चीन के टेलीविज़न पर दूसरा महायुद्ध छाने जा रहा है। चीन के मीडिया वाचडॉग ने यह घोषणा की है कि सोमवार से दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान चीन पर जापानियों के आक्रमण के विरुद्ध चीन के लोगों के विरोध को दिखाने वाली तीन कार्टून फ़िल्में प्रसारित की जाएंगी। इन कार्टून फीचर का निर्माण प्रेस, पब्लिकेशन, रेडियो, फ़िल्म एवं टेलीविज़न प्रशासन द्वारा किया गया है। चीन इस साल द्वितीय विश्व युद्ध ७० वी जयन्ती जोर शोर से मनाने जा रहा है। इन कार्टून फिल्मों के निर्माताओं के अनुसार अप्रैल में चीन में आठ से दस साल के १००५ छात्रों के बीच एक सर्वे किया गया था। इसमे मालूम पड़ा कि ५५ प्रतिशत छात्र द्वितीय विश्व युद्ध में चीन के लोगों के योग दान के बारे में कुछ नहीं जानते। ८८ छात्र तो ऐसे थे, जिन्हे अपने देश के किसी स्वतंत्रता सेनानियों का नाम तक नहीं मालूम था। इन तीनों कार्टून फीचर फिल्मों में छात्रों को इन तथ्यों से अवगत कराया जायेगा। ऎसी एक द्वितीय विश्व युद्ध की कहानी 'टनल वारफेयर' में दिखाया गया है कि चीनी लोगों द्वारा दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानी आक्रमण के बाद सुरंगों में घुस कर बचने और दुश्मनों का नाश करने में इन सुरंगो का किस प्रकार उपयोग किया गया था। सरकार का उद्देश्य इन कार्टून फिल्मों से युवाओं को चीन के इतिहास को समझाना है ताकि उनका चारित्रिक विकास हो और वह ऐतिहासिक तथ्यों की तोड़ मरोड़ से प्रभावित न हों।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday, 16 August 2015
दूसरे विश्व युद्ध पर तीन चीनी कार्टून फ़िल्में
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सरहद पार
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Saturday, 15 August 2015
देश भक्ति की सदाबहार फ़िल्में
बॉलीवुड को देश भक्ति की फ़िल्में रास आती हैं। बॉलीवुड ने गांधी से लेकर भगत सिंह तक स्वतंत्रता सेनानी किरदारों पर फ़िल्में बनाई हैं। १९६२ के भारत चीन युद्ध पर भी फ़िल्में बनी तो कारगिल युद्ध को भी परदे पर उतारा गया। देश में व्याप्त भ्रष्टाचार भी कहानी बना। देशवासियों को सन्देश देने वाली देशभक्ति फ़िल्में भी कम नहीं। यह फ़िल्में आज भी सदा बहार हैं। इन्हे कालजयी फ़िल्में कहा जा सकता है। आइये जानते हैं, ऎसी कुछ फिल्मों के बारे में -
शहीद-
निर्देशक एस राम शर्मा की फिल्म शहीद (१९६५) स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के जीवन, ख़ास तौर पर भगत सिंह के जीवन पर फिल्म थी। इस फिल्म में मनोज कुमार, प्रेम चोपड़ा और अनंत मराठे ने क्रमशः भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की भूमिका की थी। इस फिल्म को १३ वे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में श्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार प्राप्त हुआ था। इससे पहले देश स्वतंत्रता के एक साल बाद, १९४८ में रमेश सैगल की फिल्म 'शहीद' रिलीज़ हुई थी, जो स्वतंत्र सेनानियों पर केंद्रित थी। इस फिल्म में दिलीप कुमार ने शहीद की भूमिका की थी। २००२ में रिलीज़ राजकुमार संतोषी की फिल्म 'लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह' भी इसी विषय पर बानी फिल्म थी। इस फिल्म में अजय देवगन, सुशांत सिंह और डी संतोष ने क्रमशः भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का किरदार किया था। फिल्म ने श्रेष्ट फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाया।
बॉर्डर-
डायरेक्टर जे पी दत्ता की १९७१ में पाकिस्तान के साथ लोंगेवाल में लड़े गए युद्ध की पृष्ठभूमि पर फिल्म 'बॉर्डर' को इसके जोशीले कथानक और ईमानदार प्रस्तुति के कारण बेहद सफलता मिली थी। फिल्म में सनी देओल, अक्षय खन्ना, सुनील शेट्टी और जैकी श्रॉफ की मुख्य भूमिका थी। ख़ास तौर पर अक्षय खन्ना के अभिनय को सराहा गया था। यह भारत की श्रेष्ठ युद्ध फिल्म मानी जाती है। इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में नर्गिस दत्त अवार्ड के अलावा श्रेष्ठ गीत और श्रेष्ठ गायक की श्रेणी में पुरस्कृत किया गया था। जे पी दत्ता ने १९९९ के कारगिल युद्ध पर 'एलओसी कारगिल' फिल्म का निर्माण किया था। इस फिल्म को सीमित सफलता ही मिली। लेकिन, सबसे ज़्यादा प्रभावशाली युद्ध फिल्म थी चेतन आनंद की १९६५ के भारत और चीन युद्ध पर फिल्म 'हकीकत' । इस फिल्म के देशभक्ति से भरे गीत आज भी स्वतंत्रता दिवस पर बजाये जाते हैं। इस फिल्म को नेशनल फिल्म पुरस्कार भी मिला था।
