क्या बॉलीवुड की फिल्में विलेन के हवाले हो गई है ? कहने का मतलब यह कि क्या अब बॉलीवुड की फिल्मों को उनके विलेन के हवाले से दर्शकों के मन- मस्तिष्क में बैठाया जाएगा? यह सवाल इसलिए रोचक है कि अभी तक हिंदी फिल्में, विशेष रूप से, बॉलीवुड की हिंदी फिल्में नायक की छवि का प्रयोग करते हुए, उनके एक्टर की सितारा शक्ति का उपयोग करते हुए प्रचारित की जाती थी. दर्शक भी अपने पसंदीदा अभिनेता या अभिनेत्री या दोनों को ही देखने छविग्रहों तक आता था या लाया जाता था. अब ऐसा क्या हो गया कि हिंदी फिल्में विलेन के हवाले कर दी गई है ?
ख़त्म स्टार सिस्टम ! - पिछले साल, जब एक के बाद, हिंदी फिल्में या तो सिनेमाघरों में ध्वस्त हो गई या ओटीटी पर प्रसारित हुई तो ऐसा लगा था कि अब हिंदी फिल्मों और उनके सितारों में वह दमखम नहीं रही कि किसी फिल्म को हिट करा सके, इसलिए सीधे ओटीटी की राह थाम रही हैं. सलमान खान की फिल्म राधे योर मोस्ट वांटेड भाई और अंतिम द फाइनल ट्रुथ, अक्षय कुमार की फिल्म बेल बॉटम, फरहान अख्तर की बॉक्सर की फिल्म तूफ़ान, सिद्धार्थ मल्होत्रा की शेरशाह, अजय देवगन की भुज द प्राइड ऑफ़ इंडिया, अमिताभ बच्चन और इमरान हाशमी की फिल्म चेहरे, सैफ अली खान की फिल्म भूत पुलिस, विक्की कौशल की फिल्म सरदार उधम ओटीटी प्लेटफार्म से प्रसारित हुई या सिनेमा के परदे पर प्रदर्शित हो कर सितारों की इज्जत डुबो बैठी तो यह तय समझा गया कि अब स्टार सिस्टम के दिन बीत गए.
असफल स्टार सिस्टम - पर लॉक डाउन के बाद प्रदर्शित अक्षय कुमार की एक्शन फिल्म सूर्यवंशी को बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता मिली. इससे यह लगा कि स्टार सिस्टम कभी ख़त्म नहों हुआ था. क्योंकि अक्षय कुमार की स्टार अपील कोरोना के भय के बावजूद दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच लाई थी. हालाँकि, उस समय भी यशराज फिल्म्स के बैनर की फिल्म बंटी और बबली २ के बॉक्स ऑफिस पर ध्वस्त हो जाने की ओर किसी का ध्यान नहीं गया था. पर जॉन अब्राहम की फिल्म सत्यमेव जयते २ और सलमान खान की फिल्म अंतिम द फाइनल ट्रुथ बॉक्स ऑफिस से खतरे की घंटी घनघनाती दिखाई दे रही थी. इस घंटी को कबीर खान निर्देशित और रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की जोड़ी की फिल्म की तरह प्रचारित क्रिकेट पर फिल्म ’८३ की असफलता ने पगली घंटी बना दिया. यह सबूत था कि दर्शक स्टार सिस्टम और सिनेमाघरों में ऎसी फिल्मों से आजादी चाहता है. अब यह बात दीगर है कि बॉलीवुड के चमचों ने ऐसा घटाटोप कर दिया कि ’८३ पर एक हफ्ता पहले तेलुगु फिल्म पुष्पा द राइज का हिंदी संस्करण भारी पड़ गया. २०२२ में गंगुबाई काठियावाड़ी की सफलता को भी बॉलीवुड की स्टार पावर की सफलता दिखाया गया.
