अभिनेता और फिल्म निर्माता जॉन अब्राहम ने, आज अपनी
अगली फिल्म बटला हाउस के निर्माण का ऐलान करते हुए फिल्म की रिलीज़ की तारीख १५
अगस्त २०१९ भी तय कर दी।
यह फिल्म १९ सितम्बर २००८ को, दिल्ली के जामिया नगर इलाके में बटला हाउस में छुपे आतंकवादियों से दिल्ली पुलिस की मुठभेड़ हुई थी तथा इस मुठभेड़ में घर में छिपे दो आतंकवादियों के मारे जाने के अलावा एक पुलिस अधिकारी मोहनचंद्र शर्मा भी मारे गए थे।
यह अपने समय का सबसे विवादित एनकाउंटर था। इस एनकाउंटर पर कांग्रेस के मंत्रियों ने अपनी ही सरकार पर आरोप लगाए। कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गाँधी के इस कांड में मारे गये आतंकवादियों के लिए आंसू बहाने की खबरें भी सुर्ख हुई। इस मुठभेड़ की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा भी जांच की गई और मुठभेड़ को सही पाया।
यह मामला ८ साल बाद, मुख्य अभियुक्त शहजाद को सज़ा के साथ ही ख़त्म हुआ।
इसी किस्से पर जॉन अब्राहम की फिल्म है।
परमाणु : द पोखरण स्टोरी के बाद, जॉन अब्राहम के साथ निखिल अडवाणी का यह दूसरे सहयोग है। इस फिल्म को निखिल अडवाणी ने ही लिखा है और वह ही इसे निर्देशित करेंगे।
जॉन अब्राहम ने इस फिल्म का फर्स्ट लुक पोस्टर जारी करते हुए ट्वीट किया, "हर कहानी के दो पहलू होते हैं। एक सही और दूसरा गलत। लेकिन, क्या हो अगर सच और झूठ के बीच खिंची यह पतली रेखा धुंधली हो, काफी धुंधली !"
जॉन अब्राहम तथा दूसरे निर्माताओं की ट्वीट से ऐसा लगता है कि यह फिल्म उस ९५ मिनट चली मुठभेड़ की आठ साल तक चली लम्बी कहानी पर है।
इस कहानी को, निखिल अडवाणी और रितेश शाह पिछले तीन सालों से लिख रहे हैं। यानि आखिरी अदालती फैसले के बाद से।
इस फिल्म की दूसरी स्टारकास्ट का ऐलान नहीं हुआ है।
अलबत्ता, जॉन अब्राहम फिल्म में पुलिस अधिकारी संजीव कुमार यादव की भूमिका करेंगे। यानि फिल्म के चरित्रों के नाम बदले हुए होंगे।
जब बड़े गोविंदा के साथ नाचे छोटे वरुण शर्मा - पढ़ने के लिए क्लिक करें
यह फिल्म १९ सितम्बर २००८ को, दिल्ली के जामिया नगर इलाके में बटला हाउस में छुपे आतंकवादियों से दिल्ली पुलिस की मुठभेड़ हुई थी तथा इस मुठभेड़ में घर में छिपे दो आतंकवादियों के मारे जाने के अलावा एक पुलिस अधिकारी मोहनचंद्र शर्मा भी मारे गए थे।
यह अपने समय का सबसे विवादित एनकाउंटर था। इस एनकाउंटर पर कांग्रेस के मंत्रियों ने अपनी ही सरकार पर आरोप लगाए। कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गाँधी के इस कांड में मारे गये आतंकवादियों के लिए आंसू बहाने की खबरें भी सुर्ख हुई। इस मुठभेड़ की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा भी जांच की गई और मुठभेड़ को सही पाया।
यह मामला ८ साल बाद, मुख्य अभियुक्त शहजाद को सज़ा के साथ ही ख़त्म हुआ।
इसी किस्से पर जॉन अब्राहम की फिल्म है।
परमाणु : द पोखरण स्टोरी के बाद, जॉन अब्राहम के साथ निखिल अडवाणी का यह दूसरे सहयोग है। इस फिल्म को निखिल अडवाणी ने ही लिखा है और वह ही इसे निर्देशित करेंगे।
जॉन अब्राहम ने इस फिल्म का फर्स्ट लुक पोस्टर जारी करते हुए ट्वीट किया, "हर कहानी के दो पहलू होते हैं। एक सही और दूसरा गलत। लेकिन, क्या हो अगर सच और झूठ के बीच खिंची यह पतली रेखा धुंधली हो, काफी धुंधली !"
जॉन अब्राहम तथा दूसरे निर्माताओं की ट्वीट से ऐसा लगता है कि यह फिल्म उस ९५ मिनट चली मुठभेड़ की आठ साल तक चली लम्बी कहानी पर है।
इस कहानी को, निखिल अडवाणी और रितेश शाह पिछले तीन सालों से लिख रहे हैं। यानि आखिरी अदालती फैसले के बाद से।
इस फिल्म की दूसरी स्टारकास्ट का ऐलान नहीं हुआ है।
अलबत्ता, जॉन अब्राहम फिल्म में पुलिस अधिकारी संजीव कुमार यादव की भूमिका करेंगे। यानि फिल्म के चरित्रों के नाम बदले हुए होंगे।
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