गुज़ारे जमाने की अभिनेत्री शीला रमानी कावसजी का निधन हो गया। वह ८३ साल की थीं। आज के पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में २ मार्च १९३२ को पैदा शीला रमानी को पचास के दशक की शुरुआत में मिस शिमला का खिताब मिला। उन्हें हिंदी फिल्मों में लाने का श्रेय चेतन आनंद को जाता है, जिन्होंने शीला को १९५४ में रिलीज़ देव आनंद और कल्पना कार्तिक की फिल्म 'टैक्सी ड्राईवर' में एक एंग्लो इंडियन क्लब डांसर सिल्वी का किरदार दिया। इस फिल्म के बाद वह नवकेतन बैनर का स्थाई चेहरा बन गई। उन्होंने देव आनंद और गुरुदत्त जैसे अभिनेताओं के साथ यादगार भूमिकाएं की। फिल्मों में उन्होने आम तौर पर उच्च वर्ग की मॉडर्न लड़की का किरदार किया। देव आनंद के साथ उनकी फिल्म फंटूश काफी सफल रही। शीला रमानी का करियर पचास और साठ के दशक में खूब चमका। उन्होंने सुरंग (१९५३०, तीन बत्ती चार रास्ता (१९५३), नौकरी (१९५४०), फंटूश (१९५६), रेलवे प्लेटफार्म (१९५५) और अनोखी (१९५६) जैसी उल्लेखनीय फ़िल्में की। उन्होंने जंगले किंग और द रिटर्न ऑफ़ सुपरमैन जैसी बी ग्रेड फ़िल्में भी की। द रिटर्न ऑफ़ सुपरमैन के बाद शीला रमानी कावसजी ने फिल्मों को अलविदा कह दिया। उन्होंने अपने मामा शेख लतीफ़ के कहने पर एक पाकिस्तानी फिल्म अनोखी में मुख्य किरदार किया। पहली सिन्धी फिल्म 'अबना' की वह नायिका थी। इस फिल्म में साधना ने उनकी छोटी बहन का किरदार किया था। उन्होंने इन्दोर के पास महू के एक पारसी व्यापारी जाल कावसजी से शादी रचाई। अंतिम समय में वह महू में अपने दो पुत्रों के साथ रह रही थी। वह
पिछले कुछ सालों से अल्झाइमर से पीड़ित थी। दो दिन पहले वह कोमा में चली गई थी।
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