Sunday 16 June 2013

वर्ल्ड वार ज़ेड- चलते फिरते मुरदों से युद्ध


आज रिलीज हो रही हॉलीवुड के मशहूर अभिनेता ब्रैड पिट की फिल्म वर्ल्ड वर ज़ेड की कहानी यूनाइटेड नेशन्स के लिए काम करने वाले Gerry लेन की कहानी है, जो विश्व की सरकारों, मानवता और सेना को खत्म करती जा रही जोम्बी के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए विश्व की यात्रा कर रहा है। वह अपने इस प्रयास में कैसे सफल होता है, यह वर्ल्ड वार ज़ेड की रोचक कहानी है। यह हॉलीवुड की जोम्बी फिल्मों की श्रखला में एक फिल्म है।

फिल्म का निर्देशन क्वांटम ऑफ सोलके, मोंस्टर्स बॉल, फिंडिंग नेवेर्लंद और द काइट रनर जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके मार्क फॉस्टर ने किया है। फिल्म को Mathew Michael carnahan ने ड्रेव गोड्डार्ड और डमों लिंदेलोफ के साथ मिल कर लिखा है। फिल्म मैक्स ब्रुक्स की पुस्तक वर्ल्ड वार ज़ेड पर आधारित है। एक घंटा 56 मिनट लंबी इस फिल्म की निर्माण लागत 200 मिल्यन डॉलर की है। फिल्म 2डी, रियलडी 3डी और आइमैक्स 3डी जैसी उत्क्रष्ट तकनीक का इस्तेमाल कर बनाई गयी है।

ब्रैड पिट की इस फिल्म को पहली बार, वर्ल्डवाइड रिलीज से पहले इंटरनेट पर देखा जा सकेगा। विडियो  ऑन डिमांड  कंपनी Netflix के इंटरनेट के जरिये फिल्म रिलीज के क्षेत्र में उतर आने के कारण यह संभव हो रहा है।  नेट्फ़्लिक्स ने उत्कृष्ट तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इस कंपनी ने मेगा टिकिट प्रणाली लागू की है। इस योजना को पैरामाउंट पिक्चर्स ने शुरू किया है। इस योजना के अंतर्गत इच्छुक दर्शकों को 50 डॉलर का टिकिट खरीदना होगा। उन्हे फिल्म देखने के लिए  3डी ग्लाससेस और पॉपकॉर्न का पाकेट तथा पोस्टर दिया जाएगा। जब इस फिल्म को ब्लू रे में जारी किया जाएगा, तब फिल्म की एक डिजिटल कॉपी भी दी जाएगी। हॉलीवुड की फिल्मों के दर्शकों को नयी फिल्म देखने के लिए 15 डॉलर का टिकिट खरीदना पड़ता है। घर से सिनेमाघर और सिनेमाघर से घर तक जाने और थिएटर में स्नैक्स आदि लेने का खर्च अलग होता है।

हालांकि, नेट्फ़्लिक्स की यह योजना काफी महंगी प्रतीत होती है। फिर भी इस योजना से दर्शकों को सिनेमाघर  तक जाने और महंगे टिकिट खरीद कर फिल्म देखने की ज़हमत नहीं उठानी पड़ेगी। अगर यह योजना सफल हुई तो संभव है कि अन्य फिल्म निर्माण कंपनियां इस योजना के साथ आयें। भारत में तो कमल हासन द्वारा विश्वरूपम को फिल्म की थिएटर रिलीज से दो दिन पहले रिलीज करने की योजना बनाई तो वितरकों के विरोध के कारण अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे। 

Friday 14 June 2013

फुकरे फुकरे ही होते हैं !


