जुलाई के महीने में, अमेज़न प्राइम video पर, वरुण धवन और जान्हवी कपूर अभिनीत
रोमांटिक ड्रामा फिल्म बवाल प्रदर्शित होगी. इस फिल्म के निर्देशक नितेश तिवारी है.
यह फिल्म सिनेमाघरों के स्थान पर सीधे ओटीटी पर प्रदर्शित हो रही है. क्या यह
फिल्म प्राइम video पर बवाल काट
पायेगी?
प्राइम video पर क्या होगा, पर सिनेमाघरों में बवाल सुनिश्चित सा लगता है. क्योंकि, जुलाई के पहले दो सप्ताहों में,
इस्लाम के अनुयाइयों के अपराधों पर बनी दो फिल्में प्रदर्शित होने जा रही है.
निर्देशक संजय पूरण सिंह की २०१९ में बनी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता फिल्म
७२ हूरें प्रदर्शित हो रही है. इस फिल्म में, १९९२ के बॉम्बे बम कांड के अपराधियों
के काल्पनिक चरित्रों के माध्यम से इस्लाम की मरने के बाद ७२ हूरें मिलने का लालच
दे कर, मुस्लिम युवाओं
को आतंकवादी बनने के लिए प्रेरित करने कि घटनाओं पर कटाक्ष किया गया है.
दूसरी फिल्म अजमेर ९२, जैसा कि शीर्षक से स्पष्ट है, १९९२ में अख़बारों की सुर्खियाँ बने, अजमेर दरगाह के सेवाको द्वारा २५०
हिन्दुओं लड़कियों से किये गए बलात्कार, उनकी ब्लैक ,मैलिंग और काफी द्वारा आत्महत्या किये जाने
की घटनाओं पर फिल्म है. इसके अपराधियों पर आज भी मुक़दमा दायर है. ३१ साल बाद भी, सुनवाई पूरी नहीं हो सकी है. कहा जाता
है कि इसमें कांग्रेस के कई बड़े नेता और उनके बच्चे भी शामिल है, इसलिए इस घटना को दबाया जा रहा है. इस
घटना का जिस पत्रकार ने पर्दाफाश किया, उसकी हत्या की जा चुकी है.
पहले,
द कश्मीर फाइल्स और उसके बाद द केरल स्टोरी जैसी फिल्मों के प्रदर्शित होने तथा
दर्शकों द्वारा पसंद किये जाने से, मुस्लिम आबादी बेहद परेशान है, क्योंकि एक के बाद एक उनके इस्लाम के
मानने वालों के कुकर्म सामने आते जा रहे है. इससे उन्हें लगता है कि हिन्दू आबादी
जागरूक और सजग होती जा रही है. इस पर ७२ हूरें और अजमेर ९२ अपराधी मुसलमानों को नंगा
कर देंगी. इसके बाद गोधरा कांड पर भी फिल्म प्रदर्शित होने जा रही है.
परन्तु,
किसी ऎसी फिल्म का विरोध करने के स्थान पर मुस्लिम धर्मानुयाईयों को अपने गिरहबान
में झांकना होगा. गन्दगी को ढकने के बजाय, उसे समाप्त करने पर विचार करना होगा. क्योंकि, भारत ही नहीं, तमाम अन्य देशों में, जहाँ मुस्लिम
शरणार्थी है, मुस्लिम
पुरुषों द्वारा बलात्कार, दंगा फसाद किये जाने के समाचार आते जा रहे है.
वैसे यहाँ बताते चलें कि इन दोनों फिल्मों से मुसलमान भी
जुड़े हुए है. ७२ हूरें के लेखक जुनैद वासी है, जबकि अजमेर ९२ के पटकथा और संवाद लेखकों में रजक का नाम
भी शामिल है.
एक और बात. इन दोनों ही फिल्मो के प्रचार में, इस फिल्म में काम करने वाले अभिनेता-अभिनेत्रियों के नाम बताये नहीं गए है. क्योंकि, कुछ जेहादी किस्म के मुसलमान उन पर जानलेवा हमला कर सकते है
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