गांधी-
मोहनदास करमचंद गांधी की महात्मा बनाने की यात्रा को उकेरने वाली इस फिल्म की पूरी दुनिया में सराहना हुई। ब्रिटिश निर्माता निर्देशक सर रिचर्ड एटनबरो द्वारा नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कारपोरेशन के सहयोग से बनाई गई इस फिल्म को श्रेष्ठ फिल्म और श्रेष्ठ निर्देशक सहित आठ ऑस्कर पुरस्कार मिले थे। महात्मा गांधी की भूमिका के लिए बेन किंग्सले को इकलौता ऑस्कर अवार्ड मिला।
चटगांव-
१९३० के ब्रितानी साम्राज्य वाले चटगांव में हुए विद्रोह पर निर्देशक बेदब्रत पाइन की इस फिल्म को अच्छी रिलीज़ नहीं मिल पाने के कारण ज़्यादा दर्शकों द्वारा नहीं देखा जा सका। मनोज बाजपेई और जयदीप अहलावत की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म आशुतोष गोवारिकर की चटगांव विद्रोह पर अभिषेक बच्चन और दीपिका पादुकोण की फिल्म 'खेले हम जी जान से' टकराव के कारण विवादों का शिकार हो गई। बेदब्रत ने अमिताभ बच्चन पर अपनी फिल्म को नुक्सान पहुंचाने का आरोप भी लगाया था।
मंगल पाण्डेय: द राइजिंग-
केतन मेहता की यह फिल्म भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के नायक मंगल पाण्डेय पर आधारित थी। आमिर खान ने मंगल पाण्डेय की भूमिका की थी। लेकिन, केतन मेहता आमिर खान, रानी मुख़र्जी और अमीषा पटेल जैसी बड़ी स्टारकास्ट के बावजूद प्रभावशाली फिल्म नहीं बना सके। यह फिल्म फ्लॉप साबित हुई।
सरदार- लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल पर केतन मेहता ने 'सरदार' फिल्म का निर्माण किया था। इस फिल्म में परेश रावल ने पटेल की भूमिका की थी।
मनोज कुमार-
अभिनेता, फिल्म निर्माता और निर्देशक मनोज कुमार को उनकी देशभक्ति की फिल्मों के कारण भारत कुमार भी कहा जाता है। उन्हें यह संज्ञा उनके द्वारा निर्देशित फिल्म उपकार के चरित्र भारत से मिली। यह फिल्म १९६५ का युद्ध के अलावा किसानों की बात करती थी, गाँव को महिमा मंडित करती थी। उस समय के सुधारों वाले नारे जय जवान जय किसान को प्रचारित करती थी। इसके बाद मनोज कुमार ने पाश्चात्य सभ्यता पर भारतीय सभ्यता को श्रेष्ठ बताने वाली फिल्म 'पूरब और पश्चिम', ध्वनि और वातावरण प्रदूषण और पानी की समस्या पर फिल्म 'शोर', महंगाई और जमाखोरी जैसी ज्वलंत समस्या पर 'रोटी कपड़ा और मकान' और १९वी शताब्दी के स्वतंत्रता सेनानियों पर फिल्म 'क्रांति' बनाई। इन सभी देशभक्ति पूर्ण फिल्मों को दर्शकों ने खूब पसंद किया।
कुछ अन्य देशभक्ति फ़िल्में- उपरोक्त फिल्मों के अलावा कुछ अन्य फ़िल्में भी हैं, जो अपने कथ्य के कारण देशभक्ति फ़िल्में मानी जाती हैं। इनमे आमिर खान की फिल्म 'रंग दे बसंती', अनिल कपूर और मनीषा कोइराला की १९४२: अ लव स्टोरी, आमिर खान की ही फिल्म लगान, सनी देओल की फिल्म 'ग़दर एक प्रेम कथा', 'इंडियन' और 'माँ तुझे सलाम', शाहरुख़ खान की फिल्म स्वदेश, चक दे इंडिया और फिर भी दिल है हिंदुस्तानी, ह्रितिक रोशन की फिल्म लक्ष्य आदि भी देशभक्ति फिल्मों में शुमार की जा सकती हैं।
राजेंद्र कांडपाल
शहीद-
निर्देशक एस राम शर्मा की फिल्म शहीद (१९६५) स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के जीवन, ख़ास तौर पर भगत सिंह के जीवन पर फिल्म थी। इस फिल्म में मनोज कुमार, प्रेम चोपड़ा और अनंत मराठे ने क्रमशः भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की भूमिका की थी। इस फिल्म को १३ वे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में श्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार प्राप्त हुआ था। इससे पहले देश स्वतंत्रता के एक साल बाद, १९४८ में रमेश सैगल की फिल्म 'शहीद' रिलीज़ हुई थी, जो स्वतंत्र सेनानियों पर केंद्रित थी। इस फिल्म में दिलीप कुमार ने शहीद की भूमिका की थी। २००२ में रिलीज़ राजकुमार संतोषी की फिल्म 'लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह' भी इसी विषय पर बानी फिल्म थी। इस फिल्म में अजय देवगन, सुशांत सिंह और डी संतोष ने क्रमशः भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का किरदार किया था। फिल्म ने श्रेष्ट फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाया।
