मॉरल पुलिसिंग के लिहाज़ से पाकिस्तानी भी पीछे नहीं। ताज़ा किस्सा टीवी एक्ट्रेस आयेजा खान का है। मोहब्बत तुमसे नफ़रत है और तो दिल का क्या हुआ की एक्ट्रेस आयेजा खान ने पिछले दिनों अपनी दो साल की बेटी का फोटो सोशल साइट्स पर पोस्ट किया। इस फोटो में उनकी बेटी छोटी जलपरी बनी हुई है। इस फोटो को देखते ही आयेजा पर कमैंट्स की भरमार हो गई। इसमें पाकी औरते भी पीछे नहीं थी। एक खातून ने लिखा "बेहूदा पोशाक में बेटी को बाहर निकालती हैं और कहती हैं सोसाइटी बुरी है।" एक दूसरी ने लिखा, "ऐज़ा वह छोटी है। तुम उसे कैसी ड्रेस पहना रही हो। ऎसी ड्रेस तो तुमने भी नहीं पहनी। ख्याल रखो कि वह लड़की है। बहुत बहुत बहुत खराब। " एक दूसरा कमेंट था, "ऐज़ा यह मुसलमानों के लिए शर्म है। लिमिट क्रॉस मत करो। ऎसी ड्रेस पहनानी ही है तो प्लीज पब्लिक मत करो। कल कोई बच्ची को टच करेगा तो तुम ही शोर मचाओगी। मर्दों के जज़्बात उभार कर फिर उनसे कोई उम्मीद न करना।" अंचल नूर नाम की खातून ने व्यंग्य किया, "इसके माँ बाप इतना नहीं कमाते कि उसे पूरे कपडे पहना सके।" एक दूसरा कमेंट था, "क्या तरबियत कर रहे हो यार तुम छोटी सी बच्ची की ! तुम्हे शर्म आनी चाहिए, अभी से यह सीखा रही हो।" वैसे आयेजा को डिफेंड करने वाले लोग कम नहीं थे। आयेजा की बच्ची की फोटो पर कमेंट करने वालों को एक ने कुछ इस प्रकार लताड़ा, "जो लोग इस दो साल की बच्ची की फोटो में न्यूडिटी देख रहे हैं या सेक्सी देख रहे हैं, उन्हें खबरदार होना चाहिए कि उनके दिमाग मे काफी गड़बड़ है।"
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday 23 July 2017
तमिल फिल्मों के आमिर खान हैं सूर्या
सरवनन शिवकुमार अपने स्टेज के नाम सूर्या से ज़्यादा जाने जाते हैं। जहाँ तक हिंदी फिल्मों की बात है, उन्हें रामगोपाल वर्मा के दर्शक फिल्म रक्तचरित्र में देख चुके हैं। वैसे सूर्या हिंदी दर्शकों के लिए बॉलीवुड सुपर स्टारों के सुपर स्टार हैं। आज के तमाम खान और देवगन उन्ही की फिल्मों के हिंदी रीमेक से बने हैं। आमिर खान को बॉलीवुड का १०० करोड़ क्लब खोलने का मौक़ा सूर्या की तमिल फिल्म गजिनी के रीमेक से मिला। अजय देवगन ने सूर्या की फिल्म सिंघम के रीमेक से बड़ी सफलता हासिल की। जॉन अब्राहम की फिल्म फाॅर्स सूर्या की तमिल फिल्म खाका खाका की हिंदी रीमेक थी। कुसेलन का हिंदी रीमेक बिल्लू बारबर बनाया गया था। तमिल फिल्म में सूर्या ने स्पेशल अपीयरेंस किया था। सूर्या की फिल्म २४ को हिंदी में डब कर रिलीज़ किया गया था। इस फिल्म को हृथिक रोशन और सलमान खान दोनों ही हिंदी में बनाना चाहते हैं। सूर्या ने अभिषेक बच्चन की फिल्म गुरु के तमिल संस्करण में अभिषेक को अपनी आवाज़ दी थी। गाज़ी अटैक के हिंदी और तेलगु संस्करणों के नैरेटर सूर्या ही थे। उन्हें अपनी भिन्न भूमिकाओं के कारण तमिल फिल्मों का आमिर खान कहा जाता है। उनकी तमिल फिल्म थाना सैरंधा कुट्टम एक एक्शन थ्रिलर फिल्म है। आज ४२ के हो गए सूर्या।
जब राजनीतिक दलों के कारण बैन हो जाती हैं फ़िल्में
