कुछ समय पहले, तमाम अखबारों और पत्रिकाओं के फिल्म पेज पर संजय दत्त के महाराजा लुक वाले चित्र प्रकाशित हुए थे। यह फिल्म जामनगर के महाराजा जाम साहेब दिग्विजयसिंघजी रणजीतसिंहजी के जीवन पर थी। महाराज ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाज़ियों के चंगुल से भाग रहे पोलिश बच्चों को अपने राज्य में शरण दी थी। संजय दत्त इन्ही महाराजा का किरदार करने वाले थे। फिल्म का निर्देशन ओमंग कुमार कर रहे थे। इसी बीच दो घटनाये हुई। पहले तो महाराजा के वारिसों ने बिना उनसे पूछे महाराज पर फिल्म बनाने का विरोध किया। दूसरी घटना ओमंग कुमार की संजय दत्त के साथ फिल्म भूमि बॉक्स ऑफिस पर टें बोल गई। संजय दत्त को लगा कि ओमंग कुमार की फिल्मों से उनका करियर नहीं बन सकता। इसलिए, उन्होंने द गुड महाराजा फिल्म को लंबा सलाम ठोंक दिया। अब ताज़ा-तरीन खबर यह है कि संजय दत्त गुड महाराजा बनेंगे। लेकिन, फिल्म ओमंग कुमार की नहीं होगी। खबर है कि ओमंग कुमार ने महाराजा को सेलुलाइड पर उतारने का इरादा छोड़ दिया है । लेकिन, इस विषय पर आशुतोष गोवारिकर भी रिसर्च कर रहे थे। संजय दत्त अब लगान, स्वदेश, जोधा अकबर, खेले हम जी जान से और मोहनजोदड़ो के निर्देशक आशुतोष गोवारिकर की फिल्म में गुड महाराजा बने नज़र आएंगे।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday, 19 November 2017
संजय दत्त महाराजा बनेंगे लेकिन....!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
क्या दिसंबर में रिलीज़ नहीं हो पाएंगी पद्मावती और टाइगर ज़िंदा है !
पद्मावती की रिलीज़ अनिश्चित काल तक टल गई है। पद्मावती का विरोध कर रहे कुछ ग्रुप अपनी पीठ ठोंक सकते हैं कि उनका विरोध काम आ गया। फिल्म की रिलीज़ टल गई। लेकिन, पद्मावती की १ दिसंबर की रिलीज़ के टलने का सेहरा ठाकुर-राजपूत विरोध के सर बांधना ज़ल्दबाज़ी होगी। यह तब माना जाता, जब पद्मावती सेंसर हो जाती। पद्मावती तो अभी सेंसर ही नहीं हुई है। सच कहा जाये तो अभी फिल्म के फाइनल प्रिंट ही नहीं तैयार हुआ है। अगर, पद्मावती के टलने का श्रेय सेंसर बोर्ड को ख़ास तौर पर इसके चीफ को दिया जाये तो ज़्यादा ठीक होगा। लेकिन, यह भी फिल्म निर्माताओं की करनी का नतीजा है।
पद्मावती के निर्माताओं ने सेंसर बोर्ड के चीफ प्रसून जोशी को नाराज़ कर दिया है। सेंसर बोर्ड ने पद्मावती को कागज़ी कार्यवाही पूरी न होने के कारण वापस कर दिया गया था। फिल्म के निर्माताओं ने तेजी दिखा कर फिल्म को फिर सेंसर बोर्ड के पास भेजने के बजाय न्यूज़ चैनलों के पत्रकारों की प्राइवेट स्क्रीनिंग करानी शुरू कर दी। कवि ह्रदय प्रसून जोशी को यह हरकत सेंसर पर दबाव डालने जैसी लगी। उन्होंने सिनेमेटोग्राफ एक्ट १९५२ के रूल ४१ को कड़ाई से लागू करवा दिया। इस रूल के अनुसार किसी भी फिल्म को पारित करने के लिए ६८ दिनों की ज़रुरत होती है। मतलब यह कि फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों को ६८ दिन पहले सेंसर को भेज दें। सेंसर उन पर यथा समय विचार कर ६८ दिनों के अंदर पारित कर देगा।
सेंसर के द्वारा इस रूल का कड़ाई से पालन कराने का पहला शिकार हुए हॉलीवुड की फिल्म जस्टिस लीग के हिंदी, तमिल और तेलुगु संस्करण। वार्नर ब्रदर्स की फिल्म जस्टिस लीग का अंग्रेजी संस्करण पारित हो गया था। लेकिन, जिस समय हिंदी, तमिल और तेलुगु संस्करण सेंसर के पास भेजे गए, बोर्ड ने ६८ दिनों का नियम लागू कर दिया। इसके फलस्वरूप जस्टिस लीग के यह संस्करण लटक गए। वार्नर ब्रदर्स के अधिकारियों ने लाख कोशिशे की कि सेंसर इन्हे इस आधार पर पारित कर दे कि इंग्लिश जस्टिस लीग पारित हो गई थी, लेकिन सेंसर बोर्ड टस से मस नहीं हुआ। जबकि, हिंदी, तमिल और तेलुगु फिल्मों के टिकटों की एडवांस बुकिंग भी हो चुकी थी। इसके परिणामस्वरुप इस शुक्रवार तमाम सिनेमाघरों में हिंदी, तमिल और तेलुगु के बजाय इंग्लिश जस्टिस लीग दिखाई गई। क्या ठाकुरों-राजपूतों ने जस्टिस लीग के भारतीय संस्करणों का विरोध किया था ? नहीं न।
लेकिन, जस्टिस लीग के भारतीय भाषाओं के संस्करण न रिलीज़ हो पाना बॉलीवुड के लिए चिंता की बात है। अगर, सेंसर बोर्ड नियमों में ढील नहीं दी, तो वह तमाम फ़िल्मे जो दिसंबर मे रिलीज़ होनी हैं, उनमे से काफी रिलीज़ नहीं हो पाएंगी। यह बड़ी फिल्मों के निर्माताओं के लिए चिंता की बात है। अभी तक वह थोड़ा एडवांस प्रिंट भेज कर फिल्म रिलीज़ डेट से पहले पारित करवा लेते थे। लेकिन, अब ऐसा नहीं हो सकेगा। ऐसे में दिसंबर में रिलीज़ हो रही दो बड़ी फिल्मों पद्मावती और टाइगर ज़िंदा है की रिलीज़ पर खतरा मंडरा रहा था । पद्मावती को सेंसर बोर्ड कागज़ी खानापूर्ति न होने के कारण वापस कर चुका था । पद्मावती सेंसर बोर्ड की ६८ दिन की सीमा से बाहर थी। इसलिए, इसके १ दिसंबर को रिलीज़ होने का सवाल ही नहीं उठता था । फिल्म खानापूर्ति के बाद फिर सेंसर के लिए भेजी जाती, लाइन में फंस ही जाती । इसलिए,पद्मावती की रिलीज़ टालना वायाकॉम १८ की मज़बूरी थी। इस समय सेंसर के पास २०० फ़िल्में सेंसर के लिए पड़ी है। इनमे से कुछ फ़िल्में पारित भी हो गई है। सेंसर बोर्ड को टीवी सीरियल, विज्ञापन, जिंगल, वीडियो फ़िल्में भी पारित करनी होती हैं। ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन के लिए बुक कराने के नियम का नतीज़ा है कि लाइन तोड़ कर किसी फिल्म का पारित किया जाना संभव ही नहीं है। इस लिहाज़ से टाइगर ज़िंदा है की हालत ज़्यादा खराब है। यह फिल्म २२ दिसंबर को रिलीज़ होनी है। फिल्म की शूटिंग ही कुछ समय पहले ही पूरी हो सकी है। अब, जब यह फिल्म सेंसर के पास भेजी जाएगी, तब यह भी डेड लाइन की लाइन में अटक जाएगी। ऐसे में ज़ाहिर है कि दिसंबर में टाइगर ज़िंदा है भी रिलीज़ नहीं हो पाएगी। अब इन फिल्मों को जनवरी या इसके बाद के लिए टाला जाना होगा। शायद, यह फ़िल्में फरवरी में ही रिलीज़ हो। क्योंकि, जनवरी में कई बड़ी फ़िल्में रिलीज़ होनी है।
