यदि किसी फिल्म से फिल्मकार #HansalMehta #BhushanKumar और #KrishanKumar यानि #tseries तथा #anubhavsinha का नाम जुड़ा हो तो यह तय समझिये कि इसमें किसी इस्लामिक चरित्र का अतिरंजित महिमामंडन किया गया होगा. बड़ी बेशरमी के साथ इस्लामिक जूती चाटी जा रही होगी. ओटीटी प्लेटफार्म #Netflix पर स्ट्रीम हो रही फिल्म #Faraaz एक ऐसा ही घटिया प्रयास है.
फिल्म में शशि कपूर के फिल्मों में असफल बेटे कुणाल कपूर के बेटे जहान कपूर @zahankapoor ने फराज की शीर्षक भूमिका की है. पूरी फिल्म में फराज सकपकाया सा दिखाई देता है. उसका पूरी फिल्म में कोई ऐसा कारनामा नहीं है, जिससे लगे कि वह हिन्दुओं का पक्षधर है. फिल्म के अंत में उसे परेश रावल #PareshRawal के बेटे आदित्य रावल #AdityaRawal के बेटे द्वारा किये गए आतंकी चरित्र के हाथो गोली से भूना गया दिखाया जाता है.
उसे इस आधार पर हिन्दुओ का
मसीहा बताया गया है कि वह अपनी बंधक हिन्दू सहेली को न छोड़े जाने पर अपनी जान गँवा
बैठता है. पर ऐसा क्यों हुआ ? आतंकी हिन्दू लड़की को
क्यों नहीं जाने देता. वह मारा जाता है. उसे क्या लाभ मिला फराज को मार कर और
हिन्दू लड़की को न छोड़ कर?
मुस्लिम
आतंकवादी का खास तौर पर फराज की हिन्दू लड़की को न छोड़ना गले नहीं उतरता, क्योंकि
यही आतंकवादी फिल्म के बीच में एक हिन्दू खानसामे को छोड़ देता है. पर यह हंसल
मेहता की गलती नहीं. वह उस समय यह दिखाना चाहते थे कि इस्लामिक आतंकी भी जिसके हाथ
का नमक खाता है, उसकी हत्या नहीं करता. यानि इस्लाम के महिमा मंडन का कुत्सित
प्रयास.
अब
यह बात दूसरी है कि वह इस प्रयास में फिल्म के क्लाइमेक्स को अप्रासंगिक बना बैठते
है. इससे यह भी साबित हो जाता है कि हंसल मेहता जैसे फिल्मकार अपने एजेंडा चलाने
के लिए किसी हद तक गिर सकते है.
नोट- फराज कोई भारतीय मुसलमान नहीं. वह हिन्दुओ के पूजा स्थल तोड़ने और हिन्दू औरतों के बलात्कार के लिए प्रसिद्द देश बांगलादेश का है. पर भारत में बैठे एजेंडा निर्देशक हंसल मेहता को यही सेक्युलर चरित्र मिला.
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