कांग्रेस द्वारा मधुर भंडारकर की फिल्म इंदु सरकार का आक्रामक विरोध जारी है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुणे और नागपुर में फिल्म की प्रेस कांफ्रेंस को भी नहीं होने दिया। अब महाराष्ट्र सरकार ने इंदु सरकार की टीम को सुरक्षा मुहैया करा दी है। लेकिन, कांग्रेस अभी भी शांत नहीं हैं। उनका कहना है कि मधुर भंडारकर ने एक राजनीतिक पार्टी (बीजेपी) के इशारे पर उनकी नेता इंदिरा गांधी और संजय गांधी की छवि खराब करने की कोशिश की है। जबकि, मधुर भंडारकर साफ़ कर चुके हैं कि यह ७० प्रतिशत कल्पनाशीलता और ३० प्रतिशत सच की कहानी है। अलबत्ता, इंदु सरकार के साथ सेंसर बोर्ड और फिल्म उद्योग खड़ा हुआ है। इसलिए लगता नहीं कि कोई इंदु सरकार को २८ जुलाई को रिलीज़ होने से रोक पायेगा।
ब्रितानी शासन ने बैन किया भक्त बिदुर को
इसके बावजूद तमाम ऐसे उदाहरण है, जब राजनीतिक दलों को मिर्ची लगी तो सिनेमाहॉल से तक फिल्म उतरवा दी। कभी किसी फिल्म के विषय से, कभी उसके कलाकारों से या किसी दूसरे कारण से विरोध करने और फिल्मों को रोकने का सिलसिला काफी पुराना है। सरकारों द्वारा विरोधी स्वरों के कारण किसी फिल्म को रोके जाने का सिलसिला पुराना है। महाभारत काल के विदुर पर कांजीभाई राठौर की फिल्म में विदुर के चरित्र को महात्मा गांधी के व्यक्तित्व के अनुरूप ढाला गया था। फिम के विदुर बने द्वारिकादास सम्पत बिलकुल गांधी जैसे लग रहे थे। यह पहली भारतीय फिल्म थी, जिस पर ब्रितानी हुकूमत ने रोक लगाईं। ब्रितानी शासनकाल में राजनीतिक स्वर वाली फ़िल्में ही नहीं गीत तक बैन कर दिए जाते थे । किस्मत (१९४५) के गीत 'दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा हैँ' को देश की स्वतंत्रता से जोड़ा गया। सिनेमाघरों में यह गीत पब्लिक डिमांड पर रिपीट किया जाता था। इसे देखते हुए गीतकार प्रदीप को ब्रिटिश सरकार के क्रोध से बचने के लिये भूमिगत हो जाना पड़ा।
राजनीतिक कारणों से बैन
स्वतंत्रता के बाद भी भारतीय फिल्मों को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली। आज़ादी के बाद चुम्बनो का फिल्मों में निषेध हो गया । इसके बाद किन्ही न किन्ही कारणों से फिल्मों पर रोक लगाईं जाती रही। आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी द्वारा किस्सा कुर्सी का के प्रिंट ही जलवा दिए गए। आंधी पर रोक लगा दी गई, क्योंकि इसकी नायिका का गेटअप और मेकअप इंदिरा गांधी की तरह किया गया था । कुछ घटनाएं इंदिरा गांधी के साथ घट चुकी शामिल थी। यह फिल्म जनता पार्टी के शासन में आने के बाद ही रिलीज़ हो सकी। बॉम्बे के दंगों के कारण ब्लैक फ्राइडे पर रोक लगा दी गई। १९९३ के दंगों पर अनुराग कश्यप की फिल्म ब्लैक फ्राइडे पर तो बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी रोक लगाईं थी। दो साल बाद यह फिल्म कोर्ट के आदेश से रिलीज़ हुई। फायर, वाटर, माय नेम इज खान, आदि फ़िल्में धार्मिक राजनीतिक विरोध के कारण रोकी गई। यशराज बैनर की फिल्म फना को तत्कालीन गुजरात सरकार के गुस्से का सामना करना पड़ा। क्योंकि, आमिर खान मेधा पाटकर के आंदोलन में हिस्सा ले रहे थे। गुजरात २००२ के दंगों पर आधारित होने के कारण फिल्म फ़िराक़ और परज़ानिया को गुजरात में रिलीज़ के लायक नहीं समझा गया। सिन फिल्म को एक पादरी के सेक्सुअल रिलेशन दिखाने के कारण रोक का सामना करना पड़ा। इंशाअल्लाह कश्मीर, श्रीलंका के गृहयुद्ध पर नो फायर जोन, सिक्किम को स्वतंत्र देश दिखाने वाली फिल्म सिक्किम को भी राजनीतिक कारणों से बैन का शिकार होना पड़ा। सिख दंगों पर अमतेज मान की फिल्म १९८४ को दिल्ली और पंजाब में रिलीज़ नहीं होने दिया गया। इंदिरा गांधी हत्याकांड पर पंजाब फिल्म कौम दे हीरे को इंदिरा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन करने के कारण बैन का शिकार होना पड़ा।
