Tuesday 24 March 2015

बॉलीवुड की 'क्वीन' बनी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की विजेता

इस साल के शुरू में जब तमाम फिल्म साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक के द्वारा अपने अपने पुरस्कार बांटे जाने का सिलसिला शुरू होने को था तभी अभिनेत्री कंगना रनौत ने खुलेआम यह ऐलान कर दिया कि वह इन पुरस्कार समारोहों में शामिल नहीं होंगी।  यह फिल्म अवार्ड, जिन्हे पॉपुलर फिल्म अवार्ड्स भी कहा जाता है, पाठकों की पसंद के नाम पर दिए जाते हैं।  इन पुरस्कारों को देने वाली मॅगज़ीन्स का उद्देश्य ग्लैमर इकठ्ठा करना और अपनी पत्रिका को पॉपुलर बनाना ही होता हैं।  यह पुरस्कार पूर्वाग्रह से भरे और पक्षपातपूर्ण होते हैं। कलाकारों को समारोह में मौजूद  रहने और परफॉर्म करने की शर्त पर श्रेष्ठ चुना जाता है। आमिर खान ऐसे अभिनेता हैं, जो कभी इन समारोहों में नहीं जाते और न ही अवार्ड क़ुबूल करते हैं।  अजय देवगन और इमरान हाशमी जैसे अभिनेता भी इन पुरस्कारों से दूर रहते हैं।  कंगना रनौत का अवार्ड्स फंक्शन से दूर रहने का ऐलान इन पुरस्कारों की निष्पक्षता पर जोरदार  झटका था।  लगे हाथ शाहरुख़ खान ने भी 'इन अवार्ड्स में पहले वाली बात नहीं रही' का शोशा छोड़ दिया।  कंगना रनौत जानती थी कि  दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा के सामने उन्हें यह पॉपुलर पुरस्कार मिलने वाले नहीं।  ऐसा ही हुआ भी।  ज़्यादातर पुरस्कार दीपिका पादुकोण के नाम रहे।  लेकिन, चूंकि, कंगना रनौत का ऐलान वायरल हो गया था तो खिसियाई दीपिका पादुकोण को हैप्पी न्यू  ईयर के लिए एक अवार्ड जीतने के बाद यह कहना पड़ा कि इस पुरस्कार के लिए क्वीन की कंगना ही सही चुनाव हैं।  लेकिन, बॉलीवुड की अभिनेत्रियों के लोमड़ीपने से परिचित कंगना ने दो टूक कह दिया कि दीपिका मुझे सामने आ कर बधाई दें सकती हैं । 
बहरहाल, आज राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पा कर कंगना सचमुच खुश होंगी। विकास बहल निर्देशित 'क्वीन' की रीढ़ सही मायनों में कंगना ही थी।  उन्होंने अपने करैक्टर को जीवंत कर दिया।  यह फिल्म कंगना रनौत की ज़बरदस्त अभिनय प्रतिभा  का आईना हैं।  इस पुरस्कार की दावेदारी मैरी कॉम की प्रियंका चोपड़ा भी कर रही थी।  इसमे कोई शक नहीं कि प्रियंका ने मैरी कॉम के किरदार के लिए कड़ी मेहनत की थी, लेकिन स्वभाविकता और सहजता के लिहाज़ से क्वीन की कंगना रनौत की फिक्शनल करैक्टर रानी, प्रियंका चोपड़ा के रियल करैक्टर मैरी कॉम पर भारी पड़ गई।  यह उनका दूसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार है।  इसके पहले वह फिल्म फैशन के लिए श्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का ५६वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुकी हैं। इत्तेफ़ाक़ की बात यह है कि जिस प्रियंका चोपड़ा के साथ वह इस साल श्रेष्ठ अभिनेत्री की दावेदारी कर रही थी, उसी प्रियंका चोपड़ा ने फैशन के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था। कंगना रनौत क्वीन के लिए फिल्मफेयर का श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार भी जीत चुकी हैं। इस साल रिलीज़ होने वाली कंगना रनौत की दो फिल्मों कट्टी बट्टी और तनु वेड्स मनु रिटर्न्स में उनके अभिनय की चर्चा अभी से हो रही है।  कौन जाने अगले साल का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी कंगना रनौत के नाम रहे।

