बड़ी देर तक करती रही इंतज़ार। पुल मिलने का वादा था। मैं पहुँच गई थी पूरे ग्लैमर के साथ स्लिट पोशाक में। पीले लिबास में फूल-पत्तियां भी क्या कमाल करती हैं। पर इसे देखने के लिए वह नहीं आया। |
सोचा- चलो थोड़ा शॉपिंग की तयारी कर ली जाए। इतना इंतज़ार कराया है तो पर्स खाली करना तो बनता ही है। बाजार घूम लिया। कॉफ़ी शॉफ़ी पी ली। नहीं आया। ओह बाबा ! थक गई हूँ। |
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