बॉर्डर-
डायरेक्टर जे पी दत्ता की १९७१ में पाकिस्तान के साथ लोंगेवाल में लड़े गए युद्ध की पृष्ठभूमि पर फिल्म 'बॉर्डर' को इसके जोशीले कथानक और ईमानदार प्रस्तुति के कारण बेहद सफलता मिली थी। फिल्म में सनी देओल, अक्षय खन्ना, सुनील शेट्टी और जैकी श्रॉफ की मुख्य भूमिका थी। ख़ास तौर पर अक्षय खन्ना के अभिनय को सराहा गया था। यह भारत की श्रेष्ठ युद्ध फिल्म मानी जाती है। इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में नर्गिस दत्त अवार्ड के अलावा श्रेष्ठ गीत और श्रेष्ठ गायक की श्रेणी में पुरस्कृत किया गया था। जे पी दत्ता ने १९९९ के कारगिल युद्ध पर 'एलओसी कारगिल' फिल्म का निर्माण किया था। इस फिल्म को सीमित सफलता ही मिली। लेकिन, सबसे ज़्यादा प्रभावशाली युद्ध फिल्म थी चेतन आनंद की १९६५ के भारत और चीन युद्ध पर फिल्म 'हकीकत' । इस फिल्म के देशभक्ति से भरे गीत आज भी स्वतंत्रता दिवस पर बजाये जाते हैं। इस फिल्म को नेशनल फिल्म पुरस्कार भी मिला था।
गांधी-
मोहनदास करमचंद गांधी की महात्मा बनाने की यात्रा को उकेरने वाली इस फिल्म की पूरी दुनिया में सराहना हुई। ब्रिटिश निर्माता निर्देशक सर रिचर्ड एटनबरो द्वारा नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कारपोरेशन के सहयोग से बनाई गई इस फिल्म को श्रेष्ठ फिल्म और श्रेष्ठ निर्देशक सहित आठ ऑस्कर पुरस्कार मिले थे। महात्मा गांधी की भूमिका के लिए बेन किंग्सले को इकलौता ऑस्कर अवार्ड मिला।
चटगांव-
१९३० के ब्रितानी साम्राज्य वाले चटगांव में हुए विद्रोह पर निर्देशक बेदब्रत पाइन की इस फिल्म को अच्छी रिलीज़ नहीं मिल पाने के कारण ज़्यादा दर्शकों द्वारा नहीं देखा जा सका। मनोज बाजपेई और जयदीप अहलावत की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म आशुतोष गोवारिकर की चटगांव विद्रोह पर अभिषेक बच्चन और दीपिका पादुकोण की फिल्म 'खेले हम जी जान से' टकराव के कारण विवादों का शिकार हो गई। बेदब्रत ने अमिताभ बच्चन पर अपनी फिल्म को नुक्सान पहुंचाने का आरोप भी लगाया था।
मंगल पाण्डेय: द राइजिंग-
केतन मेहता की यह फिल्म भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के नायक मंगल पाण्डेय पर आधारित थी। आमिर खान ने मंगल पाण्डेय की भूमिका की थी। लेकिन, केतन मेहता आमिर खान, रानी मुख़र्जी और अमीषा पटेल जैसी बड़ी स्टारकास्ट के बावजूद प्रभावशाली फिल्म नहीं बना सके। यह फिल्म फ्लॉप साबित हुई।
सरदार- लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल पर केतन मेहता ने 'सरदार' फिल्म का निर्माण किया था। इस फिल्म में परेश रावल ने पटेल की भूमिका की थी।
मनोज कुमार-
अभिनेता, फिल्म निर्माता और निर्देशक मनोज कुमार को उनकी देशभक्ति की फिल्मों के कारण भारत कुमार भी कहा जाता है। उन्हें यह संज्ञा उनके द्वारा निर्देशित फिल्म उपकार के चरित्र भारत से मिली। यह फिल्म १९६५ का युद्ध के अलावा किसानों की बात करती थी, गाँव को महिमा मंडित करती थी। उस समय के सुधारों वाले नारे जय जवान जय किसान को प्रचारित करती थी। इसके बाद मनोज कुमार ने पाश्चात्य सभ्यता पर भारतीय सभ्यता को श्रेष्ठ बताने वाली फिल्म 'पूरब और पश्चिम', ध्वनि और वातावरण प्रदूषण और पानी की समस्या पर फिल्म 'शोर', महंगाई और जमाखोरी जैसी ज्वलंत समस्या पर 'रोटी कपड़ा और मकान' और १९वी शताब्दी के स्वतंत्रता सेनानियों पर फिल्म 'क्रांति' बनाई। इन सभी देशभक्ति पूर्ण फिल्मों को दर्शकों ने खूब पसंद किया।
कुछ अन्य देशभक्ति फ़िल्में- उपरोक्त फिल्मों के अलावा कुछ अन्य फ़िल्में भी हैं, जो अपने कथ्य के कारण देशभक्ति फ़िल्में मानी जाती हैं। इनमे आमिर खान की फिल्म 'रंग दे बसंती', अनिल कपूर और मनीषा कोइराला की १९४२: अ लव स्टोरी, आमिर खान की ही फिल्म लगान, सनी देओल की फिल्म 'ग़दर एक प्रेम कथा', 'इंडियन' और 'माँ तुझे सलाम', शाहरुख़ खान की फिल्म स्वदेश, चक दे इंडिया और फिर भी दिल है हिंदुस्तानी, ह्रितिक रोशन की फिल्म लक्ष्य आदि भी देशभक्ति फिल्मों में शुमार की जा सकती हैं।
राजेंद्र कांडपाल
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Friday, 14 August 2015
इन 'ब्रदर्स' के बीच प्यार और नफरत का रिश्ता है !