Monday 23 March 2015

अब दादासाहेब फालके शशि कपूर

इसी साल १८  मार्च को शशि कपूर ने उम्र के ७७वे पड़ाव पर कदम रखा था।  कोई जश्न नहीं हुआ।  सोशल मीडिया और अख़बारों में शशि कपूर के लिए बधाई सन्देश नहीं लिखे गए।  ऐसा होना यह स्वाभाविक भी था। लोग चढ़ते सूरज को ही सलाम करते हैं। जिस एक्टर की आखिरी हिंदी फिल्म २० साल पहले रिलीज़ हुई हो, उसका जन्मदिन किसको याद आएगा।  लेकिन, अब जब उन्हें भारत सरकार ने अपने सर्वोच्च फिल्म पुरस्कार 'दादासाहेब फाल्के अवार्ड' से नवाज़ा है, तब शशि कपूर सबको याद आ गए हैं।  उनके प्रशंसक ख़ास तौर पर खुश हैं कि भारत  सरकार ने देर में ही सही, अभिनय के प्रति समर्पितपृथ्वीराज कपूर  सबसे छोटे बेटे शशि कपूर के  समर्पण को भी मान्यता दे दी गई । शशि कपूर के अभिनय कला के प्रति समर्पण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें आज भी,  बीमारी के बावजूद अपनी बेटी संजना के साथ या उसके बिना मुंबई में पृथ्वी थिएटर के बाहर व्हील चेयर पर बैठे देखा जा सकता है।
रंगमंच के महान चितेरे और अभिनेता के बादशाह पृथ्वीराज कपूर का अपना पृथ्वी थिएटर था।  वह शहर शहर घूम कर नाटक खेला करते थे। शशि कपूर भी अपने पिता के घुमक्कड़ ट्रुप के साथ शहर शहर जाया करते थे। उन्होंने केवल चार साल की उम्र में रंगमंच पर काम करना शुरू कर दिया था। १९४० के दशक की तदबीर और आग जैसी फिल्मों में शशि कपूर ने बाल भूमिकाएं की थी। आवारा के प्यार हुआ इकरार हुआ गीत में हाथ में हाथ डाले बारिश में भीगते जा रहे तीन बच्चों में एक शशि कपूर भी थे।  उन्होंने १९६१ में रिलीज़ फिल्म चार दिवारी से बतौर रोमांटिक हीरो अपना फिल्म करियर शुरू किया।  फिल्म में उनकी नायिका नंदा थी। चार दिवारी की असफलता के बावजूद शशि कपूर बतौर रोमांटिक हीरो  स्थापित हो गए। शशि कपूर ने नंदा के साथ आठ फ़िल्में की। यह वह दौर था, जब उनके दो बड़े भाई राजकपूर और शम्मी कपूर भी बॉलीवुड में अपना परचम लहराए हुए थे।  शशि कपूर ने अपने भाइयों से अलग अपनी रोमांटिक इमेज बनाई। वह ज़्यादा फिल्मों के गरीब हीरो हुआ करते थे। वक़्त, जब जब फूल खिले, प्यार किये जा, नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे, आमने सामने, कन्यादान, जहाँ प्यार मिले, राजा साब,  प्यार का मौसम, अभिनेत्री, शर्मीली, आ गले लग जा, नैना, चोर मचाये शोर, आदि उनकी सुपर डुपर हिट फ़िल्में थी।  शशि कपूर के अभिनय के प्रति समर्पण का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने मल्टी- स्टारर फिल्मों में काम करने से परहेज नहीं किया।  जबकि, उस समय उनकी सोलो हीरो फ़िल्में हिट हो रही थीं। वह जहाँ एक ओर फकीरा, चोरी मेरा काम, सलाखें, पाप और पुण्य जैसी सोलो हीरो फिल्म करते  रहे, वही रोटी कपड़ा और मकान, क्रांति, कभी कभी, दीवार, त्रिशूल, हीरालाल पन्नालाल, आदि मल्टी हीरो फ़िल्में भी की। उन्होंने डेढ़ सौ से ज़्यादा फिल्मों में  अभिनय किया। उन्होंने १२ अंग्रेजी फिल्मों में भी अभिनय किया। उन्होंने १९७५ से १९९४ के बीच ५५ मल्टी स्टारर फिल्मे की। सत्तर के दशक में शशि कपूर को टैक्सी हीरो कहा जाता था।  क्योंकि, वह एक ही दिन में चार चार पांच पांच  शिफ्टों में काम किया करते थे। उन्हें मुंबई में एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो भागते देखा जाता था।  उनकी ६१ सोलो हीरो फिल्मों में ३३ सुपर हिट हुई थी। शशि कपूर अपने समय के सबसे ज़्याइदा फीस पाने वाले अभिनेता थे।
