Thursday 16 July 2015

चार सुपर हीरो मतलब फैंटास्टिक फोर

१९८६ में कॉन्स्टन्टिन फिल्म के बर्नड एईशिन्गर ने कम बजट की फिल्म बनाने के लिए चार सुपर हीरो रीड रिचर्ड्स, बेन ग्रिम, सुसान स्टॉर्म और जॉनी स्टॉर्म की कहानी को मार्वेल से खरीद लिया था। इस फिल्म के पूरा होने के बाद पूरी कास्ट ने प्रमोशनल टूर भी किये। लेकिन, रिलीज़ से पहले ही निर्माताओं पर फिल्म के घटिया निर्माण के आरोप लगाने लगे कि लाइसेंस बनाए रखने के लिए फिल्म बनाई गई है। इस पर मार्वल कॉमिक्स ने कॉन्स्टन्टिन फिल्म से फिल्म के नेगटिव खरीद लिए ताकि आगे चल कर बड़े बजट की फिल्म बनाई जा सके। इस प्रकार से १९९४ की फिल्म ‘द फैंटास्टिक फोर’ हॉलीवुड के इतिहास की ऎसी फिल्म बन गई, जो न तो सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई, न ही होम विडियो पर . अलबत्ता, पायरेटेड सीडी पर इसे रिलीज़ होता देखा गया। आइये चार सुपर हीरो पर बनी फिल्मों के बारे में -  
द फैंटास्टिक फोर (१९९४)
चार सुपर हीरो वाली पहली फिल्म ‘द फैंटास्टिक फोर’ बड़े परदे का मुंह नहीं देख सकी। इस फिल्म को डीवीडी और दूसरे फॉर्मेट पर ज़रूर रिलीज़ किया गया। यह फिल्म छोटे बजट की फिल्म बनाने में माहिर रॉजर कार्मन और बर्नड एईशिन्गर ने बनाई थी। इस फिल्म में फैंटास्टिक फोर के उत्पति और उनकी पृथ्वी को बचाने के लिए डॉक्टर डूम से लड़ी गई पहली लड़ाई का चित्रण हुआ था।  ओले सस्सून फिल्म के डायरेक्टर थे। अलेक्स हाइड-वाइट ने रीड रिचर्ड/मिस्टर फैंटास्टिक, जे अंडरवुड ने जॉनी स्टॉर्म/ह्यूमन टॉर्च, रेबेका स्टाब ने शु स्टॉर्म/इनविजिबल वुमन और बिचैल बैले स्मिथ ने बेन ग्रिम के किरदार किये थे। अन्य भूमिकाओं में विलेन डॉक्टर विक्टर वोन डूम अभिनेता जोसफ कल्प, अलिसिया मास्टर्स अभिनेत्री कैट ग्रीन, आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। चार अंतरिक्ष यात्रियों के प्रायोगिक स्पेसक्राफ्ट पर धूमकेतु से कॉस्मिक रेज़ की बारिश होती है। इस कॉस्मिक हमले से चारों यात्री बच तो जाते हैं, लेकिन उनके शरीर मे चौंकाने वाले परिवर्तन होने लगते हैं तथा उनमे अलौकिक शक्तियां पैदा हो जाती हैं।  इन शक्तियों के द्वारा फैंटास्टिक फोर पृथ्वी को बचाने में मददगार हो सकते हैं। लेकिन, शर्त यह है कि दोनों को मिल कर यह काम करना होगा।  
फैंटास्टिक ४ (२००५)
