ds ls jksekal djus yxrh gSa A
bl jksekal esa fgalk dh dksbZ xqatk;'k ugha gS A oSls xgjs jksekal lhu fQYe es
gSa] ij buesa jkeyhyk okyh dkeyhyk n’kZdksa dks utj ugha vk;sxh A
cgjgky] ckr jkeyhyk vkSj jTtks ds cgkus nhfidk
iknqdks.k vkSj daxuk jukSr ds chp ds Vdjko dh gks jgh Fkh A nhfidk iknqdks.k ls
Vdjkuk vklku ugha A nhfidk iknqdks.k ds dfj;j dh 'kq:vkr 'kkg:[k [kku ds lkFk
fQYe vkse 'kkafr vkse dh nksgjh Hkwfedk ls gqbZ Fkh A [kku ds lkFk gh fQYe
psUuS ,Dlizsl us nhfidk dks VkWi ij igqapk fn;k gS A ogha] daxuk jukSr us viuk
dfj;j dh 'kq:vkr egs'k HkV~V ds cSuj rys cuh fQYe xSxLVj esa 'kkbuh vkgwtk vkSj
bejku gk'keh ds lkFk dh Fkh A yEcs le; rd bejku gk’keh ds lkFk fQYesa djus ds
ckn daxuk dks QS'ku vkSj dkbV~l ls cM+s cSujksa dh fQYeksa esa vfHku; djus dk
ekSdk feyk A oal vikWu , Vkbe bu eqEcbz us daxuk ds dfj;j dks fcYdqy cny dj j[k
fn;k A fQYeks dh cM+h lQyrk ds fygkt ls daxuk juSkr vkSj nhfidk iknqdks.k dk
dksbZ eqdkcyk ugha A ij 4 uoEcj dks _frd jkS'ku vkSj fiz;adk pksiM+k ds lkFk
daxuk dh fQYe d`"k 3 dh fjyht ds ckn daxuk jukSr lcls tYnh nks lkS djksM+ dekus okyh fQYe dh vfHkus=h cu x;h A bl fQYe eas og ,d E;wVsaV ds fuxsfVo
fdjnkj esa Fkh A bl fQYe esa _frd jkS'ku ds lkFk daxuk jukSr ij ,d jskekafVd
xhr fny rw gh crk dks izeks'ku ds le; dkQh egRo fn;k x;k A fuxsfVo 'ksM okyh
Hkwfedk,a vke rkSj ij n'kZdksa dks izHkkfor djrh gS A d`'k esa dk;k ds fdjnkj esa daxuk us n'kZdksa tcnZLr bEizsl fd;k A
vc ns[kus okyh ckr ;g gksxh fd R;kSgkj ds
[kq'kuqek ekgkSy esa ckWyhoqM dh nks LVkbfy'k vfHkusf=;ka vius xekZxeZ jksekal
dh cnkSyr fdrus n'kZd cVksj ikrh gSa A oSls bl eqdkcys ls ;g rks lkfcr gks gh
tkrk gS fd ckWyhoqM dh vfHkusf=;ka Hkh vc vius dkmaVjikVZ~l dh rjg ckWDl vkWfQl
ij dCtk tekus dh gksM+ dj ldrh gSa A
Tuesday 12 November 2013
अब शुरू होगी दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा की सफ़ेद जंग !
dksbZ ,d eghuk igys ls gh] fuekZrk funsZ'kd
lat;yhyk Hkalkyh us viuh xqtjkrh jksfe;ks twfy;V xkFkk jke&yhyk ds QksVks
lk'ky lkbV~l ij tkjh djus 'kq: dj fn;s Fks A bu fp=ksa esa lq[kZ xqtjkrh ygaxk
pksyh esa nhfidk iknqdks.k csgn csgn [kwclwjr yx jgh Fkha A jke&yhyk ds
fp=ksa dh [kkfl;r ;g Fkh fd buesa ls T;knkrj esa nhfidk iknqdks.k vkSj j.kohj
flag ,d nwljs eas Mwcs gq, utj vk jgs Fks A bl 'ksDlfi;j ds miU;kl jksfe;ks ,aM
twfy;V ij bl xqtjkrh jke vkSj yhyk jksekal xkFkk esa vius uk;d j.kohj flag ls
fyiVh nhfidk iknqdks.k b'd esa ljksckj utj vk jgh Fkh A bu fp=ksa ls
jke&yhyk dksbZ /kkfeZd yhyk ugha] cfYd xqtjkr dh i`"BHkwfe ij cuh
dke&yhyk tSlh yx jgh Fkh A n'kZd mEehn ls Hkj pqds Fks fd og nhfidk iknqdks.k