ऐसे समय में बॉलीवुड को वह पहलाज निहलानी याद आ रहे हैं, जिन्हे बॉलीवुड हर रोज कोसता रहता था, उन्हें हटाने की मांग करता रहता था। पहलाज खुद भी फिल्म निर्माता थे। वह बड़े फिल्म निर्माताओं की कठिनाइयों को समझते हुए रूल से हट कर फ़िल्में पारित करवा देते थे। जबकि, प्रसून जोशी तो मशक्कत करने के बावजूद किसी से मिल नहीं रहे। ऐसे में जब पत्रकारों ने पहलाज निहलानी से यह बात कही तो उनका जवाब बड़ा दिलचस्प था, "जब छोटी बहु घर आती है तो सास को बड़ी बहु काम ज़हरीली लगती है।" इसे कहते है पहलाज निहलानी का दहला।
पद्मावती के निर्माताओं ने सेंसर बोर्ड के चीफ प्रसून जोशी को नाराज़ कर दिया है। सेंसर बोर्ड ने पद्मावती को कागज़ी कार्यवाही पूरी न होने के कारण वापस कर दिया गया था। फिल्म के निर्माताओं ने तेजी दिखा कर फिल्म को फिर सेंसर बोर्ड के पास भेजने के बजाय न्यूज़ चैनलों के पत्रकारों की प्राइवेट स्क्रीनिंग करानी शुरू कर दी। कवि ह्रदय प्रसून जोशी को यह हरकत सेंसर पर दबाव डालने जैसी लगी। उन्होंने सिनेमेटोग्राफ एक्ट १९५२ के रूल ४१ को कड़ाई से लागू करवा दिया। इस रूल के अनुसार किसी भी फिल्म को पारित करने के लिए ६८ दिनों की ज़रुरत होती है। मतलब यह कि फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों को ६८ दिन पहले सेंसर को भेज दें। सेंसर उन पर यथा समय विचार कर ६८ दिनों के अंदर पारित कर देगा।
सेंसर के द्वारा इस रूल का कड़ाई से पालन कराने का पहला शिकार हुए हॉलीवुड की फिल्म जस्टिस लीग के हिंदी, तमिल और तेलुगु संस्करण। वार्नर ब्रदर्स की फिल्म जस्टिस लीग का अंग्रेजी संस्करण पारित हो गया था। लेकिन, जिस समय हिंदी, तमिल और तेलुगु संस्करण सेंसर के पास भेजे गए, बोर्ड ने ६८ दिनों का नियम लागू कर दिया। इसके फलस्वरूप जस्टिस लीग के यह संस्करण लटक गए। वार्नर ब्रदर्स के अधिकारियों ने लाख कोशिशे की कि सेंसर इन्हे इस आधार पर पारित कर दे कि इंग्लिश जस्टिस लीग पारित हो गई थी, लेकिन सेंसर बोर्ड टस से मस नहीं हुआ। जबकि, हिंदी, तमिल और तेलुगु फिल्मों के टिकटों की एडवांस बुकिंग भी हो चुकी थी। इसके परिणामस्वरुप इस शुक्रवार तमाम सिनेमाघरों में हिंदी, तमिल और तेलुगु के बजाय इंग्लिश जस्टिस लीग दिखाई गई। क्या ठाकुरों-राजपूतों ने जस्टिस लीग के भारतीय संस्करणों का विरोध किया था ? नहीं न।
लेकिन, जस्टिस लीग के भारतीय भाषाओं के संस्करण न रिलीज़ हो पाना बॉलीवुड के लिए चिंता की बात है। अगर, सेंसर बोर्ड नियमों में ढील नहीं दी, तो वह तमाम फ़िल्मे जो दिसंबर मे रिलीज़ होनी हैं, उनमे से काफी रिलीज़ नहीं हो पाएंगी। यह बड़ी फिल्मों के निर्माताओं के लिए चिंता की बात है। अभी तक वह थोड़ा एडवांस प्रिंट भेज कर फिल्म रिलीज़ डेट से पहले पारित करवा लेते थे। लेकिन, अब ऐसा नहीं हो सकेगा। ऐसे में दिसंबर में रिलीज़ हो रही दो बड़ी फिल्मों पद्मावती और टाइगर ज़िंदा है की रिलीज़ पर खतरा मंडरा रहा था । पद्मावती को सेंसर बोर्ड कागज़ी खानापूर्ति न होने के कारण वापस कर चुका था । पद्मावती सेंसर बोर्ड की ६८ दिन की सीमा से बाहर थी। इसलिए, इसके १ दिसंबर को रिलीज़ होने का सवाल ही नहीं उठता था । फिल्म खानापूर्ति के बाद फिर सेंसर के लिए भेजी जाती, लाइन में फंस ही जाती । इसलिए,पद्मावती की रिलीज़ टालना वायाकॉम १८ की मज़बूरी थी। इस समय सेंसर के पास २०० फ़िल्में सेंसर के लिए पड़ी है। इनमे से कुछ फ़िल्में पारित भी हो गई है। सेंसर बोर्ड को टीवी सीरियल, विज्ञापन, जिंगल, वीडियो फ़िल्में भी पारित करनी होती हैं। ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन के लिए बुक कराने के नियम का नतीज़ा है कि लाइन तोड़ कर किसी फिल्म का पारित किया जाना संभव ही नहीं है। इस लिहाज़ से टाइगर ज़िंदा है की हालत ज़्यादा खराब है। यह फिल्म २२ दिसंबर को रिलीज़ होनी है। फिल्म की शूटिंग ही कुछ समय पहले ही पूरी हो सकी है। अब, जब यह फिल्म सेंसर के पास भेजी जाएगी, तब यह भी डेड लाइन की लाइन में अटक जाएगी। ऐसे में ज़ाहिर है कि दिसंबर में टाइगर ज़िंदा है भी रिलीज़ नहीं हो पाएगी। अब इन फिल्मों को जनवरी या इसके बाद के लिए टाला जाना होगा। शायद, यह फ़िल्में फरवरी में ही रिलीज़ हो। क्योंकि, जनवरी में कई बड़ी फ़िल्में रिलीज़ होनी है।
ऐसे समय में बॉलीवुड को वह पहलाज निहलानी याद आ रहे हैं, जिन्हे बॉलीवुड हर रोज कोसता रहता था, उन्हें हटाने की मांग करता रहता था। पहलाज खुद भी फिल्म निर्माता थे। वह बड़े फिल्म निर्माताओं की कठिनाइयों को समझते हुए रूल से हट कर फ़िल्में पारित करवा देते थे। जबकि, प्रसून जोशी तो मशक्कत करने के बावजूद किसी से मिल नहीं रहे। ऐसे में जब पत्रकारों ने पहलाज निहलानी से यह बात कही तो उनका जवाब बड़ा दिलचस्प था, "जब छोटी बहु घर आती है तो सास को बड़ी बहु काम ज़हरीली लगती है।" इसे कहते है पहलाज निहलानी का दहला।
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
सनी लियॉन की 'घर' वापसी !