कॉन्स्टन्टिन फिल्म से फैंटास्टिक फोर के नेगेटिव प्राप्त करने के बाद मार्वेल ने फिल्म के निर्माण पर अपना ध्यान लगाना शुरू किया। १९९७ में क्रिस कोलंबस और माइकल फ्रांस की स्क्रिप्ट पर पीटर सिगल ने काम शुरू किया। सिगल के बाद फिलिप मॉर्टन और सैम हैम ने स्क्रिप्ट पर काम किया। मार्वल ने राजा गोस्नेल को ४ जुलाई २००१ को फिल्म रिलीज़ करने के प्रोग्राम के साथ फिल्म ‘फैंटास्टिक ४’ के निर्देशन का भार सौंप दिया। मगर राजा ने फिल्म स्कूबी-डू के लिए यह फिल्म छोड़ दी। फिर पीटोन रीड ने कमान संभाली। वह फिल्म को साठ के दशक की पीरियड फिल्म बनाना चाहते थे। जल्द ही पीटोन भी चले गए। अप्रैल २००४ में टिम स्टोरी को डायरेक्टर की कुर्सी पर बैठाया गया। टिम की फिल्म में मिस्टर फैंटास्टिक, इनविजिबल वुमन, ह्यूमन टोर्च, द थिंग और डूम का किरदार क्रमशः लोन ग्रफड, जेसिका अल्बा, क्रिस इवांस, माइकल चिक्लिस और जूलियन मैकमोहन कर रहे थे। यह फिल्म ८ जुलाई २००५ को रिलीज़ हुई। 
फैंटास्टिक ४: राइज ऑफ़ द सिल्वर सर्फर (२००७)
फैंटास्टिक ४ ने बॉक्स ऑफिस पर ३०० करोड़ डॉलर से ज्यादा ग्रॉस किया था, इसलिए ट्वंटीथ सेंचुरी फॉक्स ने टिम स्टोरी को फिल्म के सीक्वल ‘राइज ऑफ़ द सिल्वर सर्फर’ के डायरेक्शन का भार फिर सौंप दिया। सीक्वल फिल्म की कहानी कॉमिक बुक ‘द गेलक्टस ट्राइलॉजी’ और वारेन एलिस कि कॉमिक बुक 'अल्टीमेट एक्सटिंक्शन’ पर आधारित थी।  सिल्वर सर्फर की कॉस्मिक एनर्जी पृथ्वी पर बुरा प्रभाव डालने लगती है। जिसके फलस्वरूप प्लेनेट के चारों ओर क्रेटर्स बनने लगते हैं। इसी दौरना रीड और सुसान की शादी होने वाली है। अमेरिकी सेना फैंटास्टिक फोर और डूम से मदद मांगती है। इस फिल्म में सभी प्रमुख भूमिकाएं ‘फैंटास्टिक ४’ के कलाकारों ने ही की थी। यह फिल्म १५ जून २००७ को रिलीज़ हुई।    
फैंटास्टिक ४: राइज ऑफ़ द सिल्वर सर्फर’ के बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन ने ट्वेंटीथ सेंचुरी फॉक्स को बेहद निराश किया था। इसलिए सिल्वर सर्फर के स्पिन-ऑफ को फिलहाल के लिए रोक दिया गया। 
बजट और बॉक्स ऑफिस
