Sunday 7 May 2017

मॉर्टल इंजिन्स में गेम ऑफ़ थ्रोन्स, एरो और रूट्स के एक्टर

वाय-ए बुक यानि यंग एडल्ट बुक मॉर्टल इंजिन्स पर निर्माता पीटर जैक्सन की फिल्म में गेम ऑफ़ थ्रोन्स के एक्टर पैट्रिक मलहिड़े, एरो के कॉलिन साल्मोन और रूट्स के रेगे- जीन पेज को भी शामिल कर लिया गया है।  लेखक फिलिप रीव की चार उपन्यासों की मॉर्टल इंजिन्स सीरीज की पहली किताब भविष्य के लंदन पर है, जिसमे एक विशालकाय मशीन पर बैठे लोगों को ख़त्म हो रही दुनिया को बचाना है। इस फिल्म में चरित्रों की भरमार है।  इसलिए फिल्म में उपरोक्त तीन एक्टरों के अलावा मिसफ़िट्स के रॉबर्ट शीहान के नेतृत्व में हेरा हिलमर, ह्यूगो वीविंग और स्टेफेन लँग को पहले ही शामिल किया जा चूका है। फिल्म की कहानी पारिस्थितिक और तकनीकी रूप से ख़त्म हो चुकी भविष्य की दुनिया में केवल लंदन ही ऐसा शहर है, जो इंजिनों के ज़रिये चलाया जा रहा है और लोग पृथ्वी से दूर छोटे शहरों के संसाधनों पर निर्भर हैं। एक किशोर टॉम नाट्सवर्थी नज़दीकी क्षेत्र आउटलैंड्स की एक युवती के साथ एक ऐसे रहस्य का पता लगा लेता है, जिससे विश्व व्यवस्था में बड़ा बदलाव आ जायेगा।   फिल्म का  निर्देशन पीटर जैक्सन के चेले क्रिस्चियन रिवर्स कर रहे हैं।  एमआरसी और यूनिवर्सल की इस फिल्म की शूटिंग न्यू ज़ीलैण्ड में जारी है।  