बड़ी फिल्मों के लुढ़कने के बाद - बस यहीं बॉलीवुड मात खा गया. अमिताभ बच्चन की फिल्म झुण्ड, प्रभास और पूजा हेगड़े की रोमांस फिल्म राधे श्याम, अक्षय कुमार की फिल्म बच्चन पाण्डेय और सम्राट पृथ्वीराज, जॉन अब्राहम की फिल्म अटैक पार्ट १, शाहिद कपूर की क्रिकेट खिलाड़ी की भूमिका वाली फिल्म जर्सी, टाइगर श्रॉफ की फिल्म हीरोपंथी२, अनिल कपूर की थार, कंगना रानौत की फिल्म धाकड़, रणबीर कपूर की फिल्म शमशेरा और जॉन अब्राहम की फिल्म एक विलेन रिटर्न्स बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह लुढ़क गई. यही कारण था कि अजय देवगन और अमिताभ बच्चन की फिल्म रनवे ३४ और राष्ट्रकवच ओम को ओटीटी की शरण में जाना पडा. एक ही दिन प्रदर्शित अक्षय कुमार की फिल्म रक्षा बंधन और आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्डा का बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से असफल होना, बॉलीवुड को बुरी तरह से दहला गया. अलबत्ता, इस लिहाज से कार्तिक आर्यन की हॉरर कॉमेडी फिल्म भूल भुलैया २ ने बॉलीवुड का हार्ट फेल होने से बचा लिया.
खलनायिका और खलनायक पर भरोसा - यही कारण है कि अब बॉलीवुड हीरो के बजाय विलेन या वैम्प पर भरोसा करंता दिखाई दे रहा है. ब्रह्मास्त्र पार्ट १: शिवा के टीज़र और गीतों के वीडियो जारी किये जा रहे हैं. लेकिन, जो माहौल मौनी रॉय की अंधकार की महारानी जूनून ने बनाया था, वह बन नहीं पा रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि जब ब्रह्मास्त्र ९ सितम्बर २०२२ को प्रदर्शित होने लगेगी तो उसे एक बार फिर अंधकार की महारानी से फिल्म के लिए प्रकाश ढूंढना पड़ेगा. २३ सितम्बर को प्रदर्शित होने जा रही दो फिल्में धोखा राउंड द कार्नर तथा चुप रिवेंज ऑफ़ द आर्टिस्ट पूरी तरह से नकारात्मक चरित्र या चरित्रों पर केन्द्रित फ़िल्में है. रीमेक फिल्म विक्रम वेधा का नायक नहीं खलनायक मजबूत है. दर्शकों की दृष्टि सैफ अली खान के विक्रम के बजाय हृथिक रोशन के वेधा पर लगी हैं. टाइगर श्रॉफ की फिल्म गनपत पार्ट १ के दक्षिण से आयातित खल नायक रहमान के नाम से प्रचारित कराया जा रहा है. यह सोचने वाली बात है कि निर्देशक श्रीराम राघवन ने मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म मेरी क्रिसमस के नायक के रूप में दक्षिण की फिल्म को विलेन विजय सेतुपति को ही क्यों लिया?
खान अभिनेताओं के विलेन - अभी हिंदी फिल्में विलेन के कारण ही प्रचार पाएंगे. विलेन का महत्त्व होगा. जब सलमान खान की फिल्म किसी का भाई किसी की जान साल के अंत में प्रदर्शित होने लगेगी, तब फिल्म के विलेन जगपति बाबू के चरित्र को उभारा जायेगा. सिद्धार्थ मल्होत्रा ने, अपनी शाहरुख़ खान के लिए निर्देशित फिल्म पठान में विलेन जॉन अब्राहम को नायक शाहरुख़ खान से अधिक नहीं तो बराबर का महत्त्व दिया है. सलमान खान की ईद २०२३ में प्रदर्शित होने जा रही फिल्म टाइगर ३ में सलमान खान के टाइगर से अधिक नहीं तो कम महत्त्व इमरान हाश्मी के विलेन को भी नहीं दिया जा रहा. शाहरुख़ खान को अपनी एक अन्य फिल्म जवान के लिए दक्षिण के विलेन विजय सेतुपति की आवश्यकता पड़ गई है. रणबीर कपूर भी शमशेरा की असफलता के बाद, फिल्म एनिमल में खुद ही जानवर बनने को तैयार है.
विलेन के बावजूद - इसके बावजूद अक्षय कुमार की राम सेतु, अजय देवगन की थैंक गॉड और दृश्यम २, कैटरीना कैफ और ईशान खट्टर फ़ोन भूत, अर्जुन कपूर की कुत्ते, सिद्धार्थ मल्होत्रा की योद्धा, अमिताभ बच्चन के साथ सूरज बडजात्या की फिल्म ऊँचाई, अमिताभ बच्चन की गुडबाय, आदि फिल्में इनके नायकों के बल पर ही सिनेमाघरों में दर्शकों को खींच लाने का प्रयास करेंगी. इसमें कितनी सफल होती है ? इस पर निर्भर करेगा कि बॉलीवुड अब विलेन के कितना हवाले हो गया है!
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