फिल्म निर्माता निर्देशक केतन मेहता ने अपनी फिल्म 'माझी : द माउंटेन मैन' के प्रमोशन का अजब आईडिया ईज़ाद किया है। वह आजकल अपनी मांझी-टीम को लेकर शहर घूम रहे हैं और उस शहर माँझियों यानि उन हस्तियों को जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी बिना साहस खोये ऐसा काम क्या, जिसने उन्हें समाज में अमर कर दिया। मांझी द माउंटेन मैन की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो पहाड़ काट कर रास्ता बनाता है। फिल्म में नाज़ुद्दीन सिद्दीकी मांझी की भूमिका में हैं। सुभाषिनी मिस्त्री एक ऐसा नाम है, जिसे कलकत्ता में मांझी के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में मांझी द माउंटेन मेन की टीम प्रमोशन के लिए कोलकत्ता पहुंची। टीम ने सुभाषिनी मिस्त्री से मुलाकात की। इस दौरान सुभाषिनी ने मांझी के टीम से बाते की। बातचीत में मालूम हुआ कि सुभाषिनी जिंदगी में बहुत कष्ट से आगे आयी है। २३ साल की उम्र में उनका पति का साथ छूट गया। क्यूंकि वह अपने पति के इलाज का खरचा उठा न सकी। पति के जाने के बावजूद उन्होंने मूड कर नहीं देखा। बच्चो के पालन पोषण के लिए उन्होंने सब्जियां बेचीं तथा घरो में बर्तन तक माँझे । कुछ सालो बाद उन्होंने एक बीघा जमीन खरीदी और उस पर एक अस्पताल बनाया।इस हॉस्पिटल में गरीब से गरीब लोगो का मुफ्त इलाज़ किया जाता है। अब सुभाषिनी के दो अस्पताल है। एक अस्पताल में उनका एक बेटा खुद डॉक्टर है। यहाँ तक पहुंच ने के लिए सुभाषिनी ने ४७ साल कड़ी मेहनत की है। वह अब तक़रीबन ७० साल की है और समाज सेवा से जुडी हुई है। पश्चिम बंगाल सरकार उन्हें अपना गौरव मानती है।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday, 11 August 2015
कोलकाता की 'मांझी'
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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