हालिया रिलीज़ फिल्म 'रहस्य' के निर्देशक मनीष गुप्ता ने विशाल भरद्वाज पर आरोप लगाया है कि विशाल मेरी फिल्म कोई नुक्सान पहुंचाने के लिए तलवार दम्पति के साथ सांठ गाँठ कर रहे थे। दरअसल, विशाल भरद्वाज २००८ में हुए कुख्यात आरुषि हत्याकांड पर फिल्म बनाना चाहते थे। इसके लिए वह तलवार दम्पति और उनके वकील के लगातार संपर्क में थे। लेकिंन, मनीष गुप्ता ने इस कांड पर फिल्म 'रहस्य' आठ महीनों में पूरी कर ली। विशाल भरद्वाज रहस्य के पहले बना लिए जाने से मनीष से नाराज़ थे। इसीलिए उन्होंने रहस्य को रुकवाने में तलवार दम्पति का साथ दिया। यानि यह मामला साफ़ तौर पर एक विषय पर फिल्म बनाये जाने से पैदा दुश्मनी थी। इसके बावजूद फिल्म निर्देशक और गीतकार गुलज़ार की बेटी मेघना गुलजार इसी आरुषि मर्डर केस पर फिल्म 'तलवार' का निर्माण कर रही हैं।
२८ अगस्त को जब दर्शक कबीर खान की फिल्म 'फैंटम' देख रहे होंगे, उन्हें फिल्म कहीं देखी हुई सी लगेगी। दर्शकों को याद आयेगी निर्देशक नीरज पाण्डेय की अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म 'बेबी' की। इन दोनों फिल्मों के कथानक में काफी समानता है। केवल नीरज पाण्डेय और कबीर खान के स्टोरी ट्रीटमेंट में ही फर्क होगा। फैंटम की पृष्ठभूमि भी मुंबई के २६/११
अटैक और वैश्विक आतंकवाद पर फिल्म है। जहाँ बेबी का अजय राजपूत आतंकवादियों के पीछे इंस्तांबुल, नेपाल, अबु धाबी, आदि देशों तक पहुँचता था, वहीँ फैंटम का दनयाल खान भी यूरोप, अमेरिका और आतंकवाद की नर्सरी पश्चिम एशिया तक जाता दिखाया जायेगा। 'बेबी' की तापसी पन्नू की तरह फैंटम में भी कटरीना कैफ सैफ की मदद करने वाली स्पेशल एजेंट बनी हैं। इन्ही सब समानताओं के कारण फैंटम की रिलीज़ अप्रैल से अगस्त कर दी गई।
'ओह माय गॉड' ! 'पीके' भी !!
अभी बहुत पीछे जाने की ज़रुरत नहीं। आमिर खान और राजकुमार हिरानी की जोड़ी की फिल्म 'पीके' और अक्षय कुमार और उमेश शुक्ल की फिल्म ओएमजी :ओह माय गॉड की कहानी बिलकुल सामान थी। फर्क केवल यह था कि जहाँ फिल्म का मुख्य चरित्र धार्मिक
कठमुल्लों को अदालत तक घसीट कर उनका पर्दाफाश करता हैं, वहीँ पीके में यह काम एक एलियन पीके करता है। ओएमजी गंभीर और विचारवान फिल्म थी। वहीँ पीके कॉमेडी में सनी एक हलकी फुल्की सामान्य कॉमेडी फिल्म थी। विवादों और हिन्दू धर्म पर ज़्यादा प्रहार करने के कारण यह फिल्म हिट हो गई।
बॉलीवुड में कहानियों का टोटा हो गया लगता है। तभी तो एक एक बाद एक सामान कथानकों पर फ़िल्में बनाई जाने लगी है। अब यह बात दीगर है कि एक फिल्म के बाद दूसरी फिल्म की रिलीज़ पर वक़्त लगाने और निर्देशक तथा कलाकारों की भिन्नता के कारण दर्शक ज़्यादा प्रभावित नहीं होते। २००९ में रिलीज़ कबीर खान की जॉन अब्राहम, कटरीना कैफ और नील नितिन मुकेश की फिल्म न्यू यॉर्क और रेंसिल डि सिल्वा की सैफ अली खान, करीना कपूर और विवेक ओबेरॉय की फिल्म कुर्बान की कहानी में भी काफी समानता थी। अब यह बात दीगर है कि कुर्बान को बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिली। न्यू यॉर्क ने पहले रिलीज़ हो कर विषय की नवीनता का फायदा उठा लिया।
अनारकली बनाम मुग़ल ए आज़म
