Wednesday 30 September 2015

यादें : वर्ल्ड'स फर्स्ट वन-एक्टर मूवी

१९६४ में रिलीज़ फिल्म 'यादें' का नाम गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में सबसे कम एक्टरों वाली फिल्म के रूप में दर्ज़ है।  इस फिल्म का निर्माण सुनील दत्त की फिल्म निर्माण कंपनी अजंता आर्ट्स के अंतर्गत किया गया था।  इस फिल्म का एक मात्र करैक्टर अनिल सुनील दत्त का ही था।  इस ११३ मिनट लम्बी फिल्म का निर्देशन सुनील दत्त ने ही किया था।  'यादें' सुनील दत्त की बतौर निर्देशक पहली फिल्म थी।  इस फिल्म के बाद सुनील दत्त ने बतौर निर्माता निर्देशक मुझे जीने दो, ये रास्ते हैं प्यार के, रेशमा और शेरा, मन का मीत, रॉकी, नहले पे दहला, दर्द का रिश्ता और ये आग कब बुझेगी बनाई।  मुझे जीने दो डाकू समस्या पर फिल्म थी।  ये रास्ते हैं
प्यार के मशहूर नानावटी कांड पर फिल्म थी।  सुनील दत्त ने अपने भाई सोम दत्त को हीरो बनाने के लिए मन का मीत और बेटे संजय दत्त को हीरो बनाने के लिए 'रॉकी' का निर्माण किया।  मुझे जीने दो, रेशमा और शेरा और ये रास्ते  है प्यार के जैसी फिल्मों ने उन्हें जो नुक्सान दिया था, उसकी भरपाई के लिए ही उन्होंने मन का मीत जैसी फिल्म का निर्माण किया।  इस फिल्म में नायिका लीना चंद्रावरकर ने अंग प्रदर्शन के तमाम कीर्तिमान तोड़ दिए थे।  इसीलिए फिल्म समीक्षकों ने  इस फिल्म को 'मैन का मीट' बताया।  अब यह बात दीगर है कि सुनील दत्त ने बाद में समीक्षकों की इन आलोचनाओ का जवाब  कैंसर पर फिल्म दर्द का रिश्ता और दहेज़ हत्या पर ये आग कब बुझेगी बना कर दिया ।  लेकिन, सुनील दत्त आज भी अद्वितीय हैं अपनी एकल एक्टर फिल्म 'यादें' के कारण।  यादें पूरी तरह से प्रयोगात्मक फिल्म थी।  सुनील दत्त ने कमर्शियल फिल्मों के दौर में ऐसा जोखिम उठाने का साहस किया।  यादें वर्णनात्मक फिल्म थी। फिल्म को संवादों और संगीत के ज़रिये आगे बढ़ाया गया था। फिल्म का एकल किरदार अनिल देर रात घर आता है।  वह घर में सन्नाटा पाता है। वह अपने बड़े से घर के हर कमरे, रसोई, डाइनिंग हॉल, आदि में देखता है। उसकी पत्नी और बच्चा घर में नहीं है।  उसे लगता है कि उन्होंने (पत्नी और बच्चे ने) उसे छोड़ दिया।  क्योंकि, रात की पार्टी के बाद, सुबह ही किसी बात पर अनिल का अपनी पत्नी से बड़ा झगड़ा हुआ था।  शायद बीवी छोड़ गई थी अनिल को।  यह सोच कर अनिल कुर्सी पर पसर जाता है।  अब घेर लेती हों उसे यादें।  कैसे, कब क्या हुआ था ! वह एक एक
