गोल्डनऑय की बांड गर्ल इजाबेला स्कोप्कोबांड सीरीज की १९९५ में रिलीज़ फिल्म 'गोल्डनऑय' में रशियन एयर फ़ोर्स में काम करने वाली नताल्या सिमोनोवा का किरदार करने वाली इजाबेला स्कोप्को पोलिश-स्वीडिश मूल की अभिनेत्री, गायिका और मॉडल हैं। केवल १८ साल की उम्र में इमें कान अलास्का सोम वि से फिल्म डेब्यू करने वाली नताल्या ने अभी तक को डेढ़ दर्जन फ़िल्में और टीवी सीरीज की हैं। उनके चार सिंगल्स और एक एल्बम निकल चुके है। पिछले साल वह स्लीपवॉकर फिल्म में नज़र आई थी। जेम्स बांड की रूसी बांड गर्ल ४ जून १९७० को जन्मी थी।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday, 4 June 2016
गोल्डनऑय की बांड गर्ल इजाबेला स्कोप्को
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Hollywood
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
जब मोहम्मद रफ़ी ने किया मोहम्मद अली को पंच
यह वाक़या १९७९ का है। मोहम्मद रफ़ी अमेरिका में १४ शहरों के टूर पर थे। वह महान बॉक्सर मोहम्मद अली के प्रशंसक थे। मोहम्मद रफ़ी के एक प्रशंसक ने रफ़ी और अली को रु-ब- करवा दिया। मोहम्मद रफ़ी और मोहम्मद अली पूरे ४५ मिनट बॉक्सिंग और म्यूजिक पर बातचीत करते रहे। बातचीत ख़त्म होने के बाद दोनों ने साथ फोटो खिंचाने की इच्छा ज़ाहिर की। अली ने रफ़ी को सुझाव दिया कि रफ़ी उन्हें पंच करे, बदले में अली रफ़ी को पंच करेंगे। हँसते हुए दोनों ने यह बॉक्सिंग पोज़ कैमराबंद करवाया। रफ़ी के उस समय १८ साल के बेटे शाहिद ने यह फोटो खींचा। मोहम्मद अली के प्रशंसकों में लता मंगेशकर का नाम भी शामिल है। लता ने अली की मृत्यु पर शोक जताते हुए, ट्विटर पर एक फ्लाइट के दौरान अली से मिलने का ज़िक्र किया और अपनी और अपनी भतीजी की अली के साथ फोटो भी ट्वीट की। मिथुन चक्रवर्ती भी मोहम्मद अली के प्रशंसक थे। उन्हें अपने योगिता बाली से बेटे का नाम माइकल जैक्सन और मोहम्मद के नामों की शुरूआती स्पेलिंग मिलाते हुए मिमोह रखा था। बॉलीवुड की कई हस्तियों शाहरुख़ खान, अभिषेक बच्चन, अनुष्का शर्मा, रणदीप हूडा, अली अब्बास ज़फर, राणा डग्गुबाती, साजिद खान, फरहान अख्तर, कुणाल कोहली, अथिया शेट्टी, अर्जुन कपूर, आदि ने अपनी संवेदनाएं ट्वीट की ।
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श्रद्धांजलि,
हस्तियां
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
अंधे और लंगड़े लड़कों की 'दोस्ती'
६ नवंबर १९६४ को
राजश्री प्रोडक्शन्स से एक फिल्म दोस्ती रिलीज़ हुई थी। सत्येन बोस निर्देशित यह फिल्म एक बांगला फिल्म
'ललू-भुलु' का हिंदी रीमेक थी। इस फिल्म से दो नए चहरे सुधीर कुमार और सुशील
कुमार का हिंदी दर्शकों से परिचय हुआ था।
सुधीर कुमार ने अंधे लडके मोहन की भूमिका की थी, जो सडकों पर गीत गा कर अपने लंगड़े दोस्त रामू को
पढ़ाना चाहता है। रामू की भूमिका सुशील
कुमार ने की थी। दोस्ती अभिनेता संजय खान
की डेब्यू फिल्म थी। फिल्म में मोहन की
नर्स बहन और संजय खान की प्रेमिका की भूमिका करने वाली मराठी एक्ट्रेस उमा राव की
भी यह पहली फिल्म थी। बेबी फरीदा ने एक
बीमार बच्ची और रामू और मोहन की दोस्त का किरदार किया था। बेबी फरीदा अब बड़ी हो कर दादी बन गई हैं। उन्हें टीवी और फिल्मों में आज भी देखा जा सकता
है। लेकिन, सबसे ज़्यादा दिलचस्प है दोनों अंधे और लंगड़े
लड़कों का किरदार करने वाले लड़कों के बारे में।
जब फिल्म रिलीज़ हुई और बड़ी हिट साबित हुई तो उस समय यह अफवाह उडी की इन
दोनों का किसी बड़े एक्टर ने खुन्नस में मर्डर करवा दिया, क्योंकि यह उससे ज़्यादा लोकप्रिय हो गए थे। यह भी अफवाह थी कि यह सड़क दुर्घटना में मारे
गए। लेकिन, यह सब अफवाहे थी। अलबत्ता इन दोनों का करियर लंबा नहीं चल
सका। सुशील कुमार को फिल्मों से मोह-भंग
हो गया था। क्योंकि, फिल्म निर्माता इन
दोनों का स्क्रीन टेस्ट लेते। पर फाइनल
कभी नहीं कर पाते। राजश्री के ताराचंद बड़जात्या इन दोनों को लेकर अगली फिल्म बनाना
चाहते थे। इन माहवार तनख्वाह भी दी जा रही
थी। लेकिन, तभी सुधीर कुमार को एवीएम की फिल्म लाडला का ऑफर
मिला। सुधीर ने इस फिल्म को राजश्री प्रोडक्शन के साथ कॉन्ट्रैक्ट के बावजूद
स्वीकार कर लिया। इसके लिए सुधीर को हर्जाना भी देना पड़ा। इससे नाराज़ हो कर ताराचंद बड़जात्या ने वह
प्रोजेक्ट ही ख़त्म कर दिया। हालाँकि, सुधीर कुमार ने बाद में संत ज्ञानेश्वर, लाडला, जीने की राह, आदि फ़िल्में की। लेकिन, तब तक सुशील कुमार का फिल्मों से मोह भंग हो
गया। उन्होंने एयरलाइन्स ज्वाइन कर ली। दुखद
घटना हुई सुधीर कुमार के साथ। हुआ यह कि
१९९३ के बॉम्बे बम ब्लास्ट के बाद बॉम्बे में कर्फ्यू लगा हुआ था। सुधीर कुमार मुर्गा खा रहे थे कि एक हड्डी उनके
गले में फंस गई। उनका गला बुरी तरह से घायल हो गया। कर्फ्यू लगा होने के कारण
उन्हें इलाज भी नहीं मिल पाया। कुछ दिनों
बाद उनकी मृत्यु हो गई। सुशील कुमार ज़रूर स्वस्थ एवं सानन्द अपनी रिटायरमेंट की
ज़िंदगी जी रहे हैं।
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हस्तियां
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Friday, 3 June 2016
जब मिल जाएँ तीन यार !
१९८४ में रिलीज़ अमिताभ बच्चन की फिल्म शराबी में संगीतकार बप्पी लहरी ने एक गीत रचा था- जहाँ चार यार मिल जाएँ वहीँ रात हो गुलजार। हालाँकि, एक अमीर आदमी के शराबी पुत्र की इस कहानी में रोमांस था और उनकी इंस्पेक्टर बने दीपक पराशर की दोस्ती की कहानी थी। इस गाने से एक बात तो साफ़ होती ही है कि जहाँ चार यार मिल जाएँ, वहीँ रात हो गुलजार, लेकिन जब फिल्म की कहानी दो किरदारों की दोस्ती की कहानी है तो यह सोचा जाना लाजिमी है कि जहाँ तीन यार मिल जाएँ तो क्या होता होगा ?
इस हफ्ते निर्माता साजिद नाडियाडवाला की साजिद फरहाद निर्देशित फिल्म हाउसफुल ३ रिलीज़ हो रही है। यह फिल्म तीन दोस्तों सैंडी, बंटी और टेडी की कहानी है। इन भूमिकाओं को अक्षय कुमार, अभिषेक बच्चन और रितेश देशमुख कर रहे हैं। जब तीन यार मिल जाएँ तो रोमांस भरा धमाल तो होना ही है। जी हाँ, हाउसफुल फ्रैंचाइज़ी की इस तीसरी फिल्म में खूब मस्ती और कॉमेडी है। इनके साथ जैक्विलिन फर्नाडीज, नर्गिस फाखरी और लिसा हैडन का ग्लैमर और सेक्स अपील भी है। इसमें कोई शक नहीं कि जब तीन दोस्त मिलते हैं तो गज़ब की कॉमेडी होती है। फिल्म मस्ती हो या ग्रैंड मस्ती या फिर आने वाली ग्रेट ग्रैंड मस्ती, फुल 2 फुलटॉस मस्ती है। इसे आप द्विअर्थी या अश्लील मस्ती भी कह सकते हैं। विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख और आफताब शिवदसानी की दोस्त तिकड़ी हंसाते हंसाते लोटपोट कर देती है। यही कारण है कि निर्देशक लव रंजन की २०११ में रिलीज़ तीन दोस्तों रजत, निशांत और विक्रांत की कॉलेज की दोस्ती की दास्ताँ स्लीपर हिट साबित होती है। बावजूद कार्तिक आर्यन, दिव्येंदु शर्मा और रायो एस बखिर्ता के नए चेहरों के। यहाँ तक कि इस फिल्म का सीक्वल भी हिट साबित होता है। प्रियदर्शन ने २००० में तीन दोस्तों के साथ कॉमेडी को नए आयाम दिए थे। राजू, घनश्याम और बाबूराव गणपत राव आप्टे की इस कॉमेडी चखचख में साफ़ सुथरा हास्य भरा था। अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और परेश रावल ने कॉमेडी का कुछ ऐसा बारूद बनाया था कि हेरा फेरी की फ्रैंचाइज़ी बन गई। फिर हेरा फेरी के बाद खबर थी कि तीसरी फिल्म में अक्षय, सुनील और परेश नहीं होंगे। लेकिन, बात नहीं बनी। निर्माता फ़िरोज़ नाडियाडवाला को इन्हीं तीनों की हेरा फेरी चाहिए। बासु चटर्जी ने १९८२ में तीन बूढ़े दोस्तों की कहानी शौक़ीन में दिखाई थी, जो एक मॉडल पर लाइन मारने लगते हैं। अपनी साफ़ सुथरी कॉमेडी कारण यह फिल्म हिट हुई थी। इसके बाद २०१४ में इस फिल्म का रीमेक पियूष मिश्र, अनुपम खेर और अन्नू कपूर के साथ द शौकीन्स बनाया गया तो दर्शकों ने इसे नापसंद कर दिया। अनीस बज़्मी की फिल्म नो एंट्री इसी फार्मूला पर फिल्म थी। मनमोहन देसाई ने अपनी फिल्मों में तीन दोस्तों के फॉर्मूले को खूब आज़माया।
नज़रिए का फर्क
हॉउसफुल, मस्ती और हेरा फेरी की फ्रैंचाइज़ी फिल्मों की शैली कॉमेडी कॉमेडी और सिर्फ कॉमेडी है। वहीं, कभी लेखक के नज़रिए का फर्क किरदारों के सोचने में फर्क पैदा कर देता है। तीन हँसते खेलते दोस्तों की ज़िन्दगी में गम्भीर मोड़ आ जाता है। तीनों दोस्त किरदार अपने रोमांस के साथ गम्भीर हो जाते हैं। कदाचित इस नज़रिए की शुरुआत फरहान अख्तर ने फिल्म दिल चाहता है से की थी। हँसते, मज़ाक करते और बेपरवाह नज़र आते आमिर खान, सैफ अली खान और अक्षय खन्ना के किरदार खुद की ज़िन्दगी में आये मोड़ से भावुक हो जाते हैं। वह परवाह करने वाले ज़िम्मेदार बन जाते हैं। कुछ ऐसा ही काई पो चे, रंग दे बसंती, रॉक ऑन, ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा में भी देखने को मिलता है। राजकुमार हिरानी की फिल्म ३ इडियट्स इसे शिक्षा की ऊंचाइयों तक पहुंचा देती है। रंग दे बसंती के तीन दोस्त सिस्टम को बदलने के लिए हथियार उठा लेते हैं।
दो लडके एक लड़की : क्या होता है !