बिग बॉस के घर में सनी लियॉन की वापसी |
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हस्तियां
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
इरफ़ान खान और दीपिका पादुकोण की यह पीकू जोड़ी नहीं है
इरफ़ान खान और दीपिका पादुकोण की जोड़ी दूसरी बार बनने जा रही है। लेकिन, इरफ़ान-दीपिका जोड़ी पीकू जोड़ी नहीं होगी। सपना दीदी फिल्म में यह दोनों एक दूसरे से दुश्मनी निभाते नज़र आएंगे। सपना दीदी, एस हुसैन ज़ैदी की पुस्तक माफिया क्वींस ऑफ़ मुंबई पर आधारित फिल्म है। मुंबई की खतरनाक महिला डॉन रहीमा खान इकलौती ऎसी डॉन थी, जिसने दावूद इब्राहिम पर हमला करवाने की कोशिश की। रहीमा, सपना दीदी के नाम से मशहूर थी। खुद पर हमले से दावूद इब्राहिम बौखला गया था। उसने अपने गुर्गों से सपना की हत्या करवा दी थी। सपना दीदी में सपना दीदी यानि रहीमा खान दीपिका पादुकोण बनी हैं और इरफ़ान खान डॉन दावूद इब्राहिम का रोल कर रहे हैं। ज़ाहिर है कि रील लाइफ में एक दूसरे के जानी दुश्मनों को पीकू जोड़ी का खिताब कैसे दिया जा सकता है। सपना दीदी का निर्देशन हनी त्रेहन हैं। वह बॉलीवुड की कई बड़ी फिल्मों के कास्टिंग डायरेक्टर रहे हैं। उन्होंने सपना दीदी के निर्माता विशाल भारद्वाज को उनकी फिल्मों ओमकारा, कमीने, ७ खून माफ़, आदि फिल्मों में सह-निर्देशन किया था।
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ये ल्लों !!!
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धड़क में जाह्नवी की माँ श्रीदेवी भी
धड़क के बारे में एक और दिलचस्प खबर है। इस फिल्म में जाह्नवी कपूर की माँ का किरदार उनकी रियल लाइफ माँ श्रीदेवी करेंगी। ख़ास बात यह है कि श्रीदेवी की यह भूमिका आम माँ की भूमिका जैसी नहीं होगी। फिल्म में श्रीदेवी की एंट्री बड़े अहम् मोड़ पर होगी। हिंदी फिल्मों से अलविदा करने के १५ साल बाद, श्रीदेवी की वापसी गौरी शिंदे की फिल्म इंग्लिश विंग्लिश से हुई थी। इस फिल्म में भी वह एक बच्ची की माँ बनी थी। यह उनकी उम्र के अनुकूल भूमिका थी। उनकी दूसरी फिल्म मॉम में भी वह एक बच्ची की माँ बनी थी। इन दोनों फिल्मों में श्रीदेवी के अभिनय की बहुत प्रशंसा हुई थी। अब वह धड़क में माँ बन कर आ रही हैं, तो वह फिल्म में अपनी रियल लाइफ बेटी की सहयोगी साबित होंगी। सेट पर श्रीदेवी की मौजूदगी जाह्नवी को इत्मीनान से तो रखेगी ही, श्रीदेवी के अनुभवों का फायदा भी देगी। धड़क अगले साल रिलीज़ होगी।
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दक्षिण अफ्रीका के वेब शो में ऋचा चड्डा
फुकरे की भोली पंजाबन की भूमिका से मशहूर ऋचा चड्डा ने अमेज़न की वीडियो ऑन डिमांड सीरीज इनसाइड एज में क्रिकेट टीम की मालकिन ज़रीना मालिक की भूमिका में अपना ज़बरदस्त प्रभाव छोड़ा था। उनकी इस सीरीज को दक्षिण अफ्रीका के डानी होगन ने भी देखा था। वह खुद क्रिकेट पर एक वेब सीरीज बनाने की योजना बना रहे थे। वह ऋचा के किरदार से काफी प्रभावित हुए थे। इसलिए, उन्होंने ऋचा के सामने अपनी वेब सीरीज में काम करने का प्रस्ताव रखा। ऋचा को लगता है कि अब डिजिटल माध्यम प्रभावशाली और महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है। उन्हें होगन का प्रस्ताव पसंद आया है। वह इस पर अपनी टीम के साथ सलाह मशविरा कर रही हैं। लेकिन, पूरी उम्मीद है कि वह इस सीरीज को करेंगी। जहाँ तक बॉलीवुड फिल्मों का सवाल है, उनके पास ढेरों फ़िल्में हैं। उनकी सीरीज की फिल्म फुकरे रिटर्न्स १५ दिसंबर को रिलीज़ होने जा रही है। इसके अलावा उनकी और देवदास, कैबरे, लव सोनिया और घूमकेतु निर्माण के भिन्न चरणों में है। जल्द ही दर्शक उन्हें एक के बाद एक फिल्मों में सशक्त भूमिकाएं करते देखेंगे।
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अभी हिंदी फिल्म नहीं बनायेंगे राजामौली
एस एस राजामौली की फिल्म बाहुबली : द कन्क्लूजन को पूरी दुनिया में जैसी सफलता मिली है, उससे बॉलीवुड चकाचौंध है। बाहुबली २ के हिंदी संस्करण ने जैसा कारोबार किया है, वैसा कारोबार अभी तक कोई हिंदी फिल्म नहीं कर पाई है। इस फिल्म के मुख्य एक्टर प्रभाष और अनुष्का शेट्टी को हिंदी दर्शक अच्छी तरह से पहचानने लगे हैं। खुद राजामौली ने अपने आप को दर्शकों की नब्ज़ समझने वाला फिल्मकार माना जाने लगा है। दरअसल, राजामौली बहुत अच्छी कहानी कहने वाले फिल्मकार हैं। दर्शक मंत्रमुग्ध सा देखता और सुनता रह जाता है। जिस दौरान बाहुबली २ झंडे गाड़ रही थी, उसी दौर में यह खबर सुर्ख थी कि राजामौली एक और हिंदी फिल्म बनाने जा रहे हैं। उनके प्रभाष के साथ अगली फिल्म बनाये जाने की भी खबरें थी। लेकिन, अब प्रभाष ने सभी खबरों को अफवाह साबित कर दिया है। राजामौली न तो प्रभाष के साथ कोई फिल्म बना रहे हैं, न ही किसी हिंदी फिल्म पर काम करने का उनका इरादा है। वह एक तेलुगु फिल्म का निर्माण ज़रूर करेंगे। इस फिल्म में जूनियर एनटीआर और राम चरन दो नायक होंगे। इस फिल्म की शूटिंग अगले साल के मध्य में शुरू हो जाएगी। एक खास खबर यह भी है कि एस एस राजामौली की १००० करोड़ का कारोबार करने वाली बाहुबली: द कन्क्लूजन चीन में रिलीज़ होने जा रही है।
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खबर है,
साउथ सिनेमा
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बॉलीवुड न्यूज़ १९ नवम्बर
एमबीए है टाइगर ज़िंदा है
का आतंकवादी अबू उस्मान
निर्देशक अली अब्बास ज़फर
की फिल्म टाइगर ज़िंदा है के सलमान खान और कैटरीना कैफ के किरदारों के सनीखेज अभियान के केंद्र में अबू उस्मान
