मलयालम फिल्म स्टार
दुलकर सलमान का हिंदी फिल्म डेब्यू होने जा रहा है। वह रोनी स्क्रूवाला की फिल्म कारवां से अपने
हिंदी फिल्म करियर की शुरुआत करेंगे।
इसमें उनका साथ हॉलीवुड में भी मशहूर हिंदी फिल्म अभिनेता इरफ़ान खान देंगे।
इस फिल्म से इंटरनेट के ज़रिये अपना क्रेज बनाने वाली अभिनेत्री मिथिला पारकर का
हिंदी फिल्म डेब्यू होगा। मिथिला ने वेब
सीरीज लिटिल थिंग्स और गर्ल इन द सिटी के ज़रिये तहलका मचा दिया था। वह मराठी फिल्म
अभिनेत्री भी हैं। इस रोड ट्रिप फिल्म का निर्देशन आकर्ष खुराना करेंगे। उनकी भी
यह पहली फिल्म होगी । आकर्ष हमशकल्स और कृष ३ के संवाद लिख चुके हैं। ३१ साल के
दुलकर सलमान मलयालम फिल्म अभिनेता मम्मूती के बेटे हैं। उन्होंने २०१२ में अपने फिल्म करियर की शुरुआत
मलयालम फिल्म सेकंड शो में एक गैंगस्टर के किरदार से की थी। निर्देशक मणि रत्नम की
रोमांटिक फिल्म ओ कधल कणमणि में उनके अभिनय की सराहना हुई। कारवां में यह केरल बॉय बेगलुरियन लडके का
किरदार करेगा। पहले इस भूमिका के लिए अभिषेक बच्चन को साइन किया जा रहा था। लेकिन, वह तारीखों की
समस्या के कारण बाहर हो गए। दुलकर की दो फ़िल्में सोलो और परवा रिलीज़ होने को हैं।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday 10 September 2017
मलाला युसुफजई पर फिल्म
पिछले दिनों, फिल्म ‘गुल मकाई’ के पोस्टर
लॉन्च हुआ । इस पोस्टर लॉन्चिंग का ज़िक्र इसलिए ख़ास है कि यह फिल्म पाकिस्तान की नोबल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफ़ज़ई के जीवन पर है। इस फिल्म का निर्माण विजय जाजू द्वारा २०१५ में प्लान किया गया था। लेकिन, मलाला के किरदार के लिए अभिनेत्री की खोज में प्रोजेक्ट टलता चला गया। फिल्म के निर्देशक अमजद खान एक ऐसी लड़की की खोज में थे, जो उनकी फिल्म में मालाला यूसुफजई के किरदार किरदार के उपयुक्त हो। रीम शेख ने अपने मासूम चेहरे और सहज अभिनय कौशल और मलाला की तरहलुक के कारण अमजद खान को आकर्षित किया। रीम ने ये रिश्ता क्या कहलाता है, दिया और बाती हम, खेल हैं ज़िन्दगी आँख मिचौली जैसे सीरियल किये हैं। वह फरहान अख्तर और अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म वजीर कर चुकी हैं। फिल्म साइन करने के बाद से रीम मलाला की तरह रहती है। वह अपनी शैली, व्यवहार और शरीर की भाषा को वास्तविक मलाला जैसी बनाने के लिए गहन प्रशिक्षण ले रही है। इस फिल्म में दिव्या दत्ता मलाला की मां की भूमिका में होगी। शूटिंग ४ सितंबर से
भुज में शुरू हो गई है ।
हिंदी फिल्मों के विलेन होते हैं गॉडमैन
जेल में २० साल की सज़ा काट रहे गुरमीत राम रहीम एक्टिंग करने के भी शौक़ीन हैं। वह खुद फ़िल्में बनाते थे। उसके हीरोइन छोड़ कर सब कुछ हुआ करते थे। वह पिछले तीन सालों में पांच फ़िल्में बना चुके हैं। एमएसजी : मेसेंजर ऑफ़ गॉड सीरीज की उनकी फ़िल्में ख़ास लोकप्रिय हुई। अब यह बात दीगर है कि अपने कारनामों की वजह से वह आज जेल में हैं। कोई शक नहीं अगर बॉलीवुड से कोई फिल्म उनके कारनामों पर बनाये जाने का ऐलान हो जाए। बॉलीवुड को ऎसी किसी घटना का इंतज़ार रहता है।
वास्तविकता तो यह है कि हिंदी फिल्मों में गॉडमैन को हमेशा से जगह मिली है। यह स्वाभाविक भी है। हिंदुस्तान की जनता धार्मिक रूप से भीरु है। उन्हें भगवान् और उनके संदेशवाहकों के प्रति आदर और श्रद्धा का भाव रहता है। हिंदी फ़िल्में इन गॉडमैन को बड़े ही पॉजिटिव तरीके से पेश किया है। यह फ़िल्में गॉडमैन के टोटकों, अपने भक्तों के अंधविश्वास का फायदा उठाने की तरकीबों और उनकी कारगुज़ारियों पर केंद्रित रही हैं। यह फ़िल्में बताती हैं कि अंधश्रद्धा ठीक नहीं। यह फ़िल्में यह भी साबित कराती हैं कि सभी बाबा, स्वामी या गॉडमैन फ़र्ज़ी नहीं।
बॉलीवुड फिल्मों के ठग साधु-संत
हिंदी फिल्मों में सन्यासियों साधुओं का चित्रण काफी पुराना है। हेमेन गुप्ता की फिल्म आनंद मठ साधू संतों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को याद करती थी। इस फिल्म का वन्दे मातरम गीत काफी लोकप्रिय हुआ था। फिल्म में पृथ्वीराज कपूर और प्रदीप कुमार ने सन्यासियों के किरदार बखूबी किये थे। आरके नारायण के इसी नाम के उपन्यास पर विजय आनंद ने फिल्म गाइड का निर्माण किया था। इस फिल्म में देवानंद ने राजू गाइड का किरदार किया था, जिसे परिस्थितियोंवश गाँव वालों द्वारा साधू मान लिया जाता है। वह उनके विश्वास की खातिर पानी बरसाने के लिए उपवास रखता है। नारायण की मूल कहानी का राजू गाइड भूख से बेहाल हो कर रात में भाग खडा होता है। उपन्यास अंधविश्वास पर चोट करने वाले थी। लेकिन, हिंदी गाइड में राजू पानी के लिए उपवास करता है और मर जाता है। उसके मरते ही पानी बरसने लगता है। फिल्म हेरा फेरी (१९७६) में अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना साधु का वेश धर कर लोगों को ठगते हैं। अमिताभ बच्चन की शान, अमर अकबर अन्थोनी, आदि और विनोद खन्ना की फिल्म हाथ की सफाई में किरदार साधु बन कर ठगी करते हैं।
गॉडमैन की पोल खोलता जादूगर
प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन साथ कई हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी थी। इसी कड़ी में प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन को खराब समय से उबारने के लिए फिल्म जादूगर का निर्माण किया था। इस फिल्म में अमरीश पूरी के अपराधी से गॉडमैन महाप्रभु जगत सागर जगत नारायण बन कर एक छोटे कसबे धरमपुर के लोगों को ठग रहा है। उसका अमेरिका से लौटा बेटा शंकर जब यह देखता है तो वह एक जादूगर गोगा के ज़रिये अपने पिता के ढोंग का पर्दाफाश करता है। इस फिल्म में आदित्य पंचोली ने शंकर और अमिताभ बच्चन ने जादूगर गोगा का किरदार किया था। अब यह बात दीगर है कि यह फिल्म बुरी तरह से असफल हुई। इसके साथ ही प्रकाश मेहरा और अमिताभ बच्चन की निर्देशक-एक्टर जोड़ी भी टूट गई।
राजनीति और धर्म का घालमेल