कुछ राज्य सरकारों ने रोकी फ़िल्में
काफी ऎसी फ़िल्में हैं, जिन्हे विभिन्न राज्य सरकारों ने किसी न किसी कारण से अपने राज्य में रिलीज नहीं होने दिया। इनमे गैर हिंदी फिल्मों के अलावा हॉलीवुड की फ़िल्में भी शामिल थी। आंध्र प्रदेश, नागालैंड और गोवा की सरकारों ने हॉलीवुड फिल्म डा विन्ची कोड को क्रिस्चियन समुदाय विरोधी होने के कारण अपने राज्यों में रिलीज़ नहीं होने दिया। आंध्र प्रदेश में आरक्षण को अस्थाई तौर पर बैन किया गया। असम में असमी फिल्म रूनुमि और हिंदी फिल्म टैंगो चार्ली बैन कर दी गई। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में बाबा राम रहीम की फिल्म एमएसजी २- द मैसेंजर को जनजाति समुदाय विरोधी होने के कारण बैन किया गया। गुजरात में चाँद बुझ गया, फना, फरज़ानिया और फ़िराक़, महाराष्ट्र में देशद्रोही, पंजाब में डा विन्ची कोड के अलावा आरक्षण को अस्थाई तौर पर, साड्डा हक़, ओह माय प्यो जी, एमएसजी १ और २ द मैसेंजर, नानक शाह फ़क़ीर और संता बंता प्राइवेट लिमिटेड को बैन का सामना करना पड़ा। राजस्थान में अस्थाई तौर पर जोधा अकबर, तमिलनाडु में श्रीलंका के गृहयुद्ध पर इनाम सीलोन, मद्रास कैफे, विश्वरूपम, डैम ९९९, डा विन्ची कोड और ओरे ओरु ग्रामथिले को बैन कर दिया गया। उत्तर प्रदेश में आजा नचले, जोधा अकबर और आरक्षण को अस्थाई तौर पर बैन किया गया। पश्चिम बंगाल में सिटी ऑफ़ जॉय और कंगाल मालसाट को बैन कर दिया गया।
इसी प्रकार से इन्दु सरकार का मुद्दा भी राजनीतिक है। लेकिन वर्तमान सरकार को देखते हुए इसे सेंसर द्वारा रोका नही जायेगा। लेकिन, कांग्रेस सरकारें अपने प्रदेशों में इसे रोक सकती हैं। अभी आपातकाल पर दो फ़िल्में और आनी हैं। मिलन लुथरिया की फिल्म बादशाहो आपातकाल के दौर पर तो है, लेकिन इसकी कहानी एक डकैती पर ज़्यादा केंद्रित है। इसमें पोलिटिकल टोन नहीं नज़र आती। इसके अलावा एक दूसरी फिल्म १९७५ भी आपातकाल पर है। इसके रिलीज़ होने तक हो सकता है कि फिल्म पर बैन लगा दिया जाए। राजनीतिक विवशता भी तो अभिव्यक्ति की आज़ादी के आड़े आती हैं। इस लिहाज़ से सारे दाल भाई भाई हैं।
ब्रितानी शासन ने बैन किया भक्त बिदुर को
इसके बावजूद तमाम ऐसे उदाहरण है, जब राजनीतिक दलों को मिर्ची लगी तो सिनेमाहॉल से तक फिल्म उतरवा दी। कभी किसी फिल्म के विषय से, कभी उसके कलाकारों से या किसी दूसरे कारण से विरोध करने और फिल्मों को रोकने का सिलसिला काफी पुराना है। सरकारों द्वारा विरोधी स्वरों के कारण किसी फिल्म को रोके जाने का सिलसिला पुराना है। महाभारत काल के विदुर पर कांजीभाई राठौर की फिल्म में विदुर के चरित्र को महात्मा गांधी के व्यक्तित्व के अनुरूप ढाला गया था। फिम के विदुर बने द्वारिकादास सम्पत बिलकुल गांधी जैसे लग रहे थे। यह पहली भारतीय फिल्म थी, जिस पर ब्रितानी हुकूमत ने रोक लगाईं। ब्रितानी शासनकाल में राजनीतिक स्वर वाली फ़िल्में ही नहीं गीत तक बैन कर दिए जाते थे । किस्मत (१९४५) के गीत 'दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा हैँ' को देश की स्वतंत्रता से जोड़ा गया। सिनेमाघरों में यह गीत पब्लिक डिमांड पर रिपीट किया जाता था। इसे देखते हुए गीतकार प्रदीप को ब्रिटिश सरकार के क्रोध से बचने के लिये भूमिगत हो जाना पड़ा।