कॉस्ट्यूम फिल्मों की चमक-दमक और भव्यता

इस शुक्रवार पूरे हिंदुस्तान में सिनेमाघरों का रूपहला पर्दा बाहुबलीमय हो जायेगा।  दक्षिण के महिष्मति साम्राज्य के इस फंतासी महाकाव्य बाहुबली द बेगिनिंग का निर्माण एसएस राजामौली ने तमिल और तेलुगु में किया था। हिंदुस्तान की उस समय की सबसे महँगी (बजट १८० करोड़)  फिल्म को हिंदी सहित देश की दूसरी भाषाओं में भी डब कर रिलीज़ किया गया।  बाहुबली द बिगिनिंग ने वर्ल्डवाइड ६५० करोड़ का बिज़नेस किया। यह पहली गैर हिंदी भाषी फिल्म थी, जिसने १०० करोड़ से ज़्यादा का बिज़नेस किया।  इससे हिंदी बेल्ट में ऐतिहासिक कॉस्ट्यूम ड्रामा फिल्मों की लोकप्रियता का संकेत मिलता था। ऐसे में क्या दावे के साथ कहा जा सकता है कि अब राजसी ऐश्वर्य वाली भव्य फिल्मों का ज़माना आ रहा है ?
पहली मूक और सवाक फिल्मों की राजसी कहानी
वास्तविकता तो यह है कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की नीव ही कॉस्ट्यूम ड्रामा या राजा रजवाड़ों के कथाानकों पर फिल्मों से पड़ी।  पहली भारतीय मूक फिल्म राजा हरिश्चंद्र रामायण और महाभारत में उल्लिखित राजा हरिश्चंद्र के चरित्र पर बनाई गई थी।  उस समय आवाज़ न होने के कारण जाने पहचाने धार्मिक-ऐतिहासिक चरित्र ही फिल्मों का विषय हो सकते थे, ताकि दर्शक कहानी आसानी से समझ सकें ।  हालाँकि, उस दौर में भी कुछ सामाजिक फिल्मे बनाई गई।  इसी प्रकार से पहली सवाक फिल्म आलमआरा भी काल्पनिक कुमारपुर राज्य के राजकुमार आदिल और एक जिप्सी गर्ल आलमआरा की मोहब्बत की कहानी थी।  चमकदार पोशाकें, भव्य महल और राजदरबार के सेट्स इस फिल्म की खासियत थे। ज़ाहिर है कि राजसी फिल्मों का जलवा था।
मूक हो या सवाक फ़िल्में, इंडस्ट्री के शुरूआती  दौर की  फिल्मों में भव्यता और चमक दमक के साथ ड्रामा दिखाने के लिए राजसी या शाही फ़िल्में ही मुफीद थी।  अब यह बात दीगर है कि ऐसे तमाम चरित्र धार्मिक या पौराणिक थे या ऐतिहासिक या फिर राजशाही को दर्शाने वाले काल्पनिक चरित्र।
एक ख़ास बात यह रही कि नई तकनीक को दर्शकों के  बीच लोकप्रिय किया।  कहा जा  सकता है कि हिंदी फिल्मों में श्वे त-श्याम रंगों के अलावा अन्य रंगों को कॉस्ट्यूम ड्रामा फिल्मों अथवा ऐतिहासिक धार्मिक फिल्मों ने ही लोकप्रिय बनाया।
कॉस्ट्यूम फिल्मों से उभरे परदे पर रंग
कॉस्ट्यूम ड्रामा फिल्मों से हिंदी फिल्मों में क्रांतिकारी बदलाव हुए ।  हिंदी फिल्मों में रंग १९३३ में रिलीज़ वी० शांताराम निर्देशित फिल्म सैरंध्री से ही  आ गए थे।  महाकाव्य महाभारत की  उपकथा पर आधारित फिल्म सैरंध्री मल्टीकलर में शूट हुई थी।  लेकिन, जर्मनी में फिल्म की प्रोसेसिंग के दौरान इसके रंग नष्ट हो गए।  इसलिए, यह फिल्म दर्शकों को परदे पर श्वेत- श्याम रंगों में ही देखने को मिली ।  इसके बाद १९३५ में रिलीज़ आर्देशर ईरानी की फिल्म किसान कन्या पहली कलर फिल्म बनी।  इसे सिनेकलर प्रोसेस से रंगीन बनाया गया था।  इस फिल्म की किसान और गरीबी की कहानी दर्शकों को रास नहीं आई।  फिल्म असफल हो गई।  फिर १७ साल बाद रंगों ने दर्शकों का ध्यान खींचा महबूब खान की राजसी रोमांस ड्रामा फिल्म आन (१९५२)  से । आन एक काल्पनिक राज्य की बिगड़ैल राजकुमारी (नादिरा)  से एक  गरीब ग्रामीण युवक (दिलीप कुमार) द्वारा प्रेम करने की कहानी फिल्माई गई थी।  इस फिल्म को गेवाकलर में १६ एमएम रील से शूट किया गया था। बाद में ३५ एमएम  टैक्नीकलर में फैलाया गया। इस फिल्म को ज़बरदस्त सफलता मिली।  इस फिल्म की निर्माण लागत ३५ लाख थी।  लेकिन फिल्म ने डेढ़ करोड़ का बिज़नेस किया।