निर्माता करण जौहर की करण मल्होत्रा निर्देशित फिल्म 'ब्रदर्स' २०११ में रिलीज़ हॉलीवुड की फिल्म 'वारियर' का हिंदी रीमेक है। फिल्म को हिंदी में एकता पाठक मल्होत्रा ने ढाला है। सिद्धार्थ और गरिमा ने संवाद लिखे हैं। पूरी फिल्म 'वारियर' के साँचे में ढली है। 'ब्रदर्स' अच्छी फिल्म देखने वालों के लिए हैं। क्रांतिकारी और बिलकुल अलग समीक्षा लिखने के शौक़ीन समीक्षक इस फिल्म को नकारेंगे। लेकिन, इस फिल्म मे जहाँ एक्शन है, वहीँ ज़बरदस्त इमोशन है। रिंग पर जहाँ निर्मम हिंसा हैं (स्ट्रीट फइटरों के रिंग में ककड़िया तो चटकेंगी नहीं), वहीँ उसी समय भावनाए और संवेदनाएं भी हैं। करण जौहर, करण मल्होत्रा और उनकी टीम ने एक बेहद संतुलित फिल्म तैयार की है। बर्बाद परिवार खील खील होकर बिखरते हैं, लेकिन मिलते भी है ऐसे ही किन्ही नाज़ुक क्षणों में। अक्षय कुमार ने कमाल का अभिनय किया है। उनसे इतने उम्दा अभिनय की उम्मीद नहीं की जाती थी। सिद्धार्थ मल्होत्रा थोडा कमज़ोर लगे। जैक्विलिन फ़र्नान्डिस ने अपनी अभिनय प्रतिभा दिखाई है। जैकी श्रॉफ अपनी भूमिका में फबे हैं। शेफाली शाह की भूमिका छोटी मगर मज़बूत है। करीना कपूर ने आइटम मेरा नाम मैरी है में कामुकता का प्रदर्शन किया है। वह करण मल्होत्रा की फिल्म 'अग्निपथ' में अपनी होने वाली भाभी के डांस 'चिकनी चमेली' से होड़ लेती लगी। करण जौहर ने रिंग के दृश्य परफेक्ट बनवाए हैं। ऐसा लगता है जैसे दर्शक रियल रिंग देख रहे हैं। हेमंत चतुर्वेदी की फोटोग्राफी जानदार है। स्टेडियम को बखूबी उभरा गया है। अजय- अतुल का संगीत ठीक ठाक है। फिल्म के मूड को उभरता है। अकिव अली की एडिटिंग धारदार है। फिल्म १५६ मिनट लम्बी है। इस फिल्म से हॉलीवुड के एक और स्टूडियो लायंस गेट का बॉलीवुड से को- प्रोडक्शन शुरू हो रहा है।
फिल्म को सुपर हिट होने से कोई नहीं रोक सकता।
फिल्म को सुपर हिट होने से कोई नहीं रोक सकता।
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फिल्म समीक्षा
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शोले के चालीस साल !
चालीस साल पहले, १५ अगस्त १९७५ को अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, हेमा मालिनी, जया बच्चन, अमजद खान और संजीव कुमार की एक्शन फिल्म ‘शोले’ रिलीज़ हुई थी। रमेश सिप्पी निर्देशित शोले को रिलीज़ के पहले दिन ही समीक्षकों द्वारा नकार दिया गया था। फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर शुरुआत भी ख़ास नहीं रही थी। लेकिन, फिल्म के हैरत अंगेज़ एक्शन, ड्रामा और कॉमेडी ने दर्शकों को आकर्षित करना शुरू कर दिया। फिल्म ने रफ़्तार पकड़नी शुरू कर दी। फिल्म आल टाइम ब्लॉकबस्टर साबित हुई। इस फिल्म ने ६० थिएटर्स में लगातार पचास हफ्ते चलने का कीर्तिमान बनाया। यह पहली ऎसी फिल्म बनी, जिसने १०० सिनेमाघरों में रजत जयन्ती मनाई। ऐसी कल्ट फिल्म के चालीस साल होने पर यूनिवर्सल म्यूजिक ने इस फिल्म का स्पेशल एनिवर्सरी कलेक्शन निकाला है। इस कलेक्शन में शोले के दिलचस्प हंसाने वाले कॉमिक संवाद और संगीत शामिल हैं। शोले के साउंडट्रैक को उस समय बहुत सूना गया था। इस फिल्म के राहुल देव बर्मन द्वारा तैयार धुनों पर किशोर कुमार, मन्ना डे, लता मंगेशकर और आरडी बर्मन के गाये ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, जब तक है जान, कोई हसीना जब रूठ जाती है और मेहबूबा मेहबूबा गीत बेहद लोकप्रिय हुए थे। “शोले: द ४० एनिवर्सरी कलेक्शन” में फिल्म के डायलॉग्स और गीतों का दो घंटे का कलेक्शन ख़ास है। इस कलेक्शन को वर्ल्डवाइड डिजिटल रिलीज़ किया गया है।
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गीत संगीत
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इंडियन आइडल जूनियर के सेट पर स्वतंत्रता दिवस (फोटोज)
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फोटो फीचर
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वेलकम बैक की शूटिंग के दौरान जॉन के सर पर लगी चोट.
अभिनेता जॉन अब्राहम अपनी आगामी फिल्म वेलकम बैक को लेकर काफी उत्साहित हैं , जहा एक तरफ जॉन ने कहा था की लोगो को हसाना सबसे कठिन काम है तो वही दूसरी तरफ उनके लिए वेलकम बैक की शूटिंग का सफर इतना भी आसान नहीं था.
जॉन फिल्म में एक एक्शन सीक्वेंस शूट कर रहे थे की उनके सर पर चोट लग गयी, दरअसल बात यह है की स्क्रिप्ट के अनुसार आर्टिस्ट को जॉन के कंधे पर वार करना था लेकिन कंधे पर मरने की बजाय उनके सर पर ज़ोर से प्रहार कर दिया,हलाकि कोई बड़ी चोट नहीं लगी थी पर जॉन के सर में काफी दर्द होने के कारण डॉक्टर को सेट पर बुलाना पड़ा .
सूत्रों का कहना है की "शूट खत्म करने के बाद जॉन अपने पर्सनल डॉक्टर के पास जाँच करवाने पहुंचे की उनके सर पर कोई अंधूरिनि घाव तो नहीं लगा है, फिल्म के डायरेक्टर अनीस बज़्मी ने भी इस खबर की पुष्टि की
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ये ल्लों !!!