सामान विषय पर फ़िल्में बॉलीवुड का कोई नया ट्रेंड नहीं। कोई साठ साल पहले के आसिफ ने अपनी सलीम अनारकली की मोहब्बत की दास्ताँ पर फिल्म बनाने का ऐलान किया था। इस फिल्म के लिए दिलीप कुमार, मधुबाला और पृथ्वीराज कपूर को साइन किया गया। मुग़ल ए आज़म अभी लेखन के स्तर पर थी कि फिल्म की कहानी लीक हो गई। फिल्मिस्तान ने अनारकली के लिए जहांगीर के मुग़ल बादशाह विरुद्ध विद्रोह की कहानी पर फिल्म लिखवा कर १९५३ में अनारकली टाइटल से रिलीज़ करवा दी। इस फिल्म में प्रदीप कुमार ने सलीम, बीना रॉय ने अनारकली और मुबारक ने अकबर का किरदार किया था। नन्दलाल जसवंतलाल के निर्देशन मे फिल्म अनारकली के सी रामचन्द्र और वसंत प्रकाश के संगीत से सजे गीत सुपर हिट हो गए। अनारकली उस साल १९५३ की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। एक ही कथानक के बावजूद के आसिफ ने मुग़ल ए आज़म बंद नहीं की। आसिफ को आम तौर पर फिल्म बनाने में काफी वक़्त लगता था। वह परफेक्शन पसंद फिल्मकार थे। इसलिए, उन्हें मुग़ल ए आज़म बनाने में काफी वक़्त लगा। मुग़ल ए आज़म ५ अगस्त १९६० को रिलीज़ हुई। नौशाद के संगीत से सजी यह फिल्म भी बड़ी हिट फिल्म साबित हुई।
के आसिफ ने तो अपना प्रोजेक्ट ख़त्म नहीं किया। लेकिन, राजकुमार हिरानी को फिल्म मुन्नाभाई चले अमेरिका बनाने का इरादा छोड़ना पड़ा। वह लगे रहो मुन्नाभाई के बाद संजय दत्त और अरशद वारसी की जोड़ी के साथ 'मुन्नाभाई चले अमेरिका बनाना चाहते थे। विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 'एकलव्य' के साथ फिल्म का टीज़र भी रिलीज़ किया गया। लेकिन, तभी हिरानी को पता चला कि करण जौहर भी इसी से मिलते जुलते सब्जेक्ट पर के सीरियस फिल्म 'माय नाम इज़ खान' बनाने जा रहे हैं। इस पर उन्होंने 'मुन्नाभाई चले अमेरिका' बनाने का इरादा छोड़ दिया। कुछ ऐसा ही मधुर भंडारकर ने भी किया। वह एक बार गर्ल के राजनीतिज्ञ बनने की कहानी पर फिल्म 'मैडमजी' बनाने जा रहे थे। उनकी फिल्म में प्रियंका चोपड़ा मुख्य भूमिका में थी। लेकिन, तभी उन्हें मालूम पड़ा कि केसी बोकाडिया की फिल्म 'डर्टी पॉलिटिक्स' का विषय भी सामान है। पिछले दिनों रिलीज़ फिल्म 'डर्टी पॉलिटिक्स' में मल्लिका शेरावत ने जो भूमिका की थी, वही प्रियंका चोपड़ा करने वाली थी।
आशुतोश गोवारिकर की फिल्म खेले हम जी जान से और अनुराग कश्यप की बेदब्रत पैं निर्देशित चट्टगांव की कहानियाँ मानिनी चटर्जी की किताब डू ऑर डाई : द चिट्टगांव अपराइजिंग १९३-४० पर आधारित थी। हालाँकि, आशुतोष गोवारिकर ने इस किताब पर फिल्म बनाने के अधिकार मानिनी से खरीद लिए थे। लेकिन, अनुराग कश्यप ने भी इसी विषय पर फिल्म बनाना शुरू कर दिया। अब यह बात दीगर है कि अभिषेक बच्चन और दीपिका पादुकोण की फिल्म खेले हम जी जान से पहले रिलीज़ हो कर बुरी तरह से असफल हो गई। अनुराग कश्यप ने आरोप लगाया कि अमिताभ बच्चन ने अपने रसूख का फायदा उठा कर उनकी फिल्म रिलीज़ नहीं होने दी।
२८ अगस्त को जब दर्शक कबीर खान की फिल्म 'फैंटम' देख रहे होंगे, उन्हें फिल्म कहीं देखी हुई सी लगेगी। दर्शकों को याद आयेगी निर्देशक नीरज पाण्डेय की अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म 'बेबी' की। इन दोनों फिल्मों के कथानक में काफी समानता है। केवल नीरज पाण्डेय और कबीर खान के स्टोरी ट्रीटमेंट में ही फर्क होगा। फैंटम की पृष्ठभूमि भी मुंबई के २६/११
अटैक और वैश्विक आतंकवाद पर फिल्म है। जहाँ बेबी का अजय राजपूत आतंकवादियों के पीछे इंस्तांबुल, नेपाल, अबु धाबी, आदि देशों तक पहुँचता था, वहीँ फैंटम का दनयाल खान भी यूरोप, अमेरिका और आतंकवाद की नर्सरी पश्चिम एशिया तक जाता दिखाया जायेगा। 'बेबी' की तापसी पन्नू की तरह फैंटम में भी कटरीना कैफ सैफ की मदद करने वाली स्पेशल एजेंट बनी हैं। इन्ही सब समानताओं के कारण फैंटम की रिलीज़ अप्रैल से अगस्त कर दी गई।
'ओह माय गॉड' ! 'पीके' भी !!