पहली टैक्नीकलर फिल्म झांसी की रानी
सोहराब मोदी की फिल्म झाँसी की रानी पहली हिंदी फिल्म थी, जो ३५ एमएम में टैक्नीकलर रंग में शूट हुई थी। इस फिल्म का छायांकन गॉन विथ द विंड के लिए ऑस्कर विजेता सिनेमेटोग्राफर अर्नेस्ट हैलर  ने शूट किया था।  फिल्म का संपादन इंग्लैंड से रसेल लॉयड ने किया था।  जिस दशक में रंगों से सजी झनक झनक पायल बाजे (१९५५), मदर इंडिया (१९५७) और नवरंग (१९५९) बॉक्स ऑफिस पर सफल हुई, उसी दशक में सोहराब मोदी की महताब की मुख्य भूमिका वाली ऐतिहासिक कॉस्ट्यूम ड्रामा फिल्म झाँसी की रानी बुरी तरह से असफल हुई ।
मील का पत्थर साबित हुआ ऐतिहासिक कॉस्ट्यूम ड्रामा
सोहराब मोदी ने तीन ऐतिहासिक फ़िल्में पुकार (१९३९), झाँसी की रानी (१९५३) और मिर्ज़ा ग़ालिब (१९५४)   बनाई थी।  यह तीनों फिल्में ऐतिहासिक फिल्मों में मील का पत्थर रखने वाली मानी जाती हैं।  पुकार की कहानी जहांगीर के इन्साफ पर थी।  नूरजहां के तीर से एक धोबी की  हत्या हो जाती है।  वह इन्साफ के लिए जहांगीर का घंटा बजाती है।  जहांगीर न्याय करता है कि धोबन नूरजहां के पति को मार दे।  मिर्ज़ा ग़ालिब में भारत भूषण ने ग़ालिब और सुरैया ने एक नर्तकी का किरदार किया था।  इस फिल्म को दूसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था।  तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस फिल्म को ग़ालिब को जीवंत कर देने वाली फिल्म कहा था। कोई १६ साल बाद निर्माता जीपी सिप्पी ने जहांगीर के इसी इन्साफ को प्रदीप कुमार, मीना कुमारी और सप्रू के साथ बनाया।  फिल्म का नाम था आदिल ए जहांगीर यानि  जहांगीर का इन्साफ।  जीपी सिप्पी ने इस फिल्म के लिए पहली बार निर्देशन की कमान सम्हाली थी।  फिल्म हिट हुई। दक्षिण में भी सलीम अनारकली और अकबर की तिकड़ी का जलवा रहा। 
कॉस्टयूम ड्रामा फिल्मों के-
वाडिया बंधु
जीबीएच वाडिया के नाम से मशहूर जमशेदजी बोमन होमी वाडिया ने १९३३ में वाडिया मूवीटोन स्टूडियो की स्थापना की।  उन्होंने अपने एक्टिव  करियर में स्टंट (हंटरवाली, हरिकेन हंसा, मिस फ्रंटियर मेल), फैन्टसी (लाल ए यमन, नूर ए यमन) और माइथोलॉजिकल (श्रीगणेश, लव कुश,  सम्पूर्ण रामायण)  फिल्मों का निर्माण किया।  उनके भाई होमी  वाडिया की पहचान एक्शन  फैन्टसी  कॉस्ट्यूम फिल्मों से बनी।  उन्होंने आम जनता  की भलाई के लिए अपना राजपाट छोड़ देने वाली राजकुमारी पर फिल्म द प्रिंसेस एंड द हंटर से फिल्म निर्देशन की शुरुआत की।  उन्होंने,  जंगल प्रिंसेस, शेर-ए- बग़दाद, रामभक्त हनुमान, श्री गणेश महिमा, हनुमान पाताल विजय, अलादीन और जादुई चिराग,  अलीबाबा एंड ४० थीव्स, हातिमताई, ज़बक, चार दरवेश, श्री कृष्ण लीला, एडवेंचर ऑफ़ अलादीन जैसी माइथोलॉजिकल फ़न्तासी कॉस्ट्यूम   फ़िल्में बनाई।
गुजरात के भट्ट
फिल्मों के शुरूआती दौर में गुजरात के भट्ट महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।  पहले भट्ट यानि विजय भट्ट १९२० के दशक में भावनगर से बॉम्बे आये थे।  उन्होंने बतौर पटकथा लेखक फिल्मों में कदम रखा।  उन्हें  हिन्दुओं के ईष्ट भगवान् राम और सीता पर फिल्म रामराज्य (१९४३) ने अमर कर दिया।  यह फिल्म बड़ी हिट फिल्म थी ही, यह ऎसी  इकलौती फिल्म थी, जिसे महात्मा  गांधी ने देखा था।  उन्होंने नरसि भगत, भरत मिलाप, विक्रमादित्य, रामबाण, बैजू बावरा, श्री चैतन्य महाप्रभु, बाल रामायण, अंगुलिमाल, आदि माइथोलॉजिकल और ऐतिहासिक कॉस्ट्यूम ड्रामा फिल्मों के लिए याद किया जाता है।  पोरबंदर में जन्मे नानाभाई भट्ट ने ज़्यादातर क्राइम एक्शन फ़िल्में बनाई।  परन्तु, उनकी माइथोलॉजिकल कॉस्ट्यूम  फिल्में मीराबाई, वीर घटोत्कच, जन्माष्टमी, राम जनम, लव कुश, लक्ष्मी नारायण और फ़न्तासी कॉस्ट्यूम फिल्मों सिंदबाद जहाजी, बग़दाद और सन ऑफ़ सिंदबाद जैसी फ़िल्में कॉस्ट्यूम ड्रामा फिल्में यादगार हैं।
