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Sunday 2 October 2022

अभी रॉ है बॉलीवुड की महिला रॉ एजेंट !

कोड नेम तिरंगा की प्रेस कांफ्रेंस में बातचीत करते हुए, अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा ने साफ़ किया कि वह फिल्म में स्पाई यानि जासूस नहीं बनी है, बल्कि वह रॉ एजेंट हैं. दरअसल, बॉलीवुड के अधिकतर पत्रकारों को स्पाई और एजेंट में फर्क नहीं मालूम. वह एजेंट फिल्म को भी स्पाई फिल्म मान लेते है. वास्तविकता तो यह है कि स्वयं बॉलीवुड को भी नहीं मालूम, तभी तो वह स्पाई और एजेंट फिल्म के जोनर को गडमड होने देते हैं. पर इसमें कोई शक नहीं कि बॉलीवुड ने कोड नेम तिरंगा से पहले भी एजेंट फ़िल्में बनाई है, कई अभिनेता अंडरकवर एजेंट की भूमिका कर चुके है. स्वयं परिणीति चोपड़ा भी रुपहले परदे की पहली रॉ एजेंट नहीं. उनसे पहले भी कई फिल्म अभिनेत्रियाँ रॉ एजेंट बन कर परदे पर एक्शन करने की कोशिश कर चुकी है.



भारत की पहली एजेंट नाडिया - भारत में, पहली बार रॉ यानि रिसर्च एंड एनालिसिस विंग की स्थापना २१ सितम्बर १९६८ को हुई थी. इसलिए यह तो नहीं कहा जा सकता है कि होमी वाडिया निर्देशित और फीयरलेस नाडिया द्वारा अभिनीत फिल्म खिलाड़ी (१९६८) पहली महिला रॉ एजेंट फिल्म थी. पर इस फिल्म में होमी वाडिया के बैनर के अंतर्गत बनी एक्शन फिल्मों में अंतिम एक्शन फिल्म खिलाड़ी में एक एजेंट की भूमिका की थी, जो चीन  में अपने मिशन में जाती है. उस समय नाडिया की उम्र ५८ साल की थी और इस फिल्म के बाद, नाडिया ने अभिनय को अलविदा कह दी थी. इस प्रकार से नाडिया ही हिंदी फिल्मों की पहली एजेंट साबित होती है.



प्रीटी से कंगना तक - नाडिया के बाद से, तमाम बॉलीवुड अभिनेत्रियों ने एजेंट की भूमिका की है. नाडिया द्वारा प्रारंभ किया गया एजेंट भूमिकाओं का सिलसिला धीमे धीमे ही सही, चल निकला है. कई बॉलीवुड अभिनेत्रियाँ रॉ एजेंट या दूसरी एजेंसी के एजेंट की भूमिका कर चुकी है. फिल्म द हीरो लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई में प्रीटी जिंटा एक रॉ एजेंट के लिए पाकिस्तान के आतंकियों के बीच एजेंट का काम करती है. फिल्म एक था टाइगर में कैटरीना कैफ और फिल्म एजेंट विनोद में करीना कपूर खान ने आईएसआई की भूमिका की थी तो कहानी की दुर्गा विद्या बालन भी एक एजेंट की भूमिका कर रही थी. फिल्म डी डे में हुमा कुरैशी रॉ की एजेंट बनी थी. वह दुबई के एक मिशन में दूसरे लोगों के साथ दाऊद इब्राहीम को पकड़ कर लाती है. फिल्म फ़ोर्स २ में पुलिस अधिकारी जॉन अब्राहम के साथ सोनाक्षी सिन्हा एक रॉ एजेंट बन कर खतरनाक मिशन पर जाती है. फिल्म नाम शबाना में तपसी पन्नू एक मुस्लिम लड़की की भूमिका कर रही थी, जिसे एक एजेंट के रूप में भेजा जाता है. अलिया भट्ट, फिल्म राजी में जो चरित्र कर रही थी, वह रॉ के लिए पाकिस्तान मे गुप्त सूचनाएं प्राप्त करने के लिए एक पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी से शादी भी कर लेती है. २०२१ में सीधे ओटीटी पर रिलीज़ फिल्म बेल बॉटम में रॉ एजेंट अक्षय कुमार के साथ वाणी कपूर ने महिला रॉ एजेंट की भूमिका की थी. इसी साल प्रदर्शित साल की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्मों  में शामिल फिल्म धकाद में अभिनेत्री कंगान रानौत ने एक रॉ एजेंट अग्नि की भूमिका की थी.



एक्शन करने की चाह - हिंदी फिल्मो में नायिका को ग्लैमर के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह अपने नायक का दिल बहलाने के प्रयास में दर्शकों का मनोरंजन भी कर जाती है. उनसे किसी एक्शन की आशा या अपेक्षा नहीं की जाती. लेकिन, इसके बावजूद बॉलीवुड की अभिनेत्रियाँ कभी डाकू कभी बलात्कार की शिकार महिला के रूप में बन्दूक उठा लेती है. ऎसी बन्दूक वाली अभिनेत्रियों की फ़िल्में सफल भी होती है. पर इसके बावजूद बॉलीवुड इन्हें रॉ एजेंट बना कर बंदूकें थमा नहीं देता. वास्तव में बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्रियाँ एक्शन फ़िल्में स्वाद बदलने के लिए करती है. उन्हें ऎसी भूमिकाओं में विशेष लगाव नहीं होता. चूंकि, अपने नायक से रोमांस करते करते ऊब गई है, इसलिए एक्शन करना चाहती है. बात करते करते कोड नेम तिरंगा की रॉ एजेंट दुर्गा परिणीति चोपड़ा कहती है, “मैं रोमांस करते करते ऊब गई थी, इसलिए एक्शन फिल्म करना चाहती थी. रिभु (निर्देशक रिभु दासगुप्ता) ने मुझसे एजेंट बनने के लिए कहा, मैंने स्वीकार कर लिया. यानि बॉलीवुड की अधिकतर नाजुक बदन हसीनाओं की नाजुक कलियाँ बन्दूक का भर सहन करने की क्षमता नहीं है.



आसान नहीं रॉ से रॉ बनना - हॉलीवुड की एंजेलिना जोली बनना बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्रियों के लिए आसान नहीं. एन्जिलिना जोली ने मिस्टर एंड मिसेज स्मिथ और वांटेड फिल्मों में अपनी भूमिकाओं को सजीव करने के लिए केवल अपने एक्शन कोरियोग्राफर की बात ही नहीं मानी, बल्कि अपने शारीरिक गठन को भी भूमिका के अनुरूप ढाला है. फिल्म कोड नेम तिरंगा के लिए परिणीति चोपड़ा और धाकड़ के लिए कंगना रानौत ने अपने कोरियोग्राफर का अनुसरण तो किया, पर अपने शारीरिक गठन पर भी ध्यान देना न तो उनके बस की बात थी, न ही उनमे अपनी भूमिकाओं के लिए इतना समर्पण था. केवल नाडिया ही अपने एक्शन के लिए पूरी तरह से तैयार हुआ करती थी, इसलिए खिलाड़ी की एजेंट के रूप में भी रॉ नहीं थी. यानि बॉलीवुड की रॉ एजेंट अभी रा यानि कच्ची है. अब देखिये फिल्म कोड नेम तिरंगा में परिणीति चोपड़ा दर्शको को कितना प्रभावित कर पाती है!