रोहित शेट्टी की फिल्म सिंघम रिटर्न्स में अजय देवगन एक ईमानदार पुलिस अधिकारी बाजीराव सिंघम बने थे। २०११ की फिल्म सिंघम के इस सीक्वल में एक पाखंडी बाबा सत्यराज चंद्र बाबा से सिंघम का टकराव होता है। इस बाबा के कई बड़े नेताओं के साथ सम्बन्ध है। सिंघम इस बाबा के पाखंड का पर्दाफाश करते हुए राजनीति और धर्म के घालमेल को ख़त्म करता है। फिल्म में अमोल गुप्ते ने पाखंडी बाबा का किरदार बेहतरीन तरीके से किया था।
ओह माय गॉड में लीलाधर स्वामी का पाखंड
उमेश शुक्ल की फिल्म ओएमजी : ओह माय गॉड स्वामियों और मुल्लाओं के पाखण्ड कर पर्दाफ़ाश करती थी कि यह कथित धर्म के ठेकेदार किस प्रकार से ईश्वर पर विश्वास करने वाली जनता के भोलेपन का फायदा अपनी स्वार्थ पूर्ती के लिए उठाते हैं। इस फिल्म में केंद्र में मिथुन चक्रवर्ती का लीलाधर स्वामी का किरदार था। पूनम झावर ने राधे माँ की नक़ल में गोपी मैया का किरदार किया था। फिल्म में अक्षय कुमार कृष्ण की भूमिका में थे। परेश रावल ने बाबाओं का पर्दाफ़ाश करने वाले व्यक्ति का किरदार किया था। लेकिन, यह फिल्म ईश्वर के अस्तित्व को नकारती नहीं थी।
धर्म और पाखण्ड को नकारता पीके
अपनी मुन्नाभाई सीरीज की फिल्मों और ३ इडियट्स जैसी व्यंग्यात्मक फिल्मों के निदेशक राजकुमार हिरानी की फिल्म पीके एक एलियन की होने के बावजूद एलियन के सवालों ज़रिये धर्म पर निशाना बनाती थी। आमिर खान ने एलियन पीके का किरदार किया था। तमाम ऊलजुलूल हरकते करने के बाद उनका पीके सीधे हिन्दू धर्म को निशाना बनाता था। इस फिल्म सौरभ ने पाखंडी बाबा तपस्वी महाराज का किरदार बेहतरीन तरीके से किया था।
वास्तविकता तो यह है कि हिंदी फिल्मों में गॉडमैन को हमेशा से जगह मिली है। यह स्वाभाविक भी है। हिंदुस्तान की जनता धार्मिक रूप से भीरु है। उन्हें भगवान् और उनके संदेशवाहकों के प्रति आदर और श्रद्धा का भाव रहता है। हिंदी फ़िल्में इन गॉडमैन को बड़े ही पॉजिटिव तरीके से पेश किया है। यह फ़िल्में गॉडमैन के टोटकों, अपने भक्तों के अंधविश्वास का फायदा उठाने की तरकीबों और उनकी कारगुज़ारियों पर केंद्रित रही हैं। यह फ़िल्में बताती हैं कि अंधश्रद्धा ठीक नहीं। यह फ़िल्में यह भी साबित कराती हैं कि सभी बाबा, स्वामी या गॉडमैन फ़र्ज़ी नहीं।
बॉलीवुड फिल्मों के ठग साधु-संत
हिंदी फिल्मों में सन्यासियों साधुओं का चित्रण काफी पुराना है। हेमेन गुप्ता की फिल्म आनंद मठ साधू संतों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को याद करती थी। इस फिल्म का वन्दे मातरम गीत काफी लोकप्रिय हुआ था। फिल्म में पृथ्वीराज कपूर और प्रदीप कुमार ने सन्यासियों के किरदार बखूबी किये थे। आरके नारायण के इसी नाम के उपन्यास पर विजय आनंद ने फिल्म गाइड का निर्माण किया था। इस फिल्म में देवानंद ने राजू गाइड का किरदार किया था, जिसे परिस्थितियोंवश गाँव वालों द्वारा साधू मान लिया जाता है। वह उनके विश्वास की खातिर पानी बरसाने के लिए उपवास रखता है। नारायण की मूल कहानी का राजू गाइड भूख से बेहाल हो कर रात में भाग खडा होता है। उपन्यास अंधविश्वास पर चोट करने वाले थी। लेकिन, हिंदी गाइड में राजू पानी के लिए उपवास करता है और मर जाता है। उसके मरते ही पानी बरसने लगता है। फिल्म हेरा फेरी (१९७६) में अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना साधु का वेश धर कर लोगों को ठगते हैं। अमिताभ बच्चन की शान, अमर अकबर अन्थोनी, आदि और विनोद खन्ना की फिल्म हाथ की सफाई में किरदार साधु बन कर ठगी करते हैं।
गॉडमैन की पोल खोलता जादूगर
प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन साथ कई हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी थी। इसी कड़ी में प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन को खराब समय से उबारने के लिए फिल्म जादूगर का निर्माण किया था। इस फिल्म में अमरीश पूरी के अपराधी से गॉडमैन महाप्रभु जगत सागर जगत नारायण बन कर एक छोटे कसबे धरमपुर के लोगों को ठग रहा है। उसका अमेरिका से लौटा बेटा शंकर जब यह देखता है तो वह एक जादूगर गोगा के ज़रिये अपने पिता के ढोंग का पर्दाफाश करता है। इस फिल्म में आदित्य पंचोली ने शंकर और अमिताभ बच्चन ने जादूगर गोगा का किरदार किया था। अब यह बात दीगर है कि यह फिल्म बुरी तरह से असफल हुई। इसके साथ ही प्रकाश मेहरा और अमिताभ बच्चन की निर्देशक-एक्टर जोड़ी भी टूट गई।
राजनीति और धर्म का घालमेल
रोहित शेट्टी की फिल्म सिंघम रिटर्न्स में अजय देवगन एक ईमानदार पुलिस अधिकारी बाजीराव सिंघम बने थे। २०११ की फिल्म सिंघम के इस सीक्वल में एक पाखंडी बाबा सत्यराज चंद्र बाबा से सिंघम का टकराव होता है। इस बाबा के कई बड़े नेताओं के साथ सम्बन्ध है। सिंघम इस बाबा के पाखंड का पर्दाफाश करते हुए राजनीति और धर्म के घालमेल को ख़त्म करता है। फिल्म में अमोल गुप्ते ने पाखंडी बाबा का किरदार बेहतरीन तरीके से किया था।
ओह माय गॉड में लीलाधर स्वामी का पाखंड
उमेश शुक्ल की फिल्म ओएमजी : ओह माय गॉड स्वामियों और मुल्लाओं के पाखण्ड कर पर्दाफ़ाश करती थी कि यह कथित धर्म के ठेकेदार किस प्रकार से ईश्वर पर विश्वास करने वाली जनता के भोलेपन का फायदा अपनी स्वार्थ पूर्ती के लिए उठाते हैं। इस फिल्म में केंद्र में मिथुन चक्रवर्ती का लीलाधर स्वामी का किरदार था। पूनम झावर ने राधे माँ की नक़ल में गोपी मैया का किरदार किया था। फिल्म में अक्षय कुमार कृष्ण की भूमिका में थे। परेश रावल ने बाबाओं का पर्दाफ़ाश करने वाले व्यक्ति का किरदार किया था। लेकिन, यह फिल्म ईश्वर के अस्तित्व को नकारती नहीं थी।
धर्म और पाखण्ड को नकारता पीके
अपनी मुन्नाभाई सीरीज की फिल्मों और ३ इडियट्स जैसी व्यंग्यात्मक फिल्मों के निदेशक राजकुमार हिरानी की फिल्म पीके एक एलियन की होने के बावजूद एलियन के सवालों ज़रिये धर्म पर निशाना बनाती थी। आमिर खान ने एलियन पीके का किरदार किया था। तमाम ऊलजुलूल हरकते करने के बाद उनका पीके सीधे हिन्दू धर्म को निशाना बनाता था। इस फिल्म सौरभ ने पाखंडी बाबा तपस्वी महाराज का किरदार बेहतरीन तरीके से किया था।
स्वामी की ज़ुल्म की हुकूमत
भारत रंगाचारी की एक्शन से भरपूर धर्मेंद्र, गोविंदा, किमी काटकर, ओमशिवपुरी, आदि सितारों से भरी इस फिल्म में परेश रावल ने स्वामी की वेशभूषा में रहने वाले अंडरवर्ल्ड डॉन स्वामी का किरदार किया था। वह एक माध्यम वर्गीय परिवार पर कहर बन कर टूटता है। इस बदला फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर ख़ास सफलता नहीं मिली थी। लेकिन, परेश रावल स्वामी के किरदार में खूब जमे थे।