जब तीन दोस्त मर्द हो तो धमाल होता है, क्लाइमेक्स में थोड़ी सीरियसनेस भी आती है। लेकिन---अगर इन तीन किरदारों में से कोई एक लड़का या लड़की हो तब ! शायद महबूब खान ने पहली बार फिल्म में इस नज़रिए को दिखाने की कोशिश की थी। फिल्म थी अंदाज़। दोस्त थे दिलीप कुमार, राजकपूर और नर्गिस। क्या दो मर्दों के साथ एक औरत की दोस्ती हो सकती है। महबूब ने यह बताने की कोशिश की थी कि मनमुटाव तो होना ही है। लेकिन, समझदारी बड़े काम की चीज़ है। एक दोस्त को बलिदान देना चाहिए। बलिदान का यह फार्मूला राज कपूर ने फिल्म संगम में भी दिखाया। राजकपूर और वैजयंतीमाला के लिए राजेंद्र कुमार को बलिदान करना पड़ा। इस बलिदान को १९८८ में सनी देओल, अनिल कपूर और श्रीदेवी के साथ सुनील हिंगोरानी ने भी दोहराया। सनी देओल को बलिदान देना पड़ा। लॉरेंस डिसूज़ा की फिल्म साजन में सलमान खान अपने दोस्त संजय दत्त के लिए माधुरी दीक्षित का बलिदान कर देते हैं।
दो लडकिया, एक लड़का : तब क्या होता है !
जब दोस्ती से उपजे रोमांस फिल्मों के किरदारों में थोड़ा फर्क कर दिया जाता है यानि आपस में दोस्त दो लड़कियां एक ही लडके को प्यार करने लगें तो क्या होता हैं ! यहाँ एक ख़ास बात शाहरुख़ खान ने ऐसी कई फिल्मों में काम किया है, जिनमे एक लड़के से दो लड़कियां प्रेम करने लगाती हैं। कुछ कुछ होता है में काजोल और रानी मुख़र्जी, दिल तो पागल में करिश्मा कपूर और माधुरी दीक्षित, देवदास में ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित और जब तक है जान में कैटरिना कैफ और अनुष्का शर्मा के किरदार शाहरुख़ खान के किरदार से प्रेम करती हैं। इन इन दो औरतों में से एक बलिदान देती है। यहां एक ख़ास नुक्ता है । यह बलिदान भारतीयता की झलक मारती नारी के लिए आधुनिक नायिका को देना पड़ता है। कॉकटेल में दीपिका पादुकोण सैफ अली खान को केवल इस कारण से खो देती हैं, क्योंकि वह आधुनिकता के रंग में रंगी थी। मुझसे दोस्ती करोगे में इकलौते ह्रितिक रोशन से रानी मुख़र्जी और करीना कपूर प्यार करती हैं। विदेश से आई करीना कपूर बलिदान करती है। सलमान खान को भी हर दिल जो प्यार करेगा और चोरी चोरी चुपके चुपके जैसी फिल्मों में दो नायिकाएं प्यार करती हैं। इन सभी रोमांस की शुरुआत दोस्ती से ही होती है।
शाहरुख़ खान का हटके अंदाज़
शाहरुख़ खान की रोमांस फिल्मों में दो नायिका भी थी और दो नायक भी। मतलब दो स्त्रियां उनसे रोमांस कराती हैं या उनके साथ दूसरा नायक भी इकलौती नायिका से प्रेम करने लगता है। इस रोमांस में खान दो नए रंग पेश करते हैं। वह बलिदान देना नहीं जानते। बाज़ीगर, डर और अंजाम जैसी फिल्मों में वह खून खराबा करने पर उतर आते हैं। बाज़ीगर में तो वह अपने से प्यार करने वाली शिल्पा शेट्टी की हत्या कर देते हैं और काजोल को भी मारने का प्रयास करते हैं। डर और अंजाम फिल्मों में वह जूही चावला और माधुरी दीक्षित के किरदारों को पाने के लिए खून बहाने से पीछे नहीं हटते ।
ज़ाहिर है कि तीन दोस्तों की दोस्ती धमाल करने वाली होती है। बलिदान भी होता है, लेकिन हाउसफुल ३ में ऐसी कोई गुंजायश नहीं। तीनों नायकों की एक एक नायिका है। आगामी कई फिल्मों में इस प्रकार के कई रंग देखने को मिल सकते हैं। क्योंकि, हिंदी फिल्मों को यार बिना चैन कहाँ रे !
जब हो यार तीन नहीं चार !
जहाँ चार यार मिल जाए, वहां फिल्म धमाल होनी ही है। इंद्रकुमार की धमाल फिल्म सीरीज की सफलता चार यारों की सफलता ही है। सीरीज के चार यार बोमन (आशीष चौधरी), मानव (जावेद जाफरी), आदित्य (अरशद वारसी) और आर्य (रितेश देशमुख) की अपनी फितरत हैं। इसके बावजूद दोनों अच्छे दोस्त हैं। लेकिन, टकरा जाते हैं एक डॉन से। कबीर (संजय दत्त) के आने के बाद उनकी ज़िन्दगी में जो धमाल मचता है, दर्शक उसका खूब मज़ा लेते हैं। अयान मुख़र्जी की फिल्म यह जवानी है दीवानी में कॉलेज के चार दोस्त कबीर, नैना, अवि और अदिति का कॉमेडी रोमांस ड्रामा है। रणबीर कपूर, दीपिका पादुकोण, आदित्य रॉय कपूर और कल्कि कोएच्लिन ने इन किरदारों को जिया था। मृगदीप सिंहलाम्बा की फिल्म फुकरे में हनी,चूचा, लाली और ज़फर के लापरवाह, बेपरवाह और रोमांस में मगन किरदार नज़र आते हैं। इन भूमिकाओं को कर रहे पुलकित सम्राट, वरुण शर्मा, मनजोत सिंह और अली फज़ल की बढ़िया केमिस्ट्री फिल्म को दर्शनीय बना देती है। लेकिन, चार दोस्तों की इस कहानी में खतरनाक मोड़ आता है, जब इन दोस्तों को सिस्टम से टकराना पड़ता है।
अल्पना कांडपाल
इस हफ्ते निर्माता साजिद नाडियाडवाला की साजिद फरहाद निर्देशित फिल्म हाउसफुल ३ रिलीज़ हो रही है। यह फिल्म तीन दोस्तों सैंडी, बंटी और टेडी की कहानी है। इन भूमिकाओं को अक्षय कुमार, अभिषेक बच्चन और रितेश देशमुख कर रहे हैं। जब तीन यार मिल जाएँ तो रोमांस भरा धमाल तो होना ही है। जी हाँ, हाउसफुल फ्रैंचाइज़ी की इस तीसरी फिल्म में खूब मस्ती और कॉमेडी है। इनके साथ जैक्विलिन फर्नाडीज, नर्गिस फाखरी और लिसा हैडन का ग्लैमर और सेक्स अपील भी है। इसमें कोई शक नहीं कि जब तीन दोस्त मिलते हैं तो गज़ब की कॉमेडी होती है। फिल्म मस्ती हो या ग्रैंड मस्ती या फिर आने वाली ग्रेट ग्रैंड मस्ती, फुल 2 फुलटॉस मस्ती है। इसे आप द्विअर्थी या अश्लील मस्ती भी कह सकते हैं। विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख और आफताब शिवदसानी की दोस्त तिकड़ी हंसाते हंसाते लोटपोट कर देती है। यही कारण है कि निर्देशक लव रंजन की २०११ में रिलीज़ तीन दोस्तों रजत, निशांत और विक्रांत की कॉलेज की दोस्ती की दास्ताँ स्लीपर हिट साबित होती है। बावजूद कार्तिक आर्यन, दिव्येंदु शर्मा और रायो एस बखिर्ता के नए चेहरों के। यहाँ तक कि इस फिल्म का सीक्वल भी हिट साबित होता है। प्रियदर्शन ने २००० में तीन दोस्तों के साथ कॉमेडी को नए आयाम दिए थे। राजू, घनश्याम और बाबूराव गणपत राव आप्टे की इस कॉमेडी चखचख में साफ़ सुथरा हास्य भरा था। अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और परेश रावल ने कॉमेडी का कुछ ऐसा बारूद बनाया था कि हेरा फेरी की फ्रैंचाइज़ी बन गई। फिर हेरा फेरी के बाद खबर थी कि तीसरी फिल्म में अक्षय, सुनील और परेश नहीं होंगे। लेकिन, बात नहीं बनी। निर्माता फ़िरोज़ नाडियाडवाला को इन्हीं तीनों की हेरा फेरी चाहिए। बासु चटर्जी ने १९८२ में तीन बूढ़े दोस्तों की कहानी शौक़ीन में दिखाई थी, जो एक मॉडल पर लाइन मारने लगते हैं। अपनी साफ़ सुथरी कॉमेडी कारण यह फिल्म हिट हुई थी। इसके बाद २०१४ में इस फिल्म का रीमेक पियूष मिश्र, अनुपम खेर और अन्नू कपूर के साथ द शौकीन्स बनाया गया तो दर्शकों ने इसे नापसंद कर दिया। अनीस बज़्मी की फिल्म नो एंट्री इसी फार्मूला पर फिल्म थी। मनमोहन देसाई ने अपनी फिल्मों में तीन दोस्तों के फॉर्मूले को खूब आज़माया।
नज़रिए का फर्क
हॉउसफुल, मस्ती और हेरा फेरी की फ्रैंचाइज़ी फिल्मों की शैली कॉमेडी कॉमेडी और सिर्फ कॉमेडी है। वहीं, कभी लेखक के नज़रिए का फर्क किरदारों के सोचने में फर्क पैदा कर देता है। तीन हँसते खेलते दोस्तों की ज़िन्दगी में गम्भीर मोड़ आ जाता है। तीनों दोस्त किरदार अपने रोमांस के साथ गम्भीर हो जाते हैं। कदाचित इस नज़रिए की शुरुआत फरहान अख्तर ने फिल्म दिल चाहता है से की थी। हँसते, मज़ाक करते और बेपरवाह नज़र आते आमिर खान, सैफ अली खान और अक्षय खन्ना के किरदार खुद की ज़िन्दगी में आये मोड़ से भावुक हो जाते हैं। वह परवाह करने वाले ज़िम्मेदार बन जाते हैं। कुछ ऐसा ही काई पो चे, रंग दे बसंती, रॉक ऑन, ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा में भी देखने को मिलता है। राजकुमार हिरानी की फिल्म ३ इडियट्स इसे शिक्षा की ऊंचाइयों तक पहुंचा देती है। रंग दे बसंती के तीन दोस्त सिस्टम को बदलने के लिए हथियार उठा लेते हैं।
दो लडके एक लड़की : क्या होता है !