Monday 26 September 2022

बॉलीवुड गैंगस्टर पर भारी टॉलीवुड की भव्यता !

बॉक्स ऑफिस पर, ब्रह्मास्त्र कितना कारगर रहा, इस पर विवाद है।  निर्माता और ट्रेड द्वारा जारी आंकड़ों पर भी विवाद है।  इन्हे संदिग्ध बताया जा रहा है।  वास्तविकता क्या  है, इसे अभी  नहीं जाना जा सकता।  लेकिन, अगर ४०१ करोड़ की लागत वाली, ९ सालों में पूरी हुई ब्रह्मास्त्र पार्ट १ शिवा की लागत से तुलना करे तो कारोबार के आकंड़े फिल्म को अभी हिट नहीं बनाते।  ऐसा लगता है ब्रह्मास्त्र को अभी बॉक्स ऑफिस पर मारक साबित होना है।  पर इस सप्ताह यानि शुक्रवार ३० सितम्बर को प्रदर्शित होने जा रही दो  बड़ी फिल्में करण जोहर के ब्रह्मास्त्र को भोथरा बना सकती है।




विक्रम वेधा का हिंदी अवतार - इस शुक्रवार ३० सितम्बर को बॉलीवुड और टॉलीवूड से एक एक फिल्म प्रदर्शित हो रही है। बॉलीवुड से, रिलायंस और टीसीरीज की सहकार फिल्म विक्रम विधा सिर्फ हिंदी में रिलीज़ हो रही है।क्योंकि, यह फिल्म तमिल भाषा की माधवन और विजय सेतुपति अभिनीत फिल्म विक्रम वेधा की रीमेक फिल्म  है। इस रीमेक फिल्म में, हृथिक रोशन गैंगस्टर वेधा का वेताल की तरह सवाल जवाब करने वाला चरित्र कर रहे है। उनके विरुद्ध पुलिस अधिकारी की विक्रम भूमिका में सैफ अली खान है। तमिल फिल्म विक्रम वेधा की इस रीमेक फिल्म में दूसरे महत्वपूर्ण चरित्र राधिका आप्टे, रोहित सराफ, योगिता बिहानी, शारिब हाश्मी और सत्यदीप मिश्रा कर रहे है।  मूल तमिल फिल्म की निर्देशक जोड़ी पुष्कर- गायत्री ही हिंदी संस्करण का निर्देशन रही है।  सुपर ३० और वॉर की सफलता ओढ़े हृथिक रोशन की इस फिल्म के भी बड़ी हिट होने की आशा की जा रही है। विक्रम -वेधा  का बजट १७० करोड़ बताया जा रहा है। विक्रम वेधा के लिए लाल सिंह चड्डा की तरह स्क्रीन रोकने का काम फिल्म के निर्माता रिलायंस एंटरटेनमेंट ने काफी पहले से शुरू कर रखा है।




पीएस १ की भव्यता  - विक्रम- वेधा  के बजट से कहीं ज्यादा बजट, दक्षिण से आ रही फिल्म पोंनियिन सेलवन १ का है। निर्माता और निर्देशक मणिरत्नम फिल्म पोंनियिन सेलवन १ को केवल तमिल भाषा में १०० करोड़ की लागत से स्वयं बनाना चाहते थे।  पर बाद में इस फिल्म का विस्तार होता चला गया।  दूसरे निर्माता जुड़ेफिल्म को दो हिस्सों में तथा तमिल के अतिरिक्त  हिंदीतेलुगु,कन्नड़ और मलयालम में भी  प्रदर्शित किये जाने का निर्णय लिया गया।  अब इस फिल्म का बजट बढ़ कर  ५०० करोड़ हो गया है। हिंदी पेटी के दर्शकों के पहचाने चेहरों की दृष्टि से फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन, नंदिनी और मन्दाकिनी की दोहरी  भूमिका कर रही है।  हिंदी दर्शक शोभिता धूलिपाला को भी पहचानते होंगे।  लेकिन, दक्षिण की फिल्मो के कई बड़े चेहरे जयम रवि, कार्ति, तृषा, ऐश्वर्या लक्ष्मी, प्रभुआर शरदकुमार, विक्रम प्रभु, जयराम, प्रकाश राज, रहमान, आर पर्तिबन, आश्विन काकुमानी, अश्विन राव, आदि को छोटी बड़ी, पर प्रमुख भूमिकाओ  में लिया गया है।  तेलुग, तमिल, कन्नड़ और मलयालम भाषाओँ के दर्शको के बीच अपनी पकड़ रखने वाले यह कलाकार फिल्म  की सफलता मे महत्वपूर्ण भूमिका निबाह सकते है।




विक्रम वेधा पर भारी चोल साम्राज्य - हिंदी बेल्ट में पकड़ के लिहाज से, हृथिक रोशन और सैफ अली खान की शीर्षक भूमिका वाली फिल्म  की सफलता असंदिग्ध दिखाई देती है।  मगर, ध्यान रहे कि अब दक्षिण की फ़िल्में हिंदी पेटी के दर्शकों को आकर्षित कर रही है। कम बजट की तेलुगु फिल्म कार्तिकेय २ के हिंदी संस्करण को मिली बड़ी सफलता इसका प्रमाण है।  बाहुबली सीरीज की  सफलता ने हिंदी दर्शकों में दक्षिण के  प्राचीन साम्राज्यों के  विषय में जानने की उत्सुकता पैदा की है। इस दृष्टि से हिंदी दर्शकों में दक्षिण के प्राचीन चोल साम्राज्य के वैभव और राज महल के षड्यंत्र के ड्रामा को देखने में दिलचस्पी है।  ऐसे में जहाँ, विक्रम वेधा हिंदी बेल्ट में बड़े दर्शक बटोर सकेगी, वही पोंनियिन सेल्वन १ को पूरे देश में दर्शक बटोरने में सफलता मिल सकती है। अगर यह फिल्म विक्रम वेधा की थ्रिल पर भारी पड़ गई तो फिर क्या कहने है!




साबित होगी श्रेष्ठता -बॉलीवुड और तमिल फिल्म  इंडस्ट्री के लिए विक्रम वेधा और पोंनियिन सेलवन १ की सफलता अति आवश्यक है। हृथिक रोशन ने सुपर ३० तथा वॉर जैसी बड़ी सफल फिल्मे दी है। विक्रम वेधा की सफलता उन्हें बॉलीवुड का सबसे बड़ा सुपरस्टार बना देगी। विक्रम वेधा  के सफल होने की कामना बॉलीवुड भी कर रहा होगा।  क्योंकि, विक्रम वेधा के सफल होने से बॉलीवुड को  उत्साहित होने का अवसर मिलेगा।  अगर फिल्म असफल हुई तो यह तय हो जाएगा की लाल सिंह चड्डा जैसी बड़ी असफलता के बाद ब्रह्मास्त्र की सुपर सफलता रियल नहीं फंतासी थी। पोंनियिन सेलवन १ के सामने भी यही चुनौती है। मणि रत्नम की इस फिल्म के हिंदी संस्करण को विक्रम वेधा  के सामने स्वयं को  स्थापित करना होगा। पीएस १ की सफलता से यह स्थापित हो जाएगा कि दक्षिण का सिनेमा केवल तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों की सफलता पर निर्भर नहीं। यह फिल्म तमिल उद्योग को गर्व करने का अवसर देगी ही, यह भी साबित हो जाएगा कि  कथानक और भव्यता की दृष्टि से दक्षिण का सिनेमा को बॉलीवुड कोई चुनौती नहीं।  

Sunday 18 September 2022

साइकोलॉजिकल थ्रिलर चुप पर सस्पेंस थ्रिलर धोखा !

