फिल्मों के शुरूआती युग में दर्शकों के जाने पहचाने रामायण के चरित्रों पर ढेरों फ़िल्में बनाई गई। दादा साहेब फाल्के की राजा हरिश्चंद्र के बाद दूसरी फिल्म रामायण के चरित्रों पर लंका दहन थी। इस फिल्म में राजा हरिश्चंद्र में तारामती की भूमिका करने वाले अन्ना सालुंके ने राम और सीता दोनों चरित्र किये थे। इसके बाद रामायण और रामचरित मानस में राम, सीता, लक्षमण, भारत और हनुमान तथा निश्चित रूप से रावण पर ढेरों फ़िल्में बनाई गई। इनमे रामायण, सम्पूर्ण रामायण, बाल रामायण, आदि टाइटल उल्लेखनीय हैं। बाद में धार्मिक फ़िल्में बनाना धीरे धीरे कम होता चला गया।
इसके बावजूद रामायण और महाभारत का कथानक हमारी फिल्मों के खून में बना रहा। तमाम हिंदी फिल्मों के कथानक रामायण की मूलकथा से प्रेरित थे। ख़ास तौर पर पिता की आज्ञा का पालन, भाई भाई के बीच प्यार, आदि हिंदी फिल्म दर्शकों को भावुक कर पाने में सक्षम थे। कुछ फिल्मकारों ने रामायण के कतिपय पात्रों को प्रतीकस्वरुप दिखाया। ख़ास तौर पर रावण के चरित्र को पारंपरिक ढंग से भी दिखाया गया और कुछ दूसरी तरह से आज के सन्दर्भ में रावण की परिभाषा की गई। यहाँ याद आती है निर्देशक जॉनी बक्शी की १९८४ में रिलीज़ फिल्म रावण। यह फिल्म रामायण की राम कथा को सामाजिक सरोकारों के साथ जोड़ती थी । इस फिल्म में दिखाए गए एक गाँव में मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले तो जलाये जाते हैं, लेकिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता ? ऐसा क्यों किया जाता है? फिल्म में अखबार के लोग इस सन्दर्भ में गाँव के लोगों से पूछते हैं। इस पर गाँव के बुजुर्ग उस गाँव की एक औरत गंगा की प्रेम कहानी बताते हैं, जो अपने प्यार की ताक़त से रावण को राम में बदल देती है। इस खूबसूरत फिल्म में गंगा की भूमिका में स्मिता पाटिल थीं और रावण गुलशन अरोड़ा बने थे। फिल्म में विक्रम, ओमपुरी, विकास आनंद, केतन आनंद और मनमौजी जैसी स्टारकास्ट भी थी।
इसके बावजूद रामायण और महाभारत का कथानक हमारी फिल्मों के खून में बना रहा। तमाम हिंदी फिल्मों के कथानक रामायण की मूलकथा से प्रेरित थे। ख़ास तौर पर पिता की आज्ञा का पालन, भाई भाई के बीच प्यार, आदि हिंदी फिल्म दर्शकों को भावुक कर पाने में सक्षम थे। कुछ फिल्मकारों ने रामायण के कतिपय पात्रों को प्रतीकस्वरुप दिखाया। ख़ास तौर पर रावण के चरित्र को पारंपरिक ढंग से भी दिखाया गया और कुछ दूसरी तरह से आज के सन्दर्भ में रावण की परिभाषा की गई। यहाँ याद आती है निर्देशक जॉनी बक्शी की १९८४ में रिलीज़ फिल्म रावण। यह फिल्म रामायण की राम कथा को सामाजिक सरोकारों के साथ जोड़ती थी । इस फिल्म में दिखाए गए एक गाँव में मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले तो जलाये जाते हैं, लेकिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता ? ऐसा क्यों किया जाता है? फिल्म में अखबार के लोग इस सन्दर्भ में गाँव के लोगों से पूछते हैं। इस पर गाँव के बुजुर्ग उस गाँव की एक औरत गंगा की प्रेम कहानी बताते हैं, जो अपने प्यार की ताक़त से रावण को राम में बदल देती है। इस खूबसूरत फिल्म में गंगा की भूमिका में स्मिता पाटिल थीं और रावण गुलशन अरोड़ा बने थे। फिल्म में विक्रम, ओमपुरी, विकास आनंद, केतन आनंद और मनमौजी जैसी स्टारकास्ट भी थी।