जब तीन दोस्त मर्द हो तो धमाल होता है, क्लाइमेक्स में थोड़ी सीरियसनेस भी आती है। लेकिन---अगर इन तीन किरदारों में से कोई एक लड़का या लड़की हो तब ! शायद महबूब खान ने पहली बार फिल्म में इस नज़रिए को दिखाने की कोशिश की थी। फिल्म थी अंदाज़। दोस्त थे दिलीप कुमार, राजकपूर और नर्गिस। क्या दो मर्दों के साथ एक औरत की दोस्ती हो सकती है। महबूब ने यह बताने की कोशिश की थी कि मनमुटाव तो होना ही है। लेकिन, समझदारी बड़े काम की चीज़ है। एक दोस्त को बलिदान देना चाहिए। बलिदान का यह फार्मूला राज कपूर ने फिल्म संगम में भी दिखाया। राजकपूर और वैजयंतीमाला के लिए राजेंद्र कुमार को बलिदान करना पड़ा। इस बलिदान को १९८८ में सनी देओल, अनिल कपूर और श्रीदेवी के साथ सुनील हिंगोरानी ने भी दोहराया। सनी देओल को बलिदान देना पड़ा। लॉरेंस डिसूज़ा की फिल्म साजन में सलमान खान अपने दोस्त संजय दत्त के लिए माधुरी दीक्षित का बलिदान कर देते हैं।
दो लडकिया, एक लड़का : तब क्या होता है !
जब दोस्ती से उपजे रोमांस फिल्मों के किरदारों में थोड़ा फर्क कर दिया जाता है यानि आपस में दोस्त दो लड़कियां एक ही लडके को प्यार करने लगें तो क्या होता हैं ! यहाँ एक ख़ास बात शाहरुख़ खान ने ऐसी कई फिल्मों में काम किया है, जिनमे एक लड़के से दो लड़कियां प्रेम करने लगाती हैं। कुछ कुछ होता है में काजोल और रानी मुख़र्जी, दिल तो पागल में करिश्मा कपूर और माधुरी दीक्षित, देवदास में ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित और जब तक है जान में कैटरिना कैफ और अनुष्का शर्मा के किरदार शाहरुख़ खान के किरदार से प्रेम करती हैं। इन इन दो औरतों में से एक बलिदान देती है। यहां एक ख़ास नुक्ता है । यह बलिदान भारतीयता की झलक मारती नारी के लिए आधुनिक नायिका को देना पड़ता है। कॉकटेल में दीपिका पादुकोण सैफ अली खान को केवल इस कारण से खो देती हैं, क्योंकि वह आधुनिकता के रंग में रंगी थी। मुझसे दोस्ती करोगे में इकलौते ह्रितिक रोशन से रानी मुख़र्जी और करीना कपूर प्यार करती हैं। विदेश से आई करीना कपूर बलिदान करती है। सलमान खान को भी हर दिल जो प्यार करेगा और चोरी चोरी चुपके चुपके जैसी फिल्मों में दो नायिकाएं प्यार करती हैं। इन सभी रोमांस की शुरुआत दोस्ती से ही होती है।
शाहरुख़ खान का हटके अंदाज़
शाहरुख़ खान की रोमांस फिल्मों में दो नायिका भी थी और दो नायक भी। मतलब दो स्त्रियां उनसे रोमांस कराती हैं या उनके साथ दूसरा नायक भी इकलौती नायिका से प्रेम करने लगता है। इस रोमांस में खान दो नए रंग पेश करते हैं। वह बलिदान देना नहीं जानते। बाज़ीगर, डर और अंजाम जैसी फिल्मों में वह खून खराबा करने पर उतर आते हैं। बाज़ीगर में तो वह अपने से प्यार करने वाली शिल्पा शेट्टी की हत्या कर देते हैं और काजोल को भी मारने का प्रयास करते हैं। डर और अंजाम फिल्मों में वह जूही चावला और माधुरी दीक्षित के किरदारों को पाने के लिए खून बहाने से पीछे नहीं हटते ।
ज़ाहिर है कि तीन दोस्तों की दोस्ती धमाल करने वाली होती है। बलिदान भी होता है, लेकिन हाउसफुल ३ में ऐसी कोई गुंजायश नहीं। तीनों नायकों की एक एक नायिका है। आगामी कई फिल्मों में इस प्रकार के कई रंग देखने को मिल सकते हैं। क्योंकि, हिंदी फिल्मों को यार बिना चैन कहाँ रे !
जब हो यार तीन नहीं चार !
जहाँ चार यार मिल जाए, वहां फिल्म धमाल होनी ही है। इंद्रकुमार की धमाल फिल्म सीरीज की सफलता चार यारों की सफलता ही है। सीरीज के चार यार बोमन (आशीष चौधरी), मानव (जावेद जाफरी), आदित्य (अरशद वारसी) और आर्य (रितेश देशमुख) की अपनी फितरत हैं। इसके बावजूद दोनों अच्छे दोस्त हैं। लेकिन, टकरा जाते हैं एक डॉन से। कबीर (संजय दत्त) के आने के बाद उनकी ज़िन्दगी में जो धमाल मचता है, दर्शक उसका खूब मज़ा लेते हैं। अयान मुख़र्जी की फिल्म यह जवानी है दीवानी में कॉलेज के चार दोस्त कबीर, नैना, अवि और अदिति का कॉमेडी रोमांस ड्रामा है। रणबीर कपूर, दीपिका पादुकोण, आदित्य रॉय कपूर और कल्कि कोएच्लिन ने इन किरदारों को जिया था। मृगदीप सिंहलाम्बा की फिल्म फुकरे में हनी,चूचा, लाली और ज़फर के लापरवाह, बेपरवाह और रोमांस में मगन किरदार नज़र आते हैं। इन भूमिकाओं को कर रहे पुलकित सम्राट, वरुण शर्मा, मनजोत सिंह और अली फज़ल की बढ़िया केमिस्ट्री फिल्म को दर्शनीय बना देती है। लेकिन, चार दोस्तों की इस कहानी में खतरनाक मोड़ आता है, जब इन दोस्तों को सिस्टम से टकराना पड़ता है।
अल्पना कांडपाल
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Wednesday, 1 June 2016
रिडले स्कॉट की झोली में एक वेस्टर्न फिल्म
इंग्लिश फिल्म प्रोडूसर और डायरेक्टर रिडले स्कॉट की पहले से ही फिल्मो से भरी झोली में एक वेस्टर्न फिल्म भी आ गिरी है। द मार्शियन की सफलता से लबालब रिडले स्कॉट टैबू, मर्सी स्ट्रीट, द गुड वाइफ, द हॉट जोन, पोट्सडमेर पलतज, माइंडहॉर्न, एमाज वॉर, ेारतलेस्स, डेविड मॉर्गन, किलिंग रीगन, किलिंग पैटन और ब्रेन डेड जैसी फ़िल्में और टीवी सीरीज का निर्माण कर रहे हैं। बतौर डायरेक्टर वह फिल्म एलियन कोवेनेंट बना रहे हैं। अब उन्हें एस क्रैग जहलर के वेस्टर्न उपन्यास रैथस ऑफ़ द ब्रोकेन लैंड के फिल्म रूपांतरण का निर्देशन करने का ज़िम्मा सौंपा गया है। इस फिल्म को द मार्शियन लेखक ड्रू गोडार्ड ही लिख रहे हैं। गोडार्ड ने जहलर की डेब्यू फिल्म हॉरर बोन टॉमहॉक को लिखा था। इस फिल्म में कर्ट रशेल ने फौलादी इरादे वाले शेरिफ का किरदार किया था। रैथ्स ऑफ़ द ब्रोकन लैंड की कहानी क्रूर अपराधियों की है, जिन्हे एक सफ़ेदपॉश के क्लब से सेक्स स्लेवरी के लिए ले जाई गई दो बहनों को छुड़ाने का जिम्मा सौंपा जाता है। द मार्शियन के डायरेक्टर रिडले अब अपनी एक सबसे खराब फिल्म प्रोमेथियस के सीक्वल एलियन :कोवेनेंट के निर्माण में जुटे हुए हैं। वैसे रिडले स्कॉट की आदत है कि वह फिल्म निर्माण के अधिकार खरीद लेते हैं और फिर चुप बैठ जाते हैं। उदहारणस्वरुप उन्होंने फॉरएवर वॉर के लिए चैनिंग टॉटम को साइन कर लेने के बावजूद एक दिन भी फिलम की शूटिंग नहीं की है। इसलिए, यह पूछा जाना स्वाभाविक है कि क्या रिडले के एक्शन से वेस्टर्न फिल्म बन पाएगी ?
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
अपराधियों का मददगार द अकाउंटेंट !