फिलहाल, सिनेमाघरों में और सिनेमाघरों के बाहर, ब्रह्मास्त्र पार्ट १ शिवा के सिनेमाघर खाली होने और हाउसफुल होने के ब्रह्मास्त्र, वानरास्त्र और अग्नेयास्त्र छोड़े जा रहे है. इन भरे सिनेमाघरों का जिक्र करते हुए ब्रह्मास्त्र हिट बताई जा रही है और इन्हें खाली दिखाते हुए इसे फ्लॉप भी बताया जा रहा है. इस अस्त्र युद्ध में बॉलीवुड के पत्रकार भी ट्रेड पंडित बन कर भिन्न भिन्न आंकड़ों के अस्त्र छोड़ कर ब्रह्मास्त्र को करण जोहर का सफल अस्त्र बता रहे है.



कमजोर ब्रह्मास्त्र की दुआ - पर शेष बॉलीवुड और सिनेमाघरों के अगले सप्ताह का इस युद्ध से कोई सम्बन्ध नहीं. ब्रह्मास्त्र द्वारा ४०१ करोड़ के मुकाबले १३४ करोड़ का नेट फिल्म को कैसे हिट बना देता है, इसका फार्मूला तो ट्रेड पंडित ही बता सकते है. परन्तु, ब्रहमास्त्र के ४०१ करोड़ के बजट बजट की तुलना में काफी कम यानि १० करोड़ के बजट पर बनी सनी देओल, दुलकर सलमान, श्रेया धन्वन्तरी और पूजा भट्ट की फिल्म चुप द रिवेंज ऑफ़ आर्टिस्ट और २० करोड़ के बजट से बनी खुशाली कुमार की पहली फिल्म धोखा राउंड द कार्नर को कुछ पर्दों की दरकार है, ताकि वह दिखा सकें कि उनमें कितना है दम. इसलिए यह फ़िल्में बेशक ब्रह्मास्त्र के अस्त्र को भोथरा नहीं बताएं, पर यह तो जरूर चाहेंगी कि बॉक्स ऑफिस पर ब्रह्मास्त्र थोडा कमजोर साबित हो ताकि उन्हें कुछ भी शो मिल सकें.



थ्रिलर की तलाश में दर्शक - वास्तविकता तो यह है कि २३ सितम्बर का सप्ताह छोटे बजट की फिल्मों के लिहाज से महत्वपूर्ण है. तब तक ब्रह्मास्त्र का तेज कम हो चुका होगा. दर्शक किसी थ्रिलर फिल्म की तलाश में हो सकते है. ऐसे में चुप और धोखा इन्हें राहत दे सकती है. क्योंकि, जहाँ चुप द रिवेंज ऑफ़ आर्टिस्ट साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म है, वहीँ धोखा राउंड द कार्नर एक मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म है. इन दोनों फिल्मों का थ्रिल दर्शकों को आकर्षित कर सकता है. अगर इन्हें परदे मिल पायें.



कुकी की थ्रिलर - धोखा राउंड द कार्नर के निर्देशक कुकी गुलाटी का थ्रिलर से लगाव है. उनकी पहली फिल्म टिप्स कंपनी की प्रिंस एक्शन थ्रिलर थी. विवेक ओबेरॉय की मुख्य भूमिका वाली २०१० में प्रदर्शित प्रिंस को बड़ी असफलता मिली. इसके बाद, कुकी को अगली फिल्म के लिए १२ साल का इंतज़ार करना पड़ा. परन्तु, कुकी की फाइनेंसियल थ्रिलर फिल्म द बिग बुल को बड़े परदे नसीब नहीं हुए. हर्षद मेहता पर यह फिल्म डिज्नी प्लस हॉट स्टार पर स्ट्रीम हुई. अब जबकि, उनकी तीसरी फिल्म धोखा सिनेमाघरों पर प्रदर्शित होने जा रही है, कुकी चाहेंगे कि इस बार दर्शक उन्हें धोखा न दें.



सनी देओल की चुप - कुछ ऐसा ही सनी देओल और दुलकर सलमान भी चाहेंगे कि उनकी फिल्म चुप के सिनेमाघरों पर चुप यानि साइलेंस न छाया रहे. दर्शकों की उत्तेजनात्मक सीटियाँ सुनाई दें. साइकोलॉजिकल थ्रिलर चुप से निर्देशक आर बल्कि की कोई ४ साल ७ महीने बाद वापसी हो रही है. उनकी पिछली फिल्म पेड मैन थी. चुप की स्टार कास्ट निर्देशक के लिहाज से अनोखी है. बॉलीवुड के एक्शन किंग सनी देओल मलयालम फिल्मो के रोमांटिक हीरो दुलकर सलमान के साथ है. फिल्म में सनी देओल निरंतर हो रही हत्याओं के रहस्य को सुलझाने में जुटे पुलिस अधिकारी की भूमिका में है. रोमांटिक दुलकर सलमान के पल्ले एक ऐसे कलाकार की भूमिका पड़ी है, जो समीक्षकों की गलत समीक्षाओं का शिकार है और उनकी ह्त्या करने से पहले उनके माथे पर सितारे बना देता है. इस फिल्म से बॉलीवुड अभिनेत्री पूजा भट्ट डेढ़ दशक बाद वापसी कर रही है. उनकी मेहमान भूमिका वाली फिल्म सड़क २ ओटीटी पर प्रदर्शित हुई थी. उनकी बतौर नायिका फिल्म मिस्टर चालू शूट होने से पहले ही बंद हो गई. उनकी २००९ में प्रदर्शित फिल्म सनम तेरी कसम भी १५ साल की प्रतीक्षा के बाद प्रदर्शित हुई थी. इस फिल्म को लारेंस डिसौज़ा ने १९९४ में पूरा कर लिया था. पर मुक़दमे में फंसी रहने के कारण यह फिल्म २००९ में ही प्रदर्शित हो सकी.



थ्रिलर को विदेशी चुनौती - अब देखने वाले बात होगी कि साइकोलॉजिकल थ्रिलर का सस्पेंस थ्रिलर फिल्म से टकराव परदे पर क्या रंग लाता है. क्या यह थ्रिलर फ़िल्में दर्शकों में इतना थ्रिल पड़ा कर सकेंगी कि वह ढाई घंटे तक सीटों पर चिपके रह सके और बाहंर निकल कर दूसरे दर्शकों कोई भी टिकट खरीदने के लिए उत्साहित कर सकें? जवाब देना आसान नहीं होगा. क्योंकि, इन दोनों फिल्मों को दो विदेशी फिल्मों से चुनौती मिल सकती है. यह दो फ़िल्में हॉलीवुड की २००९ में प्रदर्शित फिल्म अवतार का उच्चीकृत संस्करण और भारत-नेपाल सहकर से बनी पहली नेपाली- हिंदी फिल्म प्रेम गीत २ है. अवतार से भारतीय दर्शक परिचित है. वह इसे उच्च तकनीक में देखना भी चाहेंगे. अपने शीर्षक के विपरीत प्रेम गीत ३ रोमांटिक नहीं बल्कि पीरियड एक्शन फिल्म है.



