इस
स्वतंत्रता दिवस,
१५ अगस्त
२०१८ को, दो बॉलीवुड फ़िल्में गोल्ड और सत्यमेव जयते
रिलीज़ होंगी। अगले साल, गणतंत्र दिवस वीकेंड पर तीन हिंदी फ़िल्में
ठाकरे, मणिकर्णिका द क्वीन ऑफ़ झाँसी और सुपर ३०
रिलीज़ होगी। यह फ़िल्में साबित करते है कि
स्वतंत्रता दिवस से गणतंत्र दिवस तक मुल्क की बात होती। क्योंकि, यह पांच फ़िल्में और इन दोनों राष्ट्रीय दिवसों के बीच रिलीज़ होने वाली
कई फ़िल्में देश-भक्ति,
देश की समस्या या देश के लोगों पर फिल्म
होंगी। यह फ़िल्में कम और बड़े बजट की, छोटे या बड़े सितारों वाली हो सकती हैं। यह
फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट या फ्लॉप हो सकती हैं।
लेकिन,
किसी भी दशा
में यह अपने मुल्क या देश की बात कहेंगी ही ।
हिन्दू-मुस्लिम
कर मुल्क की बात !
मुल्क और
मुल्क के लोगों की बात करने वाली फिल्मों का सिलसिला, इस लेख के छपने तक शुरू हो चुका होगा।
निर्देशक अनुभव सिन्हा की फिल्म मुल्क ३ अगस्त को रिलीज़ हो चुकी होगी। इस फिल्म का केंद्रीय चरित्र एक वृद्ध मुस्लिम
है। उसका बेटा है, जो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल
है। एक हिन्दू से मुस्लमान बनी वकील का
चरित्र भी है। फिल्म के ट्रेलर में
मुसलमानों के खिलाफ आग उगलते कुछ हिन्दू चरित्र भी दिखाई देते हैं। अनुभव सिन्हा की माने तो वह मुल्क की बात करते
हैं। टोन से ऐसा लगता है कि वह हर
मुसलमान आतंकवादी नहीं होता है, का घिसा-पिटा रिकॉर्ड बजा रहे हैं। उनका यह रिकॉर्ड किस तरह से कितना प्रभावशाली
बजा है, इसका फैसला दर्शक कर चुके होंगे।
कमल हासन का
विश्वरूप २
मुल्क के बाद
भी अगस्त में यह सिलसिला रुकेगा नहीं।
अगली फिल्मों में भी हिन्दू-मुस्लिम की बात होगी। १० अगस्त को रिलीज़ हो रही दो फ़िल्मे ऎसी ही होंगी।
लश्टम - पश्टम की पृष्ठभूमि में दुबई है और दो दोस्त है। एक भारतीय और दूसरा पाकिस्तानी। यह दोनों, टेनिस की डबल्स टीम के सदस्य हैं।
बहुत बढ़िया खेलते हैं, लेकिन गड़बड़ तब होती है, जब दोनों देशों में छिड़ जाती है।
इससे दोनों खिलाडियों के सम्बन्ध भी खराब हो जाते हैं। इसी दिन कमल हासन की फिल्म विश्वरूप २ रिलीज़
होगी। यह फिल्म २०१३ में रिलीज़ फिल्म
विश्वरूप की सीक्वल फिल्म है। पहले हिस्से
में, विदेश में आतंकवादियों
को नष्ट करने वाले रॉ एजेंट मेजर
विसम अहमद कश्मीरी उर्फ़ विश्वनाथ को विश्वरूप २ में देश के अंदर के दुश्मनों से निबटना है। इस फिल्म से कमल हासन राजनीतिक
सन्देश भी देना चाहते हैं।
हॉकी और सजग
हिंदुस्तानी
स्वतंत्रता
दिवस के दिन दो फ़िल्में सत्यमेव जयते और गोल्ड रिलीज़ हो रही है। अक्षय कुमार की फिल्म गोल्ड, भारतीय हॉकी टीम द्वारा स्वतंत्रता के बाद
का ओलंपिक्स का पहला हॉकी गोल्ड जीतने की पृष्ठभूमि पर है, लेकिन दृष्टि हॉकी टीम के बंगाली मैनेजर