सलमान खान भी बने बाबा
सावन कुमार टाक की फिल्म सावन : द लव सीजन सलोनी झावेरी और कपिल अश्विनी जैसी छोटी स्टार कास्ट के साथ बनाई गई फिल्म थी। सावन कुमार ने सलमान खान के साथ सनम बेवफा जैसी हिट फिल्म के अलावा श्रीदेवी के साथ चाँद का टुकड़ा भी बनाई थी। उन्होंने सावन : द लव सीजन में सलमान खान को एक छोटी भूमिका में लिया था। सलमान खान की यह भूमिका देवदूत की थी, जो भविष्यवाणी कर सकता है। यह फिल्म किसी गॉडमैन का पर्दाफाश करने वाली फिल्म नहीं थी।
कुछ दूसरे बाबा या गॉडमैन
कई छोटे अभिनेताओं ने परदे पर बाबा किरदारों को किया है। इनमे ग्लोबल बाबा के अभिमन्यु सिंह, चल गुरु हो जा शुरू के संजय मिश्रा, कुकू माथुर की झंड हो गई के बृजेन्द्र काला, धरम संकट में के नसीरुद्दीन शाह और बुड्ढा मर गया के ओमपुरी के किरदार उल्लेखनीय हैं। लेकिन, कमज़ोर स्क्रिप्ट के कारण यह फ़िल्में दर्शकों पर प्रभाव नहीं छोड़ सकी।
Saturday 9 September 2017
हीरोइन का एक्शन अवतार
अब तू चीज़ बड़ी है मस्त मस्त का ज़माना नहीं रहा। अँखियों से गोली मारे तो सोचिये नहीं। अब यह सब पुरानी बात हो गई है। अब हिंदी फिल्मों की नायिका इतनी मस्त नहीं रही कि कोई लम्पट उससे छेड़छाड़ कर सकें। अब वह अँखियों से गोली नहीं मारती, चितवन से तीर नहीं चलाती। अब वह सचमुच बन्दूक थाम कर अपने नायक के कंधे से कंधा मिला कर दुश्मनों का सफाया कर सकती है। तीर और तलवार चलाना उसके बांये हाथ का खेल है।
बदलाव के साथ
बॉलीवुड में बड़ी तेज़ी से बदलाव हुआ है। कभी निर्देशक ज्ञान मुख़र्जी की फिल्म किस्मत (१९४३) में फिल्म के नायक शेखर (अशोक कुमार) के चाकू रखने पर संसद में बवाल मच गया था। फिल्म को सिर्फ इसी कारण से वयस्कों वाला सेंसर प्रमाणपत्र मिला था। लेकिन इस फिल्म ने अशोक कुमार की किस्मत के ताले खोल दिए। वह बड़े स्टार बन गए। उस समय भी नायिका छुई मुई और नैनन बाण चलाने वाली ही थी। उसकी किस्मत में ज़्यादातर आंसू बहाना ही लिखा था। इसीलिए, जब सीआईडी (१९५६) में वहीदा रहमान के करैक्टर के कंधे से दुपट्टा सरकाने की कोशिश की गई तो वहीदा रहमान निर्देशक राज खोसला से नाराज़ हो गई। सोलहवां साल (१९५८) में उनका घर से भागना फिल्म को वयस्क प्रमाण पत्र दिला गया।
बदला रूप नायिका का
अब फिल्म की नायिका बिंदास है। वह साठ के दशक की फिल्मों की खलनायिका की तरह छोटे और उघडे बदन वाले कपडे पहन सकती है। बिकिनी से उसे परहेज़ नहीं। चुम्बन के लिए अब दो फूलों को भिड़ाने या पक्षियों के चोंच लड़ाने की ज़रुरत नहीं। नायिका के गाली बकने का सिलसिला तो हेमा मालिनी ने सीता और गीता (१९७२) में ही शुरू कर दिया था। वह हंटर चला रही थी। हालाँकि, मूक युग में हंटर और तीर तलवार और बन्दूक चलाने वाली नायिका वाली फ़िल्में खूब बनी। अपनी हंटर वाली सीरीज की फिल्मों के कारण पर्थ ऑस्ट्रेलिया की मैरी इवांस फीयरलेस नादिया के नाम से मशहूर हुई। लेकिन, फिल्मों में आवाज़ के साथ ही हिंदी फिल्मों की नायिका के कन्धों पर परिवार का बोझ आ गया। परिवार को सम्हालना उसकी ज़िम्मेदारी हो गई। युग थोड़ा बदला भी तो नायिका की किस्मत में ख़ास बदलाव नहीं हुआ। धर्मेंद्र के आने के बाद जो एक्शन फ़िल्में बनी उन में भी नायिका के लिए आधुनिक दिखना नसीब नहीं था।
ज़ीनत अमान और परवीन बाबी का आना
हिंदी फिल्मों में नायिका के कलेवर में बदलाव आया ज़ीनत अमान और परवीन बाबी के आने के बाद। मिश्रित रक्त वाली ज़ीनत अमान ने मॉडलिंग की। मिस इंडिया में हिस्सा लिया। उन्हें ओ० पी० रल्हन ने अपनी फिल्म हंगामा की नायिका बनाया। परवीन बाबी जूनागढ़ के राज घराने से थी। आधुनिकता उनके खून में थी। अहमदाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही बीआर इशारा ने उन्हें अपनी फिल्म चरित्र की नायिका बना दिया। यह दोनों अभिनेत्रियां समकालीन थी। इन अभिनेत्रियों के आने के ठीक बाद अमिताभ बच्चन का सितारा चमका। उनका एंग्री यंगमैन हिंदी सिनेमा पर छा गया। बच्चन की फिल्मों में जो कुछ होता था, नायक ही होता था। नायिका को उसका और दर्शकों का मनोरंजन करना होता था बस । ज़ीनत अमान और परवीन बाबी ने यह काम बखूबी किया। उन्होंने हिंदी फिल्मों की खल नायिका का पत्ता काट दिया। इन अभिनेत्रियों ने हाथों में बन्दूक भी थामी। फिल्म इन्साफ का तराज़ू में ज़ीनत अमान बलात्कारी राज बब्बर के चरित्र को गोलियों से भून देती थी।
बदला लेने के लिए
लेकिन, छिटपुट फिल्मों में यह रातोंरात होता था। पूरी फिल्म में अपने नायक के साथ रोमांस करती, शादी के बाद बच्चे पैदा करती नायिका यकायक क्रोधित हो उठती। उसके पति की हत्या हो जाती या घर में किसी सदस्य के साथ कुछ खराब हो जाता, वह तुरंत बदला लेने के लिए बन्दूक उठा लेती। हिंदी में बनी गर्मागर्म फिल्मों की उत्तेजक हावभाव वाली नायिका अपने साथ बलात्कार का बदला लेने के लिए एक एक कर बलात्कारियों को मारने लगती। सब कुछ रातोरात होता। कोई तैयारी नहीं। कोई ट्रेनिंग नहीं। इन फिल्मों को देख कर ऐसा लगता, जैसे कहानी में नायक के बजाय नायिका को फिट कर दिया गया है। बिलकुल अस्वाभाविक जैसा लगता। क्या अपनी गृहस्थी में रमी और नायक पर निर्भर नायिका रातों रात चोला बदल सकती है ? क्या बिना तैयारियों के वह बन्दूक चला सकती है ? बुरे आदमियों को बेहिचक निशाना बना सकती है ? घोड़े पर सरपट भागती नायिका ने घुड़सवारी कब सीखी ? फिल्मों में ऐसे तमाम सवाल अनसुलझे रह जाते।
एक्शन के लिए तैयार अभिनेत्रियां
इसके बावजूद कुछ हिंदी फ़िल्में तमाम सवालों के जवाब देती भी थी। निर्देशक राकेश रोशन की फिल्म खून भरी मांग में आरती का पति संजय वर्मा उसे मगरमच्छों वाले तालाब में धकेल कर मारने की कोशिश करता है। लेकिन, वह एक बूढ़े आदमी द्वारा बचा ली जाती है। वही बूढा आदमी उसे घुड़सवारी, बन्दूक चलाने और मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग देता है। निर्देशक तनूजा चंद्रा की फिल्म दुश्मन जुड़वा बहनों की कहानी थी। एक बहन का बलात्कार हो जाता है। दूसरी बहन बलात्कारी से बदला लेना चाहती है। इसमें उसकी मदद करता है सेना का एक रिटायर मेजर। इन फिल्मों की पटकथाएं विदेशी कहानी से प्रेरित थी। खून भरी मांग एक ऑस्ट्रेलियाई मिनी सीरीज रिटर्न टू ईडन (१९८३) का रीमेक थी, जबकि दुश्मन हॉलीवुड फिल्म ऑय फॉर ऐन ऑय (१९९६) का रीमेक थी। इसलिए इन दोनों फिल्मों की नायिकाएं अपनी पूरी तैयारी के बाद बदला ले रही थी।
