अपने प्रशंसकों के
बीच बिग फ्रेंडली जायंट के उपनाम से मशहूर इतालवी एक्टर बड स्पेंसर का ८६ साल की
उम्र में निधन हो गया । कार्लो पेड़ेर्सोली का जन्म इटली के शहर नैप्लस में ३१
अक्टूबर १९२९ को हुआ था । वह पेशेवर तैराक थे । वह पहले इटालियन थे, जिसने १००
मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी में एक मिनट से भी कम का समय निकाला । उन्होंने १९५२ की
ग्रीष्मकालीन ओलंपिक्स में भी हिस्सा लिया । उन्होंने अपने फिल्म करियर की शुरुआत
इतालियन कॉमेडी फिल्मों से की थी । हन्निबल (१९५९) के सेट पर वह टेरेंस हिल से
मिले । इस फिल्म के बाद बड स्पेसर और टेरेंस हिल की जोड़ी की कॉमेडी एक्शन फिल्मों
ने दुनिया भर में धूम मचा दी । इस जोड़ी ने कोई २० फ़िल्में एक साथ की । इनमे एस
हाई, दे कॉल मी ट्रिनिटी, ट्रिनिटी इज स्टिल माय नेम, आल द वे, बॉयज, टू मिशनरीज, वाच
आउट, वी आर मैड, आई एम् फॉर द हिप्पोपोटामस, डबल ट्रबल, मिआमि सुपरकॉप्स, आदि
उल्लेखनीय हैं । इन फिल्मों के अलावा बड स्पेंसर की द फाइव मैन आर्मी, द फिफ्थ डे
ऑफ़ पीस, इट कैन बी डन अमीगो, फ्लैटफूट, दे कॉल हिम बुलडोज़र, द शेरिफ एंड द सॅटॅलाइट
किड, बनाना जो, बॉम्बर और सुपरफैंटाजिनियो जैसी फ़िल्में भी उल्लेखनीय हैं । बड
स्पेंसर ने अपनी कुछ फिल्मों की स्क्रिप्ट पूरी या आधी अधूरी लिखी भी थी । १९८६
में रिलीज़ सुपरफैंटाजिनियो फिल्म में उन्होंने जिन्न की भूमिका की थी । इस फिल्म
के बाद बड स्पेंसर टीवी सीरीज में व्यस्त हो गए । २००५ में उन्होंने इटली की
राजनीती में पैर जमाने की असफल कोशिश भी की । अपनी कॉमेडी एक्शन फिल्मों से
दर्शकों को हंसा हंसा कर लोटपोट करने वाले बड स्पेंसर को बिग फ्रेंडली जायंट का
उपनाम सबसे उपयुक्त था । उल्लेखनीय है कि स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म द बिग फ्रेंडली
जायंट १ जुलाई से पूरे विश्व में रिलीज़ हो रही है ।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday 28 June 2016
Sunday 26 June 2016
द गर्ल विद आल द गिफ्ट्स
हॉलीवुड में ज़ोंबी
मूवीज एक सफल जोनर है । हर साल कोई न कोई ज़ोंबी फिल्म बड़े सितारों के साथ एक्शन,
सस्पेंस, कॉमेडी या हॉरर शैली में रिलीज़ होती रहती है । इस
साल रिलीज़ हो रही फिल्म द गर्ल विद आल द गिफ्ट्स ज़ोंबी मूवीज के ढेर में एक लिहाज़
से काफी अलग है । यह ज़ोंबी में प्रकृति द्वारा मानव में परिवर्तन और खोज का सन्देश
देती है । क्योंकि, हम उसके लिहाज़ से
उपयुक्त नहीं हैं । डायरेक्टर कॉम मकार्थी के लिए माइक कैरी ने अपने उपन्यास का
स्क्रीन रूपांतरण किया है । पिछले दिनों इस फिल्म का ट्रेलर ऑन लाइन हुआ । यकीन
मानिए यह ट्रेलर कमज़ोर दिलों के लिए बना ही नहीं है । यह कहानी एक नन्ही बालिका
ज़ोंबी की है, जो हंग्री-ह्यूमन
हाइब्रिड है । इस भूमिका को नया चेहरा सेंनिया नानुआ ने किया है । जेमा आर्टरटन,
ग्लेन क्लोज और पैडी कांसिदिने की भूमिकाएं
भी ख़ास है । यह फिल्म ९ सितम्बर को रिलीज़ होगी ।
फिर क्वीन विक्टोरिया के किरदार में जुडी डेंच
हॉलीवुड फिल्म
अभिनेत्री जुडी डेंच एक बार फिर क्वीन विक्टोरिया के किरदार में नज़र आयेंगी । जुडी डेंच ने १९९७ में रिलीज़ मिसेज ब्राउन में पहली
बार क्वीन विक्टोरिया का किरदार किया था । इस फिल्म के लिए वह ऑस्कर के लिए नामित
हुई तथा उन्होंने बाफ्टा अवार्ड और गोल्डन ग्लोब अवार्ड जीता । गोल्डन ऑय फिल्म से जेम्स बांड फिल्मों की बांड
की बॉस एम का किरदार करने वाली जुडी ने दो साल बाद यानि १९९८ में रिलीज़ जॉन मैडेन