इधर बॉलीवुड को दोस्तों पर फिल्में बनाने का शौक चर्राया है। कई पो चे, चश्मे बद्दूर, स्टूडेंट ऑफ द इयर  जैसी  फिल्मों की सफलता ने इस ट्रेंड को  बढ़ावा ही दिया है। इसी का नतीजा है मृगदीप सिंह लांबा निर्देशित, निर्माता रितेश सिधवानी और फरहान अख्तर की फिल्म फुकरे।
फुकरे अन्य दोस्ती फिल्मों के मुकाबले अलग इस लिहाज से है कि यह फिल्म दो या तीन दोस्तों की नहीं, बल्कि चार चार दोस्तों की दोस्ती की कहानी है। फिल्म में चार दोस्तों और उनकी दो महबूबाओं के किरदार के अलावा एक महिला डॉन भोली पंजबान के किरदार को खास महत्व दिया गया। बाकी, हर लिहाज से फिल्म घिसी पिटी ही है। फुकरे यानि चार निठल्ले बेकार दोस्तों की कहानी है। दो दोस्त लॉटरी के जरिये पैसा कमाते हैं। एक दोस्त सपना देख कर नंबर बताता है। दोनों इसी नंबर के लॉटरी टिकिट खरीदते हैं और इनाम जीतते हैं। तीसरा ग्रेजुएट बनाने के लिए पेपर ओपेन करने की फिराक में रहता है। चौथा गायक बनाना चाहता है, पर मौका मिलने पर माइक के सामने गा नहीं पाता। यह चारों इत्तेफाकन मिलते हैं और ढेरों कमाने के लिए भोली पंजाबन के जाल में फंस जाते हैं।
कहानी के लिहाज से फिल्म बिल्कुल रद्दी है। विपुल विग एक अच्छी कहानी लिखने में असफल रहे हैं। विपुल ने ही मृगदीप के साथ फिल्म की पटकथा लिखी है। पर यह कल्पनाहीनता का शिकार है। लगभग सभी सीन बासी हैं। कहीं भी लेखक निर्देशक की कल्पनाशीलता नहीं झलकती। दोस्तों की फिल्म में महिला डॉन का किरदार  कोई अच्छी कल्पना नहीं। फिल्म रुकती थमती चलती रहती है। केवल क्लाइमैक्स में ही थोड़ी rafter पकड़ती है।
फिल्म के चार दोस्त पुलकित सम्राट, मनजोत सिंह, अली फज़ल  और वरुण शर्मा बने हैं। यह चारों कुछ खास करते नज़र नहीं आते। बेहद बासी अभिनय है इन चारों का। मेल कैरक्टर में इन चारों से अच्छा अभिनय पंडित के रोल में पंकज त्रिपाठी करते हैं। फ़ीमेल कैरक्टर में विशाखा सिंह और प्रिया आनंद ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है। इस फिल्म में सबसे महत्वपूर्ण कैरक्टर भोली पंजाबन का है। इस भूमिका को रिचा चड्ढा ने किया है। रिचा चड्ढा को गंग्स ऑफ वासेपुर के दो भागों से सुर्खियां मिली। लेकिन, इस फिल्म में भोली पंजाबन की भूमिका में वह ख्दु को डुबोने को उतारू नज़र आती हैं। वह डॉन हैं। अच्छी बात है। अभिनेत्रियों को ऐसे रोल करने का पूरा अधिकार है। पर वह सेक्सी क्यों नज़र आ रही थीं। जहां फिल्म की दूसरी नायिकाएँ सामान्य लड़कियों की तरह नज़र आ रही थीं, रिचा चड्ढा अपने उघड़े बदन और अनावश्यक रसीलापन दिखा कर खुद को उम्र में कम बताने का प्रयास कर रही थीं। वह बहुत निराश करती हैं।
इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, जो उल्लेखनीय हो। दर्शक फिल्म के पंचों के कारण हँसता है। पर पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होता। वैसे फिल्म के दर्शक फिल्म में ऊबते नहीं। यही मृगदीप सिंह लांबा की सफलता है। लेकिन, फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी से ऐसी रद्दी कहानी पर फिल्म की उम्मीद नहीं थी। 

स्पेशल एफ़ेक्ट्स से बना सुपरमैन !


