ऑस्कर २०२३ के लिए. भारत की ओर से भेजी गई पृविष्टि गुजराती फिल्म छेल्लो शो (#Last Film Show) पर विरोध भरा शोरशराबा हैरान करने वाला है. विशेष बात यह है कि इस विरोध में द कश्मीर फाइल्स के विरोधी भी शामिल है और ब्रह्मास्त्र के विरोधी भी.
हैरानी तब होती है, जब इसमें कथित बुद्धिजीवी पत्रकार भी शामिल हो कर शोर मचाते है कि ऑस्कर के लिए आर आर आर या द कश्मीर फाइल्स या ब्रहास्त्र पार्ट १` शिव को भेजा जाना चाहिए था.
इन लोगों को शोर मचाने से पहले अपनी समझ को ठीक करना चाहिए और ऑस्कर की जूरी की मानसिकता को समझना चाहिए. सामान्य रूप से ऑस्कर की जूरी कम लम्बाई की फिल्मों को तरजीह देते है. इस लिहाज से छेल्लो शो की कुल लम्बाई १ घंटा ५० मिनट परफेक्ट है.
जबकि, आर आर आर ३ घंटा २ मिनट, ब्रह्मास्त्र २ घंटा ४७ मिनट और द कश्मीर फाइल्स २ घंटा ५० मिनट लम्बी हैं. यह ऑस्कर के पैमाने पर उपयुक्त फिल्में नहीं है.
इसके अलावा छेल्लो शो का विषय बिलकुल लीक से हट कर है. यह फिल्म एक छोटे बच्चे के ३५ मिलिमीटर के परदे के प्रति आकर्षण को दिखाती है. यह फिल्म भारतीय सिनेमा की दशा पर सटीक टिपण्णी है. इसका विरोध समझ से परे है.
कुछ लोगों का विरोध यह कह कर रहे है कि यह फिल्म इतालवी फिल्म #CinemaParadiso को कॉपी है. इस पर तो फिल्म फेडरेशन के सदस्य ही टिपण्णी कर सकते है कि क्या इन्हें यह तथ्य नहीं मालूम था. अगर ऐसा है तो यह दुःख की बात है कि फेडरेशन के लोग इतने कम जानकार है.
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