हिंदी  फिल्मों के प्रिंस थे प्रदीप कुमार
हिंदी फिल्मों में काम करने के लिये बंगाली अभिनेता प्रदीप कुमार प्रदीप कुमार ने अपनी भूमिकाओं के लिए अपनी उर्दू को माजा । उनकी पहली हिंदी फिल्म आनंदमठ (१९५२) थी।  भारतीय स्वतंत्र संग्राम के  १८ वी  शताब्दी के संन्यासी  विद्रोह पर इस फिल्म में प्रदीप कुमार ने एक युवा संन्यासी का किरदार किया था।  प्रदीप कुमार अच्छी कद काठी, तलवार कट मूछों  और राजसी भावभंगिमाओं के कारण हिंदी फिल्मों में राजसी भूमिकाओं के उपयुक्त मान लिए गए।  उन्हें यह दर्ज़ा दिलवाया १९५३ में रिलीज़ फिल्म अनारकली ने।   इस फिल्म में प्रदीप कुमार ने शहज़ादा सलीम का किरदार किया था।  फिल्म बड़ी हिट साबित हुई।  प्रदीप कुमार ने बादशाह, राज हठ, दुर्गेश नंदिनी, हीर, यहूदी की लड़की, चित्रलेखा, बहु बेगम, महाभारत  और रज़िया सुल्तान में राजसी किरदार किये थे।  हालाँकि, उन्होंने काफी सोशल फ़िल्में की।  लेकिन वह यादगार हुए अनारकली के जहांगीर और ताजमहल के शाहजहां के किरदार से।
ऐतिहासिक फिल्मों की शाहकार
निर्माता निर्देशक के आसिफ ने केवल दो फिल्मों फूल और मुग़ल ए आज़म का निर्माण-निर्देशन किया।  मुग़ल ए आज़म को परदे पर आने में १५ साल लगे।  इस फिल्म की परिकल्पना १९४५ में की गई थी।  कई कलाकारों से गुजरते हुए, इस फिल्म को पृथ्वीराज कपूर, दिलीप कुमार,  मधुबाला, अजित और दुर्गा खोटे के साथ बनाया गया।  यह उस समय की सबसे महँगी फिल्म थी, जिसके निर्माण में डेढ़ करोड़ खर्च हुए।  इस फिल्म के एक गीत प्यार किया तो डरना क्या की शूटिंग शीश महल में हुई थी।  इस के फिल्मांकन  में ही १० लाख खर्च हो गए।  फिल्म के युद्ध दृश्यों में दो हजार ऊँट, चार हजार घोड़े और आठ हजार सिपाहियों का इस्तेमाल किया गया।  झांसी की रानी में रंगों की  सफलता को देख कर, के० आसिफ ने फिल्म के २० मिनट के क्लाइमेक्स और दो गीतों को टैक्नीकलर में रीशूट किया।  हिंदी, तमिल और इंग्लिश में शूट की गई इस फिल्म को बॉलीवुड की शाहकार फिल्म माना जाता है। हैदराबाद, सूरत, कोल्हापुर, राजस्थान, आदि से बुलाये गए तकनीशियनों से  फिल्म के जेवर, वेशभूषा और तीर तलवार का निर्माण करवा गया।
हिंदी फिल्मों में कॉस्ट्यूम ड्रामा पर संजयलीला भंसाली काफी काम कर रहे हैं।  उनकी पिछली फिल्म बाजीराव मस्तानी पेशवा बाजीराव की नर्तकी मस्तानी के साथ प्रेम कहानी थी।  आजकल वह मेवाड़ रानी पद्मावती पर फिल्म बना रहे हैं।  उनके अलावा यूनाइटेड अरब अमीरात के अरबपति व्यवसाई डॉक्टर बी आर शेट्टी भी भारत की अब तक की सबसे महँगी महाकाव्य पर फिल्म 'महाभारत' बनाने जा रहे हैं। इस फिल्म का बजट १००० करोड़ होगा. इस फिल्म में हिंदुस्तान और हॉलीवुड के कलाकार काम करेंगे।  पिछले दिनों यह भी खबर थी कि आमिर खान और शाहरुख़ खान की दिलचस्पी भी महाभारत में है।  सुशांत सिंह राजपूत और कृति सैनन की फिल्म राब्ता साउथ की कॉस्ट्यूम ड्रामा फिल्म मगधीरा का रीमेक है।  