कर सोचता जाता है।  कभी वह खुद से बडबडाता है, घटनाओं को याद करते हुए उसके चहरे पर ख़ुशी, दुःख, क्रोध, निराशा के भाव आते जाते हैं।  उसे याद आता है पत्नी से आज का झगड़ा।  वह महसूस करता है कि इसमे उसी की गलती थी।  वह खुद को नुक्सान पहुंचाने के लिए तैयार हो जाता है।  तभी बाहर से बीवी की आवाज़ आती है, जो उसे ऐसा करने से रोकती है ।  अनिल बाहर की रोशनी से खिड़की के परदे पर गिर रही पत्नी और बच्चे की परछाई को देखता है ।  वह खुश हो जाता  है।  पत्नी और बच्चा वापस आ गए।  इसी के साथ फिल्म ख़त्म हो जाती है।  फिल्म में निर्देशक सुनील दत्त ने अपनी बात कहने के लिए संवादों, ध्वनि और प्रकाश का बढ़िया उपयोग किया था। अख्तर उल ईमान के संवाद, वसंत देसाई का संगीत (खास तौर पर लता मंगेशकर का गाया 'देखा है सपना कोई' गीत) तथा एस रामचन्द्र का छायांकन और एस्सा एम सुरतवाला की साउंड मिक्सिंग फिल्म की जान थी।  सुनील दत्त ने बेहतरीन अभिनय किया था। पूरी  फिल्म में सुनील दत्त के अलावा फिल्म के अंत में दो परछाइयाँ ही पत्नी और बेटे की मौजूदगी का एहसास कराती थी। यह परछाइयाँ सुनील दत्त की रियल लाइफ में पत्नी नर्गिस और बेटे संजय दत्त की थी।  संजय दत्त उस समय केवल पांच साल के थे।
कुछ लोगों का कहना था कि यादें परिवार के होते हुए भी सुनील दत्त के एकाकी  जीवन का परिणाम थी।  सुनील दत्त की नर्गिस से शादी १९५८ में फिल्म 'मदर इंडिया' की रिलीज़ के ठीक बाद ही हो गई थी। लेकिन, सुनील दत्त के मुकाबले नर्गिस बड़ी एक्ट्रेस थी।  हालाँकि, नर्गिस ने शादी के बाद फिल्मों में काम करना छोड़ दिया।  लेकिन, वह सोशल वर्क करती थी।  उनका राजनीतिक जीवन भी था। भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से उनकी नज़दीकियां थी। शायद इसी वजह से सुनील दत्त ने एकाकीपन महसूस किया हो। बताते हैं कि सुनील दत्त एक बार अपने एकाकीपन से ऊब कर अपनी पत्नी, बेटे संजय और बेटियों नम्रता और
प्रिया को साथ लेकर कही घूमने गए थे। वापस लौटते समय उनके दिमाग में यादें की कहानी उभर आई। श्वेत-श्याम फिल्म 'यादें' को विदेशों में 'मेमोरीज' टाइटल से रिलीज़ किया गया था। यादें के लिए एस रामचन्द्र को बेस्ट सिनेमैटोग्राफर और एस्सा एम सुरतवाला को बेस्ट साउंड रिकार्डिस्ट का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।  लेकिन, तत्कालीन दर्शकों को सुनील दत्त का यह वर्ल्ड में पहला और इकलौता प्रयास पसंद नहीं आया।  फिल्म बॉक्स  ऑफिस पर बुरी तरह से असफल हुई। सुनील दत्त की श्रेष्ठ कल्पनाशीलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक पार्टी सीक्वेंस बैलून्स के सहारे क्रिएट कर दिया था। बच्चे के खिलौने और पत्नी की पेंटिंग के सहारे वह कहानी कह रहे थे। सुनील दत्त जानते थे कि वह क्या करने जा रहे हैं।  इसीलिए  फिल्म के क्रेडिट में गर्व के साथ लिखा गया था- वर्ल्ड'स फर्स्ट वन-एक्टर मूवी। हालाँकि, आलोचकों का कहना है कि फिल्म को वन-एक्टर मूवी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि फिल्म के लिए नर्गिस और संजय दत्त की परछाई और आवाज़ का इस्तेमाल किया गया था।



