Saturday 8 November 2014

बेस्ट एनिमेटेड फीचर की श्रेणी में बीस फ़िल्में

ऑस्कर २०१४ की बेस्ट एनिमेटेड फीचर फिल्म की श्रेणी की पांच फिल्मों के नामांकन के लिए बीस एनीमेशन फिल्मों ने अपनी दावेदारी ठोंक दी है।आम तौर पर किसी श्रेणी में फिल्मों के नामांकन के लिए कम से कम  १६ फिल्मों की प्रविष्टियाँ ज़रूरी हैं।  लगातार चार सालों से ऑस्कर्स की इस श्रेणी के लिए ज़रूरी फिल्मों का कोटा पूरा हो गया है। ऑस्कर अवार्ड्स में बेस्ट एनिमेटेड फीचर की श्रेणी २००१ में शामिल की गयी थी।  पहले दस सालों में २००२ से २००९ के बीच केवल दो बार ही पांच फ़िल्में इस श्रेणी में नामित हो पायीं थीं, बाकी आठ सालों में केवल ३-३ नामांकन ही हो पाये थे।  इस साल नामांकन के लिए प्राप्त २० फिल्मों में डिज्नी की 'बिग हीरो ६', ड्रीम वर्क्स एनीमेशन की 'हाउ टू ट्रेन योर ड्रैगन २', वार्नर ब्रदर्स  की 'द  लेगो मूवी' लइका की द  बॉक्सट्रॉल्स' और फॉक्स की द  बुक ऑफ़ द  लाइफ' उल्लेखनीय हैं। दो बहु चर्चित विदेशी फ़िल्में आयरिश भाषा की 'सांग ऑफ़ द  सी' और जापानी फिल्म 'द टेल ऑफ़ द  प्रिंसेस कागुया' भी बीस प्रविष्टियों में हैं।  इस बार ख़ास बात यह हुई है कि  पिछले १३ सालों में ७ बार पुरस्कार जीतने वाले स्टुडिओ पिक्सर की कोई भी फिल्म नामांकन के लिए दौड़ में नहीं है। इस  प्रकार से बेस्ट एनिमेटेड फीचर की श्रेणी में बिग हीरो ६, द बुक ऑफ़ लाइफ, द  बॉक्सट्रॉल्स, चीटिंग, गिओवन्निज आइलैंड, हेनरी एंड मी , द  हीरो ऑफ़ कलर सिटी,   हाउ टू  ट्रैन योर ड्रैगन, जैक एंड द  कुकु-क्लॉक हार्ट, लेजेंड्स ऑफ़ ओज- डोरोथीज रिटर्न , द  लेगो  मूवी, मीनुसूले- वैली ऑफ़ द  लॉस्ट अंट्स , मिस्टर पीबॉय एंड शेर्मन, पेंगुइन्स ऑफ़ मेडागास्कर, द  पायरेट फेयरी, प्लान्स: फायर एंड रेस्क्यू, रिओ २, रॉक्स इन माय पॉकेट्स, सांग ऑफ़ द  सी, द  टेल ऑफ़ द  प्रिंसेस कागुया फ़िल्में शामिल की गयी हैं।   बेस्ट एनिमेटेड फीचर की श्रेणी में नामित फिल्मों के नाम अगले साल १५ जनवरी को घोषित किये जायेंगे।  ८७ वें अकादमी अवार्ड्स रविवार २२ फरवरी को दिए जायेंगे।  
                                                                                                            अल्पना कांडपाल

माइकल फॉस्बेंडर बनेंगे स्टीव जॉब्स !