कपिल शर्मा के शो में एडल्ट फिल्मों की अभिनेत्री !

कपिल शर्मा अपने शो को बचाने की हरचंद कोशिश कर रहे हैं।  इसी कोशिश में नई कोशिश है मोनिका कैस्टेलिनो।  मोनिका कैस्टेलिनो पेशे से एक्ट्रेस है।  वह हिंदी टीवी सीरियल प्रतिज्ञा, मणिबेन डॉट कॉम, प्यार की यह कहानी सुनो, तू मेरे अगल बगल है, हर मर्द को दर्द होता है, आदि में काम कर चुकी है।  लेकिन, कपिल शर्मा ने मोनिका को इसलिए अपने शो में शामिल नहीं किया है कि वह भी अभिनेत्री है, बल्कि इस वजह से साइन किया है कि वह एक एडल्ट फिल्म एक्ट्रेस हैं।  मोनिका अपनी फिल्मों में उत्तेजक कपडे पहनती है और हाव भाव प्रदर्शित करती है। उनकी फिल्मों के नाम भी काफी उत्तेजक होते है।  मेन नोट अलाउड वह लेस्बियन एक्ट कर रही थी।  काम सुंदरी में वह कामुकता की देवी बनी थी।  सूत्र बताते हैं कि कपिल शर्मा ने मोनिका को सुगंध मिश्र के जाने के बाद स्थाई सदस्य के तौर पर अपने शो में शामिल किया है। खबर यह भी है कि मोनिका शो में बेहद ग्लैमरस और बोल्ड अंदाज़ में आयेंगी ।  क्या द कपिल शर्मा शो को 'बंद होने से बचा पायेगी यह 'काम सुंदरी' ! 

