बॉलीवुड पर बदनाम हुए तो क्या हुआ, नाम तो हुआ
की कहावत खूब फिट बैठती है। अभिनेत्री
दीपिका पादुकोण साक्षात उदाहरण हैं, जो पिछले
कुछ समय से, अपनी
फिल्मों की सफलता से ज़्यादा फिल्मों की असफलता और एक के बाद एक बदनामियों से मशहूर
हो रही हैं।
इस साल की शुरू में, दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक प्रदर्शित हुई
थी। एसिड विक्टिम लक्ष्मी अग्रवाल पर
फिल्म की रिलीज़ के दौरान दीपिका पादुकोण
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के आंदोलन क्षेत्रों के बीच जा पहुंची। जेएनयू का छात्र आंदोलन CAA के खिलाफ था। दीपिका के द्वारा इस आंदोलन को
मूक समर्थन देने की खराब प्रतिक्रिया दर्शकों से आई। उन्होंने छपाक का
बहिष्कार किया। फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप हुई।
बाद में पता चला कि दीपिका पादुकोण को इस मूक स्टंट के लिए कथित रूप से ISI से पांच करोड़ मिले थे। दीपिका पादुकोण को
इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। वह प्रभास की
अनाम फिल्म और शकुन बत्रा की फिल्म सहित दो एक दूसरे प्रोजेक्ट साइन करने में
कामयाब हो गई।
पिछले दिनों,
दीपिका पादुकोण को बॉलीवुड में ड्रग्स की जांच को लेकर ncb का सम्मान आया था। वह इस पूछताछ में शामिल हुई। हालाँकि वह एक शब्द नहीं बोली, लेकिन, उनकी खूब
बदनामी होती रही। एन सी बी की जांच में
शामिल होने के लिए दीपिका पादुकोण को गोवा में शकुन बत्रा की फिल्म की शूटिंग छोड़
कर आना पड़ा। दीपिका पूछताछ के बाद फिर गोवा चली गई।
इस बदनामी का भी दीपिका पादुकोण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। यह कहना ज़्यादा उचित होगा कि इससे उन्हें नाम ही मिला। इसी का नतीजा था कि दीपिका पाडुकोण के एक के
बाद एक दो ब्रांड इंडोर्समेंट रिलीज़ हुए।
पहला जिओ पोस्ट पेड का विज्ञापन था और दूसरा फ्लिपकार्ट का। बदनामी के बावजूद दीपिका पादुकोण के १६ करोड़
नकद खरे हो गए।