जेल में २० साल की सज़ा काट रहे गुरमीत राम रहीम एक्टिंग करने के भी शौक़ीन हैं। वह खुद फ़िल्में बनाते थे। उसके हीरोइन छोड़ कर सब कुछ हुआ करते थे। वह पिछले तीन सालों में पांच फ़िल्में बना चुके हैं। एमएसजी : मेसेंजर ऑफ़ गॉड सीरीज की उनकी फ़िल्में ख़ास लोकप्रिय हुई। अब यह बात दीगर है कि अपने कारनामों की वजह से वह आज जेल में हैं। कोई शक नहीं अगर बॉलीवुड से कोई फिल्म उनके कारनामों पर बनाये जाने का ऐलान हो जाए। बॉलीवुड को ऎसी किसी घटना का इंतज़ार रहता है।
वास्तविकता तो यह है कि हिंदी फिल्मों में गॉडमैन को हमेशा से जगह मिली है। यह स्वाभाविक भी है। हिंदुस्तान की जनता धार्मिक रूप से भीरु है। उन्हें भगवान् और उनके संदेशवाहकों के प्रति आदर और श्रद्धा का भाव रहता है। हिंदी फ़िल्में इन गॉडमैन को बड़े ही पॉजिटिव तरीके से पेश किया है। यह फ़िल्में गॉडमैन के टोटकों, अपने भक्तों के अंधविश्वास का फायदा उठाने की तरकीबों और उनकी कारगुज़ारियों पर केंद्रित रही हैं। यह फ़िल्में बताती हैं कि अंधश्रद्धा ठीक नहीं। यह फ़िल्में यह भी साबित कराती हैं कि सभी बाबा, स्वामी या गॉडमैन फ़र्ज़ी नहीं।
बॉलीवुड फिल्मों के ठग साधु-संत
हिंदी फिल्मों में सन्यासियों साधुओं का चित्रण काफी पुराना है। हेमेन गुप्ता की फिल्म आनंद मठ साधू संतों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को याद करती थी। इस फिल्म का वन्दे मातरम गीत काफी लोकप्रिय हुआ था। फिल्म में पृथ्वीराज कपूर और प्रदीप कुमार ने सन्यासियों के किरदार बखूबी किये थे। आरके नारायण के इसी नाम के उपन्यास पर विजय आनंद ने फिल्म गाइड का निर्माण किया था। इस फिल्म में देवानंद ने राजू गाइड का किरदार किया था, जिसे परिस्थितियोंवश गाँव वालों द्वारा साधू मान लिया जाता है। वह उनके विश्वास की खातिर पानी बरसाने के लिए उपवास रखता है। नारायण की मूल कहानी का राजू गाइड भूख से बेहाल हो कर रात में भाग खडा होता है। उपन्यास अंधविश्वास पर चोट करने वाले थी। लेकिन, हिंदी गाइड में राजू पानी के लिए उपवास करता है और मर जाता है। उसके मरते ही पानी बरसने लगता है। फिल्म हेरा फेरी (१९७६) में अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना साधु का वेश धर कर लोगों को ठगते हैं। अमिताभ बच्चन की शान, अमर अकबर अन्थोनी, आदि और विनोद खन्ना की फिल्म हाथ की सफाई में किरदार साधु बन कर ठगी करते हैं।
गॉडमैन की पोल खोलता जादूगर
प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन साथ कई हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी थी। इसी कड़ी में प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन को खराब समय से उबारने के लिए फिल्म जादूगर का निर्माण किया था। इस फिल्म में अमरीश पूरी के अपराधी से गॉडमैन महाप्रभु जगत सागर जगत नारायण बन कर एक छोटे कसबे धरमपुर के लोगों को ठग रहा है। उसका अमेरिका से लौटा बेटा शंकर जब यह देखता है तो वह एक जादूगर गोगा के ज़रिये अपने पिता के ढोंग का पर्दाफाश करता है। इस फिल्म में आदित्य पंचोली ने शंकर और अमिताभ बच्चन ने जादूगर गोगा का किरदार किया था। अब यह बात दीगर है कि यह फिल्म बुरी तरह से असफल हुई। इसके साथ ही प्रकाश मेहरा और अमिताभ बच्चन की निर्देशक-एक्टर जोड़ी भी टूट गई।
राजनीति और धर्म का घालमेल
रोहित शेट्टी की फिल्म सिंघम रिटर्न्स में अजय देवगन एक ईमानदार पुलिस अधिकारी बाजीराव सिंघम बने थे। २०११ की फिल्म सिंघम के इस सीक्वल में एक पाखंडी बाबा सत्यराज चंद्र बाबा से सिंघम का टकराव होता है। इस बाबा के कई बड़े नेताओं के साथ सम्बन्ध है। सिंघम इस बाबा के पाखंड का पर्दाफाश करते हुए राजनीति और धर्म के घालमेल को ख़त्म करता है। फिल्म में अमोल गुप्ते ने पाखंडी बाबा का किरदार बेहतरीन तरीके से किया था।