भारत में स्लमडॉग मिलियनेयर फिल्म से मशहूर निर्देशक डैनी  बॉयल के सितारे इधर कुछ अच्छे नहीं चल रहे।  उन्होंने काफी पहले एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स पर फिल्म बनाने की घोषणा की थी।  सबसे पहले अभिनेता लिओनार्डो डीकेप्रिओ को स्टीव जॉब्स के रोल के लिए लगभग फाइनल कर लिया गया था। उन्होंने इस भूमिका पर काम करना भी शुरू कर दिया था।  लेकिन, एक दिन यकायक उन्होंने खुद ही फिल्म छोड़ने का ऐलान कर दिया।  फिर लेखक आरोन सल्किन की इस फिल्म में क्रिस्चियन बेल को लिए जाने की खबर  सुर्ख हुई। फिल्म में एप्पल के दूसरे को-फाउंडर स्टीव वोज़नियक की भूमिका के लिए सेठ रोगन को ले लिया गया था।  अब खुद आरोन सल्किन ने यह ऐलान कर  दिया है कि  स्टीव जॉब्स की भूमिका क्रिस्चियन बेल नहीं कर रहे।  वह 'बहुत सोच विचार और विरोधी विचारों' के कारण फिल्म से बाहर हो गए हैं।  यह विरोधी विचार क्या थे, साफ़ नहीं किया गया है।  क्रिस्चियन भी ऐसे समय में बाहर हुए, जब ऐसा लग रहा था कि  फिल्म फ्लोर पर जाने ही वाली है।  अब मालूम हुआ है कि  स्टीव जॉब्स के रोल के लिए लिए डैनी बॉयल के जेहन में माइकल फॉस्बेंडर  का नाम पहले से ही चल रहा था।  ऐसे में जब कि  क्रिस्चियन बेल फिल्म से बाहर हो चुके हैं माइकल फॉस्बेंडर  के लिए रास्ता साफ़ लगता है। हालाँकि, फिल्म के लिए माइकल का नाम शुरूआती दौर में ही है, लेकिन, स्टीव जॉब्स से मिलती शक्ल और अपनी अभिनय क्षमता के चलते वह अंतिम चुनाव साबित हो सकते हैं। स्टीव जॉब्स पर फिल्म की कहानी उनके जीवन और एप्पल की स्थापना की तीन महत्वपूर्ण घटनाओं मैक की लॉन्चिंग, कंपनी से हटाये जाने के बाद स्टीव का नेक्स्ट (NeXT)  स्थापना और iPod की लॉन्चिंग में बंटी हुई है।  हर  घटना को तीस तीस मिनट की कहानी में पिरोया गया है।            

                                                                                                                अल्पना कांडपाल

किल/दिल ने रोक बाजीराव मस्तानी को !

संजयलीला भंसाली की फिल्म बाजीराव मस्तानी की शूटिंग फिलहाल रुक गयी है। फिल्म की शूटिंग रुकने का जिम्मेदार रणवीर सिंह होते हुए भी नहीं  हैं. उन्होंने, अपनी बाजीराव की भूमिका के लिए अपने लम्बे बालों की बलि  पहले ही चढ़ा दी थी।  बाजीराव,  फिल्म बाजीराव मस्तानी का मुख्य किरदार है।  इसलिए बाजीराव मस्तानी की शूटिंग बिना रणवीर सिंह के हो ही नहीं सकती थी।  परन्तु, रणवीर सिंह फिर से चोटिल नहीं हो गए हैं।  वह स्वस्थ एवं प्रसन्न प्रचार में जुटे हुए हैं।  रणवीर सिंह की अली ज़फर के साथ मुख्य भूमिका वाली फिल्म किल/दिल को रिलीज़ होने में सिर्फ दो हफ्ते बचे हैं।  रणवीर सिंह इस फिल्म के प्रचार में बिलकुल समय नहीं दे पाये हैं।  यह फिल्म यशराज फिल्म्स  जैसे बड़े बैनर की फिल्म है। रणवीर सिंह और खुद बाजीराव मस्तानी के निर्माता संजय लीला भंसाली भी  इस बैनर की उपेक्षा नहीं कर सकते थे।  इसलिए, रणवीर सिंह को किल/दिल के प्रचार के लिए बाजीराव के करैक्टर से छुट्टी लेनी  पड़ी और वह किल/दिल के प्रचार में जुट गए।  ऐसे  में,  जब बाजीराव  मस्तानी का बाजीराव नदारद था तो मस्तानी कैसे मस्त हो सकती थी।  इसलिए फिल्मसिटी में चल रही बाजीराव मस्तानी की शूटिंग रोक दी गयी।  

अर्जुन रामपाल के साथ सोनी राजदान का 'लव अफेयर' !