है। आतंकी अबू उस्मान ने २५ भारतीय नर्सों का अपहरण कर बंधक बना लिया। इन बंधकों
को अगर कोई छुड़ा सकता है तो वह है टाइगर। भारत की इंटेलिजेंस एजेंसी के एजेंट
टाइगर को इस अभियान में मदद मिलती है एक पाकिस्तानी एजेंट ज़ोया से। निश्चित रूप से
उस सीन में टाइगर को ज़बरदस्त तालियां मिलेंगी, जिसमे वह अबू उस्मान से कहता है कि उस्मान अगर तुझमे
दम है, तो अब...मुझे रोक के दिखा। लेकिन, यह तालियां इस बात
की गवाह है कि यह उस्मान के किरदार का ही दमखम है कि टाइगर का ललकारना तालियों का
हक़दार बनता है। अबू उस्मान की इस दमदार किरदार को ईरानी एक्टर सज्जाद दिलफ़रोज़ कर
रहे हैं। सज्जाद ३३ साल के हैं। उन्होंने
एमबीए किया है। उन्होंने टीवी शो के अलावा दुनिया के तमाम देशों की फ़िल्में भी की
हैं। यही कारण है कि उन्हें कई भाषाएं आती हैं। टाइगर ज़िंदा है सज्जाद की पहली
हिंदी फिल्म नहीं। हिंदी दर्शकों को याद होगा बेबी फिल्म में एक डॉक्टर का चेहरा,
जो उस आतंकी का चेकअप करता है, जिसे अक्षय
कुमार भारत ले जा रहा है। इस संक्षिप्त
किरदार को सज्जाद ने ही किया था। बेशक, सज्जाद ने टाइगर
ज़िंदा है में खल भूमिका की है। लेकिन,
उनका लुक उन्हें ट्रेलर से ही भारतीय दर्शकों का प्यार दिलवा रहा
है।
ऐश्वर्या राय करेंगी
भंसाली के लिए कॉमेडी ड्रामा
पद्मावती विवाद के बाद, संजय लीला भंसाली फिलहाल किसी ऐतिहासिक प्रेम कहानी पर हाथ डालने से परहेज करेंगे। जैसा कि दीपिका
पादुकोण ने साफ़ किया था, भंसाली की पिछली तीन लगातार फिल्मों
की नायिका दीपिका पादुकोण भी भंसाली की कोई फिल्म नहीं कर रही है। खबर है कि संजय
लीला भंसाली और ऐश्वर्या राय बच्चन का पुनर्मिलन होने जा रहा है। संजय लीला भंसाली ने ऐश्वर्या राय के साथ सलमान खान और अजय देवगन को लेकर
हम दिल दे चुके सनम, शाहरुख़ खान और माधुरी दीक्षित के साथ
देवदास और हृथिक रोशन के साथ गुज़ारिश जैसी रोमांस से भरपूर और सीरियस फिल्म बनाई
हैं। हालाँकि, भंसाली कैंप में
प्रवेश के बाद, गुज़ारिश (२०१०) भंसाली
की आखिरी फिल्म थी, जिसमे
ऐश्वर्य राय नायिका थी। लेकिन, इसके
बावजूद दोनों के बीच संपर्क ख़त्म नहीं हुए थे। ऐश्वर्या
राय का मानना है कि उनके और भंसाली के बीच टेलिपाथिक रिलेशन है। बहरहाल, बात नई फिल्म की। संजय लीला भंसाली और ऐश्वर्या राय बच्चन की मुलाक़ात किसी भी दिन हो सकती
है और फिल्म फाइनल की जा सकती है। यह फिल्म भंसाली के
साथ ऐश्वर्य की तीनों फिल्मों से बिलकुल अलग होगी, जिसमे न
हम दिल दे चुके सनम वाला रोमांस होगा, न गुज़ारिश की तरह भारी भारी गंभीर दृश्य।
हालाँकि, फिल्म का बजट काफी बड़ा होगा। लेकिन, फिल्म हिस्टोरिकल या पीरियड फिल्म नहीं होगी। सूत्र बताते हैं कि यह फिल्म विशुद्ध कॉमेडी होगी। इस प्रकार की फिल्म संजय लीला भंसाली और ऐश्वर्या राय बच्चन ने पहले कभी नहीं
की।
कॉर्पोरेट अवतार में संदीप
की फरार पिंकी
पिंकी और संदीप भारत के दो
अलग अलग रंग हैं। दिबाकर बनर्जी की फिल्म
पिंकी और संदीप फरार की कहानी दिलचस्प है।
पिंकी और संदीप में कोई समानता नहीं।
इसके बावजूद दोनों एक हैं तो इसलिए कि उनका अविश्वास, संदेह और नफ़रत उन्हें एक रखती है। कुछ दिन पहले
अर्जुन कपूर का फिल्म में कॉप संदीप अवतार का फोटो रिलीज़ किया गया था। अब पिंकी अवतार में परिणीति चोपड़ा का फर्स्ट लुक जारी हुआ है। इस चित्र में वह
कॉर्पोरेट लुक में नज़र आ रही हैं। पैण्ट-शर्ट और कोट के साथ आँखों में चढ़ा काले
फ्रेम का चश्मा उन्हें गरिमा प्रदान कर रहा है। हालाँकि, अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा अपनी अब तक की भूमिकाओं से अलग कॉर्पोरेट की
भूमिका कर रही हैं। लेकिन, यह उनका रियल लाइफ को रील में उतारने जैसा
है। फिल्मों में आने से पहले परिणीति
चोपड़ा एक बैंकर हुआ करती थी। "फिर भी", परिणीति चोपड़ा कहती हैं, "मेरी इस
भूमिका को हिंदी दर्शकों ने पहले कभी नहीं देखा होगा।" दिबाकर बनर्जी (खोसला
का घोसला, लव सेक्स एंड धोखा) की पिंकी और संदीप फरार से
इशकज़ादे की परिणीति चोपड़ा और अर्जुन कपूर की जोड़ी एक बार फिर बन रही है। यह फिल्म
अगले साल ३ अगस्त को रिलीज़ होगी।
पद्मावती पर कैंची
चलाएंगे संजय लीला भंसाली !
संजय लीला भंसाली को इतने
प्यार से बनाई गई अपनी फिल्म पद्मावती पर कैंची चलाने के लिए मज़बूर होना पड़ रहा
है। इसका मतलब यह नहीं कि पद्मिनी को लेकर उठे विवाद से संजय घबरा गए हैं। बल्कि, कैंची चलाना उनकी मज़बूरी है। पद्मिनी की कुल
लम्बाई या अवधि २१० मिनट की हो गई है। हालाँकि, संजय लीला
भंसाली की ज़्यादातर फ़िल्में काफी बड़ी रही है। लेकिन,
पद्मिनी की लम्बाई कम करना ज़रूरी समझा जा रहा है। फिल्म १६० करोड़ के बजट में बनी है। फिल्म को रिकॉर्ड प्रिंट्स में रिलीज़
किया जा रहा है। १ दिसंबर के बाद दो हफ्ता कोई हिंदी
फिल्म रिलीज़ नहीं हो रही है। १५ दिसंबर को फुकरे
रिटर्न्स की रिलीज़ ही ख़ास होगी। इसलिए, इतना समय काफी है, फिल्म का अपनी लागत निकालने के लिए। लेकिन, इसके आड़ फिल्म की लम्बाई आएगी। पद्मावती के ज़्यादा शो नहीं रखे जा सकेंगे। ऐसे
में अगर कोई उंच नीच हुई तो फिल्म के लिए लागत निकालना ही
मुश्किल हो जायेगा। बस, भंसाली और
उनकी टीम की चिंता यही होगी कि फिल्म की लम्बाई काम होने से रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर में से किसी की भूमिका पर कैची ज़्यादा न चल
जाए। इससे यह कलाकार असंतुष्ट हो सकते हैं। इसलिए,
सभी एक्टर्स को खुश रखते हुए, फिल्म की लम्बाई कम करना, भंसाली के लिए रस्सी पर
चलने जैसा ही होगा।
अपने कम्फर्ट जोन में जायेंगे शाहरुख़ खान
!