इसके बावजूद को रेखा या काजल एक्शन हीरोइन का तमगा हासिल नहीं कर सकी। ऐसा स्वाभाविक था। फिल्म अभिनेत्रियां नायक प्रधान फिल्मों की नायिका बन कर ही खुश थी। एक्शन फिल्म के लिए तैयारी का मतलब किसी सलमान खान या शाहरुख़ खान की फिल्म से हाथ धोना होता। हिंदी फिल्मों की तमाम अभिनेत्रियां खान एक्ट्रेस बन कर ही मस्त थी। लेकिन बदलाव भी एक तकाज़ा होता है।
हॉलीवुड में देसी नायिका का एक्शन
नायक प्रधान एक्शन फिल्मों से दर्शकों का ऊबना स्वाभाविक था। विदेशी स्टूडियोज और बैंकों आदि द्वारा फिल्म निर्माण में रूचि दिखाने के कारण नायिका को अलग नज़रिये से देखना शुरू कर दिया गया। फिल्मों में अपना मुकाम बनाने के लिए बेकरार अभिनेत्रियों ने भी अपने रोल को रियल लाइफ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन अभिनेत्रियों ने अपनी भूमिकाओं को स्वभाविक बनाने के लिए खूब मेहनत की। प्रियंका चोपड़ा को बेस्ट एक्शन हीरोइन का दर्ज़ा दिया जाता है। वह अमेरिकन सीरीज क्वांटिको में एक्शन कर ही रही थी, हॉलीवुड फिल्म बेवॉच में भी धुंआधार एक्शन कर रही हैं। वह अपने रोल के लिए मेहनत करती है। सुपरहीरो फिल्म द्रोण में वह बॉडीगार्ड के किरदार में थी। इसके लिए उन्होंने सिख हथियार गटका चलाना सीखा। कपोरा और मार्शट आर्ट्स की ख़ास ट्रेनिंग ली। उन्हें लेकर जय गंगाजल और मैरी कॉम जैसी नायिका प्रधान एक्शन फ़िल्में बनाई गई। कैटरीना कैफ अपनी भूमिकाओं के लिए काफी तैयारी करती हैं। एक था टाइगर के लिए उन्होंने कार्डियक और वेट ट्रेनिंग ली, ताकि अपने एक्शन आसानी से कर सकें। वह इस फिल्म के सीक्वल टाइगर ज़िंदा है के लिए कॉम्बैट ट्रेनिंग ले रही है। फिल्म में उनके कई खतरनाक एक्शन दृश्य बताये जा रहे हैं। कंगना रनौत भी बेहद परफेक्ट हीरोइन हैं। उन्होंने कृष ३ में अपनी काया की भूमिका के लिए खुद को तुंब रेडर की लारा क्रॉफ्ट जैसा ढाला ही, अपना वजन काफी घटाया, कराटे, जुडो और ताइक्वांडो की ट्रेनिंग ली। वह रानी लक्ष्मी बाई पर अपनी फिल्म के लिए घुड़सवारी और तलवारबाज़ी भी सीख रही हैं। बिपाशा बासु ने हॉलीवुड फिल्म सिंगुलैरिटी, ऐश्वर्या राय बच्चन ने धूम २ और जोधा अकबर और अपनी हॉलीवुड फिल्म पिंक पैंथर के लिए तलवारबाज़ी सीखी है। दीपिका पादुकोण ने चांदनी चौक टू चाइना के लिए मार्शल आर्ट्स सीखी। उन्होंने बाजीराव मस्तानी के लिए तलवारबाज़ी सीखी।
फिर भी... हॉलीवुड एक्ट्रेस से पीछे
इसके बावजूद बॉलीवुड अभी तक ब्रिगिट निएल्सन (रेड सोन्या और रॉकी), एंजेलिना जोली (तुंब रेडर की लारा क्रॉफ्ट), मिला जोवोविच (रेजिडेंट ईविल सीरीज की एलिस), केट बेकिंस्ले ( अंडरवर्ल्ड सीरीज की सेलेन), सीगोर्नी वीवर (एलियंस की रिप्ले) और जेनिफर लॉरेंस (द हंगर गेम्स सीरीज की कैटनिस एवरडीन) के तोड़ की कोई अभिनेत्री तैयार नहीं कर सका है। हाल ही में अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा को बॉलीवुड की एंजेलिना जोली बताया जा रहा था। क्योंकि, वह अकीरा और फाॅर्स २ में एक्शन कर रही थी। ऐसा लग रहा था कि वह एक्शन स्टार बन कर उभरेंगी। लेकिन, दोनों ही फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम हुई। तापसी पन्नू ने फिल्म बेबी में कुछ एक्शन सीन किये थे। लेकिन, शिवम् नायर की एक्शन फिल्म नाम शबाना में वह एक रॉ एजेंट का केंद्रीय एक्शन किरदार कर रही थी। इसके लिए तापसी पन्नू ने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग के अलावा कूडो और कर्व मागा भी सीखा। तापसी पन्नू की फिल्म भी असफल हुई।
हिंदी फिल्मों की अभिनेत्रियां खतरनाक एक्शन करने में अपने स्क्रीन साथी से पीछे नहीं। लेकिन, विडम्बना यह है यह कि बॉलीवुड में एक्शन हीरोइन की कोई परम्परा नहीं बन सकी है। वह एक समय में एकाधिक फिल्मों की शूटिंग करती है। जहाँ एक फिल्म में उसे रोमांटिक दिखाना होता है तो अगली फिल्म में एक्शन के अनुरूप ढालना भी होता है। यह आसान नहीं और संभव भी नहीं है। उस पर दर्शक इन नायिका प्रधान फिल्मों को बुरी असफलता देता है। अकीरा और नाम शबाना की असफलता एक्शन हीरोइन का दिल तोड देती है।
बदलाव के साथ
बॉलीवुड में बड़ी तेज़ी से बदलाव हुआ है। कभी निर्देशक ज्ञान मुख़र्जी की फिल्म किस्मत (१९४३) में फिल्म के नायक शेखर (अशोक कुमार) के चाकू रखने पर संसद में बवाल मच गया था। फिल्म को सिर्फ इसी कारण से वयस्कों वाला सेंसर प्रमाणपत्र मिला था। लेकिन इस फिल्म ने अशोक कुमार की किस्मत के ताले खोल दिए। वह बड़े स्टार बन गए। उस समय भी नायिका छुई मुई और नैनन बाण चलाने वाली ही थी। उसकी किस्मत में ज़्यादातर आंसू बहाना ही लिखा था। इसीलिए, जब सीआईडी (१९५६) में वहीदा रहमान के करैक्टर के कंधे से दुपट्टा सरकाने की कोशिश की गई तो वहीदा रहमान निर्देशक राज खोसला से नाराज़ हो गई। सोलहवां साल (१९५८) में उनका घर से भागना फिल्म को वयस्क प्रमाण पत्र दिला गया।
बदला रूप नायिका का
अब फिल्म की नायिका बिंदास है। वह साठ के दशक की फिल्मों की खलनायिका की तरह छोटे और उघडे बदन वाले कपडे पहन सकती है। बिकिनी से उसे परहेज़ नहीं। चुम्बन के लिए अब दो फूलों को भिड़ाने या पक्षियों के चोंच लड़ाने की ज़रुरत नहीं। नायिका के गाली बकने का सिलसिला तो हेमा मालिनी ने सीता और गीता (१९७२) में ही शुरू कर दिया था। वह हंटर चला रही थी। हालाँकि, मूक युग में हंटर और तीर तलवार और बन्दूक चलाने वाली नायिका वाली फ़िल्में खूब बनी। अपनी हंटर वाली सीरीज की फिल्मों के कारण पर्थ ऑस्ट्रेलिया की मैरी इवांस फीयरलेस नादिया के नाम से मशहूर हुई। लेकिन, फिल्मों में आवाज़ के साथ ही हिंदी फिल्मों की नायिका के कन्धों पर परिवार का बोझ आ गया। परिवार को सम्हालना उसकी ज़िम्मेदारी हो गई। युग थोड़ा बदला भी तो नायिका की किस्मत में ख़ास बदलाव नहीं हुआ। धर्मेंद्र के आने के बाद जो एक्शन फ़िल्में बनी उन में भी नायिका के लिए आधुनिक दिखना नसीब नहीं था।