जब न्यू ज़ीलैण्ड ने पावर रेंजर्स पर रोक लगाई

१९९४ में न्यूजीलैंड ब्राडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ने माइटी मॉर्फिन पावर रेंजर्स पर रोक लगाने का निर्णय लिया।  यह निर्णय उस शिकायत पर लिया गया, जिसमे कहा गया था कि पावर रेंजर्स उनके बच्चों को सीखा रहे हैं कि किसी भी समस्या का समाधान हिंसा ही है।  अभिभावकों को लगता था कि इस शो को देखते हुए बच्चों के स्वभाव आक्रामकता बढ़ रही है।  जिस समय यह निर्णय लिया गया उस समय तक पावर रेंजर्स का एक पूरा सीजन हो चुका था तथा दूसरा सीजन का मध्य चल रहा था।  टीवी स्टेशनों को इस शो को बीच में ही रोक देना पड़ा। इसके बाद लम्बे समय तक पावर रेंजर डीवीडी और वीडियो के द्वारा देखे गए।  यहाँ एक मज़ेदार तथ्य यह है कि पावर रेंजर्स के दो सीजन, 'पावर रेंजर्स: मिस्टिक फ़ोर्स' और 'पावर रेंजर्स : जंगल फरी' की शूटिंग न्यूजीलैंड में ही हुई थी। न्यूजीलैंड के टीवी पर पावर रेंजर पूरे १७ साल तक गायब रहे।  इसके बाद, २०११ में 'पावर रेंजर्स समुराई' के प्रसारण के साथ ही पावर रेंजर्स को टीवी पर फिर जगह मिल गई।


क्या चौथी बार सफल होंगे अक्षय कुमार !

साल २००२ का आखिरी तिमाही आ गई है।  २ अक्टूबर को अक्षय कुमार की एक्शन कॉमेडी फिल्म 'सिंह इज़ ब्लिंग' रिलीज़ हो रही है। फिल्म में अक्षय कुमार के को-स्टार एमी जैक्सन, के के मेनन, प्रदीप रावत, अनिल मांगे, अरफी लाम्बा, रति अग्निहोत्री कुणाल कपूर और मुरली शर्मा हैं। फिल्म में, क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह अक्षय कुमार के करैक्टर रफ़्तार सिंह के पिता का  रोल कर रहे हैं।  इस फिल्म में सनी लियॉन का कैमिया भी बताया जा रहा है। ख़ास बात यह है कि २००३ में अक्षय कुमार के साथ फिल्म 'अंदाज़' में अपने फिल्म करियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री लारा दत्ता पिछली फिल्म डेविड के दो साल बाद हिंदी फिल्मों में वापसी कर रही है। अक्षय कुमार और लारा दत्ता ने लगभग एक दर्जन फ़िल्में साथ की हैं। फिल्म में शशि कपूर के बेटे कुणाल कपूर फिल्म की नायिका एमी जैक्सन के पिता के किरदार में हैं। फिल्म की तमाम शूटिंग भारत के अलावा साउथ अफ्रीका और रोमानिया में हुई है।  फिल्म का क्लाइमेक्स रोमानिया में फिल्माया गया है। सिंह इज़ ब्लिंग के निर्देशक प्रभुदेवा है, जिनके साथ अक्षय कुमारं ने राउडी राठौर जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म दी है। क्या यह जोड़ी एक बार फिर एक ब्लॉकबस्टर फिल्म देने जा रही है ? अगर ऐसा होता है तो अक्षय कुमार की इस साल की यह चौथी सफलता होगी।  अक्षय कुमार एक ऐसा अभिनेता हैं, जो खानों की तरह साल में एक या दो फिल्मों की कसम नहीं खाते।  उनकी साल में तीन या चार फ़िल्में रिलीज़ होती रहती हैं।  इस साल भी अक्षय कुमार की तीन फ़िल्में बेबी, गब्बर इज़ बैक और ब्रदर्स रिलीज़ हो चुकी हैं।  गब्बर इज़ बैक को मामूली सफलता मिली।  बेबी और ब्रदर्स ने ८०+ करोड़ की कमाई की।  ज़ाहिर है कि अक्षय कुमार बॉक्स ऑफिस पर विश्वसनीय हैं।  उनकी फ़िल्में अपने निर्माता को नुक्सान नहीं देती।  इसीलिए वह निर्माताओं के प्रिय भी हैं।  एक्शन उनकी ताकत है।  कॉमेडी लाजवाब है।  उनकी एक्शन कॉमेडी फ़िल्में सुपर हिट होती हैं।  लेकिन, अक्षय कुमार हमेशा ही लीक से हट कर फ़िल्में देने में विश्वास करते हैं। स्पेशल २६, हॉलिडे, बेबी, गब्बर इज़ बैक और ब्रदर्स इसका प्रमाण हैं।  सिंह इज़ ब्लिंग एक्शन कॉमेडी  फिल्म है।  यह उनकी २००७ की सुपर हिट फिल्म 'सिंह इज़ किंग' की सीक्वल फिल्म नहीं। लेकिन, इस फिल्म में अक्षय कुमार फिर सिख किरदार में हैं।  अक्षय कुमार की सिख किरदार में फिल्म सिंह इज़ किंग सुपर हिट हुई थी।  क्या सिंह इज़ ब्लिंग भी बड़ी हिट फिल्म साबित होगी।  तब तो अक्षय कुमार तीन सौ करोड़ के अभिनेता तो यो ही बन जाते हैं।  