आम तौर पर हिंदी फिल्मों का विलेन रावण जैसा था। अट्टहास लगाता, नायिका की इज्ज़त लूटने को हर समय तैयार और दुनिया को ख़त्म कर देने का सपना देखने वाला। रावण राज : अ ट्रू स्टोरी दक्षिण के निर्देशक टी रामा राव की निर्देशन शैली में बनी फिल्म थी। बॉम्बे सिटी की पृष्ठभूमि पर रावण राज भ्रष्टाचार, अपराध और अंगों के अवैध व्यापार पर फिल्म है। अपने नायक को महिमा मंडित करती यह फिल्म सज़ा काट रहे पूर्व पुलिस अधिकारी को फिर से नौकरी में लेकर अंगों के व्यापार का भंडाफोड़ करने का काम सौंपा जाता है। फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, मधु, हरीश, शीबा, शक्ति कपूर, जॉनी लीवर, आदित्य पंचोली, परेश रावल, आदि की मुख्य भूमिका थी। लाउड शैली में बनी इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर सफलता मिली थी। कुछ ऐसी ही कहानी निर्देशक इमरान खालिद की रिवेंज ड्रामा फिल्म आज का रावण भी है। इस फिल्म में एक पत्रकार का क़त्ल हो जाता है। दूसरी जॉर्नलिस्ट शांति इस हत्या का खुलासा करने की कोशिश करती हैं तो विश्तर नाथ उससे बलात्कार करता है। ऐसे में शांति की मदद करने आगे आता है शंकर। मिथुन चक्रवर्ती ने शंकर की भूमिका की थी और आज का रावण मोहन जोशी बने थे।
मणिरत्नम ने रावण को बिलकुल नए सन्दर्भ में पेश किया था। फिल्म की पूरी कहानी में रामायण के पात्र हैं। इस फिल्म में बीरा मुंडा एक डाकू और आधुनिक रावण है। वह पुलिस अधिकारी से बदला लेने के लिए उसकी पत्नी रागिनी शर्मा का अपहरण कर लेता है। पुलिस अधिकार देव प्रताप सिंह आधुनिक राम है। लेकिन, कहानी में पेंच है। रागिनी डाकू बीरा से प्रेम करने लगती है। इस फिल्म में गोविंदा हनुमान के आधुनिक अवतार बने थे। हिंदी में इस फिल्म को असफलता हासिल हुई। अलबत्ता, फिल्म का तमिल संस्करण सफल रहा। तमिल वर्शन में वीरैया का किरदार हिंदी वर्शन के देव प्रताप यानि विक्रम ने किया था।
तेलुगु फिल्म एक्टर और पूर्व मुख्य मंत्री एनटी रामाराव के पोते एनटीआर जूनियर की फिल्म जय लव कुश ने पहले ही दिन वर्ल्डवाइड ४९ करोड़ का बिज़नेस किया है। यह फिल्म १०० करोड़ क्लब में शामिल हो चुकी है। इस फिल्म में एनटीआर जूनियर ने तीनों टाइटल रोल किये हैं। फिल्म में उनकी जय की भूमिका रामायण के रावण से प्रेरित है। इस भूमिका के लिए जूनियर एनटीआर ने प्रोस्थेटिक मेकअप का इस्तेमाल किया है। इस भूमिका में उन्होंने संवाद बोलने में हकलाहट से काम लिया है। उनकी एक भूमिका राम से प्रेरित भी है। अब चूंकि जय लव कुश बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हो चुकी है, यह कहा जा सकता है कि रावण का किरदार दर्शकों को आकर्षित करता है। मणिरत्नम ने रावण को बिलकुल नए सन्दर्भ में पेश किया था। फिल्म की पूरी कहानी में रामायण के पात्र हैं। इस फिल्म में बीरा मुंडा एक डाकू और आधुनिक रावण है। वह पुलिस अधिकारी से बदला लेने के लिए उसकी पत्नी रागिनी शर्मा का अपहरण कर लेता है। पुलिस अधिकार देव प्रताप सिंह आधुनिक राम है। लेकिन, कहानी में पेंच है। रागिनी डाकू बीरा से प्रेम करने लगती है। इस फिल्म में गोविंदा हनुमान के आधुनिक अवतार बने थे। हिंदी में इस फिल्म को असफलता हासिल हुई। अलबत्ता, फिल्म का तमिल संस्करण सफल रहा। तमिल वर्शन में वीरैया का किरदार हिंदी वर्शन के देव प्रताप यानि विक्रम ने किया था।
हिंदी फिल्मों में रावण के लिहाज़ से शाहरुख़ खान की सुपरहीरो फिल्म रा.वन उल्लेखनीय है। इस फिल्म में एक वीडियो गेम बनाने वाली कंपनी की कर्मचारी एक ऐसा गेम तैयार करती है, जिसमे नायक कमज़ोर है और खलनायक उस पर भारी पड़ता है। इस गेम का नायक जी.वन यानि तकनीकी भाषा में गुड वन या जीवन का पर्याय था। रा.वन यानि रैंडम एक्सेस वर्शन वन यानि रावण। निर्देशक अनुभव सिन्हा इस जटिल कहानी को दर्शकों को अच्छी तरह से समझा नहीं पाए। उनकी कविता ढिल्लों और मुश्ताक़ शैख़ के साथ पटकथा भी मदद नहीं कर सकी। हालाँकि, फिल्म २४६ करोड़ का ग्रॉस किया। मगर लागत के लिहाज़ से यह फिल्म शाहरुख़ खान के लिए घाटे का सौदा साबित हुई।
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