शशि कपूर ने अपने समय की लगभग सभी अभिनेत्रियों के साथ हिट फ़िल्में की।  उन्होंने राखी, आशा पारेख, शर्मीला टैगोर, ज़ीनत अमान के साथ सोलो हीरो फ़िल्में की।  जब उनकी सोलो हीरो फ़िल्में फ्लॉप होने लगी तो शशि कपूर ने विनोद खन्ना, अमिताभ बच्चन, जीतेन्द्र, धर्मेन्द्र, संजीव कुमार, राजेश खन्ना, आदि के जोड़ीदार बन कर फ़िल्में की।  अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी ख़ास सफल रही। इस जोड़ी की ११ फिल्मों में छह हिट हुई। १९७५ में रिलीज़ अमिताभ बच्चन के साथ की फिल्म दीवार में इन दोनों के बीच टकराव के संवादों में शशि कपूर का 'मेरे पास माँ है' संवाद अमर हो चूका है। एक समय शशि कपूर को मल्टी स्टारर फिल्मों में अपने को-स्टार्स विनोद खन्ना, अमिताभ बच्चन और जीतेन्द्र से ज़्यादा फीस मिला करती थी। संजीव कुमार, प्राण और धर्मेन्द्र बराबर फीस पाते थे।  केवल राजेश खन्ना को ही शशि से ज़्यादा फीस मिला करती थी।
शशि कपूर ने शर्मीला टैगोर के साथ १२ फ़िल्में की, जिनमे ६ वक़्त, आमने सामने, सुहाना सफर, आ गले लग जा, पाप और पुण्य और स्वाति सफल रही। शशि कपूर और ज़ीनत अमान जोड़ी की दस फिल्मों में रोटी कपड़ा और मकान, चोरी मेरा काम, दीवानगी, हीरालाल पन्नालाल, पाखंडी और भवानी जंक्शन सफल हुई थी। राखी के साथ की १० फिल्मों में पांच शर्मीली, जानवर और इंसान, कभी कभी, तृष्णा और बसेरा हिट साबित हुई। १९५२ में रिलीज़ फिल्म संस्कार में शशि कपूर प्राण के साथ बाल भूमिका में थे।  शशि कपूर ने बतौर हीरो प्राण के साथ ९ फ़िल्में की। उनके करियर की दो डबल रोल फिल्मो हसीना मान जाएगी और शंकर दादा को बॉक्स ऑफिस पर सफलता मिली। 
फिल्मों में सफलता के बावजूद शशि कपूर का स्टेज के प्रति लगाव कम नहीं हुआ था।  उन्होंने १९५६ में एक ब्रितानी एक्टर ज्यॉफ्री केंडल के साथ ट्रवेल थिएटर 'शकेस्पीयराना' की स्थापना की। इसी थिएटर के कारण वह 'द टेम्पेस्ट' की नायिका जेनिफर से मिले।  जल्द ही दोनों ने शादी कर ली।  शशि कपूर ने अपने परिवार की परम्परा में जेनिफर को अभिनय छोड़ने के लिए नहीं कहा।  वह पहले भारतीय एक्टर थे, जिसने इंटरनेशनल फिल्मों में काम किया। सिद्धार्थ फिल्म में सिमी गरेवाल के साथ उनके इंटिमेट सीन ने फिल्म को चर्चित कर दिया। उन्होंने  भारत सोवियत सहयोग से बनी फंतासी फिल्म अजूबा का निर्देशन भी किया।  उन्हें १९७५ में फिल्म दीवार के  लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का पुरस्कार मिला। शशि कपूर में अच्छी फिल्मों के निर्माण का जूनून था।  उन्होंने जूनून, कलयुग, ३६ चौरिंघी लेन, विजेता, उत्सव और अजूबा बनाई। जूनून और कलयुग के प्रोडूसर के रूप में भी उन्होंने यह पुरस्कार जीता। उन्हें २०११ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। वह दादासाहेब फालके अवार्ड पाने वाले तीसरे कपूर थे।  उनसे पहले उनके पिता पृथ्वीराज कपूर और बड़े भाई राजकपूर को भी यह पुरस्कार मिला था।