मार्च में रिलीज़ बैटमैन वर्सेज सुपरमैन: डॉन ऑफ़ जस्टिस में ब्रूस वेन/बैटमैन के करैक्टर को परदे पर उतारने के बाद अभिनेता बेन अफ्लेक वार्नर ब्रदर्स की फिल्म द अकाउंटेंट में एक कुटिल किरदार क्रिस को कर रहे हैं। इस फिल्म का ट्रेलर अभी रिलीज़ हुआ है। इस ट्रेलर में बेन अफ्लेक एक प्रतिभाशाली गणितज्ञ की भूमिका में नज़र आते हैं, जो भयानक दोहरी ज़िन्दगी जी रहा है। इस फिल्म को अक्टूबर की सबसे गर्म फिल्म बताया जा रहा है, जिसका दर्शकों को बेसब्री से इंतज़ार है। फिल्म में एना केंड्रिक और जे के सिमंस क्रमशः डाना और रे किंग के किरदार को कर रहे हैं। क्रिस्चियन वुल्फ को गणित का इस्तेमाल ज्ञान के लिए करने से ज़्यादा खतरनाक अपराधी गिरोहों के अकाउंटेंट का काम करने में है। इसका फल उसे भोगना ही होगा। मगर कैसे इसका जवाब निर्देशक गेविन ओ'कोनोर की फिल्म द अकाउंटेंट देख कर ही मिलेगा। ट्रेड पंडित इंतज़ार में है कि क्या बेन अफ्लेक की फिल्म द अकाउंटेंट डॉन ऑफ़ जस्टिस की तरह रिकॉर्ड तोड़ बिज़नेस कर पाएगी। क्योंकि, द अकाउंटेंट की रिलीज़ से एक हफ्ता पहले ७ अक्टूबर को बहुप्रतीक्षित द गर्ल ऑन द ट्रैन, केविन हार्ट: व्हाट नाउ, फोकस फीचर की फिल्म अ मॉन्स्टर कॉल्स और सोनी की फिल्म अंडरवर्ल्ड" ब्लड वार्स तथा १४ अक्टूबर को जैक रीचर २, ओइजा २ और बू! अ मडीअ हेलोवीन जैसी चर्चित फिल्मों के बीच द अकाउंटेंट रिलीज़ हो रही हैं।
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Sunday, 29 May 2016
एक डॉक्टर की मौत को जीवंत करने वाले पंकज कपूर
सालों की मेहनत और पारिवारिक ज़िन्दगी को दांव पर लगा कर डॉक्टर दीपंकर रॉय लेप्रोसी की वैक्सीन खोज लेते हैं। यह खबर आग की तरह चैनलों के माध्यम से फ़ैल जाती हैं। एक अंजाना सा जूनियर डॉक्टर वर्ल्ड फेम हो जाता है। इसके साथ ही डॉक्टर रॉय को प्रताड़ित करने का सिलसिला शुरू हो जाता है। उससे स्पष्टीकरण पूछा जाता है कि लेप्रोसी वैक्सीन की खबर मीडिया में लीक कैसे हो गई। उसे प्रशासन से लेकर शासन के उच्च स्तर से फटकार मिलती है। साथ के डॉक्टर उसे अपमानित करने की कोशिश करते हैं। उसे दिल का दौरा पड़ता है। डॉक्टर का एक दूरस्थ गाँव में तबादला कर दिया जाता है। ऐसे समय में उसका साथ उसकी पत्नी और दो दोस्त ही देते हैं। तभी खबर आती है कि लेप्रोसी वैक्सीन की खोज अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कर ली है। इसके साथ ही एक डॉक्टर की मौत हो जाती है। यह कहानी है बांगला फिल्म डायरेक्टर तपन सिन्हा की १९९० में रिलीज़ फिल्म एक डॉक्टर की मौत की। यह फिल्म रामपद चौधरी की कहानी अभिमन्यु पर रामपद और तपन सिन्हा द्वारा लिखी गई थी। यह फिल्म नौकरशाही की तिकड़मों, सिस्टम द्वारा प्रतिभा को प्रताड़ित करने और मान्यता न देने की है। लेकिन, फिल्म यहां ख़त्म नहीं होती। डॉक्टर की मौत तब भी नहीं होती। फिल्म एक डॉक्टर की मौत मानवता की जीवंतता की कहानी है। फिल्म के ख़त्म होते होते डॉक्टर रॉय को जॉन एंडरसन फाउंडेशन का एक खत मिलता है, जिसमे उसे दूसरे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के साथ अन्य दूसरी बीमारियों की दवाएं खोजने का न्योता मिलता है। डॉक्टर रॉय अनुभव करते हैं कि उनकी मेहनत बेकार नहीं गई थी। वह इस न्योते को स्वीकार करने का मन बनाते हैं, क्योंकि वह मानव कल्याण के लिए काम करते रहना चाहते हैं। इस फिल्म में डॉक्टर रॉय की बीवी का किरदार शबाना आज़मी ने किया था। साथी डॉक्टर कुंडू का किरदार बांगला फिल्म अभिनेता अनिल चटर्जी कर रहे थे। आज के विश्व प्रसिद्ध बॉलीवुड एक्टर इरफ़ान खान ने डॉक्टर रॉय के दूसरे दोस्त का किरदार किया था। यह इरफ़ान के करियर की तीसरी फिल्म थी। फिल्म में डॉक्टर दीपंकर रॉय का किरदार अभिनेता पंकज कपूर ने किया था। पंकज कपूर का आज जन्मदिन (२९ मई १९६४) है।
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Saturday, 28 May 2016
नर्गिस को मदर इंडिया बनाने वाले महबूब खान
नर्गिस को मदर इंडिया बनाने वाले महबूब खान
महबूब खान के बैनर महबूब प्रोडक्शन्स का हंसिया और हथौड़ा इस बात का गवाह था कि वह सोशलिस्ट विचारधारा के थे। ऐसा स्वाभाविक भी था। गुजरात के गाँव बिल्मोरा के रमज़ान खान ने बॉलीवुड का महबूब खान बनने के सफर में फिल्म निर्माता और घोडा सप्लायर के अस्तबल में घोड़ों की नाल ठीक करने का काम करने से लेकर फिल्म अलीबाबा चालीस चोर के चालीस चोरो में से एक चोर की भूमिका की। उनकी फिल्मों में गरीबी, संघर्ष, शोषण, ज़मींदार, आदि ताकतवर और कमज़ोर चरित्रों का पॉजिटिव चित्रण मिलता है। मेरी जान, दिलावर और ज़रीना जैसी फिल्मों में अभिनय के बाद महबूब खान ने फिल्म अल हिलाल उर्फ़ जजमेंट ऑफ़ अल्लाह (१९३५) से बतौर निर्देशक कदम रखा। महबूब खान ,नमाज़ी आदमी थे। लेकिन, उनकी फिल्मों में कभी भी धार्मिक तनाव या थोथे उपदेश नज़र नहीं आये। उनकी फ़िल्में या तो ठेठ सामाजिक होती थी या फिर रोमांस से भीगी। उन्होंने जागीरदार, वतन और एक ही रास्ता जैसी लीक से अलग सफल फ़िल्में बनाई। लेकिन, उन्हें ख़ास सराहना मिली पर्ल एस बक के उपन्यास मदर पर आधारित फिल्म औरत से। इस फिल्म में उन्होंने एक सूदखोर साहुकार के अत्याचारों से तंग आकर गाँव छोड़ कर चले गए किसान की अकेली औरत के संघर्ष को दिखाया था। इस फिल्म को सराहना के साथ साथ बड़ी सफलता भी मिली। लेकिन, महबूब को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली औरत के रीमेक मदर इंडिया (१९५७) से। इस फिल्म को ऑस्कर पुरस्कारों में नामांकन मिला। महबूब को श्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। उन्होंने म्यूजिकल मनमोहन और जागीरदार बनाई तो ज़मींदार के अत्याचार पर रोटी भी बनाई। दो पुरुषों के एक स्त्री से प्रेम की कहानी अंदाज़ समय से काफी पहले की फिल्म थी। इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा को त्रिकोण फ़िल्में बनाने का फार्मूला दिया। हलके फुल्के रोमांस वाली फिल्म अनमोल घड़ी बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। दिलीप कुमार, नादिरा और निम्मी अभिनीत फिल्म आन देश की पहली टैक्नीकलर फिल्म थी। महबूब खान एक साफ़ दिल आदमी थे। राजकपूर के साथ रोमांस के कारण नर्गिस फिल्म आन को बीच रास्ते छोड़ कर चली गई थी, लेकिन, इसके बावजूद महबूब खान ने मदर इंडिया की राधा नर्गिस को ही बनाया। उन्होंने ऐतराज़ करने पर दिलीप कुमार को हटा कर सुनील दत्त को बिरजू बना दिया। लेकिन, दिलीप कुमार का दबाव सहन नहीं किया। यहाँ उल्लेखनीय है कि नर्गिस को तक़दीर फिल्म से नायिका बनाने वाले महबूब खान ही थे। उन्होंने ही फातिमा को नर्गिस नाम दिया था। कैसी विडम्बना है कि लगातार हिट फिल्म देने वाले महबूब खान की आखिरी फिल्म सन ऑफ़ इंडिया (१९६२) फ्लॉप हो गई । इस फिल्म की रिलीज़ के दो साल के अंदर महबूब खान का भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के एक दिन बाद २८ मई १९५७ को निधन हो गया। उनकी सौंवी जन्मतिथि पर भारत सरकार के डाक विभाग ने डाक टिकट जारी किया था।
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मधुर भंडारकर की फिल्म में विद्या, कंगना और अनुष्का
पिछले साल रिलीज़ फिल्म कैलेंडर गर्ल्स की बुरी असफलता के बावजूद फिल्मकार मधुर भंडारकर हताश नहीं हैं। वह पिछले कुछ महीनों से अपनी नई फिल्म के लिए रिसर्च कर रहे हैं और अभिनेत्रियों के चुनाव में लगे हुए थे। सभी जानते हैं कि मधुर की फिल्मों के महिला किरदार काफी सशक्त होते हैं। ऐसे किरदारों के लिए उनकी फिल्मों की अभिनेत्रियां भी काफी संवेदनशील होती है। यह तब ज़्यादा ज़रूरी हो जाता है, जब फिल्म का विषय विवादित भी हो। मधुर भंडारकर की अगली फिल्म का विषय १९७५ के आपातकाल के दौर का है। इस फिल्म का टाइटल 'मैं, इंदु' रख गया है। फिल्म का विषय राजनीती ज़रूर है। लेकिन, कथानक का सूत्र एक कवयित्री के हाथों में हैं, जो हकलाती है। पर उसके बयान काफी प्रभावशाली होते हैं। मधुर की फिल्म के टाइटल से साफ़ है कि इसमें दो किरदार - एक सूत्रधार 'मैं' और दूसरा 'इंदु' का होना निश्चित है। मधुर ने इन दोनों किरदारों के इर्द गिर्द कई छोटी घटनाओं और चरित्रों को बुना है। ज़ाहिर है कि इस फिल्म के महिला किरदारों के लिए मधुर भंडारकर को प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों की आवश्यकता होगी। इसलिए, जब यह खबर आई कि मधुर भंडारकर की फिल्म में विद्या बालन, कंगना रनौत और अनुष्का शर्मा को लिया गया है तो कोई चौंका नहीं । यह अभिनेत्रियां महिला प्रधान फिल्मों में अपना सिक्का जमा चुकी हैं। विद्या बालन और कंगना रनौत ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीते हैं। मज़बूत किरदारों को मज़बूत अभिनय प्रतिभा वाली अभिनेत्रियां ही अंजाम दे सकती हैं। इसलिए, कोई शक नहीं कि 'मैं, इंदु' के लिए विद्या और कंगना के साथ साथ अनुष्का का नाम भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता अभिनेत्री में गिना जाने लगे।
