कल मुंबई में,
नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी की फिल्म मंटो का प्रीमियर था। इस फिल्म में, नवाज़ुद्दीन ही मंटो की भूमिका में है।
प्रीमियर में मेहमानों की भीड़ जमा थी। इंतज़ार हो रहा था नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी का।
लेकिन, नवाज़ुद्दीन का आता पता नहीं था। मेहमान इंतज़ार करते रहे गए। नवाज़ुद्दीन नहीं पहुंचे।
दूल्हे के कारण बारात देर से बिदा हुई । यानि मंटो का प्रीमियर देर से संपन्न हुआ
।
कहाँ चले गए थे नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी ? किसी एक्टर के लिए उसकी फिल्म का प्रीमियर बड़ी महत्वपूर्ण बात होती
है।
मंटो एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति
प्राप्त फिल्म थी। हिंदुस्तान और
पाकिस्तान की साझा शख्शियत थे मंटो। ऐसे
किरदार को करना ही बड़ी इज़्ज़त की बात होती है। नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी को यह इज़्ज़त बख्शी गई थी।
ऐसे में उनका इतनी महत्वपूर्ण फिल्म के
प्रीमियर में देर से पहुंचना सवाल पैदा करने वाला था। कहाँ चले गए थे नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी ? मंटो के
प्रीमियर से ज़्यादा महत्वपूर्ण कौन सा काम आ गया था उन्हें ?
सूत्र बताते हैं कि जिस समय, मुंबई में फिल्म मंटो का प्रीमियर होना था, उस समय
नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी दिल्ली में थे।
वह
दिल्ली में, राष्ट्रीय
स्वयम सेवक संघ के कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे। जिस समय मंच से राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख
मोहन भगवत द फ्यूचर ऑफ़ भारत : एन आरएसएस पर्सपेक्टिव पर बोल रहे थे, नवाज़ुद्दीन
सामने बैठे हुए, उन्हें सुन रहे थे।
इसके बाद, नवाज़ुद्दीन
सिद्दीक़ी की मोहन भागवत से बात भी हुई।
आरएसएस प्रमुख से बात करने के बाद नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी अपनी फिल्म के प्रीमियर
में हिस्सा लेने मुंबई चले गए।
नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी, किस धर्म को मानते हैं! वह किससे बात करते हैं, कहाँ जाते
हैं ! यह उनका निजी मामला है।
लेकिन
नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी का आरएसएस के
कार्यक्रम में हिस्सा लेना मंटो की निर्देशक नंदिता दास को नागवार गुजरा होगा ।
नंदिता दास ठेठ वामपंथी हैं। उन्हें हिंदुत्व शब्द से एलर्जी है। आरएसएस से उनका सांप नेवले का नाता है।
वह किस प्रकार से सहन कर सकती हैं कि उनकी
फिल्म का मंटो किसी हिन्दु संगठन के
मुखिया से मिलने जाए !
वैसे इन सभी सवालों के जवाब नंदिता दास या नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी
ही दे सकते हैं।
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