फैंटास्टिक फोर सीरीज की ६ जुलाई २००५ को रिलीज़ पहली अधिकृत फिल्म ‘फैंटास्टिक फोर’ १०० मिलियन डॉलर के बजट से तैयार हुई थी। इस फिल्म ने वर्ल्ड वाइड ३३०.५८ मिलियन डॉलर का ग्रॉस कलेक्शन किया। दूसरी फिल्म ‘फैंटास्टिक फोर: राइज ऑफ़ द सिल्वर सर्फर’ १३ जून २००७ को रिलीज़ हुई। १३० मिलियन डॉलर के बजट से तैयार ‘राइज ऑफ़ द सिल्वर सर्फर’ ने वर्ल्डवाइड २८९ मिलियन डॉलर का ग्रॉस किया। ज़ाहिर है कि दूसरी फिल्म का कलेक्शन काफी कम था। वैसे यह फिल्म सीरीज मार्वल कॉमिक्स की सबसे ज्यादा ग्रॉस करने वाली चौथी सीरीज मानी जाती है।फैंटास्टिक फोर सीरीज की फिल्मों को बड़े खराब रिव्यु मिले। ज़्यादातर समीक्षकों ने फिल्म को डेढ़ से दो स्टार तक ही दिए।  
फैंटास्टिक फोर (२०१५)
ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स ने अगस्त २००९ में यानि सिल्वर सर्फर की रिलीज़ के चार साल बाद फैंटास्टिक फोर की रिबूट फिल्म पर काम शुरू करवा दिया।  टिम स्टोरी के बजाय जॉश ट्रैंक को डायरेक्शन की कमान सौंपी गई।  फिल्म को लिखने के लिए माइकल ग्रीन, जेरेमी स्लाटर, सेठ ग्राहम-स्मिथ एंड सिमोन किनबर्ग को लगाया गया।  जनवरी २०१४ में फिल्म के लिए कलाकारों का चयन शुरू हो गया।  चूंकि, फैंटास्टिक फोर की कहानी रिबूट थी तथा इसका समकालीन महत्त्व था, इसलिए पुरानी कास्ट को बिलकुल बदल दिया गया। माइल्स टेलर को मिस्टर फैंटास्टिक, केट मारा को इनविजिबल वुमन, माइकल बी जॉर्डन को ह्यूमन टॉर्च. जैमी बेल को द थिंग और टॉबी केबेल को डूम के किरदार में  ले लिया गया। इस फिल्म की टैग लाइन कहती है - अगर आप दुनिया बदलना चाहते हैं तो आपको उसकी सुरक्षा के लिए भी तैयार रहना होगा। फैंटास्टिक फोर की रिबूट फिल्म की कहानी चार युवा टेलिपोर्ट की है, जो अंतरिक्ष में घूमते हुए दूसरे और खतरनाक ग्रह में चले जाते हैं, जिसके प्रभाव से उनके शरीर में  भयानक बदलाव हो जाते हैं।  लेकिन, इन चारों को अपने इन शारीरिक परिवर्तनों पर काबू पाते हुए, डॉक्टर डूम के खतरे से पृथ्वी को बचाना है।  यहाँ शर्त यही  है कि वह अपनी ताक़त का उपयोग मिल कर एक साथ ही कर सकते हैं।  यह फिल्म ७ अगस्त को रिलीज़ होगी।  
फैंटास्टिक फोर (२०१५) की संभावित सफलता के प्रति ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स के इत्मीनान का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्टूडियो ने फिल्म की एक फोटो ज़ारी होने से पहले ही फिल्म का सीक्वल बनाने का ऐलान कर दिया था। हालाँकि, २०१५ की फैंटास्टिक फोर ७ अगस्त को रिलीज़ होनी है, लेकिन स्टूडियो ने फैंटास्टिक फोर के अनाम सीक्वल की रिलीज़ की तारीख़ ९ जून २०१७ निर्धारित कर दी है।  