राजनीतिक कारणों से बैन
स्वतंत्रता के बाद भी भारतीय फिल्मों को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली। आज़ादी के बाद चुम्बनो का फिल्मों में निषेध हो गया । इसके बाद किन्ही न किन्ही कारणों से फिल्मों पर रोक लगाईं जाती रही। आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी द्वारा किस्सा कुर्सी का के प्रिंट ही जलवा दिए गए। आंधी पर रोक लगा दी गई, क्योंकि इसकी नायिका का गेटअप और मेकअप इंदिरा गांधी की तरह किया गया था । कुछ घटनाएं इंदिरा गांधी के साथ घट चुकी शामिल थी। यह फिल्म जनता पार्टी के शासन में आने के बाद ही रिलीज़ हो सकी। बॉम्बे के दंगों के कारण ब्लैक फ्राइडे पर रोक लगा दी गई। १९९३ के दंगों पर अनुराग कश्यप की फिल्म ब्लैक फ्राइडे पर तो बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी रोक लगाईं थी। दो साल बाद यह फिल्म कोर्ट के आदेश से रिलीज़ हुई। फायर, वाटर, माय नेम इज खान, आदि फ़िल्में धार्मिक राजनीतिक विरोध के कारण रोकी गई। यशराज बैनर की फिल्म फना को तत्कालीन गुजरात सरकार के गुस्से का सामना करना पड़ा। क्योंकि, आमिर खान मेधा पाटकर के आंदोलन में हिस्सा ले रहे थे। गुजरात २००२ के दंगों पर आधारित होने के कारण फिल्म फ़िराक़ और परज़ानिया को गुजरात में रिलीज़ के लायक नहीं समझा गया। सिन फिल्म को एक पादरी के सेक्सुअल रिलेशन दिखाने के कारण रोक का सामना करना पड़ा। इंशाअल्लाह कश्मीर, श्रीलंका के गृहयुद्ध पर नो फायर जोन, सिक्किम को स्वतंत्र देश दिखाने वाली फिल्म सिक्किम को भी राजनीतिक कारणों से बैन का शिकार होना पड़ा। सिख दंगों पर अमतेज मान की फिल्म १९८४ को दिल्ली और पंजाब में रिलीज़ नहीं होने दिया गया। इंदिरा गांधी हत्याकांड पर पंजाब फिल्म कौम दे हीरे को इंदिरा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन करने के कारण बैन का शिकार होना पड़ा।
कुछ राज्य सरकारों ने रोकी फ़िल्में
काफी ऎसी फ़िल्में हैं, जिन्हे विभिन्न राज्य सरकारों ने किसी न किसी कारण से अपने राज्य में रिलीज नहीं होने दिया। इनमे गैर हिंदी फिल्मों के अलावा हॉलीवुड की फ़िल्में भी शामिल थी। आंध्र प्रदेश, नागालैंड और गोवा की सरकारों ने हॉलीवुड फिल्म डा विन्ची कोड को क्रिस्चियन समुदाय विरोधी होने के कारण अपने राज्यों में रिलीज़ नहीं होने दिया। आंध्र प्रदेश में आरक्षण को अस्थाई तौर पर बैन किया गया। असम में असमी फिल्म रूनुमि और हिंदी फिल्म टैंगो चार्ली बैन कर दी गई। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में बाबा राम रहीम की फिल्म एमएसजी २- द मैसेंजर को जनजाति समुदाय विरोधी होने के कारण बैन किया गया। गुजरात में चाँद बुझ गया, फना, फरज़ानिया और फ़िराक़, महाराष्ट्र में देशद्रोही, पंजाब में डा विन्ची कोड के अलावा आरक्षण को अस्थाई तौर पर, साड्डा हक़, ओह माय प्यो जी, एमएसजी १ और २ द मैसेंजर, नानक शाह फ़क़ीर और संता बंता प्राइवेट लिमिटेड को बैन का सामना करना पड़ा। राजस्थान में अस्थाई तौर पर जोधा अकबर, तमिलनाडु में श्रीलंका के गृहयुद्ध पर इनाम सीलोन, मद्रास कैफे, विश्वरूपम, डैम ९९९, डा विन्ची कोड और ओरे ओरु ग्रामथिले को बैन कर दिया गया। उत्तर प्रदेश में आजा नचले, जोधा अकबर और आरक्षण को अस्थाई तौर पर बैन किया गया। पश्चिम बंगाल में सिटी ऑफ़ जॉय और कंगाल मालसाट को बैन कर दिया गया।