जेम्स बांड की स्पूफ थी 'ऑस्टिन पावर्स' सीरीज की फ़िल्में

अमेरिकी एक्शन-कॉमेडी फिल्म सीरीज 'ऑस्टिन पावर्स' की फ़िल्में हॉलीवुड के जासूसों जेम्स बांड, डेरेक फ्लिंट, जैसन किंग और मैट हेल्म फिल्मों की पैरोडी हुआ करती थी। इस  सीरीज में तीन फ़िल्में 'ऑस्टिन पावर्स: इंटरनेशनल मैन ऑफ़ मिस्ट्री', 'ऑस्टिन पावर्स: द स्पाई हु शैग्ड मी' और 'ऑस्टिन पावर्स इन गोल्ड मेंबर' बनाई गई। क्रमशः १९९७, १९९९ और २००२ में रिलीज़ यह फ़िल्में चिढ़ाने वाली और अपमानजनक कथानक वाली फ़िल्में थी।  इनमे सेक्स की ओवरडोज़ हुआ करती थी। इन फिल्मों का जासूस जेम्स बांड की तरह आकर्षक और खूबसूरत नहीं था। 'ऑस्टिन पावर्स' सीरीज की फिल्मों की कहानी विलेन डॉक्टर ईविल के सरकार या अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को ब्लैकमेल कर मोटी रकम की उगाही करने के इरादों के इर्दगिर्द घूमती थी, जिन्हे पावर्स नाकाम कर देती थी। इन फिल्मों के निर्माता, लेखक और एक्टर माइक मायर्स थे। तीनों फिल्मों में मुख्य किरदार कभी नहीं बदले।  आंद्रेआना विथ ने वेरियस डांसर्स, सेठ ग्रीन ने स्कॉट ईविलमिंडी स्टर्लिंग ने फ्राउ फर्बिसिना, रॉबर्ट वैगनर ने नंबर २ और माइकल यॉर्क ने बेसिल एक्सपोसिशन भूमिका की थी।  फिल्म के निर्माता और लेखक माइक मायर्स ने हीरो ऑस्टिन पावर्स और मुख्य विलेन डॉक्टर ईविल, दोनों की ही भूमिका की थी।  माइक मायर्स के दोनों ही भूमिकाएं करने की कहानी दिलचस्प है।  यह तो पहले ही तय था कि फिल्म के हीरो यानि जासूस ऑस्टिन पावर्स माइक मायर्स ही होंगे।  डॉक्टर ईविल का किरदार के लिए जिम कैर्री को साइन किया गया था।  उस दौरान जिम कैर्री 'लिएर् लिएर्' कर रहे थे।  इस फिल्म की रीशेड्यूलिंग हो गयी। जिम को 'ऑस्टिन पावर्स' की पहली फिल्म 'इंटरनेशनल मैन ऑफ़ मिस्ट्री' छोड़नी पड़ी।  जिम के जाने के बाद निर्माता माइक मायर्स ने फिल्म की रीकास्ट  करने के बजाय खुद विग लगा कर नायक और खलनायक को अंजाम दिया।  पहली फिल्म 'ऑस्टिन पावर्स: इंटरनेशनल मैन ऑफ़ मिस्ट्री' के निर्माण में १६.५ मिलियन डॉलर खर्च हुए थे।  यह फिल्म २ मई १९९७ को रिलीज़ हुई।  फिल्म ने वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर ६७.६८ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया।  दूसरी फिल्म 'ऑस्टिन पावर्स: द स्पाई हु शैग्ड मी' ११ जून १९९९ को रिलीज़ हुई।  ३३ मिलियन डॉलर के बजट में बनी फिल्म ने वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर ३१२ मिलियन डॉलर का बिज़नेस किया।  आखिरी फिल्म 'ऑस्टिन पावर्स इन गोल्ड मेंबर' का बजट बढ़ कर लगभग दोगुना यानि ६६ मिलियन डॉलर हो गया था।  २६ जुलाई २००२ को रिलीज़ इस फिल्म ने वर्ल्डवाइड २९६.६५ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया।   