ज़ीनत अमान और परवीन बाबी का आना
हिंदी फिल्मों में नायिका के कलेवर में बदलाव आया ज़ीनत अमान और परवीन बाबी के आने के बाद। मिश्रित रक्त वाली ज़ीनत अमान ने मॉडलिंग की। मिस इंडिया में हिस्सा लिया। उन्हें ओ० पी० रल्हन ने अपनी फिल्म हंगामा की नायिका बनाया। परवीन बाबी जूनागढ़ के राज घराने से थी। आधुनिकता उनके खून में थी। अहमदाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही बीआर इशारा ने उन्हें अपनी फिल्म चरित्र की नायिका बना दिया। यह दोनों अभिनेत्रियां समकालीन थी। इन अभिनेत्रियों के आने के ठीक बाद अमिताभ बच्चन का सितारा चमका। उनका एंग्री यंगमैन हिंदी सिनेमा पर छा गया। बच्चन की फिल्मों में जो कुछ होता था, नायक ही होता था। नायिका को उसका और दर्शकों का मनोरंजन करना होता था बस । ज़ीनत अमान और परवीन बाबी ने यह काम बखूबी किया। उन्होंने हिंदी फिल्मों की खल नायिका का पत्ता काट दिया। इन अभिनेत्रियों ने हाथों में बन्दूक भी थामी। फिल्म इन्साफ का तराज़ू में ज़ीनत अमान बलात्कारी राज बब्बर के चरित्र को गोलियों से भून देती थी।
बदला लेने के लिए
लेकिन, छिटपुट फिल्मों में यह रातोंरात होता था। पूरी फिल्म में अपने नायक के साथ रोमांस करती, शादी के बाद बच्चे पैदा करती नायिका यकायक क्रोधित हो उठती। उसके पति की हत्या हो जाती या घर में किसी सदस्य के साथ कुछ खराब हो जाता, वह तुरंत बदला लेने के लिए बन्दूक उठा लेती। हिंदी में बनी गर्मागर्म फिल्मों की उत्तेजक हावभाव वाली नायिका अपने साथ बलात्कार का बदला लेने के लिए एक एक कर बलात्कारियों को मारने लगती। सब कुछ रातोरात होता। कोई तैयारी नहीं। कोई ट्रेनिंग नहीं। इन फिल्मों को देख कर ऐसा लगता, जैसे कहानी में नायक के बजाय नायिका को फिट कर दिया गया है। बिलकुल अस्वाभाविक जैसा लगता। क्या अपनी गृहस्थी में रमी और नायक पर निर्भर नायिका रातों रात चोला बदल सकती है ? क्या बिना तैयारियों के वह बन्दूक चला सकती है ? बुरे आदमियों को बेहिचक निशाना बना सकती है ? घोड़े पर सरपट भागती नायिका ने घुड़सवारी कब सीखी ? फिल्मों में ऐसे तमाम सवाल अनसुलझे रह जाते।
एक्शन के लिए तैयार अभिनेत्रियां
इसके बावजूद कुछ हिंदी फ़िल्में तमाम सवालों के जवाब देती भी थी। निर्देशक राकेश रोशन की फिल्म खून भरी मांग में आरती का पति संजय वर्मा उसे मगरमच्छों वाले तालाब में धकेल कर मारने की कोशिश करता है। लेकिन, वह एक बूढ़े आदमी द्वारा बचा ली जाती है। वही बूढा आदमी उसे घुड़सवारी, बन्दूक चलाने और मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग देता है। निर्देशक तनूजा चंद्रा की फिल्म दुश्मन जुड़वा बहनों की कहानी थी। एक बहन का बलात्कार हो जाता है। दूसरी बहन बलात्कारी से बदला लेना चाहती है। इसमें उसकी मदद करता है सेना का एक रिटायर मेजर। इन फिल्मों की पटकथाएं विदेशी कहानी से प्रेरित थी। खून भरी मांग एक ऑस्ट्रेलियाई मिनी सीरीज रिटर्न टू ईडन (१९८३) का रीमेक थी, जबकि दुश्मन हॉलीवुड फिल्म ऑय फॉर ऐन ऑय (१९९६) का रीमेक थी। इसलिए इन दोनों फिल्मों की नायिकाएं अपनी पूरी तैयारी के बाद बदला ले रही थी।
इसके बावजूद को रेखा या काजल एक्शन हीरोइन का तमगा हासिल नहीं कर सकी। ऐसा स्वाभाविक था। फिल्म अभिनेत्रियां नायक प्रधान फिल्मों की नायिका बन कर ही खुश थी। एक्शन फिल्म के लिए तैयारी का मतलब किसी सलमान खान या शाहरुख़ खान की फिल्म से हाथ धोना होता। हिंदी फिल्मों की तमाम अभिनेत्रियां खान एक्ट्रेस बन कर ही मस्त थी। लेकिन बदलाव भी एक तकाज़ा होता है।
हॉलीवुड में देसी नायिका का एक्शन
नायक प्रधान एक्शन फिल्मों से दर्शकों का ऊबना स्वाभाविक था। विदेशी स्टूडियोज और बैंकों आदि द्वारा फिल्म निर्माण में रूचि दिखाने के कारण नायिका को अलग नज़रिये से देखना शुरू कर दिया गया। फिल्मों में अपना मुकाम बनाने के लिए बेकरार अभिनेत्रियों ने भी अपने रोल को रियल लाइफ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन अभिनेत्रियों ने अपनी भूमिकाओं को स्वभाविक बनाने के लिए खूब मेहनत की। प्रियंका चोपड़ा को बेस्ट एक्शन हीरोइन का दर्ज़ा दिया जाता है। वह अमेरिकन सीरीज क्वांटिको में एक्शन कर ही रही थी, हॉलीवुड फिल्म बेवॉच में भी धुंआधार एक्शन कर रही हैं। वह अपने रोल के लिए मेहनत करती है। सुपरहीरो फिल्म द्रोण में वह बॉडीगार्ड के किरदार में थी। इसके लिए उन्होंने सिख हथियार गटका चलाना सीखा। कपोरा और मार्शट आर्ट्स की ख़ास ट्रेनिंग ली। उन्हें लेकर जय गंगाजल और मैरी कॉम जैसी नायिका प्रधान एक्शन फ़िल्में बनाई गई। कैटरीना कैफ अपनी भूमिकाओं के लिए काफी तैयारी करती हैं। एक था टाइगर के लिए उन्होंने कार्डियक और वेट ट्रेनिंग ली, ताकि अपने एक्शन आसानी से कर सकें। वह इस फिल्म के सीक्वल टाइगर ज़िंदा है के लिए कॉम्बैट ट्रेनिंग ले रही है। फिल्म में उनके कई खतरनाक एक्शन दृश्य बताये जा रहे हैं। कंगना रनौत भी बेहद परफेक्ट हीरोइन हैं। उन्होंने कृष ३ में अपनी काया की भूमिका के लिए खुद को तुंब रेडर की लारा क्रॉफ्ट जैसा ढाला ही, अपना वजन काफी घटाया, कराटे, जुडो और ताइक्वांडो की ट्रेनिंग ली। वह रानी लक्ष्मी बाई पर अपनी फिल्म के लिए घुड़सवारी और तलवारबाज़ी भी सीख रही हैं। बिपाशा बासु ने हॉलीवुड फिल्म सिंगुलैरिटी, ऐश्वर्या राय बच्चन ने धूम २ और जोधा अकबर और अपनी हॉलीवुड फिल्म पिंक पैंथर के लिए तलवारबाज़ी सीखी है। दीपिका पादुकोण ने चांदनी चौक टू चाइना के लिए मार्शल आर्ट्स सीखी। उन्होंने बाजीराव मस्तानी के लिए तलवारबाज़ी सीखी।
फिर भी... हॉलीवुड एक्ट्रेस से पीछे