अवतार ७५ रुपये में - स्पष्ट है कि चुप द रिवेंज ऑफ़ आर्टिस्ट और धोखा राउंड द कार्नर के लिए दर्शक बटोरने का अच्छा अवसर है. परन्तु यह अवसर शतप्रतिशत होता अगर अवतार ने चुनौती नहीं पैदा कर दी होती. अवतार को उच्च तकनीक में प्रदर्शित करने के बावजूद फिल्म के निर्माता चाहते हैं कि हिंदी फिल्म दर्शक उनकी अवतार को देखे. कियोंकि इस फिल्म की सीक्वल फिल्म अवतार द वे ऑफ़ वाटर तीन महीने बाद १६ दिसम्बर २०२२ को प्रदर्शित होने जा रही है. दिलचस्प स्थिति यह बन गई है कि अवतार अधिक से अधिक दर्शक देख सकें, इसलिए इस फिल्म की प्रवेश दरें ७५ रुपये तक सीमित कर दी गई है.कौन दर्शक इन गर्मियों में ठन्डे सिनेमाघरों में तीन घंटों तक अवतार का मजा लिए, वह भी ७५ रुपये में!

Sunday 11 September 2022

अब विलेन के हवाले बॉलीवुड की फिल्में

क्या बॉलीवुड की फिल्में विलेन के हवाले हो गई है ? कहने का मतलब यह कि क्या अब बॉलीवुड की फिल्मों को उनके विलेन के हवाले से दर्शकों के मन- मस्तिष्क में बैठाया जाएगा? यह सवाल इसलिए रोचक है कि अभी तक हिंदी फिल्में, विशेष रूप से, बॉलीवुड की हिंदी फिल्में नायक की छवि का प्रयोग करते हुए, उनके एक्टर की सितारा शक्ति का उपयोग करते हुए प्रचारित की जाती थी. दर्शक भी अपने पसंदीदा अभिनेता या अभिनेत्री या दोनों को ही देखने छविग्रहों तक आता था या लाया जाता था. अब ऐसा क्या हो गया कि हिंदी फिल्में विलेन के हवाले कर दी गई है ?


ख़त्म स्टार सिस्टम ! - पिछले साल, जब एक के बाद, हिंदी फिल्में या तो सिनेमाघरों में ध्वस्त हो गई या ओटीटी पर प्रसारित हुई तो ऐसा लगा था कि अब हिंदी फिल्मों और उनके सितारों में वह दमखम नहीं रही कि किसी फिल्म को हिट करा सके, इसलिए सीधे ओटीटी की राह थाम रही हैं. सलमान खान की फिल्म राधे योर मोस्ट वांटेड भाई और अंतिम द फाइनल ट्रुथ, अक्षय कुमार की फिल्म बेल बॉटम, फरहान अख्तर की बॉक्सर की फिल्म तूफ़ान, सिद्धार्थ मल्होत्रा की शेरशाह, अजय देवगन की भुज द प्राइड ऑफ़ इंडिया, अमिताभ बच्चन और इमरान हाशमी की फिल्म चेहरे, सैफ अली खान की फिल्म भूत पुलिस, विक्की कौशल की फिल्म सरदार उधम ओटीटी प्लेटफार्म से प्रसारित हुई या सिनेमा के परदे पर प्रदर्शित हो कर सितारों की इज्जत डुबो बैठी तो यह तय समझा गया कि अब स्टार सिस्टम के दिन बीत गए.


असफल स्टार सिस्टम - पर लॉक डाउन के बाद प्रदर्शित अक्षय कुमार की एक्शन फिल्म सूर्यवंशी को बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता मिली. इससे यह लगा कि स्टार सिस्टम कभी ख़त्म नहों हुआ था. क्योंकि अक्षय कुमार की स्टार अपील कोरोना के भय के बावजूद दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच लाई थी. हालाँकि, उस समय भी यशराज फिल्म्स के बैनर की फिल्म बंटी और बबली २ के बॉक्स ऑफिस पर ध्वस्त हो जाने की ओर किसी का ध्यान नहीं गया था. पर जॉन अब्राहम की फिल्म सत्यमेव जयते २ और सलमान खान की फिल्म अंतिम द फाइनल ट्रुथ बॉक्स ऑफिस से खतरे की घंटी घनघनाती दिखाई दे रही थी. इस घंटी को कबीर खान निर्देशित और रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की जोड़ी की फिल्म की तरह प्रचारित क्रिकेट पर फिल्म ’८३ की असफलता ने पगली घंटी बना दिया. यह सबूत था कि दर्शक स्टार सिस्टम और सिनेमाघरों में ऎसी फिल्मों से आजादी चाहता है. अब यह बात दीगर है कि बॉलीवुड के चमचों ने ऐसा घटाटोप कर दिया कि ’८३ पर एक हफ्ता पहले तेलुगु फिल्म पुष्पा द राइज का हिंदी संस्करण भारी पड़ गया. २०२२ में गंगुबाई काठियावाड़ी की सफलता को भी बॉलीवुड की स्टार पावर की सफलता दिखाया गया.


बड़ी फिल्मों के लुढ़कने के बाद - बस यहीं बॉलीवुड मात खा गया. अमिताभ बच्चन की फिल्म झुण्ड, प्रभास और पूजा हेगड़े की रोमांस फिल्म राधे श्याम, अक्षय कुमार की फिल्म बच्चन पाण्डेय और सम्राट पृथ्वीराज, जॉन अब्राहम की फिल्म अटैक पार्ट १, शाहिद कपूर की क्रिकेट खिलाड़ी की भूमिका वाली फिल्म जर्सी, टाइगर श्रॉफ की फिल्म हीरोपंथी२, अनिल कपूर की थार, कंगना रानौत की फिल्म धाकड़, रणबीर कपूर की फिल्म शमशेरा और जॉन अब्राहम की फिल्म एक विलेन रिटर्न्स बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह लुढ़क गई. यही कारण था कि अजय देवगन और अमिताभ बच्चन की फिल्म रनवे ३४ और राष्ट्रकवच ओम को ओटीटी की शरण में जाना पडा. एक ही दिन प्रदर्शित अक्षय कुमार की फिल्म रक्षा बंधन और आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्डा का बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से असफल होना, बॉलीवुड को बुरी तरह से दहला गया. अलबत्ता, इस लिहाज से कार्तिक आर्यन की हॉरर कॉमेडी फिल्म भूल भुलैया २ ने बॉलीवुड का हार्ट फेल होने से बचा लिया.