Tuesday 29 September 2015

रॉबर्ट ज़ेमेकिस के प्रशंसक सर बेन किंग्सले

ब्रिटेन-भारतीय सहयोग से १९८२ में बनी रिचर्ड एटनबरो की फिल्म 'गांधी' में महात्मा गांधी की भूमिका से सर बेन किंग्सले भारतीय दर्शकों द्वारा पहचाने जाने लगे। इस महान नेता के किरदार को बेहद संजीदा तरह से जीने  के लिए उन्हें ऑस्कर पुरूस्कार भी मिला था। इसके बाद बेन किंग्सले कई हॉलीवुड फिल्मों में नज़र आये। एचबीओ की फ़िल्म 'मर्डर अमंग अस' (१९८९)  में नाजी शिकारी साइमन विज़ंथल का उनका किरदार भी काफी लोकप्रिय हुआ। अब बेन किंग्सले रोबर्ट ज़ेमेकिस की महाकाव्य जैसी नयी 3डी फ़िल्म 'द वाक' में रुडोल्फ ओमनकोव्स्की उर्फ़ पापा रूडी का किरदार निभाते दिखेंगे । रूडी वह व्यक्ति है, जिसने फ्रेंच कलाकार फिल्लिप पेटिट को ऊँचे तारों पर चलना सिखाया था। फिलिप ने १९७४ में ट्विन टावर्स के बीच खींचे तार पर चल कर हैरतअंगेज कारनामा कर दिखाया । सर बेन किंग्सले ने अपने हाल ही के साक्षात्कार में अपने  इस फिल्म से जुड़ने के बारे में बताया,"मुझे इस किरदार को निभाने के लिए रोबर्ट ज़ेमेकिस ने आमंत्रण दिया था । उनका काम करने का एक अलग ही तरीका है। वह मुझे बहुत पसंद है। मैं हमेशा से ही उनका प्रशंसक था, लेकिन कभी उनके साथ काम करने का अवसर प्राप्त नहीं कर पाया था । जब मैंने इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी तो मुझे लगा कि वाकई यह बेहद मजबूत तरीके से लिखी एक दमदार स्क्रिप्ट है । मैं महान पेटिट से पहले भी मिल चुका था, जब मैंने उनकी 'मैन ऑन वायर' देखी थी।" यहाँ बताते चले कि मैन ऑन वायर जॉन मार्श द्वारा २००८ में बनायीं गयी डॉक्यूमेंट्री है। जिसे २००९ में बेस्ट डाक्यूमेंट्री के लिए ऑस्कर भी मिला था । 'द वायर' सोनी पिक्चर्स इंडिया द्वारा ९ अक्टूबर को भारत में रिलीज की जा रही है। 