अब यह तय हो गया है कि अर्जुन रामपाल 'लव अफेयर' करेंगे।  अर्जुन रामपाल का यह रील लाइफ लव अफेयर निर्माता पूजा भट्ट की सोनी राज़दान निर्देशित फिल्म लव अफेयर में होगा ।  लव अफेयर १९५९  में मुंबई में हुए सनसनीखेज नानावती कांड पर आधारित है।  हालाँकि, पूजा भट्ट अपनी फिल्म को नानावती कांड पर फिल्म नहीं कहती।  वह इसे एक औरत के विवाहेत्तर संबंधों पर फिल्म बताती हैं, जिसमे आपराधिक मोड़ आ जाता है। लेकिन, पति, पत्नी और पत्नी के वह की यह कहानी पूरी तरह से नानावती कांड जैसी ही है।  १९५९ में पूरे देश में इस खबर के कारण सनसनी फ़ैल  गयी थी कि नेवी के कमांडर कवास मानेकशॉ नानावती ने अपनी पत्नी के प्रेमी और बिज़नेस मैन  प्रेम आहूजा की अपने सर्विस रिवाल्वर से गोली दाग कर हत्या कर के पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था।  इस केस को  आज के मशहूर वकील राम जेठमलानी ने लड़ा था।  पूजा भट्ट की फिल्म लव की कहानी में यह समानता है। ध्यान रहे कि  फिल्म निर्माता निर्देशक स्वर्गीय सुनील दत्त ने इसी हत्याकांड से प्रेरित होकर फिल्म  यह रास्ते हैं प्यार के का निर्माण किया था।  इस फिल्म में नानावती का किरदार खुद सुनील दत्त ने किया था।  उनकी स्क्रीन वाइफ लीला नायडू बनी थीं। नायडू के प्रेमी रहमान बने थे।  मोतीलाल सरकारी वकील बने थे और बचाव पक्ष  के वकील अशोक कुमार बने थे।  इतने बड़े कलाकारों के बावजूद यह रास्ते हैं प्यार के बॉक्स ऑफिस पर असफल रही थी।  अब पूजा भट्ट ऐसा दूसरा प्रयास कर रही हैं तो सुनील दत्त का रोल करने के लिए अर्जुन रामपाल शामिल किये गए हैं।  कल्कि कोएच्लिन लीला नायडू की  सैंडल पहनेंगी।  गुलशन देवैया रहमान वाले रोल में होंगे।  रील लाइफ राम जेठमलानी अभिनेता चन्दन रॉय सान्याल बने हैं।

Tuesday 4 November 2014

बॉक्स ऑफिस को किस रंग में रंगेंगे शौक़ीनस



क्या बॉलीवुड को बॉक्स ऑफिस पर धमाके के लिए दिसंबर का इंतज़ार करना होगा, जब आमिर खान की फिल्म 'पीके ' और अजय देवगन की फिल्म 'एक्शन जैक्सन' रिलीज़ होगी! बॉक्स ऑफिस पर धमाके के लिहाज़ से तो ऐसे ही लगता है।  लेकिन, नवंबर में कुछ ऎसी फ़िल्में हैं, जो गुनगुनी सर्दी में मस्त दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच ला सकती है।  ऎसी ही एक फिल्म निर्माता अक्षय कुमार की तीन शौक़ीन बुड्ढों की एक जवान लड़की से एक तरफा रोमांस की फिल्म 'द  शौक़ीनस' दर्शकों को आकर्षित कर सकती है।  यह फिल्म १९८० में रिलीज़ हृषिकेश मुख़र्जी की फिल्म शौक़ीन का रीमेक है।  निर्देशक अभिषेक शर्मा की फिल्म द  शौक़ीनस अक्षय कुमार के कारण दर्शकों को उतना आकर्षित नहीं करेगी, जितने अपनी चतुर कॉमेडी और तीन शौक़ीन बुड्ढों अन्नू कपूर, पियूष शर्मा और अनुपम खेर के बीच की केमिस्ट्री और उनके स्वाभाविक अभिनय के कारण।  क्योंकि, फिल्म में अक्षय कुमार की भूमिका ग्लोरिफ़िएड एक्स्ट्रा या एक्सटेंडेड गेस्ट रोल जैसी है।
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फिल्म में लिसा हेडन पहली बार केंद्रित भूमिका कर रही हैं।  इस फिल्म में उन्होंने ज़बरदस्त उत्तेजक अंग प्रदर्शन किया है।  उन पर फिल्माया गया एक आइटम नंबर काफी देखा जा रहा है।  इसी शुक्रवार रिलीज़ होने जा रही द  शौक़ीनस के साथ केतन  मेहता की सोशल ड्रामा फिल्म रंग रसिया/कलर्स ऑफ़ पैशन रिलीज़ हो रही है।  मशहूर पेंटर राजा रवि वर्मा के जीवन पर  फिल्म रंग रसिया पिछले पांच सालों से धक्के खा रही है।  इसके राजा रवि वर्मा बने रणदीप हुडा और उनकी प्रेमिका सुगंधा बनी  नंदना सेन के बीच के गरमा गर्म रोमांस के दृश्य लम्बे समय से चर्चित हो रहे है।  नंदना सेन के नग्न दृश्यों को भी भुनाया जा रहा है।  इसलिए कोई शक नहीं अगर ७ नवंबर को रिलीज़ हो रही रही चार फिल्मों अ डेसेंट  अरेंजमेंट और  चार साहिबजादे के साथ रेस में यह दो फ़िल्में बहुत बहुत आगे निकल जाएँ।

