Thursday, 20 September 2018

संजय खान की लाइफ की बेस्ट मिस्टेक्स !


संजय खान की बेस्ट मिस्टेक्स ऑफ़ लाइफ बाजार में हैं।

१९६० और १९७० के दशक के चॉकलेटी हीरो संजय खान का हिंदी फिल्मों में आना, अपने बड़े भाई फ़िरोज़ खान की बरगदी छाया के नीचे हुआ था।

संजय खान की पहली फिल्म निर्माता-निर्देशक चेतन आनंद की फिल्म हकीकत थी।  इसके बाद, उन्हें राजश्री प्रोड्कशन्स की फिल्म दोस्ती में देखा गया।

जबकि. इस समय तक फ़िरोज़ खान, दीदी, मैं शादी करने चला, रिपोर्टर राजू, टार्ज़न गोज टू इंडिया, बहुरानी, सुहागन और चार दरवेश जैसी फिल्मों में नायक बन कर आ चुके थे।  लेकिन, इतना ज़रूर था कि फ़िरोज़ खान और उनके छोटे भाई नाम बदल कर संजय खान बनने वाले अब्बास खान ने, एक ही समय में स्टारडम की सीढ़ियां चढ़ना शुरू किया।  

फ़िरोज़ खान ने एक्शन, थ्रिलर, फ़न्तासी और फॅमिली, हर प्रकार के जॉनर की फ़िल्में की।  जबकि, संजय खान ने ज़्यादातर रोमांस फिल्मों में अपना करियर बनाया।  इसी के तरह उनकी रियल लाइफ भी थी।  उनके रोमांस की खबरें आये दिन अख़बारों की सुर्खियां बना करती थी।

उनकी आत्मकथा द बेस्ट मिस्टेक्स ऑफ़ माय लाइफ में इन सभी रोमांसों, विवादों और ज़िन्दगी के उतारचढ़ाव का  विवरण इस किताब में दिया गया है।

संजय खान की, जहाँ एक फूल दो माली, बेटी, सास भी कभी बहु थीउपासना, मेला, सास भी कभी बहु थी, आदि पारिवारिक फ़िल्में थी, वहीँ चांदी सोना, मस्तान दादा, काला धंधा गोर लोग, अब्दुल्ला, आदि एक्शन फिल्मों के भी वह नायक बने।  उन्हें, उनके फ़िल्मी किरदारों से ज़्यादा टेलीविज़न के टीपू सुल्तान के तौर याद किया जाता है।

शो द सोर्ड ऑफ़ टीपू सुल्तान के सेट्स पर आग लग जाने के कारण, संजय खान भी खुद बुरी तरह से जल गए थे।  महीनों ईलाज के बा सकी थी। बाद ही उनकी जान बच सकी थी। 


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