हॉलीवुड को भारत में अपने सुपरमैन से बहुत उम्मीदें रहती हैं। आइरन मैन 3 ने पिछले महीने ही सफलता के रेकॉर्ड तोड़े थे। इसीलिए मैन ऑफ स्टील यानि सुपरमैन से भी काफी उम्मीदें थीं। लेकिन, क्या सुपरमैन सिरीज़ की रिबूट फिल्म मैन ऑफ स्टील Hollywood की उम्मीद पर खरी उतरेगी?
सुपरमैन सिरीज़ की छठी फिल्म मैन ऑफ स्टील में काफी कुछ नया था। यह फिल्म सुपरमैन का सेकुएल नहीं  रिबूट है।  यानि इस  फिल्म में सुपरमैन के मैन ऑफ स्टील बनने और पत्रकार बनने की दास्तान है। सुपरमैन  कौन था, कहाँ से आया, उसे परा शक्तियां कहाँ और कैसे मिली? इस फिल्म की यही कहानी है। इसीलिए फिल्म में एक्शन काम है। चमत्कार हैं, पर स्पेशल इफैक्ट और कम्प्युटर ग्राफिक्स के। फिल्म के डाइरेक्टर भी नए हैं और हीरो भी नया है। सुपरमैन रिटर्न्स की बुरी असफलता के बाद Brandon रॉथ का सिरीज़ से पत्ता कट गया। वह केवल एक ही बार सुपरमैन बन पाये। जैक स्निदर निर्देशक की कुर्सी पर आ बैठे। reboot में इस नयी जोड़ी की कड़ी परीक्षा थी। पर यह जोड़ी फ़र्स्ट क्लास मार्क्स से पास नहीं हो पायी। फिल्म यह तो बताती है कि मैन  ऑफ स्टील की कहानी सुपरमैन के मैन ऑफ स्टील बनने की है। मगर पटकथा लेखक और कहानीकार डेविड एस गोयर तथा Christopher Nolan यह साबित कर पाने में असफल रहे हैं। मानव के बीच में रहने वाले इस लोहे के आदमी को सचमुच लोहा साबित होना चाहिए था। लेकिन जैक स्निडर ने हेनरी केविल के बजाय अपनी तकनीकी टीम पर ज़्यादा भारोषा किया। नतीजतन फिल्म तकनीकी उत्कृष्टता का शिकार हो गयी। इस फिल्म का जब तक क्लाइमैक्स आता है, दर्शक ठंडा हो चुका होता है। यह फिल्म मानवता के प्रति कोई संदेश नहीं देती। जबकि इसके पहले की कड़िया अमेरिका ही नहीं विश्व को बचाने का संदेशा देती थीं।
सुपरमैन के किरदार में हेनरी केविल बहुत प्रभावित नहीं करते। उन पर भारी पड़ते हैं फिल्म के विलेन Michael शेन्नॉन। तकनीकी दृष्टि से फिल्म उत्कृष्ट श्रेणी की है। लेकिन, इनमे कोई नयापन नहीं। इन्हे देखते समय गोड्ज़िला जैसी फिल्मों की याद आ जाती है। ग्लाडियाटोर से मशहूर रसेल क्रोव ने सुपरमैन के पिता की भूमिका की है। वह प्रभावशाली हैं।
 मैन ऑफ स्टील की इंडियन बॉक्स ऑफिस पर शुरुआत अच्छी रही है। इस फिल्म ने 75 प्रतिशत तक की ओपेनिंग ली है। जैसी इस ब्लॉग में मैन ऑफ स्टील के बारे में लिखते समय कहा गया था, फुकरे और अंकुर अरोरा मर्डर केस कहीं बहुत पीछे छूट गए हैं। लेकिन, मैन ऑफ स्टील वीकेंड के बाद इंडियन आडियन्स पर अपनी कितनी पकड़ दिखा पाती है, यही महत्वपूर्ण होगा।
 
 

Thursday 13 June 2013

मैन ऑफ स्टील के सामने कैसे टिकेंगे अंकुर और फुकरे !