दिलवाले (२०१५) के बाद शाहरुख़ खान की रिलीज़ फिल्मों
पर एक नज़र डालें। ऐ दिल है मुश्किल और
ट्यूबलाइट में कैमिया के अलावा खान की फैन,
रईस, डिअर ज़िन्दगी और जब हैरी मेट सेजल फ़िल्में रिलीज़ हुई हैं। इम्तियाज़ अली की फिल्म जब हैरी मेट सेजल के
अलावा बाकी की तीनों फिल्मों को प्रायोगिक फ़िल्में कहा जा सकता है। दिलवाले फ्लॉप हुई। पिछले दो सालों में रिलीज़ उनकी बाकी की फिल्मों
को भी उतनी धूम धाम वाली सफलता नहीं मिली, जितनी शाहरुख़ खान की फिल्मों को मिलती हैं। इस समय भी,
शाहरुख़ खान की आनंद एल राज निर्देशित अनाम फिल्म
भी प्रयोगात्मक फिल्म कही जा सकती है। इस फिल्म में (शायद बटला शीर्षक ) शाहरुख़
खान एक बौने की भूमिका कर रहे है। ज़ाहिर
है कि खुद पर प्रयोग कर के थक चुके होगे इस ५२ साल के एक्टर को अपने कम्फर्ट जोन
में जाने की इच्छा हो रही होगी। अब वह भी
चाहते होंगे कि वह किसी खालिस कॉमेडी यार
रोमकॉम फिल्म के नायक बने। जो उनका
पसंदीदा भी है और इसी की बदौलत वह बॉक्स ऑफिस के बादशाह भी बनें हैं। उनके पास दो फिल्मों की स्क्रिप्ट है। वह इन दोनों ही फिल्मों में काम करना चाहेंगे। एक फिल्म फराह खान की है। दूसरी फिल्म करण जौहर की है। फराह खान और करण
जौहर के डायरेक्टर करियर की शुरुआत शाहरुख़ खान के साथ फिल्म से ही हुई थी। शाहरुख़
खान ने फराह खान के साथ दो फ़िल्में ओम शांति ओम और हैप्पी न्यू ईयर की
हैं। दोनों ही फ़िल्में सुपरहिट हुई
हैं। शाहरुख़ खान की सबसे ज़्यादा फ़िल्में
करण जौहर के साथ की हैं। करण जौहर का
डायरेक्टोरियल डेब्यू शाहरुख़ खान, काजोल और रानी मुख़र्जी के साथ फिल्म कुछ कुछ होता है से हुआ था। इसके बाद इन दोनों ने कभी अलविदा न कहना और माय
नेम इज खान की। ऐ दिल है मुश्किल, बॉम्बे टाल्कीस और
स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर में खान की छोटी भूमिकाएं थी।
ऐसे में शाहरुख़ खान को ही तय करना है कि वह २०१८ में किस निर्देशक की फिल्म
की शूटिंग करेंगे। दोनों की फ़िल्में
रोमांटिक है। ठेठ शाहरुख़ शैली में। तो इंतज़ार कीजिये कि शाहरुख़ खान फराह की फिल्म
की शूटिंग शुरू करते हैं या करण जौहर की फिल्म की!
सारा से पहले
रिलीज़ होगी जाह्नवी की फिल्म !
अब सितारों की बेटियों का ज़माना आ गया
! सत्तर और अस्सी के दशक के तमाम सितारों के बेटे-बेटी जवान हो गए हैं। सोशल मीडिया के बदौलत, वह
अपने चित्रों से लोगों की धड़कन बनते जा रहे हैं।
इन सितारों के दर्जन भर बच्चों में से दो २०१८ में सितारा बनने की दौड़ में
सबसे आगे हैं। सितारों के यह दो बच्चे हैं
श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी जाह्नवी कपूर और सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी
सारा अली खान। पहले इन दोनों के करण जौहर
के प्रोडक्शन से फिल्मों में डेब्यू करने की खबर थी। अमृता सिंह के ऐतराज़ के कारण सारा को अभिषेक
कपूर उर्फ़ गट्टू द्वारा निर्देशित की जा रही फिल्म केदारनाथ से डेब्यू करना
पड़ा। इस फिल्म में सारा अली के हीरो
सुशांत सिंह राजपूत है। इसी फिल्म के सबसे
पहले रिलीज़ होने की उम्मीद की जा रही थी, क्योंकि फिल्म का पहला शिड्यूल पूरा हो चूका
था। जबकि जाह्नवी की फिल्म ऐलान तक ही सीमित थी। दरअसल, सारा को करण जौहर की फिल्म से ही डेब्यू करना
था। करण जौहर अपनी फिल्म का ऐलान पूरी
तैयारी के बाद ही करते हैं। करण, सारा का फिल्म डेब्यू मराठी की हिट फिल्म सैराट
से कराना चाहते थे। जाह्नवी की पहली फिल्म, जिसका
फिलहाल टाइटल धडक रखा गया है, की शूटिंग अगले महीने दिसंबर से शुरू
होगी। फिल्म में जाह्नवी के हीरो शाहिद
कपूर के छोटे भाई और नीलिमा अज़ीम और राजेश खट्टर के बेटे ईशान हैं। इसी बीच कुछ ऐसे परिवर्तन हुए कि इस फिल्म के
निर्माताओं ने सारा की डेब्यू फिल्म केदारनाथ को २१ दिसंबर २०१८ को रिलीज़ करने का
ऐलान कर दिया। इस प्रकार से जाह्नवी से
पहले कैमरा फेस करने वाली सारा की फिल्म अब जाह्नवी की फिल्म के बाद रिलीज़ होगी।
संजय दत्त का
क्या यही प्यार है ?
एक्टर संजय दत्त पर बायोपिक आजकल चर्चा
में हैं। इस फिल्म में रणबीर कपूर ने संजय
दत्त का ऑनस्क्रीन किरदार किया है। पिछले दिनों, इस फिल्म में रणबीर कपूर का एक संजय
दत्त लुक जारी हुआ था। इस चित्र में रणबीर हूबहू संजय दत्त लग रहे थे। इस फिल्म से
जुडी एक दूसरी उत्तेजक खबर और भी है। संजय
दत्त की पहली फिल्म रॉकी (१९८१) का एक रोमांटिक गीत क्या यही प्यार है अपने समय
में बेहद पॉपुलर हुआ था। राहुल देव बर्मन की धुन पर इस गीत को किशोर कुमार के साथ
लता मंगेशकर ने गाया था। स्क्रीन पर संजय
दत्त के साथ उनकी नायिका टीना मुनीम (अब अम्बानी) इस गीत को गा रही थी। इस
रोमांटिक गीत को संजय दत्त बायोपिक में शामिल किया गया है। लेकिन, यह
गीत रोमांटिक गीत के तौर पर नहीं, बल्कि संजय दत्त के फिल्म जीवन में संघर्ष के
दौर को दिखाने वाला होगा। इस गीत के रीमिक्स वर्शन को अरमान मालिक ने तैयार किया
है। इस गीत से लता मगेशकर की आवाज़ निकाल दी गई है। अब इसे केवल अरमान मालिक गा रहे
हैं। बायोपिक में जब जब संजय दत्त का किरदार संघर्ष से गुजरेगा दर्शक इस गीत को
पार्श्व से सुनेंगे। बेहतरीन आईडिया है न !