दिव्या दत्ता पर फिल्मों की बारिश, शादी में ज़रूर आना, भावेश जोशी, विवेक ओबेरॉय, प्रीती और पिंकी

दिव्या दत्ता पर फिल्मों की बारिश !
चालीस साल की दिव्या दत्ता पर खुशियों की बारिश हो रही है।  उन्हें हमेशा से भिन्न प्रकार के रोल मिलते रहे हैं।  वह कभी टाइप्ड नहीं हुई।  उनकी हाल ही में रिलीज़ किताब मी एंड माँ को काफी सराहा गया है।  इस किताब के लिए उन्हें लिटरेरी एक्सेलेन्स अवार्ड मिला है।  उन पर फिल्मों की भी बारिश हो रही है।  १९९४ में मिराक़ मिर्ज़ा की फिल्म इश्क़ में जीना इश्क़ में मरना से दिव्या दत्ता का हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ था।  यह फिल्म भी उन्हें अनायास मिली।  मिराक ने अपनी यह फिल्म किसी दूसरी अभिनेत्री के साथ शुरू की थी।  लेकिन, दिव्या दत्ता को देख कर वह इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उस अभिनेत्री को निकाल कर दिव्या को फिल्म में ले लिया। दिव्या की दूसरी फिल्म सलमान खान के साथ फिल्म वीरगति थी।  यह दोनों ही फ़िल्में असफल हुई। इसके बावजूद दिव्या दत्ता को फ़िल्में मिलती रही। अलबत्ता ज़्यादातर फिल्मों में उन्होंने सह भूमिकाएं ही की थी।  चालीस साल की दिव्या दत्ता ने अब तक एक सौ के करीब फ़िल्में की हैं।  उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में बदलापुर, भाग मिल्खा भाग, स्पेशल २६, हीरोइन, डेंजरस इश्क़, दिल्ली ६, ओह माय गॉड, वेलकम टू सज्जनपुर, आजा नचले, उमराव जान, अपने, वीर ज़रा, एलओसी कारगिल, बड़े मिया छोटे मिया, आदि के नाम शामिल हैं।  इस समय दिव्या दत्ता कोई आठ फिल्मों में काम कर रही हैं। इरफ़ान खान, नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी और अरुणोदय सिंह के साथ फिल्मों में उनकी भूमिका सशक्त है।  राकेश ओमप्रकाश मेहरा की अगली फिल्म में अगली फिल्म में भी दिव्या दत्ता हैं।  नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी के साथ बाबूमोशाय बन्दूकबाज़ मई में रिलीज़ होने वाली है।  वह इरफ़ान खान के साथ रायता की शूटिंग कर रही हैं। 
राजकुमार ने कृति से कहा शादी में ज़रूर आना ! 
राजकुमार राव और कृति खरबंदा की फिल्म शादी में ज़रूर आना की शूटिंग लखनऊ और इलाहबाद में पूरी हो गई है। इस फिल्म में राजकुमार राव कृति खरबंदा पहली बार एक साथ आ रहे हैं।  दरअसल, कृति खरबंदा साउथ की ख़ास तौर पर तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों की बड़ी एक्ट्रेस हैं। उनका हिंदी फिल्म डेब्यू पिछले साल रिलीज़ हॉरर फिल्म राज़ रिबूट से इमरान हाश्मी और गौरव अरोरा के साथ हुआ था।  राज़ रिबूट फ्लॉप हुई।  शादी में ज़रूर आना कृति की दूसरी फिल्म है।   निर्माता विनोद बच्चन की इस फिल्म की निर्देशक रत्ना सिंह हैं।  यह उत्तर प्रदेश की खालिस देसी कहानी वाली फिल्म है। फिल्म दो युवा प्रेमियों सत्येंद्र मिश्रा और आरती शुक्ल की है, जो शादी करना चाहते हैं।  लेकिन, एक दिन आरती यकायक निर्णय लेती है कि वह पहले अपने सपने पूरे करेगी।  दोनों अलग हो जाते हैं।  पांच साल दोनों मिलते हैं तो अजीब परिस्थितियों में।  अब तक आईएएस अफसर बन गए सत्येंद्र को पीसीएस अधिकारी आरती के एक मामले की जांच सौंपी जाती है।  फिल्म के बारे में रत्ना सिन्हा कहती हैं, "हम लोग पूरी कोशिश कर रहे हैं कि फिल्म दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करे।" कमल पांडेय की लिखी फिल्म शादी में ज़रूर आना रत्ना सिन्हा की पहली फिल्म है।  
भावेश जोशी के लिए हर्षवर्धन कपूर ने किया बडा बदलाव  
एक्टर हर्षवर्धन कपूर निर्देशक विक्रमादित्य मोटवानी की फिल्म भावेश जोशी में केंद्रीय किरदार में नजर आनेवाले हैं। इस फिल्म में उनके तीन अलग अलग लुक हैं। एक लूक में वह दुबले-पतले कॉलेज जानेवाले युवा बने हैं । दुसरा लुक अधेड़ गंजे व्यक्ति के और तीसरे लुक में सुडौल और तंदुरूस्त शरीर के व्यक्ति के रूप में नज़र आएंगे । तीन अलग अलग लुक्स पाने के लिए हर्षवर्धन ने अपने शरीर में काफी मशक्कत कर बदलाव किया है ।  कॉलेज जानेवाले युवा के किरदार के लिए हर्षवर्धन ने छह कार्डियो करके अपना वजन छह किलो घटाया। नकली पेट और गंजे लुक से मध्यम आयु का किरदार निभाया । फिर सुडोल और तंदुरूस्त लुक के लिए मिक्स्ड मार्शल आर्ट फायटर एन्ड्र्यु नील से मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ली। शूटिंग के आखिरी हफ्ते में हर्ष को चोट आयी थी। लेकिन उसके बावजुद १४ घंटे की शिफ्ट करके हर्ष जिम जाते रहे और ट्रेनिंग भी करते रहे।  अपने इन किरदारों के बारे में हर्षवर्धन कहते हैं, "कितनी भी लंबी शिफ्ट रहें, मैं नियमित तौर पर जिम जाता था। फिल्म के इंटेन्स एक्शन सीन्स के लिए मेरे मसल्स दिखने जरूरी थे। एक बार एक सीन के लिए कूदते वक्त मेरे सर पर और हाथ में दो जगह चोट आयी थी। लेकिन फिल्म करते समय इस तरह के हादसे होते रहते हैं।"
तमिल फिल्म में विवेक ओबेरॉय का एक्शन  
बॉलीवुड एक्टर  विवेक ओबेरॉय अपनी पहली तमिल फिल्म विवेगम की शूटिंग सर्बिआ में कड़ाके की ठंड में कर रहे है। इस समय सर्बिआ का तापमान मायनस १२ डिग्री है। ​एक्शन थ्रिलर फिल्म के लिए सह लेखन और ​निर्देशन सिवा कर रहे है। फिल्म में दक्षिण के सितारे अजित, काजल अग्रवाल और अक्षरा हसन मुख्य भूमिका में है। फिल्म में विवेक ओबेरॉय मुख्य खलनायक की भूमिका में है । बॉलीवुड फिल्मों में भी विवेक ओबेरॉय ने ज्यादातर एंटी हीरो किरदार किये है। फिल्म में विवेक युद्धक टैंक पर सवार हुए है। विवेक के तमाम हाई वोल्टेज स्टंट्स बेलग्रेड वायु सेना बेस पर शून्य से १२ डिग्री काम तापमान में है । ​यह फिल्म १२० करोड़ बजट की लागत से बन रही है।  इस फिल्म के एक्शन सीन्स वर्ल्ड के जानेमाने एक्शन डायरेक्टर और उनके  क्रू ने कोरियोग्राफ किये है। 

Saturday 6 May 2017

क्या बनेगी बाहुबली ३ ?