खलनायिका और खलनायक पर भरोसा - यही कारण है कि अब बॉलीवुड हीरो के बजाय विलेन या वैम्प पर भरोसा करंता दिखाई दे रहा है. ब्रह्मास्त्र पार्ट १: शिवा के टीज़र और गीतों के वीडियो जारी किये जा रहे हैं. लेकिन, जो माहौल मौनी रॉय की अंधकार की महारानी जूनून ने बनाया था, वह बन नहीं पा रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि जब ब्रह्मास्त्र ९ सितम्बर २०२२ को प्रदर्शित होने लगेगी तो उसे एक बार फिर अंधकार की महारानी से फिल्म के लिए प्रकाश ढूंढना पड़ेगा. २३ सितम्बर को प्रदर्शित होने जा रही दो फिल्में धोखा राउंड द कार्नर तथा चुप रिवेंज ऑफ़ द आर्टिस्ट पूरी तरह से नकारात्मक चरित्र या चरित्रों पर केन्द्रित फ़िल्में है. रीमेक फिल्म विक्रम वेधा का नायक नहीं खलनायक मजबूत है. दर्शकों की दृष्टि सैफ अली खान के विक्रम के बजाय हृथिक रोशन के वेधा पर लगी हैं. टाइगर श्रॉफ की फिल्म गनपत पार्ट १ के दक्षिण से आयातित खल नायक रहमान के नाम से प्रचारित कराया जा रहा है. यह सोचने वाली बात है कि निर्देशक श्रीराम राघवन ने मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म मेरी क्रिसमस के नायक के रूप में दक्षिण की फिल्म को विलेन विजय सेतुपति को ही क्यों लिया?


खान अभिनेताओं के विलेन - अभी हिंदी फिल्में विलेन के कारण ही प्रचार पाएंगे. विलेन का महत्त्व होगा. जब सलमान खान की फिल्म किसी का भाई किसी की जान साल के अंत में प्रदर्शित होने लगेगी, तब फिल्म के विलेन जगपति बाबू के चरित्र को उभारा जायेगा. सिद्धार्थ मल्होत्रा ने, अपनी शाहरुख़ खान के लिए निर्देशित फिल्म पठान में विलेन जॉन अब्राहम को नायक शाहरुख़ खान से अधिक नहीं तो बराबर का महत्त्व दिया है. सलमान खान की ईद २०२३ में प्रदर्शित होने जा रही फिल्म टाइगर ३ में सलमान खान के टाइगर से अधिक नहीं तो कम महत्त्व इमरान हाश्मी के विलेन को भी नहीं दिया जा रहा. शाहरुख़ खान को अपनी एक अन्य फिल्म जवान के लिए दक्षिण के विलेन विजय सेतुपति की आवश्यकता पड़ गई है. रणबीर कपूर भी शमशेरा की असफलता के बाद, फिल्म एनिमल में खुद ही जानवर बनने को तैयार है. 


विलेन के बावजूद - इसके बावजूद अक्षय कुमार की राम सेतु, अजय देवगन की थैंक गॉड और दृश्यम २, कैटरीना कैफ और ईशान खट्टर फ़ोन भूत, अर्जुन कपूर की कुत्ते, सिद्धार्थ मल्होत्रा की योद्धा, अमिताभ बच्चन के साथ सूरज बडजात्या की फिल्म ऊँचाई, अमिताभ बच्चन की गुडबाय, आदि फिल्में इनके नायकों के बल पर ही सिनेमाघरों में दर्शकों को खींच लाने का प्रयास करेंगी. इसमें कितनी सफल होती है ? इस पर निर्भर करेगा कि बॉलीवुड अब विलेन के कितना हवाले हो गया है!

Sunday 4 September 2022

बॉलीवुड के सुपर हीरो : अशोक कुमार से विकी कौशल तक



फिल्म निर्माता कंपनी स्टार स्टूडियोज की साँसे रुकी होंगी. डिज्नी से ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स का अधिग्रहण करने के बाद
, स्टार स्टूडियोज की पहली फिल्म ब्रह्मास्त्र पार्ट १ शिवा प्रदर्शित होने जा रही है. यह फिल्म बड़े बजट की बड़े सितारों वाली फिल्म है. फिल्म का बजट ३०० करोड़ के लगभग बताया जा रहा है. इस फिल्म में बॉलीवुड के शहंशाह माने जाने वाले अभिनेता अमिताभ बच्चन और बादशाह शाहरुख़ खान है तो तेलुगु सुपरस्टार नागार्जुन भी, बॉलीवुड की युवा रोमांटिक जोड़ी रणबीर कपूर और अलिया भट्ट के साथ है. अयान मुख़र्जी और करण जोहर के लिए यह परीक्षा की घडी है और जीवन मरण का प्रश्न भी. स्वभाविक है कि आज के माहौल में जबकि लाल सिंह चड्डा और रक्षा बंधन एक महीने से कम समय पहले बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी थी. स्वभाविक है कि स्टार स्टूडियोज के सामने आमिर खान के प्रोडक्शन और वायाकॉम १८ का खट्टा उदाहरण नवीनतम है.



चिंता का ब्रह्मास्त्र ! - क्या आमिर खान, करीना कपूर और नाग तथा अक्षय कुमार और भूमि पेडणेकर की बड़ी असफलता रणबीर कपूर, अलिया भट्ट और नागार्जुन को चितित कर रही होगी? बिलकुल, इस फिल्म से जुड़े सभी लोग चिंतित होंगे. अन्य दूसरे फिल्म निर्माता भी चिंतित होंगे. क्योंकि, ब्रह्मास्त्र पार्ट १ शिवा का भविष्य भारतीय सुपर हीरो विशेष रूप से बॉलीवुड के सुपर हीरो का भविष्य तय करेगा. अगर शिवा बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी तो दूसरी और तीसरी ब्रह्मास्त्र फ़िल्में नहीं बनेंगी. कुछ प्रीप्रोडक्शन में फ़िल्में भी डब्बा बंद हो जायेंगी. क्योंकि, बॉलीवुड के सुपर हीरो को हिंदी फिल्म दर्शको ने कोई बहुत महत्त्व नहीं दिया है.




मिस्टर इंडिया से पहले मिस्टर एक्स - हालाँकि, भारतीय सुपर हीरो की बात निकलती है तो सभी के मस्तिष्क में शेखर कपूर की फिल्म मिस्टर इंडिया (१९८७) का नाम याद आ जाता है. परन्तु, अनिल कपूर और श्रीदेवी की इस हिट फिल्म से पहले भी रुपहले परदे पर सुपर हीरो आया है. अशोक कुमार और नलिनी जयवंत अभिनीत फिल्म मिस्टर एक्स (१९५७) भी मानवेत्तर शक्ति रखने वाले व्यक्ति की कहानी थी. इसके सात साल बाद, उनके छोटे भाई किशोर कुमार भी कुमकुम के साथ फिल्म मिस्टर एक्स इन बॉम्बे (१९६४) में मानवेतर शक्ति रखने वाले नायक बने थे. फिल्म रिटर्न ऑफ़ सुपरमैन (१९६०) में पी जयराज अपनी मानवेतर शक्तियों से पुलिस की मदद करने वाले व्यक्ति की भूमिका कर रहे थे, जिसे एक शातिर अपराधी एक अपराध में फंसा देता है.