जब सदाशिव अमरापुरकर को पड़ी गालियां!

१८ नवंबर १९८३।  लखनऊ का कैपिटल सिनेमा।  इस सिनेमाहॉल में गोविन्द निहलानी की फिल्म अर्द्धसत्य रिलीज़ हो रही थी।  उस समय तक आक्रोश और विजेता फिल्म से गोविन्द निहलानी चर्चित निर्देशक बन चुके थे।  आक्रोश के भीकू लहन्या के कारण ओम पूरी का  गहरे चेचक के दंगों  से भरा चेहरा दर्शकों के दिमाग पर असर कर चुका  था।  अर्द्ध सत्य में ओम पूरी पुलिस अधिकारी अनंत वेलणेकर  का किरदार कर रहे थे।  फिल्म शुरू हुई।  दर्शक घटनाक्रम में उलझता चला गया।  फिल्म के अंत में अनंत नेता का गला घोट कर मार देता है।  पूरा सिनेमाघर दर्शकों की जोशीली तालियों से गूँज रहा था।  यह तमाम तालियां अनंत वेलणेकर  यानि ओम पुरी  की जीत के लिए थीं।  लेकिन, दर्शकों के दिमाग में रामा शेट्टी घूम रहा था।  रामा शेट्टी, जो भ्रष्ट नेता था।  वह अनंत वेलणकर का हर तरह से शोषण करता है।  लेकिन, जब वह उसके ज़मीर को ललकारता है तो अनंत उसे मार देता है।  दर्शक पूरी फिल्म में रामा शेट्टी की भृकुटियों, उसके माथे की सलवटों और कुटिल संवाद अदायगी से उबाल रहा था। इसी लिए जब लखनऊ का पहले शो का दर्शक सिनेमाघर से बाहर निकला, तब जुबां पर अनंत वेलणेकर  से ज़्यादा रामा शेट्टी का नाम था। बाहर निकालता दर्शक रामा शेट्टी को गंदी गालियां बक रहा था। इस रामा शेट्टी को इस क़दर क़दर दर्शकों के जेहन पर बैठाने का काम  किया था मराठी थिएटर और फिल्मों के अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर ने।  इसके बाद , लखनऊ के फिल्म प्रेमियों ने सदाशिव अमरापुरकर की बुरे और सुहृदय चरित्र वाली फ़िल्में केवल उनके कारण ही देखी थी।  हुकूमत और  इश्क़ की सफलता इसका प्रमाण है। 