बाहुबली द कांक्लुजन पूरी दुनिया में धूम मचाये हुए है।  हिंदुस्तान की यह इकलौती फिल्म बन गई है, जिसने मात्र छह दिनों में ७८० करोड़ का ग्रॉस किया है।  ट्रेड पंडितों का अनुमान है कि बाहुबली २ बॉक्स ऑफिस पर  एक हजार करोड़ का ग्रॉस कर ले जाएगी। इस प्रकार से वर्ल्डवाइड ग्रॉस के मामले में फिल्म ने दंगल (७४४ करोड़) को पीछे छोड़ दिया है।  अब यह पीके (७९० करोड़) से ही पीछे है। (खबर यह भी है कि बाहुबली २ का गुरुवार का फाइनल कलेक्शन शामिल करने पर फिल्म ने ७९२ करोड़ का ग्रॉस कर लिया है।  यानि पीके पीछे।  इस फिल्म का डब हिंदी संस्करण छः दिनों में २२१ करोड़ का ग्रॉस कर टॉप १० ग्रॉसर की लिस्ट में सलमान खान की दिवाली में रिलीज़ फिल्म प्रेम रतन धन पायो से ऊपर ९ वी पोजीशन में आ चुका है।  यह फिल्म गुरुवार को शाहरुख़ खान की फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस (२२७ करोड़) और  सलमान खान की फिल्म किक (२३२ करोड़) के तथा शुक्रवार को हृथिक रोशन की फिल्म कृष ३ (२४४.९२ करोड़) और धूम ३ (२८४ करोड़) के ग्रॉस को पीछे छोड़ देगी।  इस समय जैसा बाहुबली २ का क्रेज बना हुआ है, ट्रेड यह उम्मीद कर रहा है कि केवल दस दिनों में  यह फिल्म सबसे तेज़ी से कलेक्शन करते हुए ३०० करोड़ क्लब में शामिल हो जाएगी।  इस प्रकार से बाहुबली २ सलमान खान की फिल्म सुल्तान (३०१.५० करोड़) और बजरंगी भाईजान (३२१ करोड़) तथा आमिर खान की फिल्म पीके (३४०.८० करोड़) और दंगल (३८७.३८ करोड़) के ग्रॉस को जल्द ही काफी पीछे छोड़ देगी।  ख़ास बात यह है कि इस हफ्ते (शुक्रवार ५ मई) बाहुबली २ को कोई भी हिंदी फिल्म चुनौती नहीं दे रही।  इसका मतलब यह है कि पूरा बॉक्स ऑफिस बाहुबली २ के लिए खुला हुआ है।  विदेशों में भी बाहुबली २ का डंका बजा हुआ है।  यह फिल्म अब तक १५० करोड़ का ग्रॉस कर चुकी है।  केवल उत्तरी अमेरिका में ही फिल्म ने ७९ करोड़ से अधिक का ग्रॉस किया है।  इस प्रकार से बाहुबली २ ने दंगल के लाइफ टाइम ग्रॉस को पीछे धकेल दिया है। पिछले बुद्धवार फिल्म के निर्देशक एसएस राजामौली ब्रिटिश फिल्म इंस्टिट्यूट लंदन में फिल्म की सोल्ड आउट  स्क्रीनिंग में मौजूद थे।  फिल्म देखने के बाद दर्शकों को लगा कि इस फ्रैंचाइज़ी का तीसरा हिस्सा भी बनाया जायेगा।  यह अनुमान एन्ड क्रेडिट के दौरान के वॉयस ओवर के देख कर लगाया गया था।  हालाँकि, वैरायटी के  पत्रकार द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने इसे  प्रशंसकों के लिए मज़ेदार चीज़ बताया था।  इसके साथ ही  राजामौली ने बाहुबली ३ के बनने की ओर इशारा भी कर दिया था।  बाहुबली फ्रैंचाइज़ी की कहानियां राजामौली के पिता विजयेंद्र प्रसाद ने लिखी है।  विजयेंद्र प्रसाद की कहानी पर ही सलमान खान की सुपर हिट फिल्म बजरंगी भाईजान बनाई गई थी।  राजामौली ने बातों ही बातों में कहा, "कौन जाने मेरे पिता पहले की तरह कोई सम्मोहक कहानी ले कर आ जाये तब मैं खुद को कैसे रोक पाऊंगा। तब हम ज़रूर बनाएंगे।" जहाँ तक बाहुबली २ की विजय रथ यात्रा का सवाल है, फिल्म के निर्माता ताइवान और कोरिया पर निगाहें रख रहे है।  उनका अगला लक्ष्य चीन का बाजार पकड़ना है। आमिर खान की फिल्म पीके ने चीनी बॉक्स ऑफिस पर किसी हिंदी  फिल्म का सबसे ज़्यादा १२२ करोड़ का ग्रॉस किया था।यहाँ एक  ख़ास बात यह कि राजामौली बड़े परदे के लिए महाभारत बनाना चाहते हैं।  लेकिन, राजामौली की महाभारत अभी नहीं १० साल बाद बनेगी।

