Sunday 23 January 2022

भारतीय गणतंत्र पर फ़िल्में

भारत में देश की स्वतंत्रता के लिए लड़े गए युद्धों और उनके योद्धाओं पर बहुत सी फ़िल्में बनी है. लेकिन यह युद्ध अपने राज्यों को बचाने के लिए विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध लड़े गए थे. ऎसी ही एक फिल्म पृथ्वीराज में अक्षय कुमार अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की भूमिका कर रहे है. अगर, कोरोना का प्रकोप न होता तो यह फिल्म अब तक प्रदर्शित हो चुकी होती. परन्तु, यह सभी अपने राज्यों की स्वतंत्रता के लिए युद्ध थे. भारत को गणराज्य बनाने के लिए लड़े गए युद्ध और सेनानियों पर फ़िल्में, आज अधिक ख़ास है. यह फ़िल्में ऐतिहासिक चरित्र पर है, तो कुछ काल्पनिक चरित्रों के माध्यम से गणतंत्र की बात कही गई है.


सेनानियों पर फिल्म -भारत को स्वतंत्र गणराज्य बनाने के लिए हुए संग्राम और उनके सेनानियों पर फ़िल्में इस मायने में महत्वपूर्ण हैं कि इनमे देश को अंग्रेजो से स्वतंत्र करवा कर, एक गणतंत्र बनाने की बात थी. महात्मा गाँधी और पंडित जवाहर लाल नेहरु के नेतृत्व में गणतंत्र बनाने का सपना पूरा भी हुआ. सुभाष, पटेल, आदि भी ऐसे ही कुछ सेनानी थे. इन सबके जीवन पर कैसी कैसी फ़िल्में बनी, इनकी एक झलक.


रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, मंगल पाण्डेय - भारत को स्वतंत्र करने की पहली शुरुआत १८५७ के सैनिक विद्रोह के साथ हो चुकी थी. इसका नेतृत्व झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई कर रही थी. इस युद्ध में तात्या टोपे, मंगल पाण्डेय, आदि भी उनके साथ थे. रानी लक्ष्मी बाई पर पहली फिल्म सोहराब मोदी ने झाँसी की रानी, अभिनेत्री महताब के साथ बनाई थी. इस फिल्म के अलावा कंगना रानौत की मणिकर्णिका द क्वीन ऑफ़ झाँसी भी उल्लेखनीय फिल्म रही. पहले स्वतंत्रता संग्राम पर आमिर खान की फिल्म मंगल पाण्डेय द राइजिंग २००५ में प्रदर्शित हुई थी. दूसरे सेनानी तात्या टोपे पर फिल्म १८५७ तात्या टोपे के निर्देशक एस के शाम द्वारा बनाये जाने की खबर थी.


महात्मा गाँधी - महात्मा गाँधी पर बायोपिक फ़िल्में भी बनाई गई है और उनकी शिक्षाओं पर भी. रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गाँधी (१९८३) को पूरी दुनिया में सफलता और सराहना मिली. फिल्म में गांधी की भूमिका बेन किंग्सले कर रहे थे. महात्मा गाँधी की हत्या पर द गाँधी मर्डर, नाइन ऑवरस टू रामा में महात्मा गाँधी की हत्या की पड़ताल की गई थी. १९५३ की एक अमेरिकी वृत्त चित्र महात्मा गाँधी द ट्वेंटिएथ सेंचुरी प्रोफेट में महात्मा गाँधी और उनकी शिक्षा की गहराई से पड़ताल की गई थी.  महात्मा द लाइफ ऑफ़ गाँधी और द मेकिंग ऑफ़ द महात्मा में गांधी के जीवन पर प्रकाश डाला गया था. गांधीगिरी और लगे रहो मुन्नाभाई गाँधी जी की शिक्षाओं सत्य और अहिंसा पर थी. फ़िरोज़ अब्बास खान की फिल्म गाँधी माय फादर में महात्मा गाँधी और उनके बेटे के संबंधो पर थी. ए बालकृष्णन की वेलकम बेक गाँधी में यह दिखाने की कोशिश की गई थी कि यदि आज गाँधी जीवित होते तो उनकी क्या प्रतिक्रिया होती! गाँधी टू हिटलर महात्मा गाँधी के हिटलर को लिखे गए पत्रों पर आधारित थी.


सुभाष चन्द्र बोस - सुभाष चन्द्र बोस के जीवन पर बहुत सी फ़िल्में हिंदी और बांगला भाषा में बनी है. इनमे सुभाष चन्द्र (१९६६), नेताजी सुभाष चन्द्र बोस (१९६६), नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द फॉरगॉटन आर्मी (२००२), बांगला फिल्म अमी सुभाष बोल्छी (२०११), सीरीज बोस डेड ऑर अलाइव (२०१७) और गुमनामी (२०१९) के नाम उल्लेखनीय हैं. गुमनामी में नेताजी की रहस्यमय मौत पर रोशनी डाली गई थी.


