साठ के दशक में अपनी शोख अदाओं और नशीली आँखों से दर्शकों को दीवाना बना देने वाली एक्ट्रेस शकीला का हृदयगति रुकने से देहांत हो गया। वह ८२ साल की थी। अफगानिस्तान और ईरान के शाही खानदान से ताल्लुक रखने वाली शकीला के दादा-परदादा तख्तोताज की लड़ाई में जान से हाथ दो बैठे थे । अब्बा हुज़ूर उन्हें अपनी दो दूसरी बेटियों और बहन के साथ लेकर मुंबई आ गए। लेकिन, जल्द ही पिता का देहांत हो गया। परिवार के सामने समस्याएं मुंह बाए खडी थी। बुआ की जिस शख्स से शादी होने वाली थी, वह एक दुर्घटना में मारा गया। इसके बाद बुआ ने कभी शादी न कर अपनी तीनों भतीजियों का पालन पोषण करने का निश्चय किया। ए आर कारदार और महबूब खान पारिवारिक मित्र थे। बुआ अपनी भतीजियों को लेकर उनके पास गई। कारदार ने शकीला को अपनी फिल्म दास्तान (१९४९) में अभिनेत्री वीणा के बचपन की भूमिका सौंप दी। इस फिल्म में सुरैया, देव आनंद और सुरेश भी अभिनय कर रहे थे। शकीला को हिंदी फिल्मों की शोख नायिका बनाया गुरु दत्त की फिल्म आर पार ने। फिल्म का बाबूजी धीरे चलना ब्लॉकबस्टर हिट हुआ। इस फिल्म में शकीला की बहन नूर (नूरजहां) ने भी अभिनय किया था। नूर ने बाद में जॉनी वॉकर से शादी कर फिल्मों को अलविदा कह दिया। गुरुदत्त ने शकीला को फिल्म सीआईडी में रिपीट किया था। लेकिन, उनको वहीदा रहमान के कारण उतना नोटिस नहीं किया गया। शकीला ने उस समय के बड़े डायरेक्टर ए आर कारदार, महबूब खान और गुरु दत्त की फिल्मों में अभिनय किया। शकीला ने अपने करियर की पचास फिल्मों में गुरुदत्त, चन्द्रशेखर, शम्मी कपूर, मनोज कुमार, राज कपूर, देव आनंद, सुनील दत्त, प्रदीप कुमार, जयराज, विजय आनंद और जॉनी वॉकर जैसे टॉप एक्टर्स के साथ फ़िल्में की। १९६३ में शकीला ने शादी कर फिल्मों को अलविदा कह दिया। वह यूके में सेटल हो गई। लेकिन, बेटी की मृत्यु ने शकीला को बुरी तरह से अकेला कर दिया। शकीला पर फिल्माए गए बार बार देखो हजार बार देखो, आँखों ही आंखों में इशारा हो गया, नींद न मुझको आये दिल मेरा तडपाये, लागि छूटे न अब तो सनम, ऐ मेरे दिलेनादाँ तू गम न कर, लेके पहला पहला प्यार, सौ बार जनम लेंगे, आदि गीत आज भी सदाबहार और दर्शकों के पसंदीदा हैं। उन्हें श्रद्धांजलि।
राजेंद्र कांडपाल
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