शिल्पी दासगुप्ता की फिल्म खानदानी शफाखाना की बबिता उर्फ़ बेबी बेदी,
अपने परिवार के पारिवारिक दवाखाना को चलाने का फैसला करती है। इस खानदानी
दवाखाना को चलाने में हिचक इस लिए है कि इस शफाखाना में गुप्त रोगों का इलाज़ होता
है। यही कारण है कि बेबी बेदी बनी सोनाक्षी सिन्हा, खानदानी
शफाखाना के ट्रेलर में गुप्त रोग, नामर्दी,
आदि आदि बालिग़ संवाद धड़ल्ले से बोलती नज़र आ रही हैं। सोनाक्षी सिन्हा का
प्रशंसक उनका यह अंदाज़ देख कर चौंक उठा है।
मासूम और माशूक सोनाक्षी
सोनाक्षी सिन्हा की अब तक कि फिल्मों पर नज़र डालें तो अकिरा जैसी
इक्कादुक्का फिल्मों को छोड़ दे तो वह परदे पर मासूम और माशूक ही नज़र आयी हैं। उनका
परदे का साथी सलमान खान हो या अक्षय कुमार या फिर रणवीर सिंह,
सोनाक्षी सिन्हा बड़ी बड़ी आँखों से उसे मीठी नज़रों से देखती रही हैं। दर्शक
उनकी इस चितवन पर मर मिटा है।
खानदानी शफाखाना क्यों ?
खानदानी शफाखाना जैसी फिल्म करना, किसी
बॉलीवुड एक्ट्रेस के लिए आसान नहीं था। सोनाक्षी सिन्हा खुद चौंकी थी,
जब शिल्पी उनके पास इस फिल्म की स्क्रिप्ट लेकर पहुंची। सोनाक्षी सिन्हा
कहती हैं, “मेरा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि मैं पारिवारिक
फ़िल्में ही करती हूँ।” इसके बावजूद जब शिल्पी ने फिल्म की
स्क्रिप्ट सुनाई तो सोनाक्षी सिन्हा गदगद हो उठी। फिल्म की कहानी नायिका के उस
खानदानी शफाखाना को चलाने की थी, जिसमे सेक्स
सम्बन्धी रोगों का ईलाज किया जाता है और सलाह दी जाती है। कहती हैं सोनाक्षी
सिन्हा, “जब पुरुष सेक्स स्पेशलिस्ट पर कोई आपत्ति
नहीं करता तो महिला पर क्यों ? वैसे मैंने
यह फिल्म इस लिए स्वीकार की कि इसे परिवार के साथ देखा जा सकता है।"
या करना होगा इंतज़ार ?
अकिरा के बाद, फ़ोर्स २, नूर,
इत्तेफाक और हैप्पी फिर भाग जायेगी जैसी फिल्मों से अपनी इमेज को बदलने की
असफल कोशिश कर चुकी सोनाक्षी सिन्हा को खानदानी शफाखाना से उम्मीदें हैं कि वह
परदे की इस महिला गुप्त रोग विशेषज्ञ की सलाह सुनने सिनेमाघरों तक ज़रूर पहुंचेगा। क्या ऐसा होगा या फिर सोनाक्षी सिन्हा को मिशन मंगल के बाद भुज द प्राइड ऑफ़ इंडिया
तथा दबंग ३ की रिलीज़ का इंतज़ार करना होगा कि दर्शक उनका कौन सा अंदाज़ पसंद करता है?
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