Sunday 22 March 2015

रिबूट होगी १९८३ की फिल्म 'ब्लू थंडर'

निगरानी और पुलिस का सैन्यीकरण आजकल की हॉलीवुड फिल्मों की मुख्य थीम है।  १९८३ में, 'ब्लू थंडर' फिल्म में हेलीकाप्टर से निगरानी के दृश्य फिल्माए गए थे। पुरानी फिल्मों के रीमेक-रिबूट के इस दौर में 'ब्लू थंडर' को रिबूट किया जा रहा है।  सोनी पिक्चर्स ने मार्वल स्टूडियो के नियमित लेखक क्रैग काइल को 'ब्लू थंडर' का रिबूट लिखने का जिम्मा सौंपा है। लेकिन, रिबूट फिल्म में हेलीकाप्टर से निगरानी के बजाय ड्रोन का इस्तेमाल होगा।  काइल इस समय मार्वल के लिए 'थॉर: रैगनरॉक' की स्क्रिप्ट लिख रहे हैं। इसके बाद वह निर्माता डेना ब्रुनेटी द्वारा दिए गए आईडिया पर 'ब्लू थंडर' की स्क्रिप्ट लिखना शुरू कर देंगे । 'ब्लू थंडर' पर जैसन ब्लूमेंथल की एस्केप आर्टिस्ट्स कंपनी भी कुछ काम कर रही है। फिलहाल ड्रोन युद्ध का ड्रोन के ज़रिये फिल्मांकन कैसे होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।  

टीवी सीरियलों से फिल्मों तक अर्पिता चक्रवर्ती

अर्पित चक्रवर्ती की आवाज़ को सबसे पहले सुना था टीवी दर्शकों ने स्टार  प्लस के सीरियल 'एक वीर की अरदास…वीरा' के गीत 'हैप्पी शप्पी वाला इश्क़' में।  इस गीत में अर्पिता की आवाज़ से दर्शक प्रभावित हुए थे। इस गीत के बाद अर्पिता को संगीतकारों से गीत गाने के ऑफर मिलने लगे। ऐसा पहला गीत था शफक़त अली के साथ फिल्म सत्याग्रह का 'रस के भरे तोरे नैना' ।  उनका पिछला गीत फिल्म 'रागिनी एमएमएस' का 'लोरी ऑफ़ डेथ' था।  अर्पिता १५  भाषाओं में गीत गा सकती हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत में पारंगत अर्पिता  भांगड़ा, जैज़ और हिप हॉप स्टाइल में भी गा सकती हैं।

ट्रेलर से पहले आएगा पीकू का ट्रीजर

अमिताभ बच्चन , इरफ़ान खान और दीपिका पादुकोण अभिनीत पीकू फिल्म का ट्रेलर भले ही वायआरएफ फिल्म ब्योमकेश बक्शी के साथ आ रहा हो पर फिल्म की कास्ट सोच रही है की उससे पहले कुछ अलग ढंग में ट्रीजर लॉन्च किया जाए। दीपिका इस कॉमेडी फैमिली ड्रामा फिल्म पीकू को लेकर काफी उत्साहित है और उनका पूरा फोकस मूवी पर है। 
​पीकू फिल्म का ट्रेलर फिल्म ब्योमकेश बक्शी के साथ आ रहा है , पर उससे पहले निर्माता एक हटके ट्रीजर लॉन्च करने की सोच रहे है वही प्रोमोशन और ट्रेलर को लेकर स्टारकास्ट में एक मनोरंजक बहस भी हुई ।  ​
सूत्रों  माने तो इस पर क्रिएटिव मीटिंस हो रही है जिसमे दीपिका ,अमिताभ बच्चन और इरफ़ान खान के किरदार को ट्रीजर में किस तरह और मजेदार दिखाया जाए। 
निर्देशक सुजीत सरकार ने कहा ' यह आईडिया दीपिका के दिमाग से आया है, और हमें सभी को बहुत पसंद आने के बाद  पारंपरिक ट्रीजर की जगह कुछ हटके ट्रीजर बनाने पर काम कर रहे है, हम इसे लेकर बेहद उत्साही है और दर्शकों का रिस्पॉन्स देखना चाहते है।