की दृष्टि से है,
जिसकी भूमिका
अक्षय कुमार कर रहे हैं। इसी दिन, उनके गरम मसाला दोस्त जॉन अब्राहम की
फिल्म सत्यमेव जयते भी रिलीज़ हो रही है।
इस फिल्म में,
जॉन अब्राहम
एक सजग भारतीय बने हैं,
जिस पर शक
जाता है कि उसने चार भ्रष्ट पुलिस वालों की हत्या की है। जहाँ गोल्ड का निर्देशन रीमा कागती ने किया है, वहीँ सत्यमेव जयते के निर्देशक मिलाप
झावेरी हैं।
बायोपिक
फिल्मों से देश की बात
देश की बात
कहने वाली फिल्मों के फिल्मकारों ने, भिन्न विषयों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। यह विषय देश के लोगों के रहन-सहन और जीवन से
जुड़े हैं, राजनीती से जुड़े हैं और सैनिकों से भी इस
लिहाज़ से ख़ास है बायोपिक फ़िल्में। २०१४ तक, देश के प्रधान मंत्री के पद पर बैठने वाले
मनमोहन सिंह पर एक फिल्म का निर्माण किया गया है।
इस फिल्म का नाम द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर है। इस फिल्म की कहानी पत्रकार और मनमोहन सिंह के
मीडिया सलाहकार संजय बारू की इसी शीर्षक वाली किताब पर है।
विजय रत्नाकर गुट्टे निर्देशित इस फिल्म में मनमोहन सिंह की भूमिका अनुपम
खेर कर रहे हैं। अगले साल, गणतंत्र दिवस पर रिलीज़ होने जा रही एक
फिल्म ठाकरे महाराष्ट्र की शिवसेना सुप्रीमो बालासाहब ठाकरे के जीवन पर फिल्म
ठाकरे हैं। अभिजीत पनसे निर्देशित इस
फिल्म में बालासाहेब की भूमिका अभिनेता नवाज़उद्दीन सिद्दीक़ी कर रहे हैं। इस फिल्म का निर्माण शिवसेना के संजय राउत कर
रहे हैं। गणतंत्र दिवस वीकेंड पर, हृथिक रोशन की फिल्म सुपर ३० रिलीज़ हो रही है। विकास बहल निर्देशित
यह फिल्म, पटना में एक कोचिंग चलाने वाले आनंद कुमार के जीवन पर है। हृथिक रोशन इन्ही आनंद कुमार की भूमिका कर रहे
हैं।
भिन्न विषय
भिन्न नजरिया
फिल्मकार
भिन्न नज़रिये से देश की बात कह रहे हैं।
कुछ फिल्मकारों की नज़र देश के लोगों की आत्मनिर्भरता पर भी है। शरत कटारिया की फिल्म सुई धागा मेड इन इंडिया
एक दरजी और एक बुनाई करने वाली महिला के मिल कर खुद को अभाव से निकाल कर
आत्मनिर्भर बनने की कहानी है। इस फिल्म
में वरुण धवन दरजी और अनुष्का शर्मा बुनाई करने वाली की भूमिका कर रहे हैं। इस लिहाज से विद्युत् जम्वाल की फिल्म जंगल
उल्लेखनीय है। निर्देशक चक रसेल की फिल्म
जंगली हाथियों के अंतर्राष्ट्रीय शिकारियों की ग़ैर क़ानूनी हरकतों का पर्दाफ़ाश
करने वाली फिल्म है । विद्युत् जम्वाल जंगल में रह कर, जंगल के दुश्मनों का सामना करके वन्य जीवन
की रक्षा करते हैं। राजकुमार गुप्ता की फिल्म इंडियाज मोस्ट वांटेड यह फिल्म
भारत के उन लोगों की हैं,
जो अपने देश
के लिए मर मिटते हैं,
लेकिन कोई
उन्हें नहीं जानता। इस फिल्म में अर्जुन कपूर का रॉ एजेंट करैक्टर भारत के एक