इसी प्रकार से इन्दु सरकार का मुद्दा भी राजनीतिक है। लेकिन वर्तमान सरकार को देखते हुए इसे सेंसर द्वारा रोका नही जायेगा। लेकिन, कांग्रेस सरकारें अपने प्रदेशों में इसे रोक सकती हैं। अभी आपातकाल पर दो फ़िल्में और आनी हैं। मिलन लुथरिया की फिल्म बादशाहो आपातकाल के दौर पर तो है, लेकिन इसकी कहानी एक डकैती पर ज़्यादा केंद्रित है। इसमें पोलिटिकल टोन नहीं नज़र आती। इसके अलावा एक दूसरी फिल्म १९७५ भी आपातकाल पर है। इसके रिलीज़ होने तक हो सकता है कि फिल्म पर बैन लगा दिया जाए। राजनीतिक विवशता भी तो अभिव्यक्ति की आज़ादी के आड़े आती हैं। इस लिहाज़ से सारे दाल भाई भाई हैं।
देसी शार्प शूटर बाबु मोशाय बन्दूकबाज़, अब ऊँट बेचेंगे इरफान खान, ‘गुडगाँव’ में मुस्कुराई तक नहीं है रागिनी खन्ना, डबल क्रॉस करने वाला एजेंट कैप्टेन नवाब, सीआरपीएफ जवानों के साथ सुशांत सिंह राजपूत, सितारों का जमघट, करण जौहर की ‘शिद्दत’ 'बादशाओ’ में चचा का ‘रश्क-ए-क़मर’ भतीजे ने गाया
बाबू एक शार्प शूटर
है। उसकी ज़िन्दगी में प्यार है, दोस्ती है, निष्ठा है, धोखा और बदला भी है।
यह कहानी है उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि पर निर्देशक कुषाण नंदी की फिल्म बाबूमोशाय बन्दूकबाज़ की।
फिल्म बाबू का किरदार नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी कर रहे हैं। अन्य भूमिकाओ दिव्या दत्ता, श्रद्धा दास और मुरली शर्मा के अलावा नया चेहरा बिदिता बेग के नाम
उल्लेखनीय हैं। इस फिल्म की शूटिंग उत्तर प्रदेश में तमाम रियल लोकेशंस पर हुई है। पिछले दिनों रिलीज़ इस फिल्म का
ट्रेलर उत्सुकता पैदा करने वाला है। ट्रेलर रिलीज़ पर मुआज़ूद नवाज़ुद्दीन कहते हैं,"फिल्म का ट्रीटमेंट इतना रियल और मनोरंजक है कि
मुझे लगा कि मैं रियल लाइफ में यह काम कर
चुका हूँ। मैं बाबूमोशाय का हिस्सा बन कर बहुत खुश हूँ।" कुषाण नंदी
ने इस फिल्म के लिए पहली बार नवाज़ से
संपर्क किया तो वह स्क्रिप्ट से खुश नहीं थे। फिर नवाज़ और फिल्म लेखक ग़ालिब असद भोपाली साथ बैठे और स्क्रिप्ट
में बदलाव किया गया। कहते हैं कुषाण नंदी, "अगर नवाज़ फिल्म को इंकार कर
देते तो मैं फिल्म बनाता ही नहीं। क्योंकि,
वह इकलौते एक्टर हैं, जो बाबू को सही तरह से कर
सकते हैं।" फिल्म बाबूमोशाय बन्दूकबाज़ २५ अगस्त को रिलीज़ हो रही है।
अब ऊँट बेचेंगे इरफान खान
इरफान खान सही
मायनों में हिंदुस्तान के ग्लोबल स्टार हैं । वह राजस्थान की देहाती परिदृश्य पर
आधारित एक प्रेम-गाथा फिल्म द सांग ऑफ स्कॉर्पियन्स से एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय
होने जा रहे हैं। अभी इस फिल्म का एक नया ब्रांड लुक रिलीज़ किया गया । अनूप
सिंह निर्देशित द सांग ऑफ स्कॉर्पियन्स फिल्म में इरफान इस फिल्म में एक ऊँट
व्यापारी की भूमिका में हैं । इसलिए उनका
लुक मरुस्थली बीहड़ के निवासियों की तरह रूखा और उज्जड़ है। इस फिल्म में हॉलीवुड की
बहुचर्चित अभिनेत्री गोल्शिफ्ते फरहानी (पाइरेट्स ऑफ द कॅरीबीयन, डेड मेन टेल नो टेल्स’) इरफ़ान खान के साथ रोमांस करती नजर आएंगी । इस फिल्म में वहीदा रहमान भी डेल्ही ६
(२००९) के बाद फिर नज़र आयेंगी ।
‘गुडगाँव’ में मुस्कुराई तक
नहीं है रागिनी खन्ना !