dks vc yhyk ds lcls T;knk lsDlh vorkj es ns[ksaxs A fQYe esa xekZxeZ jksekal
vuqHko gksxk A dkWdVsy vkSj psUuS ,Dlizsl dh XySej xyZ nhfidk iknqdks.k dks
n'kZdksa dh bl mEehn ij Hkyk D;k ,srjkt gks ldrk Fkk fd og [kqn dks lsDlh xyZ
lkfcr djus tk jgh Fkha vkSj n'kZdksa dks muds dkj.k fdlh fQYe ls mEehnsa Fkha A
nhfidk iknqdks.k dh [kqf'k;ka vHkh ijoku Hkh ugha
p<+ha Fkha fd lat;yhyk Hkalkyh us fiz;adk pksiM+k dk Hkh ,d fp= tkjh dj fn;k A bl fp= esa Mkalj cuh fiz;adk pksiM+k
lQsn ifj/kku esa tka?k rd dVh lkM+h eas lsDl dh nsoh yx jgh Fkh A muds iSjksa
ds Hkkjh iktsc mudh lsDl vihy esa btkQk dj jgs Fks A bl fp= esa fiz;adk dh
vka[ksa cUn Fkh] mudk cka;k gkFk gksBksa dks Nw jgk Fkk vkSj nka;k m?kM+h tka/k
ij j[kk gqvk Fkk A og vius lktu dh ;kn esa [kksbZ vkSj fojg esa Mwch fcgkjh dh
ukf;dk tSlh yx jgh Fkh A bl fp= dks ns[krs gh n'kZdksa ds fnyks esa tcnZLr
mRrstuk iSnk gks x;h A og fiz;adk pksiM+k ds jke yhyk ds vc rd ds tkjh fp=ksa
dks Hkwy x;s A ;g fp= Fkk fiz;adk pksiM+k ds fQYe es ,d vkbZVe jke pkgs yhyk dk
A bl xhr esa fiz;adk jke ds izfr yhyk dh Hkkoukvks dk gh btgkj dj jgh Fkh A
ysfdu] bruh mRrstuk dh mEehn fdlh dks Hkh ugha Fkh A gkykafd] dqN fVIif.k;ka ;g
Hkh Fkha fd D;k fiz;adk pksiM+k vc vkbZVe xyZ curh tk jgh gSa A ysfdu] ;g
fVIif.k;ka nhfidk dks lkaRouk nsus ds fy, dh x;ha T;knk yx jgh Fkh A D;ksafd]
bl fp= dh fiz;adk us nhfidk dks iwjh rjg ls ekr ns nh Fkh A njvly] dqN le; igys
nhfidk iknqdks.k dk lQsn ifj/kku es blh izdkj dh mRrstuk ls Hkjk fp= tkjh fd;k
x;k Fkk A og fp= n'kZdksa esa vkt tSlh mRrstuk ugha QSyk ldk Fkk A tks
lsalqvlusl fiz;adk ds fp= esa Fkh] og nhfidk ds fp= ls unkjn Fkh A
,sls esa nhfidk iknqdks.k ds fny esa lkai yksVuk
LoHkkfod Fkk A bl fp= us rks vkx esa ?kh dk dke fd;k Fkk A gkyakfd] ;g nksuksa
vfHkusf=;ka vkil esa vPNh nksLr gSa A ikfVZ;ksa esa cM+h xeZtks'kh ls feyrh]
xys yxrh vkSj f[kyf[kykrh feyrh gSa A ij fiz;adk pksiM+k dk jke yhyk dk ;g
lsDlh vorkj] LoHkkfod gS fd nhfidk dks ukxokj xqtjsxk A D;ksafd] ;g nksuksa
vfHkusf=;ka ckWyhoqM dh lsDl ceksa eas 'kqekj dh tkrh gS A bl bdykSrs xhr us
nhfidk dh esgur esa ikuh Qsj fn;k A jke yhyk dh lsDlh yhyk dk mUgsa feyk f[krkc
fiz;dk us ;dk;d Nhu fy;k Fkk A ij fiz;adk ls Mkg j[kus dh vis{kk nhfidk
iknqdks.k ds fy, [kq'k gksuk T;knk t:jh gS A D;ksafd] jke yhyk dh ukf;dk og gS
A fiz;adk rks dsoy ,d vkbZVe esa gS A vxj ;g vkbZVe fQYe fgV dj ldsxk rks bldk
Qk;nk nhfidk dks gh gksxk A og jsl 2] ;g tokuh gS nhokuh vkSj psUuS ,Dlizsl ds
ckn bl lky dh pkSFkh cM+h fgV fQYe dh ukf;dk dgyk;saxh A ysfdu] fQygky] ;g
jkmaM rks fiz;adk pksiM+k us thr fy;k gS A
Subscribe to:
Posts (Atom)