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फिल्म बेवॉच में प्रियंका चोपड़ा का "द डार्क नाईट" के जोकर जैसा बड़ा किरदार
अभिनेत्री प्रियंका
चोपड़ा ने हॉलीवुड में एक तूफान मचा रखा है , हॉलीवुड कई हॉट अभिनेत्रियां फिल्म बेवॉच में
किरदार पाने के लिए होड़ में थी पर बाजी मारी प्रियंका चोपड़ा ने।
अभिनेत्री और
अंतरराष्ट्रीय आइकन, इस फिल्म में
एंटी-हीरो की भूमिका निभाएगी इतना ही नहीं प्रियंका के लिए बेहद ही खास प्रोमोशनल
कम्पैन चलाएंगे जो प्रियंका के इर्दगिर्द होगा।
अंदरूनी सूत्रों की
माने तो " बेवॉच का पहला पोस्टर जो लॉन्च हुआ उसमे प्रियंका नहीं थी ,
इसकी एक खास वजह यह है की वे खुद इस फिल्म
के लिए सोलो पोस्टर लॉन्च करेंगी जो उनके इस फिल्म का किरदार होगा। प्रोमोशन
कम्पैन डार्क नाईट के जोकर यानि की हीथ लेजर की तर्ज पर होगा, मतलब प्रमोशन पूरी स्टारकास्ट के साथ नहीं तो वे
अकेले प्रोमशन करेंगी यह कम्पैन मेगा बजट कम्पैन होगा जो इस आइकॉनिक किरदार के
इर्दगिर्द होगा।
सूत्रों के अनुसार
" बेवॉच के लिए प्रियंका का अलग से इंट्रोडकशन और प्रोमोशनल कम्पैन होगा।
फिल्म के निर्माता प्रियंका के किरदार को डेवेन जोन्स किरदार के सामान अहमियत दे
रहे है, इसी लिए फिल्म के
निर्माता प्रियंका के हॉलीवुड में बिग डेब्यू को और बड़ा बनाना चाहते है। निर्माता
यह वाद कर रहे की डार्क नाईट के जीकर का प्रोमोशनल कम्पैन था उतना ही बड़ा और बिग
बजट प्रियंका चोपड़ा का प्रमोशनल कम्पैन होगा।
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Friday, 27 May 2016
किआरा आडवाणी करीना के स्टाफ के साथ काम करने को लेकर उन्मादित है
किसी भी उभरते
अभिनेता के लिए करीना कपूर खान की तारीफ करना स्वाभाविक है। आखिरकार आज वे
फिल्मजगत की सबसे प्रतिभाशाली और खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक जो हैं। ऐसी ही
एक अभिनेत्री जो उन्हें चाहती है वो है, किआरा आडवाणी। किआरा न केवल करीना की प्रशंसक है बल्कि वो अपनी अगली
फिल्म में उनके स्टाफ के साथ काम करने की भी उम्मीद कर रही है। किआरा, जो जल्द ही जॉर्जिया में अब्बास मस्तान की 'मशीन' की शूटिंग शुरू करेगी, करीना के स्टाफ के साथ काम करेगी। करीना की हेयर स्टाइलिस्ट पॉम्पी
हंस और उनके मेक उप आर्टिस्ट रितेश नाईक एक महीने लंबे शेड्यूल पर उनके साथ
जायेंगे।
पॉम्पी और रितेश से
पहले मिल चुकी किआरा इस प्रतिभाशाली टीम के साथ काम शुरू करने के लिए बेताब है। एक
सूत्र के अनुसार, इस तिगड़ी ने मिलकर
फिल्म में उनपर जँचने वाले स्टाइलिंग के विकल्पों पर चर्चा कर ली है। पॉम्पी और
रितेश भी इस प्रतिभावान अदाकारा के साथ काम करने का इंतज़ार कर रहे हैं।
हमें यकीन है कि
चूँकि अब किआरा के पास उनपर काम करने के लिए सबसे अच्छी टीम है तो वो स्क्रीन पर
बेहद खूबसूरत दिखेंगी।
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Thursday, 26 May 2016
'तीन' के लिए तीनों ने कुछ नया सीखा
अमिताभ बच्चन,
विद्या बालन और नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी
अपनी आने वाली फ़िल्म 'तीन' में कुछ नया करते नज़र आएंगे । रिभु दासगुप्ता के
निर्देशन में बनी फ़िल्म 'तीन' में, जहां अमिताभ बच्चन ने स्कूटर चलाया और फुटबॉल
खेला, वहीं विद्या बालन ने
भी अकेले ड्राइविंग की है । 10 जून को रिलीज़ हो रही इस सस्पेंस थ्रिलर फ़िल्म में अमिताभ बच्चन एक
ऐसे दादा के किरदार में नज़र आने वाले हैं, जो स्कूटर से अपनी लापता पोती की खोज कर रहा है ।
स्कूटर चलाने के अपने अनुभव के बारे में अमिताभ बताते हैं, ''स्कूटर और बाइक मैंने कम ही चलाई हैं । लेकिन जब
मुझे पता चला कि इस फ़िल्म में मुझे स्कूटर चलाना है, तो मैंने
कहा कि 'जलसा' में एक स्कूटर भेज दो, जिस पर
मैं प्रैक्टिस कर सकूं ।'' अमिताभ आगे कहते हैं, “बैलेंस के मामले में स्कूटर, बाइक की
तुलना में ज़्यादा चुनौतिपूर्ण है । इसके अलावा बिग बी इस फ़िल्म में फुटबॉल खेलते
भी दिखाई देंगे । विद्या बालन इस फ़िल्म में पुलिस अफ़सर की भूमिका में नज़र आने
वाली हैं । वह भी फिल्म में कोलकाता की सड़कों पर गाड़ियां दौड़ाते दिखाई देंगी ।
अपने इस अनुभव के बारे में विद्या कहती हैं, ''वैसे तो मैंने ड्राइविंग की है, लेकिन यह पहली बार है जब मैंने अकेले ड्राइविंग
की है.'' फिल्म के लिए विद्या
का ड्राइविंग इंस्ट्रक्टर कौन था ? विद्या बालन
बताती हैं, ''मुझे ड्राइविंग
सुजॉय घोष ने सिखाई है ।'' यह फ़िल्म कोलकाता की पृष्ठभूमि में बनी है । फ़िल्म में काम करने
वाले अधिकतर कलाकार और क्रू मेम्बेर्स की बंगाली पर अच्छी पकड़ भी है । ऐसे में इस
बंगाली माहौल ने नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी को भी बांग्ला सिखा ही दी । फ़िल्म से
जुड़े एक क़रीबी सूत्र का कहना है कि सुजॉय, रिभु, बिग बी और विद्या के लिए कोलकाता, दूसरे घर
की तरह है. ऐसे में ये सभी अपनी बातचीत में बंगाली कहावतों और लोकोक्तियों का जमकर
इस्तेमाल करते थे । इस तरह से नवाज़ एक दिन के ख़त्म होने तक एक नया वाक्य सीख ही
जाते थे । विद्या बालन और अमिताभ बच्चन जैसे 'शिक्षक' पाकर नवाज़ ख़ुश भी बहुत हैं । फ़िल्म में नवाज़ चर्च के पादरी की
भूमिका में हैं ।
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बॉलीवुड अभिनेत्रियों के सामने रियल लाइफ किरदारों की चुनौती !
निर्देशक टोनी डिसूज़ा की फिल्म अज़हर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन की ज़िन्दगी पर फिल्म है। फिल्म में अज़हर की क्रिकेटर ज़िन्दगी ही नहीं, निजी ज़िन्दगी का चित्रण भी हुआ है। मोहम्मद अज़हरुद्दीन का किरदार इमरान हाशमी कर रहे हैं। उनकी पहली बीवी नौरीन और दूसरी बीवी संगीता बिजलानी के किरदार भी है। इमरान को अज़हर के किरदार के लिए खासी मेहनत करनी पड़ी है। नौरीन को बहुत कम लोगों ने देखा है। प्राची देसाई को अपने अभिनय के ज़रिये ही दर्शकों से नौरीन का परिचय कराना है। मुसीबत है फिल्म अभिनेत्रियों की। उन्हें रियल लाइफ किरदार को परदे पर उतारना ही है, उस किरदार का दर्द भी महसूस कराना है। बेचारी नर्गिस फाखरी की मुसीबत यह है कि संगीता बिजलानी बॉलीवुड की ग्लैमरस अभिनेत्री थी और सलमान खान के साथ रोमांस के कारण दर्शकों से ज़्यादा परिचित भी थी। नर्गिस फाखरी तो संगीता बिजलानी के ग्लैमर में ही उलझी नज़र आती हैं।
ग्लैमरस इमेज भारी
रील लाइफ किरदार करने में दिक्कतें यहीं हैं। अभिनेत्री की दर्शकों के बीच एक ग्लैमरस इमेज होती है। रियल लाइफ गॉसिप भी उनका पीछा नहीं छोड़ती है। इन से इन अभिनेत्रियों की एक ख़ास इमेज बन जाती है। इससे पीछा छुड़ाते हुए रील पर रियल लाइफ किरदार को अंजाम देना होता है। इस लिहाज़ से ओमंग कुमार की फिल्म सरबजीत उल्लेखनीय है। पाकिस्तान की कोटलखपत जेल में मारे गये भारतीय कैदी सरबजीत की बहन दलबीर कौर की ज़िन्दगी पर इस फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन ने दलबीर और ऋचा चड्डा ने सरबजीत की पत्नी का किरदार किया है। कितने दर्शक होंगे, जिन्होंने ने दलबीर कौर और सरबजीत की पत्नी की फोटो तक देखी होगी! इसलिए, दर्शकों द्वारा इन दोनों चेहरों को रियल लाइफ समझने में दिक्कत नहीं आनी चाहिए। लेकिन, ऐश्वर्या और ऋचा को केवल चेहरा ही नहीं बनना है। उन्हें उस किरदार के दर्द को भी दर्शकों को महसूस कराना है। इस के लिए इन अभिनेत्रियों को अपनी अभिनय क्षमता का भी परिचय देना होगा। अपने चरित्रों को रियल की यही कोशिश उनके लिए दिक्कत तलब होगी । इसमे परीक्षा निर्देशक ओमंग कुमार की होगी। उन्होंने प्रियंका चोपड़ा जैसी ग्लैमरस अभिनेत्री को महिला मुक्केबाज़ में तब्दील कर दिया था। क्या वह सरबजीत में ऐश्वर्या राय को दलबीर कौर बना पाएंगे ? इसका जवाब फिल्म के दर्शक दे सकते हैं।
आसान नहीं रियल किरदार
बॉलीवुड की कई अभिनेत्रियाँ रील पर रियल लाइफ किरदार कर रही हैं। रियल लाइफ किरदार जहाँ अभिनेत्री आसान शोहरत देते हैं, वहीँ कड़ी परीक्षा भी लेते हैं। अपने ग्लैमर के जाल से निकल कर रियल लाइफ किरदार में घुसना आसान जो नहीं होता। ऋचा चड्डा को ही लीजिये। वह सरबजीत में सरबजीत की पत्नी के किरदार में हैं तो निर्माता पूजा भट्ट और भूषण कुमार की कौस्तव नारायण नियोगी की फिल्म कैबरे में वह एक कैबरे डांसर के किरदार में नज़र आएँगी। सूत्रों का कहना है कि कैबरे वास्तव में हेलेन की कहानी है। हेलेन आज के दर्शकों का भी जाना पहचाना चेहरा है। लेकिन, यहं ऋचा को हेलेन को परदे पर उतारने के लिए अच्छे अभिनय की जितनी ज़रुरत होगी, उससे कहीं अधिक अच्छी नृत्य प्रतिभा की ज़रुरत होगी। क्या ऋचा चड्डा के शरीर में इतना लोचा है, उनके कदमों में इतनी थिरकन है कि वह रील लाइफ हेलन बन सके ?