ससुराल गेंदा फूल के
बाद, सात टीवी सीरियलों में कैमिया या स्पेशल अपीयरेंस
करने वाली रागिनी खन्ना अब फिर सक्रिय होने जा रही है। ससुराल गेंदा फूल (२०१०-१२) के बाद छिटपुट शो
में नज़र आने वाली रागिनी खन्ना ने एक हिंदी फिल्म तीन थे भाई और एक पंजाबी फिल्म
भज्जी इन प्रॉब्लम में अभिनय किया। अब
उनकी दूसरी हिंदी फिल्म गुडगाँव रिलीज़ होने जा रही है। जार पिक्चर्स की इस फिल्म में उनका किरदार टीवी
सीरियलों के किरदारों की तरह चंचल लड़की वाला नहीं। इस किरदार में उनके लिए अपने भावात्मक पक्ष को
दिखाने के भरपूर मौके हैं। फिल्म के
डायरेक्टर शंकर रमन हैं। रागिनी खन्ना
कहती हैं, "मैंने जब स्क्रिप्ट
पढ़ी तो मुझे लगा किसी डायरेक्टर ने मुझे टीवी की चंचल लड़की के बजाय एक एक्टर के
तौर पर देखा। मैं इस फिल्म में हंसना तो दूर एक बार मुस्कुराई तक नहीं हूँ। इस रोल
के जरिये मैंने खुद के अनछुए भावात्मक पहलुओं को छुआ है । खुद के अंदर कुछ खोजने की कोशिश की है ।"
इस फिल्म में उनके नायक ३डी पिज़्ज़ा वाले एक्टर अक्षय ओबेरॉय बताये जा रहे हैं।
लेकिन, रागिनीं यह बताने को तक तैयार नहीं होती कि वह
उनके नायक हैं ? दरअसल, इस फिल्म में अक्षय और रागिनी भाई-बहन की भूमिका
में हैं। पंकज त्रिपाठी ने एक रियल एस्टेट
कारोबारी का किरदार किया है। यह फिल्म ४ अगस्त को रिलीज़ होने जा रही है। रागिनी की अगली फिल्म का नाम घूमकेतु है।
डबल क्रॉस करने वाला एजेंट कैप्टेन नवाब
एन्थोनी डिसूज़ा (ब्लू, बॉस और टोनी डिसूज़ा के नाम से अज़हर) की स्पाई थ्रिलर फिल्म कैप्टेन नवाब एक ऐसे जासूस की कहानी है, जो हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों के लिए ही जासूसी किया करता है। वह उस समय भारी मुसीबत में फंस जाता है, जब इन देशों के अधिकारियों को मालूम पड़ता है कि वह डबल क्रॉस कर रहा है। इस भूमिका को बॉलीवुड के सीरियल किलर और टोनी डिसूज़ा के साथ फिल्म अज़हर कर चुके अभिनेता इमरान हाशमी कर रहे हैं। वह कैप्टेन नवाब के निर्माता भी है। आजकल इस फिल्म का क्लाइमेक्स हिंदुस्तान की बर्फीली वादियों में फिल्माया जाना है। इस के लिए हॉलीवुड स्टंट कोरियोग्राफर डान ब्रेडले (इंडिपेंडेंस डे, स्पाइडर मैन २ और ३, द बॉर्न सुप्रीमसी, सुपरमैन रिटर्न्स, इंडिआना जोंस, क्वांटम ऑफ़ सोलस और मिशन इम्पॉसिबल घोस्ट प्रोटोकॉल ) से बात की जा रही है। कहते हैं डायरेक्टर टोनी डिसूज़ा, "हमें उम्मीद है कि डान हमारी फिल्म करेंगे। कैप्टेन नवाब एक वॉर फिल्म है। डान ने पहले भी वॉर फ़िल्में की है। हमारी फिल्म को इसका फायदा मिलेगा। उम्मीद है कि क्लाइमेक्स सितम्बर में फिल्मा लिया जायेगा।" सीआरपीएफ जवानों के साथ सुशांत सिंह राजपूत
इन दिनों फिल्मों
में व्यस्त होने के बावजूद सुशांत सिंह राजपूत ने अपने बिजी श्येड्युल से वक़्त
निकाल कर मणिपुर के इम्फाल में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों के साथ वक्त
बिताया। सुशांत यहाँ पर दो दिन के लिए गयें थे। सेना के साहस और समर्पण से सुशांत
काफी प्रभावित हैं। जवानों से हुई अपनी मुलाकात के बाद आर्मी ट्रेनिंग एरिया में
खींची गई जवानों के साथ अपनी कुछ तस्वीरें सुशांत ने अपने इन्स्टाग्राम अकाउंट पर