गायिका अन्वेषा
को मिला अकादमी अवार्ड यूएसए
फिल्म रांझना (2013) में 'बनारसिया'
गीत की गायिका बॉलीवुड अन्वेषा को अपने
नवीनतम इंडिपॉप एल्बम 'लफ्ज़ उनके' के गीत 'कुछ बातें'
के लिए अकादमी एवार्ड यूएसए से
सम्मानित किया गया। अन्वेशा अभी सिर्फ २३ साल की है। उन्होंने चार साल की उम्र में
हिंदुस्तानी क्लासिकल (वोकल) गुरु श्री जयंत सरकार से औपचारिक प्रशिक्षण लिया था।
पंडित अजोय चक्रवर्ती (पटियाला घर) ने अन्वेषा से ३२० फिल्मों में करीबन ३५० गीत
अलग-अलग भाषाओं में गवाए है। अन्वेषा अब तक गोलमाल रिटर्न, आय
एम २४, डेन्जरस इश्क, लव यू सोनियो, रांझना, राउडी
राठोड, कांची, रिवॉल्वर
रानी, गुरु दक्षिणा, द एक्सपोज और प्रेम रतन धन पायो
फिल्मों के गीत गाये हैं। वह फिल्म जस्ट
टिगडम में इस्माइल दरबार, सुपारीनामा में कौशल महावीर, निया में शंकर-एहसान-लॉय और द फाइनल
एन्काउंटर के लिए गीत गा रही हैं ।
अन्वेषा ने मराठी, गुजराती,
तमिल, मलयालम, तेलुगू, कन्नड़, नेपाली, भोजपुरी, पंजाबी और राजस्थानी फिल्मों के लिए
गीत गाये है। अन्वेषा ने अमेरिका, न्यूजीलैंड, बांग्लादेश, यूएई, कतर, कनाडा, यूके, ओमान और थाईलैंड जैसे देशों में अपने शो कर
चुकी हैं। उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड्स सहित कई पुरस्कार मिल चुके हैं। अकादमी
एवार्ड यूएसए से सम्मानित किये जाने पर अन्वेषा कहती है, "मेरे
गीत को 'वर्ल्ड बीट'
श्रेणी में नामांकित किया गया था और
इसे 'अकादमी एवार्ड' यूएसए के विजेता घोषित किया गया है ।
मैं बहुत खुश हूँ।"
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
इतनी विवादित कभी नहीं रही पद्मावती उर्फ़ पद्मिनी
इस साल की शुरू में, बॉलीवुड फिल्म निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली को राजस्थान में अपनी काल्पनिक-ऐतिहासिक-मेलोड्रामा फिल्म पद्मावती की शूटिंग कैंसिल कर मुम्बई वापस लौटना पड़ा । फिल्म में रानी पद्मावती के किरदार को तोड़-मरोड़ का पेश किया जा रहा है, का आरोप लगाते हुए श्री राजपूत करणी सेना ने शूटिंग स्थल पर भंसाली पर आक्रमण कर दिया। उनके बाल खींचे और कथित तौर पर थप्पड़ मारे। पद्मावती को लेकर यह विवाद उठा था इस अफवाह के बाद कि रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच रोमांटिक दृश्य फिल्माया जा रहा है। पहले शूटिंग शिड्यूल के साथ शुरू हुआ पद्मिनी-अलाउद्दीन खिलजी विवाद आज भी कायम है।
अथ पद्मावती कथा ?
इतिहास की किताबों में पढ़ें तो पद्मावती का विवाद से परे नज़र आता है। वह चित्तोड़ की राजा रावल रतन सिंह की दूसरी पत्नी थी। जायसी और कुछ दूसरे सन्दर्भों से पता चलता है कि दिल्ली के सुल्तान को पद्मावती की एक झलक देखने को मिली थी। वह उसे देख कर कामुक हो उठा और उसने पद्मिनी को पाने की कोशिशें शुरू कर दी। इसी का परिणाम चित्तोड़ पर खिलजी का आक्रमण था। इस युद्ध में रतन सिंह की पराजय हुई और वह युद्ध मे मारे गये। यह खबर सुन कर रानी पद्मिनी ने एक आक्रान्ता के हाथों अपनी इज्जत लुटाने के बजाय जौहर करना उचित समझा। सामूहिक चिताए जलवा कर रानी किले की तमाम औरतों के साथ धधकी अग्नि में कूद पड़ी। रानी पद्मिनी की दंतकथा पद्मिनी की यही जौहर गाथा है। संजय लीला भंसाली को ऐसे ऐतिहासिक-काल्पनिक चरित्रों को अपनी कल्पनाशीलता, भव्यता, महंगे वस्त्र-आभरणों और संगीत से सजा कर पेश करने का शौक है। गोलियों की रासलीला : रामलीला के बाद बनाई गई फिल्म बाजीराव मस्तानी उनकी इसी मंशा का चित्रण थी।
क्यों और कैसे विवादों में फंसी पद्मावती ?
संजय लीला भंसाली को रोमांस भाता है। उनकी रोमांटिक फिल्मों की भी खासियत होती है कि उनके नारी चरित्र मज़बूत होते हैं। हम दिल दे चुके सनम से लेकर बाजीराव-मस्तानी तक उनके तमाम चरित्र इसकी पुष्टि करते हैं। भंसाली की फिल्मों के रोमांटिक दृश्य रूमानी होते हैं। वह स्वप्न जैसे प्रतीत होते हैं। रोमांस में वासना नहीं, गहराई होती है। अपनी फिल्म में रोमांस और ड्रामा दिखाने के लिए वह आवश्यक स्वतंत्रता लेने से भी नहीं हिचकते। मसलन, उन्होंने फिल्म देवदास में चंद्रमुखी और पारो का युगल डांस डोला डोला रे डाल दिया था, जबकि मूल कथा में चंद्रमुखी और पारो कभी मिले ही नहीं। उस समय भी ठाकुर बिरादरी ने एक ठकुरानी के यों एक वैश्या के साथ नृत्य करने का विरोध किया था। फिल्म बाजीराव मस्तानी में भी उन्होंने मस्तानी और काशीबाई के बीच नृत्य दिखा दिया था। उनकी इसी आदत ने उन्हें राजस्थान के राजपूतों के क्रोध का शिकार बना दिया था। अख़बारों की खबरों के अनुसार राजस्थान शिड्यूल के दौरान खुद भंसाली ने बातचीत में कहा था कि वह रानी पद्मिनी और अलाउद्दीन खिलजी के बीच एक रोमांटिक गीत फिल्माने जा रहे हैं। यह खबर आग की तरह राजपूत बिरादरी में फ़ैल गई और वही हुआ जिसके कल्पना भंसाली के समर्थक नहीं कर रहे होंगे।
करणी सेना या लडैती सेना !
राजस्थान की संस्कृति और परंपरा की कथित सरंक्षक राजपूत करणी सेना के लिए यह खबर अपने संगठन की इमेज चमकाने के लिहाज़ से काफी थी। इंडिया टुडे द्वारा किये गए एक स्टिंग में यह संगठन महाराष्ट्र के राज ठाकरे के संगठन जैसा साबित होता था, जो जबरन धन उगाही के लिए इस प्रकार के बवाल खड़े करते रहते हैं। इस सेना का भारत के दूसरे हिस्से मे ज़िक्र कुछ इसी प्रकार के संस्कृति की रक्षा के लिए बवाल में ही लिया जाता है। इस सेना ने २००८ में आशुतोष गोवारिकर द्वारा जोधा बाई को अकबर की बीवी बताये जाने पर भी इसी प्रकार का बवाल मचाया था। गोवारिकर के सेट तोड़ फोड़ की गई। आशुतोष गोवारिकर को मार डालने की धमकी भी दी गई। हालाँकि, गोवारिकर ने फिल्म पूरी की। यह फिल्म पूरे भारत में रिलीज़ हो कर सफल भी हुई । लेकिन, राजस्थान के लोग जोधा अकबर को नहीं देख सके । २०१४ में भी करणी सेना इ ने एकता कपूर के सीरियल जोधा अकबर को लेकर बवाल काटा था। इसके सदस्यों ने जयपुर लिटरेरी फेस्टिवल में हिस्सा लेने पहुंची सीरियल की निर्माता एकता कपूर के खिलाफ वापस जाओ के नारे लगाए और पानी की बॉटल्स फेंकी।
रानी पद्मावती या पद्मिनी पर फ़िल्में और सीरियल