विद्या बालन : कभी 'गीता' कभी 'मान्यता'!
फिल्म 'द डर्टी पिक्चर' में सिल्क स्मिता का किरदार निभानेवाली अभिनेत्री विद्या बालन एक बार फिर से चुनौतीपूर्ण भूमिका में नज़र आएँगी। वह मराठी फिल्म एक अलबेला में पुराने ज़माने के हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री गीता बाली की भूमिका कर रही हैं । यह फिल्म मशहूर अभिनेता भगवान दादा भगवान आबाजी पालव) को ट्रिब्यूट है । फिल्म के एक गीत शोला जो भड़के में गीता बाली बनी विद्या बालन भगवान के साथ डांस करती नज़र आएंगी। गीताबाली बनने के लिए विग्स इस्तेमाल की गई और उस दौर का पहरावा पहनाया गया। खबर है कि विद्या बालन संजय दत्त पर बायोपिक फिल्म में संजय दत्त की वर्तमान पत्नी मान्यता दत्त का किरदार कर सकती हैं। हालाँकि, इस रोल के लिए राजकुमार हिरानी की पहली पसंद कंगना रनौत है। इसमें कोई शक नहीं कि विद्या बालन सशक्त अभिनेत्री हैं। लेकिन, एक बिंदास अभिनय करने वाली पचास साठ के दशक की अभिनेत्री गीताबाली और वर्तमान में जानी पहचानी हस्ती मान्यता दत्त का किरदार करना विद्या बालन के लिए आसान नहीं होगा।
प्रतिष्ठा और पुरस्कार
रियल लाइफ किरदार अभिनेत्रियों के लिए चुनौती तो होते हैं। लेकिन, इन्हे करना अभिनेत्री की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला होता है। द डर्टी पिक्चर में सिल्क स्मिता का रियल लाइफ किरदार करके विद्या बालन ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था। प्रियंका चोपड़ा को मैरी कॉम बन कर कई पुरस्कारों में नॉमिनेशन मिला या उन्हें जीता । यही कारण है कि फिल्म अभिनेत्रियों में रियल लाइफ किरदार करने का जज़्बा पैदा हुआ है। यही कारण है कि सोनम कपूर ने नीरजा में कंधार में आतंकवादियों की गोलाबारी में मारी गई एयर होस्टेस नीरजा भनोट का किरदार करना मंज़ूर किया। ऐश्वर्या राय बच्चन का दलबीर कौर का किरदार बॉलीवुड एक्ट्रेस का रियल लाइफ करैक्टर की और अगला कदम है।
यहाँ ६ जुलाई को रिलीज़ होने जा रही फिल्म सुलतान और २३ दिसंबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म दंगल का ज़िक्र करना ज़रूरी है। यह ज़िक्र इसलिए नहीं कि सुल्तान सलमान खान और दंगल आमिर खान की फिल्म है। ज़िक्र इस लिए भी नहीं दोनों फ़िल्में हरियाणवी पहलवानो पर फिल्म है। दंगल हरियाणा के पहलवान महावीर सिंह फोगट और उसकी कुश्ती लड़ने वाली बेटियों बबिता और गीता फोगट पर फिल्म है। यह दोनों किरदार क्रमशः सान्या मल्होत्रा और फातिमा सना शेख कर रही हैं। यह दोनों अभिनेत्रियां हिंदी दर्शकों का पहचाना चेहरा नहीं। लेकिन, कठिनाई सुलतान की अनुष्का शर्मा के लिए होगी, जो फिल्म में महिला पहलवान आरिफा का किरदार कर रही हैं। यह किरदार गीता फोगट से प्रेरित बताया जा रहा है। अब सेक्सी अभिनेत्री अनुष्का कैसे खुद को गीता फोगट के रील लाइफ किरदार में ढाल पाएगी! यह अनुष्का के लिए किसी चुनौती से कम नहीं।
ग्लैमरस इमेज भारी
रील लाइफ किरदार करने में दिक्कतें यहीं हैं। अभिनेत्री की दर्शकों के बीच एक ग्लैमरस इमेज होती है। रियल लाइफ गॉसिप भी उनका पीछा नहीं छोड़ती है। इन से इन अभिनेत्रियों की एक ख़ास इमेज बन जाती है। इससे पीछा छुड़ाते हुए रील पर रियल लाइफ किरदार को अंजाम देना होता है। इस लिहाज़ से ओमंग कुमार की फिल्म सरबजीत उल्लेखनीय है। पाकिस्तान की कोटलखपत जेल में मारे गये भारतीय कैदी सरबजीत की बहन दलबीर कौर की ज़िन्दगी पर इस फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन ने दलबीर और ऋचा चड्डा ने सरबजीत की पत्नी का किरदार किया है। कितने दर्शक होंगे, जिन्होंने ने दलबीर कौर और सरबजीत की पत्नी की फोटो तक देखी होगी! इसलिए, दर्शकों द्वारा इन दोनों चेहरों को रियल लाइफ समझने में दिक्कत नहीं आनी चाहिए। लेकिन, ऐश्वर्या और ऋचा को केवल चेहरा ही नहीं बनना है। उन्हें उस किरदार के दर्द को भी दर्शकों को महसूस कराना है। इस के लिए इन अभिनेत्रियों को अपनी अभिनय क्षमता का भी परिचय देना होगा। अपने चरित्रों को रियल की यही कोशिश उनके लिए दिक्कत तलब होगी । इसमे परीक्षा निर्देशक ओमंग कुमार की होगी। उन्होंने प्रियंका चोपड़ा जैसी ग्लैमरस अभिनेत्री को महिला मुक्केबाज़ में तब्दील कर दिया था। क्या वह सरबजीत में ऐश्वर्या राय को दलबीर कौर बना पाएंगे ? इसका जवाब फिल्म के दर्शक दे सकते हैं।
आसान नहीं रियल किरदार
बॉलीवुड की कई अभिनेत्रियाँ रील पर रियल लाइफ किरदार कर रही हैं। रियल लाइफ किरदार जहाँ अभिनेत्री आसान शोहरत देते हैं, वहीँ कड़ी परीक्षा भी लेते हैं। अपने ग्लैमर के जाल से निकल कर रियल लाइफ किरदार में घुसना आसान जो नहीं होता। ऋचा चड्डा को ही लीजिये। वह सरबजीत में सरबजीत की पत्नी के किरदार में हैं तो निर्माता पूजा भट्ट और भूषण कुमार की कौस्तव नारायण नियोगी की फिल्म कैबरे में वह एक कैबरे डांसर के किरदार में नज़र आएँगी। सूत्रों का कहना है कि कैबरे वास्तव में हेलेन की कहानी है। हेलेन आज के दर्शकों का भी जाना पहचाना चेहरा है। लेकिन, यहं ऋचा को हेलेन को परदे पर उतारने के लिए अच्छे अभिनय की जितनी ज़रुरत होगी, उससे कहीं अधिक अच्छी नृत्य प्रतिभा की ज़रुरत होगी। क्या ऋचा चड्डा के शरीर में इतना लोचा है, उनके कदमों में इतनी थिरकन है कि वह रील लाइफ हेलन बन सके ?
विद्या बालन : कभी 'गीता' कभी 'मान्यता'!