 इस सुपर स्टार का जन्म 81 साल पहले कॉमिक्स बूक में हुआ था। 35 साल पहले इस का रील लाइफ जन्म हुआ। आज यह दुनिया भर का पसंदीदा कैरक्टर बन चुका है। सुपरमैन !जी हाँ, दुनिया भर के दर्शक इस सुपर हीरो को इसी नाम से जानते हैं। कॉमिक्स से निकल कर यह किरदार रेडियो और टीवी से होता हुआ बड़े पर्दे पर छा गया है। 1978 में, जब इस कैरक्टर पर फिल्म सुपरमैन रिलीज हुई थी तब किसी को उम्मीद नहीं थी कि यह इतनी सफल होएगी। इसीलिए Robert Benton की कहानी पर Richard डोनोर निर्देशित इस फिल्म को महज 817 प्रिंट्स में रिलीज किया गया। 55 मिल्यन डॉलर में बनी इस फिल्म ने 300 मिल्यन डॉलर कमा डाले। तब से यह कैरक्टर Hollywood के दूसरे सुपर पावर रखने वाले स्पाइडरमन, आइरन मेन, आदि के साथ दुनिया को अपनी ताकत का भरोसा दिलाने में जुटा हुआ है।
अब तक, सुपरमैन सिरीज़ की 5 फिल्में रिलीस हो चुकी हैं।  14 जून को रिलीस हो रही सुपरमैन सिरीज़ की छठी फिल्म मैन ऑफ स्टील, दरअसल सुपरमैन सिरीज़ का रेबूट है।  सुपरमैन सिरीज़  की पाँचवी फिल्म सुपरमैन रिटर्न्स बॉक्स ऑफिस पर वर्ल्ड वाइड कुछ खास नहीं कर सकी। 270 मिल्यन डॉलर में बनी सुपरमैन रिटर्न्स ने केवल 391 मिल्यन डॉलर ही कमाए। नतीजे के तौर पर फिल्म के निर्देशक ब्रायन सिंगर को बर्खास्त कर दिया गया। Brandon रॉथ दूसरी बार सुपरमैन नहीं बन सके।
सुपरमैन सिरीज़ की इस छठी कड़ी में सुपरमैन का रोल द काउंट ऑफ मोंटे  क्रिस्टे और रेड राइडिंग हूड़ के अभिनेता हेनरी केविल कर रहे हैं। फिल्म का निर्देशन साइन्स फिक्सन  और एक्शन फिल्मों के महारथी जैक स्निडर कर रहे हैं।

इधर कुछ सालों से, हॉलीवुड के सुपर हीरो Bollywood के सुपर हीरो को बुरी तरह से चुनौती दे रहे हैं। सुपरमैन यानि मैन ऑफ स्टील का दबदबा इस शुक्रवार बॉक्स ऑफिस पर होना स्वाभाविक है। क्योंकि, मैन ऑफ स्टील के सामने बॉलीवुड की दो छोटी चुनौतियां ही हैं। सुहेल तातारी की केके मेनन, टिस्का चोपरा, पाओली डैम और विशाखा सिंह जैसी सामान्य स्टार कास्ट वाली छोटे बजेट की फिल्म अंकुर अरोरा मर्डर केस के अलावा  बड़े निर्माता फरहान अख्तर और रेतेश सिधवानी की मृगदीप सिंह लांबा की मामूली बजेट में बनी फिल्म फुकरे रिलीस हो रही है। चार दोस्तों की कहानी वाली इस दोस्ती फिल्म में वरुण शर्मा, पुलकित सम्राट, मनोज सिंह, अली फज़ल, रिचा चड्डा, विशाखा सिंह और प्रिया आनंद जैसे नए चेहरे है। ज़ाहिर है कि यह फिल्में मैन ऑफ

स्टील  के सामने कहीं नहीं टिकतीं। इसलिए एक प्रकार से हॉलीवुड की फिल्म के लिए बॉलीवुड ने मैदान छोड़ रखा है। बॉलीवुड की छोटे बजेट वाली फिल्में माउथ पब्लिसिटी पर थोड़ा अच्छा बिज़नस  कर सकती हैं। लेकिन जिस प्रकार से अगले हफ्तों में बड़ी फिल्में लाइन में हैं उससे लगता नहीं कि फुकरे या अंकुर अरोरा मर्डर केस कुछ खास कर पाएँगी। वैसे इस हफ्ते की एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मैन ऑफ स्टील को भी भारतीय दर्शकों को लुभाने के लिए ज़ोर मारना पड़ेगा। क्योंकि, सुपरमैन रिटर्न्स भारत में भी कुछ खास नहीं कर पायी थी।