की फिल्म शेक्सपियर इन लव में क्वीन एलिज़ाबेथ प्रथम की भूमिका के लिए सह अभिनेत्री
का ऑस्कर अवार्ड जीता । इस फिल्म के लिए उन्हें बाफ्टा अवार्ड भी मिला । अब वह
स्टीफेन फ्रेअर्स की फिल्म विक्टोरिया एंड अब्दुल में क्वीन विक्टोरिया का किरदार
कर रही हैं । इस फिल्म की कहानी ली हॉल ने लिखी है । फिल्म एक क्लर्क अब्दुल करीम
की कहानी है, जो १८८७ में क्वीन की स्वर्ण जयंती मनाने के जश्न की तैयारी के लिए
भारत का दौरा करता है । इसी दौरे में वह रानी के प्यार में बांध जाता है । रानी को
शाही परम्पराओं का निर्वाह भी करना है । वह अब्दुल के साथ अपनी दोस्ती में नई
ज़िन्दगी देखती है । इस फिल्म की शूटिंग इस साल शुरू हो जायेगी तथा फिल्म २०१७ में
रिलीज़ होगी । जुडी ने दो बार क्वीन का किरदार किया है तथा दोनों ही बार उन्हें
बाफ्टा और ऑस्कर अवार्ड्स मिले हैं । क्या क्वीन एंड अब्दुल के लिए भी वह कोई
पुरस्कार जीत सकेंगी ? जुडी इस साल ३० सितम्बर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म मिस
पेरेग्रींस होम फॉर पिक्युलियर चिल्ड्रेन में मिस अवोसेट के किरदार मे दिखाई देंगी ।
Thursday 23 June 2016
दो बार बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड जीतने वाली सयानी गुप्ता
'लीचेस' में अपने अभिनय के लिए वाह-वाही लूटने वाली सयानी गुप्ता एक बार फिर अपने रंग में दिखायी पड़ रही हैं।इस बार इस ज़बरदस्त अदाकारा ने 'बैंगलौर इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल' में अपनी शॉर्ट फ़िल्म 'माला' के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड जीता है।फ़िल्म का प्रीमियर इस साल 'मामी मुम्बई फ़िल्म फेस्टिवल' में भी किया जाएगा।यह फ़िल्म 'कान्स 2016' के फेस्टिवल में भी पहुँच चुकी है और इसे निर्देशित किया है कौशिक रॉय ने।कौशिक रॉय पिछले तीन दशकों से विज्ञापन जगत का एक जाना पहचाना नाम हैं।जे.डब्लू.टी.से शुरुआत करने वाले कौशिक, डीडीबी मुद्रा में चीफ क्रिएटिव ऑफिसर भी रहे हैं और वर्तमान में रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड में प्रेसिडेंट ब्रांड और मार्केटिंग कम्युनिकेशन के पद पर हैं।उनकी पहली फीचर फ़िल्म इरफान खान और शोभना के साथ 'अपना आसामान' थी।महिला सशक्तिकरण से प्रेरित, शार्ट फ़िल्म 'माला' अचानक ही 'जिओ मामी' मुम्बई फ़िल्म फेस्टिवल के दौरान उनके ज़हन में आयी।यह फिल्म माला नाम की एक ऐसी लड़की की कहानी है जो फ़िल्ममेकर बनना चाहती है वहीँ दूसरी ओर उसका परिवार उसके इस सपने के विरुद्ध उसकी शादी जल्द से जल्द कर देना चाहता है।लेकिन अपने परिवार से झूठ बोलकर माला मुम्बई, फ़िल्म फेस्टिवस्ल को अटेंड करने आ जाती है।यह फ़िल्म अभी हाल ही में '5th बैंगलोर इंटरनेशल शार्ट फ़िल्म फेस्टिवल' में भी प्रदशित की गयी है और इस फ़िल्म की अभिनेत्री सयानी गुप्ता को बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड्स से सम्मानित किया गया है।