ओह माय गॉड में लीलाधर स्वामी का पाखंड
उमेश शुक्ल की फिल्म ओएमजी : ओह माय गॉड स्वामियों और मुल्लाओं के पाखण्ड कर पर्दाफ़ाश करती थी कि यह कथित धर्म के ठेकेदार किस प्रकार से ईश्वर पर विश्वास करने वाली जनता के भोलेपन का फायदा अपनी स्वार्थ पूर्ती के लिए उठाते हैं। इस फिल्म में केंद्र में मिथुन चक्रवर्ती का लीलाधर स्वामी का किरदार था। पूनम झावर ने राधे माँ की नक़ल में गोपी मैया का किरदार किया था। फिल्म में अक्षय कुमार कृष्ण की भूमिका में थे। परेश रावल ने बाबाओं का पर्दाफ़ाश करने वाले व्यक्ति का किरदार किया था। लेकिन, यह फिल्म ईश्वर के अस्तित्व को नकारती नहीं थी।
धर्म और पाखण्ड को नकारता पीके
अपनी मुन्नाभाई सीरीज की फिल्मों और ३ इडियट्स जैसी व्यंग्यात्मक फिल्मों के निदेशक राजकुमार हिरानी की फिल्म पीके एक एलियन की होने के बावजूद एलियन के सवालों ज़रिये धर्म पर निशाना बनाती थी। आमिर खान ने एलियन पीके का किरदार किया था। तमाम ऊलजुलूल हरकते करने के बाद उनका पीके सीधे हिन्दू धर्म को निशाना बनाता था। इस फिल्म सौरभ ने पाखंडी बाबा तपस्वी महाराज का किरदार बेहतरीन तरीके से किया था।
वास्तविकता तो यह है कि हिंदी फिल्मों में गॉडमैन को हमेशा से जगह मिली है। यह स्वाभाविक भी है। हिंदुस्तान की जनता धार्मिक रूप से भीरु है। उन्हें भगवान् और उनके संदेशवाहकों के प्रति आदर और श्रद्धा का भाव रहता है। हिंदी फ़िल्में इन गॉडमैन को बड़े ही पॉजिटिव तरीके से पेश किया है। यह फ़िल्में गॉडमैन के टोटकों, अपने भक्तों के अंधविश्वास का फायदा उठाने की तरकीबों और उनकी कारगुज़ारियों पर केंद्रित रही हैं। यह फ़िल्में बताती हैं कि अंधश्रद्धा ठीक नहीं। यह फ़िल्में यह भी साबित कराती हैं कि सभी बाबा, स्वामी या गॉडमैन फ़र्ज़ी नहीं।
बॉलीवुड फिल्मों के ठग साधु-संत
हिंदी फिल्मों में सन्यासियों साधुओं का चित्रण काफी पुराना है। हेमेन गुप्ता की फिल्म आनंद मठ साधू संतों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को याद करती थी। इस फिल्म का वन्दे मातरम गीत काफी लोकप्रिय हुआ था। फिल्म में पृथ्वीराज कपूर और प्रदीप कुमार ने सन्यासियों के किरदार बखूबी किये थे। आरके नारायण के इसी नाम के उपन्यास पर विजय आनंद ने फिल्म गाइड का निर्माण किया था। इस फिल्म में देवानंद ने राजू गाइड का किरदार किया था, जिसे परिस्थितियोंवश गाँव वालों द्वारा साधू मान लिया जाता है। वह उनके विश्वास की खातिर पानी बरसाने के लिए उपवास रखता है। नारायण की मूल कहानी का राजू गाइड भूख से बेहाल हो कर रात में भाग खडा होता है। उपन्यास अंधविश्वास पर चोट करने वाले थी। लेकिन, हिंदी गाइड में राजू पानी के लिए उपवास करता है और मर जाता है। उसके मरते ही पानी बरसने लगता है। फिल्म हेरा फेरी (१९७६) में अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना साधु का वेश धर कर लोगों को ठगते हैं। अमिताभ बच्चन की शान, अमर अकबर अन्थोनी, आदि और विनोद खन्ना की फिल्म हाथ की सफाई में किरदार साधु बन कर ठगी करते हैं।
गॉडमैन की पोल खोलता जादूगर