अभी बहुत पीछे जाने की ज़रुरत नहीं। आमिर खान और राजकुमार हिरानी की जोड़ी की फिल्म 'पीके' और अक्षय कुमार और उमेश शुक्ल की फिल्म ओएमजी :ओह माय गॉड की कहानी बिलकुल सामान थी। फर्क केवल यह था कि जहाँ फिल्म का मुख्य चरित्र धार्मिक
कठमुल्लों को अदालत तक घसीट कर उनका पर्दाफाश करता हैं, वहीँ पीके में यह काम एक एलियन पीके करता है। ओएमजी गंभीर और विचारवान फिल्म थी। वहीँ पीके कॉमेडी में सनी एक हलकी फुल्की सामान्य कॉमेडी फिल्म थी। विवादों और हिन्दू धर्म पर ज़्यादा प्रहार करने के कारण यह फिल्म हिट हो गई।
बॉलीवुड में कहानियों का टोटा हो गया लगता है। तभी तो एक एक बाद एक सामान कथानकों पर फ़िल्में बनाई जाने लगी है। अब यह बात दीगर है कि एक फिल्म के बाद दूसरी फिल्म की रिलीज़ पर वक़्त लगाने और निर्देशक तथा कलाकारों की भिन्नता के कारण दर्शक ज़्यादा प्रभावित नहीं होते। २००९ में रिलीज़ कबीर खान की जॉन अब्राहम, कटरीना कैफ और नील नितिन मुकेश की फिल्म न्यू यॉर्क और रेंसिल डि सिल्वा की सैफ अली खान, करीना कपूर और विवेक ओबेरॉय की फिल्म कुर्बान की कहानी में भी काफी समानता थी। अब यह बात दीगर है कि कुर्बान को बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिली। न्यू यॉर्क ने पहले रिलीज़ हो कर विषय की नवीनता का फायदा उठा लिया।
अनारकली बनाम मुग़ल ए आज़म
सामान विषय पर फ़िल्में बॉलीवुड का कोई नया ट्रेंड नहीं। कोई साठ साल पहले के आसिफ ने अपनी सलीम अनारकली की मोहब्बत की दास्ताँ पर फिल्म बनाने का ऐलान किया था। इस फिल्म के लिए दिलीप कुमार, मधुबाला और पृथ्वीराज कपूर को साइन किया गया। मुग़ल ए आज़म अभी लेखन के स्तर पर थी कि फिल्म की कहानी लीक हो गई। फिल्मिस्तान ने अनारकली के लिए जहांगीर के मुग़ल बादशाह विरुद्ध विद्रोह की कहानी पर फिल्म लिखवा कर १९५३ में अनारकली टाइटल से रिलीज़ करवा दी। इस फिल्म में प्रदीप कुमार ने सलीम, बीना रॉय ने अनारकली और मुबारक ने अकबर का किरदार किया था। नन्दलाल जसवंतलाल के निर्देशन मे फिल्म अनारकली के सी रामचन्द्र और वसंत प्रकाश के संगीत से सजे गीत सुपर हिट हो गए। अनारकली उस साल १९५३ की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। एक ही कथानक के बावजूद के आसिफ ने मुग़ल ए आज़म बंद नहीं की। आसिफ को आम तौर पर फिल्म बनाने में काफी वक़्त लगता था। वह परफेक्शन पसंद फिल्मकार थे। इसलिए, उन्हें मुग़ल ए आज़म बनाने में काफी वक़्त लगा। मुग़ल ए आज़म ५ अगस्त १९६० को रिलीज़ हुई। नौशाद के संगीत से सजी यह फिल्म भी बड़ी हिट फिल्म साबित हुई।
के आसिफ ने तो अपना प्रोजेक्ट ख़त्म नहीं किया। लेकिन, राजकुमार हिरानी को फिल्म मुन्नाभाई चले अमेरिका बनाने का इरादा छोड़ना पड़ा। वह लगे रहो मुन्नाभाई के बाद संजय दत्त और अरशद वारसी की जोड़ी के साथ 'मुन्नाभाई चले अमेरिका बनाना चाहते थे। विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 'एकलव्य' के साथ फिल्म का टीज़र भी रिलीज़ किया गया। लेकिन, तभी हिरानी को पता चला कि करण जौहर भी इसी से मिलते