आशा भोंसले के बेटे का निधन

मशहूर गायिका आशा भोंसले के पुत्र हेमंत भोसले (६६ साल) रविवार की देर रात कैंसर से अपनी लम्बी लड़ाई हार गए।  इसके साथ ही ८२ साल की आशा भोंसले को ज़बरदस्त झटका लगा।  कुछ साल पहले ही उनकी बेटी वर्षा ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली थी।  निश्चित रूप से हेमंत के यो चले जाने से बॉलीवुड को ख़ास फर्क नहीं पड़ा होगा। क्योंकि, पिछले १८ सालों से वह गुमनामी की ज़िन्दगी जीते हुए कैंसर और घरेलु परेशानियों से लड़ रहे थे।  आज जबकि हेमंत नहीं रहे, ऐसे समय में याद आती हैं, हेमंत भोंसले द्वारा संगीतबद्ध फ़िल्में।  हेमंत के संगीत से सजी अमोल पालेकर और ज़ाहिरा की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'टैक्सी टैक्सी' रिलीज़ हुई थी।  इस फिल्म में उनके गीतों 'हमें तो आज इस बात पर', 'लाई कहाँ हैं ज़िन्दगी' और 'जीवन में हमसफ़र' जैसे गीत लोकप्रिय हुए थे।  इन सभी गीतों को उनकी माँ आशा भोंसले और किशोर कुमार ने गाया था। लाइ कहाँ ज़िन्दगी में लता मंगेशकर और आशा भोंसले एक साथ गा रहे थे। हेमंत का करियर जमाने के लिए आशा भोंसले ने हरचंद कोशिश की थी।  लेकिन, उस दौर में राहुल देव बर्मन यानि पंचमदा के संगीत का नशा बॉलीवुड पर छाया हुआ था।  हेमंत भोंसले २ टीवी फिल्मों तेरी मेरी कहानी और धरती आकाश तथा हिंदी की ११ फिल्मों टैक्सी टैक्सी के अलावा दामाद, अनपढ़, नज़राना प्यार का, श्रद्धांजलि, बैरिस्टर, राजा जोगी, बच्चों का खेल, बंधन कच्चे धागों का, धरम शत्रु और आखिरी संघर्ष का संगीत देने के बाद इंडस्ट्री से बाहर हो गए।  आशा भोंसले की ज़िंदगी की यह त्रासदी है कि जब २०१२ में वह सिंगापुर में शो कर रही थी, तब उन्हें अपनी बेटी वर्षा के आत्महत्या कर लेने की खबर मिली थी। हेमंत की मौत की खबर भी उन्हें सिंगापुर के शो के दौरान ही मिली।

बॉक्स ऑफिस पर क्यों 'जवानी फिर नहीं आनी' !