इसके बावजूद बॉलीवुड अभी तक ब्रिगिट निएल्सन (रेड सोन्या और रॉकी), एंजेलिना जोली (तुंब रेडर की लारा क्रॉफ्ट), मिला जोवोविच (रेजिडेंट ईविल सीरीज की एलिस), केट बेकिंस्ले ( अंडरवर्ल्ड सीरीज की सेलेन), सीगोर्नी वीवर (एलियंस की रिप्ले) और जेनिफर लॉरेंस (द हंगर गेम्स सीरीज की कैटनिस एवरडीन) के तोड़ की कोई अभिनेत्री तैयार नहीं कर सका है। हाल ही में अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा को बॉलीवुड की एंजेलिना जोली बताया जा रहा था। क्योंकि, वह अकीरा और फाॅर्स २ में एक्शन कर रही थी। ऐसा लग रहा था कि वह एक्शन स्टार बन कर उभरेंगी। लेकिन, दोनों ही फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम हुई। तापसी पन्नू ने फिल्म बेबी में कुछ एक्शन सीन किये थे। लेकिन, शिवम् नायर की एक्शन फिल्म नाम शबाना में वह एक रॉ एजेंट का केंद्रीय एक्शन किरदार कर रही थी। इसके लिए तापसी पन्नू ने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग के अलावा कूडो और कर्व मागा भी सीखा। तापसी पन्नू की फिल्म भी असफल हुई।
हिंदी फिल्मों की अभिनेत्रियां खतरनाक एक्शन करने में अपने स्क्रीन साथी से पीछे नहीं। लेकिन, विडम्बना यह है यह कि बॉलीवुड में एक्शन हीरोइन की कोई परम्परा नहीं बन सकी है। वह एक समय में एकाधिक फिल्मों की शूटिंग करती है। जहाँ एक फिल्म में उसे रोमांटिक दिखाना होता है तो अगली फिल्म में एक्शन के अनुरूप ढालना भी होता है। यह आसान नहीं और संभव भी नहीं है। उस पर दर्शक इन नायिका प्रधान फिल्मों को बुरी असफलता देता है। अकीरा और नाम शबाना की असफलता एक्शन हीरोइन का दिल तोड देती है।
Friday 8 September 2017
जोकर नहीं बुरी आत्मा है 'इट'/जॉर्ज बुश बनेंगे सैम रॉकवेल
जोकर नहीं बुरी आत्मा है 'इट'
डेरी कसबे में बच्चे गायब होते जा रहे हैं। हर गायब बच्चा छोड़ जाता है खून के निशान। इन बच्चों को एक जोकर के रूप में एक शैतान एक एक कर निगल रहा है। ऐसे समय में सात बच्चो का समूह इस शैतान जोकर का मुक़ाबला करने का निश्चय करता है। यह कहानी है चेस पामर, करी फुकुनगा और गरी डॉबरमैन की लिखी फिल्म इट की। यह हॉरर फिल्म स्टीफेन किंग के १९८६ में लिखे गए उपन्यास इट पर आधारित है। इस फिल्म को एंडी मुस्किएटी ने निर्देशित किया है। अर्जेंटीनी फिल्म निर्देशक एंडी को पहली बार हॉरर फिल्म ममा (२०१३) से ही पहचान मिली। फिल्म में लूज़र्स क्लब के लीडर बिल डेंबरो का किरदार जेडेन लिएबेरहेर ने किया है। बिल स्कारसगार्ड शैतानी क्लाउन पेनीवाइज का किरदार कर रहे हैं। अन्य भूमिकाओं में जेरेमी रे टेलर, सोफिए लिलिस, फिन वुल्फहार्ड, व्याट ओलेफ, चोसेन जैकब्स, जैक डिलन ग्रेज़र, निकोलस हैमिलटन और जैक्सन रॉबेर्ट स्कॉट के नाम उल्लेखनीय हैं। इट दुनिया भर में ८ सितम्बर को रिलीज़ होने जा रही है।
जॉर्ज बुश बनेंगे सैम रॉकवेल
मैचस्टिक मेन और आयरन मैन २ के अभिनेता सैम रॉकवेल अमेरिका के उपराष्ट्रपति डिक चेनी पर फिल्म चेनी में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश का किरदार करेंगे। इस फिल्म का निर्देशन बिग शार्ट फिल्म के डायरेक्टर एडम मैके कर रहे हैं। बुश ११ सितम्बर को अमेरिका पर आतंकवादी हमले के दौरान राष्ट्रपति पद पर थे। बुश के खाते में अफगानिस्तान युद्ध और इराक युद्ध जैसे अमेरिकियों के लिए बुरे निर्णय दर्ज हैं। डिक चेनी की इस आत्मकथा फिल्म में डिक चेनी के जीवन के वियतनाम युद्ध में सैन्य सेवा न देने जैसे तमाम विवादित घटनाएं देखने को मिलेंगी। डिक चेनी को अमेरिका के इतिहास का सबसे शक्तिशाली उपराष्ट्रपति कहा जाता है। हालाँकि, चेनी की कहानी अमेरिकी उपराष्ट्रपति पर केंद्रित है। लेकिन, फिल्म में राष्ट्रपति की बुश की भूमिका का भी महत्त्व है। इसीलिए, इस रोल में सैम रॉकवेल के अभिनय का महत्त्व होगा। इस फिल्म में द डार्क नाइट में बैटमैन का किरदार करने वाले अभिनेता क्रिस्चियन बेल डिक चेनी का किरदार करेंगे। फिल्म के कुछ अहम् किरदारों, मसलन अमेरिकी प्रतिरक्षा मंत्री डोनाल्ड रम्सफेल्ड की भूमिका फॉक्स कैचर के स्टीव केरल तथा चेनी की पत्नी लिनने के किरदार को अराइवल की एमी एडम्स कर रही हैं। इंडिपेंडेंस डे के अभिनेता बिल पूलमैन को भी फिल्म की स्टार कास्ट में शामिल किया गया है। लेकिन, अभी उनकी भूमिका साफ़ नहीं है। फिलहाल इस फिल्म की रिलीज़ की तारीख तय नहीं की गई है। लेकिन, उम्मीद यह की जा रही है कि फिल्म ऐसे समय में रिलीज़ होगी, ताकि पुरस्कारों के चयनकर्ताओं की निगाहों में बनी रहे।
डेरी कसबे में बच्चे गायब होते जा रहे हैं। हर गायब बच्चा छोड़ जाता है खून के निशान। इन बच्चों को एक जोकर के रूप में एक शैतान एक एक कर निगल रहा है। ऐसे समय में सात बच्चो का समूह इस शैतान जोकर का मुक़ाबला करने का निश्चय करता है। यह कहानी है चेस पामर, करी फुकुनगा और गरी डॉबरमैन की लिखी फिल्म इट की। यह हॉरर फिल्म स्टीफेन किंग के १९८६ में लिखे गए उपन्यास इट पर आधारित है। इस फिल्म को एंडी मुस्किएटी ने निर्देशित किया है। अर्जेंटीनी फिल्म निर्देशक एंडी को पहली बार हॉरर फिल्म ममा (२०१३) से ही पहचान मिली। फिल्म में लूज़र्स क्लब के लीडर बिल डेंबरो का किरदार जेडेन लिएबेरहेर ने किया है। बिल स्कारसगार्ड शैतानी क्लाउन पेनीवाइज का किरदार कर रहे हैं। अन्य भूमिकाओं में जेरेमी रे टेलर, सोफिए लिलिस, फिन वुल्फहार्ड, व्याट ओलेफ, चोसेन जैकब्स, जैक डिलन ग्रेज़र, निकोलस हैमिलटन और जैक्सन रॉबेर्ट स्कॉट के नाम उल्लेखनीय हैं। इट दुनिया भर में ८ सितम्बर को रिलीज़ होने जा रही है।
जॉर्ज बुश बनेंगे सैम रॉकवेल
मैचस्टिक मेन और आयरन मैन २ के अभिनेता सैम रॉकवेल अमेरिका के उपराष्ट्रपति डिक चेनी पर फिल्म चेनी में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश का किरदार करेंगे। इस फिल्म का निर्देशन बिग शार्ट फिल्म के डायरेक्टर एडम मैके कर रहे हैं। बुश ११ सितम्बर को अमेरिका पर आतंकवादी हमले के दौरान राष्ट्रपति पद पर थे। बुश के खाते में अफगानिस्तान युद्ध और इराक युद्ध जैसे अमेरिकियों के लिए बुरे निर्णय दर्ज हैं। डिक चेनी की इस आत्मकथा फिल्म में डिक चेनी के जीवन के वियतनाम युद्ध में सैन्य सेवा न देने जैसे तमाम विवादित घटनाएं देखने को मिलेंगी। डिक चेनी को अमेरिका के इतिहास का सबसे शक्तिशाली उपराष्ट्रपति कहा जाता है। हालाँकि, चेनी की कहानी अमेरिकी उपराष्ट्रपति पर केंद्रित है। लेकिन, फिल्म में राष्ट्रपति की बुश की भूमिका का भी महत्त्व है। इसीलिए, इस रोल में सैम रॉकवेल के अभिनय का महत्त्व होगा। इस फिल्म में द डार्क नाइट में बैटमैन का किरदार करने वाले अभिनेता क्रिस्चियन बेल डिक चेनी का किरदार करेंगे। फिल्म के कुछ अहम् किरदारों, मसलन अमेरिकी प्रतिरक्षा मंत्री डोनाल्ड रम्सफेल्ड की भूमिका फॉक्स कैचर के स्टीव केरल तथा चेनी की पत्नी लिनने के किरदार को अराइवल की एमी एडम्स कर रही हैं। इंडिपेंडेंस डे के अभिनेता बिल पूलमैन को भी फिल्म की स्टार कास्ट में शामिल किया गया है। लेकिन, अभी उनकी भूमिका साफ़ नहीं है। फिलहाल इस फिल्म की रिलीज़ की तारीख तय नहीं की गई है। लेकिन, उम्मीद यह की जा रही है कि फिल्म ऐसे समय में रिलीज़ होगी, ताकि पुरस्कारों के चयनकर्ताओं की निगाहों में बनी रहे।
