चीन के टेलीविज़न पर दूसरा महायुद्ध छाने जा रहा है। चीन के मीडिया वाचडॉग ने यह घोषणा की है कि सोमवार से दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान चीन पर जापानियों के आक्रमण के विरुद्ध चीन के लोगों के विरोध को दिखाने वाली तीन कार्टून फ़िल्में प्रसारित की जाएंगी। इन कार्टून फीचर का निर्माण प्रेस, पब्लिकेशन, रेडियो, फ़िल्म एवं टेलीविज़न प्रशासन द्वारा किया गया है। चीन इस साल द्वितीय विश्व युद्ध ७० वी जयन्ती जोर शोर से मनाने जा रहा है। इन कार्टून फिल्मों के निर्माताओं के अनुसार अप्रैल में चीन में आठ से दस साल के १००५ छात्रों के बीच एक सर्वे किया गया था। इसमे मालूम पड़ा कि ५५ प्रतिशत छात्र द्वितीय विश्व युद्ध में चीन के लोगों के योग दान के बारे में कुछ नहीं जानते। ८८ छात्र तो ऐसे थे, जिन्हे अपने देश के किसी स्वतंत्रता सेनानियों का नाम तक नहीं मालूम था। इन तीनों कार्टून फीचर फिल्मों में छात्रों को इन तथ्यों से अवगत कराया जायेगा। ऎसी एक द्वितीय विश्व युद्ध की कहानी 'टनल वारफेयर' में दिखाया गया है कि चीनी लोगों द्वारा दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानी आक्रमण के बाद सुरंगों में घुस कर बचने और दुश्मनों का नाश करने में इन सुरंगो का किस प्रकार उपयोग किया गया था। सरकार का उद्देश्य इन कार्टून फिल्मों से युवाओं को चीन के इतिहास को समझाना है ताकि उनका चारित्रिक विकास हो और वह ऐतिहासिक तथ्यों की तोड़ मरोड़ से प्रभावित न हों।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday, 16 August 2015
दूसरे विश्व युद्ध पर तीन चीनी कार्टून फ़िल्में
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सरहद पार
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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