बाइबिल से भी प्रभावित है वॉर फॉर द प्लेनेट ऑफ़ द एप्स

जब मैट रीव्स और मार्क बॉम्बैक की निर्देशक- स्क्रीन राइटर जोड़ी को २०१४ की फिल्म डॉन ऑफ़ द प्लेनेट ऑफ़ द एप्स की कमान सौंपी गई, उस समय फिल्म की रिलीज़ की तारिख का ऐलान किया जा चुका था। ऐसे में इस जोड़ी को समय के साथ रफ़्तार पकड़नी थी।  रीव्स कहते हैं, "हम पागलों की तरह काम कर रहे थे।" लेकिन इसका परिणाम काफी सुखद रहा।  डॉन ऑफ़ द प्लेनेट ऑफ़ द एप्स ने वर्ल्डवाइड ७०० मिलियन डॉलर से अधिक का ग्रॉस किया।  इसके साथ ही फिल्म के सीक्वल की नींव भी पड़ गई।  मगर, पेंच तो अभी बाकी था। यह पेंच  फॉक्स स्टूडियोज ने डाला।  उन्होंने इस बार इस जोड़ी को खूब समय दिया।  इस जोड़ी ने हर वह काम किया, जो एक राइटर करता है।  रीव्स कहते हैं, "हमने अपनी ज़िन्दगी के बारे में बात की,  ऐतिहासिक कहानियों को पढ़ा और ढेरों फ़िल्में देखी।" रीव्स-बॉम्बैक जोड़ी ने एप्स फ्रैंचाइज़ी पर बनी तमाम फ़िल्में देखी।  ब्रिज ऑफ़ द रिवर क्वाई और ग्रेट एस्केप के अलावा स्क्रिप्ट को बाइबिल प्रभावित बनाने के लिए बेन हर और द टेन कमांडमेंट्स देखी। कहने का मतलब यह कि कुछ प्रभाव इसका, कुछ उसका। इन सभी को रीव्स और बॉम्बैक ने गहराई से लिया। इसलिए, जब यह जोड़ी फिल्म लिखने बैठी तो उन्हें अपनी पसंदीदा फिल्मों की प्रतिध्वनि सुनाई दे रही थी। फिल्म में बंदरों के नेता सीजर (एंडी सर्किस) और कर्नल (वुडी हर्रेलसन) के किरदार के बीच के संवाद-विवाद ब्रिज ऑन द रिवर क्वाई में एलेक गिनेस के ब्रिटिश कमांडर कर्नल निकोल्सन और सेसुए हायकावा के प्रिजन कैंप के कर्नल सैतो की प्रतिध्वनि हैं।  वॉर फॉर द प्लेनेट ऑफ़ द एप्स १४ जुलाई को रिलीज़ हो रही है।

जेम्स गन चाहें फिर फिर स्टैलॉन !

गार्डियंस ऑफ़ द गैलेक्सी वॉल्यूम २ में सिल्वेस्टर स्टैलॉन ने स्टाकर ओगॉर्ड का किरदार किया है। सिल्वेस्टर स्टैलॉन फिल्म देखते समय पहचान में नहीं आने वाले तमाम चेहरों के बीच आसानी से पहचाने जाते हैं।  स्टैलॉन की मौजूदगी से निर्देशक जेम्स गन कुछ इतना प्रभावी हुए हैं कि वह चाहते हैं कि हर गार्डियंस फ्रैंचाइज़ी फिल्म में स्टाकर ओगॉर्ड का किरदार हो और उसे सिल्वेस्टर स्टैलॉन ही करें।  अभी यह कहना मुश्किल हैं है गार्डियंस फ्रैंचाइज़ी के वॉल्यूम ३ में स्टैलॉन होंगे या नहीं, लेकिन इतना तय है कि मार्वल सिनेमेटिक यूनिवर्स की अगली फिल्मों में सिल्वेस्टर स्टैलॉन को फबने वाले किरदार रखे जाएँ।  गार्डियंस ऑफ़ द गैलेक्सी के तीन वॉल्यूम में एक ही कहानी आगे बढ़ाई गई है।  जैसी संभावना है, वॉल्यूम ४ का निर्माण भी होगा।  लेकिन, इस वॉल्यूम से कहानी में बदलाव होगा।  क्योंकि, स्टार-लार्ड, गमोरा, आदि किरदार वॉल्यूम ३ से साथ ही ख़त्म हो जायेंगे।  चौथे वॉल्यूम के निर्देशन के लिए जेम्स गन उपलब्ध नहीं होंगे।  लेकिन मार्वल के केविन फीज के सलाहकार जेम्स गन बन रहेंगे।  ऐसे में पूरी संभावना है कि मार्वेल की भविष्य की फिल्मों में सिल्वेस्टर स्टैलॉन भी नज़र आएं।