बॉक्स ऑफिस पर, ब्रह्मास्त्र कितना कारगर रहा, इस पर विवाद है। निर्माता और ट्रेड द्वारा जारी आंकड़ों पर भी विवाद है। इन्हे संदिग्ध बताया जा रहा है। वास्तविकता क्या है, इसे अभी नहीं जाना जा सकता। लेकिन, अगर ४०१ करोड़ की लागत वाली, ९ सालों में पूरी हुई ब्रह्मास्त्र पार्ट १ शिवा की लागत से तुलना करे तो कारोबार के आकंड़े फिल्म को अभी हिट नहीं बनाते। ऐसा लगता है ब्रह्मास्त्र को अभी बॉक्स ऑफिस पर मारक साबित होना है। पर इस सप्ताह यानि शुक्रवार ३० सितम्बर को प्रदर्शित होने जा रही दो बड़ी फिल्में करण जोहर के ब्रह्मास्त्र को भोथरा बना सकती है।
विक्रम वेधा का हिंदी अवतार - इस शुक्रवार ३० सितम्बर को बॉलीवुड और टॉलीवूड से एक एक फिल्म प्रदर्शित हो रही है। बॉलीवुड से, रिलायंस और टीसीरीज की सहकार फिल्म विक्रम विधा सिर्फ हिंदी में रिलीज़ हो रही है।क्योंकि, यह फिल्म तमिल भाषा की माधवन और विजय सेतुपति अभिनीत फिल्म विक्रम वेधा की रीमेक फिल्म है। इस रीमेक फिल्म में, हृथिक रोशन गैंगस्टर वेधा का वेताल की तरह सवाल जवाब करने वाला चरित्र कर रहे है। उनके विरुद्ध पुलिस अधिकारी की विक्रम भूमिका में सैफ अली खान है। तमिल फिल्म विक्रम वेधा की इस रीमेक फिल्म में दूसरे महत्वपूर्ण चरित्र राधिका आप्टे, रोहित सराफ, योगिता बिहानी, शारिब हाश्मी और सत्यदीप मिश्रा कर रहे है। मूल तमिल फिल्म की निर्देशक जोड़ी पुष्कर- गायत्री ही हिंदी संस्करण का निर्देशन रही है। सुपर ३० और वॉर की सफलता ओढ़े हृथिक रोशन की इस फिल्म के भी बड़ी हिट होने की आशा की जा रही है। विक्रम -वेधा का बजट १७० करोड़ बताया जा रहा है। विक्रम वेधा के लिए लाल सिंह चड्डा की तरह स्क्रीन रोकने का काम फिल्म के निर्माता रिलायंस एंटरटेनमेंट ने काफी पहले से शुरू कर रखा है।
पीएस १ की भव्यता - विक्रम- वेधा के बजट से कहीं ज्यादा बजट, दक्षिण से आ रही फिल्म पोंनियिन सेलवन १ का है। निर्माता और निर्देशक मणिरत्नम फिल्म पोंनियिन सेलवन १ को केवल तमिल भाषा में १०० करोड़ की लागत से स्वयं बनाना चाहते थे। पर बाद में इस फिल्म का विस्तार होता चला गया। दूसरे निर्माता जुड़े, फिल्म को दो हिस्सों में तथा तमिल के अतिरिक्त हिंदी, तेलुगु,कन्नड़ और मलयालम में भी प्रदर्शित किये जाने का निर्णय लिया गया। अब इस फिल्म का बजट बढ़ कर ५०० करोड़ हो गया है। हिंदी पेटी के दर्शकों के पहचाने चेहरों की दृष्टि से फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन, नंदिनी और मन्दाकिनी की दोहरी भूमिका कर रही है। हिंदी दर्शक शोभिता धूलिपाला को भी पहचानते होंगे। लेकिन, दक्षिण की फिल्मो के कई बड़े चेहरे जयम रवि, कार्ति, तृषा, ऐश्वर्या लक्ष्मी, प्रभु, आर शरदकुमार, विक्रम प्रभु, जयराम, प्रकाश राज, रहमान, आर पर्तिबन, आश्विन काकुमानी, अश्विन राव, आदि को छोटी बड़ी, पर प्रमुख भूमिकाओ में लिया गया है। तेलुग, तमिल, कन्नड़ और मलयालम भाषाओँ के दर्शको के बीच अपनी पकड़ रखने वाले यह कलाकार फिल्म की सफलता मे महत्वपूर्ण भूमिका निबाह सकते है।
विक्रम वेधा पर भारी चोल साम्राज्य - हिंदी बेल्ट में पकड़ के लिहाज से, हृथिक रोशन और सैफ अली खान की शीर्षक भूमिका वाली फिल्म की सफलता असंदिग्ध दिखाई देती है। मगर, ध्यान रहे कि अब दक्षिण की फ़िल्में हिंदी पेटी के दर्शकों को आकर्षित कर रही है। कम बजट की तेलुगु फिल्म कार्तिकेय २ के हिंदी संस्करण को मिली बड़ी सफलता इसका प्रमाण है। बाहुबली सीरीज की सफलता ने हिंदी दर्शकों में दक्षिण के प्राचीन साम्राज्यों के विषय में जानने की उत्सुकता पैदा की है। इस दृष्टि से हिंदी दर्शकों में दक्षिण के प्राचीन चोल साम्राज्य के वैभव और राज महल के षड्यंत्र के ड्रामा को देखने में दिलचस्पी है। ऐसे में जहाँ, विक्रम वेधा हिंदी बेल्ट में बड़े दर्शक बटोर सकेगी, वही पोंनियिन सेल्वन १ को पूरे देश में दर्शक बटोरने में सफलता मिल सकती है। अगर यह फिल्म विक्रम वेधा की थ्रिल पर भारी पड़ गई तो फिर क्या कहने है!
साबित होगी श्रेष्ठता -बॉलीवुड और तमिल फिल्म इंडस्ट्री के लिए विक्रम वेधा और पोंनियिन सेलवन १ की सफलता अति आवश्यक है। हृथिक रोशन ने सुपर ३० तथा वॉर जैसी बड़ी सफल फिल्मे दी है। विक्रम वेधा की सफलता उन्हें बॉलीवुड का सबसे बड़ा सुपरस्टार बना देगी। विक्रम वेधा के सफल होने की कामना बॉलीवुड भी कर रहा होगा। क्योंकि, विक्रम वेधा के सफल होने से बॉलीवुड को उत्साहित होने का अवसर मिलेगा। अगर फिल्म असफल हुई तो यह तय हो जाएगा की लाल सिंह चड्डा जैसी बड़ी असफलता के बाद ब्रह्मास्त्र की सुपर सफलता रियल नहीं फंतासी थी। पोंनियिन सेलवन १ के सामने भी यही चुनौती है। मणि रत्नम की इस फिल्म के हिंदी संस्करण को विक्रम वेधा के सामने स्वयं को स्थापित करना होगा। पीएस १ की सफलता से यह स्थापित हो जाएगा कि दक्षिण का सिनेमा केवल तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों की सफलता पर निर्भर नहीं। यह फिल्म तमिल उद्योग को गर्व करने का अवसर देगी ही, यह भी साबित हो जाएगा कि कथानक और भव्यता की दृष्टि से दक्षिण का सिनेमा को बॉलीवुड कोई चुनौती नहीं।
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