गजेन्द्र को लेकर ऍफ़टीटीआई में 'महाभारत'

फिल्म और टीवी के अभिनेता गजेन्द्र चौहान ने जब बीआर चोपड़ा के सीरियल 'महाभारत' में युधिष्ठिर का किरदार किया था, तब उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी कि कभी उनकों लेकर 'महाभारत' छिड़ेगी।  फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन के पद पर गजेन्द्र चौहान की नियुक्ति के बाद इंस्टिट्यूट में महाभारत छिड़ गया है।  इंस्टिट्यूट के छात्र एक महीने से हड़ताल पर है।  जिस संस्थान में लाइट कैमरा साइलेंस की गूँज उठनी चाहिए, वहां ख़ामोशी छाई हुई है।  छात्र नहीं चाहते कि इस संस्थान का चेयरमैन फिल्म की ख़ास योग्यता न रखने वाला व्यक्ति तैनात हो।  ऋषि कपूर, रणबीर कपूर यहाँ तक कि अनुपम खेर, आदि भी गजेन्द्र चौहान के विरोध में लाम बंद हैं।  लेकिन, क्या सचमुच गजेन्द्र चौहान इतने नाकाबिल हैं कि उनके काम को परखे बिना, उनकी काबिलियत पर सवालिया निशान लगा दिया जाये? क्या फिल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओ का प्रशिक्षण देने संस्थान के लिए ढेरों फ़िल्में बनाने वाले, उनमे अभिनय करने वाले व्यक्ति को तैनात होना चाहिए क्या आज भी संसथान की ज़रुरत अदूर गोपालकृष्णन, श्याम बेनेगल, गिरीश कर्नाड, यु आर अनंतमूर्ति और सईद मिर्ज़ा जैसे फिल्मकार हैं ? क्या उनका चुनाव मनमाने तरीके से हुआ था ?
गजेन्द्र चौहान के चेयरमैन पद पर चुनाव को लेकर भ्रम ज्यादा है । कुछ अखबार कह रहे हैं कि चेयरमैन पद के लिए कुछ और नामो पर विचार नहीं किया गया, जबकि कुछ अखबार कह रहे हैं कि रजनीकांत और अमिताभ बच्चन पर गजेन्द्र को वरीयता दी गई । इससे साफ़ है कि फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया विवादों से ज्यादा घिरा हुआ है। हर कोई अपनी नाक घुसेड सकता है । वास्तविकता तो यह है कि संसथान में में पढ़ाई का माहौल बिलकुल नहीं है । इस इंस्टिट्यूट में आखिरी दीक्षांत समारोह १९९७ में हुआ था, जिसमे ट्रेजिडी किंग दिलीप कुमार को बुलाया गया था।  लेकिन, इस समारोह की ट्रेजिडी यह हुई कि छात्रों के हंगामे के कारण इसे रद्द कर देना पडा।  उसके बाद से इस ५५ साल के इंस्टिट्यूट में १७ सालों में कोई दीक्षांत समारोह नहीं हुआ है। १९९७ से पहले दीक्षांत सामारोह १९८९ में हुआ था।  इस संसथान की समस्याएं इक्का-दुक्का नहीं । यहाँ समस्याओं का जमावड़ा लगा हुआ है।  कोर्स का बैकलॉग तो है ही, सिलेबस भी आउटडेटेड हो चुका है। छात्रों की भरमार है। बताते हैं कि इस इंस्टिट्यूट में १५०-२०० अतिरिक्त छात्र डेरा जमाये बैठे हैं। यह कथित छात्र यहाँ क्या कर रहे हैं, कोई पूछने वाला नहीं हैं । छात्रों की संख्या के अनुपात में टीचर बहुत कम है। चार सौ छात्रों के लिए केवल तीस टीचर ही हैं। लगभग ७० प्रतिशत गेस्ट फैकल्टी होती है।  