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चापेकर ब्रदर्स के बाल गंगाधर तिलक गोविन्द नामदेव
शीघ्र प्रदर्शित होने जा रही फिल्म चापेकर ब्रदर्स में हिंदी फिल्मों के मशहूर विलेन गोविन्द नामदेव महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक की भूमिका कर रहे हैं। इस भूमिका को पहले अभिनेता ओम पूरी करने वाले थे। लेकिन, ओम पूरी अपनी पूर्व फिल्मों में इतना व्यस्त थे कि बाल गंगाधर तिलक के लिए समय नहीं निकाल सके। इस पर ओम पूरी की जगह गोविन्द नामदेव को लेने का निर्णय लिया गया। अनायास मिली इस महत्वपूर्ण भूमिका से गोविन्द नामदेव बेहद उत्साहित हैं। हालाँकि, यह गोविन्द नामदेव का स्पेशल अपीयरेंस होगा, लेकिन गोविन्द नामदेव कहते हैं, “फिल्म की टीम ने चापेकर भाइयों पर पूरी तयारी और रिसर्च कर रखी है। मैं टीम के समर्पण से बेहद प्रभावित हुआ हूँ। मैं महान सेनानी बाल गंगाधर तिलक की भूमिका के प्रति आश्वस्त हूँ।” इस फिल्म चापेकर बंधुओ की भूमिका अभिजीत भगत, संझिट धुन और मनोज भट्ट ने की है। इस साल के आखिर में रिलीज़ होने जा रही चपका ब्रदर्स का निर्देशन देवेंदर पाण्डेय ने किया है।
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हस्तियां
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जैकी श्रॉफ की मराठी फिल्म
इस शुक्रवार जैकी श्रॉफ करण मल्होत्रा की हिंदी फिल्म ‘ब्रदर्स’ से धूम मचा रहे हैं। अगले सप्ताह जैकी दादा की एक मराठी फिल्म ‘३.५६ किल्लारी’ रिलीज़ होगी। इस फिल्म में जैकी श्रॉफ मराठी फिल्मों की बोल्ड एंड ब्यूटीफुल अभिनेत्री सई ताम्हणकर के साथ पहली बार स्क्रीन शेयर करेंगे। निर्माता गिरीश साठे की इस फिल्म का निर्देशन दीपक भागवत और विजय मिश्रा ने किया है। यह फिल्म लातूर के किल्लारी गाँव में आये भूकम्प की पृष्ठभूमि पर है। इस भूकम्प में कई लोगों की जाने गई थी। यह कहानी ऎसी लड़की की है, जो भूकम्प में मारी गई थी। उसका नज़दीक के ही एक गाँव में पुनर्जन्म होता है। चौदह साल की यह लड़की साइ और जैकी के साथ अपनी पूर्व जन्म की पहचान पता लगाने निकल पड़ती है। इस भूमिका को गौरी इंगवले ने किया है। यह फिल्म २१ अगस्त को रिलीज़ होनी है।
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मराठी फिल्म इंडस्ट्री
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चालीस कमेडिअन्स के साथ नवीन प्रभाकर का नेशनल एंथम
मशहूर स्टैंड अप कॉमेडियन नवीन प्रभाकर हमेशा कुछ अलग सा करते रहते हैं। उन्होंने स्टैंड अप कॉमेडी शो में पहचान कौन के जुमले से अपनी पहचान बनाई। नविन ने बॉम्बे टू गोवा, भावनाओं को समझो, नो प्रॉब्लम, तेरे नाल लव हो गया, आदि हिंदी फिल्मों में भिन्न भूमिकाएं की। अब वह एक बार फिर एक नए कांसेप्ट के साथ दर्शकों के सामने हैं। नवीन प्रभाकर ने भारतीय स्वतंत्रता की ६८ वी वर्षगांठ पर राष्ट्र गान को अनोखे अंदाज़ में पेश किया है। इस एंथम में राजू श्रीवास्तव, जोहनी लीवर, सुनील पाल, सुदेश लाहिरी, सुगंधा मिश्रा, भारती सिंह सहित चालीस कमेडिअन्स ने हिस्सा लिया है। यह एंथम स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या से चैनल्स और सिनेमाघरों में दिखाया जाने लगा है।
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Thursday, 13 August 2015
दयाबेन ने कहा- ''भारत माता तुझे सलाम''
१५ अगस्त यानी की स्वतंत्रता दिवस हर एक भारतीय के लिए बहुत ख़ास होता है। क्योकि आज के दिन हमें आज़ादी मिली थी । सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा के दयाबेन और जेठालाल १५ अगस्त यानी की स्वतंत्रता दिवस के खास मौके पर भारत माता और हमारे भारतीय सेनावो को सलाम करते है , जो अपनी जान पर खेलते हुए हमारी रक्षा करते है । उनका मानना है की देश तो आज़ाद हो गया है पर असल मायने में अभी आज़ाद नही हुए है । जिस दिन भ्रष्टाचार, गन्दगी, आतंकवाद, भूणहत्या जैसी तमाम बुराइयां ख़त्म होंगी , तभी हमें सही माएने में आज़दी मिलेगी । इस मौके पर जेठालाल यानि दिलीप जोशी का कहना है कि "देश प्रेम की भावना हमेशा हमारे में दिल जगी रहनी चाहिए। नई पीढ़ी को हमे इतिहास के बारे में बताना चाहिए । मेरा मानना है की २६ जनवरी और १५ अगस्त हमे हर रोज़ मनाना चाहिए क्योकि बहुत मुश्किलो और बलिदानो से हमे आज़ादी मिली है ।" १५ अगस्त के बारे में दयाबेन यानि की दिशा वाकानी कहती है "मै पूरे दिल से उन सभी सिपाहियों को सलाम करती हु जो जान पर खेलकर देश की सुरक्षा करते है । सरहद पर पूरी रात जागते है कि हम सब चैन की नींद सो सके । भारत माता तुझे सलाम और तेरे ऐसे सपूतो को भी सलाम । "
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बप्पी लाहिरी के १०१ हिट गीत