११ मई १९५० को जन्मे गणेश कुमार नर्वोडे, जब २४ साल बाद सदाशिव नाम से रंगमंच पर उतरे थे, उस समय शायद ही किसी को एहसास रहा होगा कि यह गहरे रंग वाला अहमदनगर में पैदा हुआ व्यक्ति एक दिन बॉलीवुड को एक नयी विधा देगा। अर्द्धसत्य के रामा शेट्टी के ज़रिये ही बॉलीवुड के दर्शकों का परिचय सदाशिव अमरापुरकर से हुआ ।  इस फिल्म में सदाशिव की संवाद अदायगी का  ख़ास चुभता लहज़ा और माथे में पड़ती सलवटें हिंदी फिल्मों के खलनायक की नहीं परिभाषा गढ़ रही थी । अर्द्ध सत्य के हिट होते ही सदाशिव अमरापुरकर के रूप में हिंदी  फिल्मों को भिन्न शैली में संवाद बोलने वाला विलेन  और चरित्र अभिनेता मिल गया । इस फिल्म के लिए सदाशिव अमरापुरकर को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला ।  इस फिल्म के बाद उन्हें जवानी, आर पार, तेरी मेहरबानियाँ, खामोश, आखिरी रास्ता, मुद्दत और हुकूमत जैसी बड़ी फ़िल्में मिल गयीं ।  हालाँकि,  इन फिल्मों में ज़्यादातर में उन्हें नेगेटिव रोल ही मिले ।  हुकूमत के वह मुख्य विलेन  थे ।  सदाशिव अमरापुरकर अपने करियर के शीर्ष पर पहुंचे महेश भट्ट की फिल्म सड़क से ।  इस फिल्म में उन्होने औरत के वेश में रहने वाले खल नायक महारानी का किरदार किया था ।  इस फिल्म के लिए सदाशिव अमरापुरकर को पहली बार स्थापित फिल्मफेयर का श्रेष्ठ खल अभिनेता का पुरस्कार मिला ।  नब्बे के दशक के मध्य में सदाशिव अमरापुरकर के करियर को कॉमेडी मोड़ मिला । उन्होंने डेविड धवन की फिल्म आँखें में इंस्पेक्टर प्यारे मोहन का कॉमिक किरदार किया था । सदाशिव अमरापुरकर  और कादर  खान ने एक साथ दिल लगा के देखों, हम हैं कमाल के, ऑंखें, आग, द  डॉन, कुली नंबर १, याराना, छोटे सरकार,मेरे दो अनमोल रतन, आंटी नंबर  १,बस्ती, परवाना, खुल्लम खुल्ला प्यार करें , कोई मेरे दिल में है, झाँसी की रानी, हम हैं धमाल के और दीवाने  तथा  गोविंदा के साथ आँखें, आंटी नंबर १, कुली नंबर १, दो आँखें बारह हाथ, राजा भैया को भी अच्छी सफलता मिली ।  इन कॉमेडी फिल्मों के बीच सदाशिव अमरापुरकर ने एक बार भी खल नायिकी के हुनर दिखाए फिल्म इश्क़ में ।  वह इस फिल्म में अजय देवगन के अमीर पिता बने थे। सदाशिव अमरापुरकर ने अपने पूरे फिल्म करियर में दो सौ से ज़्यादा फिल्मों में भिन्न किरदार किये ।  उन्हें हमेशा यह मलाल रहा कि  हिंदी फिल्म निर्माताओं ने उन्हें टाइप्ड भूमिकाएं ही दी ।   इसीलिए उन्होंने धीरे धीरे कर हिंदी फिल्मों में अभिनय करना कम कर दिया ।  उनकी आखिरी फिल्म बॉम्बे टॉकीज  २०१३ में रिलीज़ हुई थी ।  सदाशिव अमरापुरकर के दौर में कादर  खान, परेश रावल, अनुपम खेर, आदि जैसे  मज़बूत चरित्र अभिनेता थे ।  उन्होंने इन सशक्त हस्ताक्षरों के बीच अपने ख़ास अंदाज़ में  अपनी ख़ास जगह बनायी । इससे साबित होता है कि अमरापुरकर हिंदी फिल्मों के हरफनमौला सदाशिव थे।   