जबकि फिल्म मेकिंग ऎसी विधा है, जिसके लिए वन टू वन कांटेक्ट भी बेहद ज़रूरी हो जाता है। श्रेष्ठ फैकल्टी तो बेहद ज़रूरी है । लेकिन, जो है उसकी क्या हालत है ? फैकल्टी और छात्रों के बीच हमेशा दुश्मनी का नाता बना रहता है। हर समय म्यान से तलवारे खिंची रहती हैं। सुब्रहमन्यम स्वामी तो यहाँ के छात्रों को नक्सल बताते हैं । यह संस्थान ६ साल का कोर्स चलाता है । यह भी बुरी हालत में है । पिछले साल यह घोषणा हुई थी कि १९९५ से २००६ के बीच के कोर्स पूरा कर चुके छात्रों को डिप्लोमा दिया जाएगा। यहाँ पिछले चार सालों से एडमिशन बिलकुल बंद थे। इससे संस्थान की वित्तीय दशा बदतर हो गई। 
स्पष्ट रूप से ऍफ़टीआईआई की समस्या प्रशासनिक और आर्थिक है। अधिक टीचर, गेस्ट टीचर और सुविधाओं की जरूरत ज़्यादा है।  यह पिछले दो दशकों से केवल तीन पूर्ण कालिक महिला शिक्षक ही तैनात रहे हैं। इस समय पूर्ण कालिक शिक्षकों की संख्या २१ हैं, जो सभी पुरुष हैं। संस्थान में २००२ से कोई डायरेक्टर नहीं है। इंस्टिट्यूट के पिछले डायरेक्टर मोहन अगाशे ने २००२ में इस्तीफ़ा दे दिया था। अजीब बात नहीं कि इतने लम्बे समय से डायरेक्टर की महत्वपूर्ण पोस्ट को न भरे जाने पर किसी छात्र ने कोई प्रोटेस्ट नहीं किया था। दो साल पहले प्रशासन ने फैकल्टी को यह सलाह दी थी कि वह बैंकों से सैलरी लोन के रूप में ले, जिसका ब्याज संस्थान द्वारा दिया जायेगा। ज़ाहिर है कि सस्थान की समस्या प्रशासनिक और आर्थिक समस्या से निबटने के लिए किसी विशुद्ध फिल्मकार के बजाय थोड़ा हट कर चेयरमैन की ज़रुरत है। प्रोफेशनल व्यक्ति अपना फिल्म मेकिंग का काम तो बखूबी कर सकता है, लेकिन अन्य कामों के लिए समय और साधन की ज़रुरत होती है । इन्हें किया जाना तभी संभव है, जब केंद्र या राज्य सरकार में सुनवाई हो । इसके लिए किसी दक्षिण झुकाव वाले चेयरमैन से ज्यादा आरएसएस कथित आदमी गजेन्द्र चौहान प्रभावी हो सकते हैं । 
इसके लिए इंस्टिट्यूट में विश्वास का माहौल कायम करना होगा। संसथान से बॉलीवुड के सक्रिय लोगों को दूर रखना होगा । संस्थान को अंतर्राष्ट्रीय दर्जा दिए जाने की बात चल रही है।  अगर ऐसा हुआ तो ऍफ़टीआईआई के छात्रों को वर्ल्ड क्लास कैनवास मिलेगा। शिक्षकों और गेस्ट टीचर की संख्या बढ़ाने के धन की सख्त ज़रुरत है।  जो संस्थान अपनी फैकल्टी को तनख्वाह न दे पा रहा हो, वह कैसे सर्वाइव कर सकता है।  इसके लिए गजेन्द्र सिंह चौहान सक्षम साबित हो सकते हैं। उनके राजनीतिक सूत्र संस्थान को आर्थिक रूप से ठोस बना सकते हैं। जहां तक प्रशासन की बात है, इसके लिए किसी का ज़्यादा फ़िल्में करना या बनाना आवश्यक नहीं। तभी तो श्याम बेनेगल कहते हैं, "गजेन्द्र चौहान की काबिलियत को परखा जाना चाहिए।" यह तभी संभव है जब गजेन्द्र चौहान अपनी कुर्सी पर बैठे।  इसके लिए ज़रूरी है कि छात्र बिना किसी राजनीतिक पूर्वाग्रह के चौहान से बात करे।  वैसे बताते हैं कि गजेन्द्र के विरोध में कुछ राजनीतिक विचारधारा के छात्र ही है, जिन्हे पढ़ाई से कोई सरोकार नहीं है। 
 