आर्य बब्बर का रावण अवतार

२००२ में फिल्म 'अब के बरस' से बॉलीवुड में असफल डेब्यू करने वाले आर्य बब्बर अब टीवी सीरियलों में भाग्य आजमा रहे हैं। 'गुरु' फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन के भाई की भूमिका से दर्शकों का ध्यान आकृष्ट करने वाले आर्य बब्बर को 'गुरु' के 'तीस मार खान', 'रेडी', 'मटरू की बिजली का मंडोला' जैसी बड़ी फ़िल्में मिली ज़रूर, लेकिन इन फिल्मों में वह अपने नायकों के सहयोगी की छोटी भूमिकाएं ही कर रहे थे।  उनकी दो फ़िल्में 'बंगीस्तन' और 'चोरों की बरात' इस साल रिलीज़ होनी हैं।  लेकिन, आर्य अपनी इन फिल्मों का इंतज़ार किये बिना टीवी सीरियलों में काम करने लगे हैं।  वह सोनी एंटरटेनमेंट से प्रसारित होने वाले सीरियल 'संकट मोचन महाबली हनुमान' में रावण का किरदार करेंगे।  भगवान शिव के भक्त रावण का किरदार मिलना आर्य बब्बर के लिए ख़ास है।  वह जानते हैं कि धर्म से जुड़े किरदार दर्शकों को सहज आकर्षित कर ले जाते हैं।  इन किरदारों से अपनी पहचान खोने का खतरा रहता है, लेकिन आर्य बब्बर को उनकी फिल्मों के कारण टीवी के दर्शक अच्छी तरह से जानते हैं।  वह सीरियल के रावण को आर्य बब्बर की खासियतों के कारण ही पहचानेंगे।  आर्य बब्बर को रावण का किरदार अपने गठीले शरीर के कारण मिला है।  क्योंकि, रावण जितना बड़ा विद्वान था, उतना ही महा बलशाली भी था।  ऐसा किरदार किसी दुबले पतले अभिनेता को सूट नहीं करता।  आर्य बब्बर इसमे फिट बैठते है।  इसके बाद आर्य बब्बर पर निर्भर करेगा कि  वह अपनी प्रतिभा से इस चरित्र को कितना अपना बना पाते हैं।  वैसे आर्य बब्बर ने रावण के बारे में जानकार पढनी शुरू कर दी है।  वह रावण भक्त भी बन गए हैं। आर्य बब्बर कहते हैं, "मैं खुश हूँ कि मैं ऐसे इम्पोर्टेन्ट और इंटरेस्टिंग किरदार को कर रहा हूँ। रावण बुद्धिमान और महान शक्तिशाली था। वह विलेन नहीं था।  यह एक बड़ा शो है।  मेरा करैक्टर अब तक के रावण के करैक्टर से काफी अलग है। मैंने जब रावण के करैक्टर स्केच को सुना तो मैं चमत्कृत हो गया।  मैंने तत्काल इस किरदार को हाँ कर दी।"

मैक्सिको पहुंचा जेम्स बांड

जेम्स बांड सीरीज की २४वीं फिल्म 'स्पेक्ट्र' की यूनिट अब रोम से मैक्सिको पहुँच चुकी है।  यहाँ जल्द ही फिल्म की शूटिंग शुरू होने वाली है।  मैक्सिको में 'स्पेक्ट्र' का शुरूआती सीन फिल्माया जायेगा।  यह सीन मैक्सिको के मशहूर 'डे ऑफ़ द डेड' फेस्टिवल का होगा।  इसके लिए ख़ास तौर पर सेट तैयार करवाया गया है।  स्केलेटन क्रू खड़े किये गए है।  फिल्म में जेम्स बांड का किरदार कर रहे डेनियल क्रैग ने भी सेट पर जाकर निरीक्षण किया। 'स्पेक्ट्र ' के तमाम दृश्यों और सूचनाओं को ट्विटर पेज पर देखा जा सकता है। 






Embedded image permalink Embedded image permalink
Embedded image permalink