फिल्म 'द डर्टी पिक्चर' में सिल्क स्मिता का किरदार निभानेवाली अभिनेत्री विद्या बालन एक बार फिर से चुनौतीपूर्ण भूमिका में नज़र आएँगी। वह मराठी फिल्म एक अलबेला में पुराने ज़माने के हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री गीता बाली की भूमिका कर रही हैं । यह फिल्म मशहूर अभिनेता भगवान दादा भगवान आबाजी पालव) को ट्रिब्यूट है । फिल्म के एक गीत शोला जो भड़के में गीता बाली बनी विद्या बालन भगवान के साथ डांस करती नज़र आएंगी। गीताबाली बनने के लिए विग्स इस्तेमाल की गई और उस दौर का पहरावा पहनाया गया। खबर है कि विद्या बालन संजय दत्त पर बायोपिक फिल्म में संजय दत्त की वर्तमान पत्नी मान्यता दत्त का किरदार कर सकती हैं। हालाँकि, इस रोल के लिए राजकुमार हिरानी की पहली पसंद कंगना रनौत है। इसमें कोई शक नहीं कि विद्या बालन सशक्त अभिनेत्री हैं। लेकिन, एक बिंदास अभिनय करने वाली पचास साठ के दशक की अभिनेत्री गीताबाली और वर्तमान में जानी पहचानी हस्ती मान्यता दत्त का किरदार करना विद्या बालन के लिए आसान नहीं होगा।
प्रतिष्ठा और पुरस्कार
रियल लाइफ किरदार अभिनेत्रियों के लिए चुनौती तो होते हैं। लेकिन, इन्हे करना अभिनेत्री की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला होता है। द डर्टी पिक्चर में सिल्क स्मिता का रियल लाइफ किरदार करके विद्या बालन ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था। प्रियंका चोपड़ा को मैरी कॉम बन कर कई पुरस्कारों में नॉमिनेशन मिला या उन्हें जीता । यही कारण है कि फिल्म अभिनेत्रियों में रियल लाइफ किरदार करने का जज़्बा पैदा हुआ है। यही कारण है कि सोनम कपूर ने नीरजा में कंधार में आतंकवादियों की गोलाबारी में मारी गई एयर होस्टेस नीरजा भनोट का किरदार करना मंज़ूर किया। ऐश्वर्या राय बच्चन का दलबीर कौर का किरदार बॉलीवुड एक्ट्रेस का रियल लाइफ करैक्टर की और अगला कदम है।
यहाँ ६ जुलाई को रिलीज़ होने जा रही फिल्म सुलतान और २३ दिसंबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म दंगल का ज़िक्र करना ज़रूरी है। यह ज़िक्र इसलिए नहीं कि सुल्तान सलमान खान और दंगल आमिर खान की फिल्म है। ज़िक्र इस लिए भी नहीं दोनों फ़िल्में हरियाणवी पहलवानो पर फिल्म है। दंगल हरियाणा के पहलवान महावीर सिंह फोगट और उसकी कुश्ती लड़ने वाली बेटियों बबिता और गीता फोगट पर फिल्म है। यह दोनों किरदार क्रमशः सान्या मल्होत्रा और फातिमा सना शेख कर रही हैं। यह दोनों अभिनेत्रियां हिंदी दर्शकों का पहचाना चेहरा नहीं। लेकिन, कठिनाई सुलतान की अनुष्का शर्मा के लिए होगी, जो फिल्म में महिला पहलवान आरिफा का किरदार कर रही हैं। यह किरदार गीता फोगट से प्रेरित बताया जा रहा है। अब सेक्सी अभिनेत्री अनुष्का कैसे खुद को गीता फोगट के रील लाइफ किरदार में ढाल पाएगी! यह अनुष्का के लिए किसी चुनौती से कम नहीं।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Wednesday, 25 May 2016
अभिनेत्री सारिका आगामी फिल्म फेस्टिवल के जूरी की होगी हेड
नब्बे से अधिक फिल्मों में काम कर चुकी अभिनेत्री
सारिका पांच सदस्यीय भारतीय फीचर फिल्म के इंडियन शोकेस सेक्शन की हेड होंगी। पिछले कुछ सालो में मराठी और बंगाली फिल्मों को
बेस्ट फिल्म अवार्ड्स से सम्मानित किया गया है । पिछले साल दुलाल सरकार को बेस्ट
एक्टर अवार्ड से सम्मानित किया गया है । अभिनेत्री सारिका ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट
फिल्म मंझली दीदी से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की । उन्होंने गीत गाता चल, खुशबू (1975), जानी दुश्मन (1979), क्रांति (1981) , सत्ते पे सत्ता (1982), रज़िया सुल्तान (1983) , राजतिलक (1984) और परजानिया (२००५) जैसी और भी कई
फिल्में की है। दो बार नेशनल अवार्ड विजेता रह चुकी सारिका ने अमिताभ बच्चन स्टारर
युद्ध से अपना टेलीविज़न डेब्यू किया था । अब उनकी
अध्यक्षता में ज्यूरी १६ फिल्मों के लिए अवार्ड्स तय करेंगी। प्रतिभाशाली
अभिनेत्री सारिका और वितरण डायरेक्टर ७वे जागरण फिल्म फेस्टिवल के ज्यूरी मेंबर होंगी
। पद्म भूषण विजेता जाहनू बरूवा भारत के बेहतरीन असमी फिल्म डायरेक्टर में से एक
हैं, जिन्होंने अब तक १० नेशनल अवार्ड विनिंग फ़िल्में बनायीं है । जाहनु ने मैंने
गांधी को नहीं मारा, मुंबई कटिंग जैसी कई
इंटरनेशनल पुरस्कार जीतने वाली हिंदी फिल्में भी बनाई है । जाहनू बरुआ तीन सदस्यीय
अंतरराष्ट्रीय फिल्म जूरी की अध्यक्षता करेंगे। यह जूरी ५० लघु फिल्मों में से कुछ
बेहतरीन फिल्मों को इंटरनेशनल अवार्ड के लिए चुनेगी ।
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फिल्म फेस्टिवल
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
जब नर्गिस के सामने गूंगे हो गए सुनील दत्त
सुनील दत्त के लिए नर्गिस के मन में प्रेम पनपा निर्देशक मेहबूब खान की फिल्म मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान। इस फिल्म में नर्गिस, राजेंद्र कुमार और सुनील दत्त की माँ का किरदार कर रही थी। फिल्म के एक सीन में खलिहान में रखे अनाज के ढेर पर सूदखोर लाला के आदमी आग लगा देते हैं। नर्गिस का बदहवास किरदार इस आग में घुस जाता है। इस सीन को फिल्माए जाने के दौरान नर्गिस सचमुच आग में घिर गई। जब सेट पर मौजूद कोई भी शख्स नर्गिस को आग से बाहर निकालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था, सुनील दत्त आग के दरिया में कूद पड़े। फिल्म का रील लाइफ सीन, रियल लाइफ में भी सच साबित हो गया। बहरहाल, सुनील दत्त नर्गिस को तो बचा लाये, लेकिन खुद बुरी तरह से झुलस गए। उन्हें तेज़ बुखार हो गया। उस समय नर्गिस ने उनकी तीमारदारी की। इस दौरान नर्गिस और सुनील दत्त को लगा कि वह एक दूजे के लिए ही बने हैं। राजकपूर से प्रेम में धोखा खाई नर्गिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली और स्टारडम को अलविदा कह दिया। इसमें कोई शक नहीं कि नर्गिस- सुनील जोड़ी बनाने वाली फिल्म मदर इंडिया थी। लेकिन, सुनील दत्त तो बहुत पहले से नर्गिस के दीवाने थे। इसीलिए उन्हें रेडियो सीलोन में आरजे के कार्य के दौरान नर्गिस से इंटरव्यू का मौका मिला तो वह झट तैयार हो गए। अब यह बात दीगर है कि रेडियो सीलोन को यह प्रोग्राम कैंसिल करना पड़ा। क्योंकि स्थापित अभिनेत्री नर्गिस का इंटरव्यू लेने गए युवा दत्त के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल सका। इसके बाद सुनील दत्त बिमल रॉय की फिल्म दो बीघा ज़मीन की शूटिंग के दौरान फिल्म के सेट पर नर्गिस से मिले। यह एक तरफा प्यार था। नर्गिस अपने स्टारडम और राजकपूर के साथ फिल्म और रोमांस में व्यस्त थी। अगर, मदर इंडिया के सेट पर आग नहीं लगती, नर्गिस इसके बीच न फंसती, सुनील दत्त उन्हें बचाने के प्रयास में खुद न झुलसते तो पता नहीं इस इकतरफे प्यार का क्या हश्र होता। सुनील दत्त की हृदयघात से मृत्य २५ मई २००५ को ७४ साल की उम्र में हो गई थी।
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श्रद्धांजलि,
हस्तियां
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Tuesday, 24 May 2016
जैसे यह रोल मेरे लिए ही लिखा गया था- तुलना बुटालिया
थ्रिलर फिल्म
"फ्रेडरिक"से बॉलीवुड में इंट्री कर रही नई अभिनेत्री तुलना बुटालिया। उनका अभिनय से पहला नाता है। बिना किसी दूसरे माध्यम का अनुभव किये फिल्म की नायिका बन रही तुलना बुटालिया से चलते चलाते की बातचीत-
सवाल:आप फिल्मों में
कैसे आई और यह मूवी आपको किस तरह मिली ?
तुलना:यह प्लानिंग
के तहत नहीं हुआ। पहले भी मुझे दो तीन बार ऑफर आया था मगर मैंने इंकार कर दिया था।
लेकिन इस बार जब "फ्रेड्रिक "की पेशकश आई तो मैं ने इस ऑफर को जाने नहीं
दिया। मुझे ऐसा लगा जैसे यह रोल मेरे लिए ही लिखा गया था। निर्माता मनीष कलारिया
और निर्देशक राजेश बुटालिया को मुझ पर पूरा भरोसा था कि मैं अपनी भूमिका के साथ इंसाफ कर पाऊँगी ।मेरा ऑडिशन हुआ
स्क्रीन टेस्ट में मैं पास हो गई। हालाँकि यह स्पष्ट था कि मुझे अभिनय क्षेत्र में
गाइडेंस की ज़रूरत थी और निर्देशक ने मुझे
इस मामले में बहुत गाइड किया ।
सवाल:फिल्म के दूसरे
कलाकारों और निर्देशक के साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा ?
तुलना:मेरा पूरा
अनुभव नया था। सब ने मुझे बड़ा उत्साहित किया। निर्देशक हमेशा मेरे साथ रहे
उन्होंने ट्रेनिंग दी और गाइड किया। अगर मैं कुछ कर नहीं पा रही थी तो उन्होंने
मुझे पूरा मौका दिया और धैर्य बरक़रार रखा.और जब तक मैंने वैसा शॉट नहीं दिया जैसा वह चाहते थे तब तक मुझे प्रयास का अवसर प्रदान किया। उन्होंने मेरी अभिनय क्षमता
को निखारने के लिए वर्कशॉप रखे। फिल्म के सेट पर मौजूद तमाम अदाकार खास कर अविनाश ने मेरी
बहुत मदद की। मेरा पूरा अनुभव अमेज़िंग था ।
सवाल:एक्शन सीन करने
के लिए आपने किस से ट्रेनिंग ली ?