बजरंगी भाईजान के साथ बाजीराव मस्तानी का ट्रेलर

संजयलीला भंसाली की पीरियड ड्रामा रोमांस फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' का टीज़र आज रिलीज़ किया गया।  इस फिल्म का थिएट्रिकल ट्रेलर १७ जुलाई को सलमान खान और करीना कपूर की फिल्म 'बजरंगी भाईजान' के साथ १९ जुलाई को रिलीज़ होगा। यह ट्रेलर ३ मिनट २ सेकंड्स का होगा। रणवीर सिंह के साथ प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण की केंद्रीय भूमिका वाली फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' १८ दिसम्बर को रोहित शेट्टी निर्देशित शाहरुख़ खान और काजोल की फिल्म 'दिलवाले'  के सामने रिलीज़ होगी।  इस प्रकार से संजयलीला भंसाली की फिल्म का सीधा टकराव भंसाली के पसंदीदा हीरो शाहरुख़ खान की फिल्म के साथ हो रहा है। यहाँ ख़ास उल्लेखनीय है कि संजयलीला भंसाली बाजीराव मस्तानी को २००३ में ऐश्वर्या राय और सलमान खान की उस समय की हॉट जोड़ी के साथ बनाना चाहते थे। लेकिन, इनके ब्रेक-अप के बाद उन्होंने सलमान खान के साथ करीना कपूर को ले कर फिल्म बनाने का इरादा बनाया। फिल्म में रानी मुख़र्जी पेशवा बाजीराव की पत्नी काशीबाई की भूमिका कर रही थी। लेकिन, इसी दौरान सलमान खान और करीना कपूर द्वारा दूसरी फिल्म साइन कर लेने के कारण नाराज़ भंसाली ने यह प्रोजेक्ट स्क्रैप कर दिया। क्योंकि, वह इस ताज़ातरीन जोड़ी को पहली बार खुद पेश करना चाहते थे। इसके बाद भंसाली ने ब्लैक, सावरिया, गुज़ारिश और गोलियों की रासलीला : राम-लीला जैसी मशहूर फ़िल्में बना डाली। अब यह संयोग नहीं तो और क्या है कि भंसाली की फिल्म का ट्रेलर उसी जोड़े की फिल्म के साथ रिलीज़ हो रहा है, जिसे उन्होंने निकाल बाहर किया था। दूसरी ओर उनकी फिल्म उनके प्रिय एक्टर शाहरुख़ खान की फिल्म के अपोजिट रिलीज़ हो रही है। भंसाली ने शाहरुख़ खान के साथ देवदास जैसी हिट फिल्म बनाई थी। बाजीराव मस्तानी से दीपिका पादुकोण अपनी डेब्यू फिल्म तथा चेन्नई एक्सप्रेस और हैप्पी न्यू ईयर जैसी सुपर हिट फिल्मों के हीरो शाहरुख़ खान की फिल्म के अपोजिट ताल ठोंक रही होंगी। अब देखने वाली बात होगी कि गोलियों की रासलीला : राम-लीला जैसी हिट फिल्म के निर्देशक संजयलीला भंसाली की फिल्म की नायिका दीपिका पादुकोण, उन्हें चेन्नई एक्सप्रेस जैसी बड़ी हिट फिल्म देने वाले डायरेक्टर रोहित शेट्टी की फिल्म के सामने कैसा प्रदर्शन कर पाती है! 


अब दो हफ्ता पहले जाँनिसार !