भगत सिंह -शहीद भगत सिंह नाम से मशहूर इस क्रांतिकारी पर भी कुछ अच्छी फ़िल्में बनाई गई है. इनमे मनोज कुमार की फिल्म शहीद विशेष चर्चित हुई थी. इस फिल्म में मनोज कुमार ने भगत सिंह की भूमिका की थी. भगत सिंह की भूमिका फिल्म शहीद भगत सिंह (१९६३) में शम्मी कपूर ने की थी. २००२ में शहीद भगत सिंह पर पांच फ़िल्में बननी शुरू हुई थी. लेकिन, बन कर रिलीज़ हुई सिर्फ तीन फ़िल्में अजय देवगन को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलाने वाली फिल्म द लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह, बॉबी देओल की भगत सिंह की भूमिका वाली फिल्म २३ मार्च १९३१ शहीद और सोनू सूद की शहीद ए आज़म एक ही दिन प्रदर्शित हुई थी. पर सबसे ज्यादा सफल अजय देवगन की फिल्म ही हुई.


चन्द्र शेखर आज़ाद - इस लिहाज़ से भगत सिंह के समकालीन चन्द्र शेखर आज़ाद पर कम फ़िल्में ही बनी है. भगत सिंह के साथी सुखदेव और राजगुरु को भी फिल्मकारों ने भुला सा दिया है. चंद्रशेखर आज़ाद पर फिल्म चंद्रशेखर आज़ाद (१९६३) में शीर्षक भूमिका पी जयराज ने की थी. फिल्म २३ मार्च १९३१ शहीद में आज़ाद की भूमिका में सनी देओल खूब तालियाँ बटोरी. राजेश मित्तल की एक फिल्म शहीद चन्द्र शेखर आज़ाद का भी जिक्र है. निर्देशक राजा रणदीप गिरी की फिल्म हीरो ऑफ़ द नेशन चन्द्र शेखर आज़ाद का जिक्र आईएमडीबी में मिलता है. मशहूर बैनर बॉम्बे टॉकीज ने २०१८ में चन्द्र शेखर आज़ाद पर फिल्म राष्ट्रपुत्र बनाए जाने की घोषणा की थी. पर यह फिल्म घोषणा से आगे नहीं जा सकी.


दक्षिण के सेनानी - रॉयलसीमा आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी उय्यालावाडा नरसिम्हा रेड्डी पर फिल्म सये रा नरसिम्हा रेड्डी का निर्देशन सुरेंदर रेड्डी ने किया था. इस फिल्म मे शीर्षक भूमिका चिरंजीवी ने की थी. १९२० के दशक के स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू पर इसी टाइटल के साथ तेलुगु फिल्म का निर्माण वी रामचंद्र राव ने १९७४ में किया था. अभिनेता कृष्णा ने शीर्षक भूमिका की थी. इसी स्वतंत्रता सेनानी पर, एस एस राजामौली ने फिल्म आरआरआर का निर्माण किया है. इस भूमिका को रामचरण कर रहे है. पर यह फिल्म कल्पना की उड़ान ज्यादा है.


कुछ अन्य सेनानी - वीर सावरकर पर निर्देशक वेद राही ने फिल्म वीर सावरकर का निर्माण किया था. इसमें शीर्षक भूमिका शैलेन्द्र गौर ने की थी. सरदार पटेल पर फिल्म पटेल का निर्माण केतन मेहता ने परेश रावल के साथ किया था. सरदार उधम सिंह पर फिल्म शहीद उधम सिंह मे राज बब्बर ने और उधम सिंह में विक्की कौशल ने सरदार उधम सिंह की भूमिका की थी.


स्वतंत्रता संग्राम पर फ़िल्में - हालाँकि, इससे पहले स्वतंत्रता के ठीक बाद दिलीप कुमार की फिल्म शहीद (१९४८) को भगत सिंह से जोड़ा जाता है. परन्तु यह फिल्म काल्पनिक स्वतंत्रता सेनानी युवा की प्रेम त्रिकोण फिल्म थी. रमेश सहगल की फिल्म समाधी इंडियन नेशनल आर्मी के एक सिपाही पर थी. इसमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस के विचारों का चित्रण हुआ था. निर्देशक कबीर खान की फिल्म द फॉरगॉटन आर्मी आज़ादी के लिए तिग्मांशु धुलिया की फिल्म राग देश सुभाष चन्द्र बोस के जीवन पर नहीं थी. यह फिल्म १९४४ में इंडियन नेशनल आर्मी के तीन सैनिकों पर चले मुकदमें पर फिल्म थी; इस फिल्म में बोस के चरित्र को भी दिखाया गया था. १९३० के चटगाव विद्रोह पर दो फ़िल्में चटगाव (२०१२) और खेले हम जी जान से (२०१०) का निर्माण हुआ था. निर्देशक बेदब्रता पैन की फिल्म चटगांव मे क्रन्तिकारी सूर्यसेन की भूमिका मनोज बाजपेई ने की थी, जबकि आशुतोष गोवारिकर की फिल्म खेले हम जी जान से में यह भूमिका अभिषेक बच्चन ने की थी. यह दोनों ही फ़िल्में असफल हुई थी. श्याम बेनेगल की फिल्म जूनून (१९७८) का निर्माण शशिकपूर ने किया था और वह मुख्य भूमिका में भी थे. १९४२ अ लव स्टोरी में भी स्वतंत्रता संग्राम था. मनोज कुमार की सितारा बहुल फिल्म क्रांति में भी स्वतंत्रता संग्राम का चित्रण हुआ था. 

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