डाली हैं। सुशांत सिंह राजपुत ने दो दिनों में जवानों के साथ काफी वक्त बिताया और
ढेर सारी बातें की। राइफल ट्रेनिंग, लड़ाकू प्रशिक्षण,
दौड़ और बाधा दौड़ जैसी ट्रेनिंग एक्टिविटी में
सुशांत ने जवानों के साथ हिस्सा भी लिया। ऎसी एक बाधा दौड के दौरान सुशांत ने पाच
फिट से कूद मार कर, टायरों के बीच में
से दौडतें हुए एक जवान को पीछे भी छोड दिया । इस दौड में जीत हासिल करने पर
सैनिकों ने सुशांत को तालियों के गडगडाहट के साथ बधाई दी ।
सितारों का जमघट, करण जौहर की ‘शिद्दत’
ऐ दिल है मुश्किल के बाद निर्माता करण जौहर की अगली फिल्म का नाम शिद्दत होगा । करण जौहर की फिल्मों की परंपरा में शिद्दत भी सितारों भरी होगी । इस फिल्म को कास्टिंग कू ,फिल्म कहा जा सकता है । फिल्म में श्रीदेवी और संजय दत्त २५ साल बाद एक साथ नज़र आयेंगे । इस जोड़ी की पिछली फिल्म गुमराह १९९३ में रिलीज़ हुई थी । इस फिल्म के साथ तीन इत्तफ़ाक जुड़े हुए हैं । पहला इत्तफाक यह है कि श्रीदेवी और संजय दत्त की आखिरी बार जोड़ी बनाने वाले निर्माता करण जौहर के पिता यश जौहर थे । दूसरा इत्तफाक यह है कि गुमराह (१९९३) का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था । जबकि, करण जौहर की फिल्म में महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट अहम् किरदार कर रही होंगी । शिद्दत में आलिया भट्ट एक बार फिर वरुण धवन की नायिका होंगी । इनके अलावा सोनाक्षी सिन्हा के साथ आदित्य रॉय कपूर की नई जोड़ी भी बनाई जा रही है । इस फिल्म के साथ तीसरा इत्तफाक यह है कि देश विभाजन की पृष्ठभूमि पर फिल्म का निर्माण करण जौहर के पिता यश जौहर करना चाहते थे । शिद्दत का निर्देशन आलिया भट्ट को २ स्टेट्स फिल्म में डायरेक्ट करने वाले अभिषेक वर्मन करेंगे । 'बादशाओ’ में चचा का ‘रश्क-ए-क़मर’ भतीजे ने गाया
मेरे रश्क-ए-क़मर तू
ने पहली नज़र, जब नज़र से मिलायी मज़ा आ गया। नुसरत फ़तेह
अली खान ने १९८८ में इस ग़ज़ल को क़व्वाली के अंदाज़ में गा कर लोकप्रिय बनाया था। हालाँकि,
यह ग़ज़ल पाकिस्तानियों के बीच पहले भी पसंदीदा थी।
इसके बाद यह क़व्वाली भिन्न अंदाज़ में, भिन्न गायकों ने
फिल्मों और गैर फिल्मी अलबमों के लिए गई ।
अभी शाहरुख़ खान की फिल्म रईस में इस फिल्म को पाकिस्तानी गायक जुनैद असगर
की आवाज़ में शामिल किया गया था। जुनैद ने ही नुसरत फ़तेह अली खान के गीत को रीमिक्स
कर गाया था। इस गीत को टी सीरीज ने अपने
वीडियो एल्बम में हृथिक रोशन और सोनम कपूर पर फिल्माया था। जुनैद के इस गीत को
यूट्यूब पर अरिजीत सिंह के गाये गीत की तरह से अपलोड किया गया है। बताते हैं कि
पैसा कमाने के लिए ऐसा किया गया। क्योंकि,
जुनैद से ज़्यादा अरिजीत सिंह पॉपुलर हैं। यह ऐसा
गीत है, जिसके कोरियाई संस्करण भी तैयार किये गए
हैं। अब इस गीत को मिलन लुथरिया ने अपनी
इमरजेंसी पर फिल्म बादशाओ में इलिएना डिक्रूज़ और अजय देवगन पर फिल्माया है। इस गीत को नुसरत फ़तेह अली खान के भतीजे और
पाकिस्तानी गायक राहत फ़तेह अली खान ने गाया है। इस गीत का वीडियो शुक्रवार को
रिलीज़ हो रहा है। इस गीत के मुख्य किरदारों का एक रोमांटिक पोज़ आज रिलीज़ हुआ है !