तुलना:ईमानदारी से
कहू तो फिल्म के सेट पर मैंने सब कुछ सीखा और इसको लेकर बहुत नर्वस थी। मैं हमेशा
से बड़ी ऐक्टिव परसन रही हूँ। पहले मैंने कुछ किक बॉक्सिंग सीखी थी इसलिए मुझे थोड़ा
विश्वास था लेकिन फिल्म में खतरनाक एक्शन सीन करना एक अलग ही बात होती है। इसलिए
मुझे एक्शन मास्टर विक्की ने ढेर सी चीज़ें सिखाईं। एक्शन वाले सीन करने में काफी
समय लगता था ।
राजेंद्र कांडपाल
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साक्षात्कार,
हस्तियां
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Monday, 23 May 2016
हिंदी फिल्म "पूरब की आवाज़" की पहली झलक
हिंदी फिल्म
"पूरब की आवाज़" की पहली झलक अत्यन्त शानदार तरीके से २० मई २०१६ को
गोरेगाव स्तिथ कार्निवाल सिनेमा के अनमोल बैंक्वेट में संपन्न हुआ, साथ ही इसका संगीत विवादित फिल्मकार कमाल राशिद
खान (के आर के) द्वारा रिलीज़ किया गया। इस अवसर पर फिल्म से जुड़े सरे कलाकार व
तकनिकी सम्भंदित अलावा डिस्ट्रीब्यूटर व
मीडिया के लोग मौजूद थे, जिन्होंने फिल्म के नए दृष्टिकोण के वजह से काफी सराहना की। फिल्म
रिलीज़ बय महमूद अली, पेन न कैमरा
इंटरनेशनल ऑन ५ अगस्त २०१६।
फिल्म "पूरब की
आवाज़" की एक झलक।
फिल्म की कहानी १९४२
की एक देशभक्त क्रन्तिकारी लड़की 'वीरांगना कनकलता' के जीवन पर आधारित है। कनकलता
ने १६ वर्ष की उम्र में २० सितम्बर १९४२ में देश के लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त
हुई। अब तक भगत सिंह, मंगल पांडेय जैसे
शहीदों पर कई फिल्म बनी है, पर आसाम की ोस वीरांगना पर यह प्रथम फिल्म है।
फिल्म के निर्माता
है लोकनाथ डेका, कथाकार हैं चंद्रा
मुदोई, एक्सिक्यूटिव
निर्माता जमाल अहमद रो, संगीत डा हितेश
बोरुाह, अजय फुकन एवं तपन
ककति, नृत्य नबा कुमार
दास। फिल्म के कलाकार हैं, निपुण गोस्वामी, उर्मिला महानता, देबसिस बरठकुर, डॉ तपन शर्मा, मोनीमरा बोरा, रीना बोरा व अन्य।
एल पी के जी फिल्म्स
प्रोडक्शन, मशहूर वितरण कम्पनी 'पेन-एन-कैमरा इंटरनेशनल' के महमूद अली के साथ मिलकर लगभग १००० सिनेमा में
इसे रिलीज कर रहे हैं, ५ अगस्त २०१६ को यह
रिलीज़ होगी। संपूर्ण भारत में मुंबई, दिल्ली-उत्तर प्रदेश, कोलकाता, बिहार, सी पी, सी आई, राजस्थान व उड़ीसा और
आसाम में प्रदर्शित होगी।
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असम से
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Saturday, 21 May 2016
हरभजन मान अभिनीत पंजाबी फिल्म 'साडे सीएम साब' का म्यूजिक लांच अनूठे अंदाज में संपन्न
- हरभजन मान की फिल्म 'साडे सीएम साब' के थिरकाने वाले गीत रिलीज हुए
- हरभजन मान अभिनीत
फिल्म 'साडे सीएम साब'
में होंगे बॉलीवुड प्लेबैक गायिकाओं,
सूफी गायकों और खुद हरभजन मान की आवाज में
दिलकश गाने
पंजाबी व हिंदी भाषाओं में अगले शुक्रवार 27 मई को दुनिया भर में रिलीज होने जा रही, यूनिसिस इन्फोसॉल्युशंस सागा म्यूजिक निर्मित और
हरभजन मान अभिनीत फिल्म 'साडे सीएम साब' का म्यूजिक लांच बहुत ही स्टायल के साथ गुडग़ांव के किं गडम ऑफ ड्रीम्स
में 'शोशा' कार्यक्रम के बीच लांच हुआ।
पंजाबी फिल्म के
म्यूजिक लांच के लिए गुडग़ांव क्यों? इस पर यूनिसिस इन्फोसॉल्युशंस सागा म्यूजिक के एमडी सुमीत सिंह कहते
हैं, 'अधिकांश पंजाबी
फिल्मों के म्यूजिक लांच प्रोग्राम ज्यादातर चंडीगढ़ में किये जाते हैं, वहीं इस फिल्म के निर्माताओं ने म्यूजिक लांच के
लिए गुडग़ांव के 'किंगडम ऑफ ड्रीम्स'
को चुना है। आगामी 21 मई को वहां एक शानदार म्यूजिक लांच पार्टी
आयोजित की जायेगी। 'साडे सीएम साब'
के डायरेक्टर विपिन पराशर ने बताया,
'एनसीआर में म्यूजिक लांच करने के पीछे
विचार यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर यह खबर फैल जाये, जैसा कि पहले किसी भी पंजाबी फिल्म के मामले में
नहीं हुआ है। आखिरकार, यह फिल्म हिंदी में
भी तो आ रही है।'
म्यूजिक लांच पार्टी
एक महा आयोजन था, जिसमें सूफी गानों
के लिए मशहूर जानी-मानी बॉलीवुड गायिका हर्षदीप कौर ने दिल को छू लेने वाली
परफॉर्मेंसेस दीं। हर्षदीप ने 'साडे सीएम साब' में हरभजन मान के साथ एक रोमेंटिक गीत 'मेरे विच तेरी' भी गाया है। हरभजन मान ने भी दर्शकों के मनोरंजन
हेतु अपनी लुभावनी आवाज में पहले तो हर्षदीप के साथ 'मेरे विच तेरी' गाया, फिर उन्होंने दोस्ती की थीम पर 'चुप करजा' और अंत में एक आध्यात्मिक सिंगल 'आद सच जुगाड़ सच' गाकर समां बांध दिया।
हरभजन मान ने कहा,
'मुझे भरोसा है कि फिल्म के छह गाने पक्का
हिट होंगे। इनमें से कुछ तो डिजिटल एवं सोशल मीडिया पर लांच होने के बाद से ही
शानदार रैस्पोंस पा रहे हैं। हर गीत दूसरे गीत से बेहतर लगता है। 'साडे सीएम साब' के लिए उस्ताद राहत फतेह अली खान जैसे महारथी ने
अपनी आवाज दी है, तो इसका टाइटल सांग
प्रसिद्ध गायक दलेर मेहंदी की आवाज में है। इसमें राहत फतेह अली खान के साथ
बॉलीवुड की गायिका मधुश्री भट्टाचार्य ने 'सजना' गीत गाया है।'
एक रोचक तथ्य यह है
कि 'साडे सीएम साब'
में खलनायक बने देव सिंह गिल पर एक गीत
फिल्माया गया है 'शेरां दा राज',
वहीं देव सिंह जो दक्षिण भारतीय
ब्लॉकबस्टर फिल्मों 'मगाधीरा' एवं 'लिंगा' जैसी फिल्मों में
नाम कमा चुके हैं।
'साडे सीएम साब'
के डायरेक्टर विपिन पराशर कहते हैं,
'साडे सीएम साब' का पंजाबी वर्जन पंजाब, अन्य उत्तर भारतीय राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय
क्षेत्रों में धूम मचायेगा। फिल्म में यूनिवर्सल अपील है जो मनोरंजन के साथ बहुत
ही गहरा संदेश देती है। जहां तक इसके संगीत का सवाल है तो यह लोगों का लंबे समय तक
याद रहेगा। सीएम साब'
के गीतों के पीछे सबसे बड़ी बात यह है कि
इसमें अपना योगदान देने वाले सभी कलाकार बहुत ही प्रतिभाशाली और सदाबहार किस्म के
हैं। इसके गीत बाबू सिंह मान एवं महान पाकिस्तानी गीतकार एवं शायर एस एम सादिक ने
लिखे हैं। संगीत निर्देशन अविशेक मजूमदार का है, जो कई बॉलीवुड फिल्मों में जान फूंक चुके हैं।
अन्य संगीत निर्देशक हैं ऋषि-सिद्धार्थ एवं गोल्डकाटर््ज।
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गीत संगीत
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
'सुल्तान' से बाहर शाहरुख़ खान !
राइटर-डायरेक्टर अली
अब्बास ज़फर ने सुल्तान के लिए एक सीन लिखा था, जिसमे सुलतान एक बॉलीवुड सुपर स्टार से मिलने जाता है। अली अब्बास ज़फर
सुल्तान के रील लाइफ सुपर स्टार एक्टर के बारे में सोच ही रहे थे कि एक दिन शाहरुख़
खान यशराज स्टूडियो में सलमान खान से मिलने सुल्तान के सेट पर चले आये। उन्हें आया
देख कर अली के दिमाग में एक प्लान चमका। उन्होंने सलमान खान के शाहरुख़ खान से
मिलने की घटना को कैमराबंद कर लिया। लम्बे समय बाद, दोनों खान किसी फिल्म में एक
साथ दिखाई पड़ने थे । लेकिन, अब फिल्म के
निर्माताओं ने इस सीन को फिल्म में न रखने का निर्णय लिया है। उनका यह फैसला दोनों खानों के बीच किसी मनमुटाव का नतीजा नहीं
है। दरअसल, प्रोडक्शन हाउस ने शाहरुख़ खान के सुल्तान सेट पर पहुँचने और सलमान खान
से मिलने को शूट तो कर लिया। लेकिन,
इसके लिए शाहरुख़ खान से लिखित में अनुमति नहीं ली
थी। अब जबकि सुल्तान ईद के मौके पर रिलीज़
हो रही है, शाहरुख़ खान की लिखित अनुमति का अतापता
नहीं है। इसलिए, फिल्म के प्रोडक्शन हाउस
ने इस सीन को फिल्म में न रखने का फैसला लिया।
अभी यह साफ़ नहीं है कि सुल्तान में कोई सुपर स्टार होगा या नहीं ? अगर होगा तो यह सुपर स्टार कौन अभिनेता होगा !
वैसे सलमान खान कह सकते हैं कि उनकी फिल्म में किसी सुपर स्टार का क्या काम !
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ये ल्लों !!!
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Friday, 20 May 2016
पहला फिल्म्स टुडे ड्रीम अचीवर्स अवार्ड
राजेश श्रीवास्तव ने विभिन्न क्षेत्र से जुड़े लोगों को फिल्म्स टुडे ड्रीम अचीवर्स अवार्ड से सम्मानित किया। इस इवेंट में फिल्म, टीवी और मीडिया के कई लोगों को अवार्ड दिया गया। भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई प्रह्लाद मोदी, आचार्य प्रमोद कृष्णन ,स्वामी कुमारन और ली फनघुए कॉन्सुलेट जनरल चीन ,मुंबई मुख्य अतिथि थे। एजाज़ खान, सुनील पाल, राजपाल यादव, सुरेन्द्र पाल, ब्राईट के योगेश लखानी,एकता जैन, टीना घई, गिरीश वानखेड़े, दबंग दुनिया के संपादक नीलकंठ पराटकर, सन्देश गुजराती पेपर के सतीश सोनी, मरयम ज़करिया, सत्तार दीवान, यश टोंक, उदित नारायण, रणजीत, जसवीर कौर, शबाब साबरी, शारिब तोषी, संजीव दर्शन और कई जानेमाने लोगों को अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। फिल्म्स टुडे मैगज़ीन ने भी इस साल दस वर्ष पुरे कर लिए।
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पुरस्कार
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