जुलते सब्जेक्ट पर के सीरियस फिल्म 'माय नाम इज़ खान' बनाने जा रहे हैं। इस पर उन्होंने 'मुन्नाभाई चले अमेरिका' बनाने का इरादा छोड़ दिया। कुछ ऐसा ही मधुर भंडारकर ने भी किया। वह एक बार गर्ल के राजनीतिज्ञ बनने की कहानी पर फिल्म 'मैडमजी' बनाने जा रहे थे। उनकी फिल्म में प्रियंका चोपड़ा मुख्य भूमिका में थी। लेकिन, तभी उन्हें मालूम पड़ा कि केसी बोकाडिया की फिल्म 'डर्टी पॉलिटिक्स' का विषय भी सामान है। पिछले दिनों रिलीज़ फिल्म 'डर्टी पॉलिटिक्स' में मल्लिका शेरावत ने जो भूमिका की थी, वही प्रियंका चोपड़ा करने वाली थी।
आशुतोश गोवारिकर की फिल्म खेले हम जी जान से और अनुराग कश्यप की बेदब्रत पैं निर्देशित चट्टगांव की कहानियाँ मानिनी चटर्जी की किताब डू ऑर डाई : द चिट्टगांव अपराइजिंग १९३-४० पर आधारित थी। हालाँकि, आशुतोष गोवारिकर ने इस किताब पर फिल्म बनाने के अधिकार मानिनी से खरीद लिए थे। लेकिन, अनुराग कश्यप ने भी इसी विषय पर फिल्म बनाना शुरू कर दिया। अब यह बात दीगर है कि अभिषेक बच्चन और दीपिका पादुकोण की फिल्म खेले हम जी जान से पहले रिलीज़ हो कर बुरी तरह से असफल हो गई। अनुराग कश्यप ने आरोप लगाया कि अमिताभ बच्चन ने अपने रसूख का फायदा उठा कर उनकी फिल्म रिलीज़ नहीं होने दी।
कुछ और सामान विषय वाली फ़िल्में
एक ही विषय पर दो फिल्मों का सिलसिला जारी है। अभिषेक चौबे की फिल्म उड़ता पंजाब और लव रंजन की फिल्म वाइल्ड वाइल्ड पंजाब के विषय पंजाबी युवा और उनकी परेशानियां हैं। अभिषेक चौबे की फिल्म में शाहिद कपूर, करीना कपूर और अलिया भट्ट और लव रंजन की फिल्म में पंजाबी फिल्मों के सितारे गिप्पी ग्रेवाल मुख्य भूमिका के रहे हैं। इन दोनों ही फिल्मों की शूटिंग आसपास ही शुरू हुई है। अब देखने वाली बात कि कौन फिल्म पहले रिलीज़ होती है।
एक ही विषय पर दो फिल्मों का सिलसिला जारी है। अभिषेक चौबे की फिल्म उड़ता पंजाब और लव रंजन की फिल्म वाइल्ड वाइल्ड पंजाब के विषय पंजाबी युवा और उनकी परेशानियां हैं। अभिषेक चौबे की फिल्म में शाहिद कपूर, करीना कपूर और अलिया भट्ट और लव रंजन की फिल्म में पंजाबी फिल्मों के सितारे गिप्पी ग्रेवाल मुख्य भूमिका के रहे हैं। इन दोनों ही फिल्मों की शूटिंग आसपास ही शुरू हुई है। अब देखने वाली बात कि कौन फिल्म पहले रिलीज़ होती है।
३१ जुलाई को अजय देवगन की फिल्म 'दृश्यम' रिलीज़ होगी। इस फिल्म की कहानी ३ जुलाई को रिलीज़ कमल हासन की फिल्म 'पापनाशम' से मिलती जुलती है। क्योंकि यह दोनों ही फिल्मे २०१३ में हिट मलयाली फिल्म 'दृश्यम' पर आधारित हैं। इस फिल्म पर २०१४ में दो फ़िल्में कन्नड़ दृश्य और तेलुगु दृश्यम बनाई गई थी। इस बारे में अजय देवगन की फिल्म 'दृश्यम' के निर्देशक निशिकांत कामथ कहते हैं, "मेरी फिल्म का ट्रीटमेंट 'पापनाशम्' से अलग होगा। दृश्यम का विषय ऐसा है, जिस पर कितनी भी भाषाओँ में फ़िल्में बनाई जा सकती है। मलयाली दृश्यम पर तेलुगु और कन्नड़ में फ़िल्में बनाई गई और सभी फ़िल्में हिट हुई।"
राजेंद्र कांडपाल
No comments:
Post a Comment