इस पर बात करते हुए सायानी ने कहा," मैँ बहुत खुश हूँ।पहले 'लीचेस' ने बहुत से फिल्म फेस्टिवल में अवार्ड्स जीते और अब 'माला' भी हर फेस्टिवल में बेहद पसंद की जा रही है।मैं मानती हूँ की शार्ट फिल्म्स विभिन्न चरित्रों को प्रदर्शित करने का एक बहुत सशक्त माध्यम है जबकि फीचर फ़िल्म में यह आज़ादी सीमित होती है।इन फिल्मों में एक्सपेरीमेंट के लिए बहुत जगह होती है।फ़िल्म 'माला' मामी फ़िल्म फेस्टिवल पर आधारित है, फ़िल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक फ़िल्म फेस्टिवल आपकी ज़िन्दगी को बदल सकता है।इस फ़िल्म में माला एक ऐसा पात्र है जो फिल्मों के लिए दीवानी है।यह वो लड़की है जिसका सपना है एक फिल्मकार बनने का और जब उसकी मुलाकात फ़िल्म फेस्टिवल में किरण राव, अनुपमा चोपड़ा और कल्कि जैसी हुनरमंद, मज़बूत और हिम्मती महिलाओं से होती है तो उसे लगता है कि उसका भी यह सपना उन सभी की तरह सच हो सकता है।माला फ़िल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित 'मलाला' फ़िल्म से भी बेहद प्रभावित होती है।मलाला जैसी साहासी लड़की की अदभुत कहानी उसे भी कुछ कर गुजरने का जज़्बा दे जाती है।कुछ ऐसी कहानी है इस फ़िल्म की।मैं महसूस करती हूँ कि सच्ची कहानियों को कहने वाली फिल्मो में काम करने का अपना एक अलग मायने होता है या आप यह कह सकते हैं कि हक़ की लड़ाई लड़ने वाली फिल्मों के प्रति मेरा एक अलग ही झुकाव है।आज इस तरह की फिल्मों की सोसाइटी को ज़रुरत भी है।एक एक्टर या फिल्मकार होने के नाते यह हमारा फ़र्ज़ होना चहिये कि हम ऐसी कहानियों को भी दिखाएँ जो एक बड़ा बदलाव ला सकती हैं।मैं खुद हर साल मामी फ़िल्म फेस्टिवल अटेंड करती हूँ और उनके लिये यह फ़िल्म करना मेरे लिये एक रोमांचित कर देने वाला अनुभव है।"
Tuesday 21 June 2016
सह नायिका की बहार निगार सुल्ताना !
हिंदी फिल्म दर्शक मुग़ल ए आज़म की बहार को नहीं भूल सकते, जो सलीम अनारकली की मोहब्बत की दुश्मन थी। लेकिन, बहार की भूमिका निगार सुल्ताना के लिए नहीं लिखी गई थी। फिल्म के निर्देशक के आसिफ ने इस रोल को अपनी पहली पत्नी सितारा देवी को ध्यान में रख कर लिखा था। लेकिन, निगार सुल्ताना से निकाह के बाद यह रोल निगार को चला गया। निगार सुल्ताना ने बहार की भूमिका को सजीव बना दिया। निगार सुल्ताना की पहली फिल्म रंगभूमि थी, जो १९४६ में रिलीज़ हुई थी। राजकपूर की फिल्म आग उनका पहला ब्रेक था। १९४९ में रिलीज़ फिल्म पतंगा में उन पर फिल्माया गया मेरे पिया गए रंगून, वहां से किया है टेलीफोन आज भी पॉपुलर गीतों में शुमार हैं। निगार सुल्ताना ने अपने करियर में कोई ४९ फिल्मों में अभिनय किया। उन्हें ज़्यादातर सह भूमिकाओं के लिए याद किया जाता है। उन्होंने अशोक कुमार और बीना रॉय के साथ फिल्म सरदार और दिलीप कुमार और मीना कुमारी के साथ फिल्म यहूदी जैसी उल्लेखनीय फ़िल्में की। उनकी अन्य उल्लेखनीय फिल्मों में दिल की बस्ती, खेल, शीश महल, दामन, आनंद भवन, तनख्वाह, दुर्गेश नन्दिनीं और मिर्ज़ा ग़ालिब थी। पचास के दशक मे काफी सक्रिय निगार सुल्ताना ने राज की बात, दो कलियाँ, बंसी और बिरजू और राज की बात में चरित्र भूमिकाएं की। उनकी आखिरी फिल्म जुम्बिश अ मूवमेंट १९८६ में रिलीज़ हुई थी। २१ जून १९३२ को हैदराबाद में जन्मी निगार सुल्ताना की मौत ६७ साल की उम्र में मुंबई में हो गई।
Saturday 18 June 2016
बालवीर का प्रपोजल सही मौके पर आया – निगार जेड खान
निगार जेड खान को लिपस्टिक, प्रतिमा और कसम से जैसे सीरियलों के निगेटिव किरदारों से शोहरत मिली है। उन्हें कई रियलिटी शो में भी देखा गया। उनका बहन गौहर खान के साथ शो खान सिस्टर्स ख़ास लोकप्रिय हुआ। पिछले साल जुलाई में दुबई के एक पाकिस्तानी व्यापारी के साथ शादी कर सेटल निगार खान अब सब टीवी के शो बालवीर में प्रचण्डिका का निगेटिव किरदार कर रही हैं। लेकिन, यह किरदार उनके तमाम निगेटिव किरदारों से अलग है। कैसे, आइये जानते हैं उन्ही से-
शादी के बाद बालवीर सीरियल ! क्या कारण थे ?
