विक्रम कपूर का फैशन डिजाइनिंग की दुनिया में दबदबा है। एक दुर्घटना में
वह अपाहिज हो कर व्हील चेयर तक सीमित हो जाता है। लेकिन, उसकी मुसीबत
यहीं ख़त्म नहीं होती। उस पर, शहर में हो रही हत्याओं का शक किया जा रहा है। वह
खुद भी एक अनजान हत्यारे के निशाने में है। वह व्हीलचेयर के सहारे अपने घर में ही
कैद हो कर रह गया है। उसे खुद को बचाना भी है।
तीसरी मुकेश पीढ़ी का ‘नमन’
यह कहानी है फिल्म बाईपास रोड की।
इस फिल्म से नमन नितिन मुकेश का बतौर निर्देशक फिल्म डेब्यू हो रहा है। गायक
मुकेश के परिवार की इस तीसरी पीढ़ी का यह अलग रूप है। मुकेश और उनके बेटे नितिन मुकेश पार्श्व गायक
थे। मुकेश के पोते और नितिन के बड़े बेटे नील ने अभिनय की राह पकड़ी। प्रतिभाशाली और
खूबसूरत होने के बावजूद बॉलीवुड ने उन्हें स्वीकार नहीं किया। अब नितिन मुकेश के
दूसरे बेटे नमन का ड्रामा थ्रिलर फिल्म बाईपास रोड से फिल्म डेब्यू हो रहा है। इस
फिल्म के नायक विक्रम कपूर की भूमिका नील नितिन मुकेश ही कर रहे हैं।
करियर जमाने के लिए मुकेश भाई !
बाईपास रोड पर दो मुकेशों की सफलता दायित्व है। नमन की यह पहली फिल्म है। बाईपास रोड का निर्माण नील ही कर रहे हैं। उन्होंने फिल्म की पटकथा भी लिखी है। फिल्म के नायक वह है ही। हालाँकि, बाईपास रोड
बड़े नितिन की छोटे भाई नमन के लिए फिल्म है।
लेकिन,
चूंकि फिल्म के नायक नील ही हैं। इसलिए उनका करियर जमाने का जिम्मा छोटे
मुकेश पर आ गया है।
सफल फिल्मों पर भाई असफल फ़िल्में
नील नितिन मुकेश का हिंदी फिल्म डेब्यू, २००७ में श्रीराम राघवन निर्देशित फिल्म
जोहनी गद्दार से हुआ था। न्यू यॉर्क और
प्रेम रतन धन पायो जैसी सफल फिल्मों के बावजूद आ देखें ज़रा, जेल, लफंगे
परिंदे, ३जी और शॉर्टकट रोमियो की असफलता उनके करियर
पर भारी पड़ी। इस लिहाज़ से, नमन को भाई
नितिन का करियर फिर से ज़माना है।
क्या भाई जमा पायेगा भाई का करियर ?
पहले बाईपास रोड के पोस्टर और उसके बाद ट्रेलर ने, १ नवंबर को
रिलीज़ हो रहे फिल्म के प्रति दर्शकों में उत्सुकता पैदा कर दी है। फिल्म सफल होती है तो ज़्यादा फायदे में नील
होंगे, क्योंकि वह
फिल्म के निर्माता,
लेखक और अभिनेता हैं। जबकि, नमन बतौर
निर्देशक अपना मुकाम बना पाने में सफल होंगे।
दोनों ही स्थिति मे ही फायदा मुकेश भाईयों का ही होगा। क्या भाई को हिट बना
पायेगा भाई ?