कल्पना लाजमी नहीं रही। यह खबर कुछ पल अशांत कर गई।
कभी, कल्पना लाजमी की, भारतीय महिलाओं की घरेलु दशा का वास्तविक चित्रण करने वाली फिल्मों की
निर्देशक के तौर पर तूती बोला करती थी ।
पहली फिल्म एक पल
(१९८६), वैवाहिक जीवन में रिक्तता, विवाहेतर संबंधो और पति पत्नी के विश्वास का
चित्रण करने वाली फिल्म के तौर पर पसंद किया गया । कल्पना लाजमी कठोर सन्देश देने
वाली साबित होती थी ।
इसके ७ साल बाद, कल्पना लाजमी की दूसरी फिल्म रिलीज़ हुई । राजस्थान
की पृष्ठभूमि पर, रुदाली शनिचरी (डिंपल कपाडिया) की कहानी थी, जिसे उसकी माँ ने,
पिता के मरने के बाद, जन्मते ही छोड़ दिया था । वह जीवन भर दुर्भाग्य और कष्ट से
जूझती रहती है । इस फिल्म को ऑस्कर अवार्ड्स में श्रेष्ठ विदेशी भाषा की फिल्म की
श्रेणी में चुना गया था ।
रुदाली में शनिचरी की भूमिका में डिंपल को राष्ट्रीय
फिल्म पुरस्कार और उनकी छोटी बहन सिंपल कपाड़िया को बेस्ट ड्रेस डिजाइनिंग का
अवार्ड मिला था ।
रुदाली के चार साल बाद दरमियाँ रिलीज़ हुई। यह फिल्म एक किन्नर की कहानी थी । इस फिल्म में किन्नर की भूमिका
के लिए आरिफ ज़कारिया राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में श्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी
में नामित हुए थे ।
दमन भी एक माँ की कहानी थी, जो अपनी बच्ची की खातिर अपने पति
की हत्या कर देती है । इस फिल्म के लिए अभिनेत्री रवीना टंडन को श्रेष्ठ फिल्म
अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था ।
कल्पना लाजमी की, जहाँ पहली चार
फ़िल्में कथ्य के लिहाज़ से श्रेष्ठ और प्रभावशाली थी, बाद की दो फ़िल्में उस स्टार
पर नहीं पहुँच सकी थी ।
उनकी छठी और आखिरी फिल्म चिंगारी तो छोटे अभिनेता अनुज साहनी
को बड़ी अभिनेत्री सुष्मिता सेन द्वारा चुम्बन देने से इनकार करने के कारण काफी
चर्चित हुई थी ।
क्यों और चिंगारी को असफलता हाथ लगी थी ।
कल्पना लाजमी ने अपने
फिल्म करियर की शुरुआत डाक्यूमेंट्री निर्माण से की थी । उनका सीरियल लोहित किनारे
काफी सफल रहा था ।
फिल्मकार गुरुदत्त और श्याम बेनेगल की भांजी कल्पना लाजमी ने
श्याम बेनेगल की कई फिल्मों की कॉस्टयूम डिजाईन की थी ।
कल्पना लाजमी किडनी के
कैंसर से पीड़ित थी ।
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