शेमारू एंटरटेनमेंट की हिट १०१ सीरीज की पांचवी कड़ी में इस बार बप्पी लाहिरी आ रहे हैं। तीन डीवीडी पैक में डिस्को किंग बप्पी लाहिरी के १०१ हिट गीत शामिल किये गए हैं। बप्पी लाहिरी के अस्सी के दशक के पैर थिरकाने वाले गीतों को इस डीवीडी सेट में देख कर दर्शक अतीत में खो जायेंगे। कभी बप्पी लाहिरी ने डिस्को डांस के माहिर मिथुन चक्रवर्ती के साथ मिल कर डिस्को डांसर, कसम पैदा करने वाले की और डांस डांस जैसी डिस्को डांस से भरी फिल्मों का संगीत दिया था। इन तीनों फिल्मों के तमाम गीत आज भी सदाबहार हैं। इस डीवीडी सेट में इन तीनों फिल्मों के डिस्को गीत शामिल हैं। दक्षिण की तमाम फिल्मों के संगीतकार बप्पीदा ही हुआ करते थे। उन्होंने दक्षिण के निर्माताओं की तोहफा, मक़सद, वक़्त की आवाज़, कानूनी, दिलवाला, नया कदम, आदि फिल्मों के लिए यादगार संगीत दिया था। उन्होंने नयी पीढ़ी के लिए लव लव लव, लवर बॉय, घायल और गीत जैसी फिल्मों में संगीत तैयार किया था। बप्पी लाहिरी ने १९ साल की कम उम्र में संगीत रचना करनी शुरू कर दी थी। उनकी पहली हिंदी फिल्म नन्हा शिकारी थी। उनके द्वारा उसी दौरान तैयार ज़ख़्मी, फिर जनम लेंगे हम और अपने पराये जैसी फिल्मों का संगीत भी पॉपुलर हुआ था। इस सेट के १०१ एक गीतों में इन फिल्मों के गीत भी शामिल हैं।
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गीत संगीत
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
इंडियन ऑडियंस के लिए 'लूथर'
भारतीय टेलीविज़न के दर्शकों के लिए एफएक्स चैनल कई मिनी सीरीज लेकर आ रहा है। इस कड़ी में १७ अगस्त से एक साइकोलॉजिकल क्राइम सीरीज लूथर प्रसारित होने जा रही है। भारतीय दर्शकों को इस कड़ी में अपराध के खतरनाक मोड़ और रहस्य के आकर्षक घुमाव नज़र आएंगे। इस सीरीज की हर कड़ी की कहानी दर्शकों को जकड़ने और रोमांचित करने वाली है। इस सीरीज में जॉन लूथर की मुख्य भूमिका एचबीओ की सीरीज 'द वायर' में ड्रग माफिया का किरदार करने वाले इदरीस एल्बा कर रहे हैं। लूथर एक ऐसा जीनियस डिटेक्टिव है, जो अपराधियों को क्रूर हत्यारे की मार भी सकता है और इमोशनल भी है। इस सीरीज में लूथर एक के बाद एक पेचीदे मामलों को सुलझाएगा। लूथर को अपराधियों का शिकार भी करना है और खुद को शिकारी बनाने से रोकना भी है। डिटेक्टिव जॉन लूथर की भूमिका के लिए इदरीस एल्बा गोल्डन ग्लोब में बेस्ट एक्टर का अवार्ड जीत चुके है। इदरीस एल्बा टेलीविज़न सीरीज के अलावा थॉर और मंडेला: लॉन्ग वाक टू फ्रीडम में अभिनय कर चुके हैं।
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'द लास्ट विच हंटर' के कॉल्डर विन डीजल
कॉल्डर, वह जांबाज़ योद्धा, जिसने चुड़ैलों की रानी के संसार पर हमला बोल दिया था। ताकि, दुनिया को बचाया जा सके। कॉल्डर चुड़ैलों की रानी को तो पछाड़ देता है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव से उसे अमरता का अभिशाप मिलता है। अब वह जीवन के पार अपनी पत्नी और बेटी से नहीं मिल सकता। इस जटिल भूमिका को परदे पर विन डीजल कर रहे हैं। विन डीजल को इस प्रकार की फिल्मों में महारत हासिल है। द लास्ट विच हंटर में विन डीजल के कॉल्डर को न्यूयॉर्क सिटी को पुनः जीवित हो उठी चुड़ैल के फैलाये जा रहे प्लेग से बचाना है। कॉल्डर को इसे रोकने के लिए चुड़ैल के काल्पनिक संसार में लौटना है। उसके इस मिशन में उसके साथ एलिजाह वुड, रोज लेस्ली और माइकल कैन साथ हैं। विन डीजल की एक्शन और फंतासी फिल्मों के शौक़ीन दर्शको के लिए यह फिल्म तोहफा है। इस फिल्म में जलती तलवार का एक्शन और लपलपाती तलवार वाली गोथिक फंतासी के मिश्रण के साथ रोमांस भी है। इस फिल्म का निर्देशन ब्रेट आइजनर कर रहे हैं। 'द लास्ट विच हंटर' २३ अक्टूबर को रिलीज़ हो रही है।
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वेलकम बैक की स्टारकास्ट ने की बिना रिहर्सल किया गाने की शूट
किसी भी मल्टीस्टारर फिल्म में एक्टर्स को एक साथ लाना उनसे डेट निकलवाना और उन्हें एक साथ डायरेक्ट करना बहुत ही मुश्किल काम है, लेकिन डायरेक्टर अनीज़ बज़्मी यह हुनर बखूबी है , अनीज़ अपनी आगामी फिल्म वेलकम बैक है जिसमे नज़र आएंगे नाना पाटेकर, जॉन अब्राहम, अनिल कपुर, नसीरुद्दीन शाह नज़र आएंगे। अनीज़ फिल्म के लिए एक सोंग शूट करना चाहते पर सारे स्टार को एक साथ इकठ्ठा करना इतना भी आसान नहीं था उनके लिए, पर जैसे तैसे कर के उन्होंने सारे आर्टिस्ट से सोंग शूट के लिए डेट ले ही ली , और बिना किसी रिहर्सल सभी ने इस गाने को शूट किया।
अनीज़ ने जब इन सितारों को गाने के लिए संपर्क करना चाहा तब ये सितारे अपने दूसरे कमिटमेंट में बिज़ी थे, अनीज़ इन सितारों के डेट्स एक साथ नही मिल पा रहे थे, इसीलिए उन्होंने ने इस सितारों से अनुरोध किया की इस गाने के लिए समय दे और बिना रिहर्सल शूट करे.