कोई ट्रेंड नहीं- इन फिल्मों को, उस समय की दृष्टि से अपवाद मान ले और बात मिस्टर इंडिया से करें तो भी सुपर हीरो ट्रेंड सफल होता नजर नहीं आता है. हालाँकि, इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता मिली थी. इसके बावजूद मिस्टर इंडिया की सीक्वल फिल्म नहीं बनी. शेखर कपूर को अपनी विज्ञानं फंतासी फिल्म टाइम मशीन को डब्बा बंद करना पड़ा. क्योंकि, इसी समय बनाई गई पुनीत इस्सर की सुपर हीरो भूमिका वाली धर्मेन्द्र, अशोक कुमार, शक्ति कपूर, उर्मिला भट्ट, आदि की फिल्म सुपरमैन, जैकी श्रॉफ की फिल्म शिवा का इन्साफ, अमिताभ बच्चन की तूफ़ान और अजूबा बॉक्स ऑफिस पर कोई तूफ़ान नहीं बरपा सकी तथा बॉक्स ऑफिस पर अजूबा साबित हुई.




नागिन की शक्ति - देखा जाए तो मानवेतर शक्तियां नाग या नागिन होने के कारण भी मिली. यह ट्रेंड श्रीदेवी कि नागिन भूमिका वाली फिल्म नगीना से बना, जिसमे श्रीदेवी इच्छाधारी नागिन बनी थी. हालाँकि, इससे काफी पहले राजकुमार कोहली नागिन (१९७६) फिल्म में इच्छाधारी नागिन के बदले को दिखा चुके थे. दूसरी फिल्म निगाहें को उतनी सफलता नहीं मिल सकी. यहाँ दिलचस्प तथ्य यह है कि इस दौरान, सुपरहिट फिल्म राम तेरी गंगा मैली की मन्दाकिनी और राजीव कपूर की जोड़ी की अभिनीत फिल्म नाग नागिन (१९८९) बुरी तरह से फ्लॉप हुई. इसके अलावा, महाभारत के कृष्ण नितीश भरद्वाज की नाग नागिन फिल्म नाचे नागिन गली गली, रेखा और जीतेंद्र की फिल्म शेषनाग, आमिर खान और जूही चावला की तुम मेरे हो, पूजा बेदी और कुनाल गोस्वामी की फिल्म विषकन्या (१९९१), नागिन (१९७६) की सफलता दोहराने के ख्याल से बनाई गई राजकुमार कोहली की फिल्म जानी दुश्मन भी बुरी तरह से असफल फिल्मों में शामिल हुई. इस कड़ी में जैकी श्रॉफ और नीलम की दूध का कर्ज की असफलता भी उल्लेखनीय है.




कई हीरो लम्बी कड़ी - सुपर हीरो फिल्मों की असफलता की कड़ी बड़ी लम्बी है. इस कड़ी में रा वन के शाहरुख खान, द लीजेंड ऑफ़ द्रोण के अभिषेक बच्चन, मिस्टर एक्स के इमरान हाश्मी, अ फ्लाइंग जट्ट के टाइगर श्रॉफ, भावेश जोशी सुपर हीरो के हर्षवर्द्धन कपूर, मर्द को दर्द नहीं होता के अभिमन्यु दासानी, आदि उल्लेखनीय नाम और फिल्में है. बॉलीवुड सुपर हीरो को सफलता दिलाने की बात करें तो यहाँ हृथिक रोशन का नाम याद आता है. वह पहली बार फिल्म कोई मिल गया में सुपर पॉवर रखने वाले रोहित की भूमिका में सफलता के झंडे गाड़ पाने में सफल हुए. हृतिक रोशन ने इस सफलता को कृष और कृष ३ में भी बनाए रखा. अब उनके कृष ४ में भी सुपर हीरो की भूमिका करने का समाचार है.




कृष बनाम शिवा ! - हृतिक रोशन की कृष ट्राइलॉजी की सफलता के दृष्टिगत यह प्रश्न स्वभाविक है कि रणबीर कपूर क्यों नहीं सुपर हीरो शिवा के रूप में सफल हो सकते ? सवाल स्वाभाविक है. उत्तर ९ सितम्बर को मिलेगा. उसी समय यह अनुमान लगाया जा सकेगा कि क्या भ्रह्मस्त्र २ और ब्रह्मास्त्र ३ बनेंगी? ब्रह्मास्त्र ट्राइलॉजी ही नहीं, दूसरी ट्राइलॉजी का भविष्य भी दांव पर लगा हुआ है. कभी टीवी पर सुपर हीरो शक्तिमान बन का छा जाने वाले मुकेश खन्ना सुपर हीरो शक्तिमान पर ट्राइलॉजी बनाने की घोषणा कर चुके है. निर्माता निखिल द्विवेदी श्रद्धा कपूर को नागिन बना कर नागिन ट्राइलॉजी बनाने की घोषणा कर चुके है. विक्की कौशल की फिल्म इममोर्टल ऑफ़ अश्वत्थामा के निर्माण की गति पहले से ही मंद है. इसके अलावा पिछले दिनों जॉन अब्राहम के रक्षक और कैटरीना कैफ के सुपर सोल्जर फिल्म में सुपर हीरो भूमिका करने के समाचार थे. अब इनमे से कितनी फ़िल्में बनेंगी या कितनी नई फिल्मे घोषित होंगी, इसका पता तो ९ सितम्बर के बाद ही चलेगा. 

Sunday 28 August 2022

सितम्बर में ब्रह्मास्त्र और फिर अवतार !

अगस्त में बॉलीवुड की छीछालेदर होने के बाद, अब सितम्बर का महीना जीवन मरण का प्रश्न हल करने जा रहा है. सचमुच बॉलीवुड के लिए यह परीक्षा की घडी है या यह कहिये कि दर्शकों के निर्णय की प्रतीक्षा है. क्योंकि, सितम्बर में ब्रह्मास्त्र के अचूक साबित न होने के बाद, विक्रम वेधा का हथियार कितना कारगर साबित होगा, शर्तिया नहीं कहा जा सकता. क्योंकि, दक्षिण का चोल साम्राज्य चढ़ाई करने आ रहा है.



दक्षिण का जलवा- अगस्त में, जबकि आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्डा और अक्षय कुमार की फिल्म रक्षा बंधन, दर्शकों द्वारा बॉक्स ऑफिस से बंधन मुक्त कर दी गई थी, उस समय कार्तिकेय २ की कृष्ण महिमा दर्शकों द्वारा गाई जा रही थी. जहाँ, लाल सिंह चड्डा और रक्षा बंधन के शो दिनों दिन निरस्त किये जा रहे थे, परदे घटाए जा रहे थे, वही तेलुगु फिल्म कार्तिकेय २ का हिंदी संस्करण हर दिन बढ़ते शो और पर्दों के साथ, सिंगल डिजिट से शुरुआत कर डबल डिजिट में पहुँच गया था. जब लाल सिंह चड्डा और रक्षा बंधन ५० करोड़ तक पहुंचते पहुंचते हांफ गई थी, वही कार्तिकेय २ ने शतक जमाने में कोई देर नहीं की. इससे साबित हो गया कि फिल्म की कहानी और कहने में दम हो तो फिल्म चाहे किसी भाषा की हो, हिंदी दर्शक उसे हाथोंहाथ लेगा.