ईमानदारी से कहूं तो यह मेरा अभिनय के प्रति लगाव था । शादी के बाद हर अभिनेत्री ब्रेक लेती है । मैं समझती हूँ कि शादी के बाद अपना ध्यान दूसरी बातों से
हटा लेना चाहिए । मेरे शौहर तो ख़ास तौर पर मेरी देखभाल के अधिकारी है । मुझे ख़ुशी है कि
मैंने थोड़े समय के लिए अभिनय से अपना ध्यान हटाया । इससे किसी अभिनेत्री को आराम करने का मौका भी मिल जाता है, वह
फिर ताज़ादम होकर अपने काम में मन लगा सकती है । सौभाग्य से बालवीर का प्रपोजल सही मौके पर आया । हालाँकि, मुझे पहले से ही वैम्पिश रोल के ऑफर मिल रहे थे । लेकिन, अबू धाबी में रहने के कारण मैं २६ दिनों का
कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं कर सकती थी । सब टीवी और प्रोडक्शन हाउस ने मेरे रोल की शूटिंग महीने में दस
दिन में पूरा कर लेने का आश्वासन दे कर मुझे कॉन्ट्रैक्ट साइन करने में मदद की ।
शो में अपने करैक्टर के बारे में बताइये !
बलवीर में मैं प्रचंडिका का किरदार कर रही हूँ । यह करैक्टर टीवी के तमाम निगेटिव किरदारों से अलग है । यह उत्तेजनारहित और शांत है । प्रचंडिका ठेठ
बुरी औरतों की तरह नहीं, जो अपना क्रोध और भय दिखाती रहती हैं । यह बहुत स्टाइलिश है । वह पारे की तरह है । जहाँ शांत है, वहीँ दुष्ट भी । वह बालवीर की ज़िन्दगी में समस्याएं पैदा करती रहती है ।
अपने लुक के बारे में बताएं !
मेरे लुक को लेकर पूरी टीम ने दो महीने तक विचार किया । मैंने अपनी पूरी
ज़िन्दगी में पहली बार बैंगनी लिपस्टिक लगाईं है । मैं मुतमईन नहीं थी कि मैं इसे कर ले जाऊंगी । पर मुझे अब लगता है कि मैं इसे कर सकती थी ।
आप सब टीवी जैसे कॉमेडी सीरियलों वाले चैनल में काम कर रही
हैं । क्या कभी कॉमेडी सीरियल में काम करेंगे ?
मैंने पहले काफी
कॉमेडी की है । वास्तव में मैंने कुछ साल पहले एक कॉमेडी रियलिटी शो भी किया था । मुझे इसमे बड़ा मजा आया । पर फिक्शन कितना एन्जॉय करूंगी, पता नहीं । में स्लैपस्टिक कॉमेडी नहीं कर सकती । मुझे यह पसंद नहीं । बतौर अभिनेत्री मैं कैमिया कर सकती हूँ । इसलिए अगर इस तरह से कोई कॉमेडी शो मिलेगा तो करूंगी । हाँ, मैंने सब टीवी के लिए सबसे ज्यादा लोकप्रिय और
दर्शकों के पसंदगी वाला शो यस बॉस किया था ।
आप दुबई में सेटल हैं । दुबई-मुंबई के बीच भागदौड़ कैसे कर ले जाती हैं ?