सपोर्टिंग नहीं ! नायक-नायिका के मज़बूत सहारे
निर्माता-निर्देशक संजयलीला भंसाली ने जब ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म पद्मावती की स्टार कास्ट का ऐलान करना शुरू किया, तब पद्मावती (दीपिका पादुकोण) के पति रावल रतन सिंह के किरदार के लिए विकी कौशल के नाम का ऐलान किया गया था। लेकिन, दीपिका को यह रास नहीं आया कि वह छोटे एक्टर के साथ परदे पर रोमांस करें। उन्होंने विकी के साथ काम करने से मना कर दिया। नतीजे के तौर पर शाहिद कपूर रावल बन गए। दीपिका को छोटे अभिनेता के साथ काम करने पर ऐतराज़ नहीं होना चाहिए था, क्योंकि फिल्म उन पर केंद्रित थी। आने वाली कई हिंदी फिल्मों में सपोर्टिंग कास्ट में बहुत नामचीन एक्टर नहीं लिए गए हैं। यह तमाम कलाकार अपनी फिल्म के मुख्य चरित्र को सपोर्ट करते हैं। इनमे से तमाम एक्टर सशक्त कलाकार भी हैं। यही कारण है कि किसी फिल्म के नायक के सपोर्ट में ऐसे अभिनेताओं को लिया गया है।
डैडी की मदद में आनंद और राजेश
अशीम अहलूवालिया की फिल्म डैडी की कहानी बॉम्बे के मशहूर गैंगस्टर अरुण गवली पर केंद्रित है। फिल्म में अरुण गवली की भूमिका अर्जुन रामपाल कर रहे हैं। अस्सी और नब्बे के दशक में मुंबई में बाबू रेशिम, रामा नाइक और अरुण गवली का दबदबा हुआ करता था। इस तिकड़ी को पुलिस वाले और मीडिया के लोग ब्रा (BRA ) के नाम से पुकारते थे। फिल्म में इन गैंगस्टर किरदारो का परस्पर टकराव होता रहता है। चूंकि, अर्जुन रामपाल का अरुण गवली किरदार मुख्य है, इसलिए इससे टकराने वाले किरदारों के एक्टरों को भी मज़बूत होना ही चाहिए। बाबू रेशिम का किरदार करने वाले आनंद इंगले और रामा नाइक के एक्टर राजेश श्रृंगारपुरे इसका प्रमाण हैं। आनंद इंगले मराठी स्टेज और फिल्म एक्टर हैं। उन्हें सशक्त अभिनेता माना जाता है। डैडी आनंद की पहली फिल्म है। जबकि, राजेश श्रृंगारपुरे को हिंदी दर्शक देख चुके हैं। वह परम वीर चक्र, सरकार राज और मर्डर ३ जैसी फिल्मों के सशक्त किरदार कर चुके हैं। अर्जुन रामपाल बहुत अच्छे अभिनेता नहीं माने जाते। लेकिन, इस इंटेंस फिल्म में अर्जुन रामपाल की मदद आनंद इंगले और राजेश श्रृंगारपुरे बखूबी कर पाएंगे।
पिता, पुत्री और वह
सिद्धांत गुप्ता की फिल्म यात्रा क्रिकेट, स्विमिंग और बास्केटबॉल से गुजरती हुई मॉडलिंग के बाद फिल्मों तक पहुंचती है। उन्होंने टीवी सीरियल टशन ए इश्क़ में कुञ्ज के किरदार से पहचान बनाई। सिद्धांत ने अब तक रिलीज़ अपनी दो फिल्मों बैंग बैंग बैंकाक और बदमाशियां में सह भूमिकाएं ही हैं। भूमि में उनकी विशाल खन्ना की भूमिका इस लिहाज़ से अलग है कि यह किरदार पिता संजय दत्त और पुत्री अदिति राव हैदरी के बीच का 'वह' हैं। कुछ ऐसा ही हो रहा है गुजराती नाटक पर आधारित उमेश शुक्ल की फिल्म १०२ नॉट आउट में । इस फिल्म में अमिताभ बच्चन १०२ साल के बूढ़े और ऋषि कपूर उनके ७५ साल के बेटे का किरदार कर रहे हैं। यह बूढा एक चीनी के कब्ज़े से सबसे ज़्यादा उम्र के जीवित व्यक्ति के खिताब को हथियाना चाहता है। इस बाप बेटे की फिल्म में शबाना आज़मी भी है। बेशक शबाना आज़मी सशक्त अभिनेत्री हैं। लेकिन, वह अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की सपोर्टिंग भूमिका में ही है।
अभिनेत्रियों के सपोर्टर
अब ऐसी हिंदी फ़िल्में भी बनाई जाने लगी हैं, जिनमे कहानी पूरी तरह से नायिका पर केंद्रित होती हैं। इन फिल्मों में नायक का कोई ख़ास रोल नहीं होता। दक्षिण की अभिनेत्री लक्ष्मी राय की बतौर नायिका पहली फिल्म जूली २ का प्रचार लक्ष्मी राय पर ही केंद्रित है। अभी तक फिल्म में उनके नायक के नाम का खुलासा तक नहीं हुआ है। इसी तरह से दूसरी कुछ फ़िल्में भी हैं। इनके नायक कौन अभिनेता हैं, सभी जानते हैं। लेकिन, यह बहुत ज़्यादा सफल अभिनेता नहीं है। भोपाल से अमेरिका गणित पढ़ने गए अंकुर भाटिया को एक्टिंग का चस्का लगा तो न्यूयॉर्क फिल्म अकडेमी में दाखिल ले कर फिल्म निर्माण और अभिनय सीख लिया। वहीँ कुछ फ़िल्में भी मिल गई। ज़ंजीर के रीमेक में अंकुर ने बोस्को का निगेटिव किरदार भी किया। सरबजीत फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन के पति बलदेव का किरदार करने वाले अंकुर भाटिया अब अपूर्व लखिया की ही फिल्म हसीना -द क्वीन ऑफ़ मुंबई (हसीना पार्कर) में श्रद्धा कपूर के पति इब्राहिम पार्कर का किरदार कर रहे हैं। अपनी पहली दो फिल्मों में प्रभाव छोड़ने वाले अंकुर हसीना की छोटी भूमिका में भी श्रद्धा के किरदार को भरपूर सपोर्ट कर सकेंगे। निर्माता, निर्देशक और लेखक अनंत महादेवन की फिल्म अक्सर २ में दो अभिनेता गौतम रोडे और अभिनव शुक्ल नायक हैं। यह दोनों टेलीविज़न सीरियलों के जाने पहचाने चेहरे हैं। गौतम रोडे ने संजयलीला भंसाली के सीरियल सरस्वतीचंद्र में टाइटल रोल किया था। अभिनव शुक्ल भी टीवी पर महत्वपूर्ण किरदार कर चुके हैं। लेकिन, अक्सर २ में यह दोनों अपनी नायिका के सहयोगी नायक हैं। इस फिल्म की नायिका ज़रीन खान हैं। पूरी फिल्म ज़रीन खान के अंग प्रदर्शन और कामुक हावभाव पर टिकी होगी। निर्देशक सुरेश त्रिवेणी की फिल्म तुम्हारी सुलु में विद्या बालन ने एक ऐसी गृहणी का किरदार कर रही हैं, जिसे रेडियो जॉकी बनाने का मौक़ा मिल जाता है। फिल्म में उनकी बॉस का किरदार नेहा धूपिया कर रही हैं। पूरी तरह से नायिकाओं पर केंद्रित फिल्म तुम्हारी सुलु में मानव कौल विद्या बालन के पति का किरदार कर रहे हैं। क्या पूरी तरह से विद्या बालन की फिल्म में मानव कौल के लिए कोई ख़ास मौके होंगे ?