गमन, आगमन और उमरावजान जैसी फिल्मों के निर्माता मुज़फ्फर अली पूरे बीस साल बाद वापसी कर रहे हैं।  उमरावजान की तरह उनकी अगस्त में रिलीज़ होने को तैयार फिल्म 'जाँनिसार' भी पीरियड रोमांस ड्रामा होगी।  यह फिल्म १८५७ यानि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद के भारत पर फिल्म होगी।  इस फिल्म से पाकिस्तान के एक्टर इमरान अब्बास के साथ स्टाइल और फैशन आइकॉन पेरनिया कुरैशी का फिल्म डेब्यू हो रहा है।  यह अमीर और नूर की म्यूजिकल रोमांस कहानी है।  जानिसार को २१ अगस्त को रिलीज़ किया जाना तय था।  लेकिन, १४ अगस्त को धर्मा प्रोडक्शंस की बिग बजट फिल्म 'ब्रदर्स' की रिलीज़ तय हो गई।  ब्रदर्स में अक्षय कुमार और जैक्विलिन फर्नांडीज़ के अलावा सिद्धार्थ मल्होत्रा और जैकी श्रॉफ मुख्य भूमिका में है।  ब्रदर्स की रिलीज़ के कारण सिंगल स्क्रीन थिएटर लगभग फुल हैं।  मल्टीप्लेक्सों ने भी अपने ज़्यादातर  स्क्रीन ब्रदर्स के लिए बुक कर दिए हैं।  इसलिए, इसमे शक था कि जानिसार को पर्याप्त स्क्रीन मिल पायेगा।  इस पर तमाम बातचीत के बाद यह तय पाया गया कि फिल्म की रिलीज़ दो हफ्ता पहले यानि ७ अगस्त को कर दी जाये। इससे जानिसार को एक हफ्ता ही सही, ठीक-ठाक स्क्रीन्स मिल सकती हैं।  जानिसार को दो हफ्ते पहले रिलीज़ करने के सम्बन्ध में मुज़फ्फर अली कहते हैं, "हम तो फ़कीर लोग हैं।  जो अपने फन (आर्ट) पैर जान लगाते हैं।  मैं नहीं जानता कि इंडिपेंडेंट सिनेमा को सर्वाइव करने में इतनी परेशानियां हो सकती हैं।  कोई भी सपोर्ट नहीं करता।  इसीलिए मैं बिना किसी स्टूडियो के सपोर्ट के खुद अपनी फिल्म रिलीज़ कर रहा हूँ।  मुझे उम्मीद है कि सिंगल स्क्रीन थिएटर और मल्टीप्लेक्स दर्शकों को मेरी फिल्म देखने का मौका देंगे। "  



अल्पना कांडपाल



एक थी शीला रमानी

गुज़ारे जमाने की अभिनेत्री शीला रमानी कावसजी का निधन हो गया।  वह ८३ साल की थीं।  आज के पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में २ मार्च १९३२ को पैदा शीला रमानी को पचास के दशक की शुरुआत में मिस शिमला का खिताब मिला।  उन्हें हिंदी फिल्मों में लाने का श्रेय चेतन आनंद को जाता है, जिन्होंने शीला को १९५४ में रिलीज़ देव आनंद और कल्पना कार्तिक की फिल्म 'टैक्सी ड्राईवर' में एक एंग्लो इंडियन क्लब डांसर सिल्वी का किरदार दिया।  इस फिल्म के बाद वह नवकेतन बैनर का स्थाई चेहरा बन गई।  उन्होंने देव आनंद और गुरुदत्त जैसे अभिनेताओं के साथ यादगार भूमिकाएं की।  फिल्मों में उन्होने आम तौर पर उच्च वर्ग की मॉडर्न लड़की का किरदार किया।  देव आनंद के साथ उनकी फिल्म फंटूश काफी सफल रही। शीला रमानी का करियर पचास और साठ के दशक में खूब चमका।  उन्होंने सुरंग (१९५३०, तीन बत्ती चार रास्ता (१९५३), नौकरी (१९५४०), फंटूश (१९५६), रेलवे प्लेटफार्म (१९५५) और अनोखी (१९५६) जैसी उल्लेखनीय फ़िल्में की। उन्होंने जंगले किंग और द रिटर्न ऑफ़ सुपरमैन जैसी बी ग्रेड फ़िल्में भी की।  द रिटर्न ऑफ़ सुपरमैन के बाद शीला रमानी कावसजी ने फिल्मों को अलविदा कह दिया।  उन्होंने अपने मामा शेख लतीफ़ के कहने पर एक पाकिस्तानी फिल्म अनोखी में मुख्य किरदार किया।  पहली सिन्धी फिल्म 'अबना' की वह नायिका थी।  इस फिल्म में साधना ने उनकी छोटी बहन का किरदार किया था।  उन्होंने इन्दोर के पास महू के एक पारसी व्यापारी जाल कावसजी से शादी रचाई।  अंतिम समय में वह महू में अपने दो पुत्रों के साथ रह रही थी।  वह  
पिछले कुछ सालों से अल्झाइमर से पीड़ित थी।  दो दिन पहले वह कोमा में चली गई थी।  