आइये याद करते हैं २६ अगस्त २००५ को रिलीज़ अनीस बज़्मी निर्देशित फिल्म 'नो एंट्री' की। दो दोस्त किशन (अनिल कपूर) और शेखर (फरदीन खान) ।  किशन की बीवी काजल (लारा दत्ता) शक्की मिज़ाज़ है। वह हमेशा शक करती रहती है कि उसका पति बेवफा है।  जबकि किशन उसके प्रति ईमानदार है।  शेखर  एक खोजी पत्रकार संजना (सेलिना जेटली) से प्रेम करने लगता है। उधर इन दोनों का दोस्त है प्रेम यानि सलमान खान । वह पूजा (एषा देओल) से शादी शुदा है।  परन्तु यहाँ मामला उल्टा है।  प्रेम औरतबाज़ है।  जबकि पूजा उसे ईमानदार समझती है।  प्रेम किशन  को बेवफाई सिखाना चाहता है।  वह एक कॉल गर्ल बॉबी (बिपाशा बासु) को किशन को लुभाने के लिए तैयार करता है।  प्रेम देखना चाहता है कि किशन अपनी यह रिलेशनशिप छुपा सकता है या नहीं।  इस फिल्म में किरदारों की हेरफेर ने दर्शकों को खूब हंसाया था।
आइये इस कहानी में थोड़ा हेरफेर कर देते हैं।  दोस्त तीन नहीं चार हो जाते हैं। अपनी अपनी बीवियों से परेशान और डरे सैफ, शेख और परवेज़ तथा उनका तलाक़शुदा वकील दोस्त शेरी। शेरी से अपने दोस्तों की दशा देखीं नहीं जाती।  यह उन्हें ज़िंदगी का मज़ा दिलवाने के लिए बैंकाक ले जाता है।  मस्ती, ग्रैंड मस्ती, नो एंट्री, आदि न जाने कितनी हिंदी फिल्मों की घालमेल है इस कहानी में।  यह कहानी है एक पाकिस्तानी एडवेंचर कॉमेडी फिल्म 'यह जवानी फिर नहीं आनी' की। इस फिल्म को नदीम बेग ने निर्देशित किया है।  फिल्म के एक निर्माता हुमायु सईद फिल्म में सलमान खान वाला शेरी का किरदार कर रहे हैं। हम्ज़ा अली अब्बासी, वसै चौधरी और अहमद अली बट तीन दोस्तों की भूमिका में हैं।  इस फिल्म ने पाकिस्तान बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा रखा है। जवानी फिर नहीं आनी ईद वीकेंड में रिलीज़ हुई थी।  इस फिल्म ने पाकिस्तान बॉक्स ऑफिस पर हॉलीवुड-बॉलीवुड फिल्मों के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर डाला है।  हिंदुस्तानी बॉक्स ऑफिस के लिहाज़ से जवानी फिर नहीं आनी की सोमवार तक ९.८३ करोड़ की कमाई  जीरे जैसी लग सकती है।  लेकिन, इस कमाई से जवानी फिर नही आनी ने पाकिस्तान में फ्यूरियस ७, धूम ३, वेलकम बैक, आदि को पीछे धकेल दिया है। सबसे ज़्यादा बड़े वीकेंड का रिकॉर्ड फ्यूरियस ७ के नाम था, जिसने ७.५ करोड़ का वीकेंड कलेक्शन किया था। पाकिस्तानी की ऑन लाइन  ट्रेड मैगज़ीन बॉक्स ऑफिस डिटेल के अनुसार जवानी फिर नहीं आनी ने ७.८३ करोड़ का वीकेंड कलेक्शन करके फ्यूरियस ७ से टॉप की जगह छीन ली है।  दिलचस्प तथ्य यह है कि सोमवार को भी इस फिल्म ने दो करोड़ के लगभग कलेक्शन किया था।  इस प्रकार से यह फिल्म लगातार चार दिन २ करोड़ का आंकड़ा छूने वाली फिल्म बन गई है।  इस फिल्म के सोमवार के कलेक्शन को देख कर अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि फिल्म में लॉन्ग रन की क्षमता है।  अब केवल देखने वाली बात यही है कि क्या जवानी फिर नहीं आनी २५.०५ करोड़ का लाइफ टाइम कलेक्शन कर पाएगी! जी हाँ, पाकिस्तान की सरजमीं पर सबसे ज़्यादा कमाई करने का रिकॉर्ड फ्यूरियस ७ के खाते में ही दर्ज़ है।