मोस्ट वांटेड आतंकवादी को पकड़ने निकालता है।
इसी प्रकार से रॉ में जॉन अब्राहम एक रॉ एजेंट बने हैं। वह भी देश के खिलाफ
दुश्मनों का सफाया करने वाले एजेंट बने हैं।
फिल्म काशी टू कश्मीर में सनोज मिश्रा
ने आतंकवादियों के कारण २० जनवरी १९९० को भाग निकलने को मज़बूर हुए कश्मीरी
पंडितों की बात की है। कबीर खान ने, भारत के द्वारा १९८३ का क्रिकेट का विश्व कप जीतने की दास्ताँ को अपनी
फिल्म '८३ का विषय बनाया है। इस फिल्म में कपिल देव की भूमिका रणवीर सिंह कर
रहे हैं।
अतीत में
झांकते हुए भारत की बात
विदेशी
आक्रमणकारियों के आक्रमण से अपने देश को बचाने के लिए बहादुरी दिखाने वाले भारतीय
की कहानी को परदे पर ला कर भी देश की बात की जा रही है। यह कहानियां बेहद पुरानी
हैं। हिन्दुओं के इतिहास के ऐसे पृष्ठ हैं, जिन्हे तवज्जो नहीं दी गई। ऐसा ही एक पन्ना है पानीपत का तीसरा युद्ध।
यह युद्ध अफगानिस्तान के बादशाह अहमदशाह अब्दाली की सेना और मराठा सेना के बीच
पानीपत में लड़ा गया था। आशुतोष गोवारिकर
इस पैन को संजय दत्त को अहमद शाह अब्दाली और मराठा योद्धा सदाशिवराव भाउ के बीच
लड़ा गया था। दक्षिण के निर्देशक कृष की फिल्म मणिकर्णिका द क्वीन ऑफ़ झाँसी पहले
स्वतंत्रता संग्राम पर फिल्म है, जो अंग्रेज़ों के खिलाफ झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई, तात्या टोपे और मंगल पांडेय द्वारा लड़ी गई थी। फिल्म में झाँसी की
रानी की भूमिका कंगना रनौत कर रही हैं। जेपी दत्ता की फिल्म पल्टन, १९६७ में भारत की सेना द्वारा चीनी
सैनिकों को नाथू ला दर्रे से खदेड़ने की बहादुरी भरी दास्ताँ है, जिसे अभी तक किसी निर्माता ने परदे पर
नहीं उतारा। इसी प्रकार से,
अजय देवगन की
फिल्म तानाजी : द अनसंग वारियर, अक्षय कुमार की फिल्म केसरी, आदि फ़िल्में देश के बहादुर योद्धाओं को नमन करने वाली फ़िल्में
हैं।
मिल रही है
सफलता
देश की बात करने वाली फिल्मों को सफलता मिल रही है।
रानी पद्मावती के ऐतिहासिक किरदार को रूपहले परदे पर उतारने वाली फिल्म पद्मावत, अपने देश के लिए पाकिस्तान में जासूसी करने वाली
कश्मीरी लड़की कहानी राज़ी, हॉकी को स्वर्णयुग दिलाने
वाले ड्रैग फ्लिकर संदीप सिंह पर फिल्म सूरमा, एक आयकर अधिकारी द्वारा बिना किसी दबाव में आये करोड़ों का काला धन पकड़ने की
कहानी रेड, महिलाओं के लिए सस्ते सेनेटरी पैड बनाने की मशीन की
ईज़ाद करने की कहानी पर पैडमैन, भारत के परमाणु विस्फोट
पर फिल्म परमाणु द स्टोरी ऑफ़ पोखरण, आदि कुछ ऐसी फ़िल्में हैं, जो देश का गौरव बढ़ाने
वालों की अब तक न सुनी और कही गई कहानियों पर बनाई गई और जिन्हे दर्शकों ने
स्वीकार भी किया। इसलिए, फिल्म निर्माता अब ऐतिहासिक
या अनकहे ऐतिहासिक पन्नों को टटोलने लगे हैं
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