१३ वी सदी की जो रानी, आज इक्कीसवीं सदी में तहलका मचाये हुए हैं, उस पर हिंदी फिल्मों के इतिहास में इक्का दुक्का फ़िल्में ही बनी हैं। इस लिहाज़ से एक तमिल फिल्म उल्लेखनीय है। डायरेक्टर चित्रापू नारायणमूर्ति निर्देशित फिल्म चित्तौड़ रानी पद्मिनी १९६३ में रिलीज़ हुई थी। फिल्म में वैजयंतीमाला ने रानी पद्मावती, शिवाजी गणेशन ने चित्तौड़ के राजा रतन सिंह और उस समय के प्रमुख विलेन एमएन नाम्बियार ने अलाउद्दीन खिलजी का किरदार किया था। इस फिल्म में गीतों की भरमार थी। जो फिल्म की कहानी के अनुरूप नहीं थी। इसलिए फिल्म असफल रही। हिंदी में जसवंत झावेरी ने १९६१ में फिल्म जय चितौड़ बनाने के बाद १९६४ में रिलीज़ महारानी पद्मिनी में जायसी के पद्मावत को पूरी गंभीरता और ईमानदारी से परदे पर उतारा था। महारानी पद्मिनी (१९६४) में जयराज, अनीता गुहा और सज्जन ने राणा रतन सिंह, रानी पद्मिनी और अलाउद्दीन खिलजी का किरदार किया था। इस फिल्म में झावेरी ने खिलजी को बतौर विलेन नहीं दिखाया था। फिल्म में खिलजी पद्मिनी माफ़ी मांगता है। पद्मिनी उसे माफ़ कर देती और खुद जौहर के लेती है। इस फिल्म के निर्माण में तत्कालीन राजस्थान सरकार ने भरपूर सहयोग किया था। सोनी पर सीरियल चित्तौड़ की रानी पद्मिनी का जौहर २००९ में प्रसारित हुआ था। पद्मावती से पहले संजय लीला भंसाली ने ओपेरा पद्मावती का निर्देशन किया था।
भंसाली भी जिम्मेदार
पद्मावती को लेकर जो बवाल मचा है, उसके लिए काफी हद तक संजय लीला भंसाली का विवादित ट्रैक रिकॉर्ड भी है। देवदास चंद्रमुखी और पारो के नृत्य को लेकर बंगाल में विरोध के सुर उठे थे। गोलियों की रासलीला राम-लीला का पहला नाम राम-लीला को लेकर भी विवाद हुआ था। इसी के बाद भंसाली ने फिल्म का शीर्षक राम-लीला से बदल कर गोलियों की रासलीला : राम-लीला रखा गया। बाजीराव मस्तानी पर मस्तानी के वंशजों ने सवाल उठाये थे। पद्मावती में भी संजय लीला भंसाली ने यही लिबर्टी लेने की कोशिश में पद्मिनी-खिलजी रोमांस गीत फिल्माने का ऐलान कर दिया था। भंसाली के नकारने के बावजूद फिल्म का विरोध इस लिए भी हो रहा है कि संजय लीला भंसाली ने गोलियों की रासलीला राम-लीला और बाजीराव मस्तानी में गर्मागर्म करने वाले दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह के जोड़े को पद्मिनी और खिलजी का किरदार दिया है। लोगों को सहज विश्वास नहीं होता कि एक रोमांटिक जोड़ा ऐसे विलेन ट्रैक में इस्तेमाल हो सकता है।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Saturday, 18 November 2017
क्या नेहा धूपिया २ साबित होंगी लक्ष्मी राय ?
जूली २ में लक्ष्मी राय |
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नए चेहरे
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
नीरज पांडेय की 'पैडमैन' से 'ऐय्यारी' !
अभी तक खान अभिनेताओं को कड़ी चुनौती पेश करने वाले अक्षय कुमार को भी इस बार चुनौती मिली है। जब, २.० रिलीज़ की तारीख़ २५ जनवरी से अप्रैल के लिए टली थी, तभी अक्षय कुमार ने अप्रैल में रिलीज़ हो रही अपनी फिल्म पैडमैन की रिलीज़ की तारीख़ अपने पसंदीदा वीकेंड गणतंत्र दिवस को कर दी। गणतंत्र दिवस में रिलीज़ अक्षय कुमार की तमाम फिल्मों को बहुत अच्छी सफलता मिली है। इस लिहाज़ से महिलाओं के लिए सस्ते सेनेटरी पैड बनाने वाली मशीन की ईज़ाद करने वाले अरुणाचलम मुरुगनंथम पर बायोपिक फिल्म पैडमैन की सफलता भी सुनिश्चित है। लेकिन, अब इसके लिए अक्षय कुमार का रास्ता बिलकुल खुला सपाट नहीं होगा। उनकी फिल्म को चुनौती देने आ रही है। यह फिल्म पहले ९ फरवरी को रिलीज़ होने जा रही थी। परन्तु, अब इस फिल्म को २६ जनवरी को रिलीज़ करने का ऐलान कर दिया गया है। नीरज पांडेय निर्देशित फिल्म ऐय्यारी में मनोज बाजपेई, सिद्धार्थ मल्होत्रा, राकुल प्रीत सिंह और अनुपम खेर काम कर रहे हैं। कम बजट की फिल्म अ वेडनेसडे को सफल बनाने वाले नीरज पांडेय ने अक्षय कुमार के साथ भी दो सुपर हिट फ़िल्में स्पेशल २६ और बेबी बनाई हैं। वह अक्षय कुमार की फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा और रुस्तम के एक निर्माता भी थे। इस प्रकार से अक्षय कुमार और नीरज पांडेय की फिल्म का आमना सामना दिलचस्प हो जाता है। दोनों ही फिल्मों की अपनी शैली है। जिस फिल्म को दर्शक पसंद कर लेंगे, वह फिल्म ज़्यादा कमाई कर ले जाएगी।
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
जलवायु परिवर्तन पर कड़वी हवा
नील माधब पांडा द्वारा निर्देशित 'कड़वी हवा' जलवायु परिवर्तन के वास्तविक खतरे को
दर्शाने वाली एक शक्तिशाली और हृदय को झकझोर देने वाली फिल्म है। इस फिल्म में
रणवीर शौरी एक युवा बैंक ऋण वसूली एजेंट, जबकि संजय मिश्रा एक अंधे बुजुर्ग किसान के
रूप में दिखेंगे। इसमें दिखाया गया है कि दो आम लोग दो अलग-अलग मौसम की स्थिति में
जीवित रहने के लिए लड़ रहे हैं, न कि उनके निर्माण के लिए। फिल्म में पानी की
किल्लत और पानी न बरसने के कारण गांव में आने वाली आपदाओं को बहुत ही शानदार तरीके
से पेश किया गया है। प्राकृतिक आपदाओं से शुरू हुई खबरों ने अंत तक उन्हीं
समस्याओं को बारीकी से दर्शाया है। फिल्म में दिखाया गया है कि कोई बाढ़, तो कोई सूखे
से परेशान है। इसमें एक्टर संजय मिश्रा पानी किल्लत के कारण तरस रहे हैं, तो वहीं
रणवीर शौरी समुद्र के किनारे बसे होने के कारण बाढ़ रूपी कहर से परेशान हैं। फिल्म
में तिलोत्तमा सोम और भूपेश सिंह भी शामिल हैं। यह जानकारी राजधानी के होटल पीवीआर
प्लाज़ा में आयोजित प्रेस सम्मेलन में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान इसके
कलाकारों ने दी। मीडिया से बातचीत में पूरी टीम ने फिल्म के बारे में अपने विचार
और अनुभव साझा किए।
'कड़वी हवा' के निर्देशक
नीला माधब पांडा कहते हैं,
"हमने इस फिल्म को पारिस्थितिकी के अनुकूल बनाने की हरसंभव कोशिश की है, क्योंकि हम
सबके ऊपर इस ग्रह की जिम्मेदारी है। ऐसे में हम सबको इस भावना का संदेश प्रसारित
करने की जरूरत है कि जलवायु परिवर्तन वास्तविक है, भले ही दुनिया के कुछ नेताओं को लगता हो कि
यह एक धोखा, भ्रम और
छलावा है।" संजय मिश्रा ने अनूठे तरीके से अपने विचार रखते हुए कहा, "मुझे इस तरह
के सिनेमा के साथ खुद को जोड़ना बहुत रोमांचित करता है और ऐसी फिल्मों का हिस्सा
बनकर खुद को भाग्यशाली भी मानता हूं। यह फिल्म हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब
तक जलवायु परिवर्तन से परिचय कराने वाली कोई फिल्म नहीं बनी है। वैश्विक विषय को
प्रकट करने वाली यह पहली फिल्म है। मुझे लगता है कि जीवन के हर क्षेत्र में जलवायु
एवं जलवायु समस्या को कम से कम प्राथमिकता मिलती है। इसलिए मैं शहर को स्मार्ट
बनाने से पहले कहूंगा कि पहले नागरिकों को चतुर बनाओ। फिल्म में उनकी भूमिका के
बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, "लीड रोल होने के नाते एक बड़ी जिम्मेदारी
है। यदि यह फिल्म भविष्य में अच्छा व्यवसाय करती है तो मुझे इस परियोजना का प्रमुख
अंग होने पर कहीं अधिक आभारी महसूस होगा।"
दूसरी तरफ,
रणवीर शौरी भी फिल्म के बारे में आश्वस्त और उत्साहित लग रहे थे। उन्होंने
कहा, "हर चरित्र
को अपनी तैयारी की जरूरत है, चाहे वह एक गंभीर भूमिका हो या हास्य भूमिका। फिल्म
में मैंने भी अपने खास किरदार के लिए अलग से तैयारी की थी। हमारे लिए मुख्य कठिनाई
यह थी कि हमने इस फिल्म को जून-जुलाई के महीने में राजस्थान के धौलपुर में शूट
किया था। मुझे पूरी उम्मीद है कि लोग इस फिल्म को प्यार करेंगे। जबकि, तिलोत्तमा
ने कहा,
"फिल्म में मेरा किरदार सरल है, वह चुपचाप जलवायु परिवर्तन को देखती है।
मुझे इस तरह की अवधारणा वाली फिल्म का एक हिस्सा बनने पर गर्व है और साथ ही
प्रतिभावान कलाकारों के साथ काम करना भी गारवान्वित करता है।"
द्रष्ट्यम फिल्म्स द्वारा प्रस्तुत 'कड़वी हवा' 24 नवंबर को रिलीज होगी।
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फिल्म प्रमोशन
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
एक्ट्रेस आरती नागपाल की शार्ट फिल्म एब्यूज
टीवी और फिल्म की जानीमानी एक्ट्रेस आरती नागपाल ने अपने दोस्तों को अपनी
नई शार्ट फिल्म एब्यूज दिखाने के लिए अँधेरी में स्पेशल स्क्रीनिंग रखी । आरती ने इस शार्ट फिल्म का निर्माण आई डी एस फिल्म प्रोडक्शन हाउस के नितिन बोरकर ,हर्ष प्रजापति के साथ किया है । इस फिल्म में आरती
नागपाल ने न केवल एक्टिंग की है, बल्कि कहानी भी लिखी है और निर्देशन भी किया है। स्क्रीनिंग के समय मौजूद मेहमानों में विंदु दारा सिंह, सत्यजीत पुरी, वीनस
रिकार्ड्स के चम्पक जैन, डिज़ाइनर
कवलजीत सिंह, प्रशांत
गुप्ता, बिजनेसमैन
अनिल मुरारका, अखिल बंसल, अनीता सिंह, विनीत शर्मा, चंद्रकांत
सिंह, आनंद
सक्सेना, अज़ीज़ ज़ी, सनोबर ज़ी, उदय, आदि उल्लेखनीय नाम थे । सारे मेहमानों ने आरती को उनकी बोल्ड फिल्म बनाने के लिए ढेर सारी बधाई दी।
आरती ने इस मौके पर अपना जन्मदिन भी मनाया।
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शार्ट फिल्म
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
मी लार्ड ! जॉली वर्सेज जॉली !
गर्मागर्म खबर है कि जॉली के सामने जॉली होगा। निर्देशक सुभाष कपूर टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की बायोपिक फिल्म मुग़ल पूरी करने के बाद जॉली एलएलबी ३ पर काम शुरू करेंगे। उनका इरादा अदालत में २०१३ के जॉली को २०१७ के जॉली के अपोजिट लाने का है। दोनों ही जॉली में काफी फर्क है। २०१३ का जॉली दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाला वकील जगदीश त्यागी उर्फ़ जॉली (अरशद वारसी) है। वह संध्या (अमृता राव) से प्रेम करता है। वह बड़े वकील तेजिंदर राजपाल
(बोमन ईरानी) के खिलाफ केस जीत कर हीरो बन जाता है। २०१७ का जॉली लखनऊ का जगदीश्वर मिश्र उर्फ़ जॉली है। वह लखनऊ में प्रैक्टिस करता है। वह पुष्पा पाण्डेय (हुमा कुरैशी) से विवाहित है। यहाँ भी वह एक बड़े अधिवक्ता प्रमोद माथुर (अन्नू कपूर) से टकराता है। यहकरैक्टर चार साल के अंतराल में रिलीज़ जॉली फ्रैंचाइज़ी की दो फिल्मों के एक्टर हैं। जज सुंदर लाल त्रिपाठी (सौरभ शुक्ल) को छोड़ कर बाकी के सभी मुख्य करैक्टर बदले हुए हैं। अब सुभाष कपूर, जब इन
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
आशिकी एक्टर राहुल रॉय बीजेपी में
आज फिल्म अभिनेता राहुल रॉय बीजेपी के हो गए। उन्हें नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। राहुल रॉय ने अपना राजनीतिक चोला प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की तारीफ के साथ पहना। राहुल रॉय को आज की पीढ़ी जानती होगी। १९९० में उनकी अनु अग्रवाल के साथ म्यूजिकल रोमांस फिल्म आशिक़ी ने तहलका मचा दिया था। युवा दर्शकों के बीच वह रोमांटिक हीरो के रूप में मशहूर हो गए थे। उनके बालों की स्टाइल युवाओं के काफी लोकप्रिय थी। राहुल रॉय ने लगभग दो दर्जन से ज़्यादा फ़िल्में ज़रूर की। लेकिन, वह आशिक़ी वाली सफलता बनाये नहीं रख सके। अब देखने वाली बात होगी कि फिल्मों में धमाकेदार शुरुआत करने वाले फ्लॉप एक्टर और बिग बॉस के पहले विजेता राहुल रॉय बीजेपी में कैसी धमाकेदार शुरुआत करते हैं!
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खबर है
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
इलिआना बनेंगी उज़मा
इलीना डिक्रूज़ |
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
भारतीय फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाएगी ईशान की पहली फिल्म
बियॉन्ड द क्लाउड्स |
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ऐश्वर्या राय ने ठुकराई शाहरुख़ खान के साथ फिल्म
मोहब्बतें |
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ये ल्लों !!!
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अब शाहरुख़ खान की फिल्म में सलमान खान
ट्यूबलाइट के एक दृश्य में सलमान के साथ शाहरुख़ |
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
रणबीर कपूर फिलहाल नहीं करेंगे रोमांस
रील लाइफ संजय के साथ रियल लाइफ संजय |
अभिनेता रणबीर कपूर इस समय संजय दत्त पर राजकुमार हिरानी की फिल्म संजू में संजय दत्त का किरदार कर रहे हैं। उनके पास करण जौहर की ट्राइलॉजी फिल्म ब्रह्मास्त्र भी है। इसलिए, रणबीर कपूर ने तय कर लिया है कि वह अब रोमांस नहीं करेंगे। उनका यह रोमांस पाकिस्तानी एक्ट्रेस से तो चालू रहेगा, लेकिन वह ऑन स्क्रीन किसी भी एक्ट्रेस से रोमांस नहीं करेंगे। यहाँ तक कि वह रोमांटिक कॉमेडी फिल्म भी नहीं करेंगे। जग्गा जासूस, रणबीर कपूर की बड़ी महत्वकांक्षी फिल्म थी। उन्हें उम्मीद थी कि यह बड़ी हिट फिल्म साबित होगी। मगर यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ गई। इसलिए, रणबीर ने भिन्न रोल करने का मन बना लिया है। यही कारण है कि रणबीर कपूर ने हालिया ही दो रोमांटिक फिल्मों को इंकार कर दिया। उन्होंने, उनसे मिलने वाले फिल्म निर्माताओं से साफ़ कह दिया है कि कुछ रोचक विषय पर स्क्रिप्ट लेकर आएं।
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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