Wednesday 12 June 2013

बॉक्स ऑफिस पर यह जवानी है दीवानी से मात खा गया यमला पगला दीवाना


यमला पगला दीवाना२  अपेक्षा के अनुरूप बिज़नेस क्यों नहीं कर सकी? इस फिल्म ने वीकेंड में २२ करोड़ का साधारण बिज़नेस ही किया? क्या फिल्म दर्शकों की अपेक्षा में खरी नहीं उतरी? फिल्म में धर्मेन्द्र और उनके दो बेटे बॉबी और सनी एक साथ थे. इस तिकड़ी की पिछली रिलीज फ़िल्में अपने और यमला पगला दीवान ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा बिज़नेस किया था। या फिर यमला पगला दीवाना को रणबीर कपूर और दीपिका पदुकोन की फिल्म यह जवानी है दीवानी की सफलता मार गयी? यह फिल्म सबसे तेज़ सौ करोड़ कमाने वाली फिल्म बन चुकी है. वास्तविकता यह है कि यमला पगला दीवाना२ दोहरे हमले का शिकार हुइ. 
कहा जा सकता है कि  यमला पगला दीवाना २ दर्शकों की अपेक्षा  में खरी नहीं उतरी. इस फिल्म की कहानी ख़ास नहीं थी. देओल्स का आकर्षण था. धर्मेन्द्र ने अपने दोनों बेटों के साथ अच्छा तालमेल बनाया था . पर सनी देओल का किरदार काफी कमज़ोर रहा . सनी के ढाई किलो के हाथ का जलवा देखने को नहीं मिल. हालाँकि संगीत सिवन ने सनी को लार्जर देन लाइफ एक्शन में दिखाया था. लेकिन इसकी इन्तहा दर्शकों के गले नहीं उतरी. सनी का बार बार अपनी चीख से लोगों को हवा में उड़ाना बेक फायर कर गया. पहली फिल्म की तुलना में फिल्म का संगीत भी कमज़ोर था. इसके बावजूद उत्तर में देओल्स की पकड़ ने फिल्म को वाश आउट  होने से बचा लिया. यमला पगला दीवाना २ का यह जवानी है दीवानी के पीछे पीछे रिलीज़  होना भी फिल्म के बिज़नेस को प्रभावित कर गया . सफल यह जवानी है दीवानी के प्रिंट उतरने की हिम्मत प्रदर्शकों को नहीं हुइ. दर्शकों ने भी यमला पगला के बजाय यह जवानी को देखने को प्राथमिकता दी.
यमला पगला दीवाना २ ने वीकेंड में 7.50, 6.50 और 8.50 करोड़ के कलेक्शन के साथ केवल 2२ करोड़ का वीकेंड ही निकाल पायी। वही यह जवानी है दीवानी पहले दिन यानि शुक्रवार को यमला पगला दीवाना से 50 लाख से पिछड़ी, लेकिन अगले दिन यानि शनिवार को यह जवानी ने छलांग लगायी और 10.25 करोड़ का कलेक्शन कर ले गयी. सन्डे को यह जवानी है दीवानी यमला पगला दीवाना २ से कोई सवा तीन करोड़ आगे थी. इस प्रकार से फिल्म ने यमला पगला दीवाना को पहले वीकेंड में पछाड़ दिया.



 