नई अग्नि परीक्षा ! - अब, अगस्त की परीक्षा में असफल होने के पश्चात् बॉलीवुड को नई अग्निपरीक्षा से गुजरना है. हालाँकि, जब तक यह लेख प्रकाशित होगा, तेलुगु फिल्मों के युवा सितारों में से एक विजय देवेराकोंडा की एक्शन फिल्म लाइगर, २५ अगस्त को प्रदर्शित हो चुकी होगी. इस लेख को पढ़ते पढ़ते दर्शक यह जान चुके होंगे कि लाइगर साला क्रॉस ब्रीड बॉक्स ऑफिस पर क्या गुल खिला रही है! इस फिल्म का करण जोहर के लिए महत्त्व है. क्योंकि, उन्होंने फिल्म में पैसा लगा रखा है. हालाँकि, वह लाइगर से बहुत बाद में जुड़े. पर फिल्म से उनकी नीपो कन्या अनन्या पांडे विजय की नायिका के रूप में शामिल की जा चुकी थी. अगर फिल्म लाइगर की ओपनिंग डबल डिजिट में नहीं होती और फिल्म में दम नजर नहीं आती तो करण जोहर को आर्थिक नुकसान तो होगा. पर विजय का अखिल भारतीय अभिनेता बनने का ख्वाब टूट जायेगा. अनन्या पांडे को भी शायद स्क्रैच से शुरुआत करनी पड़े या उनका करियर खतरे में पड़ जाए.




ब्रह्मास्त्र का अस्त्र - अब आते है सितम्बर की बात करते है. सितम्बर के महीने में, अक्षय कुमार ओटीटी पर अपनी कठपुतली नचाते दिखाई देंगे. इस फिल्म को ओटीटी पर दर्शक मिलने या न मिलने से अक्षय कुमार को फर्क पड़ सकता है. परन्तु, बॉलीवुड को फर्क पड़ेगा ब्रह्मास्त्र पार्ट १ शिवा की सफलता या असफलता से. निर्देशक अयान मुख़र्जी की फंतासी फिल्म बीरबल की खिचड़ी की तरह सालों से बन रही है. यह फिल्म जब शुरू हुई, तब रणबीर कपूर किसी अलिया भट्ट के प्यार में पड़े नहीं थे. परन्तु, अब जबकि यह फिल्म प्रदर्शित होने जा रही है, वह अलिया भट्ट से एक बच्चे के पिता बनने जा रहे है. उन्हें जितनी प्रसन्नता अपने बच्चे के आने की होगी, उससे कहीं ज्यादा चिंता ब्रह्मास्त्र को बॉक्स ऑफिस पर दर्शको की प्रतिक्रिया की होगी. क्योंकि उनको फिल्म शमशेरा के बुरी तरह से फ्लॉप हो जाने के बाद, ब्रह्मास्त्र के बड़ी हिट होने की सख्त जरूरत है. पर करेला में नीम चढ़ा यह है कि फिल्म की नायिका और उनकी पत्नी आलिया भट्ट कह चुकी है कि अगर मेरी शक्ल पसंद नहीं तो मुझे मत देखना. यानि वह दर्शकों को फिल्म न देखने की चुनौती दे चुकी है. अगर यह चुनौती दर्शकों ने स्वीकार कर ली तो ! इसका जवाब रणबीर कपूर के अलावा करण जोहर और अयान मुख़र्जी भी देना या सुनना नहीं चाहेंगे.




फिर अवतार - ब्रह्मास्त्र के बाद, सितम्बर में सरोज का रिश्ता, जहाँ चार यार, मिडिल क्लास लव, मोदी जी की बेटी, लव यू लोकतंत्र, सिया, मत्तो की सायकिल, धोखा राउंड द कार्नर और प्रेम गीत ३ भी प्रदर्शित हो रही है. प्रेम गीत ३ एक भारत नेपाल सहकार हिंदी फिल्म है. धोखा राउंड द कार्नर सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है. इन सबके बीच विशेष हो सकती है, जेम्स कैमरून की २००९ में प्रदर्शित विज्ञान फंतासी फिल्म अवतार का पुनर्प्रदर्शन. यह फिल्म उच्च तकनीक के साथ फिर इसलिए प्रदर्शित की जा रही है ताकि दर्शक इस फिल्म से २००९ को याद करें और १६ दिसम्बर को अवतार २ के प्रदर्शित होने की प्रतीक्षा करें.




तमिल कन्धों पर सैफ-हृथिक - परन्तु, सितम्बर का अंतिम शुक्रवार चुनौतीपूर्ण होगा. इस दिन, दक्षिण के कंधे पर सवार बॉलीवुड के दो सितारों हृथिक रोशन और सैफ अली खान की थ्रिलर फिल्म विक्रम वेधा. इस फिल्म में हृथिक रोशन एक गैंगस्टर वेधा की भूमिका कर रहे है, जबकि, सैफ अली खान पुलिस अधिकारी विक्रम बने है. यह फिल्म तमिल हिट विक्रम वेधा का रीमेक है. यह दोनों एक्टर विजय सेतुपति और माधवन वाली भूमिकाएं कर रहे है. दिलचस्प तथ्य यह है कि हिंदी रीमेक का न्रिदेशन मूल तमिल फिल्म की निर्देशक जोड़ी पुष्कर और गायत्री ही कर रहे है. तमिल फिल्म को बड़ी सफलता मिली थी. लेकिन, क्या विक्रम और वेताल की कहानी और परिणाम की शक्ल में लिखी गई इस कहानी को हिंदी दर्शक भी पसंद करेगा ? सवाल १०० टके का है. क्या होगा दर्शकों का जवाब ?




चोल साम्राज्य का आक्रमण - दर्शकों का यह जवाब इस वजह से भी ख़ास है कि ३० सितम्बर को ही मणिरत्नम निर्देशित दक्षिण के प्राचीन चोल साम्राज्य के वैभव, संकट और युद्ध को दर्शाने वाली तमिल फिल्म पोंनियिन सेल्वेन १ का हिंदी संस्करण भी प्रदर्शित होने जा रहा है. इस फिल्म में बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन अपनी दोहरी भूमिकाओं के कारण बड़ा आकर्षण है. फिल्म मे दक्षिण से चियान विक्रम, प्रकाश राज, कार्ति, तृषा कृष्णन, जयम रवि, ऐश्वर्या लक्ष्मी, आदि प्रतिष्ठित अभिनेता अभिनेत्रियाँ दक्षिण के ऐतिहासिक चरित्रों को अपने सशक्त अभिनय से सजीव कर रहे है. इस फिल्म का ट्रेलर दर्शकों द्वारा काफी पसंद किया गया है. जिस प्रकार से दक्षिण की फिल्मो को हिंदी दर्शक पसंद कर रहा है, उससे कोई शक नहीं अगर पोंनियिन सेल्वेन १ का हिंदी संसकरण दर्शकों को पसंद आ जाए. 




क्या होगा ? - पर सवाल फिर वही है. तेरा क्या होगा बॉलीवुड ! सितम्बर में हिंदी बेल्ट का ट्रेड दक्षिण के कन्धों पर सवार है. लाइगर में तेलुगु सितारे विजय देवेराकोंडा और निर्देशक पुरी जगन्नाथ का साथ करण जोहर को मिला है. वैसे ही, ब्रह्मास्त्र में भी नागार्जुन और तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम संवाद सहयोगी की भूमिका निबाह सकते है. विक्रम वेधा तो पूरी तरह से तमिल बैसाखी पर खडी हुई है. यह बैसाखी ज़रा असंतुलित हुई, हृतिक रोशन और सैफ अली खान का औंधे मुंह गिरना निश्चित है. सैफ अली खान तो अपनी बयानबाजी से पहले ही निशाने पर है. पर हृथिक ने लाल सिंह चड्डा को देखने की सिफारिश कर, उड़ता तीर अपने सीने पर ले लेने वाला काम किया है. क्या होगा ? प्रतीक्षा करते है सितम्बर की. 