Monday 3 November 2014

रसूख वाला बॉय फ्रेंड ज़रूरी है- श्रेया नारायण

यों  तो श्रेया नारायण का प्रोफाइल काफी भरा पूरा है।  उनके खाते में नॉक आउट, कुछ करिये, राजनीति, तनु वेड्स मनु, सम्राट एंड क., साहब बीवी और गैंगस्टर, रॉक ऑन,  आदि फ़िल्में दर्ज हैं।  रेखा के साथ इंद्र कुमार की फिल्म सुपर नानी  पिछले शुक्रवार रिलीज़ हुई है।  इस फिल्म में वह रेखा की बहु के किरदार में हैं, जो फिल्म अभिनेत्री बना चाहती हैं।  पेश है उनसे हुई बातचीत -
१- सुपर नानी रिलीज़ हो चुकी है।  कैसा लग रहा है ?
मेरे पेट में मरोड़ जैसी उठ रही थी।  मैं लम्बे समय बाद काम पर लौटी थी।  मैं अपनी माँ की बीमारी के कारण  कोई दो साल तक फिल्म नहीं कर पायी।  वह इस फिल्म को देखना चाहती थीं, लेकिन, जब तक फिल्म पूरी होती उनकी डेथ हो गयी।
२- रेखा और रणधीर कपूर जैसे वरिष्ठ कलाकारों के साथ फिल्म का अनुभव कैसा रहा ? कोई तनाव ?
हाँ, होता है।  आप इतने वरिष्ठ कलाकारों की वरिष्ठता और सम्मान के प्रति सतर्क रहते हो।   लेकिन,  आपको अपना ख्याल भी रखना होता है।  कभी इतने वरिष्ठों के साथ काम बेहतर हो जाता है।  कभी सामान्य से कम भी।  यह डायरेक्टर पर निर्भर करता है कि  वह बैलेंस कैसे बनाता है।
३- अन्य फिल्मों के चरित्रों के मुकाबले सुपर नानी में आपका किरदार कैसा है ?
मैंने वायआरएफ की सीरीज पाउडर में एक पुलिस की मुखबिर धंधे वाली का किरदार किया था।  मैं साहब बीवी और गैंगस्टर में महुआ रखैल का किरदार कर रही थी।  रॉकस्टार में मेरा कैमिया था। मैंने ज़्यादातर फिल्मों में सेक्सी और ग्लैमरस रोल किये हैं। पर इन सब से अलग है मेरा सुपर नानी का किरदार।  यह पूरी तरह से हास्य से भरपूर है।
४- रॉकस्टार की छोटी भूमिका करने का क्या नजरिया था ?
मुझे लोग आज भी उस रोल के लिए याद रखते हैं।  यह दिमाग को झिंझोड़ देने वाली भूमिका थी।  मैंने इसमे अपनी अभिनय शक्ति दिखायी थी।  मैं समझती हूँ कि  विश्व के किसी भी सिनेमा में छोटे मगर प्रभावशाली रोल का महत्व होता है।
५- बतौर एक्टर और बतौर सामान्य स्त्री आपकी चाहत क्या है ?
मैं चुनौतीपूर्ण भूमिका करना चाहती हूँ, जो पिछली भूमिका से भिन्न हो । हर रोल में भिन्नता होनी चाहिए।  नहीं तो सब बोरिंग हो जाता है।  वैसे मैं एक प्यारी सी पारिवारिक ज़िन्दगी चाहती हूँ।  मैं अपने सपने पूरे करना चाहती हूँ।  मेरा हमेशा कोई लक्ष्य होता है, और मैं उसी के अनुसार काम करती हूँ।  इससे ज़िंदगी सकारात्मक हो जाती है।
६- आपकी राजनीतिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि है।  क्या आप कभी राजनीति  में जाना चाहेंगी ?
हाँ बिलकुल।  मैं मैनेज कर पाने में सक्षम हूँ।  मैं दबाव झेल सकती हूँ।  मैं ख़राब से खराब  परिस्थितियों में भी संयम नहीं खोती।  मैंने अपनी माँ के कैंसर के दिनों में मृत्य की चुनौती झेली है।
७- बॉलीवुड में नए चेहरों की भरमार हो रही है।  आप इन्हे क्या सलाह देना चाहेंगी ?
अगर आप इंडस्ट्री से नहीं हैं तो मिस इंडिया बनिए।  ऑडिशन में समय बर्बाद मत कीजिये।  किसी स्टार को या ताकतवर रसूखवाले पुरुष  को मित्र बनाइये।  अगर यह नहीं है तो आप समय बर्बाद करते हैं।  अगर आपमे प्रतिभा नहीं भी है  घबराइये नहीं।  अच्छा चेहरा मोहरा, कनेक्शन और कम कपडे आपके काफी काम आएंगे।
८- आपको कौन या क्या प्रेरणा देता है ?
 न्याय के लिए संघर्ष मुझे प्रेरित करता है।  सादगी और दयालुता सबसे बड़े इंस्पिरेशन है।  ऐसे सामान्य लोग, जो अपनी कमियों के बावजूद दूसरों के लिए करने को तैयार रहते हैं, मेरे प्रेरक हैं।  मुझे मेरे दोस्त और परिवार प्रेरणा देता है।  मैं किसी से भी प्रेरणा ले सकती हूँ, अगर मेरी ज़िंदगी के लिए सार्थक हो, मेरे बौद्धिक लक्ष्य को पाने में सहायक हो।
राजेंद्र कांडपाल