Sunday, 21 August 2022

हिन्दुफोबिक बॉलीवुड को हुआ बायकाट से नुकसान !

बॉलीवुड फिल्मों को, १००-१५० करोड़ का कारोबार करा सकने वाले विस्तारित सप्ताहांत और छुट्टियों के सप्ताह ने, इस बार तबाही मचा दी. रक्षा बंधन और स्वतंत्रता दिवस सप्ताह का लाभ उठाने के लिए ११ अगस्त को प्रदर्शित की गई बॉलीवुड की दो बड़े सितारों वाली बड़े बजट की फिल्मों का बाजा बज गया. रक्षा बंधन और लाल सिंह चड्डा अक्षय कुमार और आमिर खान जैसे भरोसेमंद सितारों के होते हुए भी, पांच दिनों में ५० करोड़ का आंकड़ा पार कर पाने में असफल रही. लाल सिंह चड्डा पांच दिनों में ४५.८३ करोड़ और रक्षा बंधन ने सिर्फ ३४.४७ करोड़ का कारोबार ही किया.




हिन्दुफोबिक एक्टर - क्या लाल सिंह चड्डा और रक्षा बंधन की असफलता, हिन्दुफोबिक बॉलीवुड की फिल्मो की असफलता है? आमिर खान ने अपनी फिल्मों पीके में हिन्दुओं का खूब अपमान किया. यहाँ तक कि अपने शो सत्यमेव जयते में भी अपने प्रतिभागियों के माध्यम से हिन्दू धर्म की फजीहत कराने में कोई गुरेज नहीं किया. कुछ ऎसी ही दशा अक्षय कुमार की भी थी. उन्होंने अपनी फिल्मों ओह माय गॉड, लक्ष्मी और अतरंगी रे मे हिन्दू धर्म की फजीहत करने में पीछे नहीं रहे. इन दोनों अभिनेताओं ने अपनी फिल्मों के प्रचार में भी परिहास की मुद्रा में गणेश जी को दूध पिलाने और शिव लिंग पर दूध चढाने का मजाक उड़ाया. इस से इन दोनों अभिनेताओं की छवि हिन्दूफोबिक एक्टरों की बन गई.




एकतरफा सुधार की जिद्द - क्या इससे यह कहा जा सकता है कि रक्षा बंधन और लाल सिंह चड्डा, अक्षय कुमार और आमिर खान के बयानों और फिल्मों के कारण असफल हो गई. यहाँ बता देना उचित होगा कि अक्षय कुमार और आमिर खान हिंदी फिल्मों में काम करते हैं तथा इनका रुतबा इनके प्रति दर्शकों के प्यार में ही है. अपनी इमेज के कारण बॉलीवुड के एक्टर दर्शकों को छविग्रहों तक खींच ला पाने में सफल होते रहे है. पर इससे यह दोनों अभिनेता या बॉलीवुड समाज सुधारक साबित नहीं होते. इन्हें दर्शकों का मनोरंजन करना चाहिए, न कि अपनी मानसिकता के अंतर्गत धर्म पर हमला करना चाहिए था. यह दोनों समाज सुधारक होते तो मुस्लिम धर्म के तीन तलाक, हलाला, औरतों की दुर्दशा, मदरसों में मौलवियों द्वारा बलात्कार, आदि आदि पर भी अपनी फ़िल्में बनाते. पर बॉलीवुड तो ख़ास तौर पर हिन्दू धर्म पर ही हमला करता रहा है. चूंकि, हिन्दू सहिष्णु होता है, वह इसका गलत फायदा उठाते रहे है. पर बकरे की माँ कब तक खैर मनाती! हिन्दुओं ने इन अभिनेताओं द्वारा अपने धर्म पर हमले को दिल से लगा लिया. इसका नतीजा इन दोनों की फिल्मों की असफलता के रूप में सामने आया.




भ्रष्ट कथ्य - क्या यह माना जाना उचित होगा कि रक्षा बंधन और लाल सिंह चड्डा इसलिए असफल हो गई कि हिन्दू नाराज था? तब तो पीके को असफल हो जाना चाहिए था. ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान को ५० करोड़ से अधिक की ओपनिंग नहीं मिलनी चाहिए थी. तो क्या रक्षा बंधन और लाल सिंह चड्डा खराब फ़िल्में होने के कारण असफल हुई ? इस सवाल का जवाब पीके और ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान में ही छिपा है. इसमें कोई शक नहीं कि लाल सिंह चड्डा एक खराब फिल्म थी. यह फिल्म जितनी ख़राब लिखी गई थी, उतना ही खराब आमिर खान का अभिनय भी था. फिल्म के ट्रेलर ने इसका ऐलान कर भी दिया था. वही, रक्षा बंधन भी साधारण फिल्म थी. यह फिल्म रक्षा बंधन जरूर थी. पर दहेज़ की बुराइयों पर अधिक थी. दहेज़ प्रथा की बुराई करना गलत नहीं है. पर दहेज़ प्रथा तो दूसरे धर्मों में भी है. मुस्लमान भी दहेज माँगने लगे है. ऐसे में जब लक्ष्मी का हीरो हिन्दू लड़की से शादी करने वाला मुस्लमान हो सकता है तो रक्षा बंधन का हीरो भी दहेज़ माँगने वाला मुस्लमान क्यों नहीं हो  सकता! वैसे भी रक्षा बंधन जैसे खुशियों के त्यौहार में रोतीधोती फ़िल्में कौन देखना चाहता है!




हिन्दुफोबिक होने का नुकसान - कोई संदेह नहीं कि रक्षा बंधन और लाल सिंह चड्डा ख़राब बनी फ़िल्में थी. चूँकि, अक्षय कुमार इसी साल बच्चन पाण्डेय और सम्राट पृथ्वीराज जैसी असफल फ़िल्में दे चुके थे, इसलिए स्वाभाविक था कि दर्शक उनकी तीसरी फिल्म रक्षा बंधन को महत्त्व न देते. उनके हिन्दू विरोधी रुख ने हिन्दुओं को पहले ही उनसे दूर कर दिया था. अब आते है लाल सिंह चड्डा पर. लाल सिंह चड्डा भी ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान की तरह बेहद खराब बनी फिल्म थी. आमिर खान बदरंग थे. पर इसके बावजूद ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान को दिवाली के त्यौहार में ५० करोड़ से अधिक देने वाले दर्शक मिले. यही दर्शक रक्षा बंधन में लाल सिंह चड्डा को क्यों नहीं मिले? इसी का जवाब छुपा है बायकाट लाल सिंह चड्डा में. आमिर खान के देश विरोध बयानों, टर्की के राष्ट्रपति की पत्नी से मिलाने की तस्वीरों को वायरल करना और अपने स्टारडम की ऐंठ ने हिन्दू दर्शकों को लाल सिंह चड्डा से दूर कर दिया. अगर ऐसा न होता तो लाल सिंह चड्डा को भी ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान की तरह बढ़िया ओपनिंग मिलती. उसकी गाडी १२ करोड़ से पहले ही नहीं रुक जाती. यही है हिन्दुओं के द्वारा बायकाट बॉलीवुड का नुकसान. 

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