Sunday 21 August 2022

हिन्दुफोबिक बॉलीवुड को हुआ बायकाट से नुकसान !

बॉलीवुड फिल्मों को, १००-१५० करोड़ का कारोबार करा सकने वाले विस्तारित सप्ताहांत और छुट्टियों के सप्ताह ने, इस बार तबाही मचा दी. रक्षा बंधन और स्वतंत्रता दिवस सप्ताह का लाभ उठाने के लिए ११ अगस्त को प्रदर्शित की गई बॉलीवुड की दो बड़े सितारों वाली बड़े बजट की फिल्मों का बाजा बज गया. रक्षा बंधन और लाल सिंह चड्डा अक्षय कुमार और आमिर खान जैसे भरोसेमंद सितारों के होते हुए भी, पांच दिनों में ५० करोड़ का आंकड़ा पार कर पाने में असफल रही. लाल सिंह चड्डा पांच दिनों में ४५.८३ करोड़ और रक्षा बंधन ने सिर्फ ३४.४७ करोड़ का कारोबार ही किया.




हिन्दुफोबिक एक्टर - क्या लाल सिंह चड्डा और रक्षा बंधन की असफलता, हिन्दुफोबिक बॉलीवुड की फिल्मो की असफलता है? आमिर खान ने अपनी फिल्मों पीके में हिन्दुओं का खूब अपमान किया. यहाँ तक कि अपने शो सत्यमेव जयते में भी अपने प्रतिभागियों के माध्यम से हिन्दू धर्म की फजीहत कराने में कोई गुरेज नहीं किया. कुछ ऎसी ही दशा अक्षय कुमार की भी थी. उन्होंने अपनी फिल्मों ओह माय गॉड, लक्ष्मी और अतरंगी रे मे हिन्दू धर्म की फजीहत करने में पीछे नहीं रहे. इन दोनों अभिनेताओं ने अपनी फिल्मों के प्रचार में भी परिहास की मुद्रा में गणेश जी को दूध पिलाने और शिव लिंग पर दूध चढाने का मजाक उड़ाया. इस से इन दोनों अभिनेताओं की छवि हिन्दूफोबिक एक्टरों की बन गई.




एकतरफा सुधार की जिद्द - क्या इससे यह कहा जा सकता है कि रक्षा बंधन और लाल सिंह चड्डा, अक्षय कुमार और आमिर खान के बयानों और फिल्मों के कारण असफल हो गई. यहाँ बता देना उचित होगा कि अक्षय कुमार और आमिर खान हिंदी फिल्मों में काम करते हैं तथा इनका रुतबा इनके प्रति दर्शकों के प्यार में ही है. अपनी इमेज के कारण बॉलीवुड के एक्टर दर्शकों को छविग्रहों तक खींच ला पाने में सफल होते रहे है. पर इससे यह दोनों अभिनेता या बॉलीवुड समाज सुधारक साबित नहीं होते. इन्हें दर्शकों का मनोरंजन करना चाहिए, न कि अपनी मानसिकता के अंतर्गत धर्म पर हमला करना चाहिए था. यह दोनों समाज सुधारक होते तो मुस्लिम धर्म के तीन तलाक, हलाला, औरतों की दुर्दशा, मदरसों में मौलवियों द्वारा बलात्कार, आदि आदि पर भी अपनी फ़िल्में बनाते. पर बॉलीवुड तो ख़ास तौर पर हिन्दू धर्म पर ही हमला करता रहा है. चूंकि, हिन्दू सहिष्णु होता है, वह इसका गलत फायदा उठाते रहे है. पर बकरे की माँ कब तक खैर मनाती! हिन्दुओं ने इन अभिनेताओं द्वारा अपने धर्म पर हमले को दिल से लगा लिया. इसका नतीजा इन दोनों की फिल्मों की असफलता के रूप में सामने आया.




भ्रष्ट कथ्य - क्या यह माना जाना उचित होगा कि रक्षा बंधन और लाल सिंह चड्डा इसलिए असफल हो गई कि हिन्दू नाराज था? तब तो पीके को असफल हो जाना चाहिए था. ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान को ५० करोड़ से अधिक की ओपनिंग नहीं मिलनी चाहिए थी. तो क्या रक्षा बंधन और लाल सिंह चड्डा खराब फ़िल्में होने के कारण असफल हुई ? इस सवाल का जवाब पीके और ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान में ही छिपा है. इसमें कोई शक नहीं कि लाल सिंह चड्डा एक खराब फिल्म थी. यह फिल्म जितनी ख़राब लिखी गई थी, उतना ही खराब आमिर खान का अभिनय भी था. फिल्म के ट्रेलर ने इसका ऐलान कर भी दिया था. वही, रक्षा बंधन भी साधारण फिल्म थी. यह फिल्म रक्षा बंधन जरूर थी. पर दहेज़ की बुराइयों पर अधिक थी. दहेज़ प्रथा की बुराई करना गलत नहीं है. पर दहेज़ प्रथा तो दूसरे धर्मों में भी है. मुस्लमान भी दहेज माँगने लगे है. ऐसे में जब लक्ष्मी का हीरो हिन्दू लड़की से शादी करने वाला मुस्लमान हो सकता है तो रक्षा बंधन का हीरो भी दहेज़ माँगने वाला मुस्लमान क्यों नहीं हो  सकता! वैसे भी रक्षा बंधन जैसे खुशियों के त्यौहार में रोतीधोती फ़िल्में कौन देखना चाहता है!




हिन्दुफोबिक होने का नुकसान - कोई संदेह नहीं कि रक्षा बंधन और लाल सिंह चड्डा ख़राब बनी फ़िल्में थी. चूँकि, अक्षय कुमार इसी साल बच्चन पाण्डेय और सम्राट पृथ्वीराज जैसी असफल फ़िल्में दे चुके थे, इसलिए स्वाभाविक था कि दर्शक उनकी तीसरी फिल्म रक्षा बंधन को महत्त्व न देते. उनके हिन्दू विरोधी रुख ने हिन्दुओं को पहले ही उनसे दूर कर दिया था. अब आते है लाल सिंह चड्डा पर. लाल सिंह चड्डा भी ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान की तरह बेहद खराब बनी फिल्म थी. आमिर खान बदरंग थे. पर इसके बावजूद ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान को दिवाली के त्यौहार में ५० करोड़ से अधिक देने वाले दर्शक मिले. यही दर्शक रक्षा बंधन में लाल सिंह चड्डा को क्यों नहीं मिले? इसी का जवाब छुपा है बायकाट लाल सिंह चड्डा में. आमिर खान के देश विरोध बयानों, टर्की के राष्ट्रपति की पत्नी से मिलाने की तस्वीरों को वायरल करना और अपने स्टारडम की ऐंठ ने हिन्दू दर्शकों को लाल सिंह चड्डा से दूर कर दिया. अगर ऐसा न होता तो लाल सिंह चड्डा को भी ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान की तरह बढ़िया ओपनिंग मिलती. उसकी गाडी १२ करोड़ से पहले ही नहीं रुक जाती. यही है हिन्दुओं के द्वारा बायकाट बॉलीवुड का नुकसान.