Friday 7 June 2013

देओल्स के लिए देख सकते हैं यमला पगला दीवाना 2


संतोष सिवन निर्देशित फिल्म यमला पगला दीवाना 2 को पूरी तरह से नकारना, देओल्स और संतोष सिवन के साथ बेईमानी होगी। हिन्दी फिल्मों में, खास तौर पर बड़े बजट और बड़े सितारों वाली फिल्मों में कहानी होती ही कहाँ है, जो यमला पगला दीवानी 2 में ढूँढी जाए। यह फिल्म 2011 में रिलीज यमला पगला दीवाना का सेकुएल है। कहानी वहीं से शुरू होती है यानि बनारस के बाप बेटा ठगों से उठ कर London आती है। पिछली यमला पगला दीवाना जहां ज़्यादा बनारस में शूट हुई थी, वही यह सेकुएल लंदन में ज़्यादा शूट हुआ है। इसलिए प्राकृतिक दृश्य देखने लायक है। धर्मेंद्र और बॉबी, अनु कपूर को ठगने लंदन आते हैं। सनी देओल अनु कपूर के लिए काम करते हैं। धर्मेंद्र और बॉबी, सनी को देख कर चौंक जाते हैं। सनी अपने तौर पर अपने पिता और भाई को सुधारने की कोशिश करते हैं। सुधार पाते हैं या नहीं, यह फिल्म देखने के बाद ही साफ होगा।
इस नदारद या कहिए की कूड़ा कहानी वाली फिल्म का खास आकर्षण देओल्स है। पिता धर्मेंद्र के साथ बेटों सनी और बॉबी की कैमिस्ट्रि खूब जमी है। वास्तविकता तो यह है कि जहां अपने और यमला पगला दीवाना में दोनों बेटे पिता से झिझकते हुए तथा बॉबी सनी से डरते हुए अभिनय करते नज़र आए थे। यमला पगला दीवाना 2 में  इन तीनों के बीच कोई झिझक नहीं है। तीनों एक दूसरे के सामने बेधड़क अभिनय करते हैं। इसी कारण से तीनों के अभिनय में काफी स्वाभाविकता है। धर्मेंद्र ने साबित किया है कि वह पुराना चावल क्यों हैं। फिल्म धर्मेंद्र के बाद पूरी तरह से सनी देओल पर टिकी है। वह अपने पुराने अवतार में है या यों कहिए सुपर अवतार में हैं। उनके ढाई किलों के घूंसों से ही उनके दुश्मन हवा में नहीं उड़ते, बल्कि, उनकी फूँक से भी दूर जा गिरते हैं। पीटर  हेन्स के एक्शन सनी को नए एक्शन करने के मौके देते हैं। सनी ने अपने एक्शन से तालियाँ भी खूब बटोरी हैं। खास तौर पर क्लाइमैक्स के एक्शन सींस बहुत बढ़िया है। बॉबी को बस ठीक ठाक कहा जा सकता है। सिंगल स्क्रीन के दर्शक नेहा शर्मा की एंट्री पर सीटियाँ मारते हैं, इसका मतलब यह है कि दर्शकों को उनमे ऊंफ नज़र आयी। अनुपम खेर बोर करते हैं। उनके साथ, उनके चमचे बने जॉनी लीवर और सुचेता खन्ना को देख कर खीज पैदा होती है। क्रिस्टीना अखीवा हिन्दी ठीक कर लें तो हिन्दी फिल्मों में उनकी दुकान चल सकती है।
जसविंदर बाथ ने पटकथा में नयापन लाने की भरसक कोशिश की है। अलबत्ता उनके लिखे संवाद साधारण हैं। फॉटोग्राफर नेहा परती ने सनी के एक्शन को खूब उभारा है। राजू सिंह का पार्श्व संगीत फिल्म के साथ न्याय करता है। चिराग जैन अगर अपनी कैंची थोड़ी बेरहम बना पाते तो फिल्म की रफ्तार थोड़ा तेज़ हो जाती। फिल्म की लंबाई कुछ ज़्यादा है। अब इसे देओल्स का जलवा ही कहा जाएगा कि दर्शक 155 मिनट की फिल्म देखते समय भी ऊबता नहीं।   
अगर दर्शक यमला पगला दीवाना 2 को नहीं देखेंगे तो कुछ खोएँगे नहीं। लेकिन अगर देओल्स के फैन हैं तो यमला पगला दीवाना 2 देखी जा सकती है। मलाल नहीं होगा। वैसे देओल्स की इस फिल्म को रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की पिछले शुक्रवार रिलीज फिल्म यह जवानी है दीवानी से नुकसान उठाना पड़ सकता है।

Thursday 6 June 2013

क्या दीवानी की मौजूदगी में दर्शकों दीवाना बना पाएंगे यमला पगला देओल्स !