मुझे इन दोनों
जगहों में भागना-दौड़ना अच्छा लगता है । सच मैं मुंबई को बहुत
मिस करती हूँ । मैंने इंडिया से एक ही समय में तीन तीन शो किये हैं । अगर मुझ पर छोड़ा जाए तो मैं मुंबई-दुबई के चक्कर लगाते हुए
अपना काम करते रहना पसंद करूंगी । मुझे इससे प्यार
है ।
बड़ी स्क्रीन के
बारे में क्या सोचा है ?
नहीं, वास्तव में
मैंने इंडस्ट्री में पिछले १५ सालों से रहते हुए भी बड़े परदे के लिए कभी प्लान
नहीं किया । मुझे कई ऑफर आये । अगर मुझे कोई
पसंदीदा करैक्टर मिलेगा, तभी मैं बड़े परदे के लिए काम करना चाहूंगी । मैं खुद को एक्टर साबित करना चाहती हूँ, न कि छोटे कपड़ों
में सेक्सी फिगर का प्रदर्शन करना । मैं इसके बिलकुल खिलाफ हूँ।
अल्पना कांडपाल
Friday 17 June 2016
संगम की नायिका ने कैबरे किया था
निर्माता, निर्देशक
और अभिनेता राजकपूर की फिल्म संगम १८ जून १९६४ को रिलीज़ हुई थी। यह आर के फिल्म्स की ही नहीं, अभिनेता राजकपूर की भी पहली रंगीन फिल्म थी। उससे पहले तक राजकपूर की सभी फ़िल्में श्वेत श्याम थी। इस लिहाज़ से, राजकपूर की छोटे भाई शम्मी कपूर उनसे पहले रंगीन फिल्म जंगली (१९६१) के नायक बन चुके थे। इस रोमांटिक ट्रायंगल फिल्म को इन्दर राज आनंद ने लिखा था। फिल्म में राजकपूर, राजेंद्र कुमार और वैजयंतीमाला का संगम हुआ था। इस फिल्म का संगीत शंकर जयकिशन ने दिया था। टैक्नीकलर में बनाई गई फिल्म संगम की लम्बाई २३८ मिनट यानि चार घंटे से सिर्फ २ मिनट कम अवधि की थी । यह पहली बॉलीवुड फिल्म थी, जिसमे दो मध्यांतर हुए। फिल्म की तमाम शूटिंग वेनिस, पेरिस और स्विट्ज़रलैंड जैसी विदेशी लोकेशन पर हुई थी। देसी लोकेशन पर फिल्म को प्रयाग में शूट किया गया था। संगम के बाद ही बॉलीवुड की तमाम फिल्मों की शूटिंग विदेशी लोकेशन पर होने लगी। आज़ादी के बाद, इस फिल्म में पहली बार चुम्बन का दृश्य दिखलाया गया। यह शायद इकलौती ऎसी फिल्म है, जिसके ज़्यादातर गीतों पर बॉलीवुड फिल्मों के टाइटल रखे गए। बोल राधा बोल (ऋषि कपूर और जूही चावला), हर दिल जो प्यार करेगा (सलमान खान, प्रीटी जिंटा और रानी मुख़र्जी), महबूबा (संजय दत्त, अजय देवगन और मनीषा कोइराला), मेरे सनम (आशा पारेख, विश्वजीत और प्राण), दोस्त (धर्मेंद्र, हेमा मालिनी और शत्रुघ्न सिन्हा), बुड्ढा मिल गया (नवीन निश्चल, ओम प्रकाश और अर्चना) आदि फिल्मों के टाइटल संगम के गीतों से ही उधार लिए गए थे। संगम में राजकपूर के करैक्टर का नाम गोपाल था। गोपाल राजकपूर का पारिवारिक ड्राइवर और केयर टेकर का नाम था। राजेंद्र कुमार की भूमिका के लिए सबसे पहले दिलीप कुमार और फिर देव आनंद को एप्रोच किया गया था। इनके मना करने पर ही राजेंद्र कुमार सुंदर के रोल में लिए गए। दिलीप कुमार गोपाल या सुन्दर में से किसी भी रोल के लिए तैयार थे, बशर्ते कि फिल्म की फाइनल एडिटिंग दिलीप कुमार ही करेंगे। राजकपूर को यह मंजूर नहीं हुआ। संगम के निर्माण में एक करोड़ खर्च हुए थे। लेकिन, संगम ने बॉक्स ऑफिस पर १६ करोड़ की कमाई कर राजकपूर को मालामाल कर दिया। दसारी नारायण राव ने संगम को तेलुगु और कन्नड़ में स्वप्ना टाइटल के साथ रीमेक किया। १९८८ में संगम का रीमेक सनी देओल, अनिल कपूर और श्रीदेवी के साथ राम अवतार बनाया गया।
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