अनीज़ बज़्मी का कहना है की "मेरे लिए बहुत ही मुश्किल था इन सितारों से सामान डेट मिल पाना, पर जैसे ही मुझे एक सामान डेट दी मैंने उनसे अनुरोध किया की बिना रिहर्सल ही इस गाने की शूट करे, ये सितारे न ही सिर्फ अच्छे डांसर्स है बल्कि ये लोग स्क्रीन पर भी बहुत अच्छे लग रहे है।
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शूटिंग/लोकेशन
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सोनू सूद करेंगे दारा सिंह की बायोपिक
सोनू सूद बोलीवूड में अपनी अभिनय क्षमता को मना चुके है , साथ ही वे साउथ फिल्म इंडस्ट्री में भी तमिल , तेलगु और कन्नड़ फिल्म्स कर चुके है। पंजाब के एक फिल्म मेकर ने एक स्क्रिप्ट लिखी है जो की भारतीय पहलवान और अभिनेता दारा सिंह पर है और उस मेकर ने अभिनेता सोनू सूद को इस फिल्म के लिए अप्प्रोच किया है।
अगर सूत्रों की माने तो सोनू यह फिल्म पिछले हफ्ते ही ऑफर हुई है और यह फिल्म साल के अंत तक फ्लोर पर जायेगी।
सूत्रों का कहना है " सोनू इस फिल्म में दिलचस्पी रखते है , और मेकर्स चाहते है सोनू स्क्रिप्ट पढ़े और जल्द ही इस पर काम शुरू हो। सोनू को अगर यह स्क्रिप्ट पसंद आई तो वे जल्द ही फाइनल कॉल करेंगे।
सोनू कहते है " हा मुझे इस फिल्म के लिए प्रस्ताव मिला है जो की दारा सिंह की बायोपिक फिल्म है। में स्क्रिप्ट पढूंगा और जल्द ही इस पर सही निर्णय लूंगा।
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हस्तियां
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लंदन इंडियन फिल्म फेस्टिवल में फिल्म ३१ अक्टूबर ने बटोरी वाहवाही
फिल्म 31st ऑक्टोबर की स्टारकास्ट सोहा अली खान, वीरदास , फिल्म के राइटर प्रोडूसर सचदेव और डायरेक्टर शिवाजी लोटन पाटिल इन दिनों लंदन फिल्म फेस्टिवल के लिए लंदन में मौजूद है और गर्व को बात यह की इस फिल्म को वहां पर बहुत अच्छा रेस्पॉन्स मिल रहा है, लोग इस फिल्म की जमकर तारीफ कर रहे हैं
यह फिल्म ३१ अक्टूबर १९८४ की जब दो सिख बॉडीगुर्द ने मिलकर इंदिरा गांधी की हत्या कर दिया था जिसने पूरा पोलिटिकल सेनारिओ को ही हिलाकर रख दिया और जिसकी वजह से लोगो का नजरिया एक विशेष समुदाय के लिए पूरी तरह से बदल गया . वास्तविक जीवन पर आधारित इस फिल्म माध्यम से लोगो को तांत्रिक चालाकियों के और उस दिन दिल्ली के लोगो ने क्या देखा यह दर्शाया है, इस फिल्म को लंदन इंडियन फिल्म फेस्टिवल में स्पेशल स्क्रिीनिंग के लिए चुना गया.