आज जब बॉलीवुड की फ़र्स्ट फॅमिली कपूर्स की पाँचवी पीढ़ी के रणबीर कपूर की फिल्म यह जवानी है दीवानी एक सौ करोड़ क्लब में प्रवेश कर गयी है, कल देओल फॅमिली की पहली और दूसरी पीढ़ी के धर्मेंद्र, उनके दो पुत्र सनी देओल और बॉबी देओल की फिल्म यमला पगला दीवाना 2 रिलीज हो रही है। यह फिल्म 2011 में रिलीज इस बाप बेटा तिकड़ी की फिल्म यमला पगला दीवाना का सेकुएल है। यमला पगला दीवाना अब तक 85 करोड़ से ज़्यादा कमा चुकी है। पहले भाग की सफलता को देखते हुए ही देओल्स ने फिल्म का सेकुएल बनाने की सोची थी। अब यह बात दीगर है कि इस दौरान फिल्म की एक्ट्रेस बदल गयी, डाइरेक्टर की कुर्सी पर संतोष सिवन बैठ गए ।
यहाँ यह बड़ा सवाल है ही कि क्या यमला पगला दीवाना की तरह इस फिल्म का सेकुएल भी हिट होगा? क्या यमला पगला दीवाना 2 भी यह जवानी है दीवानी की तरह दर्शकों को अपना दीवाना बनाते हुए 100 करोडिया क्लब में शामिल हो पाएगी?
यमला पगला दीवाना 2 में धर्मेंद्र, सनी देओल और बॉबी देओल तीसरी बार एक साथ हैं। इन तीनों की पहली दो फिल्में अपने और यमला पगला दीवाना बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थीं। इसलिए इस तीसरी फिल्म के हिट होने में शक की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। लेकिन, इस पर शक की गुंजायश के बड़े कारण भी है। धर्मेंद्र में अब पहले वाली बात नहीं रही। उनका ही मैन अब अतीत की बात हो चुका है। वह कॉमेडी के उस्ताद हैं। लेकिन फिल्म के प्रोमो उनकी कॉमेडी को बासी बताते हैं। सनी देओल का ढाई किलो का मुक्का भी अब उतना वजनदार नहीं रहा। अगर फिल्म पूरी तरह से उन पर टिकी होती तो एक्शन से भरपूर होती, उनका ढाई किलो का मुक्का दसियों खलनायकों को हवा में उड़ा रहा होता। फिल्म में भी जब वह चीखते हैं तो सामने खड़े लोग हवा में उड़ने लगते हैं, लेकिन यह सब देखने में बचकाना लगता है। इसके बावजूद वह फिल्म को सपोर्ट करते लगते हैं। अब कितना कर पाते हैं, यह देखने वाली बात होगी। बॉबी देओल फिल्म को कोई फायदा नहीं पहुंचा सकते, फिल्म उनको फायदा  ज़रूर  पहुंचा सकती है। तभी तो देओल्स को अपने बीच एक बंदर की ज़रूरत भी महसूस हुई।   ऐसे में सब कुछ संतोष सिवन के निर्देशन और जसविंदर बाथ की पटकथा पर डिपेंड करेगा। अगर दोनों चुस्त रहे तो फिल्म सफल हो सकती है। कितनी सफल होगी, यह बाद की बात है।
लेकिन, यमला पगला दीवाना 2 और देओल्स की राह इतनी आसान नहीं होगी। उनकी राह पर रोड़ा बनेगा कपूर फॅमिली का पांचवा चिराग रणबीर कपूर  और उनकी फिल्म यह जवानी है दीवानी। यह फिल्म न केवल पहले हफ्ते में सौ करोडिया बन चुकी है, बल्कि इसका क्रेज़ बना हुआ हुआ है। हर वर्ग का दर्शक इस फिल्म को देखने का इच्छुक है और देख भी रहा है। सोमवार से फिल्म लगातार स्टैडि जा रही है। इसके बिज़नस में खास गिरावट नहीं हो रही है। अगर यह फिल्म ऐसे ही रोज दस दस करोड़ कमाती रही तो यमला पगला दीवाना 2 को दर्शकों को अपना दीवाना बनाने में तकलीफ होगी। इतना ही नहीं यह जवानी है दीवानी के क्रेज़ के कारण यमला पगला दीवाना 2 को पर्याप्त स्क्रीन मिलने में भी परेशानी होगी। इस फिल्म को मल्टीप्लेक्स में सुबह के शो नहीं मिल पा रहे हैं। यह टाइम स्लॉट यूथ के लिए होता है। इसमे यह जवानी है दीवानी ही जवान हो रही है।
यह जवानी  है दीवानी की कड़ी चुनौती के बावजूद यमला पगला दीवाना 2 के पक्ष में बात यह है कि यमला पगला दीवाना का genre यह जवानी है दीवानी से भिन्न है। यमला पगला दीवाना 2 और देओल्स का दर्शक रणबीर कपूर और उनकी फिल्म यह जवानी है दीवानी के दर्शकों से बिल्कुल अलग है। इसलिए देओल्स कपूर परिवार की पाँचवी पीढ़ी के सामने खड़े रह सकते हैं। लेकिन किस हद तक यह देखने वाली बात होगी।