Wednesday 15 July 2015

पीटर डिंकलेज को पसंद आई 'पिक्सेल्स' की रोमांचक कहानी

 हैरी पॉटर एंड  चैम्बर ऑफ़ सीक्रेट्सहैरी पॉटर एंड  सोर्सेरेरस स्टोनहोम अलोनमिसिज़ डाउट फायर आदि उत्कृट फिल्मों के निर्देशक क्रिस कोलंबस अपनी रोमांच एक्शन फ़िल्म 'पिक्सेल्सके द्वारा बहुत कुछ  नया और विलक्षण प्रस्तुत करने जा रहे हैं इस  फ़िल्म में  पीटर  डिंकलेजएडम सैंडलरकेविन जेम्स,  जोश गैड जैसे मशहूर एक्टर अभिनय कर रहे है । हाल  ही  में  एक साक्षात्कार  में डिंकलेज  ने बताया   कि दर्शकों के सामने कुछ नया और हटकर प्रस्तुत करना उनका काम है। वह एक जैसी भूमिकाएं  बार  बार   कर के वह खुद को और अपने दर्शकों को बोर नहीं करना चाहते । इसलिए जब उन्हें पिक्सेल्स जैसी फ़िल्म   मिली तो वह तुरंत समझ गए कि यह वही फ़िल्म है जिसका वह बहुत लंबे समय से इंतज़ार कर रहे थे।इस फ़िल्म की रोमांचक कहानी,एक्शन और थ्रिलर समझने के तुरंत बाद ही उन्होंने इस फ़िल्म के लिए अपनी पूर्ण सहमति  दे डाली। उन्होंने यह भी स्वीकारा कि 'पिक्सेल्सकी पूरी टीम के साथ काम करना वाकयी बेहद दिलचस्प और रोमांच से भरा रहा। 'सोनी पिक्चर्स इंडियाकी डी फ़िल्म 'पिक्सेल्स' 31 जुलाई को   भारतीय दर्शकों के बीच एंटरटेनमेंट की बड़ी डोज़ लेकर  रही है । 


सैम रैमी शुरू करेंगे ईविल डेड का नया चैप्टर !

सैम रैमी अपनी कल्ट फिल्म ईविल डेड के चैप्टर फिर पलटना चाहते हैं। ईविल डेड सीरीज की पिछली फिल्म आर्मी ऑफ़ डार्कनेस १९९२ में रिलीज़ हुई थी। जाहिर है कि ईविल डेड सीरीज की पिछली फिल्म को रिलीज़ हुए २३ साल हो गए हैं। पर सैम रैमी ईविल डेड पर कोई फिल्म नहीं बनाने जा रहे हैं।  स्टार्ज़ टीवी पर ऐश वर्सेज ईविल डेड के १० एपिसोड ब्रूस कैम्पबेल के साथ सैम रैमी क्रिएट करेंगे। यह सीरीज ३१ अक्टूबर से प्रसारित होगी। ईविल डेड के टीवी रूपांतरण में ब्रूस कैम्पबेल राक्षसों के शिकारी ऐश का किरदार कर रहे हैं। जेना : वारियर प्रिंसेस की नायिका अभिनेत्री लूसी लॉलेस रूबी नोबी का किरदार करेंगी। द ईविल डेड (१९८१), द ईविल डेड २ (१९८७) और आर्मी ऑफ़ डार्कनेस (१९९२) में ऐश का किरदार करने वाले ५७ वर्षीय ब्रूस कैम्पबेल के लिए ऐश का किरदार करना अपने कम्फर्ट जोन में जाने जैसा है।  वह कहते हैं, "यह रोल अपने पुराने और आरामदेह जूते पहनने जैसा है। मैंने और रैमी ने ईविल डेड की वापसी पर विचार किया तो हमें लगा कि ईविल डेड पर कोई एक फिल्म देखने के बजाय प्रशंसकों के लिए १० एपिसोड देखना उपहार पाने जैसा होगा।"