प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन साथ कई हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी थी। इसी कड़ी में प्रकाश मेहरा ने अमिताभ बच्चन को खराब समय से उबारने के लिए फिल्म जादूगर का निर्माण किया था। इस फिल्म में अमरीश पूरी के अपराधी से गॉडमैन महाप्रभु जगत सागर जगत नारायण बन कर एक छोटे कसबे धरमपुर के लोगों को ठग रहा है। उसका अमेरिका से लौटा बेटा शंकर जब यह देखता है तो वह एक जादूगर गोगा के ज़रिये अपने पिता के ढोंग का पर्दाफाश करता है। इस फिल्म में आदित्य पंचोली ने शंकर और अमिताभ बच्चन ने जादूगर गोगा का किरदार किया था। अब यह बात दीगर है कि यह फिल्म बुरी तरह से असफल हुई। इसके साथ ही प्रकाश मेहरा और अमिताभ बच्चन की निर्देशक-एक्टर जोड़ी भी टूट गई।
राजनीति और धर्म का घालमेल
रोहित शेट्टी की फिल्म सिंघम रिटर्न्स में अजय देवगन एक ईमानदार पुलिस अधिकारी बाजीराव सिंघम बने थे। २०११ की फिल्म सिंघम के इस सीक्वल में एक पाखंडी बाबा सत्यराज चंद्र बाबा से सिंघम का टकराव होता है। इस बाबा के कई बड़े नेताओं के साथ सम्बन्ध है। सिंघम इस बाबा के पाखंड का पर्दाफाश करते हुए राजनीति और धर्म के घालमेल को ख़त्म करता है। फिल्म में अमोल गुप्ते ने पाखंडी बाबा का किरदार बेहतरीन तरीके से किया था।
ओह माय गॉड में लीलाधर स्वामी का पाखंड
उमेश शुक्ल की फिल्म ओएमजी : ओह माय गॉड स्वामियों और मुल्लाओं के पाखण्ड कर पर्दाफ़ाश करती थी कि यह कथित धर्म के ठेकेदार किस प्रकार से ईश्वर पर विश्वास करने वाली जनता के भोलेपन का फायदा अपनी स्वार्थ पूर्ती के लिए उठाते हैं। इस फिल्म में केंद्र में मिथुन चक्रवर्ती का लीलाधर स्वामी का किरदार था। पूनम झावर ने राधे माँ की नक़ल में गोपी मैया का किरदार किया था। फिल्म में अक्षय कुमार कृष्ण की भूमिका में थे। परेश रावल ने बाबाओं का पर्दाफ़ाश करने वाले व्यक्ति का किरदार किया था। लेकिन, यह फिल्म ईश्वर के अस्तित्व को नकारती नहीं थी।
धर्म और पाखण्ड को नकारता पीके
अपनी मुन्नाभाई सीरीज की फिल्मों और ३ इडियट्स जैसी व्यंग्यात्मक फिल्मों के निदेशक राजकुमार हिरानी की फिल्म पीके एक एलियन की होने के बावजूद एलियन के सवालों ज़रिये धर्म पर निशाना बनाती थी। आमिर खान ने एलियन पीके का किरदार किया था। तमाम ऊलजुलूल हरकते करने के बाद उनका पीके सीधे हिन्दू धर्म को निशाना बनाता था। इस फिल्म सौरभ ने पाखंडी बाबा तपस्वी महाराज का किरदार बेहतरीन तरीके से किया था।
स्वामी की ज़ुल्म की हुकूमत
भारत रंगाचारी की एक्शन से भरपूर धर्मेंद्र, गोविंदा, किमी काटकर, ओमशिवपुरी, आदि सितारों से भरी इस फिल्म में परेश रावल ने स्वामी की वेशभूषा में रहने वाले अंडरवर्ल्ड डॉन स्वामी का किरदार किया था। वह एक माध्यम वर्गीय परिवार पर कहर बन कर टूटता है। इस बदला फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर ख़ास सफलता नहीं मिली थी। लेकिन, परेश रावल स्वामी के किरदार में खूब जमे थे।
सलमान खान भी बने बाबा
सावन कुमार टाक की फिल्म सावन : द लव सीजन सलोनी झावेरी और कपिल अश्विनी जैसी छोटी स्टार कास्ट के साथ बनाई गई फिल्म थी। सावन कुमार ने सलमान खान के साथ सनम बेवफा जैसी हिट फिल्म के अलावा श्रीदेवी के साथ चाँद का टुकड़ा भी बनाई थी। उन्होंने सावन : द लव सीजन में सलमान खान को एक छोटी भूमिका में लिया था। सलमान खान की यह भूमिका देवदूत की थी, जो भविष्यवाणी कर सकता है। यह फिल्म किसी गॉडमैन का पर्दाफाश करने वाली फिल्म नहीं थी।
कुछ दूसरे बाबा या गॉडमैन
कई छोटे अभिनेताओं ने परदे पर बाबा किरदारों को किया है। इनमे ग्लोबल बाबा के अभिमन्यु सिंह, चल गुरु हो जा शुरू के संजय मिश्रा, कुकू माथुर की झंड हो गई के बृजेन्द्र काला, धरम संकट में के नसीरुद्दीन शाह और बुड्ढा मर गया के ओमपुरी के किरदार उल्लेखनीय हैं। लेकिन, कमज़ोर स्क्रिप्ट के कारण यह फ़िल्में दर्शकों पर प्रभाव नहीं छोड़ सकी।
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