२००७ की बात है. यशराज बैनर की फिल्म चक दे इंडिया धूम मचा रही थी. फिल्म में भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच कबीर खान की भूमिका शाहरुख़ खान ने की थी. शिमिट अमीन की यह फिल्म सुपर हिट हो गयी थी. चूंकि, फिल्म में शाहरुख़ खान थे, इसलिए स्वाभाविक था कि महिला हॉकी टीम के काल्पनिक वर्ल्ड कप जीतने पर बनी इस फिल्म में भी फोकस खान पर बना. उनका रोल था भी इतना मज़बूत और सहानुभूतिपूर्ण कि वह उभर कर आते. इसके बावजूद कि चक दे इंडिया का सेहरा खान के सर बांध रहा था, फिल्म में हॉकी की फॉरवर्ड खिलाड़ी बिंदिया नाइक की भूमिका करने वाली अभिनेत्री शिल्पा शुक्ल उभर कर आईं। बेशक फिल्म में उनका रोल मज़बूत था. लेकिन,शिल्पा शुक्ल का अभिनय भी काफी दमदार था. वह शाहरुख़ खान के अपोजिट भी मजबूती से खडी रही. इस फिल्म के बाद शिल्पा शुक्ल बिंदिया नाइक के रूप में मशहूर हो गयी. बिंदिया नाइक शिल्पा पर भारी पड़ गयीं
चक दे इंडिया से पहले शिल्पा की एक फिल्म खामोश पानी रिलीज़ हुई थी. लेकिन, शिल्पी चक दे के बाद ही चर्चित और मशहूर हुईं। अब यह बात दीगर है कि खूबसूरत अभिनय और हिट चक दे इंडिया के बावजूद शिल्पा शुक्ल को फ़िल्में नहीं मिली. चक दे इंडिया के बाद वह दो साल तक खाली बैठी रहीं। फिर रिलीज़ हुई उनकी फिल्म चल चलें। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर चल नहीं सकी. शिल्पा भी नहीं चलीं। सीजन ग्रीटिंग, मुंबई मस्त कलंदर और जंक्शन जैसी फ़िल्में कब आयीं और कब चली गयीं पता ही नहीं चल. तब आयी अंकुश भट्ट की फिल्म भिन्डी बाज़ार इंक। इस फिल्म में शिल्पा ने एक जेब कतरी कंजरी की का रोल किया था. रोल दमदार था. शिल्पा ने एक्टिंग का दम भी दिखाया था. लेकिन उन्होंने नखरा भी दिखाया। वह टेम्परामेंटल साबित हुइ. उन्होंने अपनी इस फिल्म के प्रमोशन पर ध्यान नहीं दिया. जबकि, फिल्म का पूरा फोकस शिल्पा के किरदार पर ही केन्द्रित था. नतीजे के तौर पर फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर नुक्सान पहुंचा. बहुत कम दर्शक फिल्म को मिले। अगली दो फ़िल्में फ्रोजेन और राजधानी एक्सप्रेस भी कुछ ख़ास रंग नहीं जमा सकीं।
जिस अभिनेत्री का रंग न जमे या उतरता लगे तो उसे क्या करना चहिये? अभिनेत्री मनीषा कोइराला इसका सबसे ज्वलंत उदहारण है. सौदागर जैसी हिट फिल्म से करियर की शुरुआत करने वाली और कभी माधुरी दिक्षित की नंबर वन पोजीशन को चुनौती देने वाली मनीषा कोइराला का करियर जब गिरना शुरू हुआ तो फिर गिरता ही चला गया. इसके साथ ही खुद को बॉलीवुड में जमाये रखने की जद्दो जहद में मनीषा कोइराला भी गिरती चली गयी. उन्होंने शशिलाल नायर की सेक्सी फिल्म एक छोटी सी लव स्टोरी कर डाली। इस फिल्म में मनीषा का रोल बेहद घटिया किस्म का था. इसे कोई भी स्तरीय और प्रतिष्ठित अभिनेत्री नहीं कर सकती थी. एक छोटी सी लव स्टोरी का नुक्सान मनीषा कोइराला को हुआ. इस फिल्म के बाद मनीषा कोइराला के सामने शादी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.
ऐसा लग रहा है कि शिल्पा शुक्ल भी मनीषा की सेंडल में पैर घुसेड़े भाग रही है. अपनी असफलता से घबराई शिल्पा ने भी एक इरोटिक फिल्म बीए पास कर ली। इस फिल्म की कहानी एक बड़ी उम्र की औरत के अपने से काफी कम उम्र के लडके के खुद के प्रति आकर्षण को अपनी सेक्सुअल डिजायर पूरी करने के लिए इस्तेमाल करने की है. इस फिल्म में उनके शादाब कमाल के साथ उत्तेजक बेड रूम सीन्स काफी चर्चा में है. शिल्पा अपने अभिनय के बजाय चहरे पर कामुक हाव भाव लाकर अपनी फिल्म को गरम करने में जुटीहैं।
लेकिन, बीए पास की शिल्पा को मनीषा कोइराला के इतिहास के पन्ने पलटने चाहिये थे. वह एक छोटी सी लव स्टोरी के बाद भी गिरती चली गयीं। आज उनका कोई नामलेवा नहीं है. हो सकता है कि शिल्पा को मनीषा की याद न हो. पर वह पूनम पाण्डेय को तो याद कर ही सकती थीं. पूनम पाण्डेय की फिल्म नशा पिछले शुक्रवार ही रिलीज़ हुई थी. नशा को भी इरोटिक फिल्म की तरह प्रचारित की गयी थी. पूनम ने खुद के उभारों को कामुक ढंग से दिखाने में कोई कसार नहीं छोडी थी. इसके बावजूद ज्यादातर दर्शकों पर पूनम की बेअर बॉडी का नशा नहीं चढ़ सका. ऐसे में शिल्पा कैसे उम्मीद कर सकती हैं कि बीए पास से उनकी सेक्स अपील का नशा दर्शकों पर चढ़ेगा !
शिल्पा और पूनम में जमीन आसमान का अंतर है. पूनम ने पिछले वर्ल्ड कप से खुद की पोर्नो एक्ट्रेस की तरह बना रखी थी. पूनम की फिल्म नशा को जितने भी दर्शक मिले वह इसी इमेज का नतीजा थे. जबकि शिल्पा आज भी चक दे इंडिया की ही है. वह बीए पास में फेल रही है.
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