सपोर्ट में अभिनेत्रियां भी
टेलीविज़न सीरियल वीरा की समान्तर भूमिका से शुरुआत करने वाली समीक्षा भटनागर कुमकुम भाग्य, उतरन और देवों के देव महादेव जैसे टीवी सीरियलों में भिन्न किरदार कर चुकी हैं। उनका हिंदी फिल्म डेब्यू मधुर भंडारकर की फिल्म कैलेंडर गर्ल से हुआ था। श्रेयस तलपड़े निर्देशित कॉमेडी फिल्म पोस्टर बॉयज में वह सनी देओल, बॉबी देओल और श्रेयस तलपड़े जैसी बड़ी स्टार कास्ट के साथ बॉबी की प्रेमिका सूरजमुखी का किरदार कर रही हैं। निर्देशक राजा कृष्णा मेनन की फिल्म शेफ हॉलीवुड इसी टाइटल वाली फिल्म की रीमेक है। यह फिल्म एक शेफ की है, जो खुद को प्रूफ करने के लिए एक बस में अपना चलता फिरता ढाबा लेकर निकल पड़ता है। हॉलीवुड फिल्म में इस शेफ का साथ उसकी पूर्व पत्नी देती है। राजा कृष्ण मेनन की फिल्म में भी यह किरदार है। ज़ाहिर है कि यह मुख्य किरदार का सपोर्टिंग है। इस भूमिका को मलयालम फिल्म अभिनेत्री पद्मप्रिया कर रही हैं। पद्मप्रिया को हिंदी दर्शक फिल्म स्ट्राइकर (२०१०) में देख चुके हैं। वह अपने स्वाभाविक अभिनय से शेफ को सहारा देंगी।
डैडी की मदद में आनंद और राजेश
अशीम अहलूवालिया की फिल्म डैडी की कहानी बॉम्बे के मशहूर गैंगस्टर अरुण गवली पर केंद्रित है। फिल्म में अरुण गवली की भूमिका अर्जुन रामपाल कर रहे हैं। अस्सी और नब्बे के दशक में मुंबई में बाबू रेशिम, रामा नाइक और अरुण गवली का दबदबा हुआ करता था। इस तिकड़ी को पुलिस वाले और मीडिया के लोग ब्रा (BRA ) के नाम से पुकारते थे। फिल्म में इन गैंगस्टर किरदारो का परस्पर टकराव होता रहता है। चूंकि, अर्जुन रामपाल का अरुण गवली किरदार मुख्य है, इसलिए इससे टकराने वाले किरदारों के एक्टरों को भी मज़बूत होना ही चाहिए। बाबू रेशिम का किरदार करने वाले आनंद इंगले और रामा नाइक के एक्टर राजेश श्रृंगारपुरे इसका प्रमाण हैं। आनंद इंगले मराठी स्टेज और फिल्म एक्टर हैं। उन्हें सशक्त अभिनेता माना जाता है। डैडी आनंद की पहली फिल्म है। जबकि, राजेश श्रृंगारपुरे को हिंदी दर्शक देख चुके हैं। वह परम वीर चक्र, सरकार राज और मर्डर ३ जैसी फिल्मों के सशक्त किरदार कर चुके हैं। अर्जुन रामपाल बहुत अच्छे अभिनेता नहीं माने जाते। लेकिन, इस इंटेंस फिल्म में अर्जुन रामपाल की मदद आनंद इंगले और राजेश श्रृंगारपुरे बखूबी कर पाएंगे।
पिता, पुत्री और वह
सिद्धांत गुप्ता की फिल्म यात्रा क्रिकेट, स्विमिंग और बास्केटबॉल से गुजरती हुई मॉडलिंग के बाद फिल्मों तक पहुंचती है। उन्होंने टीवी सीरियल टशन ए इश्क़ में कुञ्ज के किरदार से पहचान बनाई। सिद्धांत ने अब तक रिलीज़ अपनी दो फिल्मों बैंग बैंग बैंकाक और बदमाशियां में सह भूमिकाएं ही हैं। भूमि में उनकी विशाल खन्ना की भूमिका इस लिहाज़ से अलग है कि यह किरदार पिता संजय दत्त और पुत्री अदिति राव हैदरी के बीच का 'वह' हैं। कुछ ऐसा ही हो रहा है गुजराती नाटक पर आधारित उमेश शुक्ल की फिल्म १०२ नॉट आउट में । इस फिल्म में अमिताभ बच्चन १०२ साल के बूढ़े और ऋषि कपूर उनके ७५ साल के बेटे का किरदार कर रहे हैं। यह बूढा एक चीनी के कब्ज़े से सबसे ज़्यादा उम्र के जीवित व्यक्ति के खिताब को हथियाना चाहता है। इस बाप बेटे की फिल्म में शबाना आज़मी भी है। बेशक शबाना आज़मी सशक्त अभिनेत्री हैं। लेकिन, वह अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की सपोर्टिंग भूमिका में ही है।
अभिनेत्रियों के सपोर्टर
अब ऐसी हिंदी फ़िल्में भी बनाई जाने लगी हैं, जिनमे कहानी पूरी तरह से नायिका पर केंद्रित होती हैं। इन फिल्मों में नायक का कोई ख़ास रोल नहीं होता। दक्षिण की अभिनेत्री लक्ष्मी राय की बतौर नायिका पहली फिल्म जूली २ का प्रचार लक्ष्मी राय पर ही केंद्रित है। अभी तक फिल्म में उनके नायक के नाम का खुलासा तक नहीं हुआ है। इसी तरह से दूसरी कुछ फ़िल्में भी हैं। इनके नायक कौन अभिनेता हैं, सभी जानते हैं। लेकिन, यह बहुत ज़्यादा सफल अभिनेता नहीं है। भोपाल से अमेरिका गणित पढ़ने गए अंकुर भाटिया को एक्टिंग का चस्का लगा तो न्यूयॉर्क फिल्म अकडेमी में दाखिल ले कर फिल्म निर्माण और अभिनय सीख लिया। वहीँ कुछ फ़िल्में भी मिल गई। ज़ंजीर के रीमेक में अंकुर ने बोस्को का निगेटिव किरदार भी किया। सरबजीत फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन के पति बलदेव का किरदार करने वाले अंकुर भाटिया अब अपूर्व लखिया की ही फिल्म हसीना -द क्वीन ऑफ़ मुंबई (हसीना पार्कर) में श्रद्धा कपूर के पति इब्राहिम पार्कर का किरदार कर रहे हैं। अपनी पहली दो फिल्मों में प्रभाव छोड़ने वाले अंकुर हसीना की छोटी भूमिका में भी श्रद्धा के किरदार को भरपूर सपोर्ट कर सकेंगे। निर्माता, निर्देशक और लेखक अनंत महादेवन की फिल्म अक्सर २ में दो अभिनेता गौतम रोडे और अभिनव शुक्ल नायक हैं। यह दोनों टेलीविज़न सीरियलों के जाने पहचाने चेहरे हैं। गौतम रोडे ने संजयलीला भंसाली के सीरियल सरस्वतीचंद्र में टाइटल रोल किया था। अभिनव शुक्ल भी टीवी पर महत्वपूर्ण किरदार कर चुके हैं। लेकिन, अक्सर २ में यह दोनों अपनी नायिका के सहयोगी नायक हैं। इस फिल्म की नायिका ज़रीन खान हैं। पूरी फिल्म ज़रीन खान के अंग प्रदर्शन और कामुक हावभाव पर टिकी होगी। निर्देशक सुरेश त्रिवेणी की फिल्म तुम्हारी सुलु में विद्या बालन ने एक ऐसी गृहणी का किरदार कर रही हैं, जिसे रेडियो जॉकी बनाने का मौक़ा मिल जाता है। फिल्म में उनकी बॉस का किरदार नेहा धूपिया कर रही हैं। पूरी तरह से नायिकाओं पर केंद्रित फिल्म तुम्हारी सुलु में मानव कौल विद्या बालन के पति का किरदार कर रहे हैं। क्या पूरी तरह से विद्या बालन की फिल्म में मानव कौल के लिए कोई ख़ास मौके होंगे ?
सपोर्ट में अभिनेत्रियां भी
टेलीविज़न सीरियल वीरा की समान्तर भूमिका से शुरुआत करने वाली समीक्षा भटनागर कुमकुम भाग्य, उतरन और देवों के देव महादेव जैसे टीवी सीरियलों में भिन्न किरदार कर चुकी हैं। उनका हिंदी फिल्म डेब्यू मधुर भंडारकर की फिल्म कैलेंडर गर्ल से हुआ था। श्रेयस तलपड़े निर्देशित कॉमेडी फिल्म पोस्टर बॉयज में वह सनी देओल, बॉबी देओल और श्रेयस तलपड़े जैसी बड़ी स्टार कास्ट के साथ बॉबी की प्रेमिका सूरजमुखी का किरदार कर रही हैं। निर्देशक राजा कृष्णा मेनन की फिल्म शेफ हॉलीवुड इसी टाइटल वाली फिल्म की रीमेक है। यह फिल्म एक शेफ की है, जो खुद को प्रूफ करने के लिए एक बस में अपना चलता फिरता ढाबा लेकर निकल पड़ता है। हॉलीवुड फिल्म में इस शेफ का साथ उसकी पूर्व पत्नी देती है। राजा कृष्ण मेनन की फिल्म में भी यह किरदार है। ज़ाहिर है कि यह मुख्य किरदार का सपोर्टिंग है। इस भूमिका को मलयालम फिल्म अभिनेत्री पद्मप्रिया कर रही हैं। पद्मप्रिया को हिंदी दर्शक फिल्म स्ट्राइकर (२०१०) में देख चुके हैं। वह अपने स्वाभाविक अभिनय से शेफ को सहारा देंगी।
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