फिल्म की अच्छी प्रतिक्रिया के बाद अभिनेता वीर दास का कहना है की " वहां पर मेरा अनुभव बहुत ही बेहतरीन रहा, समारोह में लोगो से बातचीत के दौरान मैंने लोगो को बताया की मैं इस तरह के समारोह में जल्दी हिस्सा नहीं लेता लेकिन ३१ अक्टूबर एक ऐसी फिल्म है जिसे लंदन इंडियन फिल्म फेस्टिवल जैसे प्लेटफार्म पर दिखाना फिल्म के लिए ज़रूरी है, यह फिल्म एक साधारण परिवार की कहानी है , यह कहानी है की किस तरह आप अपने परिवार को बचने के लिए हर मुमकिन कोशिश करते हैं
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फिल्म फेस्टिवल
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फिल्म 'ज़ुबान' का फर्स्ट लुक
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Poster
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पंद्रह साल बाद मनोज बाजपाई के साथ रवीना टंडन
भारतीय स्वतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर रवीना टंडन और मनोज बाजपाई एक साथ। एक साथ अक्स और शूल जैसी फ़िल्में कर चुकी मनोज बाजपाई और रवीना टंडन की जोड़ी पूरे १४ साल बाद नज़र आएगी। इस जोड़ी ने जागो, एलओसी कारगिल और घात फिल्मों में भी साथ काम किया। ज़ाहिर है कि १४ साल बाद मनोज और रवीना का एक लघु फिल्म 'जय हिन्द' के लिए यह मिलन काफी उत्तेजना से भरा हुआ था । स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज़ादी का महत्त्व बताने वाली इस फिल्म की शूटिंग दक्षिण मुंबई में हुई। इस जोड़ी ने फिल्म की शूटिंग दो दिन में पूरी कर डाली। प्रतिभावान मनोज बाजपाई और रवीना टंडन का एक साथ आना सनसनीखेज होता है। इन दोनों ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत रखे हैं। रवीना टंडन ने २००२ में रिलीज़ फिल्म दमन के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत रखा है । जबकि, मनोज बाजपाई ने पहले १९९९ में रामगोपाल वर्मा की फिल्म 'सत्या' के लिए श्रेष्ठ सह अभिनेता का तथा उसके बाद २००४ में पिंजर के लिए स्पेशल जूरी अवार्ड जीता है। चौदह साल बाद रवीना टंडन के साथ फिर शूटिंग करने को लेकर मनोज बाजपाई कहते हैं, "रवीना मेरी अच्छी दोस्त है। हम दोनों की पिछली फिल्म दो दशक पहले शूट हुई थी। लेकिन, मेरे और रवीना के बीच कम्फर्ट वही बना हुआ है। इस फिल्म का मैसेज बहुत स्ट्रांग है। मुझे उम्मीद है कि पब्लिक इसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा।"
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हस्तियां
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देसी टैलेंट के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच
डिजिटल प्रसारण नेटवर्क/मल्टी चैनल नेटवर्क 'क्युकी' की स्थापना शेखर कपूर, समीर बंगारा और एआर रहमान द्वारा की गई है। रचनाकारों]की रचनाओं के वीडियो यूट्यूब और अन्य नेटवर्क पर वितरित करने और बौद्धिक सम्पदा स्थायी बनाने के उद्देश्य से रचनाकारों के साथ काम करता है। इसके तहत मशहूर संगीतकार और मल्टीचैनल नेटवर्क 'क्युकी' के सह-संस्थापक ए.आर. रहमान ने अपने नए बैंड नफ़्स के पहले म्यूजिक वीडियो का शुभारंभ किया । रहमान द्वारा संस्थापित और गठित इस बैंड ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिहाज़ से एक मौलिक पहल की है । एकपेल्ला शैली से प्रभावित और एक अलग धड़कते मुखर लय और सजीव धीमी स्वर लहरी को समेटे यह बैंड वास्तव में भविष्य की आवाज़ है। डलास क्वायर के पुरुस्कार विजेता संगीतकार, अरेंजर और संचालक अर्जुन चंडी को नई प्रतिभाओं की प्रतिभा को मांजने और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए ख़ास तौर पर बुलाया गया है। अपने बैंड पर ए आर रहमान टिप्पणी करते हुए कहते हैं,"नफ़्स का अंतिम लक्ष्य खुशियां बांटना है। यह भारत और विदेशों में अपने दर्शकों के लिए एक विज़ुअल ट्रीट होगा।"
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गीत संगीत
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Tuesday, 11 August 2015
मिशन इम्पॉसिबल की इंडियन बॉक्स ऑफिस पर धूम
भारतीय बॉक्स ऑफिस पर ४२ करोड़ का वीकेंड बना कर टॉम क्रूज़ की एक्शन फिल्म 'मिशन: इम्पॉसिबल- रोग नेशन' पैरामाउंट पिक्चर्स के लिए इस क्षेत्र में सबसे अच्छी ओपनिंग लेने वाली फिल्म बन चुकी है। रोग नेशन टॉम क्रूज़ की मिशन इम्पॉसिबल सीरीज की पांचवी फिल्म है। अभी तक इस सीरीज की किसी फिल्म ने इससे अच्छा बिज़नेस नहीं किया है। मिशन : इम्पॉसिबल सीरीज की फिल्म घोस्ट प्रोटोकॉल ने २०११ में ३० करोड़ ८३ लाख का बिज़नेस किया था। इस लिहाज़ से २००६ में रिलीज़ फिल्म 'मिशन : इम्पॉसिबल ३' ने ३ करोड़ ४२ लाख का मामूली कलेक्शन किया था। हालाँकि, १० साल पहले हॉलीवुड की फिल्मों का भारत में इतना क्रेज नहीं था। यही कारण है कि हिंदुस्तान में हॉलीवुड फिल्मों के माहौल को बनाने के लिए खुद टॉम क्रूज़ भारत आये थे। अलबत्ता, मिशन : इम्पॉसिबल रोग नेशन का सीरीज की फिल्मों द्वारा भारतीय दर्शकों में इतनी जल्दी पकड़ बना लेना दिलचस्प है। यही कारण है कि रोग नेशन उर्फ़ दुष्ट राष्ट्र का यह कलेक्शन किसी हॉलीवुड फिल्म के इंडिया कलेक्शन के लिहाज़ से चौथा सबसे बड़ा कलेक्शन है। हॉलीवुड की जिन तीन फिल्मों फ़ास्ट एंड फुरियस ७, अवेंजर्स: एज ऑफ़ अल्ट्रान और जुरैसिक वर्ल्ड ने रोग नेशन से ज़्यादा कलेक्शन किया है, वह सभी इसी साल रिलीज़ हुई हैं। मिशन : इम्पॉसिबल रोग नेशन भारत में एक हज़ार स्क्रीन में तमिल तेलुगु और हिंदी में रिलीज़ हुई है ।
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बॉक्स ऑफिस पर
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