Saturday 22 July 2017
दो सौ साल का वूकी योद्धा है चूबका
महान वूकी योद्धा है चूबका। यह २०० साल का है। उसके पूरे शरीर पर घने लम्बे बाल हैं। वह यान मिलेनियम फाल्कन पर हान सोलो का साथी पायलट है। वह विद्रोहियों के उस मुख्य समूह का हिस्सा है, जो गैलेक्सी की आज़ादी को बहाल करता है। यह उग्र स्वभाव और धनुष के आकार के हथियार को तैयार करने में महारत के लिए जाना जाता है। इम्पीरियल आर्मी से हान सोलो के निकाले जाने के बाद चूबका उसका आजीवन साथी बन जाता है। वह बड़े दिल वाला है और अपने साथियों को समर्पित है। गैलेक्सी पर उथल पुथल के दौरान से वह हान सोलो का साथी है। इस किरदार को स्टार वार्स सीरीज की तमाम फिल्मो में अभिनेता पीटर मेहू ने किया था। लेकिन, अब स्टार वार्स : द लास्ट जेडाई और अनाम हान सोलो फिल्म में यह किरदार जूनस सुओतमो ने किया है। सुओतमो ने द फाॅर्स अवकेंस में पीटर मेहू के बॉडी डबल थे।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की महिला जज बनेगी फ़ेलिसिटी जोंस
पिछले साल स्टार
वार्स सीरीज की फिल्म रोग वन : अ स्टार
वार्स स्टोरी में जिन एरसो का ताक़वर किरदार करने वाली इंग्लिश अभिनेत्री फ़ेलिसिटी
जोंस अब रूपहले परदे पर एक यहूदी महिला जज का किरदार करेंगी। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की महिला जज रुथ बडेर
जिन्सबर्ग को महिला अधिकारों की झंडाबरदार के तौर पर याद किया जाता है। उन्होंने लैंगिक समानता पर पहले लॉ जर्नल की
सह-संस्थापक थी। वह कोलंबिया यूनिवर्सिटी
की पहली महिला प्रोफेसर थी। उन्हें १९९३
में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने सुप्रीम कोर्ट में नामित किया
था। इसी किरदार पर डेनियल स्टीपलमैन की
पटकथा पर मिमी लेडर (डीप इम्पैक्ट, पे इट फॉरवर्ड,
थिक एज थीव्स) के निर्देशन में फिल्म में
जिन्सबर्ग के किरदार के लिए २०१५ में नताली पोर्टमैन का नाम उछला था। फ़ेलिसिटी जोंस इस समय टीवी सीरीज स्टार वार्स :
फोर्सेज ऑफ़ डेस्टिनी की शूटिंग कर रहे हैं।
इस सीरीज में भी वह जिन एरसो का किरदार ही कर रही हैं। जिन्सबर्ग पर फिल्म की शूटिंग सितम्बर से
मोंट्रियल में शुरू होगी।
क्या बैटल ऑफ़ सरगढ़ी है अक्षय कुमार और सलमान खान के बीच
इस साल के शुरू में अक्षय कुमार, सलमान खान और करण जौहर ने अपने प्रशंसकों को बढ़िया खबर दी थी। यह तीनों मिल कर बैटल ऑफ़ सरगढ़ी पर फिल्म बनाना चाहते थे। हालाँकि, इस युद्ध पर सुरिंदर शर्मा की पंजाबी फिल्म बैटल ऑफ़ सरगढ़ी की शूटिंग भी शुरू हो चुकी थी। यह फिल्म एक मेगाबजट फिल्म बनने वाली थी। फिल्म के नायक अक्षय कुमार बनने थे। सलमान खान और करण जौहर का रोल केवल बतौर निर्माता था। लेकिन, अब पता चला है कि यह फिल्म बंद कर दी गई है। क्या अक्षय और सलमान के बीच किसी बैटल का नतीजा है सरगढ़ी पर फिल्म का बंद होना? सूत्र बताते हैं कि इस विषय पर दूसरे निर्माता भी फिल्म बना रहे थे। इनमे अजय देवगन सबसे आगे थे। वह रणदीप हूडा को नायक बना कर राजकुमार संतोषी के साथ इस फिल्म का निर्माण कर रहे थे। उनका प्रयास काफी आगे बढ़ चूका था। इसलिए अजय देवगन ने सलमान खान को एक भावुक पत्र लिख कर अनुरोध किया कि वह इस विषय पर फिल्म को आगे न बढायें। सलमान खान और अजय देवगन बांद्रा बॉयज होने के कारण अच्छे दोस्त हैं। अजय देवगन और सलमान खान ने एक साथ हम दिल दे चुके सनम और लंदन ड्रीम्स जैसी फ़िल्में की हैं। अजय देवगन ने सलमान खान की फिल्म रेडी में कैमिया किया था। वहीँ सलमान खान ने भी अजय देवगन की फिल्म सन ऑफ़ सरदार में कैमिया कर अपनी दोस्ती का परिचय दिया था। ऐसे में यह कैसे संभव था कि दोस्त गुज़ारिश करे और सलमान खान न माने ! सलमान-अक्षय बैटल का दूसरा कारण बताई जा रही है रेशमा शेट्टी। जानकार अच्छी तरह से जानते हैं कि कुछ समय पहले तक रेशमा शेट्टी सलमान खान के लिए काम करती थी। पिछले दिनों इन दोनों का अलगाव हो गया। अक्षय कुमार ने इसी रेशमा शेट्टी को अपना सेक्रेटरी बना लिया था। अक्षय की इस हरकत से सलमान खान नाराज़ हो गए। अब दोनों में से कारण कौन सा है, यह तो अक्षय कुमार, सलमान खान और करण जौहर में से कोई बता सकता है कि बैटल ऑफ़ सरगढ़ी क्यों नहीं बना रहे !
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