उम्मीद के डायरेक्टर रजत एस मुख़र्जी मलाल है कि सेंसर बोर्ड सच को दिखाना नहीं चाहता। रजत का यह मलाल इस वजह से है कि उनकी फिल्म उम्मीद को यू/ए सर्टिफिकेट भी नहीं दिया गया। उम्मीद डॉक्टरी पेशे पर है। इस पेशे में अनैतिकता पर है। उम्मीद बताती है कि कैसे डॉक्टर अपने मरीजों पर गलत तरीके से दवाओं का परीक्षण करते हैं। रजत मुख़र्जी कहते हैं, "हमें सेंसर की तरफ से पत्र आया है। लेकिन, यू/ए सर्टिफिकेट न दिए जाने का कारण नहीं दिया है। हमसे कुछ ज़रूरी कट्स लगाने के लिए कहा गया है।" फिल्म उद्योग से प्रसून जोशी से काफी उम्मीदें थी। अगर रजत की नाउम्मीदी को देखें तो शुरुआत हो चुकी है। कहते हैं रजत, "अब कोई चारा नहीं है। हमें प्रसून जोशी की तैनाती से काफी उम्मीदें थी।" उम्मीद का विषय उम्दा लगता है। फिल्म में बताया गया है कि हमारे देश में हर साल ४८ हजार बच्चे लकवाग्रस्त हो जाते हैं, साढ़े ग्यारह हजार बच्चे मर जाते हैं। हमारे देश में अनैतिक रूप से दवाओं के परीक्षण की घटनाएँ बढती जा रही हैं। विदेशी दवा कंपनियां में भारत में अपनी दवाओं का परीक्षण डॉक्टरों के माध्यम से करवाते हैं। रजत मुख़र्जी आगे बताते हैं, "हमारी फिल्म का विषय रियल लाइफ घटना पर आधारित है। हम ऎसी परेशानियों को जानते-समझते थे। इसके बावजूद हमने फिल्म बनाने का फैसला किया। हमने सेंसर बोर्ड से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। फिलहाल, इस फिल्म की रिलीज़ अगली तारिख तक टाल दी गई है। उम्मीद के सितारों में पल्लवी दास, मोहन कपूर, यतिन कार्येकर, अंजलि पाटिल, मिलिंद गुणाजी, दलीप ताहिल, फ्रेडी दारूवाला, शिशिर मिश्र, हर्ष छाया और अचिंत कौर के नाम उल्लेखनीय है।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday 24 September 2017
डॉक्टरों के अवैध ड्रग एक्सपेरिमेंट पर 'उम्मीद'
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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